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नगरीय निकायों के निर्वाचन हेतु निर्वाचक नामावली तैयार करने संशोधित कार्यक्रम जारी, 27 नवंबर को होगा निर्वाचन नामावली का अंतिम प्रकाशन

रायपुर-     छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयुक्त अजय सिंह ने बताया कि आयोग द्वारा पूर्व में जारी नगर पालिका निर्वाचन नामावली पुनरीक्षण कार्यक्रम की तिथि में आंशिक संशोधन किया गया है। उन्होंने बताया कि कुछ जिलों द्वारा निर्वाचक नामावली के संबंध में दावा आपत्ति प्राप्ति की अंतिम तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। जिलों से प्राप्त अनुरोध पर आयोग द्वारा विचार उपरांत पूर्व में दावा आपत्ति प्राप्त करने की निर्धारित अंतिम तिथि 23 अक्टूबर में 1 सप्ताह की वृद्धि की गई है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त अजय सिंह ने बताया कि जारी संशोधित कार्यक्रम के अनुसार अब दावे/आपत्तियां प्राप्त करने की अंतिम तारीख व समय 30 अक्टूबर 2024 बुधवार अपरान्ह 3 बजे तक तथा दावे/आपत्तियों के निपटारे की अंतिम तारीख शुक्रवार 8 नवंबर 2024 निर्धारित की गई है।

इसी तरह प्ररूप क-1 में रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को दावा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि शुक्रवार 08 नवम्बर 2024 तक तथा प्ररूप क-1 में प्राप्त दावा का निराक़रण करने की अंतिम तिथि मंगलवार 12 नवम्बर 2024 तक निर्धारित की गई है।

इसी तरह दावे/आपत्तियों के निराकरण आदेश के विरूद्ध अपील करने की अंतिम तारीख निराकरण आदेश पारित होने के 05 दिवस के भीतर तथा परिवर्धन, संशोधन, विलोपन के प्रकरणों की प्रविष्टि सॉफ्टवेयर में करना बुधवार 20 नवम्बर 2024 तक, चेकलिस्ट का निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा जांच करवाना तथा पी.डी.एफ. मुद्रण हेतु जिला कार्यालय को सौंपना शुक्रवार 22 नवम्बर 2024 तक एवं अनुपूरक सूची का मुद्रण कराना और अनुपूरक सूची को मूल सूची के साथ संलग्न करना सोमवार 25 नवम्बर 2024 तक निर्धारित किया गया है तथा निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन बुधवार 27 नवम्बर 2024 को किया जाएगा।

पुलिस स्मृति दिवस परेड में हुए शामिल राज्यपाल और मुख्यमंत्री

रायपुर-      राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज चौथी वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल माना रायपुर के प्रांगण में पुुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित परेड कार्यक्रम में शामिल हुए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने सभी प्रदेशवासियों की ओर से पुलिस के शहीद वीर जवानों को नमन करते हुए शहीद स्मारक में पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिस अधिकारियों एवं जवानों के परिजनों से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्त की और उनके साथ सदैव खड़े रहने का विश्वास दिलाया। उन्हें शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट किए।

इस अवसर पर राज्यपाल श्री डेका ने अपने श्रद्धांजलि उद्बोेधन में कहा कि पुलिस का काम अत्यंत जवाबदेही का होता है। आम जनों से आग्रह है कि पुलिस कर्मियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखें और उनके कार्यो मेें मदद करें। उन्होंने कहा कि एक तरफ वे कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए शासन के निर्देशों के अनुरूप कार्य करते हैं। दूसरी तरफ उनकी जिम्मेदारी होती है कि समाज में व्यवस्था बनी रहें और नागरिकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। राज्यपाल ने कहा कि पुलिस के जवान भी अपने परिवार को छोड़ कर कार्य कर रहे हैं। उनसे परिवार के एक सदस्य की भांति व्यवहार करें, उन्हें सम्मान दें। आपके दो मीठे बोल, उनके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा। यह सद्व्यवहार उनकी सारी थकान दूर कर देगी और वे अपनी ड्यूटी भी दोगुने जोश से करेंगे।

