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निर्वाचन आयोग ने झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी की समीक्षा की, 15 नवंबर के बाद हो सकता है चुनाव


मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. एसएस संधू के नेतृत्व में आई आयोग की टीम का दौरा संपन्न होने के बाद सबकी निगाहें चुनाव की तारीखों के ऐलान पर टिकी हैं।

झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा को लेकर भारत निर्वाचन आयोग की टीम का दो दिवसीय दौरा मंगलवार को संपन्न हो गया। 

योग ने कहा है कि हम राज्य में निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं पारदर्शी रूप से विधानसभा के चुनाव कराने को प्रतिबद्ध हैं। कानून व्यवस्था और चुनाव आयोग के निर्देशों का बिना किसी पक्षपात के सख्ती के साथ पालन कराया जाएगा। राज्य सरकार, प्रशासन और कानून का अनुपालन कराने वाली एजेंसियों को इसके लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. एसएस संधू के नेतृत्व में आई आयोग की टीम का दौरा संपन्न होने के बाद सबकी निगाहें चुनाव की तारीखों के ऐलान पर टिकी हैं। संभावना जताई जा रही है कि ज्यादातर राजनीतिक दलों के सुझाव को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग 15 नवंबर के बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय ले सकता है।

बीजेपी, कांग्रेस, जेएमएम, आरजेडी सहित सभी प्रमुख पार्टियों ने आयोग के साथ मीटिंग के दौरान कहा कि अक्टूबर से लेकर नवंबर के दूसरे हफ्ते तक दुर्गापूजा, दीपावली, भाईदूज, छठ जैसे त्योहारों की श्रृंखला है। चुनावी प्रक्रिया की तारीखें तय करने में ध्यान रखा जाए कि त्योहार और उत्सव की वजह से कोई गतिरोध या इंटरवल की स्थिति नहीं बने।

प्रमुख राजनीतिक दलों के सुझावों पर अगर चुनाव आयोग सहमत हुआ तो इस बार राज्य में 2019 की तुलना में कम चरणों में मतदान कराए जा सकते हैं। राज्य की तीन सबसे बड़ी पार्टियों बीजेपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने आयोग से कहा है कि कई चरणों में मतदान कराने से चुनावी अभियान में गलत हथकंडे अपनाए जाने की आशंका रहती है।

 राज्य में नक्सलवाद को लेकर भी अब पहले जैसी चुनौती नहीं है। यह बात आयोग द्वारा पुलिस-प्रशासन के अफसरों के साथ बैठक में सामने आई है।

राज्यपाल पहुंचे धनबाद ,सर्किट हाउस में जिला प्रशासन ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर


धनबाद :झारखंड के राज्यपाल माननीय श्री संतोष गंगवार‌ मंगलवार की दोपहर दुमका से रांची जाने के क्रम में धनबाद पहुंचे।

इस मौके पर माननीय राज्यपाल को सर्किट हाउस में जिला प्रशासन द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

माननीय राज्यपाल के सर्किट हाउस पहुंचने पर उप विकास आयुक्त श्री सादात अनवर, वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री विकास पालीवाल, नगर आयुक्त श्री रवि राज शर्मा, सिटी एसपी श्री अजीत कुमार ने पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया।

कुछ देर सर्किट हाउस में विश्राम करने के बाद माननीय राज्यपाल रांची के लिए प्रस्थान कर गए। 

मौके पर उप विकास आयुक्त श्री सादात अनवर, वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री विकास पालीवाल, नगर आयुक्त श्री रवि राज शर्मा, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर श्रीमती हेमा प्रसाद, एसडीओ श्री राजेश कुमार, सिटी एसपी श्री अजीत कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी श्री दिवाकर सी द्विवेदी, डीएसपी हेडक्वार्टर 1श्री शंकर कामती, डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर श्री दीपक कुमार, निदेशक डीआरडीए श्री राजीव रंजन, डीएसपी ट्रैफिक श्री अरविन्द कुमार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी श्री प्रदीप कुमार शुक्ला, एनडीसी श्री दीपक कुमार दुबे, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी के कुलपति श्री राम कुमार सिंह, अंचल अधिकारी पुटकी श्री विकास आनंद, कार्यपालक दंडाधिकारी श्री नारायण राम सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

आज से लगातार 3 दिन तक होगी भारी बारिश,जाने इस बारिश का कहाँ पड़ेगा कितना असर...?


रांची : बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया बन गया है। इसका असर झारखंड में भी देखने को मिलेगा। इसकी वजह से आज यानी 24 सितंबर से फिर भारी बारिश होगी। इसका असर राज्‍य के कई जिलों में देखने को मिलेगा।

 इस बीच कुछ जगहों पर गर्जन और वज्रपात होगा। यह जानकारी एयरपोर्ट स्थित रांची मौसम केंद्र के प्रमुख अभिषेक आनंद ने दी।

तापमान में होगा बदलाव

मौसम केंद्र के अनुसार राज्‍य में अगले 3 दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में कोई बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। इसके बाद अगले 3 दिनों में इसमें 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट हो सकती है।

गर्जन के साथ वज्रपात

केंद्र के अनुसार 24 और 25 सितंबर तक राज्‍य में कहीं-कहीं गर्जन और वज्रपात होने की आशंका है। इसे लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।

यहां होगी भारी बारिश

राज्‍य के उत्तरी-पूर्वी भागों में 25

 सितंबर को कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। इसका असर साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, दुमका, देवघर, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद में कहीं-कहीं पड़ने की संभावना है। अन्‍य जगहों पर रूक-रूककर बारिश हो सकती है।

राज्‍य के उत्‍तर-पूर्वी और निकटवर्ती मध्‍य भागों में 26 सितंबर को कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। इसका असर साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, दुमका, देवघर, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, कोडरमा, हजारीबाग, चतरा, रामगढ़, रांची में देखने को मिलेगा।

राज्‍य के उत्‍तरी और निकटवर्ती मध्‍य भागों में 27 सितंबर को कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। इसका असर साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, दुमका, देवघर, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, कोडरमा, हजारीबाग, चतरा, रामगढ़, लातेहार, पलामू, गढ़वा जिले में देखने को मिलेगा।

मोबाइल दुकान में चोरी, फोन और हजारों की संपत्ति पर चोर ने किया हाथ साफ


धनबाद : सुबह जब वह अपना दुकान खोलने पहुँचे, तो देखा कि शटर का ताला टूटा हुआ है। जिसके बाद दुकान संचालक ने दुकान में देखा कि चोरों ने आठ मोबाइल फ़ोन, 8 ब्लूएटूथ, 4 एयरबर्ड सहित 26 हजार नकद लेकर चोर फरार हो गए।

