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केंद्रीय मंत्री ने ऑफिस के बाहर लगाया पोस्टर-पैर छूना सख्त मना, ऐसा किया तो नहीं होगी सुनवाई

डेस्क: मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक ने ऑफिस के बाहर ऐसा पोस्टर लगवाया है, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। दरअसल उन्होंने पोस्टर में पैर छूने की परंपरा को बदलने की कोशिश की है और लिखा है कि पैर छूना सख्त मना है। पैर छूने वालों के काम की सुनवाई नहीं की जाएगी।

टीकमगढ़ में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक ने ऑफिस के बाहर पोस्टर लगवाकर पैर छूने की परंपरा को बदलने की कोशिश की है। उनके ऑफिस के बाहर पोस्टर पर साफ तौर पर लिखा है कि जिसने पैर छुए, उसके काम की सुनवाई नहीं की जाएगी। पैर छूना सख्त मना है।

दरअसल मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक अपनी सादगी और सरलता की वजह से चर्चा में रहते हैं। उन्होंने लगातार आठवीं बार चुनाव में जीत हासिल की थी। केंद्र में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय मैं कैबिनेट मंत्री के तौर पर वह अपनी भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें पीएम मोदी का काफी करीबी भी माना जाता है।

टीकमगढ़ सीट से वह लगातार चौथी बार सांसद चुने गए थे। अपने क्षेत्र में जब वह रहते हैं तो लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हैं। अपने संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ में इन्होंने अपने ऑफिस के बाहर एक पोस्टर चश्पा किया है, जिसमें साफ तौर पर उन्होंने पैर छूने वालों से नाराजगी जाहिर की है।

उन्होंने पोस्टर में लिखा है कि पैर छूना सख्त मना है और जो भी हमारे पैर छुएगा, उसके काम की सुनवाई नहीं की जाएगी। इसलिए अब लोग मंत्री के पैर छूने से भी कतराने लगे हैं। कई बार तो स्थिति ऐसी बनती है कि जो कोई पैर छूने की कोशिश करने लगता है तो मंत्री उनके ही पैर छूने लगते हैं। उनका कहना है कि हम जनता की बदौलत ही बने हैं और हम यह भेदभाव मिटाना चाहते हैं।

केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक ने कहा कि जनता का सम्मान जनप्रतिनिधियों को रखना चाहिए। मैंने तय किया कि जो लोग भी मेरे घर आएं, वह मेरे पैर नहीं पड़ें। ये मानवीय नहीं है और अच्छा नहीं लगता। सिर्फ माता-पिता और पुजारी के पैर पड़ना चाहिए। इसीलिए मैंने अपने दफ्तर में लिखवा दिया है कि पैर छूना सख्त मना है और जो भी हमारे पैर छुएगा, उसके काम की सुनवाई नहीं की जाएगी।
'नया साल ईसाईयों का कार्यक्रम, जश्न मनाना है हराम', फतवा जारी कर और क्या बोले मौलाना शहाबुद्दीन रजवी?


डेस्क: दिसंबर खत्म होने को है और नए साल का जश्न शुरू होने वाला है। नए साल के जश्न को लेकर फतवा भी जारी कर दिया गया है। बरेलवी मसलक के चश्म-ए-दारुल इफ्ता ने नए साल का जश्न मनाने और मुबारकबाद देने को गैर इस्लामी करार दिया है। उन्होंने फतवा जारी करके मुसलमानों को इससे दूर रहने की हिदायत दी है।

दारुल इफ्ता के मुख्य मुफ्ती और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने रविवार को जारी फतवे में कहा कि नए साल का जश्न मनाना, मुबारकबाद देना और इस अवसर पर पार्टियां आयोजित करना इस्लामी नजरिए से नाजायज है।

फतवे में कहा गया कि जनवरी से शुरू होने वाला नया साल ईसाईयों का नया साल है। यह विशुद्ध रूप से ईसाईयों का धार्मिक कार्यक्रम है। इसलिए मुसलमानों का नए साल का जश्न मनाना जायज नहीं है। इसमें कहा गया है कि इस्लाम इस तरह के कार्यक्रमों को सख्ती के साथ रोकता है।

