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दुबले-पतले शरीर को बनाएं मजबूत,केले को इस तरह से डाइट में शामिल करें और बढ़ाएं मांसपेशियों का विकास


शरीर में मांस बढ़ाने के लिए केले को डाइट में शामिल करने के उपाय

दुबला-पतला शरीर कई लोगों के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है। शरीर में सही तरीके से मांसपेशियों का विकास न होना, कमजोरी महसूस करना और आकर्षक कद-काठी का अभाव होने से आत्मविश्वास में कमी आ सकती है। ऐसे में, अपने आहार में सही पोषक तत्वों को शामिल करके आप अपने शरीर में मांसपेशियों को बढ़ा सकते हैं। केला, एक ऐसा फल है, जो शरीर में मांस और वजन बढ़ाने के लिए बेहद फायदेमंद है। आइए जानते हैं, केले को किस तरीके से डाइट में शामिल कर आप अपने शरीर में मांस बढ़ा सकते हैं।

1. दूध के साथ केले का सेवन:

दूध और केला एक क्लासिक कॉम्बिनेशन है, जो वजन और मांसपेशियों को बढ़ाने में सहायक है। दूध प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होता है, वहीं केला कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अच्छा स्रोत है। रोजाना सुबह के समय 1-2 केले को एक गिलास दूध के साथ सेवन करने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और मांसपेशियों का विकास होता है।

2. केले का शेक (Banana Shake):

केला शेक शरीर में तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। इसके लिए 1-2 केले, 1 गिलास दूध, 1 चम्मच शहद और थोड़े से ड्राई फ्रूट्स (बादाम, काजू आदि) को ब्लेंड करके शेक बनाएं। यह शेक नाश्ते में या वर्कआउट के बाद पीने से शरीर को पोषण मिलेगा और मांसपेशियों का विकास होगा।

3. केले और मूंगफली के मक्खन (Peanut Butter) का सेवन:

मूंगफली का मक्खन प्रोटीन का अच्छा स्रोत है और केले के साथ इसका सेवन करना शरीर में मांस बढ़ाने के लिए लाभकारी हो सकता है। इसके लिए, 1-2 केले के टुकड़ों पर मूंगफली का मक्खन लगाएं और इसे नाश्ते या स्नैक के रूप में खाएं। यह मांसपेशियों के विकास में सहायक रहेगा।

4. केले और अंडे का कॉम्बिनेशन:

अंडे प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होते हैं। केले के साथ अंडे का सेवन करने से शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है। इसके लिए नाश्ते में 1-2 उबले हुए अंडे के साथ 1-2 केले का सेवन करें।

5. केले और ओट्स (Oats) का मिश्रण:

ओट्स फाइबर और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। आप 1-2 केले को ओट्स के साथ मिलाकर एक हेल्दी और पोषक तत्वों से भरपूर नाश्ता बना सकते हैं। यह मिश्रण शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और मांसपेशियों के विकास के लिए फायदेमंद है।

केले के सेवन के फायदे:

कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत: केला शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। इसमें मौजूद नेचुरल शुगर शरीर को तेजी से कैलोरी और एनर्जी देती है, जो मांसपेशियों के विकास के लिए जरूरी है।

फाइबर और पोटैशियम: केले में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। वहीं, पोटैशियम मांसपेशियों को मजबूती देता है और वर्कआउट के बाद होने वाले मांसपेशियों के दर्द को कम करता है।

प्रोटीन का अच्छा स्रोत: हालांकि केले में प्रोटीन की मात्रा कम होती है, लेकिन इसे अन्य प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर सेवन करने से शरीर को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन मिलता है, जो मांसपेशियों के विकास के लिए जरूरी है।

ध्यान देने योग्य बातें:

अधिक मात्रा में न करें सेवन: केला उच्च कैलोरी युक्त फल है, इसलिए इसे अत्यधिक मात्रा में न खाएं। रोजाना 2-3 केले का सेवन ही पर्याप्त होता है।