झारखंड गठन के बाद से यहां सरकारी पदों पर बहाली रहा विवादों में,विंधानसभा की बहाली को लेकर न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी

झारखंड डेस्क

झारखंड गठन के बाद से झारखंड में सरकारी नोकरी नियुक्ति को लेकर विवादों का नाता रहा।चाहे जेपीएससी द्वारा नियुक्ति हो या अन्य माध्यमो से अलग राज्य गठन के बाद इस पर सवाल उठते रहे।इस बार जेपीएससी सीजीएल परीक्षा को लेकर सरकार लाख कोशिश की सब कुछ निष्पक्ष और कदाचार मुक्त हो,लेकिन जिस तरह कुछ लोग पकड़े गए ,कई जगहों से शिकायत आयी इससे परीक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया।

यूं तो राज्य अलग होते हीं झारखंड विधानसभा में अवैध नियुक्तियों की बुनियाद रख दी गयी थी।लोकलाज को ताक पर रख कर लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था में ही गलत काम को अंजाम दिया गया। राज्य की नियति तय करनेवाली संस्था ने प्रतिभा के साथ खिलवाड़ किया. पिछले 22 वर्षों में अवैध नियुक्ति की जांच रफ्ता-रफ्ता आगे बढ़ी। विधानसभा कमेटी ने इसकी जांच की। पूर्व न्यायाधीश स्व लोकनाथ प्रसाद और पूर्व न्यायाधीश विक्रमादित्य आयोग ने जांच की। विक्रमादित्य आयोग ने तत्कालीन गवर्नर व वर्तमान में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जांच रिपोर्ट भेजी लेकिन तत्कालीन राज्यपाल की अनुशंसा ठंडे बस्ते में रह गयी।

बहाली प्रक्रिया 2002 से हुई शुरू

अलग राज्य बनने के बाद विधानसभा में नियम-कानून को ताक पर रख कर 2002 से ही बहाली की प्रक्रिया शुरू की गयी। राज्य के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में 274 लोग बहाल किये गये। श्री नामधारी के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों में पलामू प्रमंडल से ही 60 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को बहाल कर दिया गया। राज्यपाल ने अनुसेवक के 75 पद स्वीकृत किये। बहाली 143 लोगों की हो गयी। श्री नामधारी के कार्यकाल में 143 अनुसेवक, 24 प्रतिवेदक, पांच वरीय प्रतिवेदक, 12 रुटीन कलर्क, आठ टंकक सहित कई पदों पर बहाली हुई थी। फिर अवैध नियुक्तियों के सिलसिले को स्पीकर आलमगीर आलम ने आगे बढ़ाया।

इसी परम्परा को आलमगीर आलम ने बढ़ाया आगे

आलमगीर आलम वर्ष 2006 से 2009 तक स्पीकर रहे। इनके कार्यकाल में विभिन्न पदों पर 324 बहाली हुई। नये-नये पद सृजित किये गये। इनके कार्यकाल में 150 सहायक नियुक्त हुए। श्री आलमगीर आलम के कार्यकाल में नियुक्तियों में पैसे के लेन-देन का मामला भी सामने आया। विधानसभा के तत्कालीन सचिव से लेकर कई अधिकारियों-कर्मियों के नाम सामने आये। श्री आलम के कार्यकाल में 150 सहायक सहित 25 चालक, 14 माली, 33 सफाईकर्मी, 16 टंकक, 10 सुरक्षा प्रहरी, दो उर्दू सहायक, एक उर्दू प्रशाखा पदाधिकारी और उर्दू अनुवादक सहित कई पदों पर बहाली हुई थी। वहीं स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता ने पैरवी पुत्रों को नियमों को ताक पर रखकर प्रोन्नति दी।

सरयू राय के सीडी पर बनी विधानसभा की जांच कमेटी ब

आलमगीर आलम के कार्यकाल में हुई अवैध नियुक्तियों पर पैसे के लेन-देन का खुलासा एक सीडी से किया गया। तब भाजपा विधायक रहे सरयू राय ने यह सीडी विधानसभा को उपलब्ध करायी. आलमगीर आलम पर उंगलियां उठी। विधानसभा में बड़े पैमाने पर अवैध नियुक्ति को लेकर सनसनी फैल गयी। विधानसभा ने इसके लिए जांच कमेटी बनायी। कमेटी में तत्कालीन विधायक राधाकृष्ण किशोर को संयोजक बनाया गया। श्री राय ने यह सीडी विधानसभा की जांच कमेटी और बाद में जस्टिस लोकनाथ प्रसाद और जस्टिस विक्रमादित्य जांच आयोग को भी सौंपी थी। लेकिन जांच आयोग इसकी फॉरेंसिक जांच नहीं करा पाया।

,,एक ही दिन में डाक से मिल गये नियुक्ति पत्र

इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों का पत्र सफल विद्यार्थियों को डाक से भेजा गया। एक ही दिन में डाक पहुंच भी गया। यह मामला विक्रमादित्य आयोग ने पकड़ा था।

एक दिन में 600 का साक्षात्कार, नाम पहले से तय थे

आयोग द्वारा इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों की जांच के क्रम में कई रोचक पहलू सामने आये थे। एक ही बोर्ड ने एक ही दिन में 200 से 660 लोगों का साक्षात्कार पूरा कर लिया। साक्षात्कार बोर्ड में शामिल लोग व्यस्त थे, तो टंकक ने ही इंटरव्यू ले लिया। तत्कालीन राज्यपाल ने इसे लेकर सवाल उठाये थे।

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: क्या गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर प्रदीप यादव का किला इस बार ध्वस्त होगा...?*

