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पहले गणतंत्र दिवस परेड की अनसुनी कहानी: जानें कैसा था भारत का पहला गणतंत्र दिवस समारोह

भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भव्य परेड के साथ ही देश भर में तरह-तरह के आयोजन किए जाएंगे. स्कूल-कॉलेजों में तिरंगा लहराने के साथ परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. दिल्ली की परेड में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मौजूद रहेंगे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू परेड की सलामी लेंगी. इस दौरान भारत की तरक्की और शक्ति का प्रदर्शन किया जाएगा. पर क्या आप जानते हैं कि पहले गणतंत्र दिवस की परेड कैसी थी? आइए जान लेते हैं.

भारत वैसे तो 15 अगस्त 1947 को ही आजाद हो गया था. हालांकि, तब देश का अपना संविधान था. 2 साल 11 महीने 18 दिनों में संविधान तैयार किया गया. इसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया. तभी तय किया गया कि संविधान 26 जनवरी को लागू किया जाएगा. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया. तत्कालीन गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने सुबह 10:18 बजे संविधान लागू होने के साथ ही भारत को गणराज्य घोषित किया. इसके छह मिनट के भीतर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की और गवर्नर जनरल की व्यवस्था समाप्त हो गई.

नेशनल स्टेडियम में किया गया था आयोजन

इसके बाद गणतंत्र भारत की पहली परेड निकाली गई, जिसकी कहानी काफी दिलचस्प है. यह परेड दिल्ली में पुराने किले के सामने बने ब्रिटिश स्टेडियम में हुई थी, जहां अब नेशनल स्टेडियम है. पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार गणतंत्र दिवस समारोह मनाया गया. दोपहर 2:30 बजे डॉ. राजेंद्र प्रसाद बग्घी में सवार होकर राष्ट्रपति भवन (तब गवर्मेंट हाउस) से निकले. बग्घी में 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े जुते थे. बग्घी से ही कनॉट प्लेस जैसे नई दिल्ली के कई इलाकों का चक्कर लगाते हुए 3:45 बजे नेशनल स्टेडियम (तब इरविन स्टेडियम) पहुंचे. वहां उन्होंने तिरंगा फहराया और 31 तोपों की सलामी दी गई. इसके साथ ही परेड की शुरुआत हो गई.

तीन हजार जवानों ने की थी परेड

गणतंत्र दिवस की पहली परेड भले ही आज जैसी भव्य नहीं थी, पर तब देश की आजादी के बार पहली बार ऐसा हो रहा था, इसलिए हर भारतीय गौरवान्तिव था. भारतीयों के दिल पर इसने अमिट छाप छोड़ी थी. पहली बार परेड में किसी तरह की झांकी शामिल नहीं थी. इसमें थल सेना, वायु सेना और जल सेना की टुकड़ियों ने हिस्सा लिया था. इन टुकड़ियों में तीन हजार जवान शामिल थे. इन जवानों की अगुवाई परेड कमांडर ब्रिगेडियर जेएस ढिल्लन ने की थी. इसमें इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

वायु सेना के सौ विमान हुए थे शामिल

पहली परेड में आज की तरह करतब दिखाने वाले विमान जेट या थंडरबोल्ट तो नहीं थे पर डकोटा और स्पिटफायर जैसे छोटे विमानों ने खूब जलवे बिखेरे थे. वायु सेना के सौ विमानों को परेड का हिस्सा बनाया गया था. भारतीय सेना की कमान तब जनरल फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के पास थी.

दोपहर 3:45 बजे राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के तिरंगा फहराने के साथ ही भारतीय वायु सेना के बमवर्षक विमानों ने सलामी उड़ान भरी थी. इसके लिए खास व्यवस्था की गई थी. इस परेड समारोह में झंडारोहण के समय ही विमानों के स्टेडियम के ठीक ऊपर उड़ान भरने में मदद करने के लिए जमीन पर एक स्पेशल कार स्टेडियम में खड़ी की गई थी. इस कार में दृश्य-नियंत्रण की सुविधा थी और इसमें तैनात सैनिक बमवर्षक विमानों के बेड़े के कमांडर के साथ सीधे रेडियो संपर्क में थे. झंडारोहरण होते ही विंग कंमाडर एचएसआर गुहेल की अगुवाई में चार बमवर्षक लिबरेटर विमानों ने स्टेडियम के ऊपर आकाश में उड़ान भरते हुए राष्ट्रपति को सलामी उड़ान दी थी.