फतवे में मुसलमानों से कहा गया कि दूसरे मजहबों को मानने वालों के धार्मिक त्यौहारों में शामिल होने या उन्हें खुद आयोजित करने से बचें। ऐसा करने से दूसरे मुस्लिम साथियों को भी रोंके।

मालूम हो कि इस्लामिक फतवा एक धार्मिक राय या निर्णय है, जो इस्लामी कानून के अनुसार दिया जाता है। यह एक इस्लामी विद्वान या मुफ्ती द्वारा दिया जाता है, जो इस्लामी कानून के जानकार होते हैं। फतवा किसी धार्मिक मसले पर पूछे गये सवाल पर मुफ्ती द्वारा जारी जवाब का दस्तावेज होता है। हालांकि, फतवे को मानना वांछनीय होता है लेकिन बाध्यकारी नहीं है।
अल्लू अर्जुन के समर्थन में उतरे अन्नामलाई, बोले- 'CM रेवंत रेड्डी खुद को...'

डेस्क: तेलुगु फिल्मों के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन को लेकर अब राजनीति गरमाने लगी है। थिएटर में भगदड़ और एक महिला की मौत की घटना को लेकर अल्लू अर्जुन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी आमने-सामने हैं। इस मामले में पुलिस ने मंगलवार को अल्लू अर्जुन से तीन घंटे तक पूछताछ की है। बता दें कि इससे पहले अल्लू अर्जुन के आवास पर हमला पर भी किया गया है। वहीं, अब तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने पूरे मामले में अभिनेता अल्लू अर्जुन का समर्थन किया है और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर जमकर निशाना साधा है।

रेवंत रेड्डी खुद को सुपरस्टार दिखा रहे- अन्नामलाई
भाजपा नेता के अन्नामलाई ने मंगलवार को सीएम रेवंत रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा- "मुझे लगता है कि रेवंत रेड्डी इस बात को लेकर कंपीटीशन करने की कोशिश कर रहे हैं कि तेलंगाना में सुपरस्टार कौन है। वह यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अल्लू अर्जुन से ज्यादा बड़े सुपरस्टार हैं। अभी भी वह कांग्रेस में अभिनय कर रहे हैं, वह तेलंगाना में मुख्य अभिनेता हैं।"

अन्नामलाई ने कहा- " जो लोग आए और हंगामा किया, पथराव किया (अल्लू अर्जुन के आवास पर), उनमें से 2-3 लोग उनके (रेवंत रेड्डी) निर्वाचन क्षेत्र से आए थे। यह राजनीति से प्रेरित है। किसी को पीड़ित करना और धमकाना गलत है। क्या अल्लू अर्जुन का इरादा या मकसद था कि कोई मर जाएगा। ऐसा नहीं होना चाहिए था लेकिन पीड़ित करना और धमकाना सही नहीं है।"

वहीं, इस मामले में बीजेपी सांसद के. लक्ष्मण ने कहा- "हमें नहीं पता कि रेवंत रेड्डी सरकार को तेलंगाना सिनेमा इंडस्ट्री से क्या शिकायत है। अल्लू अर्जुन एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता हैं। लेकिन जहां अल्लू अर्जुन सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ 'हत्या के प्रयास' का मामला दर्ज करना या उन्हें बार-बार पुलिस स्टेशन बुलाना सही नहीं है। तेलंगाना सरकार आज लोगों को गुमराह करना चाहती है। मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं द्वारा बनाई गई बातें फिल्म कलाकारों में हताशा पैदा कर रही हैं। इस तरह की राजनीति करना ठीक नहीं है।''
जम्मू कश्मीर के पुंछ के मेंढर में बड़ा हादसा, भारतीय सेना का वाहन 300 फीट गहरी खाई में गिरा, 5 जवानों की मौत, 12 घायल
डेस्क: जम्मू कश्मीर के पुंछ में बड़ा हादसा हुआ है। पुंछ जिले की मेंढर सब डिविजन के बलनोई क्षेत्र में भारतीय सेना का वाहन गहरी खाई में गिर गया है। इस घटना में 5 जवानों की मौत हो गई है और 12 जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस हादसे में एक जवान सुरक्षित है। मिली जानकारी के मुताबिक, वाहन में कुल 18 जवान सवार थे।