*आइये अवलोकन करते हैं इस सीट का इतिहास और प्राप्त मतदान के आकड़ों का...!* झारखंड डेस्क चुनाव आयोग टीम की झारखंड दौरा और सभी राजनितिक दलों के प्रतिनिधि से मुलाक़ात के बाद विधानसभा चुनाव की आहट शुरू हो गयी है.इस बीच सभी सीटों पर राजनितिक दलों द्वारा अपने प्रत्याशी उतारने और जीत सुनिश्चित करने के लिए दाव-पेंच भी शुरू हो गया है.झारखंड में 81 विधान सभा सीट है जिसमे 80 सीटों पर चुनाव के जरिये विधायकों का चुनाव होता है और एक सीट पर मनोनयन के द्वारा. हर सीट का अपना अपना गणित है.परिरस्थिति भी है. आइये आज हम झारखंड के गोड्डा जिले का पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र की बात करते हैं यह सीट राज्य के हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है. इस क्षेत्र से प्रदीप यादव पार्टी बदल बदल कर लगातार पांच बार से विधायक निर्वाचित होते रहे हैं. इस बार गोड्डा से वे लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन निशिकांत ने उन्हें मात दे दिया. अब उनका इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. वे वर्ष 2000 से इस सीट पर पहले भाजपा, फिर जेवीएम और अब कांग्रेस से चुनाव लड़ते रहे हैं.और जीतते रहे हैं. इनका झामुमो, भाजपा और अन्य के बीच मुकाबला होता रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र में कांग्रेस से बढ़त लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के वर्तमान विधायक प्रदीप यादव के गढ़ को ध्वस्त करने का संकेत दिया है. *पोड़ैयाहाट विधानसभा में है 40 प्रतिशत आदिवासी-मुस्लिम वोटर* पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र गोड्डा जिले के पोड़ैयाहाट, दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के साथ गोड्डा प्रखंड के कुछ पंचायतों तक फैला है। पूर्व के एक आंकड़ों के मुताबिक इस क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की आबादी 30 प्रतिशत, मुस्लिम 10, यादव 25, दलित 15, ब्राह्मण 5, और अन्य पिछड़ी जातियों की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है। *प्रदीप यादव ने यहां से 5 बार विधायक चुने गए* अगर बात करें पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट की to वर्ष 2000 से 2019 तक प्रदीप यादव पार्टी बदल बदल कर लगातार पांच बार इस क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद बटोरते रहे हैं. 2024 के जून में सम्पन्न गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से जुड़े पोड़ैयाहाट क्षेत्र में भी भाजपा के निशिकांत दूबे कांग्रेस प्रत्याशी और इस क्षेत्र के विधायक प्रदीप यादव से मात्र लगभग 9,540 अधिक वोट हासिल करने में सफल हुए और चौथी बार गोड्डा से सांसद चुने गए. इससे भाजपा ने पिछले पांच चुनावों से लगतार इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव की चैन उड़ा दी है. ऐसे भी गोड्डा के भाजपा सांसद डा. निशिकांत दुबे और पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव के बीच अडानी पावर प्लांट, गोड्डा में रेल सेवा शुरू करने सहित कई मुद्दों को लेकर तल्ख बयानबाजी होते रहे हैं. इसलिए लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हर चुनाव में पोड़ैयाहाट सुर्खियों में रहा है. *खरगे से नजदीकियां बढ़ने से टिकट मिलना तय है* लोकसभा चुनाव में भाजपा से गहरी शिकस्त खाने के बावजूद हाल के वर्षों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से नजदीकियां बढ़ने की वजह से प्रदीप यादव को इस बार भी यहां से कांग्रेस का टिकट मिलना तय माना जा रहा है.कांग्रेस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं और राज्य में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के अति करीबी होने की वजह से संभव है कि इस बार इंडिया गठबंधन प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए झामुमो, कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव के पक्ष में इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारे.जिससे भाजपा के बढ़ते कद को रोका जा सके. कांग्रेस के प्रदीप यादव के पक्ष में बने माहौल के बावजूद कांग्रेस के कुछ पुराने कार्यकर्ता भी पार्टी का टिकट हासिल करने के लिए रांची और दिल्ली की दौड़ लगा रहे और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की परिक्रमा कर रहे हैं. वहीं राजद की ओर से भी इस सीट पर दावा ठोकने की चर्चा है.जबकि भाजपा में टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. पार्टी प्रत्याशी चयन को लेकर विभिन्न स्तरों पर बैठकों का सिलसिला जारी है. *यहां बीजेपी के आधा दर्जन से अधिक हैं दावेदार* पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर चर्चा है कि भाजपा कार्यकताओं से रायशुमारी के क्रम में आये पांच सम्भावित प्रत्याशियों की सूची तैयार कर प्रदेश और केन्द्रीय नेतृत्व को भेजा दिया गया है. लोकसभा चुनाव के दौरान पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को मिली बढ़त के आधार पर भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदारों में गोड्डा के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे व प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के करीबी समाजसेवी सीताराम पाठक, विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बजरंगी प्रसाद यादव, जिला परिषद के सदस्य रवीन्द्र कुमार सिंह, पूर्व विधायक प्रशांत कुमार की पत्नी ममता देवी, उनके पुत्र, पूर्व प्रत्याशी गजेन्द्र सिंह, देवेन्द्र सिंह सरीखे कई अन्य नामों की चर्चा है. लेकिन राज्य में चुनिंदा हाईप्रोफाइल हॉट सीटों में शुमार गोड्डा जिले के इस सामान्य सीट पर भाजपा किसे अपना प्रत्याशी बनाती है यह तो आने वाला समय तय करेगा. इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. लेकिन इतना तो तय है कि इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा. *इस सीट से जीत कर प्रदीप यादव बाबूलाल की सरकार में बने थे मंत्री* ज़ब बिहार से अलग होकर 15 नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य बना और बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सरकार बनी तो पहली बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गये प्रदीप यादव को मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. वर्ष 2005 में भी भाजपा के टिकट पर प्रदीप यादव लगातार दूसरी बार यहां जीत दर्ज की. 2006 में भाजपा में अंदरुनी विवाद बढ़ जाने की बजह से बाबूलाल मरांडी ने भाजपा और कोडरमा के सांसद से इस्तीफा दे दिया. झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के नाम से नया दल बनाया. इसी क्रम में प्रदीप यादव सरीखे कई दिग्गज विधायकों ने भाजपा से किनारा कर लिया और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम में शामिल हो गये. इसके बाद प्रदीप यादव 2009, 2014 और 2019 तक पार्टी बदल-बदल कर चुनाव मैदान में उतरकर लगातार पांच बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गये. 2019 के चुनाव में जेवीएम के टिकट पर पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु टिर्की समेत तीन विधायक निर्वाचित हुए. राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार गठन के बाद 2020 में बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में जेवीएम का विलय कर दिया. जबकि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गए. बाद में प्रदीप यादव इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी ने 2024 में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में गोड्डा से अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के निशिकांत दुबे ने पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से 9 हजार से अधिक वोट लाकर कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवार प्रदीप यादव के समक्ष बड़ी चुनौती पेश कर दी है. *इस बार जयराम महतो की पार्टी की उपस्थिति से बिगाड़ेगी यहां खेल* हालांकि अभी तक विधानसभा चुनाव के तिथि की घोषणा नहीं हुई है.बहरहाल चुनाव की घोषणा के बाद पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के उतरने पर ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगा. इस बीच हाल के दिनों में झारखंड में खतियान के आधार पर सरकारी रिक्त पदों पर नियुक्ति और स्थानीय युवाओं को सभी क्षेत्र में प्राथमिकता देने की व्यवस्था को लागू करने आदि मुद्दों को लेकर संघर्ष करने वाले जयराम महतो की पार्टी की सक्रियता इस क्षेत्र में भी बढ़ी है.