कई सालों तक तय नहीं था रूट

पहली बार गणतंत्र दिवस परेड दिल्ली के कई प्रमुख इलाकों से होते हुए नेशनल स्टेडियम तक पहुंची थी. हालांकि, कई सालों तक परेड की जगह और रूट सुनिश्चित नहीं थे. इसके कारण यह अलग-अलग जगहों से होकर निकलती रही. साल 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड इरविन स्टेडियम, किंग्सवे (राजपथ), लालकिला और रामलीला मैदान पर हुई. साल 1955 में तय किया गया कि इसका आयोजन राजपथ पर होगा. राजपथ से निकलकर परेड लालकिले तक जाएगी.

न्याय हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग… राष्ट्र के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र की पूर्व संख्या पर देश को संबोधित कर रही हैं. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा है कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा.आज के दिन हम सबसे पहले उन सूर वीरों को याद करते हैं जिन्होंने देश को आजाद करने में बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी. इस साल हम भगवान बिरसा मुंडा की 150 जयंती मना रहे हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है. उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं.

देश को विश्व व्यवस्था में उचित स्थान मिला

मुर्मू ने कहा कि देश ने विश्व व्यवस्था में उचित स्थान पाया है. बाबा साहब ने देश को मजबूत संविधान दिया. न्याय हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है. हमारे देश का ये सौभाग्य था कि यहां महात्मा गांधी हुए. संविधान सभा में सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. नैतिकता हमारे जीवन का प्रमुख तत्व है.

राष्ट्रपति ने संबोधन में आगे कहा कि देश में विकास की ये रफ्तार आगे भी बनी रहेगी. भारत का आर्थिक विकास तेजी से हुआ है. महिलाएं और बच्चे विकास के केंद्र में हैं. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का कद भी बढ़ा है. देश में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के लोगों के समग्र विकास के प्रयास किए जा रहे हैं. सड़क, बंदरगाह का तेजी से विकास हो रहा है.

राष्ट्रपति के संबोधन की अहम बातें-

हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है.

इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है.

हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं.

एक राष्ट्र एक चुनाव योजना शासन में स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है, नीतिगत पंगुता को रोक सकती है.

हम औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के लिए हाल में ठोस प्रयास देख रहे हैं. साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधार आने वाले वर्षों में इस प्रवृत्ति को बनाए रखेंगे.

शिक्षा की गुणवत्ता, भौतिक अवसंरचना और डिजिटल समावेशन के मामले में पिछले दशक में शिक्षा में काफी बदलाव आया है.

प्रयागराज महाकुंभ हमारी विरासत का परिचय, बोलीं राष्ट्रपति

उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग हो रहा है. उन्होंने कहा कि डीबीटी के जरिए लोगों को बहुत लाभ मिला है. इससे सिस्टम में पारदर्शिता भी बढ़ी है. देश में शास्त्रीय भाषाओं में शोध कार्य को बढ़ावा दिया गया. प्रयागराज महाकुंभ हमारी विरासत का परिचय है. देश में डिजिटल शिक्षा के भी प्रयास किए जा रहे हैं. शिक्षा के जरिए ही युवाओं की प्रतिभा निखरती है. विद्यार्थियों के प्रदर्शन में काफी सुधार देखने को मिला है. सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है.

पंजाब पुलिस ने गैंगस्टर विशाल खान को पकड़ा, सिद्धू मूसेवाला मर्डर में किए थे हथियार सप्लाई

पंजाब की एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (SGTF) और एसएएस नगर पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के एक प्रमुख साथी को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने बताया कि जिस गैंगस्टर को गिरफ्तार किया गया है उसकी पहचान महफूज उर्फ विशाल खान के रूप में हुई है. पुलिस ने आरोपी से एक अवैध पिस्तौल और 5 जिंदा कारतूस भी बरामद किए हैं. आरोप है कि विशाल खान ने ही सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों के लिए हथियार और रसद मुहैया कराई थी.

