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शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की होती है पूजा,जानिए पूजा विधि और मंत्र

शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अष्टमी पर होने वाली पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही आज के दिन लोग व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि आज के दिन ही मां महागौरी ने चंड-मुंड राक्षस का संहार किया था। 

आइए जानते हैं, देवी दुर्गा के अष्टम रूप मां महागौरी की कथा क्या है? साथ ही जानते हैं, उनकी पूजा विधि, मंत्र और आरती...

लेकिन इससे पहले ये जान लेते हैं कि अष्टमी तिथि कब है और मां महागौरी की पूजा किस दिन होगी?

 

अष्टमी और नवमी तिथि 2024 कब है?

सनातन पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर समाप्त होगी। 

 इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो रही है, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

 ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा। कन्या पूजन के लिए भी यही दिन उत्तम माना गया है।

मां महागौरी की कथा

मां महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं, जिससे देवी का मन दुखी हो जाता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। 

इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब मां पार्वती नहीं आती हैं, तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। वहां वे पहुंचते हैं, तो वहां मां पार्वती के रूप को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं।

एक कथा के अनुसार भगवान 

शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं- ‘सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।’

 

अष्टमी तिथि की पूजा-विधि

अष्टमी के दिन प्रातकाल उठकर स्नान करें और घर के मंदिर को भी अच्छे से साफ करें।

इसके बाद मां दुर्गा को गंगाजल से अभिषेक करें और अक्षत , लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।

बाद में प्रसाद के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं।

मंदिर में दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। साथ ही पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर माता रानी की आरती करें।

पूजा खत्म होने के बाद अंत में क्षमा याचना करें।

मां महागौरी मंत्र

1. या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

2. बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

3. प्रार्थना मंत्र:- श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

आरती

जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥

हरिद्वार कनखल के पासा। 

महागौरी तेरा वहां निवासा॥

चंद्रकली और ममता अंबे। जय शक्ति जय जय मां जगदंबे॥

भीमा देवी विमला माता। 

कौशिकी देवी जग विख्याता॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। 

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता। मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

मां को ये भोग लगाएं

मां शक्ति के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है।

 देवी की आठवीं पूजा के दिन काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। देवी की पूजा के बाद परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। यदि कन्या पूजन की मनौती है, तो उसे विधि-विधान से निष्ठा पूर्वक संपन्न करना चाहिए।

आज का राशिफल, 9अक्टूबर 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा....?

ग्रहों की स्थिति- गुरु वृषभ राशि में। मंगल मिथुन राशि में। सूर्य, बुध, केतु कन्या राशि में। शुक्र तुला राशि में। चंद्रमा वृश्चिक राशि में। वक्री शनि कुंभ राशि में। राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं।

राशिफल

मेष राशि- मार्ग अवरोध अब खत्म हो जाएंगे। मार्ग अवरोध अब नहीं रहेगा। भाग्य साथ देगा। यात्रा का योग बनेगा। धर्म-कर्म में हिस्सा लेंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान की अभी भी मध्यम है। व्यापार अच्छा है। हरी वस्तु का दान करें।

वृषभ राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। बचकर पार करें। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान मध्यम है। व्यापार लगभग ठीक है। हरी वस्तु पास रखें।

मिथुन राशि- शत्रुओं पर काबू पा लेंगे लेकिन परेशानी बनी रहेगी। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम-संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु का दान करें।

कर्क राशि- कर्क राशि की स्थिति ठीक ठाक कही जाएगी। गुण-ज्ञान की प्राप्ति होगी। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। स्वास्थ्य थोड़ा सा मध्यम रहेगा। प्रेम, संतान में दूरी। व्यापार ठीक ठाक रहेगा। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- भावनाओं में बहकर कोई निर्णय न लें। महत्वपूर्ण निर्णय अभी रोक कर रखें। लिखने-पढ़ने में समय व्यतीत करें। स्वास्थ्य ठीक ठाक। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार ठीक ठाक रहेगा। पीली वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- भूमि, भवन व वाहन की खरीदारी संभव है लेकिन गृहकलह भी संभव है। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

तुला राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। अपनों का साथ होगा। स्वास्थ्य बहुत अच्छा। प्रेम, संतान पहले से बेहतर। व्यापार बहुत अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

