टीबी मुक्त पंचायत : हर गांव में होगा टीबी उन्मूलन का प्रयास, बनेंगे निक्षय मित्र
गोरखपुर, टीबी मुक्त पंचायत को जनांदोलन बनाने के लिए हर गांव में टीबी उन्मूलन का प्रयास होगा। ग्राम पंचायत की खुली बैठकों में इसके बारे में चर्चा होगी और स्वास्थ्य समितियों के जरिये नये रोगियों को खोजने और उनके इलाज में मदद की जाएगी । इसी उद्देश्य से जिले के सैकड़ों ग्राम पंचायत और ग्राम विकास अधिकारियों का एनेक्सी भवन सभागार में शुक्रवार को संवेदीकरण किया गया । इस मौके पर जिला विकास अधिकारी राज मणि वर्मा, सहायक जिला पंचायती राज अधिकारी (एडीपीआरओ) आशुतोष कुमार सिंह और जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी (डीटीओ) डॉ गणेश यादव ने पांच टीबी उपचाराधीन मरीजों को गोद लेकर उनकी देखरेख का संकल्प लिया ।
जिला विकास अधिकारी ने उपस्थित ग्राम पंचायत और ग्राम विकास अधिकारियों से अपील की कि वह अपने गांवों के वार्ड मेंबर और सामाजिक लोगों को निक्षय मित्र बनने के लिए प्रेरित करें। टीबी उन्मूलन स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के साथ साथ सामाजिक और अन्य सहयोगी विभागों की मदद से ही संभव होगा। यह जनस्वास्थ्य का एक गंभीर मुद्दा है और इस पर सभी को समन्वित प्रयास करने चाहिए। प्रत्येक गांव की स्वास्थ्य और स्वच्छता समितियों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा अवश्य हो। टीबी के लक्षण वाले व्यक्तियों को आगे आकर जांच व इलाज करवाने के लिए प्रेरित करें।
सहायक जिला पंचायती राज अधिकारी आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के पर्यवेक्षकों के साथ समन्वय स्थापित कर प्रत्येक खुली बैठक में उन्हें आमंत्रित करें। प्रत्येक बैठक में टीबी के लक्षणों, इलाज और इससे बचाव के बारे में चर्चा अवश्य हो। टीबी उन्मूलन एक सामुदायिक जनांदोलन बन सके, इसके लिए प्रत्येक सचिव खुद निक्षय मित्र बन कर टीबी मरीजों को गोद लें। साथ ही दूसरे लोगों को उपचाराधीन मरीजों को गोद लेकर पोषण और मानसिक संबल प्रदान करने के लिए प्रेरित करें।
जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने कहा कि दो हफ्ते या इससे ज्यादा समय की खांसी, बार बार बुखार आना, वजन में लगातार कमी, भूख न लगना, रात में पसीना आना और सीने में दर्द इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इन लक्षणों वाले संभावित मरीजों की जांच के लिए जिले में 24 टीबी यूनिट, 49 डीएमसी और तीन सीबीनॉट जांच केंद्र क्रियाशील हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला क्षय रोग केंद्र और बडहलगंज में क्रियाशील सीबीनॉट मशीन हल्के संक्रमण को भी पकड़ने में सक्षम है और इससे यह भी पता लग जाता है कि टीबी ड्रग सेंस्टिव (डीएस टीबी) है या ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर टीबी) । इस तरह सही दिशा में इलाज करना संभव हो पाता है।
उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत के लिए प्रति एक हजार की आबादी पर एक वर्ष में 30 या उससे अधिक संभावित रोगियों की जांच जरूरी है। इस आबादी के बीच मरीजों की संख्या एक या उससे कम होनी चाहिए। उपचार दर 85 फीसदी हो और डीआर टीबी की जांच 60 फीसदी से अधिक होनी चाहिए। निक्षय पोर्टल पर मरीज पंजीकृत कर उनको 500 रुपये प्रति माह की दर से मिलनी वाली पोषण सहायता राशि भी दे दी गई हो। जरूरतमंद मरीजों को निक्षय मित्र के जरिये मदद भी दिलवानी होगी।
जिला विकास अधिकारी ने सभी प्रतिभागियों को टीबी उन्मूलन की शपथ भी दिलाई। इस अवसर पर डीएलसी डॉ भोला गुप्ता, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग, शक्ति पांडेय, अभयनंदन सिंह और आशा मुनि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
कुष्ठ के बारे में भी दी जानकारी
संवेदीकरण कार्यक्रम के दौरान डॉ यादव ने कुष्ठ उन्मूलन के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शरीर पर चमड़ी के रंग से हल्के सुन्न दाग धब्बे कुष्ठ भी हो सकते हैं। इस बीमारी की जांच और उपचार की सुविधा सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर उपलब्ध है।
टीबी मुक्त गांव के लिए बजी तालियां
इस मौके पर जिले में टीबी मुक्त हुई नौ ग्राम पंचायतों के लिए तालियां भी बजाई गईं। जिला विकास अधिकारी श्री वर्मा ने अपील की कि अगली बार सभी ब्लॉक के अधिकाधिक गांव टीबी मुक्त हो सकें, इसके लिए समन्वित प्रयास में जुट जाएं।
5110 मरीजों की मदद कर रहे निक्षय मित्र
डीटीओ डॉ यादव ने बताया कि जिले में इस समय डीआर टीबी के 378 और डीएस टीबी के 8482 सक्रिय उपचाराधीन मरीज हैं। इनमें से 5110 मरीजों को 1210 निक्षय मित्रों ने गोद लिया है। गोद लिये गये मरीज को चना, गुड़, फल, मूंगफली दाना समेत अन्य पौष्टिक आहार इलाज चलने तक प्रति माह देना होता है। साथ ही उनका नियमित टेलीफोनिक फॉलो अप और यथासंभव मिल कर सहयोग करना चाहिए ताकि मरीज का मनोबल बढ़े और वह जल्दी ठीक हो सके।
Oct 05 2024, 17:14