पुलिस ने बताया कि गैंगस्टर विशाल खान को पंजाब के मोहाली स्थित एसएएस नगर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अब आरोपी को कोर्ट में पेश करने की तैयारी में जुट गई है. जिसके बाद गैंगस्टर विशाल खान के रिमांड की मांग की जाएगी. पुलिस रिमांड में लेकर यह जानने की कोशिश में है कि आखिर विशाल खान हथियार कहां से लाता है और वह गोल्डी बराड़ से किन नंबरों से बात करता है.

कई केस हैं विशाल खान पर

पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि गैंगस्टर विशाल खान को एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने स्थानीय पुलिस के साथ संयुक्त ऑपरेशन चलाकर पकड़ा है. पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी जिसके बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. पुलिस ने रेड मारकर गैंगस्टर को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि विशाल खान किसी साजिश के तहत मोहाली पहुंचा था जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया है.

डीजीपी ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि गैंगस्टर विशाल खान ट्राइसिटी में किसी वारदात को अंजाम देने के लिए आया था. गैंगस्टर विशाल पर 10 से ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज हैं और वह 2023 से विदेश में बैठे लॉरेंस गैंग के गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के निर्देशन में काम कर रहा है. विशाल खान कुख्यात गैंगस्टर जोगिंदर उर्फ जोगा (एचआर) से हथियारों की खेप इकट्ठा करता था.

शरद पवार का 4 दिन का दौरा रद्द, तबियत खराब होने के बाद डॉक्टरों ने दी आराम की सलाह

महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी शरद पवार ग्रुप के अध्यक्ष शरद पवार ने अपना अगले 4 दिनों का दौरा रद्द कर दिया है. बताया जा रहा है कि उनकी तबीयत खराब हो गई है. डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है. जिसके बाद पवार ने अपने 4 दिन के दौरे को रद्द कर दिया है. डॉक्टरों ने शरद पवार को कुछ दिनों तक लगातार व्यस्त रहने से बचने की सलाह भी दी है. फिलहाल शरद पवार घर पर ही आराम करेंगे क्योंकि वह सर्दी से पीड़ित हैं. शरद पवार फिलहाल पुणे में हैं. सूत्रों के मुताबिक जल्द ही वो मुंबई लौट सकते हैं.

एनसीपी में फूट अजित पवार की बगावत के बाद एनसीपी में दो गुट बंट गए. एनसीपी शरद पवार गुट और दूसरा एनसीपी अजित पवार गुट एनसीपी के कई विधायकों ने अजित पवार का समर्थन किया. इसके बाद अजित पवार को एनसीपी का सिंबल और पार्टी का नाम भी मिल गया. शरद पवार को नया चुनाव चिन्ह अलॉट हुआ, लेकिन नए सिंबल पर चुनाव लड़कर भी शरद पवार ने लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवादी अजित पवार गुट और महागठबंधन को बड़ा झटका दिया. बारामती में ही महागठबंधन की उम्मीदवार सुनेत्रा पवार हार गईं, जबकि सुप्रिया सुले जीत गईं.

विधानसभा चुनाव में लगा करारा झटका

लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में महायुति ने जोरदार वापसी की, राज्य में महायुति को स्पष्ट बहुमत मिला, महायुति की 232 सीटें चुनी गईं. 131 सीटों के साथ बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इस चुनाव में महाविकास अघाड़ी को बड़ा झटका लगा, महाविकास अघाड़ी की तीनों पार्टियां मिलकर सिर्फ 50 सीटें ही जीत पाईं

शरद पवार गुट को मिली केवल 10 सीटें

एनसीपी शरद पवार ग्रुप को सबसे कम सीटें मिलीं, एनसीपी शरद पवार ग्रुप को सिर्फ 10 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. लेकिन उसके बाद भी शरद पवार ने हार नहीं मानी, उन्होंने एक बार फिर राज्य भर में दौरा शुरू किया. महागठबंधन पर करारा हमला बोला गया. अब भी उनके दौरे जारी हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि उनकी तबीयत खराब होने के कारण अगले चार दिनों के दौरे रद्द कर दिए गए हैं.