ऐसे में जयराम महतो की पार्टी जेकेबीकेस ने भूईंया, घटवाल,खैतौरी और कुड़मी समुदाय से इस क्षेत्र में अपना उम्मीदवार उतार दिया तो कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के समक्ष मुसीबत खड़ा कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. फिलहाल लोग चुनाव के तिथि के साथ एनडीए में शामिल भाजपा और इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं. इन दलों से कौन प्रत्याशी मैदान में आता है यह देखना दिलचस्प होगा. 2024 के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से जुड़े पोड़ैयाहाट विधानसभा की वोट की स्थिति प्रत्याशी -पार्टी - प्राप्त मत निशिकांत दुबे - भाजपा- 1,07,082 प्रदीप यादव- कांग्रेस- 93,136 वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम प्रत्याशी- पार्टी- प्राप्त मत प्रदीप यादव- जेवीएम -77,358 गजाधर सिंह- बीजेपी- 63,761 अशोक कुमार- जेएमएम- 34,745 *वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम* प्रत्याशी- पार्टी- प्राप्त मत प्रदीप यादव- जेवीएम -77,358 गजाधर सिंह- बीजेपी- 63,761 अशोक कुमार- जेएमएम- 34,745 वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव परिणाम प्रत्याशी - पार्टी - प्राप्त मत प्रदीप यादव- जेवीएम -64,036 देवेन्द्र सिंह -बीजेपी -52,878 अशोक कुमार-जेएमएम- 44,737 पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो 1952 में बिहार विधानसभा के प्रथम चुनाव में पोड़ैयाहाट-सह-जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के नाम से था.जहां से दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान किया गया था. इस चुनाव में दो सदस्यीय इस सीट पर सामान्य जाति से कांग्रेस के जगदीश नारायण मंडल और अजजा से झारखंड पार्टी के चुनका हेम्ब्रम विधायक चुने गए. वहीं 1957 में पोड़ैयाहाट को गोड्डा विधानसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया.इस चुनाव में भी दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान किया गया. जिसमें सामान्य सीट से झारखंड पार्टी के टिकट पर मणिलाल यादव और अजजा से निर्दलीय चुनका हेम्ब्रम विधायक चुने गए. 1962 में अजजा के लिए सुरक्षित एक सदस्यीय पोड़ैयाहाट अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया और 1972 तक अजजा के एक सदस्य के लिए सुरक्षित रहा. 1977 में इस सीट को अनारक्षित कर दिया गया. इसके बाद इस क्षेत्र में दो उपचुनाव सहित विधानसभा के लिये 16 चुनाव हुए.इसमें जेएमएम 6,जेवीएम 3, कांग्रेस 2 बार, जनसंघ, जनता पार्टी और प्रजातांत्रिक हुल झारखंड पार्टी के प्रत्याशियों ने एक एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की.कांग्रेस से कभी दिग्विजय नेता रहे बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति पृथ्वी चन्द्र किस्कू के साथ जननायक कर्पूरी ठाकुर के अति करीबी और उनके मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव के रूप में शामिल संताल परगना में 1974 छात्र आंदोलन की अलख जगाने वाले कमला कांत प्रसाद सिन्हा उर्फ लालू दा भी 1977 में इसी सीट से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे. इसके बाद इस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदल गया. शिबू सोरेन के नेतृत्व में संताल परगना में झारखंड अलग राज्य का आंदोलन परवान चढ़ा.झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के कभी दाहिना हाथ कहलाने तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्व काल में सेडो छाया मुख्यमंत्री समझा जाने वाले सूरज मंडल ने 1980 में इस क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली. 1980, 1985, 1990 में झामुमो के टिकट पर सूरज मंडल इस क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गये. 1991 में सूरज मंडल गोड्डा लोकसभा सीट से झामुमो के टिकट पर सांसद चुने गये.इसके बाद 1992 में इस सीट पर उपचुनाव कराया गया। जिसमें सूरज मंडल को अपना राजनीतिक गुरु समझने वाले प्रशांत कुमार झामुमो के टिकट पर पहली बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गए. 1995 में भी झामुमो के टिकट पर प्रशांत कुमार ही विधायक निर्वाचित हुए.लेकिन 2000 में पासा पलटा और कभी बाबूलाल मरांडी के किचन कैबिनेट में शामिल रहे प्रदीप यादव ने दूसरे प्रयास में झामुमो को इस क्षेत्र में गहरी शिकस्त दी और भाजपा के टिकट पर पोड़ैयाहाट में पहली बार कमल खिलाने में सफल हुए. 1952-2019 के बीच पोड़ैयाहाट के निर्वाचित विधायकों की सूची वर्ष- प्रत्याशी- पार्टी 1952- चुनका हेम्ब्रम (अजजा.) -झापा 1952 जगदीश ना. मंडल(सामा.) कांग्रेस 1957 चुनका हेम्ब्रम (अजजा) निर्दलीय 1957 मणिलाल यादव (सामा.) झापा 1962 यदुनंदन मुर्मू कांग्रेस 1967 एम मुर्मू जनसंघ 1969 एडवर्ड मरांडी पीएचजे 1972 पृथ्वी चंद्र किस्कू कांग्रेस 1977 कमला कांत सिन्हा ज.पा. 1980 सूरज मंडल जेएमएम 1985 सूरज मंडल जेएमएम 1990 सूरज मंडल जेएमएम 1992 प्रशांत कुमार जेएमएम 1995 प्रशांत कुमार जेएमएम 2000 प्रदीप यादव बीजेपी 2003 प्रशांत कुमार जेएमएम 2005 प्रदीप यादव बीजेपी 2009 प्रदीप यादव जेवीएम 2014 प्रदीप यादव जेवीएम 2019 प्रदीप यादव जेवीएम अपने द्वारा पिछले 25 वर्षों में किये गए विकास कार्यों पर प्रदीप यादव को है भरोसा प्रदीप यादव वर्ष 2000 से पहले भाजपा, फिर जेवीएम के टिकट पर विधानसभा में लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान विधायक प्रदीप यादव और उनकी पार्टी के समर्थकों का दावा है कि इस क्षेत्र में वर्तमान विधायक ने अपने 25 वर्ष के कार्यकाल में सड़क और पुल पुलिया का जाल बिछाकर लगभग सभी गांवों को सड़कों से जोड़ा है. जिससे लोगों के लिए आवागमन सुगम हो गया है. वहीं इस क्षेत्र के अधिकांश गांवों में पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था की गयी है. राज्य सरकार द्वारा राज्य के किसानों के बकाया 50 हजार रुपए के कृषि ऋण माफी योजना के माध्यम से इस क्षेत्र के अनेकों किसानों को ऋण से मुक्ति मिली है. इसके साथ ही हाल में राज्य सरकार ने आम लोगों के दो लाख तक के बैंक ऋण माफी की घोषणा की है. इस घोषणा से बैंक ऋण की समस्या से परेशान किसान और हजारों गरीब निर्धन परिवारों को ऋण से निजात मिलने की उम्मीद है. जबकि राज्य सरकार ने 18 से 50 वर्ष तक की बहू बेटियों के लिए मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को चालू करने का ऐतिहासिक साहसिक फैसला लिया है जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक रूप से कमजोर बेसहारा हजारों माता-बहनें लाभान्वित हुई हैं. जबकि सरकार ने राज्य में सर्वजन पेंशन नामक महत्वाकांक्षी योजना शुरू कर 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बेसहारा व वृद्धों को सहारा दिया है. जिससे लाखों बेसहारा लोगों को नयी ज़िन्दगी मिली है. *बीजेपी भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को बनायेगी मुद्दा* सिंचाई योजनाओं के कार्यान्वयन में शिथिलता बरतने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बदले बढ़ावा देने का भी आरोप लगाते रहे हैं. जिससे क्षेत्र का विकास अवरूद्ध हो गया है. इस वजह से इस बार इस क्षेत्र की जनता इंडिया गठबंधन के वर्तमान विधायक कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को सबक सिखाने के लिए तैयार है. हाल में सम्पन्न लोकसभा के चुनाव में इस क्षेत्र की जनता ने विधानसभा चुनाव के पहले ही अपना फैसला दे दिया है. स्थानीय लोगों की मानें तो पिछले 25 वर्षों में इस क्षेत्र के किसान की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है.फलस्वरूप एक फसला धान की खेती पर निर्भर यहां के किसान पूरी तरह बरसा के भरोसे खेती करने को विवश हैं। इस क्षेत्र में न कोई फैक्ट्री है और न ही कोई उद्योग है.इस वजह से इस क्षेत्र के हजारों लोग रोजी- रोजगार के सिलसिले में मजदूरी करने दिल्ली, मुम्बई और अन्य दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं.आजादी के 75 साल बाद भी इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए कोई बेहतर शिक्षण संस्थान स्थापित नहीं किया जा सका है. इस कारण यहां के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए हर दिन देवघर, गोड्डा और दुमका तक का सफर करने को विवश हैं. जबकि लोकसभा हो या विधानसभा प्रत्येक चुनाव में कांग्रेस, भाजपा, झामुमो और अन्य दलों के प्रत्याशी इस क्षेत्र में सिंचाई, शिक्षा स्वास्थ्य,शुद्ध पेयजल आदि सुविधा को बेहतर बनाने के वायदे पर जनता का आशीर्वाद मांगते रहे हैं. लेकिन इस क्षेत्र में न तो कोई उद्योग लगा,न ही अच्छे शिक्षण संस्थान खोले गए.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: क्या गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर प्रदीप यादव का किला इस बार ध्वस्त होगा...?

