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महाराष्ट्र चुनाव से पहले अजित पवार ने बदली “पटरी”, बीजेपी और शिवसेना पर कितना होगा असर?
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महाराष्ट्र चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन महायुति की दो प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना हिंदुत्व की पिच पर खुलकर बैटिंग कर रही हैं। महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव इस बार पहला ऐसा चुनाव है जिस चुनाव में बीजेपी और उसके फायरब्रैंड ने खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं। इसकी शुरुआत योगी आदित्यनाथ की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा दिया। बीजेपी के साथ ही शिवसेना ने भी इस नारे का समर्थन किया है। वहीं महायुति के ही एक घटक अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इसके विरोध में खुलकर उतर आई है। अजित पवार ने साफ कह दिया है कि इसका समर्थन नहीं करता हूं। ये यूपी या झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलता।

योगी ने यूपी में दिए अपने नारे को महाराष्ट्र में भी आजमाया जिसके बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया। बयान को लेकर इस कदर सियासत हुई कि महायुति में शामिल एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने अपना गियर बदल दिया। अजीत पवार ने यहां तक कहा डाला कि मैं शिवाजी से प्रेरणा लेकर बार-बार कहता हूं कि जब-जब बंटेंगे, तब-तब कटेंगे। अगर एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे।

यही नहीं, अजित पवार ने साफ कर दिया है कि जहां जहां महायुति की ओर से उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस प्रकार के हिंदुत्व वाले विचारों के समर्थक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास पर चलते हैं।

सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी को इससे क्या दिक्कत हो रही है? माना जा रहा है कि अजित पवार को अपने वोटबैंक और उम्मीदवारों की चिंता है इसलिए उन्होंने सीएम योगी के नारे से खुद को किनारा कर लिया।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार ने इसलिए सीएम योगी के बयान का समर्थन नहीं किया क्योंकि इससे मुस्लिम वोटरों के खिसकने का डर है। इसके साथ-साथ एनसीपी अजित पवार गुट ने नवाब मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है जो मुस्लिम समुदाय से हैं। ऐसे में अगर अजित पवार योगी के नारे का समर्थन करते हैं तो पार्टी में भी मतभेद की भी स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए अजित पवार को कहना पड़ा कि महाराष्ट्र में ये सब नहीं चलेगा।

वहीं, अजित के स्टैंड के बाद कयास महायुति में दरार के भी लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि अजित पवार ने इन बातों से चुनाव बाद बदलते समीकरण की ओर इशारा किया है।जानकारों का मानना है कि चुनाव बाद परिणामों पर नजर के बाद अजित पवार आगे की रणनीति पर काम कर सकते हैं। यह अलग बात है कि इस बार उनके चाचा शरद पवार किसी भी हालत में उनकी वापसी को मंजूर करने के मूड में दिख नहीं रहे हैं।
क्या भारतीयों के लिए मुश्किल खड़ी करेंगे ट्रंप? अमेरिका जाकर काम करने वालों की नजरें नए राष्ट्रपति की पॉलिसी पर*
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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। हाल ही में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में भारतीय मूल की कमला हैरिस को हराकर बड़ी जीत हासिल की है। ट्रंप जीत के साथ ही उनकी विदेश नीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप का 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' नारे के साथ वापस सत्ता में आए हैं। इससे स्पष्ट है कि उनकी नीतियां इसी नारे के इर्द-गिर्द रहेंगी। चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रंप का