शरद पवार अगले चार दिनों में राज्य के अलग-अलग जिलों का दौरा करने वाले थे. विधानसभा चुनाव के बाद से ही लोगों से लगातार मिल रहे हैं और समय-समय पर सरकार को लेकर अपनी बात भी रखते हैं

मोकामा को मिलेगा ‘नया सरकार’? 3 सिनेरियो दे रहे हैं संकेत

मोकामा फायरिंग के बाद अनंत सिंह पर जहां कानूनी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. वहीं सियासी तौर पर भी अनंत सिंह अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव के बाद अनंत सिंह की जनता दल यूनाइटेड से नजदीकी बढ़ती जा रही थी. कहा जा रहा था कि जेडीयू के टिकट पर ही छोटे सरकार मोकामा से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अब बदले समीकरण में छोटे सरकार की राह आसान नहीं है.

फायरिंग की घटना और पुलिस पर सवाल उठाने की वजह से जनता दल यूनाइटेड ने अनंत सिंह से दूरी बना ली है. मुंगेर के सांसद और केंद्र में मंत्री ललन सिंह ने कहा कि दहशत फैलाने वालों को पुलिस किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी. ललन ने 2020 में अनंत को आरजेडी से टिकट मिलने पर भी सवाल उठाया.

अनंत सिंह मोकामा में छोटे सरकार के नाम से मशहूर हैं. कहा जा रहा है कि क्या इस बार मोकामा को नया सरकार मिलेगा? यह इसलिए भी क्योंकि सोनू-मोनू गैंग ने दावा कर दिया है कि अब मोकामा में अनंत सिंह का दौर खत्म हो चुका है.

अनंत के लिए जेडीयू का दरवाजा बंद

जनता दल यूनाइटेड जिस तरीके से अनंत सिंह के खिलाफ मुखर है, उससे कहा जा रहा है कि अनंत सिंह के लिए पार्टी का दरवाजा बंद है. लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने खुलकर जेडीयू उम्मीदवार ललन सिंह का सपोर्ट किया था, जिसके कारण आरजेडी से उनके रिश्ते खराब हो गए.

2015 का चुनाव छोड़ दें तो अभी तक अनंत सिंह किसी न किसी पार्टी से ही जीत हासिल करते रहे है. 2005 और 2010 में अनंत जेडीयू और 2020 में आरजेडी के सिंबल पर चुनाव जीते. 2022 में अनंत की सदस्यता गई तो उनकी पत्नी ने आरजेडी सिंबल पर जीत हासिल की.

हालांकि, अनंत सिंह यह बात लगातार कहते रहे हैं कि उन्हें विधायक बनने के लिए किसी भी पार्टी की जरूरत नहीं है, लेकिन जिस तरीके से मोकामा का सियासी समीकरण लगातार बदलता जा रहा है, उससे बिना पार्टी छोटे सरकार की राह आसान हो, इसकी गुंजाइश कम है.

सूरजभान एक्टिव, सोनू-मोनू भी मुखर

गैंगवार के बाद जहां अनंत सिंह के धुर-विरोधी सूरजभान एक्टिव हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ सोनू-मोनू भी मुखर है. सोनू ने खुले तौर पर कहा है कि अब मोकामा में अनंत सिंह छोटे सरकार नहीं रह गए हैं.

सूरजभान भी बैकडोर से सोनू-मोनू के समर्थन में हैं. पशुपति पारस की पार्टी में शामिल सूरजभान को आरजेडी गठबंधन से लड़ने की चर्चा है. हाल ही में लालू ने पारस के साथ गठबंधन करने की बात कही थी.

सोनू-मोनू भी मोकामा के कई गांव में अपना प्रभाव रखता है. ऐसे में सूरजभान के साथ अगर दोनों का मेल होता है, तो अनंत का खेल भी हो सकता है. इतना ही नहीं, सांसदी चुनाव लड़ चुके अशोक सम्राट भी अनंत से बदला लेने के मूड में हैं.

अशोक सम्राट की पत्नी के खिलाफ लोकसभा चुनाव 2024 में अनंत ने सीधा मोर्चा खोल रखा था.