वृश्चिक राशि- जुबान पर नियंत्रण रखें और निवेश पर नियंत्रण रखें, बाकी स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम- संतान का भरपूर सहयोग। व्यापार भी अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

धनु राशि- सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। स्वास्थ्य पहले से बेहतर। प्रेम-संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- चिंताकारी सृष्टि का सृजन होगा। मन व्यथित रहेगा। खर्च की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- आय के नवीन सोर्स बनेंगे, पुराने सोर्स से भी पैसे आएंगे। स्वास्थ्य अच्छा। प्रेम, संतान का भरपूर सहयोग। व्यापार बहुत अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

मीन राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। स्वास्थ्य नरम-गरम। प्रेम-संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

आज का पंचांग- 9 अक्टूबर 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- आश्विन

तिथि

शुक्ल पक्ष षष्ठी- अक्टूबर 08 11:18 AM- अक्टूबर 09 12:14 PM

शुक्ल पक्ष सप्तमी- अक्टूबर 09 12:14 PM- अक्टूबर 10 12:32 PM

नक्षत्र

मूल- अक्टूबर 09 04:08 AM- अक्टूबर 10 05:15 AM

पूर्वाषाढ़ा- अक्टूबर 10 05:15 AM- अक्टूबर 11 05:41 AM

योग

सौभाग्य- अक्टूबर 08 06:50 AM- अक्टूबर 09 06:36 AM

शोभन- अक्टूबर 09 06:36 AM- अक्टूबर 10 05:53 AM

अतिगण्ड- अक्टूबर 10 05:53 AM- अक्टूबर 11 04:36 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:25 AM

सूर्यास्त- 6:02 PM

चन्द्रोदय- अक्टूबर 09 12:00 PM

चन्द्रास्त- अक्टूबर 09 10:35 PM

अशुभ काल

राहू- 12:14 PM- 1:41 PM

यम गण्ड- 7:52 AM- 9:19 AM

कुलिक- 10:46 AM- 12:14 PM

दुर्मुहूर्त- 11:50 AM- 12:37 PM

वर्ज्यम्- 12:30 PM- 02:10 PM, 03:34 AM- 05:14 AM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- Nil

अमृत काल- 10:37 PM- 12:17 AM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:49 AM- 05:37 AM

आज शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा होती है,जानिए इस स्वरूप में क्यों पूजी जाती है मां

आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है यानी आज मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि दुर्गा के नौ रूपों में सातवें स्वरूप में मानी जाती है। मां कालरात्रि की उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है।

मां कालरात्रि का स्वरूप


मां कालरात्रि का स्वरूप दुष्टों का नाश करने वाला है। मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां कालरात्रि के चार हाथ तीन नेत्र हैं। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं। मां के एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे में वरमुद्रा व चौथे में अभयमुद्रा है।  

मां कालरात्रि


पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने दुष्टों के नाश के लिए मां काली का रूप धारण किया था। एक बार शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षसों ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। इनके अत्याचार से सभी देवी-देवता परेशान हो गए थे। ऐसे में देवी-देवताओं ने भगवान शिव से इस समस्या से मुक्ति का उपाय मांगा। तब महादेव ने मां पार्वती को राक्षसों का वध करने का आदेश दिया, मां पार्वती ने मां काली का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध किया। 

इसके बाद मां दुर्गा का सामना रक्तबीज से हुआ जिसके शरीर के रक्त से अधिक संख्या में रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए, क्योंकि उसे वरदान मिला था कि यदि उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती है, तो उसके जैसा एक और दानव उत्पन्न हो जाएगा। ऐसे में दुर्गा ने अपने प्रकाश से मां कालरात्रि को प्रकट किया। इसके पश्चात मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया, तो मां कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह रक्तबीज का अंत हुआ। मां कालरात्रि का स्वरूप दुष्टों का नाश करने वाली है। 

कैसे करें मां की पूजा


मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा में लाल रंग के वस्त्र धारण करें और माता की चौकी लगाते हुए लाल रंग का कपड़ा व फूलों का प्रयोग करें। पूजा में गुड़हल व गुलाब के फूलों का इस्तेमाल करें। मां को गुड़ से बनी चीजों का प्रसाद लगाए। आरती और मंत्रों का जाप करें।

आज का राशिफल, 8अक्टूबर 2024:,जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहा..?