आइये अवलोकन करते हैं इस सीट का इतिहास और प्राप्त मतदान के आकड़ों का...!

झारखंड डेस्क 

चुनाव आयोग टीम की झारखंड दौरा और सभी राजनितिक दलों के प्रतिनिधि से मुलाक़ात के बाद विधानसभा चुनाव की आहट शुरू हो गयी है.इस बीच सभी सीटों पर राजनितिक दलों द्वारा अपने प्रत्याशी उतारने और जीत सुनिश्चित करने के लिए दाव-पेंच भी शुरू हो गया है.झारखंड में 81 विधान सभा सीट है जिसमे 80 सीटों पर चुनाव के जरिये विधायकों का चुनाव होता है और एक सीट पर मनोनयन के द्वारा.

हर सीट का अपना अपना गणित है.परिरस्थिति भी है.

आइये आज हम झारखंड के गोड्डा जिले का पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र की बात करते हैं 

यह सीट राज्य के हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है. इस क्षेत्र से प्रदीप यादव पार्टी बदल बदल कर लगातार पांच बार से विधायक निर्वाचित होते रहे हैं. इस बार गोड्डा से वे लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन निशिकांत ने उन्हें मात दे दिया. अब उनका इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.

वे वर्ष 2000 से इस सीट पर पहले भाजपा, फिर जेवीएम और अब कांग्रेस से चुनाव लड़ते रहे हैं.और जीतते रहे हैं.

इनका झामुमो, भाजपा और अन्य के बीच मुकाबला होता रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र में कांग्रेस से बढ़त लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के वर्तमान विधायक प्रदीप यादव के गढ़ को ध्वस्त करने का संकेत दिया है.

पोड़ैयाहाट विधानसभा में है 40 प्रतिशत आदिवासी-मुस्लिम वोटर

पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र गोड्डा जिले के पोड़ैयाहाट, दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के साथ गोड्डा प्रखंड के कुछ पंचायतों तक फैला है। पूर्व के एक आंकड़ों के मुताबिक इस क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की आबादी 30 प्रतिशत, मुस्लिम 10, यादव 25, दलित 15, ब्राह्मण 5, और अन्य पिछड़ी जातियों की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है।

प्रदीप यादव ने यहां से 5 बार विधायक चुने गए

अगर बात करें पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट की to वर्ष 2000 से 2019 तक प्रदीप यादव पार्टी बदल बदल कर लगातार पांच बार इस क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद बटोरते रहे हैं. 2024 के जून में सम्पन्न गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से जुड़े पोड़ैयाहाट क्षेत्र में भी भाजपा के निशिकांत दूबे कांग्रेस प्रत्याशी और इस क्षेत्र के विधायक प्रदीप यादव से मात्र लगभग 9,540 अधिक वोट हासिल करने में सफल हुए और चौथी बार गोड्डा से सांसद चुने गए. इससे भाजपा ने पिछले पांच चुनावों से लगतार इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव की चैन उड़ा दी है. ऐसे भी गोड्डा के भाजपा सांसद डा. निशिकांत दुबे और पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव के बीच अडानी पावर प्लांट, गोड्डा में रेल सेवा शुरू करने सहित कई मुद्दों को लेकर तल्ख बयानबाजी होते रहे हैं. इसलिए लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हर चुनाव में पोड़ैयाहाट सुर्खियों में रहा है.

खरगे से नजदीकियां बढ़ने से टिकट मिलना तय है

लोकसभा चुनाव में भाजपा से गहरी शिकस्त खाने के बावजूद हाल के वर्षों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से नजदीकियां बढ़ने की वजह से प्रदीप यादव को इस बार भी यहां से कांग्रेस का टिकट मिलना तय माना जा रहा है.कांग्रेस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं और राज्य में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के अति करीबी होने की वजह से संभव है कि इस बार इंडिया गठबंधन प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए झामुमो, कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव के पक्ष में इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारे.जिससे भाजपा के बढ़ते कद को रोका जा सके. कांग्रेस के प्रदीप यादव के पक्ष में बने माहौल के बावजूद कांग्रेस के कुछ पुराने कार्यकर्ता भी पार्टी का टिकट हासिल करने के लिए रांची और दिल्ली की दौड़ लगा रहे और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की परिक्रमा कर रहे हैं. वहीं राजद की ओर से भी इस सीट पर दावा ठोकने की चर्चा है.जबकि भाजपा में टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. पार्टी प्रत्याशी चयन को लेकर विभिन्न स्तरों पर बैठकों का सिलसिला जारी है.