बेटे के राजनीति में आने की चर्चा

अनंत सिंह के दो जुड़वा बेटे हैं- अभिषेक और अंकित. दोनों राजनीति शास्त्र से पढ़ाई भी कर चुके हैं. अनंत जेल में थे, तब मां के साथ इलाके में घूमते थे. कहा जा रहा है कि अनंत अपने किसी एक बेटे को सियासत में उतार सकते हैं.

अनंत सिंह भी इसी तरह राजनीति में आए थे. उस वक्त उनका भाई दिलीप सिंह सरकारी शिकंजे में थे. जब अनंत के सियासत में आने की चर्चा हुई तो दिलीप ने मोकामा की सीट भाई के लिए छोड़ दी. अनंत इसके बाद इलाके में छोटे सरकार के नाम से मशहूर हो गए.

2022 में अनंत जेल में थे, तब अपनी पत्नी को उतार दिया. उनकी पत्नी जीत तो गई, लेकिन सियासत में सक्रिय नहीं रही. ऐसे में अब चर्चा उनके बेटे की राजनीति में आने की है.

शुक्रवार को अनंत सिंह जब जेल गए, तब उनके दोनों बेटे बेऊर पर मौजूद थे.

मोकामा में घट रहा अनंत का जनाधार

मोकामा सीट पर अनंत सिंह ने 2020 के चुनाव में 35 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. अनंत ने इस चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार को हराया था. 2022 के उपचुनाव में अनंत की पत्नी ने जीत तो दर्ज की, लेकिन मार्जिन 16 हजार पर पहुंच गया.

2024 के लोकसभा चुनाव में अनंत के समर्थन के बावजूद जेडीयू उम्मीदवार ललन सिंह मोकामा में पिछड़ गए. आरजेडी उम्मीदवार ने यहां 1100 वोटों की बढ़त हासिल की.

महाराष्ट्र: बांग्लादेशियों पर पुलिस की नकेल जारी, 10 को किया अरेस्ट

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में छापेमारी कर देश में अवैध रूप से रहने के आरोप में पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी. एक अधिकारी ने बताया कि कल्याण और डोंबिवली शहरों में ये छापे मारे गये थे. पुलिस उपायुक्त (जोन 3-कल्याण) अतुल जेंडे ने बताया कि चार महिलाओं और एक पुरूष को गिरफ्तार किया गया है जो इन इलाकों में छोटे-मोटे काम करते थे. उन्होंने बताया कि आरोपी गांधीनगर की एक झुग्गी कॉलोनी और कल्याण रेलवे स्टेशन के पास रह रहे थे

जेंडे ने बताया कि ये लोग भारत में प्रवेश करने और यहां रहने के पक्ष में कोई सबूत नहीं दिखा पाये. इसके बाद उनपर विदेशी नागरिक अधिनियम, भारतीय पासपोर्ट अधिनियम और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है.

मुंबई के कल्याण उल्हासनगर समेत महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में रह रहे अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की धर पकड़ तेज हो गई है. मुंबई व उपनगर तथा ठाणे जिले के तमाम क्षेत्रों में बड़ी तादाद में बांग्लादेशी नागरिकों ने अपना अड्डा बना रखा है. वहीं कुछ लोगों ज्यादा पैसों की लालच में इन्हें संरक्षण देने का काम भी करते हैं. परिमंडल 3 के अंतर्गत आने वाले मानपाड़ा पुलिस स्टेशन व महात्मा फुले पुलिस की हद से कुल पांच बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया जिनमें, तीन महिलाएं भी शामिल हैं.

फेरी, जूस की दुकान लगाने वालों में बांग्लादेशी

चोरी छुपे बांग्लादेश की सीमा से घूसखोरी के जरिए यह भारत में प्रवेश करते हैं और यहां पर जुगाड़ के माध्यम से वैध कागजात बनाने में भी सफल हो जाते हैं. मुंबई, कल्याण उल्हासनगर में ज्यादातर चिकन सेंटर, फेरीवाले व जूस की दुकानों में इनकी बहुतायत संख्या है, ऐसा लोगों का कहना है. ठाणे के पुलिस आयुक्त के आदेश पर परिमंडल 3 में इनकी धर पकड़ तेज कर दी गई है. इसके तहत एक अलग टीम के माध्यम से इनको खोजने का काम किया जा रहा है.