मेष राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। बचकर पार करें। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान की स्थिति भी मध्यम है। व्यापार आपका अच्छा चल रहा है। सूर्य को जल देते रहें।

वृषभ राशि- जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। प्रेम, संतान की स्थिति बहुत अच्छी है। व्यापार बहुत अच्छा है। काली जी को प्रणाण करते रहें।

मिथुन राशि- शत्रु पक्ष नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे लेकिन जीत आपकी हो जाएगी। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार भी अच्छा। लाल वस्तु का दान करें।

कर्क राशि- भावनाओं में बहकर कोई निर्णय मत लीजिए। स्वास्थ्य पहले से बेहतर रहेगा। प्रेम, संतान की स्थिति अभी भी मध्यम है और व्यापार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं चल रही है। थोड़ा बचकर पार करें। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- भूमि, भवन, वाहन की खरीदारी में एक अच्छी स्थिति। एक नया मोड़ आ सकता है, लेकिन गृह-कलह भी संभव है। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। जो भी आपने सोचा है उसको कार्यरूप दें। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। लाल वस्तु का दान करें।

तुला राशि- जुबान पर नियंत्रण रखें और कोई भी निवेश करने से बचें। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार अच्छा। सरकारी तंत्र से पंगेबाजी न करें। सूर्य को जल देते रहें।

वृश्चिक राशि- एक बहुत ही अच्छी ऊर्जा आपमें काम करेंगी। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। स्वास्थ्य पहले से बहेतर। प्रेम, संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

धनु राशि- चिंताकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। मन व्यथित रहेगा। स्वास्थ्य थोड़ा सा मध्यम। प्रेम, संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यात्रा का योग बनेगा। रुका हुआ धन वापस मिलेगा। आय के नवीन स्तोत्र बनेंगे। स्वास्थ्य प्रेम, व्यापार बहुत अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- सरकारी तंत्र का लाभ मिलेगा। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। स्वास्थ्य ठीक है। प्रेम, संतान का भरपूर सहयोग है लेकिन उनके स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए। व्यापार अच्छा चल रहा है। लाल वस्तु का दान करें।

मीन राशि- भाग्य साथ देगा। कार्यों की विघ्न-बाधा खत्म होगी। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

आज का पंचांग- 8 अक्टूबर 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- आश्विन

तिथि

शुक्ल पक्ष पंचमी- अक्टूबर 07 09:47 AM- अक्टूबर 08 11:18 आम

शुक्ल पक्ष षष्ठी- अक्टूबर 08 11:18 AM- अक्टूबर 09 12:14 PM

नक्षत्र

ज्येष्ठा- अक्टूबर 08 02:25 AM- अक्टूबर 09 04:08 AM

मूल- अक्टूबर 09 04:08 AM- अक्टूबर 10 05:15 AM

योग

आयुष्मान- अक्टूबर 07 06:39 AM- अक्टूबर 08 06:50 AM

सौभाग्य- अक्टूबर 08 06:50 AM- अक्टूबर 09 06:36 आम

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:25 AM

सूर्यास्त- 6:03 PM

चन्द्रोदय- अक्टूबर 08 11:03 AM

चन्द्रास्त- अक्टूबर 08 9:40 PM

अशुभ काल

राहू- 3:08 PM- 4:36 PM

यम गण्ड- 9:19 AM- 10:46 AM

कुलिक- 12:14 PM- 1:41 PM

दुर्मुहूर्त- 08:44 AM- 09:31 AM, 11:00 PM- 11:49 PM

वर्ज्यम्- 08:25 AM- 10:08 AM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:51 AM- 12:37 PM

अमृत काल- 06:42 PM- 08:25 PM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:49 AM- 05:37 AM

नवरात्रि के छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, इस पूजा से मिलता है मोक्ष, जानें पूजा विधि, मंत्र और आरती

नवरात्रि के छठे जिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

 मां कात्यायनी का जन्म


मां कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ था इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को काम, मोक्ष, धर्म और अर्थ इन चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। आइए जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन की पूजा विधि, मां कात्यायनी का भोग, मंत्र और उनकी आरती।

