मनोविज्ञान विभाग में अंतराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम एवं रैली
गोरखपुर। मनोविज्ञान विभाग , दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वियादलय में अंतराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ दिवस के उपलक्ष्य में ह्लसार्वभौमिक मानवीय मूल्यों का अभ्यास करके कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की शुरूआत कुलगीत एवं माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वल्लन एवं मलायार्पण के साथ हुआ. मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. धनञ्जय कुमार ने मुख्य अतिथि एवं सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं यह कहा कि इस वर्ष के थीम के अनुरूप यदि मानसिक स्वस्थ को बेहतर बनाना है तो मानवीय मूल्यों को महत्त्व देना आवश्यक है .
अधिष्ठाता, छात्र कल्याण , प्रो अनुभूति दूबे ने कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि आज के समाज में तनाव भयप्रद होता जा रहा है, क्यूंकि अब मृत्यु के एक प्रमुख कारणों में से यह एक है . अपने उद्बोधन में प्रो . दूबे ने कहा कि मानसिक बिमारियों के लक्षण पहचानने में हम अब भी गलती कर रहे हैं, क्यूंकि प्राय: अन्य बिमारियों के लक्षण से हम मानसिक बिमारियों के लक्षण को अलग नही कर पाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सभी से सर्वोपरि हमे मानसिक स्वास्थ्य को अपनी प्राथमिकता में रखना होगा .
तत्पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित प्रो. राजवंत राव , अधिष्ठाता, कला संकाय ने कहा कि मनोविज्ञान विभाग की भांति अन्य विभागों में भी समाज उन्मुखी कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए . उन्होंने कहा यह बहुत पीड़ादायक है कि देश की नीवं रखने वाले युवा के चेहरे की स्निग्धता गायब हो रही . इसके पीछे कि वजह है भारतीय संस्कृति से परिवार के व्यवस्था का खत्म होना . उन्होंने कहा कि आज समाज के लिए आवश्यक है कि मनुष्य जिस भी भूमिका में हो पहले स्वयं मनुष्य होने तथा उसके बाद अन्य भूमिका को चरितार्थ करें .
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं माननीय कुलपति, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय , प्रोफेसर पूनम टंडन महोदया, ने अपने उद्भोधन में यह कहा कि मानसिक स्वास्थ्य जीवन का वह अदृश्य पहलु है जिसके ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करना अति आवश्यक है . कार्यस्थल पर सृजनात्मक एवं नए तरह के चुनौतियों के कारण व्यक्ति निरंतर तनाव में है और यदि वह कार्य-जीवन संतुलन को स्थापित कर पाने में समर्थ नही होगा तो मानसिक बिमारियों से घिर जायेगा. माननीय कुलपति महोदया ने यह भी कहा कि कार्य-जीवन संतुलन को स्थापित करने में समय प्रबंधन एक महत्वपूर्ण बिंदु है . इसके साथ ही उन्होंने भागवत गीता का उल्लेख करते हुए स्वांत सुखाय की भावना को प्रत्येक कार्य में सम्मिलित करने को अभिप्रेरित किया. अंत में अपने उद्बोधन में उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के तीन प्रमुख कारकों को इंगित किया : बातचीत, कार्य जीवन संतुलन और सकारात्मकता .
कार्यक्रम की अगली कड़ी में स्नातकोत्तर प्रथम एवं तृतीय के छात्रों ने एक लघु नाटक के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य को स्टिग्मा (वर्तिकाग्र) न समझने का एक सन्देश दिया . तत्पश्चात कुलपति महोदया ने मानसिक जागरूकता रैली को हरि झंडी दिखाई , जिसके पश्चात सभी विद्यार्थी विभागीय शिक्षकों के निर्देश में विश्विद्यालय के विभिन्न विभागों में जाकर मानसिक स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल पे होने वाले मानसिक तनावों के प्रति अन्य को जागरूक किया .
मनोविज्ञान विभाग के तत्वाधान में डॉ विस्मिता पालीवाल ने इस कार्यकम का सफल संचालन एवं आयोजन सम्पन्न कराया . कार्यक्रम में प्रो सुधीर श्रीवास्तव , प्रोफ वी. एस. वर्मा , विभिन्न विभागों के शिक्षकगण एवं विभागीय शिक्षक डॉ गिरिजेश यादव, डॉ गरिमा सिंह, डॉ राम कीर्ति सिंह, डॉ प्रियंका गौतम, डॉ अमित त्रिपाठी एवं विभागीय छात्र उपस्थित रहे।
Oct 15 2024, 19:47