इसी कार्रवाई के तहत टाटा पॉवर के देशमुख होम्स के नजदीक स्थित गांधीनगर झोपड़पट्टी क्षेत्र से मानपाड़ा पुलिस ने चार बांग्लादेशी तथा कल्याण पश्चिम में रेलवे की हद से एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है. इनके पास भारत मे रहने का कोई भी वैध प्रमाणपत्र नहीं है. पकड़े गए लोगों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं. नागरिकों की मांग है कि इन्हें संरक्षण देकर अपने घरों में ठहराने वालों पर भी सख्त कार्रवाई हो तभी इन पर अंकुश लग सकेगा अन्यथा आने वाले दिनों में यह भारत के लिए एक बड़ी मुसीबत साबित होंगे.

दिल्ली में एक दिन पहले मनाया जाता है गणतंत्र दिवस,जानें क्यों

देश भर में 76वें गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियां की जा रही हैं. हर छोटी-बड़ी जगहों पर बड़े ही धूमधाम के साथ गणतंत्र दिवस समारोह मनाया जाता है. लेकिन दिल्ली में एक दिन पहले ही गणतंत्र दिवस समारोह का तिरंगा सीएम आतिशी ने फहरा दिया है. उन्होंने छत्रसाल स्टेडियम में तिरंगा फहराया है. इसके बाद से ही कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एक दिन पहले क्यों तिरंगा फहराया गया है. इसके पीछे की वजह नई दिल्ली में आयोजित होने वाली परेड है.

सीएम आतिशी ने छत्रसाल स्टेडियम में गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले तिरंगा फहराया. इस दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित भी किया. एक दिन पहले तिरंगा फहराने की वजह नई दिल्ली में होने वाली परेड है. ऐसा इसलिए क्योंकि गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले राजधानी दिल्ली को सुरक्षा लिहाज से छावनी में तब्दील कर दिया जाता है.

दिल्ली- एनसीआर में कई तरह के पाबंदियां लागू कर दी जाती हैं. यही कारण है कि आज ही तिरंगा फहराया गया है. इसके अलावा कई प्रोटोकॉल के भी कारण हैं.

परेड के निरीक्षण में होना पड़ता है दिल्ली के सीएम को शामिल

एक दिन दिल्ली में तिरंगा इसलिए फहराया गया, क्योंकि 26 जनवरी को लाल किले पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सीएम और अन्य अधिकारियों को मौजूद रहना होता है. इस कार्यक्रम का पूरा निरीक्षण करना होता है. प्रोटोकॉल के मुताबिक कार्यक्रम में सीएम की मौजूदगी जरूरी होती है, ऐसा इसलिए क्योंकि लाल किले पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में पीएम के साथ ही विदेशी मेहमान भी शामिल होते हैं. जिसके कारण, राज्य सरकार एक दिन पहले ही ऐतिहासिक अवसर मनाती है.

इसके अलावा, कड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच, राष्ट्रीय राजधानी में राज्य सरकार के समारोहों के लिए एक अलग परेड आयोजित करना संभव नहीं है. यही कारण है कि 26 जनवरी के बजाय 25 जनवरी को ही दिल्ली में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. इसी दौरान परेड और सीएम का राज्य को संबोधन भी होता है.

क्या बोलीं सीएम आतिशी?

पने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि सभी दिल्ली वासियों एवं देशवासियों को 76 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. जैसा कि हम इस दिन को मनाते हैं, यह उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का समय है जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया. यह बाबासाहेब अम्बेडकर का सम्मान करने का भी क्षण है, जिन्होंने आजादी के बाद हमें संविधान दिया.

गणतंत्र दिवस समारोह में विदेशी मेहमान होते हैं शामिल

इस साल, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुविआंतो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. सुबियांतो शनिवार को भारत पहुंच चुके हैं, उनका स्वागत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. हर साल गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में किसी न किसी देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति शामिल होता है.

पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं में 25% आई कमी, मान सरकार ने बताया सड़क सुरक्षा फोर्स का कमाल

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य में सड़क सुरक्षा फोर्स की कामयाबी का असर दिखने लगा है, उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी दर्ज की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फोर्स के गठन से प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में 25 फीसदी की कमी आई है वहीं पंजाब में चिन्हित किए गए 1200 ब्लैक स्पाट जोकि सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह बने थे, उसमें 90 फीसदी ब्लैक स्पाट की तकनीकी खामियों को दूर कर दिया गया है.