मां कात्यायनी की पूजा का लाभ और जन्म की कथा


मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मां कात्यायनी अपने भक्तों के सभी पाप हर लेती हैं। साथ ही मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। बात करें मां के जन्म की तो विश्वप्रसिद्ध ऋषि कात्यायन ने मां भगवती की उपसना की और कठिन तपस्या की। जब मां भगवती ने उन्हें दर्शन दिए तो उन्होंने मां भगवती सा वरदान मांगा की उनके घर पुत्र का जन्म हो। इसके बाद मां भगवती ने स्वंय उनके घर में जन्म लिया। 

इसलिए उनका नाम कात्यायानी पड़ा। इतना ही नहीं गोपियों ने भी भगवान कृष्ण को पति रुप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की थी।

कैसा है मां कात्यायनी का स्वरुप


मां कात्यायनी का स्वरुप बहुत ही चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। उनका दाई तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है। और उसके नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में. मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल विराजमान हैं। मां कात्यायनी भी सिंह की सवारी करती हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मां कात्यायनी मंत्र


कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।। जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी।

कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते।’

मां कात्यायनी का भोग


मां कात्यायनी को पीला रंग अधिक प्रिय है। इसलिए उन्हें पीले रंग की मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए। साथ ही माता को शहद से बने हल्वे का भोग भी लगाना चाहिए। माता को सूजी के हल्वे में शहद मिलाकर भी आप अर्पित कर सकते हैं।

मां कात्यायनी की पूजा विधि


इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें। आप चाहें तो लाल रंग के वस्त्र भी पहन सकते हैं।

इसके बाद सबसे पहले गंगाजल से पूजा स्थल को दोबारा से शुद्ध कर लें। इसके बाद सर्व प्रथम कलश का पूजन करें।

फिर मां कात्यायनी के मंत्र का जप करते हुए उन्हें वस्त्र अर्पित करें।

इसके बाद घी का दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें। सबसे पहले माता को रोली का तिलक करें। अक्षत, धूप और पीले रंग के फूल अर्पित करें।

मां को पान के पत्ते पर शहर लगाकर और बताशे में लौं रखकर जरुर अर्पित करें। अंत में कपूर जलाकर मां कात्यायनी की आरती करें।

मां कात्यायनी की आरती


जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

आज का राशिफल, 7अक्टूबर 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा

मेष राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। बचकर पार करें। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान की स्थिति भी मध्यम है। व्यापार आपका अच्छा चल रहा है। सूर्य को जल देते रहें।

वृषभ राशि- जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। प्रेम, संतान की स्थिति बहुत अच्छी है। व्यापार बहुत अच्छा है। काली जी को प्रणाण करते रहें।

मिथुन राशि- शत्रु पक्ष नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे लेकिन जीत आपकी हो जाएगी। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार भी अच्छा। लाल वस्तु का दान करें।

कर्क राशि- भावनाओं में बहकर कोई निर्णय मत लीजिए। स्वास्थ्य पहले से बेहतर रहेगा। प्रेम, संतान की स्थिति अभी भी मध्यम है और व्यापार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं चल रही है। थोड़ा बचकर पार करें। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- भूमि, भवन, वाहन की खरीदारी में एक अच्छी स्थिति। एक नया मोड़ आ सकता है, लेकिन गृह-कलह भी संभव है। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। जो भी आपने सोचा है उसको कार्यरूप दें। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। लाल वस्तु का दान करें।

तुला राशि- जुबान पर नियंत्रण रखें और कोई भी निवेश करने से बचें। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार अच्छा। सरकारी तंत्र से पंगेबाजी न करें। सूर्य को जल देते रहें।

वृश्चिक राशि- एक बहुत ही अच्छी ऊर्जा आपमें काम करेंगी। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। स्वास्थ्य पहले से बहेतर। प्रेम, संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

धनु राशि- चिंताकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। मन व्यथित रहेगा। स्वास्थ्य थोड़ा सा मध्यम। प्रेम, संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यात्रा का योग बनेगा। रुका हुआ धन वापस मिलेगा। आय के नवीन स्तोत्र बनेंगे। स्वास्थ्य प्रेम, व्यापार बहुत अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- सरकारी तंत्र का लाभ मिलेगा। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। स्वास्थ्य ठीक है। प्रेम, संतान का भरपूर सहयोग है लेकिन उनके स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए। व्यापार अच्छा चल रहा है। लाल वस्तु का दान करें।