प्रवासियों को लेकर सख्त रुख सबको टेंशन में डाल रहा है। यह सवाल सबको टेंशन दे रहा है कि क्या अमेरिका का ग्रीन कार्ड हासिल करना भारतीयों के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा? डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भारत की नजर उनकी वीजा पॉलिसी पर है। उनकी नीतियां प्रवासियों के लिए काफी मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। वह पूरे चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर काफी मुखर रहे हैं। यही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप का बतौर राष्ट्रपति पहले कार्यकाल में H-1B पर काफी सख्त रुख रहा। ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी नौकरियां दूसरे देशों के नागरिकों को मिल रही हैं। उन्होंने H-1B वीजा के लिए योग्यता के पैमाने को सख्त कर दिया था। वीजा मिलने में लगाने वाला समय भी बढ़ गया था। साथ ही, वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होने की दर भी बढ़ी थी। *भारतीयों के अमेरिका में नौकरियों पर होगा असर* ट्रंप की उस पॉलिसी का भारतीय पेशेवरों और टेक्नोलॉजी कंपनियों पर काफी असर दिखा था। अगर ट्रंप अपनी पुरानी पॉलिसी पर अड़े रहे तो भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरियों के अवसर कम हो सकते है। *H-1B वीजाधारकों में सबसे ज्यादा भारतीय* बता दें कि बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिका के टेक्नोलॉजी सेक्टर में काम करते हैं और वे वहां H-1B वीजा पर जाते हैं। अमेरिकी कंपनियों की डिमांड चलते भारत के आईटी प्रोफेशनल को सबसे अधिक H-1B वीजा मिलता है। अमेरिकी सरकार का डेटा भी बताता है कि पिछले कुछ साल में H-1B वीजाधारकों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं। वित्त वर्ष 2023 में कुल (3.86 लाख) H-1B स्वीकृत हुए। इसमें से 72.3 फीसदी यानी 2.79 लाख भारतीयों के पास थीं। चीनी कर्मचारी दूसरे स्थान पर थे, जिन्हें कुल H-1B वीजा का 11.7 फीसदी मिला था। *अमेरिका में ग्रीन कार्ड आवेदकों पर भी होगा असर* हालांकि, राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने RAISE (मजबूत रोजगार के लिए अमेरिकी आप्रवासन में सुधार) अधिनियम, 2017 का समर्थन किया था, जिसका मकसद कानूनी आव्रजन को आधा करना था। इसका मतलब यह होगा कि ग्रीन कार्ड की संख्या 10 लाख से घटाकर लगभग 5 लाख सालाना करने का प्रावधान है। अगर ये कानून ट्रंप लागू करते हैं तो भारतीय कामगारों पर इसका बड़ा असर होगा, क्योंकि अमेरिका में ग्रीन कार्ड आवेदकों और कुशल विदेशी कामगारों में बड़ा हिस्सा भारतीय हैं। *विदेशी स्नातकों के लिए ऑटोमेटिक ग्रीन कार्ड* यह नीति अमेरिका में डिग्री हासिल करने वाले भारतीय छात्रों को स्नातक होने के बाद ग्रीन कार्ड के लिए ऑटोमेटिक रास्ता देती है। कई भारतीय छात्र हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका जाते हैं और काम करने के लिए अमेरिका में ही रहने की उम्मीद करते हैं। ऐसे में ऑटोमेटिक ग्रीन कार्ड एच-1बी जैसी लंबी और अनिश्चित वीजा प्रक्रियाओं की जरूरतों को दूर कर सकता है और भारतीय स्नातकों को फौरन नौकरी और बसने की मंजूरी मिल सकती है। *परिवार के सदस्यों को लाने की उम्मीद करने वालों पर असर* हालांकि, ग्रीन कार्ड के लिए परिवार के सदस्यों को अमेरिका लाने की उम्मीद पाले बैठे भारतीयों को कुछ बंदिशों का सामना करना पड़ सकता हैं। कई भारतीय माता-पिता, भाई-बहन या वयस्क बच्चों को अमेरिका लाने के लिए परिवार आधारित कैटेगरी का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, RAISE अधिनियम मॉडल के तहत पति-पत्नी और नाबालिग बच्चों तक सीमित हो जाएंगे, जिससे परिवार के पुनर्मिलन पर असर पड़ेगा।
जयराम रमेश ने भाजपा द्वारा चुनाव आयोग में की गई शिकायत के बाद राहुल गांधी का किया बचाव