व्यायाम के साथ सेवन: केवल आहार से ही मांसपेशियों का विकास संभव नहीं है। इसके लिए नियमित रूप से व्यायाम या वर्कआउट भी जरूरी है। केले का सेवन करने के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम करें, जिससे मांसपेशियों का विकास तेजी से हो सके।

डॉक्टर की सलाह लें: अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं या किसी विशेष आहार का पालन कर रहे हैं, तो केले को अपने आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह अवश्य लें।

केले को सही तरीके से अपने आहार में शामिल करके आप दुबले-पतले शरीर में मांस बढ़ा सकते हैं और एक स्वस्थ और सशक्त शरीर पा सकते हैं।

डेंगू में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए इन खाद्य पदार्थों का करे सेवन तेजी से बढ़ेगा प्लेटलेट काउंट

आपने कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि प्‍लेटलेट काउंट कम है। पर क्‍या आप जानते भी हैं कि प्‍लेटलेट होता क्‍या है। प्लेटलेट एक तरह की ब्‍लड सेल्‍स हैं जो आपके रक्त को थक्का बनाने में मदद करती हैं। शरीर में प्‍लेटलेट की संख्या का कम होना चिंता की बात है।अभी डेंगू के केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में जो लोग डेंगू की चपेट में आ गए हैं या उनके परिवार का कोई सदस्‍य डेंगू से पीडि़त हैंं, उसके लिए प्‍लेटलेट काउंट पर नजर रखना बहुत जरूरी होता है।

अगर आपका प्‍लेटलेट काउंट गिर रहा है तो यह खतरे की बात हो सकती है. ऐसे में यह जरूरी है कि आप खाने पीने में उन चीजों को शामिल करें जिनकी मदद से आपके सेहत में सुधार हो और प्‍लेटलेट काउंट में तेजी से बढ़ोत्‍तरी हो. कई ऐसे विटामिन व मिनरल्‍स हैं जो प्‍लेटलेट को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं कि आप डेंगू होने पर किन चीजों को खाकर अपने प्‍लेटलेट को तेजी से बढ़ा सकते हैं.

प्‍लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए इन चीजों को डाइट में करें शामिल

फॉलेट रिच फूड:  

फॉलेट यानी कि विटामिन बी हेल्‍दी ब्‍लड सेल को बढ़ाता है. ऐसे में आप डाइट में अधिक से अधिक बीफ लीवर, हरी पत्‍तेदार सब्जियां, बीन्‍स, चावल आदि शामिल करें.

विटामिन B12 रिच फूड:

रेड ब्‍लड सेल्‍स के फॉर्मेशन में विटामिन बी12 काफी फायदेमंद होता है. इसकी कमी से शरीर में प्‍लेटलेट कम होने लगते हैं. इसके लिए आप बीफ लीवर, अंडा, सैल्‍मन, बादाम दूध, सोया मिल्‍क आदि का सेवन करें.

विटामिन C रिच फूड:

विटामिन सी इम्‍यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है. यह प्‍लेटलेट को बढ़ाने में भी मदद करता है. इसके लिए आप ब्रोकोली, स्‍प्राउट, लाल हरा शिमला मिर्च, नारंगी आदि का सेवन करें.

विटामिन D रिच फूड:

शोधों में पाया गया है कि विटामिन डी बोन मैरो सेल्‍स के प्रोडक्‍शन में मदद करता है जो प्‍लेटलेट और रेड ब्‍लड सेल्‍स के प्रोडक्‍शन के लिए जरूरी है. इसके लिए आप रोज अंडा, ऑयल फिश, सीरियल, मशरूम आदि का सेवन करें.

विटामिन K रिच फूड:

विटामिन के ब्‍लड क्‍लॉट और बोन हेल्‍थ के लिए एक जरूरी चीज है. यह प्‍लेटलेट काउंट को इंप्रूव करने में मदद करता है. इसके लिए आप डाइट में सूरजमुखी, ब्रोकली, हरी सब्जियां, पत्‍तेवाली सब्जियां, सोयाबीन, कददू आदि का सेवन करें।

जेसीबी ने साइकिल सवार व्यक्ति को रौंदा ,घटनास्थल पर ही हुई दिहाड़ी मजदूर की मौत

धनबाद: कतरास तिलाटांड महिला थाना के समीप फोरलेन सड़क पर सुबह जेसीबी ने साइकिल सवार व्यक्ति को रौंद दिया.

