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संसद-हाईकोर्ट-एयरपोर्ट, सब वक्फ की जमीन पर, मुस्लिमों को वापस दे सरकार, वरना अंजाम भुगतना होगा..', अजमल की धमकी से फैली सनसनी

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बुधवार को विवादास्पद बयान देकर सनसनी फैला दी है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में संसद भवन और उसके आसपास का इलाका वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बना है। उन्होंने कहा कि वसंत विहार से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट तक का क्षेत्र वक्फ की जमीन पर बना हुआ है और सरकार इस 9.7 लाख बीघा वक्फ संपत्ति को हड़पना चाहती है। अजमल ने सरकार से मांग की है कि यह जमीन मुस्लिम समाज को वापस दी जाए।

अजमल ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों की सूची सामने आ रही है और यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के इन जमीनों का इस्तेमाल कर रही है, जो गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा जारी रहा, तो मोदी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने इस मामले को लेकर अजमल और कांग्रेस की आलोचना की है। उधर, विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में संसदीय आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण ढंग से संचालित किया।

विपक्षी सांसदों का कहना है कि पाल ने कर्नाटक वक्फ घोटाला रिपोर्ट 2012 पर आधारित वक्फ विधेयक के तहत अनवर मणिप्पाडी को समिति के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने का निमंत्रण दिया था, जो समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उनका यह भी दावा है कि JPC की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप लगाए गए थे, जो कि विधेयक से संबंधित नहीं थे।

बता दें कि, अनवर ने आरोप लगाए थे कि खड़गे ने अपने राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए वक्फ की जमीन हड़पी है, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया था। वहीं, हाल ही में कांग्रेस प्रमुख खड़गे के परिवार पर कर्नाटक में भी डिफेंस के लिए आवंटित 5 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप लगा था, जब इस मामले में भाजपा ने शिकायत की, और जांच का खतरा मंडराने लगा, तो खड़गे परिवार ने चुपचाप 5 एकड़ जमीन सरकार को वापस सौंप दी। वहीं, कर्नाटक के सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने MUDA घोटाला यानी अपनी सस्ती जमीन के बदले सरकार से पॉश इलाके में 14 सम्पत्तियाँ ले ली थीं, पहले तो सिद्धारमैया इस आरोप से इंकार करते रहे। फिर जब गवर्नर ने जांच का आदेश दिया, तो सिद्धरमैया हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, और अदालत ने कहा कि तथ्यों और सबूतों को देखते हुए इस मामले की जांच जरूरी है। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी ने वो 14 सम्पत्तियाँ चुपचाप सरकार को लौटा दी। जिसके बाद से गंभीर सवाल खड़े हुए थे कि, अगर कांग्रेस नेताओं ने घोटाला नहीं किया, तो वो जमीनें वापस क्यों लौटा रहे हैं।

वक्फ बिल पर भारत सरकार के 4 मुख्य संशोधन

इसमें चार मुख्य संशोधन हैं, पहले हम कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून की बात करें तो, इसमें सेक्शन 40 के तहत पहला प्रावधान ये था कि, अगर वक्फ अपने विश्वास के आधार पर किसी भी संपत्ति पर अपना दावा ठोंकता है, तो वो संपत्ति वक्फ की हो जाएगी, उसे कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं होगी और इस मामले में जिसे आपत्ति हो, वो वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाकर ही गुहार लगाए। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, पीड़ित, रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट आदि जा सकेगा।

कांग्रेस सरकार के कानून में दूसरा प्रावधान ये था कि, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा, यानी वो जो कहे, वही सत्य। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, इससे वक्फ की मनमानी ख़त्म होगी।

कांग्रेस सरकार के कानून के मुताबिक, तीसरा प्रावधान ये था कि, कहीं कोई मस्जिद है, मजार है, मदरसा है, या जमीन को इस्लामी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो जमीन अपने आप वक्फ की हो जाएगी, भले ही उसे किसी ने दान किया हो या नहीं। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बयान में कह ही चुके हैं कि, ''एक बार जब मुस्लिम किसी जगह को इबादतगाह के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देता है तो वह जगह हमेशा के लिए मुस्लिमों की संपत्ति बन जाती है और अब मोदी सरकार उस प्रावधान को बदल रही है।'' ऐसे में अगर समुदाय, किसी पार्क, मैदान, रेलवे स्टेशन को इबादतगाह मानकर वहां नमाज़ पढ़ने लगेगा, तो क्या वो जमीन वक्फ की हो जाएगी ? इस मामले में भाजपा सरकार का संशोधन ये है कि, जब तक कोई जमीन वक्फ को दान ना की गई हो, तब तक वो संपत्ति वक्फ की नहीं हो सकती, भले ही वहां मस्जिद या मज़ार मौजूद हो।