* कांग्रेस ने मंगलवार को पार्टी नेता और विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी का बचाव किया, जब भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में निवेश को गुजरात में स्थानांतरित करने के बारे में उनकी टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया। भाजपा ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी राज्यों के बीच दुश्मनी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मंगलवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एएनआई से कहा कि महाराष्ट्र के लिए कई परियोजनाएं और निवेश गुजरात में स्थानांतरित कर दिए गए हैं। “वे किस बारे में शिकायत कर रहे हैं? राहुल गांधी ने क्या कहा है? सभी ने यही कहा है। अखबारों में छपा है कि महाराष्ट्र में आने वाली कई परियोजनाएं और निवेश प्रधानमंत्री ने गुजरात में स्थानांतरित कर दिए हैं। यही हमने कहा है, कि आपने महाराष्ट्र के साथ भेदभाव किया है,” रमेश ने समाचार एजेंसी से कहा। उन्होंने आगे कहा: “आप (भाजपा) सबका साथ, सबका विकास की बात करते हैं। इसलिए, सभी राज्यों में विकास लाएं।” कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी तथा राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में निवेश करने के इच्छुक लोगों को गुजरात जाने के लिए धमकाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि महाराष्ट्र में पहले से ही बुनियादी ढांचा मौजूद है। "जो लोग महाराष्ट्र में निवेश करना चाहते हैं, आप उन्हें धमकाकर गुजरात जाने के लिए नहीं कह सकते। अगर गुजरात को परियोजनाओं के लिए निवेश मिलता है तो हम उसका स्वागत करेंगे, लेकिन महाराष्ट्र में निवेश करने के इच्छुक लोगों को न रोकें, जहां बुनियादी ढांचा मौजूद है। यही बात राहुल गांधी ने कही है और इस पर डेटा भी उपलब्ध है।" रमेश ने महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने का भरोसा भी जताया और कहा कि पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगियों को स्पष्ट जनादेश मिलेगा। रमेश ने समाचार एजेंसी से कहा, "हमें पूरा भरोसा है कि जनता हमारा समर्थन करेगी। भाजपा के नकारात्मक राजनीतिक प्रचार, खासकर प्रधानमंत्री, अमित शाह, यूपी के सीएम और असम के सीएम जो सांप्रदायिक जहर फैलाने में व्यस्त हैं, उन्हें जनता नकार देगी।" *भाजपा ने चुनाव आयोग से क्या कहा ?* सोमवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र में 6 नवंबर को राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। मेघवाल ने कहा, "राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए एक बार फिर झूठ बोलने की कोशिश की, उन्होंने राज्यों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का प्रयास किया, उन्होंने संविधान को हवा दी और फिर से झूठ बोला कि भाजपा संविधान को नष्ट करने वाली है। यह झूठ है। हमने कहा कि इसे रोका जाना चाहिए।" मेघवाल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव संचालन निकाय को आगे बताया कि कांग्रेस नेता "ऐसा करने के आदी हैं और चेतावनी और नोटिस के बावजूद ऐसा करने से बाज नहीं आ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि भाजपा ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 353 के तहत राहुल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
एलन मस्क ने किया दावा 'रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए पुतिन नहीं बल्कि अमेरिका जिम्मेदार, एक्स पर किया वीडियो पोस्ट