 इससे घटनास्थल पर ही व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गयी.सूचना पर कतरास थानेदार असीत कुमार सिंह सहित अन्य पुलिस के जवान पहुचे और जेसीबी को अपने कब्जे में ले लिया.

मृतक कंको का रहने वाला है.वह दिहाड़ी मजदूरी के लिये साइकिल से भटमुड़ना के तरफ जा रहा था.

सेहत के लिए काफी फायदेमंद है काली मिर्च आईए जाने इससे होने वाले फायदे और उपयोग के सरल तरीके।


काली मिर्च, जिसे हम 'ब्लैक पेपर' के नाम से भी जानते हैं, एक ऐसी मसाला है जो हर भारतीय रसोई में पाया जाता है। यह न केवल भोजन में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है, बल्कि इसमें मौजूद औषधीय गुण इसे सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी बनाते हैं। इसमें पिपेरिन नामक एक सक्रिय तत्व होता है, जो शरीर के लिए कई फायदेमंद होता है।

काली मिर्च के फायदे:

1 पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद

काली मिर्च का सेवन पाचन में सुधार करता है। यह पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के स्राव को बढ़ाती है, जिससे भोजन का पाचन बेहतर तरीके से होता है। इससे कब्ज, गैस, और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।

2 वजन घटाने में सहायक

काली मिर्च में मौजूद पिपेरिन मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे शरीर की कैलोरी जलाने की क्षमता बढ़ती है। इससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।

3 प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है

काली मिर्च एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। इसके सेवन से शरीर संक्रमणों से लड़ने में अधिक सक्षम होता है।

4 सर्दी और खांसी में राहत

काली मिर्च प्राकृतिक रूप से गर्म होती है, इसलिए इसका उपयोग सर्दी, खांसी और गले की खराश में राहत के लिए किया जाता है। इसे शहद के साथ लेने से गले की समस्याओं में जल्दी आराम मिलता है।

5 स्किन के लिए फायदेमंद

काली मिर्च का सेवन त्वचा के लिए भी अच्छा होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।

6 मस्तिष्क के लिए फायदेमंद

काली मिर्च में पिपेरिन मस्तिष्क के कार्य में सुधार करता है और याददाश्त को बढ़ाने में मदद करता है। यह मानसिक तनाव और डिप्रेशन को कम करने में सहायक हो सकता है।

काली मिर्च का उपयोग कैसे करें: 

दूध के साथ 

एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर मिलाकर रोजाना पीने से शरीर को गर्मी मिलती है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

चाय में मिलाकर

काली मिर्च को अदरक, तुलसी और शहद के साथ चाय में मिलाकर पीने से सर्दी-जुकाम में राहत मिलती है।

खाने में छिड़कें

रोजाना के भोजन में आप काली मिर्च का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे सलाद, सूप, दाल, या सब्जियों पर छिड़ककर खाया जा सकता है।

शहद के साथ

गले की खराश या खांसी में काली मिर्च पाउडर को शहद के साथ मिलाकर सेवन करना बहुत लाभकारी होता है।

निष्कर्ष:

काली मिर्च न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि इसे नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करने से सेहत पर भी कई सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। चाहे वह पाचन तंत्र हो, प्रतिरोधक क्षमता हो, या मस्तिष्क का स्वास्थ्य, काली मिर्च हर रूप में लाभकारी है। इसका उपयोग सही मात्रा में और सही तरीके से करने से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं।