कांग्रेस सरकार के कानून के चौथे प्रावधान के मुताबिक, वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाएगा। भाजपा सरकार का कहना है कि, बोर्ड में 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोगों को सदस्य बनाया जाएगा।

आज वक्फ के पास देश की 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन है, जो भारतीय सेना और भारतीय रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है।

अरुणकुमार नंबूदरी बने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के नए मुख्य पुजारी, जानिए, क्या है चयन प्रक्रिया और कैसे किया गया चयन

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के नए मुख्य पुजारी के रूप में एस अरुणकुमार नंबूदरी को चुना गया है। अरुणकुमार, जो कि कोल्लम के शक्तिकुलंगरा के निवासी हैं, 15 नवंबर को सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मेलशांति (मुख्य पुजारी) का कार्यभार संभालेंगे। इससे पहले वे तिरुवनंतपुरम के अट्टुकल मंदिर में भी मुख्य पुजारी रह चुके हैं।

अरुणकुमार ने पुजारी चुने जाने पर खुशी जताते हुए इसे भगवान अयप्पा की कृपा बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस खबर की जानकारी सुबह की पूजा के बाद मिली। उनका नाम पिछले छह साल से ड्रा में था, और उन्होंने इस मौके का धैर्यपूर्वक इंतजार किया। अरुणकुमार का कहना है कि उन्होंने बचपन से भगवान अयप्पा की सेवा का संकल्प लिया है और वे अपना पूरा जीवन इसी में समर्पित करेंगे। त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) ने कुल 24 पुजारियों के पैनल से अरुणकुमार को ड्रा के जरिए सबरीमाला मंदिर का मुख्य पुजारी चुना है। इसी तरह, कोझिकोड के वासुदेवन नंबूदरी को मलिकप्पुरम देवी मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में चुना गया है। दोनों पुजारी अगले साल तक अपने पदों पर रहेंगे।

यह चयन प्रक्रिया पंडालम राजपरिवार के ऋषिकेश वर्मा के द्वारा लकी ड्रॉ के माध्यम से की गई, जिसमें पर्ची राजपरिवार की वैष्णवी द्वारा निकाली गई। अरुणकुमार अयप्पा मंदिर के 16वें मेलशांति बने हैं। वे बचपन से ही मंदिर के माहौल में पले-बढ़े हैं, क्योंकि उनके पिता भी श्री धर्म सष्णा मंदिर में पुजारी थे, और अरुणकुमार उन्हें पूजा में सहायता करते थे।

हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी सरकार, नायब सैनी बने सीएम, ये चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल
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* हरियाणा में भाजपा ने तीसरी बार सरकार बना ली है। नायब सैनी ने पंचकूला में आयोजित भव्य समारोह में सीएम पद की शपथ ली। उनके साथ ही 13 मंत्रियों ने भी पद की शपथ ली।सबसे पहले नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद दूसरे नंबर पर अनिल विज को शपथ दिलाई गई। *अनिल विज ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* नायब सिंह सैनी के बाद अनिल विज ने मंत्री पद की शपथ ली। अनिल विज हरियाणा में बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक हैं। उन्होंने अंबाला कैंट निर्वाचन क्षेत्र से लगातार सातवीं बार जीत हासिल की। विज मनोहर लाल खट्टर के सरकार में हरियाणा के गृह मंत्री थे। विज के पास स्वास्थ्य और खेल जैसे कई विभाग भी रहे हैं। साल 2014 से पहले वह राज्य में बीजेपी विधायक दल के नेता थे। विज पंजाबी समुदाय से आते हैं। *कृष्ण लाल पंवार बने कैबिनेट मंत्री* अनिल विज के बाद बीजेपी विधायक कृष्ण लाल पंवार ने मंत्री पद की शपथ ली। वह दूसरी बार मंत्री बने हैं। पंवार दलित समुदाय से आते हैं। कृष्ण लाल पंवार पानीपत के इसराना सीट से विधायक हैं। वह कुल सात बार विधानसभा चुनाव लड़े जिनमें से पांच बार जीत दर्ज की। पंवार ने अभी हाल में ही राज्यसभा सांसद से इस्तीफा दिया था। कृष्ण लाल कभी पानीपत के थर्मल फ्लांट में बिजली बोर्ड के कर्मचारी थे। उन्होंने इनेलो से राजनीतिक पारी शुरू की। वह इनेलो छोड़कर 2014 में बीजेपी में शामिल हुए। *विपुल गोयल क मिला कैबिनेट मंत्री का पद* विपुल गोयल फरीदाबाद सीट से जीते हैं। वह वैश्य समुदाय से आते हैं। गोयल दूसरी बार मंत्री बने हैं। गोयल 2014 में भी विधायक बने थे। जब 2016 से जब मनोहर लाल कैबिनेट का विस्तार हुआ तो विपुल गोयल को पर्यावरण एवं उद्योग मंत्री बनाया गया था। *राव नरवीर सिंह ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* गुरुग्राम के बादशाहपुर से विधायक राव नरवीर को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। नरवीर तीसरी बार विधायक बने हैं। 2019 में उनका टिकट काट दिया गया था। हालांकि 2024 में उन्हें टिकट मिला और कांग्रेस उम्मीदवार वर्धन यादव को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। नरवीर यादव समुदाय से आते हैं। *महिपाल ढांडा ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* बीजेपी नेता महिलापल ढांडा ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है। ढांडा जाट समुदाय से आते हैं। महिलापल लगातार दूसरी बार सैनी कैबिनेट में शामिल हुए हैं। वह पानीपत ग्रामीण सीट से विधायक हैं। वह 2019 में भी यहां से विधायक चुने गए थे। *श्रुति चौधरी ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* बीजेपी नेता श्रुति चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। वह तोशाम सीट से पहली बार विधायक बनी हैं। वह जाट समुदाय से आती हैं। श्रुति राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी हैं। श्रुति की मां किरण चौधरी भी हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। तोशाम सीट श्रुति चौधरी के परिवार के पास 50 साल से ज्यादा समय से है। मां-बेटी चुनाव से पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं। *आरती राव ने ली शपथ* नारनौल के अटेली विधान सभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक आरती राव राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी हैं। नव निर्वाचित विधायक आरती राव अंतरराष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी रही है। आरती राव ने 2001 तथा 2012 में शूटिंग वर्ल्ड कप में भाग लिया तथा चार बार एशियन चैंपियन में मेडल जीते। आरती ने 2017 में खेलों से संन्यास ले लिया और उसके बाद से राजनीति में रुचि ले रही हैं। हरियाणा विधान सभा चुनाव 2024 में आरती राव ने अटेली विधान सभा से पहली बार चुनाव लड़ा और एक कड़े मुकाबले में बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ठाकुर अतरलाल को 3000 मतों से शिकस्त देकर विधायक चुनी गई हैं। *अरविंद शर्मा बने कैबिनेट मंत्री* बीजेपी नेता अरविंद शर्मा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह 2024 के लोकसभा चुनाव में रोहतक से चुनाव हार गए थे। विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने गोहाना सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। अरविंद शर्मा 2019 में रोहतक से सांसद चुने गए थे। वह ब्राह्राण समुदाय से आते हैं। *श्याम सिंह राणा भी बने कैबिनेट मंत्री* राजपूत समुदाय से आने वाले श्याम सिंह राणा पहली बार कैबिनेट मंत्री बने हैं। वह यमुनानगर के रादौर सीट से विधायक बने हैं। रादौर सीट कांग्रेस से छीनकर उन्होंने बीजेपी की झोली में डाली जिसका फल उन्हें मंत्री पद के रुप में मिला। इससे पहले वह 2014 में भी यहां से विधायक बने थे। खट्टर सरकार में वह मुख्य संसदीय सचिव भी बनाए गए थे। *रणबीर गंगवा को भी बनाया गया मंत्री* रणबीर गंगवा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में वह डिप्टी स्पीकर थे। गंगवा हिसार जिले की बरवाला सीट से विधायक हैं। वह नलवा से भी विधायक रह चुके हैं। 2010 में वह इनेलो के टिकट पर राज्यसभा सांसद चुने गए थे। 2014 में उन्होंने इनेलो के टिकट पर नलवा सीट जीत दर्ज की। 2019 में बीजेपी के टिकट पर नलवा से लड़े और जीत भी दर्ज की। इस तरह गंगवा लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। दो बार बीजेपी के टिकट पर विधायक बने। रणबीर गंगवा ओबीसी समुदाय से आते हैं।
चीन ने ताइवान को चौतरफा घेरा, क्या अटैक की है तैयारी?

