2025 के महाकुंभ में मुक्त विश्वविद्यालय अपनी भूमिका का निर्वाह करे: राज्यपाल
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के 27 वें स्थापना दिवस समारोह को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए मंगलवार को कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा रूपी प्रकाश की रश्मि से जीवन को प्रकाशमान करने का कार्य कर रहा है। अभी कुछ दिनों पूर्व हमने दीपावली का पर्व मनाया है । सभी जगह प्रकाश फैलाकर अंधकार को दूर किया है उसी प्रकार हमें शिक्षा का प्रकाश फैला कर अशिक्षा बेरोजगारी एवं अज्ञान का अंधकार मिटाना है।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि शिक्षा सभी नागरिकों का मूलभूत अधिकार है। किसी भी देश के विकास का पैमाना वहां के लोगों के शैक्षिक होने की दर है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो संस्कारित हो और देश प्रेम के सद्गुणों को विकसित करे।राज्यपाल ने कहा कि 2025 के महाकुंभ में मुक्त विश्वविद्यालय को अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए। अभी कुछ दिनों पूर्व अयोध्या में अवध विश्वविद्यालय में बहुत अच्छा कार्य किया।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार जगत प्रकाश नड्डा ने अपना वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि शिक्षा में तकनीक, प्रौद्योगिकी और भारतीय ज्ञान परंपरा के समागम की परिणीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम के जरिए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय युवाओं के सर्वांगीण विकास को समर्पित है। हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार और उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के जरिए अमृत काल में देश का युवा विकसित भारत का निर्माण कर सकता है।
तिलक सभागार में स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ नरेन्द्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में मुक्त विश्वविद्यालय सिर्फ योजनाओं का निर्माण ही नहीं कर रहा है बल्कि नई शिक्षा नीति के अनुरुप योजनाओं एवं शिक्षण प्रक्रिया का क्रियान्वयन भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा आवश्यक है। वर्तमान समय में रोजगार परक एवं कौशल विकास के पाठ्यक्रमों के जरिए जन जन तक उच्च शिक्षा का प्रचार प्रसार आवश्यक है।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक एवं भाषाई विरासत पर गर्व करना चाहिए। उच्च शिक्षा की विसंगतियों को दूर करने के लिए वर्तमान में दूरस्थ शिक्षा एक सजग माध्यम है। उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सामाजिक तथ्यों के साथ-साथ भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में शिक्षकों को अपने छात्रों को जानकारी देनी चाहिए। श्री विजय ने कहा कि अकादमिक जगत और साहित्य में राष्ट्र, समाज और देश के प्रति दायित्व बोध आवश्यक है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि दूर शिक्षा विशिष्ट प्रकार की शिक्षा पद्धति है, जो वर्तमान में सर्वाधिक प्रासंगिक है।विश्वविद्यालय का निर्माण इमारतों से नहीं बल्कि शिक्षकों एवं छात्रों से होता है। विश्वविद्यालय तकनीक युक्त नई योजनाओं पर कार्य कर रहा है। एक ओर जहां भारतीय ज्ञान परंपरा स्थानीय भाषाओं और संस्कृति से जुड़े पाठ्यक्रमों का संचालन हो रहा है, वहीं तकनीक स्वास्थ पोषण और विज्ञान के क्षेत्र में भी छात्रों को नवीन जानकारियां देने के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है। प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों को आपसी रिश्तो में संवेदनशील और राष्ट्र निर्माण के प्रति सजग होना होगा तभी हम नए मानक स्थापित कर पाएंगे।
उद्घाटन सत्र का संचालन डॉक्टर स्मिता अग्रवाल ने तथा कुलगीत निकेतसिंह ने प्रस्तुत किया। वाचिक स्वागत प्रोफेसर पी के पांडेय तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। तकनीकी सत्र में स्थापना दिवस का प्रथम व्याख्यान मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एम पी दुबे ने दिया। प्रोफेसर दुबे ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा नयापन एवं विविधताओं का मार्ग प्रशस्त करती है। नई शिक्षा नीति की व्यवस्थाओं के अनुरूप मूक्स, कृतिम मेधा और तकनीक का ज्ञान दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए अति आवश्यक है। प्रोफेसर दुबे ने कहा कि विद्यार्थियों में संज्ञानात्मक ज्ञान, वैज्ञानिकता, रचनात्मकता, जीवन जीने की कला, वर्तमान चुनौतियों से निपट कर एक उज्जवल भविष्य के सपने को साकार करने में दूरस्थ शिक्षा सक्षम है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि विश्वविद्यालय की शिक्षण पद्धति को हमें तकनीक आधारित बनाना है क्योंकि बिना तकनीक के दूरस्थ शिक्षा पद्धति अधूरी है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों को इसके लिए आत्म मंथन करना चाहिए। उन्होंने स्थापना दिवस पर राजर्षि टंडन को स्मरण करते हुए कहा कि जितना बड़ा राजर्षि टंडन जी का नाम है उतनी साख इस विश्वविद्यालय की भी होनी चाहिए। जिसके लिए हम सभी लोगों को मिलजुल कर बेहतर शिक्षा देने का प्रयास करना होगा।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर स्मिता अग्रवाल ने तथा विषय प्रवर्तन प्रोफेसर पी के पांडेय ने किया। कुलगीत निकेत सिंह, वाचिक स्वागत डॉ त्रिविक्रम तिवारी तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। स्थापना दिवस के प्रारंभ में अतिथियों ने राजर्षि टंडन जी की प्रतिमा पर पुष्पार्पण किया। उक्त जानकारी जनसंपर्क अधिकारी डा. प्रभात चन्द्र मिश्र ने दी।
Nov 06 2024, 17:06