आज विजयदशमी !जानिये क्यों विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है.
आज विजयादशमी मनायी जा रही है. आश्विन शुक्ल दशमी तिथि 12 अक्टूबर को भोर 05:47 मिनट से लग चुकी है जो 13 अक्टूबर की भोर 04:19 तक रहेगी. वहीं, 12 अक्टूबर को ही नवरात्र व्रत की पारना एवं सायंकाल दुर्गा प्रतिमाओं का विजर्सन होगा.
वैसे तो विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. लेकिन, इस दिन कुछ कार्य से होते हैं जो करने अनिवार्य होते हैं. जिसमें शमी का पूजन भी करना जरूरी माना गया है,
विजयादशमी विजय मुहूर्त:
इस बारे में देखा जाये, तो आश्विन शुक्ल दशमी को श्रवण नक्षत्र के संयोग होने से विजयादशमी होती है. इस बार श्रवण नक्षत्र 11/12 की रात्रि 01:34 मिनट पर लगा है. जो 12/13 की मध्यरात्रि 12:52 तक रहेगी. प्राचीन समय में इस दिन राज्य वृद्धि की कामना और विजय प्राप्ति की कामना वाले राजा विजयकाल में प्रस्थान करने से आश्विन शुक्ल दशमी की सायंकाल विजयतारा. उदय होने के समय विजयकाल रहता है.
रावण का नाश होकर भगवान श्रीराम की विजय:
विजय मुहूर्त में जिस भी कार्य को प्रारंभ किया जाये उसमें विजय अवश्य प्राप्त होती है. इसलिए, इस मुहूर्त को अपुच्छ मुहूर्त भी कहा जाता है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने पम्पासुर के जंगल की समस्त वानरी सेना को साथ लेकर आश्विन सुदी दशमी की श्रवण नक्षत्र वाले रात्रि में प्रस्थान कर लंकापुरी पर चढ़ाई की थी. जिसका परिणाम यह हुआ, कि राक्षसराज रावण का नाश होकर भगवान श्रीराम की विजय हुई. इसलिए यह दिवस अतिपवित्र माना गया.
विजयादशमी को शमी पूजन का अत्यधिक महत्व शास्त्रों में कहा गया है.
शमी शमयते पापं शमी शत्रु विनाशनी. अर्जुनाय धनुर्धारी रामाय प्रियवादिनी. अर्थात हे शमी! पापों का नाश करने वाली है. शत्रुओं को नष्ट कर देने वाली है. तुम्हें अर्जुन को धनुष को धारण किया और रामचंद्र के प्रिय हैं. देखा जाये तो शमी वृक्ष का महत्व त्रेतायुग में श्रीरामचंद्र जी के समय तो था ही, महाभारत के द्वापरकाल में भी भगवान श्रीकृष्ण के समय में भी था.दुर्योधन से निर्वासित होकर वीर पांडव वन में अनेक कष्ट सहकर जब राजा विराट की नगरी में भेष बदलकर गए, तब अपने अस्त्रों को शमी वृक्ष के ऊपर रख गए थे.
विपत्ति काल में राजा विराट के यहां बिताया था. जिस समय शत्रुओं की रक्षा करने के लिए विराट के उत्तर कुमार ने अर्जुन को अपने साथ लिया और अर्जुन ने भी उसी शमी वृक्ष पर रखे धनुष-बाण को उठाया था. उस समय देवता के तरह इसी शमी वृक्ष ने पांडवों के अस्त्रों की रक्षा की थी.
विजयदशमी को शमी वृक्ष पूजन का महत्व:इसी प्रकार भगवान राम ने लंका विजय के प्रस्थान के समय भी शमी वृक्ष ने भगवान राम से कहा था, कि भगवान राम की ही विजय होगी. इसी निमित्त प्रत्येक विजयदशमी को शमी वृक्ष पूजन का महत्व होता है.
विजया दशमी तिथि विशेष पर अपराजिता पूजन करने से व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करता है. इसी दिन नीलकंठ दर्शन का भी अत्यधिक महत्व है. नीलकंठ को साक्षात भगवान शिव माना जाता है. विजयादशमी को नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति के साथ ही चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है.
Oct 12 2024, 08:19