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अयोध्या में महाकुंभ जैसा नजारा, दर्शन को पहुंचे लाखों श्रद्धालु

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में महाकुंभ जैसा नजारा देखने को मिल रहा है. यहां रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. जहां एक तरफ प्रयागराज में लगे महाकुंभ में देश-विदेश के श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है और पूरी दुनियां सनातन के इस महापर्व में उमड़े श्रद्धालुओं की संख्या को देख कर अचंभित है, वहीं वैसा ही नजारा अयोध्या धाम में भी देखने को मिल रहा है. कुंभ में शाही स्नान के बाद उत्तर प्रदेश में अन्य तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की आमद में भारी संख्या में इजाफा हुआ है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ पर्व के दौरान प्रदेश के सभी तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका व्यक्त की थी. अयोध्या धाम में भी जिला प्रशासन ने महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका जताई थी. ठीक वैसा ही हुआ है. 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शाही स्नान के बाद अयोध्या में 15 जनवरी और आज यानी 16 जनवरी को श्रद्धालुओं की भीड़ का रैला देखने को मिल रहा है.

5 जोन और 12 सेक्टर में बांटा

अयोध्या धाम में श्रद्धालुओं का आवागमन जारी है. सरयू तट, हनुमानगढ़ी, राम मंदिर, राम पथ पर भारी तादात में श्रद्धालु देखे जा रहे हैं. यही नहीं राम नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ को मैनेज करने के लिए पूरे मेला क्षेत्र को 5 जोन 12 सेक्टर में बांटा गया है. जगहजगह यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए बैरिकेडिंग की गई है. भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा बैकअप प्लान की भी रूप रेखा तैयार की गई है.

हनुमान गढ़ी में दर्शन के लिए लगी लंबी कतार

15 जनवरी को राम नगरी में पूरे दिन बाहरी तादात में श्रद्धालुओं का आगमन हुआ. सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी में दर्शन के लिए छोटी देवकाली चौराहे के समीप मौर्य मिष्ठान तक श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी गई.रामपथ के निवासियों का कहना है कि अपने जीवनकाल में हनुमान गढ़ी में दर्शन हेतु इतनी लंबी कतार उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. वहीं, राम मंदिर में भी पूरे दिन श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा.

एसएसपी ने संभाला मोर्चा

भीड़ में मोर्चा संभालने के लिए जिले के पुलिस कप्तान राज करण नैयर को खुद ग्राउंड पर उतरना पड़ा. राम पथ, लता मंगेशकर चौक, हनुमानगढ़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एक-एक घंटे पर इन जगहों पर पैदल मार्च किया तथा व्यवस्थाओं को परखा. इस दौरान पूरे दिन श्रद्धालु नाचते गाते राम नाम का कीर्तन करते हुए सरयू घाट से राम मंदिर और हनुमानगढ़ी तक देखें गए.

मुकेश अंबानी का सैनिकों को तोहफा, सियाचिन ग्लेशियर पर भी मिलेगी 5G कनेक्टिविटी

रिलायंस जियो अपने कस्टमर्स को बेहतर कनेक्टिविटी और देश के हर कोने तक पहुंचने पर काम कर रहा है. अब जियो ने दुनिया के सबसे ऊंचे वॉर जोन में भी अपनी 5G सर्विस शुरु कर दी है. भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स’ ने एक अपनी एक्स पोस्ट में इस बात की जानकारी दी है. जियो टेलीकॉम और भारतीय सेना ने मिलकर दुनिया के सबसे ऊंचे वॉर जोन सियाचिन ग्लेशियर पर पहला 5G मोबाइल टॉवर इंस्टॉल कर दिया है.

15 जनवरी को सेना दिवस है इससे ठीक पहले सियाचिन ग्लेशियर पर 4G और 5G सर्विस शुरु कर जियो ने सेना को बढ़िया तोहफा दिया है. जियो देश का पहला ऑपरेटर है जिसने सियाचिन ग्लेशियर पर सर्विस शुरु कर अचीवमेंट हासिल की है.

जियो 5जी टावर

इतनी ऊंचाई पर टावर लगाना काफी मुश्किल होता है. जियो ने अपनी स्वदेशी फुल-स्टैक 5G टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. ये 5जी टावर उत्तरी ग्लेशियर पर इंस्टॉल किया गया है. इस एरिया में टेपंरेचर 50°C से गिर जाता है. यहां पर ठंडी हवाएं और बर्फीले तूफान आते रहते हैं.

