सीरिया में विद्रोहियों का कब्जा, राष्ट्रपति बशर अल-असद ने देश छोड़ा, पहला बयान जारी
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नई दिल्ली:- सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद का देश छोड़कर जाने के बाद पहला बयान सामने आया है।दरअसल, समाचार एजेंसी एएफआई के अनुसार उन्होंने अपने बयान में कहा है कि वे कभी देश छोड़कर भागना नहीं चाहते थे। उन्होंने ये कदम मजबूरी में उठाया है।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि उनके लिए किसी अन्य देश में शरण कभी भी किसी विकल्प के तौर पर नहीं था। उन्होंने कहा के वे आतंकवादियों से लड़ना चाहते थे। देश अब आंतकवादियों के हाथों में है।
सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा
उल्लेखनीय है कि विगत 08 दिसंबर को सीरिया के विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने 11 दिन की लड़ाई में देश पर कब्जा कर लिया था। वहीं, विद्रोहियों ने 5 दशक पुरानी असद परिवार की सत्ता को उखाड़ फेंका था। खुद राष्ट्रपति बशर-अल- असद देश छोड़क चले गए थे।
जानकारी दें कि सीरिया में साल 2011 से ही असद और एचटीएस के बीच गृह युद्ध होते आ रहा है। हालांकि, असद रूस और ईरान की मदद से विद्रोहियों को खदेड़ने में सफल होते रहे हैं, लेकिन इस बार वह मात खा गए और विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया।
सीरियाई लोगों की मदद के लिए आगे आया ब्रिटेन
सीरिया में पिछले हफ्ते विद्रोहियों द्वारा राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के बाद कमजोर सीरियाई लोगों की मदद के लिए ब्रिटेन ने रविवार को 50 मिलियन पाउंड के आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा की है।
ब्रिटेन ने एक बयान में कहा कि 30 मिलियन पाउंड दस लाख से अधिक लोगों को भोजन, आश्रय, आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल और सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा सहित तत्काल सहायता प्रदान करेगा।
संयुक्त राष्ट्र चैनलों के माध्यम से वितरित किए गए पैसों से पानी, अस्पतालों और स्कूलों जैसी आवश्यक सेवाओं के पुनर्वास सहित उभरती जरूरतों की पूर्ति की जाएगी।
बयान में कहा गया कि पड़ोसी देशों में सीरियाई लोगों की मदद के लिए 10 मिलियन पाउंड लेबनान में विश्व खाद्य कार्यक्रम को जाएंगे और 10 मिलियन पाउंड डब्ल्यूएफपी और संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के माध्यम से जार्डन को जाएंगे।
विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि हम सीरियाई लोगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि वे एक नया रास्ता अपना रहे हैं।
सीरिया में फिर से खुले स्कूल
सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता जाने के एक सप्ताह बाद व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। नए शासकों द्वारा स्कूलों को फिर से खोलने का आदेश दिए जाने के बाद रविवार को सीरियाई छात्र कक्षाओं में लौट आए हैं।
सीरियाई ईसाइयों ने रविवार को प्रार्थना सभाओं में भाग लिया। नए इस्लामी शासकों ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का आश्वासन दिया है।
हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने कहा कि अल्पसंख्यक समूहों की जीवनशैली खतरे में नहीं होगी। असद के शासन के पतन के बाद पहली रविवार को प्रार्थना के दौरान कुछ की आँखों में आँसू थे, जबकि कुछ ने प्रार्थना में हाथ जोड़ रखे थे। एक उपासक जिहाद रफ़ौल ने कहा कि वे हमसे वादा कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही बनेगी और भगवान की इच्छा से चीजें बेहतर हो जाएंगी क्योंकि हमने अत्याचारी से छुटकारा पा लिया है।


Dec 17 2024, 11:12
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