*दुर्गा पंडाल में दिखेगा न्यूजर्सी के अक्षरधाम मंदिर का स्वरुप. 70 लाख में तैयार हो रहा है भव्य पूजा पंडाल*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही- गोपीगंज नगर के काली महाल में ऐतिहासिक दुर्गापूजा की तैयारी हो गई है। मां सिंह वाहिनी श्रृंगार सीमित ( शिवम् क्लब) के नेतृत्व में 70 लाख रुपए की लागत से ऐतिहासिक पूजा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है। सीमित इस बार श्री अक्षरधाम मंदिर रॉबिंस बिले न्यू जर्सी अमेरिका के प्रतिरुप में दुर्गा पूजा पंडाल तैयार करवा रहा है। श्री अक्षरधाम मंदिर का माटडल तैयार करने के लिए 25 सहयोगियों के साथ नेपाल दादा, शिवकांत दादा, प्रशांत दादा करीब एक महीने से तैयारी में जुटे हैं।
पहले भी बन चुके हैं कई मॉडल
इसके पहले इसी स्थान पर पंडाल के रुप में अयोध्या में प्रस्तावित राम जन्मभूमि,महा कालेश्वर मंदिर उज्जैन, कोणार्क का सूर्य मंदिर, उड़ीसा स्वामी नारायण मंदिर इंग्लैंड,श्री रामेश्वर मंदिर तमिलनाडु, मां वैष्णो देवी गुफा जम्मू-कश्मीर, अक्षरधाम मंदिर गांधी नगर गुजरात, श्री सोमनाथ मंदिर, गुजरात, केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड, श्री पशुपति नाथ मंदिर काठमांडू नेपाल, दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता वेस्ट बंगाल, श्री बिरला मंदिर कोलकाता,श्री वेलूर मठ कलकत्ता आदि मंदिर का स्वरुप तैयार किया जा चुका है। प्रबंधन रामकृष्ण खट्टू ने बताया कि मां दुर्गा महा पूजनोत्सव समारोह आठ अक्टूबर से मंगलवार से 16 अक्टूबर बुधवार तक भव्यता के साथ मनाया जाएगा।
पंडाल निखारने में जुटे 10 कारीगर
मूर्तिकार सूर्या सरदार और सुजीत पाल 10 सहयोगियों को लेकर काम कर रहे हैं। शेर पर सवार होकर महिषासुर का मर्दन करती हुई मां दुर्गा की मूर्ति, साथ में कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती आदि देवी - देवताओं की मूर्ति का कार्य कर रहे हैं। अध्यक्ष डॉ उदयभान सिंह, संरक्षण प्रहलाद दास गुप्ता, उपाध्याय संदीप सिंह उर्फ पिंटू,लोहा सिंह, अजीत सिंह, बृजेश सिंह,कौशल,डबलू मौर्य सहित अन्य प्रमुख सहयोगी है।
न्यू जर्सी के अक्षरधाम मंदिर का इतिहास
अमेरिका की न्यू जर्सी में सबसे बड़े हिंदू मंदिर अक्षरधाम का निर्माण हुआ है। मंदिर को तैयार होने में लगभग 12 साल का समय लगा था, जिसमें 12500 लोगों ने मंदिर निर्माण में श्रम किया, स्वयं सेवकों ने दिन रात काम किया था। मंदिर में जो पत्थर लगे हैं। वह 29 देशों से लाए गए हैं। इसे भारतीय संस्कृति कला और अध्यात्म का संगम कहा जा रहा है। यह मंदिर भगवान स्वामी नारायण को समर्पित है।
Oct 01 2024, 18:30