जियो देगा प्रीमियम यूट्यूब सब्सक्रिप्शन

इसके अलावा जियो यूजर्स के लिए एक और खुशखबरी है. अब Reliance Jio अपने यूजर्स को फ्री यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्रिप्शन भी देने वाली है. ये सब्सक्रिप्शन दो साल की वैलिडिटी का होगा. जियो ने फ्री यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्रिप्शन देने का एलान कर दिया है. हालांकि इसका फायदा सलेक्टेड JioFiber और Jio AirFiber यूजर्स को मिलेगा.

JioFiber और JioAirFiber में यूट्यूब सब्सक्रिप्शन

JioFiber और JioAirFiber के कई प्लान्स में आपको फ्री प्रीमियम यूट्यूब सब्सक्रिप्शन मिलता है. कंपनी के 888 रुपये, 1,499 रुपये, 2,499 रुपये, 3,499 रुपये और 1,199 रुपये, वाले पोस्टपेड प्लान में आपको ये बेनिफिट मिलता है. इन प्लान्स में आपको फ्री में YouTube प्रीमियम ऑफर किया जाता है. इसका मतलब आप इन प्लान्स को लेकर यूट्यूब पर कोई भी कंटेंट बिना किसी ऐड और रुकावट के देख सकते हैं.

मौसम विभाग के 150 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने लॉन्च किया 'मिशन मौसम'

भारतीय मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने ‘मिशन मौसम’ लॉन्च किया. साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौसम वैज्ञानिकों से भूकंप की चेतावनी देने वाला तंत्र विकसित करने के लिए कहा. ताकि समय रहते इससे देश को होने वाले नुकसान को रोका या कम किया जा सके. साथ ही पीएम ने कहा कि जहां पिछली सरकारों में प्राकृतिक आपदाओं में हजारों लोगों की जान जाने पर उसे नियति कहकर टाल दिया जाता था, वहीं आज मौसम से जुड़ा हर अपडेट व्हाट्सऐप पर मिल जाता है. यहा कारण है कि पिछले 10 सालों में कई साइक्लोन आए पर जनहानि या तो जीरो रही या सबसे कम.

भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि आज हमारा Flash Flood Guidance System भारत के पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका को भी सूचनाएं दे रहा है. साथ ही अगर हमारे पड़ोस में कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो भारत सबसे पहले मदद के लिए मौजूद रहता है, जिससे दुनिया में भारत को लेकर भरोसा भी बढ़ा है.

पीएम ने सुनाया मौसम से जुड़ा एक किस्सा

भारतीय मौसम विभाग की स्थापना 1875 में मकर संक्रांति के ही करीब 15 जनवरी को हुई थी. आज के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मिशन मौसम लांच करने के साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. मिशन मौसम का मकसद देश को मौसम के लिए तैयार होने, देश को क्लाइमेट-स्मार्ट बनाने, वेदर मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कर नेक्स्ट जनरेशन रडार, सैटेलाइट और हाई-पर्फॉर्मिंग सुपर कंप्यूटर विकसित करना है. ताकि देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और प्राकृतिक आपदा से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिल सके.

विजन 2047 दस्तावेज में मौसम के पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की योजनाएं शामिल है. ये दस्तावेज मॉडर्न वेदर मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने के लिए मददगार होगा. इस मौके पर पीएम ने अपना व्यक्तिगत अनुभव सुनाते हुए मौसम विभाग के पूर्वानुमान करने की तकनीक की तारीफ की.

पीएम ने कहा कि सोमवार को वो सोनमर्ग में थे, जिसका कार्यक्रम जल्दी बना था लेकिन मौसम विभाग की सारी जानकारियों से पता चला कि मेरे लिए वो समय उचित नहीं है. फिर मौसम विभाग ने मुझे बताया कि साहब 13 तारीख ठीक है. तब कल मैं वहां गया, माइनस 6 डिग्री टेंपरेचर था लेकिन जितना समय मैं वहां रहा, एक भी बादल नहीं था. धूप खिली हुई थी. मौसम विभाग की सूचना के कारण इतनी सरलता से मैं कार्यक्रम करके लौटा.

पीएम की स्पीच की मुख्य बातें

मौसम विभाग के Early Warning for All सुविधा की पहुंच आज देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी तक हो रही है. कोई भी व्यक्ति किसी भी समय पिछले 10 दिन और आने वाले 10 दिन के मौसम की जानकारी ले सकता है. मौसम से जुड़ी भविष्यवाणी सीधे व्हाट्सऐप पर भी पहुंच जाती है. मेघदूत मोबाइल एप से देश की सभी स्थानीय भाषाओं में जानकारी मिलती है.