राज्यपाल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां नक्सली समस्या एक गंभीर चुनौती रही है, वहां हमारी पुलिस ने जिस प्रकार से साहस, धैर्य और निष्ठा के साथ इस समस्या का सामना किया, वह सराहनीय है। पुलिस की तत्परता और कर्त्तव्यनिष्ठा के कारण आज नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा और शांति के लिए एक सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। नक्सली गतिविधियों से निपटने के लिए पुलिस और सशस्त्र बलों ने न केवल सख्त रणनीति अपनाई बल्कि स्थानीय समुदायों के साथ बेहतर समन्वय और संवाद स्थापित किया है। जिससे उन क्षेत्रों में विश्वास और सुरक्षा की भावना बढ़ी है और आने वाले समय में नक्सल समस्या का पूर्ण रूप से उन्मूलन होगा।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि पुलिस और सुरक्षा बलों के योगदान का स्मरण करने और उन्हें नमन करने का दिन है। यह पुलिस और सुरक्षा बलों की महान परंपराओं को आगे बढ़ाते रहने का संकल्प लेने का भी दिन है। उन्होंने कहा कि पुलिस स्मृति दिवस हमारे पुलिस बलों के शौर्य, पराक्रम, बलिदान, देश-प्रेम, सजगता और इतिहास की याद दिलाता है। इनके चौकन्नेपन के कारण ही देश में कानून व्यवस्था कायम रहती है और विकास के नए आयाम स्थापित होते है। श्री साय ने कहा कि पुलिस जवान नक्सल पीड़ित क्षेत्रों के विकास और दुर्गम क्षेत्रों तक शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाने में अपना योगदान दें रहें है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों को अधिक से अधिक संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध कराने के हमारे प्रयासों में भारत सरकार का भरपूर सहयोग और समर्थन मिल रहा है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह के ऊर्जावान नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ ने आने वाले दो वर्षों के भीतर प्रदेश से नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हमारे पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों के शौर्य, पराक्रम और कौशल से हम निर्धारित समय में इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।

पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा ने भी श्रद्धांजलि उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि अपराध एवं अपराधियों की रोकथाम के लिए पुलिस सदैव तत्पर है। वीर जवानों का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जायेगा।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ, अरूण देव गौतम, महानिदेशक होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा एवं फायर ब्रिगेड सेवा, हिमांशु गुप्ता, महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, पुलिसकर्मी व शहीद जवानों के परिजन उपस्थित थे।

देर से अस्पताल पहुंचने पर 47 डॉक्टरों को सिविल सर्जन ने थमाया नोटिस, बिफरे डॉक्टरों ने लगाया यह आरोप…

बिलासपुर-   सुबह की पाली में देर से और शाम को अनुपस्थित रहने वाले जिला अस्पताल व मातृ शिशु अस्पताल के 47 डॉक्टरों को नोटिस थमाया गया है. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन की ओर से जारी नोटिस में 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा गया है. सिविल सर्जन के इस आदेश के बाद डॉक्टर विरोध पर उतर आए हैं.

जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता और डॉक्टरों के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है. एक-दूसरे के खिलाफ दोनों पक्षों की ओर से कलेक्टर से भी लगातार शिकायतें की जा रही हैं. सिविल सर्जन कई बार बोल चुके हैं कि अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कड़ाई बरती जा रही है.

ऐसे में सिविल सर्जन डॉ अनिल गुप्ता ने जुलाई, अगस्त, सितम्बर के बायोमैट्रिक्स अटेंडेंस का रिकार्ड को चेक करने के बाद काम में देरी से पहुंचने और काम से अनुपस्थित रहने वाले डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है. इधर डॉक्टरों का आरोप है कि ओवर ड्यूटी करने, सरकारी छुट्टी के दिन को भी अनुपस्थित बताया जा रहा है.

सबसे बड़े नक्सल एन्काउंटर के बाद नक्सलियों ने जारी किया पर्चा, विरोध दिवस मनाने का किया आह्वान
जगदलपुर-   छत्तीसगढ़ में  4 अक्टूबर को हुए सबसे बड़े नक्सल एनकाउंटर के बाद नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी ने पर्चा जारी किया है. नक्सलियों ने स्वीकार किया है कि दो अलग-अलग मुठभेड़ों में कुल 38 नक्सली मारे गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने पर्चा जारी कर बताया है कि कैसे वे सुरक्षा जवानों के घेरे में फंसे. लेकिन उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि मुठभेड़ में हुए एन्काउंटर में स्थानीय आदिवासियों की भी हत्या हुई है.

नक्सलियों की तरफ से जारी पर्चे में बताया गया है कि नक्सलियों की कमांडर नीति बीमार थी. वह हथियार उठाने के हालात में भी नहीं थी. वहीं इस एन्काउंटर के खिलाफ नक्सलियों ने 21 और 22 अक्टूबर को देशभर में विरोध दिवस मनाने के लिए आह्वान किया है.

बता दें, दंतेवाड़ा डीआरजी, नारायणपुर डीआरजी और एसटीएफ की संयुक्त टीम 3 अक्टूबर को थुलथुली नेंदुर क्षेत्र में पूर्वी में गश्त पर निकली थी. इसी दौरान नेंदूर-थुलथुली के जंगल में 4 अक्टूबर को सुबह से लेकर रात तक पुलिस-नक्सल मुठभेड़ हुई, जिसमें 38 नक्सलियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था. वहीं सभी सुरक्षा बल सुरक्षित वापिस लौटे थे. यह मुठभेड़ इस वर्ष की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है.

