साइबर ठगों ने युवक को आधे घंटे किया डिजिटल अरेस्ट
दरभंगा के कमतौल थाना क्षेत्र के रतनपुर पंचायत से मनीष कुमार(30) को साइबर अपराधियों ने गुरुवार की सुबह डिजिटल अरेस्ट कर लिया। 20 मिनट तक पीड़ित मानसिक प्रताड़ना को झेलता रहा। बातचीत के दौरान ही पीड़ित को जब संदेह हुआ तो उसने साइबर अपराधियों से संपर्क डिस्कनेक्ट कर इसकी छानबीन शुरू की। कुछ ही समय में पता चला कि साइबर अपराधियों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया था। मामला गुरुवार की सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर शुरू हुआ। जब गिफ्ट दुकानदार रतनपुर निवासी मनीष कुमार अपने दुकान पर पहुंचे ही थे। अचानक एक कम्प्यूटराइज्ड कॉल उनके फोन पर आया। इसमें IVR के माध्यम से बताया गया कि उनके ICICI बैंक खाते से 43,565 रुपए निकासी की गई है। कम्प्यूटराइज्ड कॉल पर ही बताया गया कि अगर आपने यह ट्रांजैक्शन नहीं किया है तो 9 दबाएं। 9 दबाते ही कॉल कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव को ट्रांसफर कर दी जाएगी।
क्रेडिट कार्ड से निकाले 43,565
वहीं, इस बात से मनीष को आरोपी ने कहा कि वो ICICI बैंक का कर्मी है। आपके क्रेडिट कार्ड से 43,565 रुपए की निकासी किए जाने की बात कही है। इस पर मनीष ने फर्जी कर्मी को बताया कि उनका कोई भी बैंक खाता ICICI बैंक में नहीं है। बैंक कर्मी ने बताया कि उनके आइडेंटिटी का दुरुपयोग कर क्रेडिट कार्ड 10 अक्टूबर को इशू कराया गया है। 15 अक्टूबर को उसमें से 43,565 रुपए का गहना मुंबई के फिनिक्स प्लैटिनम मॉल के दुकान संख्या 18 से खरीदारी की गई है।
पुलिस को कप्लेंट करने की दी सलाह
मनीष ने कहा कि यह ट्रांजैक्शन या क्रेडिट कार्ड उनके द्वारा नहीं लिया गया है। तब बैंककर्मी ने उन्हें इसकी शिकायत मुंबई के जुहू पुलिस स्टेशन में करने की सलाह दी। इतना ही नहीं बैंक कर्मी ने ग्राहक के सहूलियतों का हवाला देते हुए कहा कि मैं आपके फोन को इमरजेंसी लाइन द्वारा जुहू पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर रहा हूं। आप अपने कार्ड की पूरी जानकारी लिख लीजिए और वहां एक कंप्लेंट दर्ज कर दीजिए। ताकि मैं उस कंप्लेंट की कॉपी के आधार पर आपका खाता बंद कर सकूं।
आरोपियों ने आधार कार्ड का डिटेल मांगा
इतना सुनने के बाद मनीष कॉल पर बने रहे। कंप्यूटर द्वारा बताया गया कि आपकी फोन पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित की जा रही है। जिसके बाद बात कर रहे दूसरे शख्स ने खुद को जुहू पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताकर मनीष से उसका आधार कार्ड का डिटेल, मोबाइल नंबर आदि की पूछताछ की। कंप्लेंट रजिस्टर कर दिए जाने का आश्वासन देकर फोन काट दिया गया।
कुछ ही समय बाद एक दूसरे नंबर से वॉट्सऐप कॉल किया गया। वॉट्सऐप के वीडियो कॉल में दूसरी तरफ खड़ा शख्स मुंबई पुलिस की पोशाक पहन कर बात कर रहा था। उसके आसपास एक दो वर्दी में पुलिसकर्मी वॉकी-टॉकी पर कहीं-कहीं बात कर रहे थे। सामने से बात कर रहे हैं अधिकारी ने मनीष को चौकाते हुए एक नई जानकारी दी कि उसका एक और खाता स्टेट बैंक के मुंबई शाखा में है, जिसमें 4 करोड़ रुपए है।
इस मामले में कई को गिरफ्तार किया जा चुका है। अब तुम्हारी बारी है। वहीं, उसके आसपास खड़े पुलिस कर्मियों ने डराने के उद्देश्य से वॉकी-टॉकी पर बात करते हुए तुरंत अरेस्ट किए जाने की सूचना स्थानीय पुलिस स्टेशन को देने की बात कही।
साइबर अपराधियों का काटा फोन
डरे सहमे मनीष लगातार अपने स्तर से मामले को लेकर छानबीन भी कर रहे थे। कुछ ही समय में उन्हें मालूम चल चुका था कि सामने वाला कोई पुलिस अधिकारी नहीं बल्कि साइबर अपराधी है। इसके बाद मनीष ने साइबर अपराधियों का फोन काट दिया।
हालांकि इसके बाद भी एक दो नंबरों से संपर्क कर डराने का प्रयास साइबर अपराधियों ने किया। लेकिन मनीष ने लगातार नजर अंदाज किए जाने के बाद सभी चुप बैठ गए।
इस संबंध में पूछे जाने पर सदर SDPO ज्योति कुमारी ने बताया कि डिजिटलाइजेशन के साथ ही पूरे इलाके में साइबर ठगों और अपराधियों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। ऐसे में स्थानीय लोगों को सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि अगर कोई अपराधी की सूचना किसी अन्य राज्य से पुलिस को मिलती भी है, तो अपराधी की गिरफ्तारी से पूर्व संबंधित राज्य के पुलिस को यहां बुलाया जाता है।
मामले की गहनता से छानबीन किए जाने के बाद ही किसी को अरेस्ट किया जाता है। आम जनों से निवेदन है कि साइबर अपराधियों के झांसे में आकर डिजिटल अरेस्ट होने से खुद को बचाएं।
दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
Nov 22 2024, 19:24