महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करेंगे अखिलेश जहां AIMIM का है मजबूत आधार, पढ़िए, कैसे दिलचस्प होगा
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर हमेशा से तनाव रहा है। अब, अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी के प्रभाव को कम करने के लिए एक नई रणनीति बनाई है।
अखिलेश यादव ने अपने मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करने का निर्णय लिया है, जहां AIMIM का मजबूत आधार है। वे 17 और 18 अक्टूबर को महाराष्ट्र के मालेगांव और धुले में कार्यक्रमों में भाग लेने जा रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में मालेगांव और धुले में AIMIM ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिससे यह स्पष्ट है कि यह क्षेत्र ओवैसी के लिए महत्वपूर्ण है। अखिलेश यादव अब ओवैसी के गढ़ से अपनी चुनावी ताकत को दिखाना चाहते हैं। ओवैसी ने लगातार यह दावा किया है कि कांग्रेस और एनसीपी केवल मुस्लिम वोट लेते हैं लेकिन उनके मुद्दों की अनदेखी करते हैं। वे मुस्लिमों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए इसी नारे का उपयोग कर रहे हैं। इसके विपरीत, अखिलेश यादव का प्रयास है कि वे ओवैसी की पार्टी से मुस्लिम वोटरों का समर्थन प्राप्त करें। हालाँकि, महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और NCP (शरद गुट) की नज़र भी मुस्लिम वोटर्स पर हैं, जो भाजपा के खिलाफ किसी भी विपक्षी पार्टी को एकमुश्त वोट देते रहे हैं, फिर चाहे उम्मीदवार कोई भी हो। उद्धव गुट और कांग्रेस में तो मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर खींचतान भी चल रही है, क्योंकि इन सीटों पर विपक्ष की जीत की संभावना अधिक है, अब इन्ही वोटर्स के लिए सपा और AIMIM ने भी बाहें खोलना शुरू कर दिया है।
सपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन 2009 में सबसे अच्छा रहा था, जब उन्होंने 4 सीटें जीती थीं। हाल के चुनावों में यह संख्या घटकर एक और दो रह गई। सपा की योजना 2024 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अधिक से अधिक सीटें जीतने की है, जिसमें मालेगांव, भायखला, और ठाणे जैसी सीटें शामिल हैं। अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन में भी भागीदारी की योजना बनाई है और 12 सीटों की मांग रखी है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि वे ओवैसी के प्रभाव को चुनौती दें और यह संदेश दें कि मुस्लिम समुदाय का विश्वास ओवैसी पर नहीं, बल्कि सपा पर है। अब यह देखना होगा कि महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय पर कौन अधिक प्रभाव डालने में सफल होता है और चुनावी खेल में किसकी रणनीति सफल होती है।
Oct 18 2024, 19:01