रोज एक गिलास पीजिए आंवला और चुकंदर का जूस थकान और कमजोरी से मिलेगा छुटकारा


आजकल की तेज़ जीवनशैली में थकान और कमजोरी आम समस्या बन गई है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि तनाव, खराब खानपान, पर्याप्त नींद की कमी और व्यायाम की कमी। लेकिन प्राकृतिक तरीकों से इसे दूर करना संभव है। आंवला और चुकंदर का जूस एक ऐसा ही प्रभावी घरेलू उपाय है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।

आंवला और चुकंदर: सेहत का खजाना

आंवला (Indian Gooseberry) को पोषक तत्वों का भंडार माना जाता है। इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन और एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं। आंवला रक्त को शुद्ध करता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है।

चुकंदर (Beetroot) भी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें आयरन, फोलेट, पोटैशियम और फाइबर होता है, जो शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है और खून की कमी (एनीमिया) से निपटने में मदद करता है। 

चुकंदर रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने और शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाने में सहायक है, जिससे थकान कम होती है और ताकत मिलती है।

आंवला और चुकंदर के जूस के फायदे

शरीर को ऊर्जा प्रदान करना: आंवला और चुकंदर का जूस शरीर में जल्दी ऊर्जा प्रदान करता है। आंवले में मौजूद विटामिन सी और चुकंदर में नाइट्रेट्स मिलकर मेटाबोलिज्म को बेहतर करते हैं, जिससे शरीर को ताकत मिलती है।

रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाना: चुकंदर का जूस पीने से रक्त में आयरन की मात्रा बढ़ती है, जिससे खून की कमी दूर होती है और कमजोरी महसूस नहीं होती।

पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना: आंवला और चुकंदर का जूस फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज़ जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।

त्वचा में निखार लाना: आंवला और चुकंदर का जूस पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है। इसका कारण यह है कि यह जूस शरीर से टॉक्सिन्स को निकालकर त्वचा को स्वस्थ बनाता है।

इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: आंवले में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं, जिससे बार-बार बीमार होने की समस्या कम हो जाती है।

कैसे बनाएं आंवला और चुकंदर का जूस?

सामग्री:

2-3 ताजे आंवले

1 मध्यम आकार का चुकंदर

1 गिलास पानी

स्वादानुसार शहद या नमक 

विधि:

आंवले और चुकंदर को अच्छे से धो लें।

आंवले के बीज निकालकर चुकंदर के साथ छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।

इन टुकड़ों को मिक्सर में डालकर थोड़ा पानी डालें और अच्छे से पीस लें।

तैयार मिश्रण को छानकर जूस निकाल लें।

यदि स्वाद बढ़ाना हो तो इसमें शहद या नमक मिला सकते हैं।

इस जूस को रोज सुबह खाली पेट पीने से आप जल्दी ही थकान और कमजोरी से छुटकारा पा सकते हैं।

लगातार सेवन करने से आपको इसके फायदों का अनुभव होने लगेगा।

निष्कर्ष

आंवला और चुकंदर का जूस एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है थकान और कमजोरी से लड़ने का। इसके नियमित सेवन से न सिर्फ आपकी ऊर्जा में वृद्धि होगी, बल्कि आपका शरीर भी मजबूत और स्वस्थ रहेगा।

सेहत को रखना चाहते है दुरुस्त तो अपने किचन से आज ही बाहर करें ये 5 कुकिंग ऑयल

नयी दिल्ली : टेस्‍ट हो या फिर न्‍यूट्र‍िशन, कुकिंग ऑयल हमारे खाने की बेहद अहम जरूरत होते हैं. लेकिन क्‍या ये 5 तेल आपकी भी रसोई में जगह बनाए हुए हैं? अगर हां, तो इन्‍हें आज ही अपनी किच‍िन से बाहर करें.

जानें भारतीय कुकिंग में इस्‍तेमाल होने वाले 5 सबसे वाहियात तेल 

शाही पनीर बनाना हो, बैगन की सब्‍जी या फिर कढ़ी… कोई भी सब्‍जी या करी बनाने के लिए आपको सबसे पहले क्‍या चाहिए…? 2 चम्‍मच तेल. भारतीय खाना हो या फिर व‍िदेशी, कुकिंग में तेल का इस्‍तेमाल सद‍ियों से होता आ रहा है. 