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार चरणबद्ध तरीके से सड़क दुर्घटनाओं को कम करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. पंजाब सरकार ने सबसे पहले सड़क दुर्घटनाओं वाले ब्लैक स्पाट को चिन्हित किया, जिसकी संख्या 1200 के करीब थी. उसके बाद सरकार ने इन ब्लैक स्पाटों की तकनीकी खामियों को क्रमवार तरीके से दूर करना शुरू किया.

तकनीकी खामियां दूर की गईं

पंजाब सरकार ने बताया है कि राज्य में कई ऐसे ब्लैक स्पाट थे जहां पर गंभीर तकनीकी खामियां थीं. पंजाब सरकार ने ब्लैक स्पाट की तकनीकी खामियों को दूर किया. इस लक्ष्य को पाना इतना आसान नहीं था. क्योंकि ब्लैक स्पाट नेशनल हाई-वे पर भी थे. जिसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकी खामियां भी थीं. जिसे पूरे योजनाबद्ध तरीके से दूर किया गया.

15 मिनट में स्पॉट पर पहुंचते हैं सहयोगी

एक तरफ मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने ब्लैक स्पाट की खामियों को दूर किया. दूसरी तरफ सड़क सुरक्षा फोर्स का गठन किया. सड़क सुरक्षा फोर्स के ट्रेंड मुलाजिम सड़क दुर्घटना होने पर लोगों की जान बचाने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हैं. सड़क सुरक्षा फोर्स राज्य व राष्ट्रीय मार्गों पर 144 अति आधुनिक वाहनों से लैस है. जोकि सड़क दुर्घटना होने की सूरत में 15 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच जाती है.

तेजस्वी के हमले पर नीतीश के बचाव में उतरे मांझी; विजय सिन्हा और मंगल पांडे क्या बोले?

छोटे सरकार के नाम से चर्चित अनंत सिंह के क्षेत्र मोकामा में गैंगवार पर बिहार की सियासी तपिश बरकरार है। विपक्षी दल राजद और कांग्रेस नीतीश सरकार को घेरने में लगे हैं तो एनडीए के घटक दल हम, बीजेपी और जेडीयू बचाव में जुट गए हैं। तेजस्वी यादव ने बिहार के लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है तो नरेंद्र मोदी सरकार के एमएसएमई मंत्री जीतनराम मांझी ने नेता प्रतिपक्ष पर पलटवार कर दिया है। बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा के साथ स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी तेजस्वी यादव को आईना दिखाया है। इस मामले में चार एफआईआर दर्ज हो चुके हैं और अनंत सिंहल समेत सोनू सिंह और रौशन सिंह जेल जा चुके है। पूर्व विधायक अनंत सिंह ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया जबकि अन्य दो को गिरफ्तार किया गया।

जीतनराम मांझी ने पूछा है कि कोई आदमी अगर किसी प्रभावी व्यक्ति के पास आएगा और अपनी समस्या रखेगा और पंचायत के लिए जाने पर विरोधि पक्ष गोली चला देगा और उसके जवाब में अगर कोई गोली चलाता है तो यह लॉ एंड ऑर्डर का मामला है ? इसे विधि व्यवस्था का मामला नहीं कहा जा सकता है। लालू-राबड़ी राज की याद दिलाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले क्या स्थिति थी। पांच बजे के बाद लोग घर से नहीं निकलते थे और नाईट शो का सिनेमा नहीं देखते थे। आज तो लड़कियां भी रात्रि शो में सिनेमा देखती हैं।

इधर डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि सरकार कानून व्यवस्था को लेकर पूरी तरह से सजग है। हर छोटी बड़ी घटना पर ध्यान है। गलत करने वाले बचेंगे नहीं, इमानदारी के साथ प्रशासन भी इस कांड पर काम कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि कहीं भी और किसी भी परिस्थिति में नीतीश कुमार के राज में और एनडीए के राज में कानून के राज से कभी समझौता नहीं किया जाता है। जो कोई भी गलती करता है उस पर कार्रवाई होती है।

जदयू नेता और मंत्री लेसी सिंह ने कहा है कि कहीं भी कोई घटना होती है कि पुलिस प्रशासन अपना काम करती है। उसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। हमारी सरकार में ना किसी को फंसाया जाता है और ना किसी को बचाया जाता है। इससे पहले डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भी कहा था कि जिन लोगों ने गलती की है उन पर कार्रवाई की जा रही है।

दवाओं का बड़ा घोटाला! 135 दवाएं फेल, जानें कौनसी दवाएं हैं शामिल!