यहां बीजेपी के आधा दर्जन से अधिक हैं दावेदार

पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट पर चर्चा है कि भाजपा कार्यकताओं से रायशुमारी के क्रम में आये पांच सम्भावित प्रत्याशियों की सूची तैयार कर प्रदेश और केन्द्रीय नेतृत्व को भेजा दिया गया है. लोकसभा चुनाव के दौरान पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को मिली बढ़त के आधार पर भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदारों में गोड्डा के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे व प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के करीबी समाजसेवी सीताराम पाठक, विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बजरंगी प्रसाद यादव, जिला परिषद के सदस्य रवीन्द्र कुमार सिंह, पूर्व विधायक प्रशांत कुमार की पत्नी ममता देवी, उनके पुत्र, पूर्व प्रत्याशी गजेन्द्र सिंह, देवेन्द्र सिंह सरीखे कई अन्य नामों की चर्चा है. लेकिन राज्य में चुनिंदा हाईप्रोफाइल हॉट सीटों में शुमार गोड्डा जिले के इस सामान्य सीट पर भाजपा किसे अपना प्रत्याशी बनाती है यह तो आने वाला समय तय करेगा. इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. लेकिन इतना तो तय है कि इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा.

इस सीट से जीत कर प्रदीप यादव बाबूलाल की सरकार में बने थे मंत्री

ज़ब बिहार से अलग होकर 15 नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य बना और बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सरकार बनी तो पहली बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गये प्रदीप यादव को मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.

वर्ष 2005 में भी भाजपा के टिकट पर प्रदीप यादव लगातार दूसरी बार यहां जीत दर्ज की. 2006 में भाजपा में अंदरुनी विवाद बढ़ जाने की बजह से बाबूलाल मरांडी ने भाजपा और कोडरमा के सांसद से इस्तीफा दे दिया. झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के नाम से नया दल बनाया. इसी क्रम में प्रदीप यादव सरीखे कई दिग्गज विधायकों ने भाजपा से किनारा कर लिया और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम में शामिल हो गये. इसके बाद प्रदीप यादव 2009, 2014 और 2019 तक पार्टी बदल-बदल कर चुनाव मैदान में उतरकर लगातार पांच बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गये. 2019 के चुनाव में जेवीएम के टिकट पर पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु टिर्की समेत तीन विधायक निर्वाचित हुए. राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार गठन के बाद 2020 में बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में जेवीएम का विलय कर दिया. जबकि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गए. बाद में प्रदीप यादव इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी ने 2024 में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में गोड्डा से अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के निशिकांत दुबे ने पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से 9 हजार से अधिक वोट लाकर कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवार प्रदीप यादव के समक्ष बड़ी चुनौती पेश कर दी है.

इस बार जयराम महतो की पार्टी की उपस्थिति से बिगाड़ेगी यहां खेल

हालांकि अभी तक विधानसभा चुनाव के तिथि की घोषणा नहीं हुई है.बहरहाल चुनाव की घोषणा के बाद पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मैदान में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के उतरने पर ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगा. इस बीच हाल के दिनों में झारखंड में खतियान के आधार पर सरकारी रिक्त पदों पर नियुक्ति और स्थानीय युवाओं को सभी क्षेत्र में प्राथमिकता देने की व्यवस्था को लागू करने आदि मुद्दों को लेकर संघर्ष करने वाले जयराम महतो की पार्टी की सक्रियता इस क्षेत्र में भी बढ़ी है.ऐसे में जयराम महतो की पार्टी जेकेबीकेस ने भूईंया, घटवाल,खैतौरी और कुड़मी समुदाय से इस क्षेत्र में अपना उम्मीदवार उतार दिया तो कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के समक्ष मुसीबत खड़ा कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. फिलहाल लोग चुनाव के तिथि के साथ एनडीए में शामिल भाजपा और इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं. इन दलों से कौन प्रत्याशी मैदान में आता है यह देखना दिलचस्प होगा.

2024 के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से जुड़े पोड़ैयाहाट विधानसभा की वोट की स्थिति 

प्रत्याशी  -पार्टी   - प्राप्त मत

निशिकांत दुबे - भाजपा- 1,07,082

प्रदीप यादव- कांग्रेस- 93,136

वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी-  पार्टी-    प्राप्त मत

प्रदीप यादव- जेवीएम -77,358

गजाधर सिंह- बीजेपी- 63,761

अशोक कुमार- जेएमएम- 34,745

वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी-  पार्टी-    प्राप्त मत

प्रदीप यादव- जेवीएम -77,358

गजाधर सिंह- बीजेपी- 63,761

अशोक कुमार- जेएमएम- 34,745

वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव परिणाम

प्रत्याशी - पार्टी   - प्राप्त मत

प्रदीप यादव- जेवीएम -64,036

देवेन्द्र सिंह -बीजेपी -52,878

अशोक कुमार-जेएमएम- 44,737

 पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास 

पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो 1952 में बिहार विधानसभा के प्रथम चुनाव में पोड़ैयाहाट-सह-जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के नाम से था.जहां से दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान किया गया था. इस चुनाव में दो सदस्यीय इस सीट पर सामान्य जाति से कांग्रेस के जगदीश नारायण मंडल और अजजा से झारखंड पार्टी के चुनका हेम्ब्रम विधायक चुने गए. वहीं 1957 में पोड़ैयाहाट को गोड्डा विधानसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया.इस चुनाव में भी दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान किया गया. जिसमें सामान्य सीट से झारखंड पार्टी के टिकट पर मणिलाल यादव और अजजा से निर्दलीय चुनका हेम्ब्रम विधायक चुने गए. 1962 में अजजा के लिए सुरक्षित एक सदस्यीय पोड़ैयाहाट अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया और 1972 तक अजजा के एक सदस्य के लिए सुरक्षित रहा.