* टेक अरबपति एलन मस्क, जो राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प के अभियान के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे, ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है, जो रूस और यूक्रेन के बीच हाल ही में हुए संघर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा निभाई गई कथित भूमिका की ओर इशारा करता है। अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी डी की विशेषता वाले इस सम्मोहक वीडियो में यूक्रेन में युद्ध की जड़ों और इसके सार के बारे में एक विचारोत्तेजक तर्क प्रस्तुत किया गया है, यह केवल व्लादिमीर पुतिन नहीं है। जेफ्री ने दावा किया कि यह केवल रूसी आक्रमण नहीं था, बल्कि अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो विस्तार ने पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष को जन्म दिया। मस्क द्वारा साझा किए गए वीडियो में, जेफरी ने दावा किया कि यूक्रेन को नाटो में एकीकृत करने के संयुक्त राज्य अमेरिका के इरादे ने सीधे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आक्रमण को उकसाया। उन्होंने जोर देकर कहा, "यह यूक्रेन पर व्लादिमीर पुतिन द्वारा किया गया हमला नहीं है, जैसा कि आज हमें बताया जाता है।" जेफरी के विचार रूस-यूक्रेन युद्ध के इर्द-गिर्द मुख्यधारा के वैश्विक आख्यानों को चुनौती देते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, वीडियो की सटीक तारीख और समय की पुष्टि नहीं हो पाई है। *' वीडियो में जो बिडेन प्रशासन की आलोचना की गई* वीडियो में, जेफरी ने रूस की कार्रवाइयों को "अकारण" कहने के लिए बिडेन प्रशासन की खुलेआम आलोचना की, एक ऐसा शब्द जिसका इस्तेमाल उन्होंने पुतिन के खिलाफ़ कथित तौर पर आख्यान को बदलने के लिए लगातार किया है। कॉमन ड्रीम्स के लिए 2023 के एक लेख में उन्होंने कहा, "बिडेन टीम लगातार 'अकारण' शब्द का इस्तेमाल करती है। जेफरी ने 1990 में तत्कालीन सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव के प्रति नाटो की प्रतिबद्धता का संदर्भ दिया, जहाँ गठबंधन ने जर्मन एकीकरण के बदले में "एक इंच भी पूर्व की ओर नहीं बढ़ने" का वचन दिया था - एक वादा जिसे उन्होंने तर्क दिया कि अमेरिका ने तब से धोखा दिया है। उन्होंने तर्क दिया कि बहुआयामी समस्याएं नाटो के विस्तार के साथ शुरू हुईं, जिसकी आधिकारिक शुरुआत 1999 में पोलैंड, हंगरी और चेक गणराज्य के प्रवेश के साथ हुई। इसके अलावा, जेफरी ने बताया कि अमेरिका ने 1999 में सर्बिया के खिलाफ बमबारी अभियान चलाया था, एक ऐसा कदम जिसने उस समय रूस से कड़ी असहमति जताई थी। *पुतिन ने कभी नाटो की सदस्यता पर विचार किया था: वीडियो दावा* जेफरी ने दावा किया कि पुतिन कभी "यूरोप समर्थक" नेता थे, जिन्होंने "पारस्परिक रूप से सम्मानजनक संबंध" को बढ़ावा देने के लिए नाटो की सदस्यता पर भी विचार किया था। जेफरी के अनुसार, 2002 में अमेरिका द्वारा एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि से एकतरफा रूप से हटने के बाद संबंधों में नाटकीय रूप से खटास आ गई।
पाकिस्तान का चेहरा फिर हुआ बेनकाब, पंजाब सरकार ने भगत सिंह को बताया “आतंकी”*
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पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को आतंकवादी करार दे दिया है। पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाई कोर्ट में हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। दरअसल, लाहौर में शादमान चौक है, जहां शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। लाहौर में इस चौक का नाम बदलकर शहीद भगत सिंह चौक करने की अपील की गई थी। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इसे खारिज कर दिया है। पाकिस्तान में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि भगत सिंह स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। भगत सिंह के अपमान पर भारत में गुस्सा गहरा गया है। 1931 में अविभाजित भारत के लाहौर में जिस जगह पर शहीद भगत सिंह को फांसी दी गई थी, उस चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने मांग हो रही है। इसी को लेकर लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई थी, जिस पर पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने की मांग पाक के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने की और चौक पर मूर्ति लगाने के लिए आवाज उठाई। इसको लेकर पंजाब सरकार ने कोर्ट में कहा कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे। आज की परिभाषा के तहत वो एक आतंकवादी थे। पंजाब सरकार की ओर पूर्व सेना के अफसर तारिक मजीद ने कोर्ट में जवाब दिया। तारिक ने कहा कि भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी। इसलिए उन्हें और उनके दो साथियों को फांसी की सजा दी गई। खास बात ये है कि चौक का नामकरण करने और मूर्ति लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। लाहौर हाईकोर्ट में 17 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।