पुंछ जिले के मेंढर सब-डिविजन के मानकोट सेक्टर स्थित बलनोई इलाके में एक भारतीय सेना का वाहन 300 फीट गहरी खाई में गिरने से बड़ा हादसा हो गया। सूत्रों के अनुसार, सेना के जवान वाहन में सवार होकर अपनी पोस्ट की ओर जा रहे थे, जब रास्ते में चालक ने वाहन से नियंत्रण खो दिया और यह हादसा हो गया। पुलिस सूत्रों ने बताया की है कि वाहन में कुल 18 जवान सवार थे।

घायलों में से कुछ की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, और राहत व बचाव दल मौके पर पहुंचकर घायलों को सुरक्षित निकालने का प्रयास कर रहे हैं। यह घटना LoC के पास के हुई है जो कि पुलिस पोस्ट मानकोट और थाना मेंढर के अंतर्गत आता है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में इन दिनों भीषण ठंड पड़ रही है। शीत लहर के बीच यहां बार-बार अघोषित बिजली कटौती भी हो रही है। ठंड से बचाने वाले बिजली से चलने वाले आधुनिक उपकरण नाकाम साबित हो रहे हैं। कश्मीर अब फिर से ठंड से बचाव के अपने पारंपरिक तरीकों की ओर लौट रहा है।


कश्मीर में 40 दिनों की सबसे भीषण सर्दी चिल्ला-ए-कलां जारी है। श्रीनगर में हालही में 33 साल में सबसे अधिक ठंडी रात रही थी और यहां न्यूनतम तापमान शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था। घाटी के अन्य स्थानों पर भी तापमान शून्य से नीचे रहा था, जिसके कारण कई इलाकों में जलापूर्ति करने वाली पाइप लाइन में भी पानी जम गया था।

ठंड बढ़ने और अघोषित बिजली कटौती की वजह से भी रोड एक्सीडेंट हो रहे हैं क्योंकि कई बार ड्राइवर्स को ठंड की वजह से विजन क्लीयर नहीं हो पाता और वह हादसे का शिकार हो जाते हैं।
'किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की कभी भी हो सकती है मौत', डॉक्टर ने सरकार को चेताया


डेस्क: पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 28वें दिन भी जारी है। वह पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर अनशन में बैठे हुए हैं। डॉक्टर सवैमान ने बताया कि किसान नेता डल्लेवाल की हालत काफी गंभीर है। उनकी कभी भी मौत हो सकती है। पंजाब सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबियत को लेकर कही गई बातों को डॉक्टर सवैमान ने गलत बताया है।

डल्लेवाल की जांच कर रहे डॉक्टर सवैमान ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा जो कहा गया वह गलत है। हमारी टीम पिछले लंबे समय से उनकी तबीयत को लेकर नजर बनाए हुए है। हमारी टीम में हर तरह स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं, जो हर रोज उनका रूटीन चेकअप कर रहे हैं।

डॉक्टर सवैमान ने कहा, 'हमारा जो रूटीन चेक अप है, वो कहता है कि उनकी तबीयत नाजुक है। उन्हें कभी भी हार्ट अटैक आ सकता है और जान जा सकती है। सरकार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत को हल्के में नहीं लेना चाहिए।' इसके साथ ही डॉक्टर ने कहा, 'हम खुद डल्लेवाल से कहते हैं कि अनशन को जल्द ही तोड़ दो, लेकिन किसान नेता मानने को तैयार नहीं हैं।'