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दुनिया युद्ध की चपेट में हैं। एक तरफ इजराइल-हमास के बीच जंग जारी है तो दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन के बीच। मिडिल ईस्ट और यूक्रेन-रूस के बाद जंग का तीसरा फ्रंट खुल रहा है। इस युद्ध का सेंटर ताइवान होगा। चीन और ताइवान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। चीन लगातार ताइवान में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। गुरुवार सुबह एक बार फिर चीन के 20 विमानों और आठ नौसैनिक जहाजों ने ताइवान में प्रवेश किया।

चीन ने ताइवान के पास ‘ज्वॉइंट स्वॉर्ड-2024 नाम से एक्सरसाइज’ की। कुल 9 जगहों पर चीन ने अपनी सेना तैनात की। इस मिलिट्री ड्रिल में चीन की नेवी और एयरफोर्स शामिल हुई। चीन के नेवी की जंगी वॉरशिप ‘लियाओनिंग’ भी इस युद्धाभ्यास में शामिल की गई। चीन की ज्यादातर कोशिश ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों पर नाकाबंदी करने की थी। इस एक्सरसाइज के बाद चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेर लिया है। चीन इस मिलिट्री ड्रिल के बहाने ताइवान के आसपास बारूद बरसा रहा है। साथ ही तेजी के साथ ताइवान की सीमा के करीब आ रहा है। चीन के कई युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर ताइवान को घेरे हुए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के 153 एयरक्राफ्ट ताइवान के पास देखे गए। इसमें 111 एयरक्राफ्ट ने मीडियन लाइन को पार किया. मीडियन लाइन को चीन सीमा रेखा नहीं मानता है।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के लड़ाकू विमान, वॉरशिप और जहाज ताइवान की सीमा के करीब देखे गए। ताइवान ने भी चीन की हरकतों का माकूल जवाब दिया। चीन के खतरे को देखते हुए ताइवान ने अपने एयरफोर्स को रेडी-टू-अटैक मोड में रखा है और चीन को जवाबी हमले की चेतावनी भी दे दी है। ताइवान की सेना ने चीन के युद्धाभ्यास के बाद अपने ड्रोन और मिसाइलों तैनात कर दी हैं। ताइवान के ड्रोन और मिसाइलें समुद्री सीमा के पास चीन की सेना को करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं। ताइवान स्ट्रेट में ताइवान के ड्रोन चीन की सेना के हर कदम पर बराबर निगाह रखे हुए हैं। इसके अलावा ताइवान ने अपने वॉरशिप, लड़ाकू विमान और एंटी-शिप मिलाइलें भी तैनात कर दी हैं।

ताइवान का क्‍या रहा है इत‍िहास ?

ली ने एक बयान में कहा, ‘यह उन लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं और हमारी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।’ इसके साथ ही चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय ने सोमवार को घोषणा की कि वह ताइवान की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के काम के लिए ताइवान के दो लोगों पूमा शेन और रॉबर्ट त्साओ पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में चीन के साथ एकीकृत होने से पहले ताइवान एक जापानी उपनिवेश था। 1949 में यह उससे अलग हो गया जब माओ त्से तुंग के कम्युनिस्टों के चीन में सत्ता में आने के बाद उनके विरोधी च्यांग काई-शेक के समर्थक भागकर ताइवान आ गए।

नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, धारा 6A की वैधता बरकरार रखी

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए को संवैधानिक करार दिया है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया। 