कोई मशीन से मेरा दिमाग कंट्रोल कर रहा, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अजीबोगरीब मामला, याचिका हुई दाखिल तो जज रह गए हैरान


सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने याचिका दाखिल करते हुए दावा किया कि उसका दिमाग एक मशीन के जरिए नियंत्रित किया जा रहा है। इस याचिका को सुनकर जज साहब ने हैरानी जताई और इसे विचित्र बताया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई तरीका या कारण नहीं दिखता, और फिर याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने एक मशीन के जरिए उसके दिमाग को कंट्रोल करना शुरू कर दिया है। पहले, याचिकाकर्ता ने इसी मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, जिसमें उसने दावा किया कि कुछ लोग सेंट्रल फॉरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी (CFSL) से "ब्रेन रीडिंग मशीनरी" का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसने अदालत से इस मशीन को बंद करने का आदेश देने का अनुरोध किया था। हालांकि, CFSL और CBI ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता पर कोई भी फॉरेंसिक जांच नहीं की गई है, जिससे मशीन को बंद करने का सवाल ही नहीं उठता। इसके बाद हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में याचिका खारिज कर दी थी। इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता, जो पेशे से शिक्षक हैं, ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर 2024 को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता की परेशानी को समझने के लिए उनकी मातृभाषा में संवाद की व्यवस्था की जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) ने रिपोर्ट दी कि याचिकाकर्ता का मानना है कि उसके दिमाग पर नियंत्रण करने वाली मशीन को निष्क्रिय किया जाना चाहिए।
दुनिया में मंडरा रहा तीसरे विश्व युद्ध का खतरा, एमपी के महाकौशल क्षेत्र में एक व्याख्यान में बोले, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि रूस-यूक्रेन एवं इजरायल-हमास युद्ध की स्थिति को देखते हुए तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। मोहन भागवत मध्य प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में दिवंगत संघ महिला नेता डॉ. उर्मिला जामदार की स्मृति में आयोजित एक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। मोहन भागवत ने कहा, "हम सभी को तीसरे विश्व युद्ध का खतरा महसूस हो रहा है। इस पर अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह यूक्रेन या गाजा में आरम्भ हो सकता है।" उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि विज्ञान ने बहुत प्रगति की है, किन्तु इसका लाभ अब भी देश और दुनिया के गरीबों तक नहीं पहुंच पाया है, जबकि विनाशकारी हथियार हर जगह पहुंच गए हैं। भागवत ने कहा, "कुछ बीमारियों की दवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं हो सकतीं, किन्तु देशी रिवॉल्वर (देशी कट्टा) आसानी से उपलब्ध है।" उन्होंने पर्यावरण पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्थिति अब ऐसी हो गई है कि यह बीमारियों की वजह बन रहा है। उन्होंने मानवता की सेवा को हिन्दू धर्म का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह हिंदू धर्म का पर्याय है। भागवत ने कहा कि हिंदुत्व में दुनिया को राह दिखाने की क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि 'हिंदू' शब्द भारतीय धर्मग्रंथों में आने से पहले से मौजूद था और इसे सार्वजनिक रूप से सबसे पहले गुरु नानक देव ने प्रवचन में प्रस्तुत किया था।
राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सीएम भजनलाल पर कसा तंज, सभा में खाली कुर्सियों का वीडियो किया शेयर


राजस्थान में सात विधानसभाओं के उपचुनाव को लेकर आज शाम प्रचार प्रसार का शौर थम जाएगा। इधर, 13 नवंबर को होने वाले मतदान को लेकर सियासी सरगर्मियां लगातार उफान पर है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सीएम भजनलाल को जमकर घेरा। उन्होंने रामगढ़ में सीएम की सभा में खाली कुर्सियों का वीडियो पोस्ट किया। साथ सोशल मिडिया एक्स पर तंज कसते हुए लिखा कि 'हरियाणा एवं अन्य विधानसभा क्षेत्रों से लोग बुलाने के बावजूद मुख्यमंत्री जी की रामगढ़ सभा में भयंकर भीड़।' साथ में जूली ने हंसी उड़ाने की इमोजी भी शेयर की है। सीएम की सभा की खाली कुर्सियों को लेकर जूली ने कहा कि अब लोग इनकी बात सुनने को ही तैयार नहीं। दरअसल, सीएम भजनलाल अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करने आए थे। इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सीएम की रामगढ़ विधानसभा में आयोजित सभा का वीडियो पोस्ट किया। जिसमें खाली कुर्सियों का वीडियो दिखाते हुए लिखा कि 'हरियाणा एवं अन्य विधानसभा क्षेत्रों से लोग बुलाने के बावजूद मुख्यमंत्री जी की रामगढ़ सभा में भयंकर भीड़।' जनता अब इनकी बात सुनने को तैयार नहीं जूली ने निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी अपने पूरे ताम-झाम और संसाधनों से जुटी हुई है, लेकिन लोगों का विश्वास इन पर से उठ गया है और लोग इनकी बात सुनने को भी तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री जनसभा के दौरान बड़े-बड़े दावा करते हैं, अब जनता समझ चुकी है, जनता को उनकी बातों पर विश्वास नहीं है। सीएम ने रामगढ़ में कांग्रेस पर जमकर हमला किया अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर रविवार को सीएम भजनलाल ने चुनावी सभा को संबोधित किया। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुखवंत सिंह के समर्थन में संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर सियासी हमले किए। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली पर आरोप लगाया कि वह बीजेपी सरकार पर लेकर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं, जबकि कांग्रेस सरकार में रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में दलितों पर अत्याचार हो रहे थे, तब कांग्रेस कहां थी? सीएम ने कांग्रेस को पेपरलीक, घोटालों, अत्याचार और अपराधों को लेकर जमकर घेरा।
अलकायदा कनेक्शन खंगालने को बिहार में NIA की रेड: सीवान में फल कारोबारी से पूछताछ जारी


बांग्लादेश में आतंकी समूह अल-कायदा के देशविरोधी गतिविधियों के मामले की जांच कर रही एनआईए ने बिहार के सीवान समेत देश में 9 जगहों पर छापेमारी की। बिहार के अलावा जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम में एनआईए की टीमों ने तलाशी ली। एनआईए की टीम ने सोमवार की सुबह पांच बजे सीवान के सराय थाना क्षेत्र के पुरानी किला पोखरा मोहल्ले में एक फल विक्रेता के घर को खंगाला। इस दौरान फल विक्रेता अख्तर अली और उनके दोनों बेटों सुहैल अली और आमिर अली से पूछताछ की गई। NIA ने मोबाइल, लैपटॉप, बैंक अकाउंट, टैबलेट सहित अन्य जरूरी कागजात को जब्त किया गया है। पांच घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ के बाद जब एनआइए की पांच सदस्यीय टीम फल विक्रेता के घर से बाहर निकली। जानकारी के अनुसार सुहैल अली पिता के साथ फल का कारोबार करता हैं। उसका भाई आमिर अली शहर के तेलहट्टा बाजार में कपड़ा की दुकान चलाता है। जबकि सुहैल का कारोबार हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से होता हैं। 