हालांकि ये बात अलग है कि जब भी आप डाइट पर जाने की तैयारी करते हैं, सबसे पहले अपने खाने से ऑयल को ही बाहर करते हैं. स्‍वाद लेकर पोषण तक, कुकिंग ऑयल आपको सबकुछ देते हैं. लेकिन आप अपनी कुंकिंग में कोई ऐसा तेल को इस्‍तेमाल नहीं कर रहे जो आपको पोषण के बजाए कॉलेस्‍ट्रॉल, हार्ट की बीमार‍ियां दे रहा हो? 

कुछ तेल ऐसे हैं, जो आपके भोजन की न्‍यूट्र‍िशस वेल्‍यू डबल कर देते हैं, तो वहीं एक तरफ कुछ तेल आपके खाने को बर्बाद कर देते हैं.जानें भारतीय कुकिंग में इस्‍तेमाल होने वाले 5 सबसे बेकार तेल. अगर आपके घर में भी इनमे से कोई तेल है तो उसे आज ही बाहर कर दें.

क्‍यों जरूरी है खाने में तेल

तेल खाने में स्वाद और खुशबू तो बढ़ाता ही है, इससे आपको कई और फायदे भी म‍िलते हैं. कुछ तेलों में आवश्यक फैटी एसिड होते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं. जैसे, ओमेगा-3 और ओमेगा-6. 

वहीं कई विटामिन (जैसे A, D, E, K) वसा में घुलनशील होते हैं, जिन्हें एब्‍जॉर्ब करने के लि‍ए तेल की जरूरत होती है. कुंकिंग की टेक्‍न‍िक जैसे फ्राई करने या भूनने के लि‍ए तेल जरूरी होता है. ये टेक्‍नीक खाने के स्‍वाद और टैक्‍स्‍चर दोनों को बदल देती हैं. इसके साथ ही तेल एनर्जी का भी अच्‍छा सोर्स है।कई विटामिन वसा में घुल जाते हैं, ज‍िन्‍हें एब्‍जॉर्ब करने के लि‍ए तेल की जरूरत होती है.

ये 5 तेल आज ही करें अपनी रसोई से बाहर

पाम ऑयल : सड़क पर लगी रेहड़ी पर जब भी आप चाट-पापड़ी खाते हैं उसका स्‍वाद गजब का होता है. क्‍या आपको भी ऐसा लगता है. इसकी वजह है पाम ऑयल. दरअसल पाम ऑयल सेचुरेट‍िड फैट लेवल में बहुत हाई होता है, ज‍िसकी वजह से आपका कॉलेस्‍ट्रॉल बहुत तेजी से बढ़ता है. यही वजह है कि ये तेल आपके द‍िल को भी नहीं पसंद. इससे हार्ट ड‍िजीज का भी खतरा बढ़ता है.

वेज‍िटेबल ऑयल के ब्‍लैंड्स :

 इनमें अक्‍सर कॉर्न ऑयल, कनोला ऑयल और पाम ऑयल के ब्‍लैंड्स रहते हैं. ये हाइली प्रोसेस्‍ड और र‍िफाइंड होते हैं और इनमें ओमेगा 6 फैटी ऐस‍िड का कंटेंट बहुत ज्‍यादा हाई होता है. ओमेगा 6 फैटी एस‍िड बॉडी के ल‍िए जरूरी होते हैं, लेकिन इन तेलों में ये मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है और ओमेगा 3 की मात्रा बहुत कम. तेल अगर आप ज्‍यादा खाते हैं तो ये आपके शरीर में इनफ्लेमेशन की श‍िकायत हो सकती है.