सुप्रीम कोर्ट असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में संशोधन के माध्यम से जोड़े गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की सांविधानिक वैधता को चुनौती वाली याचिकाओं पर गुरुवार को फैसला सुनाया। इस धारा को असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में एक संशोधन के माध्यम से संविधान मे शामिल किया गया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा ने बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई।

बहुमत के फैसले को पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि धारा 6A का अधिनियमन असम के सामने आने वाली एक अनूठी समस्या का राजनीतिक समाधान था क्योंकि बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में अवैध प्रवासियों के भारी संख्‍या में यहां आने से इसकी संस्कृति और डेमोग्राफी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सिटिजनशिप एक्‍ट पर कहा, केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि यह असम के लिए था। आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति आदि पर उनका प्रभाव असम में अधिक है। असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है, क्योंकि असम का भूमि क्षेत्र पश्चिम बंगाल से कम है।

नागरिकता कानून 1955 की धारा 6A क्या है?

यह धारा 1955 के अधिनियम में राजीव गांधी सरकार द्वारा 1985 में डाला गया एक विशेष प्रावधान है, जिसके तहत 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान की गई। असम समझौते के बाद 1985 में लागू किए गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6A ने 1966-1971 के बीच भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों की नागरिकता पर रोक लगा दी और उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया था।

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: ऑस्ट्रेलिया-तुर्की में बनी पिस्तौल, यूट्यूब पर ट्रेनिंग, एक-एक कर खुल रहे राज

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महाराष्ट्र में एनसीपी के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी शूट आउट केस में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इसी क्रम में अब मुंबई पुलिस ने बताया है कि एनसीपी नेता की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल बरामद कर ली गईं हैं। दावा किया गया कि इनमें से एक ऑस्ट्रेलियाई मेड ग्लॉक पिस्‍टल तो दूसरी तुर्की मेड पिस्‍टल है। वहीं तीसरी एक देसी पिस्‍टल है। पुलिस ने तीनों हथियार बरामद कर लिए हैं। इससे पहले, मुंबई पुलिस ने बताया था कि जांच में पता चला है कि हत्या में शामिल शूटर्स ने यूट्यूब पर वीडियो देखकर हथियार चलाना सीखा था।

मुंबई पुलिस पहले ही यह साफ कर चुकी है कि वारदात से चंद दिन पहले ही शूटर्स के पास ये हथियार पहुंचाए गए थे। हमलावरों ने यूट्यूब पर वीडियो देखकर ये पिस्टल चलानी सीखी थी। बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर की रात को उनके विधायक बेटे जीशान सिद्दीकी के निर्मल नगर इलाके में मौजूद ऑफिस के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में पुलिस के अनुसार तीन शूटरों ने उनकी हत्या की थी। हालांकि मामले में मुबंई पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस पुलिस ने अब तक जिन चार लोगों को अरेस्‍ट किया है, जिनमें दो कथित शूटर हरियाणा के रहने वाले गुरमेल बलजीत सिंह और उत्तर प्रदेश का धर्मराज राजेश कश्यप है। इसके अलावा हरीशकुमार बालकराम निषाद और पुणे का सह-साजिशकर्ता प्रवीण लोनकर भी इस हत्‍याकांड में शामिल हैं। निषाद और कश्यप उसी गांव के हैं, जहां का फरार आरोपी शिवकुमार गौतम है।

इस मामले में अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि शिवकुमार गौतम ने उत्तर प्रदेश में शादियों में जश्न के दौरान की जाने वाली फायरिंग के दौरान बंदूक चलाना सीखा था। अधिकारी ने गुरमेल सिंह और धर्मराज कश्यप से पूछताछ का हवाला देते हुए बताया कि शिवकुमार गौतम को इस वारदात में 'मुख्य शूटर' के तौर पर रखा गया था, क्योंकि वह बंदूक चलाना जानता था।

उन्होंने बताया कि शिवकुमार गौतम ने ही धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह को कुर्ला में किराए के घर में हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया था, जहां उन्होंने खुली जगह की कमी के कारण ड्राई प्रैक्टिस (बिना गोली के गोली चलाना) किया था। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने करीब चार हफ्ते तक यूट्यूब वीडियो देखकर हथियार लोड करना और उतारना सीखा। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि कथित सह-षड्यंत्रकारियों में से एक शुभम लोनकर से पुलिस ने जून में अभिनेता सलमान खान के बांद्रा में मौजूद घर के बाहर गोलीबारी के सिलसिले में पूछताछ की थी, ये पूरी वारदात कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के नेटवर्क से जुड़ी हुई है।