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत जानने के लिए डीसी पटियाला प्रीति यादव उनके पास पहुंची। डल्लेवाल को देखने के बाद उन्होंने कहा, 'आज हम खनोरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल का हाल जाने पहुंचे। डल्लेवाल की सेहत का ध्यान रखना हमारे लिए सबसे पहली प्रियोरिटी है। इसको लेकर 24 घंटे मेडिकल टीम लगाई गई है। जहां उनकी लगातार जांच की जा रही है। उनको दवा लेने के लिए निवेदन किया गया है।
संसद परिसर में धक्का मुक्की, पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन पर घायल सांसदों से की बात

डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद परिसर में बड़ा हंगामा हुआ है। भाजपा ने राहुल गांधी पर दो सांसदों को धक्का देकर घायल करने का आरोप लगाया है। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार जारी है। भाजपा ने पार्लियामेंट थाने में इस घटना को लेकर शिकायत भी दर्ज करवाई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में चोट लगने के बाद भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली है।

बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, "राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया जिसके बाद मैं नीचे गिर गया। मैं सीढ़ियों के पास खड़ा था जब राहुल गांधी आए और एक सांसद को धक्का दिया जो मेरे ऊपर गिर गया। RML अस्पतपाल के अधिकारी संजय शुक्ला ने कहा है- "हमारे यहाँ दो सांसद आए थे। दोनों को सर में चोट लगी थी और उनका बीपी हाई था। प्रताप सारंगी की उम्र ज्यादा है। उनको इस उम्र में ये चोट ठीक नहीं।"

भाजपा सांसद शिवराज सिंह चौहान ने भी अस्पताल में घायल सासंदों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, "...प्रताप चंद्र सारंगी जी को देखकर मन पीढ़ा से भर गया है। संसद के इतिहास का ये काला दिन है। मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा दी गई। राहुल गांधी और कांग्रेस ने जो गुंडागर्दी की है उसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता..अब वे ऐसी गुंडागर्दी करेंगे...ऐसा आचरण आज तक भारत की संस्कृति इतिहास में देखा नहीं गया..उनके लिए एक पाठशाला में ट्रेनिंग देनी चाहिए कि लोकतंत्र में आचरण कैसा होता है...हम इस गुंडागर्दी की निंदा करते हैं।"

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा, "मैं विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा आज किए गए कृत्य की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश करना चाहता हूं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "हमारे 2 सांसदों को गंभीर चोटें लगी हैं। 4-5 सांसदों ने आकर शिकायत दर्ज कराई है। मकर द्वार पर आज BJP-NDA सांसदों ने पहली बार प्रदर्शन किया। इनको(विपक्ष) लगा ये उनकी जागीर है... वे भीड़ को चीरते हुए आए। विपक्ष के नेता को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, "आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-NDA सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था...राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है।
विजय दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के पोस्ट से बौखलाया बांग्लादेश, यूनुस के सलाहकार को लगी मिर्ची

डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय दिवस पर एक पोस्ट से बांग्लादेश बौखला गया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने विजय दिवस के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए ‘पोस्ट’ की निंदा करते हुए कहा है कि इस जीत में ‘‘भारत केवल एक सहयोगी था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।’’ विजय दिवस 16 दिसंबर 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किए जाने की याद में मनाया जाता है।

बता दें कि भारत की ऐतिहासिक जीत के कारण बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। नजरुल की टिप्पणी को मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने भी सोशल मीडिया पर साझा किया। मोदी ने 1971 की ऐतिहासिक जीत में भारतीय सैनिकों के योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया मंच पर एक ‘पोस्ट’ साझा की थी। नजरुल ने उस ‘पोस्ट’ का ‘स्क्रीनशॉट’ संलग्न करते हुए सोमवार को बंगाली में फेसबुक पर लिखा, ‘‘मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं।