कॉर्न ऑयल :

 ये तेल भी आपकी सेहत के लि‍ए ब‍िलकुल अच्‍छा नहीं होता. इसमें पॉलीअनसेचुरेट‍िड फैटी एसिड भरे हुए होते हैं. यही वजह है कि कुकिंग इस तेल का इस्‍तेमाल फायदे नहीं बल्‍कि नुकसान देता है. तो अगर आपके घर में इस तेल का इस्‍तेमाल हो रहा है,

सनफ्लॉवर ऑयल : सनफ्लावर का नाम समझकर आप इसे हेल्‍दी ऑयल न समझें. इस तेल में ओमेगा 6 फैटी की भरमार होती है. ऐसे में जब भी आप इस तेल को ज्‍यादा इस्‍तेमाल करते हैं तो शरीर में इनफ्लेमेशन बढ़ने लगती है.

राइस ब्रान ऑयल :

इस पांचवे तेल का नाम आपको चौंका सकता है. क्‍योंकि बाजार में राइस ब्रान ऑयल को बहुत ही हेल्‍दी बताकर बेचा जाता है. लेकिन इस तेल में भी ओमेगा 6 फैटी एसिड की भरमार होती है. ये तेल भी बहुत ही र‍िफाइंड और प्रोसेस्‍ड होता है. इस तेल को प्रोसेस्‍ड करने के लि‍ए हैक्‍सेन नाम का केमि‍कल इस्‍तेमाल क‍िया जाता है।

नाशपति एक ऐसा सुपरफूड जिसके रोजाना सेवन से मिलते है कई लाभ कैंसर से बचाव के साथ ही दिल का भी रखती है ख्याल

नाशपाती एक ऐसा फल है जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों के लिए फायदेमंद होते हैं। नाशपाती का सेवन न केवल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव कर सकता है, बल्कि यह दिल के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। आइए जानते हैं नाशपाती के रोजाना सेवन से होने वाले कुछ महत्वपूर्ण फायदों के बारे में:

1. कैंसर से बचाव में मददगार

नाशपाती में मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन सी और विटामिन के भी होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और कैंसर के खिलाफ लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं। नियमित रूप से नाशपाती खाने से शरीर के विभिन्न अंगों, विशेष रूप से कोलन, स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम हो सकता है।

2. दिल का रखे ख्याल

नाशपाती में पोटेशियम और फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है, जो दिल के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। यह हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है और रक्त संचार को सुचारू बनाए रखता है। इसके अलावा, नाशपाती में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।

3 पाचन तंत्र को रखे दुरुस्त

नाशपाती में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखते हैं। यह कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। नाशपाती का नियमित सेवन करने से आंतों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी सहायक होती है।

4. वजन घटाने में सहायक

नाशपाती कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च होती है, जिससे यह वजन घटाने के लिए आदर्श फल है। इसका सेवन करने से पेट भरा हुआ महसूस होता है और भूख कम लगती है, जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। यदि आप डाइटिंग कर रहे हैं तो नाशपाती को अपने डाइट में जरूर शामिल करें।

5. इम्यून सिस्टम को करे मजबूत

नाशपाती में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। यह शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में सक्षम बनाता है और मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी-खांसी से बचाता है।

6. हड्डियों को बनाए मजबूत

नाशपाती में मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में सहायक होते हैं। यह हड्डियों के घनत्व को बढ़ाता है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाव करता है। खासतौर पर महिलाओं को नाशपाती का सेवन हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

7. स्किन और बालों के लिए फायदेमंद

नाशपाती में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स स्किन की चमक को बनाए रखने और बालों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन सी और विटामिन ई होते हैं, जो त्वचा को निखारने और उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में सहायक होते हैं।

नाशपाती का सेवन कैसे करें?