जस्टिस संजीव खन्ना होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई चंद्रचूड़ ने की सिफारिश

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। 10 नवंबर 2024 को वो रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश कर दी है। सीजेआई ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर जस्टिस खन्ना के नाम का प्रस्ताव रखा है। मोदी सरकार को भेजी गई सिफारिश में उन्होंने कहा है कि संजीव खन्ना देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे।

सरकार ने पिछले शुक्रवार को निवर्तमान सीजेआई को पत्र लिखकर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार अपनी सिफारिश भेजने को कहा था।केंद्र सरकार ने स्थापित नियमों के तहत सीजेआई से पिछले शुक्रवार को अनुरोध किया था कि वह अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाएं। इसी के जवाब में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने संजीव खन्ना की सिफारिश की है।

केंद्र सरकार की ओर से सीजेआई चंद्रचूड़ की सिफारिश को स्वीकार कर लिया जाता है, तो जस्टिस खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। सीजेआई के रूप में जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक करीब 7 महीने का होगा।

जस्टिस संजीव खन्ना भारतीय न्यायपालिका में अपनी निष्पक्षता और कानूनी विद्वता के लिए जाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत होने से पहले वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं। उन्हें 18 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था। जस्टिस संजीव खन्ना को जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जब पदोन्नत किया गया तो उनकी नियुक्ति ने विवाद खड़ा कर दिया था। दअरसल, उम्र और अनुभव में उनसे अन्य सीनियर जज लाइन में होने के बावजूद उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। 

जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस हंसराज खन्ना के भतीजे हैं। उनके चाचा ने कई अहम फैसले सुनाए थे। इसके अलावा, जस्टिस संजीव खन्ना के पिता जस्टिस देव राज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।

भारत-कनाडा संबंधों के नुकसान की जिम्मेदार सिर्फ ट्रूडो', कनाडाई पीएम के कुबूलनामे के बाद बोला भारत

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बीते एक साल से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत को घेर रहे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खुद अपनी पोल खोल दी है। कनाडाई पीएम ट्रूडो ने बुधवार को स्वीकार किया कि उन्हें खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकार के एजेंटों के शामिल होने के बारे में केवल खुफिया जानकारी थी, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं था।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को विदेशी हस्तक्षेप जांच के सामने गवाही दी।ट्रूडो ने कनाडा में हुए चुनावों की जांच के लिए बनी विदेशी हस्तक्षेप समिति के समक्ष कहा कि निज्जर हत्याकांड में भारत पर सार्वजनिक आरोप लगाने से पहले कनाडा की एजेंसियों ने भारत के साथ पर्दे के पीछे से काम करने की कोशिश की थी।उन्होंने कहा कि जब कनाडा की जांच एजेंसियों ने भारत से आरोपों की जांच करने को कहा था, तो उन्होंने सबूत मांगे थे। उन्होंने माना कि उस समय सिर्फ इंटेलिजेंस साझा किए गए थे और कोई ठोस सबूत नहीं था।

अब इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। विदेश मंत्रायल की ओर से कहा गया है कि उसने जो सुना है वह नई दिल्ली के लगातार रुख की पुष्टि करता है। हम लगातार यह कहते आ रहे हैं कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने के लिए कोई सबूत नहीं दिए हैं।

कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के बयान से संबंधित मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार तड़के एक बयान जारी किया। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, आज जो हमने सुना है, वह केवल उस बात की पुष्टि करता है जो हम लगातार कहते आ रहे हैं कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में हमें कोई भी सबूत पेश नहीं किया है। मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया है कि इस व्यवहार व्यवहार से भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान हुआ है, उसकी जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की ही है।