1977 में इस सीट को अनारक्षित कर दिया गया. इसके बाद इस क्षेत्र में दो उपचुनाव सहित विधानसभा के लिये 16 चुनाव हुए.इसमें जेएमएम 6,जेवीएम 3, कांग्रेस 2 बार, जनसंघ, जनता पार्टी और प्रजातांत्रिक हुल झारखंड पार्टी के प्रत्याशियों ने एक एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की.कांग्रेस से कभी दिग्विजय नेता रहे बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति पृथ्वी चन्द्र किस्कू के साथ जननायक कर्पूरी ठाकुर के अति करीबी और उनके मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव के रूप में शामिल संताल परगना में 1974 छात्र आंदोलन की अलख जगाने वाले कमला कांत प्रसाद सिन्हा उर्फ लालू दा भी 1977 में इसी सीट से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे.

 इसके बाद इस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदल गया. शिबू सोरेन के नेतृत्व में संताल परगना में झारखंड अलग राज्य का आंदोलन परवान चढ़ा.झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के कभी दाहिना हाथ कहलाने तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्व काल में सेडो छाया मुख्यमंत्री समझा जाने वाले सूरज मंडल ने 1980 में इस क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली.

 1980, 1985, 1990 में झामुमो के टिकट पर सूरज मंडल इस क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गये. 1991 में सूरज मंडल गोड्डा लोकसभा सीट से झामुमो के टिकट पर सांसद चुने गये.इसके बाद 1992 में इस सीट पर उपचुनाव कराया गया। जिसमें सूरज मंडल को अपना राजनीतिक गुरु समझने वाले प्रशांत कुमार झामुमो के टिकट पर पहली बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गए.

1995 में भी झामुमो के टिकट पर प्रशांत कुमार ही विधायक निर्वाचित हुए.लेकिन 2000 में पासा पलटा और कभी बाबूलाल मरांडी के किचन कैबिनेट में शामिल रहे प्रदीप यादव ने दूसरे प्रयास में झामुमो को इस क्षेत्र में गहरी शिकस्त दी और भाजपा के टिकट पर पोड़ैयाहाट में पहली बार कमल खिलाने में सफल हुए.

1952-2019 के बीच पोड़ैयाहाट के निर्वाचित विधायकों की सूची

वर्ष-     प्रत्याशी-    पार्टी

1952- चुनका हेम्ब्रम (अजजा.) -झापा

1952 जगदीश ना. मंडल(सामा.) कांग्रेस

1957 चुनका हेम्ब्रम (अजजा) निर्दलीय

1957 मणिलाल यादव (सामा.) झापा

1962 यदुनंदन मुर्मू कांग्रेस

1967 एम मुर्मू जनसंघ

1969 एडवर्ड मरांडी पीएचजे

1972 पृथ्वी चंद्र किस्कू कांग्रेस

1977 कमला कांत सिन्हा ज.पा.

1980 सूरज मंडल जेएमएम

1985 सूरज मंडल जेएमएम

1990 सूरज मंडल जेएमएम

1992 प्रशांत कुमार जेएमएम

1995 प्रशांत कुमार जेएमएम

2000 प्रदीप यादव बीजेपी

2003 प्रशांत कुमार जेएमएम

2005 प्रदीप यादव बीजेपी

2009 प्रदीप यादव जेवीएम

2014 प्रदीप यादव जेवीएम

2019 प्रदीप यादव जेवीएम

अपने द्वारा पिछले 25 वर्षों में किये गए विकास कार्यों पर प्रदीप यादव को है भरोसा

प्रदीप यादव वर्ष 2000 से पहले भाजपा, फिर जेवीएम के टिकट पर विधानसभा में लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान विधायक प्रदीप यादव और उनकी पार्टी के समर्थकों का दावा है कि इस क्षेत्र में वर्तमान विधायक ने अपने 25 वर्ष के कार्यकाल में सड़क और पुल पुलिया का जाल बिछाकर लगभग सभी गांवों को सड़कों से जोड़ा है.

जिससे लोगों के लिए आवागमन सुगम हो गया है. वहीं इस क्षेत्र के अधिकांश गांवों में पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था की गयी है. राज्य सरकार द्वारा राज्य के किसानों के बकाया 50 हजार रुपए के कृषि ऋण माफी योजना के माध्यम से इस क्षेत्र के अनेकों किसानों को ऋण से मुक्ति मिली है. इसके साथ ही हाल में राज्य सरकार ने आम लोगों के दो लाख तक के बैंक ऋण माफी की घोषणा की है.

 इस घोषणा से बैंक ऋण की समस्या से परेशान किसान और हजारों गरीब निर्धन परिवारों को ऋण से निजात मिलने की उम्मीद है.

जबकि राज्य सरकार ने 18 से 50 वर्ष तक की बहू बेटियों के लिए मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को चालू करने का ऐतिहासिक साहसिक फैसला लिया है जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक रूप से कमजोर बेसहारा हजारों माता-बहनें लाभान्वित हुई हैं.

 जबकि सरकार ने राज्य में सर्वजन पेंशन नामक महत्वाकांक्षी योजना शुरू कर 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बेसहारा व वृद्धों को सहारा दिया है. जिससे लाखों बेसहारा लोगों को नयी ज़िन्दगी मिली है.

बीजेपी भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को बनायेगी मुद्दा

सिंचाई योजनाओं के कार्यान्वयन में शिथिलता बरतने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बदले बढ़ावा देने का भी आरोप लगाते रहे हैं. जिससे क्षेत्र का विकास अवरूद्ध हो गया है. इस वजह से इस बार इस क्षेत्र की जनता इंडिया गठबंधन के वर्तमान विधायक कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को सबक सिखाने के लिए तैयार है. हाल में सम्पन्न लोकसभा के चुनाव में इस क्षेत्र की जनता ने विधानसभा चुनाव के पहले ही अपना फैसला दे दिया है. स्थानीय लोगों की मानें तो पिछले 25 वर्षों में इस क्षेत्र के किसान की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है.फलस्वरूप एक फसला धान की खेती पर निर्भर यहां के किसान पूरी तरह बरसा के भरोसे खेती करने को विवश हैं। इस क्षेत्र में न कोई फैक्ट्री है और न ही कोई उद्योग है.इस वजह से इस क्षेत्र के हजारों लोग रोजी- रोजगार के सिलसिले में मजदूरी करने दिल्ली, मुम्बई और अन्य दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं.आजादी के 75 साल बाद भी इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए कोई बेहतर शिक्षण संस्थान स्थापित नहीं किया जा सका है. इस कारण यहां के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए हर दिन देवघर, गोड्डा और दुमका तक का सफर करने को विवश हैं. जबकि लोकसभा हो या विधानसभा प्रत्येक चुनाव में कांग्रेस, भाजपा, झामुमो और अन्य दलों के प्रत्याशी इस क्षेत्र में सिंचाई, शिक्षा स्वास्थ्य,शुद्ध पेयजल आदि सुविधा को बेहतर बनाने के वायदे पर जनता का आशीर्वाद मांगते रहे हैं. लेकिन इस क्षेत्र में न तो कोई उद्योग लगा,न ही अच्छे शिक्षण संस्थान खोले गए.