नाशपाती को आप सलाद, स्मूदी, या सीधे कच्चा भी खा सकते हैं। यह एक बहुमुखी फल है, जिसे किसी भी रूप में आसानी से खाया जा सकता है। सुबह के नाश्ते में इसे शामिल करना बहुत फायदेमंद होता है।

निष्कर्ष:

नाशपाती का रोजाना सेवन शरीर को कई प्रकार से लाभ पहुंचा सकता है। यह न केवल कैंसर और दिल की बीमारियों से बचाव करता है, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। तो, इसे अपनी डाइट में शामिल करें और इसके अद्भुत फायदों का लाभ उठाएं।

कीवी खाने से सेहत को मिलते कई फायदे डेंगू के अलावा कई बीमारियों में किया जाता हैं कीवी का सेवन

कीवी एक पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसका सेवन कई बीमारियों में फायदेमंद हो सकता है। डेंगू के अलावा, कीवी का सेवन निम्नलिखित स्थितियों में लाभकारी होता है:

1 प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में: कीवी विटामिन C का अच्छा स्रोत है, जो शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।

2 पाचन में सुधार: इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज से राहत देता है।

3 दिल की सेहत के लिए: कीवी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

4 रक्तचाप को नियंत्रित करने में: कीवी के सेवन से रक्तचाप नियंत्रण में मदद मिल सकती है, जिससे हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।

5 त्वचा की सेहत: विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण, कीवी त्वचा की सेहत के लिए फायदेमंद है।

6 सांस संबंधी समस्याएं: कीवी का सेवन अस्थमा और एलर्जी जैसी समस्याओं में भी राहत दे सकता है।

इन सभी स्वास्थ्य लाभों के साथ, कीवी का नियमित सेवन एक संतुलित आहार का हिस्सा बन सकता है।

आंतो को स्वस्थ रखने के लिए इन फाइबर युक्त खाद्य पदार्थो का करे सेवन

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपनी डाइट का सही तरीके से ख्याल नहीं रख पाते हैं। इससे हमारी आंतों पर बुरा असर पड़ता है और पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। आंतों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपने आहार में फाइबर युक्त चीजों को शामिल करें। फाइबर न केवल पाचन तंत्र को सही रखता है, बल्कि कई बीमारियों से बचाव में भी मदद करता है। आइए जानते हैं कुछ फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों के बारे में, जो आपकी आंतों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं:

1. ओट्स (Oats)

ओट्स में घुलनशील फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन में सहायक है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने और आंतों की सफाई में मदद करता है। ओट्स को सुबह के नाश्ते में शामिल करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

2. फल और सब्जियाँ

ताजे फल जैसे सेब, नाशपाती, संतरा और सब्जियाँ जैसे ब्रोकोली, गाजर, शिमला मिर्च में अघुलनशील फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। ये आंतों की गतिशीलता को बढ़ावा देते हैं और कब्ज की समस्या को दूर करते हैं।

3. बीन्स और दालें

राजमा, छोले, मूंग, और अन्य दालें प्रोटीन और फाइबर का बेहतरीन स्रोत हैं। इनका नियमित सेवन न केवल पेट को साफ रखने में मदद करता है, बल्कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी को भी पूरा करता है।

4. अलसी के बीज (Flax Seeds)

अलसी के बीज फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत होते हैं। ये आंतों की सूजन को कम करते हैं और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मददगार होते हैं। आप इन्हें अपनी स्मूदी, दही या सलाद में मिला सकते हैं।

5. चिया बीज (Chia Seeds)

चिया बीज में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पेट की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। ये पेट में पानी को अवशोषित करते हैं, जिससे पेट की सफाई होती है और आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती।

6. नट्स और बीज (Nuts and Seeds)

बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज और कद्दू के बीज फाइबर से भरपूर होते हैं। ये आंतों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ हृदय को भी मजबूती देते हैं। इनका सेवन स्नैक्स के रूप में कर सकते हैं।

7. ब्राउन राइस और साबुत अनाज

साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, जई, और क्विनोआ में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो पाचन क्रिया को सही रखने में मदद करते हैं। ये पेट को हल्का महसूस कराते हैं और आंतों को अच्छे से काम करने में मदद करते हैं।

8. हरी पत्तेदार सब्जियाँ

पालक, मेथी और सरसों जैसी हरी पत्तेदार सब्जियाँ फाइबर और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत होती हैं। इनका सेवन आंतों को मजबूती देता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

9. जई की भूसी (Psyllium Husk)