10 साल पहले देश के सिर्फ 10% किसानों और पशुपालकों को मौसम से जुड़ी जानकारी मिलती थी. आज ये संख्या 50% से ज्यादा हो गई है. यहां तक कि बिजली गिरने की जानकारी भी मोबाइल पर मिलती है. देश के लाखों समुद्री मछुआरों को जो समंदर में जाते हैं, उनको रियल टाइम अपडेट मिल रहा है.

पिछले 10 सालों में मौसम विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में विस्तार हुआ है.

इसका उदाहरण Doppler Weather Radar, Automatic Weather Stations, Runway weather Monitoring Systems, District-wise Rainfall Monitoring stations हैं.

मौसम विज्ञान को भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी पूरा फायदा मिल रहा है. आज देश के पास अंटार्टिका में मैत्री और भारती नाम के 2 मौसम संबंधी वेधशालाएं हैं.

पिछले साल अर्क और अरुणिका सुपर कंप्यूटर्स शुरू किए गए हैं.

इससे मौसम विभाग की विश्वसनीयता भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है. भविष्य में भारत, मौसम की हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे, भारत एक क्लाइमेट स्मार्ट राष्ट्र बनें, इसके लिए हमने मिशन मौसम भी लॉन्च किया है. मिशन मौसम Sustainable Future और Future Readiness को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

बता दें कि आज के इस कार्यक्रम के लिए 1875 में अविभाजित भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों को भी न्योता दिया था. हालांकि, बांग्लादेश ने सरकारी खर्चे पर गैर जरूरी विदेशी यात्रा पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया. पर बाकि देशों ने आने की रजामंदी दी थी. हालांकि ऐने मौके पर कुछ वजहों से इन देशों के प्रतिनिधि भारत नहीं पाए. कुछ देशों के दिल्ली स्थित दूतावास के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शिरकत की.

मकर संक्रांति पर अमित शाह ने उड़ाई पतंग, गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर को किया सलाम

गृह मंत्री अमित शाह का मकर संक्रांति के मौके पर काइट फ्लाइंग का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने इस खास मौके पर अहमदाबाद के मेमनगर क्षेत्र स्थित शांति निकेतन अपार्टमेंट की छत से पतंग उड़ाई, जो गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है. अमित शाह ने इस परंपरागत पर्व को बड़े ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया, और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर पतंगबाजी का आनंद लिया. उनके साथ उनकी पत्नी सोनलबेन और बेटा जय शाह भी इस मौके पर उपस्थित थे.

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को गुजरात में तीन दिन की यात्रा की शुरुआत की. इस दौरान, उन्होंने अहमदाबाद में मकर संक्रांति के मौके पर स्थानीय लोगों के साथ पतंग उड़ाई और गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर को सराहा. अमित शाह के इस उत्सव में शामिल होने से न केवल गुजरातवासियों में खुशी का माहौल था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार और नेताओं का लोक संस्कृति के प्रति कितना सम्मान है. इस दौरान, अमित शाह ने मकर संक्रांति के मौके पर स्थानीय जनता से मिलकर उन्हें इस पर्व की शुभकामनाएं दी.

विकास के कामों का करेंगे शुभारंभ

अपने गुजरात दौरे के पहले दिन, अमित शाह ने अहमदाबाद के जमालपुर इलाके में स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन किए और पूजा अर्चना की. इसके अलावा, उन्होंने घाटलोडिया क्षेत्र में 920 मकानों और एक नए पुलिस थाने की इमारत का शिलान्यास किया. शाह ने यहां के कुछ महत्वपूर्ण विकास कार्यों की नींव रखी और गुजरात में जारी विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने का संदेश दिया.

वडनगर शहर का करेंगे दौरा

अमित शाह का गुजरात दौरा 16 जनवरी तक चलेगा, जिसमें वे मेहसाणा जिले के वडनगर शहर का दौरा करेंगे. यहां वे कई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिनमें एक म्यूज़ियम और एक खेल परिसर प्रमुख हैं. इसके अलावा, वे शहर स्थित साइंस कॉलेज में एक सभा को संबोधित करेंगे और हाटकेश्वर मंदिर में दर्शन करेंगे. इसके साथ ही, वे गांधीनगर स्थित गणपत विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे. अमित शाह अहमदाबाद के सरदार पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ‘फास्ट-ट्रैक इमिग्रेशन’ कार्यक्रम की शुरुआत भी करेंगे, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर यात्रियों की प्रक्रिया को सरल बनाना है.