देखें नक्सलियों की तरफ से जारी पर्चा:

पीसीसी चीफ दीपक बैज का बड़ा बयान, कहा- रायपुर दक्षिण के लिए आज होगी कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा…

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मीडिया से चर्चा में पहले स्पष्ट किया कि रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव के लिए अभी प्रत्याशी तय नहीं हुआ है. आज शाम तक नाम को घोषणा होगी. वहीं चुनाव के लिए सभी वरिष्ठ नेताओं को वार्डों की भी जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा पार्षदों, छाया पार्षदों को भी जिम्मेदारी दे दी गई है.

भाजपा से सुनील सोनी उम्मीदवार

बता दें कि भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई रायपुर दक्षिण सीट पर 13 नवंबर को उप चुनाव होगा. भाजपा ने गहन मंथन के बाद पूर्व सांसद सुनील सोनी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. लेकिन कांग्रेस अभी तक भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है. 

पुलिस ने लग्जरी गाड़ियों से तस्करी का किया भंडाफोड़, 3 अंतरराज्यीय तस्कर गिरफ्तार, 25 लाख का गांजा जब्त

रायपुर-   राजधानी रायपुर में मंदिरहसौद पुलिस और एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट की संयुक्त टीम ने लग्जरी गाड़ियों से गांजा तस्करी कर रहे 3 अंतरराज्यीय तस्करों को गिरफ्तार किया है। इन तस्करों के पास से पुलिस ने करीब 165 किलों गांजा बरामद किया है जिसकी कीमत 24.75 लाख रुपए बताई जा रही है। तस्करों ने पुलिस को देखकर भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने तुरंत पीछा कर उन्हें पकड़ लिया। गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों से पूछताछ जारी है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

बता दें कि मंदिरहसौद पुलिस और एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट को मुखबिर से सूचना मिली थी कि ओडिशा से महासमुंद होते हुए रायपुर की ओर गांजे की बड़ी खेप लाई जा रही है। इसके बाद थाना मंदिरहसौद पुलिस ने नाकाबंदी की और महासमुंद की ओर से आ रही संदिग्ध गाड़ियों को रोककर तलाशी ली। एक्सयूवी 500 (सीजी 13 एस 0999) और थार (सीजी 04 पीएफ 6897) वाहनों से 165 किलो गांजा बरामद किया गया।

जानकारी के मुताबिक, गांजा तस्करी के आरोप में पुलिस ने 3 युवकों को गिराफ्तार किया है, जिनमें से एक भूपेंद्र कुमार देवदास ( उम्र 33 वर्ष) राजनांदगांव और अन्य दो वसीम अहमद (उम्र 29 वर्ष) , शहजाद खान (उम्र 30 वर्ष) राजस्थान के रहने वाले है। इन तस्करों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 20बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस ने इन तस्करों के पास से बरामद 165 किलोग्राम गांजा, एक XUV 500 कार कमांक CG 13 S 0999 और एक THAR कार CG 04 PF 6897 जब्त किया गया है, जिसकी कुल कीमत 54.75 लाख रुपए है।

डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह बने संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के नए कुलपति, राज्यपाल रमेन डेका ने जारी किया आदेश

रायपुर-     राज्यपाल रमेन डेका ने छत्तीसगढ़ शासन से परामर्श पर डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह (प्रोफसर प्राणीशास्त्र) को संत गहिरा गुरू यूनिवर्सिटी सरगुजा का नया कुलपति नियुक्त किया है। डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह वर्तमान में स्व. श्री महली भगत कॉलेज कुसमी बलरामपुर में बतौर प्रोफेसर पदस्थ थे। राज्यपाल रमेन डेका ने तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक उन्हें विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त करने का आदेश जारी किया है।

देखें आदेश –

मुख्यमंत्री ने पुलिस स्मृति दिवस पर वीर शहीदों को दी विनम्र श्रद्धांजलि
रायपुर-     मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर वीर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पुलिस स्मृति दिवस हर साल 21 अक्टूबर को उन वीर पुलिसकर्मियों के सम्मान में मनाया जाता है जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। यह दिन हमें हमारे देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिसकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सुरक्षा बलों और पुलिस के वीर शहीदों द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान दिए सर्वाेच्च बलिदान पर पूरे देश को गर्व है।
पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल, रायपुर रेंज आईजी ने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को किया इधर से उधर, देखें लिस्ट

रायपुर-  रायपुर रेंज के पुलिस विभाग में बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों का तबादला हुआ है. जिसमें सहायक उप निरीक्षक (ASI), प्रधान आरक्षक और आरक्षकों को इधर से उधर किया गया है. यह ट्रांसफर आदेश आईजी अमरेश कुमार मिश्रा ने जारी की है.