बीसीसीएल की लापरवाही के कारण बीसीसीएल कर्मी के पत्नी को नही मिल बेनोबेलन फंड की राशि,अधिकारी ने कहा जल्द भुगतान किया जाएगा

झारखंड डेस्क

धनबाद : बीसीसीएल (BCCL) प्रबंधन की उदासीनता के कारण बीसीसीएल पूर्वी झरिया क्षेत्र की सुदामडीह एएसपी कोलियरी में कार्यरत दिवंगत कर्मी दिनेश भुइयां के परिजनों को मृत्यु के डेढ़ साल बाद भी बेनोबेलन फंड की राशि नहीं मिल पायी है,

 जबकि यह राशि श्राद्ध कर्म के लिए तत्काल दी जाती है. 

दिनेश के परिजन राशि के लिए कोलियरी व क्षेत्रीय कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.

क्या है मामला :

एएसपी कोलियरी में कार्यरत दिनेश भुइयां की बीमारी के कारण आठ मई 2023 को मृत्यु हो गयी थी. उसकी पत्नी लक्ष्मी देवी ने बेनोबेलन फंड की राशि का भुगतान के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब तक राशि का भुगतान नहीं किया गया है. प्रबंधन का कहना है कि दिनेश भुइयां के सेवा अभिलेख में उसकी पत्नी लक्ष्मी देवी का नाम नहीं है.

मृतक पति के पत्नी के दस्तावेजों की जांच के लिए बनी थी कमेटी

जबकि लक्ष्मी देवी ने मृतक की पत्नी होने का दावा करते हुए दस्तावेज के रूप में प्रखंड कार्यालय से निर्गत पारिवारिक सूची, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड व कंपनी में कार्यरत दो कर्मियों को गवाह के रूप में प्रस्तुत करते हुए कार्यालय में आवेदन जमा किया है. 

प्रबंधन द्वारा दिये गये दस्तावेज व अतिरिक्त बिंदुओं की जांच के लिए छह माह पूर्व एक टीम बनायी गयी थी. लेकिन टीम जांच तक करने नहीं पहुंची. इस दौरान टीम में शामिल एक सदस्य का स्थानांतरण भी हो गया. इससे जांच अधर में लटक गयी.

प्रबंधन अविलंब राशि का भुगतान करे : मौसम महांति

इस संबंध में स्थानीय मजदूर नेता व समाजसेवी मौसम महांति ने इजे एरिया के महाप्रबंधक को पत्र लिख कर अविलंब दिनेश भुइयां की पत्नी को बेनोबेलन फंड की राशि भुगतान करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह कोई एकलौता मामला नहीं है. एएसपी कोलियरी के ही कर्मी समीर सेन की आठ माह पहले मृत्यु हुई थी. लेकिन आज उनके परिवार को राशि का भुगतान नहीं किया गया है.

क्या कहा बीसीसीएल अधिकारी

जल्द आश्रित को राशि का किया जायेगा भुगतान : पीओ

मामला संज्ञान में आया है. मृत कर्मी दिनेश भुइयां की संचिका मंंगायी गयी है. किस कारण से अब तक बेनोबेलन फंड की राशि का भुगतान नहीं किया गया है, उसकी जांच की जायेगी. मामले की जांच कर जल्द आश्रित को राशि भुगतान का भुगतान किया जायेगा.

अनिल कुमार, पीओ, एएसपी कोलियरी, सुदामडीह.

मधुमक्खी की डंक से एक ही परिवार के चार लोगों की मौत,मृतकों में एक महिला, उसकी दो बेटियां और महिला का चचेरा भाई शामिल


झारखंड डेस्क

तुपुदाना: झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 20 किलोमीटर दूर तुपुदाना ओपी क्षेत्र में मधुमक्खियों के हमले में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई। मृतकों में एक महिला, उसकी दो बेटियां और महिला का चचेरा भाई शामिल है।

बताया जाता है कि महिला गांव के ही समीप स्थित खेत में बने गड्ढे में अपनी बेटियों और भाई के साथ स्नान करने गई थी, इसी दौरान पास ही झाड़ी में मौजूद मधुमक्खियों ने उनपर हमला कर दिया। मधुमक्खियों ने सभी को डंक मारा, इससे घबराकर महिला अपनी दोनों बेटियों के साथ गड्ढे में कूद गई।

उसका घायल भाई किसी तरह भागकर गांव पहुंचा और लोगों को घटना की जानकारी दी। इस सूचना पर स्वजन ग्रामीणों के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और तीनों को बाहर निकाला, परंतु तबतक सभी की जान जा चुकी थी। इधर, घायल बच्चे को इलाज के लिए रिम्स ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे भी मृत घोषित कर दिया।

परिवर्तन रथ यात्रा में पूर्व विधायक लोबीन हेमब्रम ने हेमंत सोरेन पर झारखंड की जनता को ठगने का आरोप लगाया


भोगनाडीह से आरंभ हुए भाजपा का परिवर्तन रथ यात्रा शनिवार की शाम को बोआरीजोर बाजार पहुंची।

इस दौरान पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार पर तीखे हमले किए।

लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि चुनावों से पहले हेमंत सोरेन ने जनता को कई प्रलोभन दिए थे, जैसे कि पांच लाख नौकरियां, बेरोजगारी भत्ता और 25 लाख रुपये तक के ठेके।

लेकिन, सत्ता में आने के बाद इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ। उन्होंने जेएमएम से अलग होकर भाजपा में शामिल होने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि जेएमएम अब वैसी पार्टी नहीं रही, जैसी यह शिबू सोरेन के समय थी।

यह यात्रा पूरे झारखंड में परिवर्तन का आह्वान करेगी

उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार उन लोगों के हाथों में है, जो झारखंड के हितैषी नहीं हैं। हेम्ब्रम ने आरोप लगाया कि छात्र, व्यापारी और युवा वर्ग ठगा महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने सीता सोरेन और चंपई सोरेन जैसे नेताओं की दूरी को भी JMM की आंतरिक टूट का प्रतीक बताया और कहा, “जो लोग अपने ही नेताओं के नहीं हुए, वे राज्य की जनता के कैसे होंगे?”

गोड्डा विधायक अमित मंडल ने भी इस मौके पर जनता को संबोधित किया। कार्यक्रम में भाजपा के जिला अध्यक्ष संजीव मिश्रा, उपाध्यक्ष अजय साह, जिला महामंत्री मुरारी चौबे, युवा मोर्चा के नितेश ओझा, प्रखंड अध्यक्ष बमभोली पांडे और युवा अध्यक्ष दीनबंधु मंडल सहित कई स्थानीय कार्यकर्ता मौजूद थे।