मकर संक्रांति पर कितने करोड़ लोगों ने लगाई संगम में डुबकी, आ गया आंकड़ा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में दूसरे स्नान पर्व मकर संक्रांति के मौके पर मंगलवार को 2.50 करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है. इस मौके पर सभी 13 अखाड़ों से जुड़े साधु संतों ने अमृत स्नान किया. मेला प्रशासन ने सुबह तीन बजे से शाम को तीन बजे तक संगम में डुबकी लगाने वालों का आंकड़ा जारी किया है. इसमें दावा किया है कि इतने समय में करीब 2.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है. वहीं देर शाम तक और 50 लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है.

मेला प्रशासन के मुताबिक परंपरा के तहत सबसे पहले अखाड़ों ने अमृत स्नान किया. सबसे पहले सन्यासी अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु अमृत स्नान के लिए निकले. इसके बाद श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने हर हर महादेव के नारे लगाते हुए अमृत स्नान करने पहुंचे. अमृत स्नान संपन्न होने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी ने मीडिया से बात की. उन्होंने बताया कि प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है. वहीं जब 12 पूर्ण कुंभ पूरे होते हैं तो 144 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है.

सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े ने किया शाही स्नान

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाने का अवसर सौभाग्यशाली लोगों को ही मिल पाता है. इस पवित्र मौके पर महानिर्वाणी अखाड़े से ही 68 महामंडलेश्वर और हजारों की संख्या साधु संतों ने अमृत स्नान किया है. इसी प्रकार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी की अगुवाई में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने अमृत स्नान किया. उनके पीछे अखाड़ों के ध्वज और फिर आराध्य देवता कार्तिकेय स्वामी और सूर्य नारायण की पालकी चल रही थी.

नागा सन्यासियोंं के बीच कैलाशानंद गिरी का रथ

वहीं सबसे पीछे नागा सन्यासियों की टोली थी. इनके बीच में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि रथ पर सवार होकर चल रहे थे. इस दौरान अखाड़ा परिषद के के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी के 35 महामंडलेश्वरों के अलावा हजारों की संख्या में नागा सन्यासियों ने इस मौके पर अमृत स्नान किया है. इस मौके पर निरंजनी अखाड़े की साध्वी और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भी अमृत स्नान किया. मेला प्रशासन के मुताबिक निरंजनी और आनंद अखाड़े के बाद जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और पंचअग्नि अखाड़े के हजारों साधु संतों ने संगम में डुबकी लगाई.

निर्मल अखाड़े आखिर में किया अमृत स्नान

जूना के साथ ही किन्नर अखाड़े के संतों ने भी अमृत स्नान किया. सन्यासी अखाड़ों के स्नान करने बाद तीन बैरागी अखाड़ों- श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के साधु संत स्नान करने पहुंचे. इनके बाद उदासीन अखाड़ों- पंचायती नया उदासीन और पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े के साधु संतों ने स्नान किया.सबसे आखिर में श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने डुबकी लगाई.

अमृतपाल सिंह ने की नई पार्टी का ऐलान, 'अकाली दल वारिस पंजाब दे' होगा नाम

असम की जेल में बंद खालिस्तान समर्थक और पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह की नई पार्टी का ऐलान हो गया है. पार्टी का नाम ‘अकाली दल वारिस पंजाब दे’ रखा गया है. पंजाब के मुक्तसर में ऐतिहासिक माघी मेले में हुई कॉन्फ्रेंस में पार्टी का ऐलान किया गया.

निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि, अमृतपाल सिंह के जेल में बंद होने की वजह से पार्टी के संचालन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. अमृतपाल खडूर साहिब से निर्दलीय चुनाव लड़कर सांसद बना था. फिलहाल वो डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. उस एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है.

कम नहीं हो रहीं अमृतपाल की मुश्किलें

बता दें कि जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. बीते दिनों हीपंजाब के गुरप्रीत सिंह हत्याकांड में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की थी. इन आरोपियों में अमृतपाल और विदेश में बैठा गैंगस्टर अर्श डल्ला भी है. पिछले साल अक्टूबर में गुरप्रीत की उसके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

पुलिस जांच में सामने आई थी ये बात

इस हत्याकांड में पुलिस ने अमृतपाल सिंह और आतंकी अर्श डल्ला को भी नामजद किया था.पुलिस जांच में ये बात सामने आई थी कि गुरप्रीत की हत्या में अमृतपाल और अर्श डल्ला भी शामिल थे. गुरप्रीत पहले वारिस पंजाब दे संगठन का वित्त सचिव था. दीप सिद्धू की मौत के बाद वो संगठन से अलग हो गया था. इसके बाद संगठन की कमान अमृतपाल ने संभाली थी.