देखें सूची –

छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य सम्मेलन: नंदकिशोर शुक्ल ने कहा- छत्तीसगढ़ियों के साथ हुआ षड्यंत्र, नहीं मिलने दिया छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य का दर्जा
रायपुर-   राजधानी में रविवार को छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में साहित्यकार, संस्कृति विशेषज्ञ, रंगकर्मी, पत्रकार, शिक्षक, लोक कलाकार, कर्मचारी नेता, छात्र, और संगठन सेनानी शामिल हुए। सम्मेलन का विषय था – ‘छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य का दर्जा’। सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संरक्षक नंदकिशोर शुक्ल ने संबोधित किया। शुक्ल ने दस्तावेजी प्रमाणों के साथ बताया कि राज्य निर्माण के साथ ही छत्तीसगढ़ियों के साथ एक बड़ा षड्यंत्र हुआ था।

छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संरक्षक नंदकिशोर शुक्ल ने कहा कि 2001 से लेकर 2003 तक केंद्र और राज्य सरकार के बीच क और ख श्रेणी को लेकर कई पत्र व्यवहार हुए। इस पत्र व्यवहार में केंद्र से जब यह पूछा गया था कि छत्तीसगढ़ को किस राज्य की श्रेणी में रखा जाए तो साजिशन छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य को क श्रेणी में रखवा दिया गया। क श्रेणी हिंदीभाषी राज्यों के लिए है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य को ख श्रेणी में रखा जाना चाहिए था क्योंकि यह छत्तीसगढ़ की पहचान छत्तीसगढ़ी राज्य के तौर पर है। ख श्रेणी में छत्तीसगढ़ी और हिंदीभाषी राज्य को रखा जाता है।

इस षड्यंत्र का बड़ा नुकसान आज छत्तीसगढ़ियों को उठाना पड़ा है। छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर संघर्ष की स्थिति इस श्रेणी के चलते पैदा हुई है। आज भी यह संघर्ष जारी है। 2007 में छत्तीसगढ़ीभाषियों के आंदोलन के बाद राज्य में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन इसमें भी छत्तीसगढ़ियों के साथ छल हुआ। छत्तीसगढ़ी को हिंदी के बाद द्वितीय भाषा घोषित कर दिया गया। इसी तरह 2008 में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग गठित किया गया था, लेकिन बाद में षड्यंत्र के तहत इसमें भी बदलाव कर इसे छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग कर दिया गया।

2020 में केंद्र सरकार की ओर से नवा शिक्षा नीति के तहत छत्तीसगढ़ में भाषायी सर्वेक्षण कराया गया, तो यह पाया गया कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ 5 फीसदी लोगों की मातृभाषा हिंदी है, जबकि 65 फीसदी से अधिक लोगों की मातृभाषा छत्तीसगढ़ी है। बावजूद इसके अभी भी छत्तीसगढ़ियों के साथ छल और षड्यंत्र चल रहा है। आज भी स्कूलों में माध्यम भाषा छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई नहीं हो रही है। यह मोदी सरकार की गारंटी के खिलाफ भी है, जिसमें नवा शिक्षा नीति में यह बात कही गई है।

सम्मेलन को संस्कृति विशेषज्ञ अशोक तिवारी, साहित्यकार सुधीर शर्मा सहित कई अन्य लोगों ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ हो रहे छल और षड्यंत्र के मुद्दे पर जल्द ही राज्य के मंत्रियों और मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और यह मांग करेंगे कि छत्तीसगढ़ीभाषी राज्य का दर्जा दिलाने के लिए सरकार विशेष प्रयास करें। छत्तीसगढ़ी को सरकारी काम-काज और पढ़ाई का माध्यम भाषा बनाने का स्पष्ट निर्देश जारी करें।

सम्मेलन में विशेष रूप से वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी, बृजेश चौबे, प्रकाश शर्मा, गुलाल वर्मा, प्रफुल्ल ठाकुर, विधि विशेषज्ञ राजीव तिवारी, प्रोफेसर डॉ. तपेशचंद्र गुप्ता, डॉ. प्रीति सतपथी, डॉ. गार्गी पांडेय, डॉ. राहुल तिवारी, शिक्षक संघ वीरेंद्र दुबे, अमित शुक्ला, रंगकर्मी विजय मिश्रा, विकास शर्मा, कर्मचारी नेता सीएल दुबे, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना अध्यक्ष दिलीप मिरी सहित छात्र संगठन के पदाधिकारी शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वैभव बेमेतरिहा ने किया।