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने दिसंबर में लिए दवाओं के सैंपल के रिजल्ट जारी किए हैं. इसके मुताबिक 135 से ज्यादा मानकों पर सही नहीं पाई गई हैं. जिन दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें हार्ट, शुगर, किडनी, बी.पी. व एंटीबायोटिक सहित कई दवाइयां शामिल हैं. पिछले कुछ महीनों से लगातार दवाओं के सैंपल मानकों में फिट नहीं बैठते हैं. ये दवाएं देश की कई बड़ी फार्मास्युटिकल्स कंपनी बनाती है. क्वालिटी टेस्ट में ये मेडिसिन फेल हो गई है और उनको सेहत के लिए खतरनाक बताया गया है

इन दवाओं के निर्माता भी अब जांच के दायरे में हैं. इन दवाओं में ज्यादातर दवाएं मधुमेह और माइग्रेन की बीमारी में दी जाती थीं. केंद्रीय प्रयोगशालाओं ने 51 और राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 84 दवाओं के नमूनों को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए हैं. यही कारण है कि अब दवा निर्माताओं के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.

खराब गुणवत्ता वाली प्रमुख दवाएं

इन दवाओं में जन औषधि केंद्रों को दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवा-सेफपोडोक्साइम टैबलेट आईपी 200-एमजी, डाइवैलप्रोएक्स एक्सटेंडेड-रिलीज टैबलेट, मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोर आईडीई टैबलेट, जिंक सल्फेट टैबलेट, मेटफॉर्मिन टैबलेट 500 एमजी, एमोक्सीमून सीवी-625, पेरासिटामोल 500 एमजी शामिल हैं.

साथ ही, सीएमजी बायोटेक की बीटा हिस्टाइन, सिपला की ओकामैट, एडमैड फार्मा की पेंटाप्राजोल, वेडएसपी फार्मा की अमोक्सीसिलिन, शमश्री लाइफ साइंसेस का मैरोपेनम इंजेक्शन-500, ओरिसन फार्मा की टेल्मीसार्टन, मार्टिन एंड ब्राउन कंपनी की एल्बेंडाजोल शामिल हैं.

अब तक 300 से ज्यादा दवाएं हुई थी बैन

सरकार ने कुछ समय पहले अलग-अलग टाइम पर कई दवाओं पर बैन लगाया था. इनमें 206 फिक्स डोज दवाओं को भी बैन किया था. उन दवाओं को भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया था. तब सरकार ने ड्रग्स एडवाइजरी बोर्ड की सिफारिशों के बाद यह फैसला लिया था. फिक्स डोज दवाएं यानी एफडीसी वो दवा होती है जिसमें एक ही गोली में एक से ज्यादा दवा मिलाई जाती है. उनको इनको खाने से तुरंत आराम भी मिल जाता है. अब एक साथ 135 दवाएं टेस्ट में फेल हुई हैं, जिसके कारण इनकी संख्या 300 के पार पहुंच चुकी है.

दवाओं की क्वालिटी कैसे चेक होती है?

दवाओं की गुणवत्ता जानने के लिए ड्रग अथॉरिटी क्वालिटी टेस्ट करती है. जांच के जरिए दवा की सेफ्टी और उसके असर को समझा जाता है. इसके लिए CDSCO के विशेषज्ञों की टीम कई तरह के टेस्ट करती है. पहले चरण के मुताबिक टीम दवाओं से जुड़े डॉक्यूमेंट्स, एक्सपायरी और लेबलिंग को जांचा जाता है. किसी भी तरह की झूठी जानकारी को क्रॉस चेक किया जाता है. जानकारी गलत मिलने पर उनकी लेबलिंग बदली जाती है.