खडूर साहिब सीट से सांसद चुना गया है अमृतपाल

अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट पर से सांसद चुना गया है. लोकसभा चुनाव में उसे4 लाख 4 हजार 430 वोट मिले थे. उसने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह को 1 लाख 97 हजार 120 वोटों के अंतर से हराया था. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी. पार्टी के प्रत्याशी को 1 लाख 94 हजार 836 वोट मिले थे. जबकि भाजपा चौथे स्थान पर रही थी, जिसको 86 हजार 373 वोट मिले थे.

राहुल गांधी ने रिठाला में पूर्वांचलियों के साथ मनाई मकर संक्रांति

आज देश में मकर संक्रांति का त्योहार धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है लेकिन दिल्ली से लेकर बिहार तक दही-चूड़ा के राजनीतिक रंग भी देखने को मिल रहे हैं. राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है- बीजेपी और आम आदमी पार्टी की नजर पूर्वांचलियों के वोट पर है, वहीं इस रेस में कांग्रेस पार्टी भी पीछे नहीं करना चाहती. लिहाजा राहुल गांधी आज के दिन दिल्ली के रिठाला पहुंचे और दही-चूड़े का भी आनंद लिया. रिठाला में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग रहते हैं.

रिठाला में राहुल गांधी ने मकर संक्रांति समारोह में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया. बच्चों और महिलाओं के साथ त्योहार मनाया. राहुल गांधी ने यहां पूर्वांचल के लोगों से उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की. साथ ही दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए. इससे एक दिन पहले राहुल गांधी ने पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर में जनसभा को संबोधित किया था. यहां से उन्होंने बीजेपी और आप पर हमले कर चुनावी प्रचार का आगाज किया था.

महिलाओं ने खिलाया राहुल का दही-चूड़ा

रिठाला विधानसभा क्षेत्र में राहुल गांधी जहां दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए, वहां की तस्वीरों को देखा जा सकता है. यहां महिलाओं की संख्या ज्यादा है. राहुल गांधी को महिलाएं अपने हाथ से दही-चूड़ा खिलाती हैं और उसके बाद राहुल भी खुद महिलाओं को दही-चूड़ा खिलाते हैं. राहुल इस दौरान महिलाओं से बातचीत कर उनसे हाल चाल पूछते हैं.

आपको बता दें कि रिठाला में पूर्वांचल के काफी लोग रहते हैं. यहां से सुशांत मिश्रा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार हैं. राहुल गांधी ने यहां कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों से कई मुद्दों पर बात की.

महिलाओं को प्रतिमाह 2500 देना का किया वादा

कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाने पर आप सरकार के महिलाओं को 2100 के जवाब में 2500 रुपये हर महीने देने का वादा किया है. वहां आप और बीजेपी दोनों ही दलों की नजर पूर्वांचली वोटर्स पर भी है. दोनों दल एक दूसरे पर हमले पर करे हैं. इस बीच कांग्रेस ने भी महिलाओं और पूर्वांचली वोटर्स को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम तेज कर दिया है.

अघोरी साधु का अनोखा अंतिम संस्कार: नहीं जलाया जाता और न ही दफनाया, जानें क्या है परंपरा?

संगम नगरी प्रयागराज में आज महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh 2025) के गंगा स्नान का दूसरा दिन है. इस वक्त सुबह से ही श्रद्धालु स्नान के लिए घाट किनारे पहुंचे हुए हैं. महाकुंभ में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं अघोरी बाबा और नागा साधु. अघोरियों को लेकर सभी के मन में कई सवाल जरूर घूमते रहते हैं. जैसे कि ये लोग क्या सच में ही इंसानी मांस खाते हैं. क्यों अघोरी नर मुंड हमेशा अपने साथ रखते हैं और अघोरियों का अंतिम संस्कार (Aghori Last Rites) कौन करता है और कैसे होता है. आज हम आपको बताएंगे अघोरियों के बारे में कुछ रोचक बातें.