मीन राशि- भाग्य साथ देगा। कार्यों की विघ्न-बाधा खत्म होगी। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

आज का पंचांग- 7 अक्टूबर 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज आप का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- आश्विन

तिथि

चतुर्थी - 09:47 ए एम तक

नक्षत्र

अनुराधा - 02:25 ए एम, अक्टूबर 08 तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 06:16 ए एम

सूर्यास्त- 06:02 पी एम

चन्द्रोदय- 10:13 ए एम

चन्द्रास्त- 08:33 पी एम

अशुभ काल

राहू- 07:45 ए एम से 09:13 ए एम

यम गण्ड- 10:41 ए एम से 12:09 पी एम

कुलिक- 01:36 पी एम से 03:04 पी एम

दुर्मुहूर्त- 12:32 पी एम से 01:19 पी एम, 02:52 पी एम से 03:39 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:46 ए एम से 12:33 पी एम

अमृत काल- 08:45 ए एम से 10:33 ए एम

ब्रह्म मुहूर्त- 04:38 ए एम से 05:27 ए एम

शुभ योग

सर्वार्थ सिद्धि योग-  06:17 ए एम से 02:25 ए एम, अक्टूबर 08   

रवि योग- 02:25 ए एम, अक्टूबर 08 से 06:18 ए एम, अक्टूबर 08

आज नवरात्रि के पांचवे दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, इस पूजा से दूर होंगे सभी कष्ट, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती

 नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। स्कंदमाता माता की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। स्कंदमाता अपने भक्तों के सभी काम बना देती हैं। 

असंभव से असंभव कार्य उनकी पूजा से पूरे हो जाते हैं। साथ ही स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। साथ ही व्यक्ति को सभी दुख दर्द से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा विधि, भोग, मंत्र और स्तोत्र आदि...

स्कंदमाता का स्वरुप


भगवान शिव की अर्धांगिनी के रुप में मां ने स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है इसलिए मां दुर्गा के इस रुप को स्कंदमाता कहलाया। मां स्कांदमाता की चार भुजाएं हैं। मां भगवान कार्तिकेय को अपनी गोद में लेकर शेर पर सवार रहती है। मां के दोनों हाथों में कमल है। साथ ही स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करने चाहिए।

स्कंदमाता का भोग


स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं सबसे अधिक प्रिय है। माता को केले का भोग लगाना चाहिए। उन्हें पीले रंग के फूल और फल अर्पित करने चाहिए। स्कंदमाता को आप चाहे तो केसर की खीर का भोग लगा सकते हैं। साथ ही मां को हरी इलायची भी अर्पित करके लौंग का जोड़ा चढ़ाएं।

स्कंदमाता को कौनसा रंग प्रिय है


स्कंदमाता की पूजा में पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। आप चाहे तो सुनहरे रंग के वस्त्र भी पहन सकते हैं। साथ ही स्कंदमाता को भी इसे रंग के वस्त्र अर्पित करें।

मां स्‍कंदमाता का ध्यान मंत्र


सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता की पूजा विधि


रोजाना की तरह सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें। इसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछा लें और स्कंदमाता की मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें।

फिर स्कंदमाता को पीले फूल से श्रृंगार का सामान अर्पित करें। साथ ही पीले रंग के वस्त्र भी पहनाएं।

इसके बाद स्कंदमाता का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का 108 बार जप करें और उन्हें पान का पत्ता, इल्याची, लौंग आदि चीजें अर्पित करें। फिर दुर्गासप्तशती का पाठ करें।

इन सबसे बाद स्कंदमाता की आरती करके सभी को प्रसाद वितरीत कर दें। अंत में मां के सामने शिश झुकार आपकी जो भी मनोकामना हो उसे बोंलें।

मां स्‍कंदमाता की आरती


जय हो स्कंद माता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।

सब के मन की जानन हारी। जग जननी सब की महतारी।।

जय हो स्कंद माता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं। हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।।

कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा।।

जय हो स्कंद माता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।

कही पहाड़ो पर हैं डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा।।

हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाये तेरे भगत प्यारे।।

भगति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।

इंद्र आदी देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं। तुम ही खंडा हाथ उठाएं।।

दासो को सदा बचाने आई। 

‘चमन’ की आस पुजाने आई।।

जय हो स्कंद माता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।

अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर पढ़े


अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥1॥