16 दिसंबर, 1971 बांग्लादेश का विजय दिवस है। भारत इस जीत में केवल एक सहयोगी था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।’’ ‘द डेली स्टार’ अखबार ने मंगलवार को बताया कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने नजरुल की ‘पोस्ट’ को साझा किया। इस बीच, भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने भी मोदी के ‘पोस्ट’ की आलोचना की।

उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि यह बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम था और यह पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश की आजादी के लिए था। उन्होंने कहा कि मोदी ने दावा किया कि यह पूरी तरह से भारत का युद्ध था एवं उसकी उपलब्धि थी और उनके कथन में बांग्लादेश के अस्तित्व की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत इस स्वतंत्रता को अपनी उपलब्धि बताता है तो मैं इसे हमारी स्वतंत्रता, संप्रभुता और एकता के लिए खतरे के रूप में देखता हूं।

हमारे लिए भारत द्वारा पैदा किए इस खतरे के खिलाफ लड़ना जरूरी है। हमें यह लड़ाई जारी रखनी होगी।’’ मोदी ने सोमवार को ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘‘आज, विजय दिवस पर हम उन बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करते हैं जिन्होंने 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया।’’ उन्होंने कहा कि उनके निस्वार्थ समर्पण और अटूट संकल्प ने देश की रक्षा की।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दिन उनकी असाधारण वीरता और उनकी अडिग भावना को श्रद्धांजलि है। उनका बलिदान हमेशा पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और हमारे देश के इतिहास में गहराई से अंतर्निहित रहेगा।’’ यूनुस ने बांग्लादेश को 1971 में मिली आजादी के 54 साल पूरे होने के अवसर पर सोमवार को कहा था कि यह विजय दिवस और अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल ‘‘दुनिया की सबसे खराब निरंकुश सरकार’’ सत्ता से बाहर हो गई।

यूनुस ने विजय दिवस के मौके पर दिए भाषण में बांग्लादेश के संस्थापक नेता बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का भी जिक्र नहीं किया। मुजीब-उर-रहमान की बेटी एवं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनकी अवामी लीग सरकार के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन के बाद पांच अगस्त को सत्ता छोड़नी पड़ी थी।

विजय दिवस पर राष्ट्र के नाम यूनुस के संबोधन में भारत की भूमिका का भी कोई उल्लेख नहीं किया गया। भारत 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाता है। 1971 में इसी तारीख को 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत कई भारतीय नेताओं ने सोमवार को 1971 के युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
लद्दाख बॉर्डर पर समझौते के बाद अब चीन जाएंगे NSA अजीत डोभाल, जानें किस मुद्दे पर होगी बात


डेस्क: भारत और चीन के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ हाल के दिनों पिघलती हुई नजर आई है। सीमा विवाद को लेकर बीते दिनों दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ नरमी भी देखने को मिली है। देपसांग और डेमचोक के फ्रिक्शन प्वाइंट पर डिसइंगेजमेंट के बाद दोनों देशों में बातचीत का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है। इस बीच जल्द ही भारत के सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल चीन की यात्रा करने वाले हैं। इस दौरान वह अपने समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर सकते हैं।

चीन यात्रा के दौरान अजीत डोभाल सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता के नए संस्करण में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। यह वार्ता करीब पांच साल के अंतराल के बाद होगी। इससे पहले विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की वार्ता दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुई थी। वार्ता के इस तंत्र को बहाल करने का निर्णय 23 अक्टूबर को कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था।

एक सूत्र ने बताया कि एसआर वार्ता इस महीने के अंत में या जनवरी की शुरुआत में हो सकती है। अभी इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है कि एसआर वार्ता किस जगह पर होगी। भारत और चीन ने पांच दिसंबर को अपनी कूटनीतिक वार्ता में विशेष प्रतिनिधि वार्ता की तैयारी की थी। वार्ता के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के कारण पिछले पांच साल में कोई विशेष प्रतिनिधि वार्ता नहीं हुई।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। यह गतिरोध एक समझौते के तहत देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था।