6 माह पहले संदिग्ध लेन देन के कारण इनका अकाउंट फ्रिज किया गया था। जानकारी के अनुसार सुहैल के अकाउंट से जम्मू कश्मीर और हिमाचल के में गलत तरीके से लेन देन की गई है। पूछताछ में सुहैल ने उसे कारोबार से संबंधित लेन देन बताया है। 2023 में पकड़े गए थे 12 कट्टरपंथी साल 2023 में एनआईए ने 12 कट्टरपंथियों को गिरफ्तार भी किया था। एनआईए ने दिल्ली की एक अदालत में इस मामले में 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। इनमें से चार - मो. सोजिबमियां, मुन्ना खालिद अंसारी उर्फ मुन्ना खान, अजारुल इस्लाम उर्फ जहांगीर या आकाश खान और अब्दुल लतीफ उर्फ मोमिनूल अंसारी - बांग्लादेशी नागरिक हैं। जबकि पांचवां आरोपी फरीद भारतीय नागरिक है। बताया जाता है कि इन सभी से पूछताछ के बाद ही NIA ने सीवान के फल कारोबारी के घर दबिश दी थी। सूत्रों के मुताबिक एनआईए की जांच में पता चला है कि बांग्लादेश से आकर इन लोगों ने यहां अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाए थे। फिर ये लोग चोरी-छिपे कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने लगे और युवाओं को अलकायदा में शामिल होने के लिए उकसाने लगे। साथ ही, ये अलकायदा के लिए धन जुटाने में भी लगे हुए थे। इन्होंने कई युवाओं के बैंक खातों का इस्तेमाल करके पैसे का लेनदेन किया। यहां तक कि पाकिस्तान जैसे दूसरे देशों से भी पैसा मंगवाने और भेजने के लिए इन खातों का इस्तेमाल किया गया। एनआईएएनआईए की जांच के अनुसार, जिन संदिग्धों के परिसरों पर छापे मारे गए, वे बांग्लादेश स्थित अल-कायदा नेटवर्क के समर्थक हैं। यह तलाशी पिछले साल बांग्लादेश स्थित अल-कायदा के गुर्गों द्वारा रची गई साजिश के पर्दाफाश से जुड़ी है।
दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान, वीजा प्रतिबंधों में ढील, चीनी पत्रकारों को भारत में रिपोर्टिंग और भारतीय फिल्मों को चीन में प्रदर्शन की अनुमति, स


भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में प्रयासों के तहत, चीनी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए लगातार बातचीत हो रही है। उनका कहना है कि दोनों देश ऐसे कई उपायों पर चर्चा कर रहे हैं, जो अप्रैल-मई 2020 से पहले की स्थिति जैसी सामान्य स्थिति में संबंधों को लाने के लिए हैं। यह बयान हाल ही में कज़ान, रूस में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक के बाद आया है। चीन को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के लिए कई कदम उठाए जाएंगे, जैसे कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली, वीजा प्रतिबंधों में ढील, चीनी पत्रकारों को भारत में रिपोर्टिंग करने की अनुमति, और भारतीय फिल्मों को चीन में प्रदर्शित करने की अनुमति देना। चीन सरकार को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी अगले साल शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे। बीजिंग में अधिकारियों का कहना है कि कज़ान बैठक में दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत दोस्ती है और यह मुलाकात कोविड-19 महामारी और सीमा तनाव के बाद पांच साल में पहली बार हुई थी। चीन ने यह भी कहा कि सीमा मुद्दे का समाधान तेजी से होना चाहिए, लेकिन यह मुद्दा रिश्तों का मुख्य केंद्र नहीं होना चाहिए। दोनों देशों के बीच 20 दौर की बातचीत हो चुकी है, और कुछ सैनिकों की वापसी भी हुई है। चीनी अधिकारियों का मानना है कि सीमा विवाद और अन्य मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए किया जा सकता है, और इस दिशा में और अधिक बातचीत की आवश्यकता है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन, एआई, हरित ऊर्जा संक्रमण जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, चीनी अधिकारियों का कहना है कि भारत और चीन को आपसी सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक सामान्य दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।