हिमाचल प्रदेश में टॉयलेट सीट टैक्स की सच्चाई: सीएम सुक्खू ने किया खंडन, जानें क्या है असली सच
शिमला: हिमाचल प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में टॉयलेट सीट के हिसाब से शौचालय शुक्ल वसूले जाने का सरकार ने खंडन किया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य सरकार द्वारा टॉयलेट सीट टैक्स लगाने की खबरों का खंडन किया।
सीएम ने इन्हें आधारहीन बताया। सीएम ने बीजेपी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह तथ्यों से बहुत दूर है। चूंकि हरियाणा में चुनाव हैं इसलिए वे (बीजेपी) हिंदू-मुस्लिम और सीवरेज की बात करते हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। यह पूरी तरह से झूठ है। इससे पहले आई जानकारी में दावा किया गया था कि हिमाचल प्रदेश सरकार शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के घरों में बनी प्रति शौचालय सीट 25 रुपये का शुल्क लेगी
मुख्य सचिव ने दी सफाई
हिमाचल प्रदेश में भवन मालिकों द्वारा लगाई गई सीटों की संख्या के आधार पर सीवरेज कनेक्शन दिए जाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट्स पर जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा का कहना है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शुल्कों को लेकर 21 सितंबर 2024 को अधिसूचना जारी की गई थी। इस पर विस्तार से सब कुछ बताया गया था। जहां भी विभाग द्वारा सीवरेज लगाया गया है, वहां पानी के बिल का 30 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा, लेकिन कुछ प्रतिष्ठान और होटल ऐसे थे (ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में) जिनकी अपनी जल योजना थी, लेकिन उन्होंने विभाग के सीवरेज का इस्तेमाल किया। चूंकि उन्होंने अपनी जल प्रणाली का इस्तेमाल किया, इसलिए उनसे प्रति सीट के हिसाब से शुल्क लिया गया था।
पहले ही वापस लिया था प्रावधान
शर्मा ने कहा कि लेकिन जैसे ही यह अधिसूचना जारी हुई और फाइल डिप्टी सीएम के पास पहुंची, उन्होंने कहा कि यह ठीक नहीं लगता। इसलिए इसे वापस ले लिया गया था। शर्मा ने कहा कि टॉयलेट टैक्स प्रति सीट का हिसाब से लेने का प्रावधान वापस ले लिया गया है। विपक्ष की तरफ से यह आरोप लगाया गया था कि हिमाचल सरकार के पर फंड की कमी है। इसलिए वह ऐसा कर रही है। सरकार ने अब टॉयलेट सीटों की संख्या के हिसाब से टैक्स लेने का पूरी तरह से खंडन कर दिया है।
Oct 04 2024, 21:16