सैनिकों की वापसी के समझौते को 21 अक्टूबर को अंतिम रूप दिया गया था। समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद मोदी और शी ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत की थी। बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता सहित कई वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी।
'फिलिस्तीन' लिखा बैग लेकर संसद पहुंचीं प्रियंका गांधी, क्यों मचा इसपर बवाल


डेस्क: कांग्रेस का एक बार फिर फिलीस्तीन प्रेम दिखाई दिया है। प्रियंका गांधी की एक तस्वीर सामने आई है जिसमें उनके बैग पर “Palestine” लिखा हुआ है। कांग्रेस सांसद ये बैग लेकर संसद पहुंची थी। अब इस बैग पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। बीजेपी ने प्रियंका गांधी पर हमला किया है। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि प्रियंका मुस्लिम वोट के तुष्टिकरण के लिए फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर आई हैं।

इस बैग के जरिए एक बार फिर प्रियंका गांधी फिलिस्तीन के समर्थन में नजर आई हैं। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं कि प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है। हाल ही में भारत में आए फिलिस्तीन के राजदूत Abed Elrazeg Abu Jazer से उन्होंने मुलाकात की थी। फिलिस्तीनी राजदूत ने प्रियंका को वायनाड लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई दी थी।

इस साल अक्टूबर में हमास और इजराइल के बीच शुरू हुई जंग को एक साल पूरे होने पर भी प्रियंका गांधी ने इजराइल पर निशाना साधा था। गाजा में बढ़ती मौतों के बीच प्रियंका ने इजराइल पर हमला बोला था। कांग्रेस सांसद ने कहा था, ''गाजा में 7,000 लोगों की हत्या के बाद भी और हिंसा का सिलसिला नहीं रुका है। इन 7,000 लोगों में से 3,000 मासूम बच्चे थे।'' वायनाड में चुनाव लड़ते समय भी लगातार प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का मुद्दा उठाया है।
'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' पर बोला सुप्रीम कोर्ट, 'केंद्र सरकार का जवाब दाखिल होने तक सुनवाई नहीं'
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991' के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं की सुनवाई से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है कि जब तक इस मामले पर केंद्र सरकार का जवाब दाखिल नहीं हो जाता, तब तक इस पर सुनवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक जवाब दाखिल नहीं किया है, जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जवाब जल्द दाखिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक नई याचिका दायर की जा सकती है लेकिन उन्हें रजिस्टर नहीं किया जाएगा।

CJI संजीव खन्ना ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया और कहा कि केंद्र के जवाब दाखिल करने के बाद जिन्हें जवाब दाखिल करना हो वे 4 हफ्ते में जवाब दाखिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम केंद्र के जवाब के बिना फैसला नहीं कर पाएंगे, और हम केंद्र सरकार का इस मामले में पक्ष जानना चाहते हैं। बता दें कि इस मामले की सुनवाई विभिन्न अदालतों में दायर कई मुकदमों की पृष्ठभूमि में होगी, जिनमें वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद से जुड़े मुकदमे शामिल हैं। CJI ने यह भी कहा कि विभिन्न कोर्ट जो ऐसे मामलों में सुनवाई कर रही हैं वे सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई तक कोई भी अंतिम आदेश जारी नहीं करेंगी और न ही सर्वे पर कोई आदेश देंगी।

बता दें कि 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' कहता है कि 15 अगस्त 1947 को विद्यमान उपासना स्थलों का धार्मिक स्वरूप वैसा ही बना रहेगा, जैसा वह उस दिन था। यह किसी धार्मिक स्थल पर फिर से दावा करने या उसके स्वरूप में बदलाव के लिए वाद दायर करने पर रोक लगाता है। बता दें कि इस बारें में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें से एक याचिका अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। उपाध्याय ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धाराओं 2, 3 और 4 को रद्द किए जाने का अनुरोध किया है। याचिका में दिए गए तर्कों में से एक तर्क यह है कि ये प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के पूजा स्थल पर दोबारा दावा करने के न्यायिक समाधान के अधिकार को छीन लेते हैं।