अघोरी के बारे में कहा जाता है कि वो धर्म की रक्षा के लिए सबसे आगे खड़ा नजर आएगा. कहते हैं कि अघोरी साधु की मृत्यु होती है तो उसके शव को जलाया नहीं जाता है. अघोरी साधु की मौत होने पर चौकड़ी लगाकर शव को उलटा रखा जाता है. मतलब सिर नीचे और टांगे ऊपर. फिर सवा माह (40 दिन) तक इंतजार किया जाता है कि उसके शव में कीड़े पड़ें.

उसके बाद मृत शरीर को वहां से निकालते हैं. आधे शरीर को वो लोग गंगा नदी में बहा देते हैं. जबकि, सिर को हिस्से को वो लोग साधना के लिए इस्तेमाल करते है. कुछ अघोरी सिर वाले हिस्से को साधना के बाद अपने पास ही रख लेते हैं तो कुछ उसे गंगा में बहा देते हैं. करने के पीछे मान्यता यह है कि गंगा में उसके सारे पाप धुल जाते हैं.

गाय का मांस नहीं खाते

माना जाता है कि यूं तो अघोरी साधु इंसान के मांस तक को नहीं छोड़ते, मगर वो गाय का मांस नहीं खाते. इसके अलावा बाकी सभी चीजों को खाते हैं. मानव मल से लेकर मुर्दे का मांस तक. अघोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है इसलिए वे श्मशान में रहना ही ज्यादा पंसद करते हैं. श्मशान में साधना करना शीघ्र ही फलदायक होता है.

अघोरियों की लाल आंखें

अघोरी हठ के पक्के होते हैं कहते हैं कि अघोरी हठधर्मी होते हैं. ये अगर किसी बात पर अड़ जाएं तो उसे पूरा किए बगैर करके ही मानते हैं. अघोरी साधु अपने गुस्सा को शांत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. अधिकतर अघोरियों की आंखें लाल होती हैं. हालांकि आंखों की वजह से लगता है कि अघोरी हमेशा गुस्से में रहते हैं, मगर ये मन से काफी शांत होते हैं. आम लोगों से अघोरी सम्पर्क नहीं रखते. उनके साथ उनके शिष्य रहते हैं जो उनकी सेवा करते हैं. अघोरी भगवान शिव को मानते हैं और अपना जीवन उन्हीं के नाम समर्पित करते हैं

मकर संक्रांति पर महाराष्ट्र में किलर मांझे का आतंक, 12 लोगों के गले कटे, नागपुर पुलिस ने 14 फ्लाईओवर किए बंद

महाराष्ट्र में इन दिनों एक अलग ही खौफ पसरा हुआ है. ये खौफ हवा में उड़ती मौत का है. आज मकर संक्रांति है और आज के दिन से पूरे महाराष्ट्र में लोग पतंग उड़ाते हैं, लेकिन ये पतंग तब घातक बन जाती हैं, जब कटी हुई पतंग का किलर चाइनीज नायलॉन मांझा मोटरसाइकिल सवारों के गले में फंस जाता है और इससे वो गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं या इससे उनकी मौत हो जाती है.

महाराष्ट्र में पिछले 5 दिन में किलर मांझे की वजह से 12 बाइक सवार लोगों के गले कट चुके हैं. इतना ही नहीं इस किलर मांझे का खौफ इतना ज्यादा है कि नागपुर पुलिस ने आज मकर संक्रांति के दिन 14 फ्लाईओवर को पूरी तरह से बंद कर दिया है, ताकि मोटरसाइकिल सवार या रिक्शा वाले फ्लाईओवर का इस्तेमाल न करें और किलर मांझे से बच सके. नागपुर पुलिस के एक जवान ने अपनी बाइक के हैंडल के आगे लोहे के पतले तार लगा दिए, ताकि किलर मांझा पतंग के साथ उड़कर अगर आए भी तब भी वो इन लोहे के पतले तार में फंसकर अटक जाए.

पुलिस ने बड़े पुलों को किया बंद

इतना ही नहीं नागपुर पुलिस ने एक सर्क्युलर जारी कर शहर के सभी बड़े पुलों को आज बंद कर दिया है. वसई के मधुबन इलाके में रविवार की शाम स्मार्ट सिटी की तरफ से आयोजित पतंग महोत्सव में पतंगबाजी के दौरान एक बाइक सवार की गर्दन कट गई और वो बुरी तरह घायल हो गया. युवक को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर की है. वसई पूर्व के निवासी विक्रम डांगे अपनी पत्नी नितल डांगे और बच्चों के साथ मोटरसाइकिल पर बाजार की तरफ जा रहे थे. तभी एक कटी पतंग का मांझा उनकी गर्दन में फंस गया और वो घायल हो गए. स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें अस्पताल भर्ती कराया गया. उनकी गर्दन में 9 टांके आए हैं.