जई की भूसी या इसबगोल एक प्राकृतिक फाइबर है, जो कब्ज की समस्या को दूर करता है और आंतों को साफ रखता है। इसे पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है।

10. बैरीज़ (Berries)

स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और रसभरी जैसे फलों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। ये एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होते हैं, जो आंतों की सूजन को कम करते हैं और पाचन क्रिया को सुधारते हैं।

फाइबर के सेवन के फायदे

कब्ज से राहत: फाइबर का नियमित सेवन मल को नरम बनाता है और पेट की समस्या जैसे कब्ज से बचाता है।

वजन नियंत्रण: फाइबर युक्त भोजन खाने से पेट भरा रहता है, जिससे अधिक खाने की आदत कम हो जाती है और वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।

शुगर लेवल का नियंत्रण: फाइबर शुगर के अवशोषण को धीमा कर देता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करता है: फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

निष्कर्ष:

आंतों को स्वस्थ रखने के लिए फाइबर युक्त आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी आवश्यक है, ताकि फाइबर सही तरीके से काम कर सके। सही आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप अपनी आंतों को स्वस्थ रख सकते हैं और कई बीमारियों से बच सकते हैं।

हेल्थ टिप्स:बढे हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए इन 6 उपायों को अपनाए जिससे आपके कोलेस्ट्रॉल रहेंगे नियंत्रित


हार्ट अटैक के लिए जिम्‍मेदार फैक्‍टर्स में से एक कोलेस्‍ट्रॉल भी होता है. आज के समय में कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या तमाम लोगों में देखी जाती है।कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व होता है जो हमारी शरीर की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। इसके बावजूद, जब इस तत्व का स्तर अधिक होता है, तब यह हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है:

 LDL (बुरा) कोलेस्ट्रॉल और HDL (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल। LDL कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में अधिक होने पर यह हमारी धमनियों में जमा हो जाता है जो ब्लॉकेज का कारण बनता है जो हृदय पर अधिक दबाव बनाता है। वहीं, HDL कोलेस्ट्रॉल शरीर के अन्य भागों से LDL कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के खतरे को बढ़ा सकती है। यदि आप 30 या 40 की उम्र में हैं और अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल के बारे में चिंतित हैं, तो आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करने के 6 तरीके यहां दिए गए हैं:

कोलेस्ट्रॉल कम करने के आसान उपाय

स्वस्थ आहार खाएं

ऐसा आहार खाने पर ध्यान केंद्रित करें जो फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, दुबले प्रोटीन और स्वस्थ वसा जैसे कि नट्स, बीज और वसायुक्त मछली में पाए जाते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जिनमें संतृप्त और ट्रांस वसा की मात्रा अधिक हो, जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ, प्रसंस्कृत स्नैक्स और वसायुक्त मांस

नियमित व्यायाम करें

नियमित शारीरिक गतिविधि आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती है। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट की मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करने का लक्ष्य रखें, जैसे तेज चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना या तैराकी।

स्वस्थ वजन बनाए रखें

अधिक वजन या मोटापा आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है। यदि आपका वजन अधिक है, तो थोड़ा सा वजन कम करने से भी आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है।

धूम्रपान छोड़ें

धूम्रपान आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है और हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ने से आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

शराब का सेवन सीमित करें

बहुत अधिक शराब पीने से आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। यदि आप शराब पीते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में पीएं, जिसे आम तौर पर महिलाओं के लिए प्रति दिन एक पेय और पुरुषों के लिए प्रति दिन दो पेय तक के रूप में परिभाषित किया गया है।

यदि आवश्यक हो तो दवा लें

कुछ मामलों में, जीवनशैली में बदलाव कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है, और दवा आवश्यक हो सकती है। अपने डॉक्टर से बात करें कि क्या दवा आपके लिए सही है और किस प्रकार की दवा सबसे प्रभावी हो सकती है।

जीवनशैली में ये बदलाव करके और अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रबंधित करने के लिए अपने डॉक्टर के साथ काम करके, आप हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जी सकते हैं।