भारत ने भारतीय एजेंटों को कनाडा में आपराधिक गिरोहों के साथ जोड़ने के कनाडाई अधिकारियों के प्रयासों को दृढ़ता से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि ओटावा का यह दावा कि उसने निज्जर मामले में नई दिल्ली के साथ सबूत साझा किए थे, सच नहीं है। इसके अलावा, नई दिल्ली ने ट्रूडो के पिछले आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत उनके देश में कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाने वाले गुप्त अभियानों को अंजाम देने सहित अन्य गतिविधियों में शामिल था।

भारत ने इससे पहले सोमवार को छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और निज्जर की हत्या की जांच से दूत को जोड़ने के ओटावा के आरोपों को खारिज करने के बाद कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की भी घोषणा की थी।

हरियाणा में नायब सिंह सैनी की ताजपोशी आज, जानें कौन-कौन बन रहा मंत्री*
#nayab_singh_saini_oath_taking_ceremony
हरियाणा में आज नायब सिंह सैनी दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।पंचकूला में सैनी की ताजपोशी में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के बड़े नेता और मुख्यमंत्री शामिल होंगे। इसके लिए पंचकूला में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सैनी के साथ 12 से 13 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। नायब कैबिनेट में शामिल होने के लिए मंत्रियों को फोन जाने शुरू हो गए हैं। सैनी राज्य के 25वें सीएम के रूप में शपथ लेंगे।हालांकि इस पद को संभालने वाले वह 11वें शख्स होंगे। सुबह 11 बजे पंचकूला के शालीमार ग्राउंड में नायब सिंह सैनी का शपथ ग्रहण होगा। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत 37 नेता मौजूद रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, श्रुति चौधरी का मंत्री बनना तय है। गौरव गौतम भी नायब कैबिनेट में मंत्री होंगे. महिपाल ढांडा भी मंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा अनिल विज और कृष्ण लाल पंवार को भी शपथ के लिए फोन गया है। विपुल गोयल, राव नरबीर, आरती राव, कृष्ण बेदी, और रणबीर गंगवा भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में कई राज्यों के सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे। इससे पहले विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में बुधवार कोे विधायक कृष्णकुमार बेदी ने सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ नेता व विधायक अनिल विज ने इसका अनुमोदन किया। सभी विधायकों ने ध्वनिमत से सैनी के नाम पर मुहर लगा दी। इसके बाद सैनी ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया। सैनी ने उन्हें 48 विधायकों की सूची सौंपी। तीन निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल, राजेश जून व देवेंद्र कादियान ने भी राज्यपाल को भाजपा सरकार को समर्थन देने का पत्र सौंप दिया।
हरियाणा में नायब सिंह सैनी की ताजपोशी आज, जानें कौन-कौन बन रहा मंत्री

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हरियाणा में आज नायब सिंह सैनी दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।पंचकूला में सैनी की ताजपोशी में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के बड़े नेता और मुख्यमंत्री शामिल होंगे। इसके लिए पंचकूला में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सैनी के साथ 12 से 13 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। नायब कैबिनेट में शामिल होने के लिए मंत्रियों को फोन जाने शुरू हो गए हैं।

सैनी राज्य के 25वें सीएम के रूप में शपथ लेंगे।हालांकि इस पद को संभालने वाले वह 11वें शख्स होंगे। सुबह 11 बजे पंचकूला के शालीमार ग्राउंड में नायब सिंह सैनी का शपथ ग्रहण होगा। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत 37 नेता मौजूद रहेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, श्रुति चौधरी का मंत्री बनना तय है। गौरव गौतम भी नायब कैबिनेट में मंत्री होंगे. महिपाल ढांडा भी मंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा अनिल विज और कृष्ण लाल पंवार को भी शपथ के लिए फोन गया है। विपुल गोयल, राव नरबीर, आरती राव, कृष्ण बेदी, और रणबीर गंगवा भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में कई राज्यों के सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे।

इससे पहले विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में बुधवार कोे विधायक कृष्णकुमार बेदी ने सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ नेता व विधायक अनिल विज ने इसका अनुमोदन किया। सभी विधायकों ने ध्वनिमत से सैनी के नाम पर मुहर लगा दी। इसके बाद सैनी ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया। सैनी ने उन्हें 48 विधायकों की सूची सौंपी। तीन निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल, राजेश जून व देवेंद्र कादियान ने भी राज्यपाल को भाजपा सरकार को समर्थन देने का पत्र सौंप दिया।