पहले इसी ब्रिज पर हुई थी मौत

भिवंडी में 3 दिन पहले एक युवक जिसका नाम मसूद खान बताया गया. भिवंडी ब्रिज के ऊपर बाइक ले जाते समय उनकी गर्दन में मांझा फंस गया और उस युवक की गर्दन कट गई. इस घटना के बाद भिवंडी फ्लाईओवर पर दोनों तरफ लोहे का पत्रा लगा दिया गया है. 14 जनवरी 2023 को इसी ब्रिज पर मांझे से कटकर उल्हासनगर के संजय हजारे नाम के युवक की मौत हो गई थी. कुछ दिन पहले ही भिवंडी के टेम्वली इलाके में रहने वाले एक युवक की गर्दन भी मांझे में फंस गई थी. हालांकि हेलमेट की वजह से युवक की जान बच गई थी.

25 लाख का नायलॉन मांझा नष्ट

नायलॉन के चाइनीज मांझा बेचने के वाले कल्याण डोम्बिवली में 6 दुकानदारों पर कार्रवाई हुई. मीरा रोड में काशी गांव पुलिस ने 10 हजार रुपये से ज्यादा कीमत का चाइनीज मांझा जब्त किया और 2 दुकानदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है. महारष्ट्र पुलिस अब नायलॉन के चायनीज़ किलर मांझे से इतनी परेशान हो गई है कि जिन जिन दुकानों पर ये किलर मांझे बिक रहे हैं. वहां से जब्त कर उन्हें रोड रोलर से कुचल दे रही है. नागपुर, चंद्रपुर में 25 लाख के नायलॉन मांझे पर रोड रोलर नागपुर पुलिस चलाया.

2599 चकरियां (लटाई) की जब्त

नागपुर में बड़े पैमाने पर मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का रिवाज है, लेकिन पतंगबाज नायलॉन मांझे के साथ-साथ चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं. नागपुर पुलिस ने एक मुहिम शुरू की, जिसके तहत लाखों रुपए का नायलॉन मांझा जब्त किया. नागपुर के इंदौर मैदान पर जब्त की गई लगभग 2599 चकरियों समेत करीब 25 लाख रुपए के बैन नायलॉन मांझे को पुलिस ने रोड रोलर से नष्ट किया. पुलिस ने साफ तौर पर कहा कि नायलॉन मांझे के साथ पकड़े गए, तो मकर संक्रांति के दिन सीधे पुलिस कस्टडी में भेज दिया जाएगा.

दिल्ली की सियासत की वो ‘लकी’ CM, बिना चुनाव जीते ही बन गईं मुख्यमंत्री

राजधानी दिल्ली की सियासत में आठवीं विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है. 1993 में दिल्ली में पूर्ण विधानसभा की व्यवस्था होने के बाद अब तक दिल्ली में 6 मुख्यमंत्री हो चुके हैं. इसमें से 2 मुख्यमंत्री ऐसे भी हुए जिन्हें चुनाव से ठीक पहले सीएम पद की कमान मिली. दोनों ही अवसर पर दिल्ली को महिला मुख्यमंत्री ही मिली थीं. इनमें से एक मुख्यमंत्री वह भी रहीं जो विधानसभा का सदस्य हुए बगैर ही सीएम पद मिल गया था.

संविधान संशोधन के जरिए दिल्ली में जब पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव कराया गया तब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पूर्ण बहुमत हासिल हुई और यहां पर मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन खुराना का कार्यकाल (2 दिसंबर 1993 से 26 फरवरी 1996) लगातार उतार-चढ़ाव भरा रहा और 2 साल से कुछ अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ गया.

प्याज की बढ़ी कीमतें बनी मुसीबत

फिर बीजेपी ने जाट नेता साहिब सिंह वर्मा को दिल्ली की कमान सौंपी. वह भी अपना कार्यकाल (26 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998) पूरा नहीं कर सके. वह सीएम पद पर 2 साल 228 दिन तक ही बने रह सके. चुनाव से पहले पार्टी को लेकर बनी नकारात्मक छवि और देश में प्याज की लगातार बढ़ती कीमतों के बीच दिल्ली की बीजेपी सरकार के प्रति नाराजगी काफी बढ़ गई. इसे देखते हुए पार्टी ने फिर से अपना सीएम बदलने का फैसला लिया. बीजेपी ने चुनाव में उतरने से पहले सुषमा स्वराज जैसी तेजतर्रार छवि की नेता को मुख्यमंत्री बनाया

सुषमा विधानसभा की सदस्य बने बगैर ही दिल्ली की तीसरी मुख्यमंत्री बन गईं. उन्होंने बीजेपी सरकार की छवि सुधारने की काफी कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. वह महज 52 दिन ही मुख्यमंत्री रह सकीं. दूसरे विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ गया.

काम न आया CM बदलने वाला दांव

बीजेपी ने जब सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया तो उनके पास करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा था. प्याज की बढ़ी कीमतों से जनता खासा त्रस्त हो गई थी. पार्टी के लिए ताबड़तोड़ कोशिश करने के बाद उन्हें और उनकी पार्टी को निराशा ही हाथ लगी.

फिलहाल सुषमा स्वराज जब दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं तब वह केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री थीं. केंद्र की राजनीति को छोड़ वह पार्टी के फैसले को स्वीकार करती हुईं दिल्ली की राजनीति में आ गईं और वह मुख्यमंत्री बनीं.

2 महीने से भी कम वक्त मिला

जिस वक्त सुषमा मुख्यमंत्री बनीं तब दिल्ली विधानसभा का पहला कार्यकाल अपने अंतिम पड़ाव की ओर था. उनके पास 2 महीने से भी कम का वक्त था. इस बीच दिल्ली में चुनावी फिजा अपने चरम पर पहुंच चुकी थी और विधानसभा का अगला सत्र बुलाया नहीं गया. चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई. इस वजह से वह बतौर मुख्यमंत्री दिल्ली विधानसभा में दाखिल नहीं हो सकीं.

हुआ यह कि विधानसभा का कार्यकाल अपने अंतिम साल में था. विधानसभा का 14वां सत्र 29 दिसंबर 1997 से शुरू हुआ जो 2 जनवरी 1998 तक चला. इसके बाद 15वां सत्र 23 मार्च 1998 से लेकर 3 अप्रैल 1998 तक बुलाया गया. तत्कालीन विधानसभा का अंतिम सत्र 24 सितंबर 1998 को बुलाया गया जो 30 सितंबर तक चला. इस सत्र के स्थगन के 12 दिन बाद दिल्ली में नेतृत्व बदला और सुषमा स्वराज दिल्ली की तीसरी मुख्यमंत्री बनीं.

सुषमा स्वराज से पहले चरण सिंह

सुषमा के शपथ लेने के बाद विधानसभा का अगला सत्र बुलाया नहीं जा सका. उनके पास महज 2 महीने का ही कार्यकाल था. दिसंबर 1998 में दूसरी विधानसभा के लिए चुनाव कराया गया. चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. खुद सुषमा को संघर्षपूर्ण मुकाबले में जीत मिली. हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा भी दे दिया था. सुषमा के अलावा सभी अन्य मुख्यमंत्री चुनाव जीतने के बाद ही मुख्यमंत्री बने थे.

अपने शानदार भाषण के लिए खास पहचान रखने वाली सुषमा स्वराज भी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की उस लिस्ट में शामिल हो गईं, जो अहम पद संभालने के बाद बतौर नेता अपने सदन में नहीं जा सकीं. सुषमा से पहले चौधरी चरण सिंह कांग्रेस के समर्थन से 28 जुलाई 1979 को देश के पांचवें प्रधानमंत्री बने, और वह अगले चुनाव होने तक करीब 6 महीने तक पद पर रहे. लेकिन वह सदन के नेता के तौर पर लोकसभा में नहीं जा सके.

23 दिन ही PM रह सके चरण सिंह

शपथ ग्रहण के बाद चौधरी चरण सिंह को लोकसभा में बहुमत साबित करना था, लेकिन इस बीच इंदिरा गांधी से उनके रिश्ते फिर बेहद खराब हो गए. कांग्रेस ने चरण सिंह के लोकसभा में फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले अपना समर्थन वापस ले लिया. ऐसे में चरण सिंह को महज 23 दिन तक पद पर रहने के बाद 20 अगस्त 1979 को इस्तीफा देना पड़ गया.

चरण सिंह बतौर पीएम संसद की दहलीज तक नहीं पहुंच पाने वाले देश के अकेले प्रधानमंत्री बने. इस्तीफे के बाद उनकी सलाह पर राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने लोकसभा भंग कर दी. चरण सिंह अगली सरकार के अस्तित्व में आने तक जनवरी 1980 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहे.