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*डिफॉल्ट के कगार पर खड़ा मालदीव, राष्ट्रपति मुइज़्जू के भारत दौरे से बनेगी बात?
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पिछले एक साल से भारत और मालदीव के बीच कभी गरमग तो कभी नर्म संबंध बने हुए हैं। 'इंडिया आउट' के नारे के साथ सत्ता में आने वाले मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्जू को चीन के प्रति झुकाव रखने वाला नेता माना जाता है। हालांकि चीन की चालों में आकर भारत की खिलाफत करना मुइज़्जू को महंगा पड़ गया। अब मालदीव बाहरी कर्ज के दबाव और आर्थिक संकट के चलते डिफॉल्ट के कगार पर खड़ा है। इस बीच रिपोर्ट है कि मालदीव को संकट से निकालने के लिए उसका पुराना दोस्त भारत वित्तीय सहायता देने की तैयारी कर रहा है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुद्रा स्वैप कार्यक्रम के तहत तुरंत 40 करोड़ डॉलर मिल सकता है, जबकि 2019 में विस्तारित 80 करोड़ डॉलर की कर्ज सीमा के तहत द्वीपीय देश अतिरिक्त कर्ज की मांग कर सकता है। मालदीव सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप में भारत से मदद का अनुरोध नहीं किया है, लेकिन ऐसी उम्मीद है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की हाल ही में होने वाली भारत यात्रा के दौरान इस पर चर्चा हो सकती है।

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्जू बहुत जल्द भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे। इसी सप्ताह मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय की प्रवक्ता हीना वलीद ने बताया था कि राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जूद जल्द ही भारत की यात्रा पर जाएंगे। उन्होंने बताया था कि अभी यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित नहीं हुआ है। दोनों देश इस बारे में बात कर रहे हैं। मुइज्जू की इस यात्रा को भारत के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में माले का प्रयास माना जा रहा है। यात्रा की घोषणा वाले दिन ही पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले दो मालदीव के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। मुइज्जू ने इन मंत्रियों को पहले ही निलंबित कर दिया था।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव को अक्टूबर में 25 मिलियन डॉलर का भुगतान करना है, जो उसके 500 मिलियन डॉलर सुकुक ऋण का हिस्सा है। मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण ने पुष्टि की है कि वह भारत के साथ 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा अदला-बदली के लिए चर्चा कर रहा है, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय और अन्य संबंधित निकायों ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

हाल के सालों में मालदीव के सामने आर्थिक चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक, मार्च 2024 तक देश का लोन उसके सकल घरेलू उत्पाद का 110% हो गया है, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया है। 2025 और 2026 में महत्वपूर्ण बाहरी ऋण चुकौती के साथ, रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही में देश की क्रेडिट रेटिंग को और भी कम करके जंक स्टेटस में डाल दिया, जिसमें डिफॉल्ट के बढ़ते जोखिम का हवाला दिया गया।

बार-बार मुइज्जू के भारत विरोधी रवैये के बावजूद, भारत मालदीव का समर्थन करने के लिए तैयार है। दरअसल, मुइज़्ज़ू के सत्ता संभालते ही भारत के साथ मालदीव के राजनयिक संबंधों में तनाव की स्थिति बन गई थी। ये विवाद तब और बड़ा हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल लक्षद्वीप का दौरा किया था। उन्होंने इसकी कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं और भारतीयों से लक्षद्वीप घूमकर आने की बात भी कही।

इस पर सोशल मीडिया पर मालदीव की बजाय लक्षद्वीप जाने की चर्चा ने ज़ोर पकड़ा। पीएम मोदी की तस्वीरों पर मुइज़्ज़ू सरकार में मंत्री मरियम शिउना ने आपत्तिजनक ट्वीट किए थे। उन्होंने पीएम मोदी को इजराइल से जोड़ते हुए निशाने पर लिया था। उस समय दोनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया था।

लेकिन मालदीव को इस विवाद की कीमत अपनी अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा आधार यानी टूरिज़म सेक्टर में आई सुस्ती से चुकानी पड़ी थी। मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या घटी। मालदीव पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़ जनवरी 2024 में करीब 13 हज़ार भारतीय मालदीव घूमने गए लेकिन ये आंकड़ा 2023 के जनवरी महीने में 17 हज़ार से अधिक था। इसके बाद मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को भी चरणबद्ध तरीके से वापस भारत भेजने का फैसला किया। लेकिन इसी साल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार अपने पद की शपथ ली तो मोहम्मद मुइज़्ज़ू भी नई दिल्ली पहुंचे। उसके बाद से दोनों देशों के बीच के तनाव नरम पड़ते दिख रहे हैं।
मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर कांग्रेस ने गिनाई विफलताएं, कश्मीर के आतंकी हमलों से रेल हादसों पर घेरा
#congress_press_conference_on_bjp_led_nda_govt_100_days
नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 दिन पूरे हो गए हैं। ऐसे में मोदी सरकार के कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आज नरेंद्र मोदी सरकार के 100 दिन पूरे हुए हैं। ये 100 दिन देश की अर्थव्यवस्था, किसानों, युवाओं, महिलाओं, इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे और संस्थाओं पर बहुत भारी पड़े हैं। इन 100 दिनों में साबित हो गया कि नरेंद्र मोदी के पास देश की समस्याओं से निपटने के लिए कोई विजन नहीं है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, पीएम चुनाव प्रसार के दौरान अपनी सरकार के 100 दिन के प्लान का जो जिक्र करते थे, उनके सामने विफलताओं का एक पुलिंदा खड़ा है। साथ ही उन्होंने पूछा कि हमारा सवाल है कि उनका प्लान क्या है? उन्होंने बीजेपी को रिपोर्ट कार्ड थमाते हुए कहा, रेल ध्वस्त है, इंफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त है, महिला सुरक्षित नहीं हैं, बेरोजगारी चरम छू रही है।

*यू-टर्न सरकार बता कसा तंज*
सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार को यू-टर्न सरकार कहते हुए कहा, विपक्ष और लोगों ने इस सरकार को यू-टर्न लेने पर मजबूर किया। लेटरल एंट्री, वक्फ बोर्ड बिल, ब्रॉडकास्ट बिल, इंडेक्सेशन बेनिफिट, NPS से UPS सब पर यू-टर्न लेना पड़ा। 100 दिन में 38 बड़े रेल हादसे हुए और 21 मौते हुईं। रेल मंत्री बेशर्मी से कहते हैं ये छोटी-छोटी घटनाएं हैं। एक दिन नहीं बीतता जब रेल पटरी से ना उतरी हो। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, बड़े-बड़े पुल गिर गए। देश की संसद में पानी टपक रहा था। अटल सेतु, सुदर्शन सेतु में दरारें आ गईं। सबसे शर्मनाक घटना तब हुई जब छत्रपति शिवाजी की मूर्ति टूटकर गिर गई। आस्था का प्रतीक श्रीराम का मंदिर टूटने लगा।

*जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों का जिक्र*
जम्मू कश्मीर में पीएम बड़ी–बड़ी बातें करते हैं। पिछले 100 दिनों में जम्मू कश्मीर में 26 आतंकी हमले हुए हैं, 21 जवान शहीद हुए हैं, 15 नागरिकों की मौत हुई है। अब कश्मीर से ज्यादा आतंकी हमले जम्मू में हो रहे हैं। एक श्रद्धांजलि का शब्द नरेंद्र मोदी के मुंह से नहीं निकलता है।''

*महिला सुरक्षा पर घेरा*
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, इस देश की आधी आबादी के साथ जो आपके गुर्गों ने किया वो  क्षमा न देने वाले अपराध हैं। आप वही हैं ना जो देश की बेटियों का यौन शोषण करने वालों के साथ लगातार खड़े रहे। 100 दिनों में 157 पीड़िताएं सामने आई हैं। काशी में जघन्य गैंग रेप का मामला सामने आता है, जो बीजेपी IT सेल के हैं।

*पेपर लीक पर उठाया सवाल*
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि इन 100 दिनों में लगातार पेपर लीक हुआ, परीक्षा रद्द हुई, नीट पेपर लीक हुआ, नीट पीजी का एग्जाम कैंसिल हुआ, UGC NET का पेपर लीक हुआ।

*अर्थव्यवस्था को लेकर दिखाई ‘आंख’*
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि एफडीआई गिर रहा है, बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है और महंगाई बढ़ती जा रही है। रुपया आपको 58 पर मिला था, आपने उसे 84 पर पहुंचा दिया। 100 दिन पहले 82 पर था, आपने इतनी कोशिश की, लेकिन 84 पर पहुंचने से रोक नहीं पाए। टोल टैक्स 15 फीसदी बढ़ा, CNG के दाम बढ़े।'

*मणिपुर पर कह दी ये बात*
वहीं, केंद्र सरकार को घेरते हुए श्रीनेत ने कहा, लद्दाख के पूर्व सांसद और कॉउन्सिलर, चरवाहों ने लगातार वहां घुसपैठ के मुद्दे को उठाया, लेकिन आपने कुछ नहीं किया। 16 महीने से इस देश का एक राज्य जल रहा है, लेकिन आपमें ना इतना साहस है ना नीयत है कि आप मणिपुर जाएं। असलियत ये है कि आप लगातार कुर्सी से चिपकने के लिए लालायित हैं।
'वर्दी उतरवा दूंगा..', भाजपा पार्षद ने दी धमकी तो आहत होकर ASI ने खुद फाड़ी खाकी, वीडियो हो रहा वायरल


मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में एक बीजेपी नेता द्वारा ASI (सहायक उप निरीक्षक) को धमकी देने का मामला सामने आया है, जिसमें नेता ने कहा कि वह उनकी वर्दी उतरवा देंगे। इस धमकी से आहत होकर ASI विनोद मिश्रा ने आपा खो दिया और सभी के सामने अपनी वर्दी फाड़ दी। यह घटना कोतवाली थाना के अंदर टीआई के चेंबर में हुई। घटना का सीसीटीवी फुटेज हाल ही में वायरल हो गया है, जिससे पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है।


मामला आठ महीने पुराना बताया जा रहा है, जो नाली को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ा है। विवाद थाने पहुंचा, जहां टीआई के चेंबर में पुलिस, नगर निगम के अफसर और बीजेपी नेता पार्षद पति अर्जुन गुप्ता मौजूद थे। बातचीत के दौरान अर्जुन गुप्ता ने ASI विनोद मिश्रा को वर्दी उतरवाने की धमकी दी, जिससे ASI ने गुस्से में आकर अपनी वर्दी फाड़ दी। इस घटना का वीडियो हाल ही में वायरल होने से राजनीति गरमा गई है। एमपी कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि, "यह सत्ता की हनक है, भाजपा के पार्षद की धमक देखिए, एक वर्दीधारी को अपनी वर्दी फाड़ना पड़ गई। प्रदेश में पुलिसिंग का स्तर जीरो हो गया है, अपराध अनियंत्रित है, अपराधी बेख़ौफ़ और पुलिस कहीं लाचार तो कहीं दबाब में है।"


इस घटना के बाद एसपी निवेदिता गुप्ता ने ASI पर कार्रवाई की थी। हालांकि, वीडियो लीक होने के बाद अब पुलिस विभाग में फिर से हड़कंप मच गया है, और एसपी ने वीडियो और फुटेज लीक होने की जांच के निर्देश दिए हैं।
ममता बनर्जी ने पांचवीं बार डॉक्टर्स को बुलाया, बोलीं- आखिरी मौका, नहीं होगी लाइव स्ट्रीमिंग

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पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों को बातचीत के लिए पांचवी बार बुलाया है।प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स को ममता बनर्जी ने सोमवार को बातचीत का आखिरी मौका दिया है। बंगाल सरकार ने जूनियर डॉक्टर्स को आज शाम 5 बजे मुलाकात के लिए बुलाया है। हालांकि, सरकार ने बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग नहीं मानी है। ऐसे में देखना होगा कि प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स इस मीटिंग में शामिल होने जाते हैं या नहीं?

प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को भेजे गए हालिया ईमेल में मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट के 9 सितंबर के निर्देश के अनुसार अपनी ड्यूटी पर लौटना होगा। पत्र में कहा गया है, यह पांचवीं और अंतिम बार है जब हम माननीय मुख्यमंत्री और आपके प्रतिनिधियों के बीच बैठक के लिए आपसे संपर्क कर रहे हैं। पिछले दिन की हमारी चर्चा के अनुसार हम एक बार फिर आपको माननीय मुख्यमंत्री के साथ उनके कालीघाट स्थित आवास पर खुले मन से चर्चा के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। मुख्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि बैठक की वीडियोग्राफी या लाइव-स्ट्रीमिंग नहीं की जा सकती है। वहीं, डॉक्टर्स के मेंबर्स की संख्या 30 नहीं, बल्कि 15 रहेगी।

डॉक्टर्स की ओर से कोई बयान नहीं आया है। ये बातचीत का 5वां बुलावा है। इससे पहले 4 बार मीटिंग तय हो चुकी है। ममता बनर्जी ने पिछले शनिवार को भी डॉक्टरों को बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन बात एक बार फिर लाइव स्ट्रीमिंग पर आकर अटक गई। 14 सितंबर को मुख्यमंत्री ममता खुद डॉक्टर्स के प्रदर्शन स्थल पर गई थीं और बातचीत के लिए कहा था।

शनिवार को ममता बनर्जी ने डॉक्टरों से कहा कि वे बारिश के पानी में नहीं भींगे और अंदर आकर बातचीत करें। मुझे पद का लालच नहीं है। मैं आंदोलन को सही मानती हूं। मैं खुद छात्र आंदोलन से निकली हूं। मैंने भी बहुत कुछ सहन किया है। पद नहीं मेरे लिए इंसान होना बड़ी बात है। आज 34 दिन हो गए हैं। तब से मैं भी नहीं सो पाई हूं। आप जब रास्ते पर हैं तो मुजे भी आपकी पहरेदारी करनी पड़ रही है।

कोलकाता रेप केस मामले में न्याय की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर्स पिछले एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। प्रदर्शन खत्म करने को लेकर सीएम ममता ने इन्हें कई बार बातचीत के लिए बुलाया लेकिन प्रदर्शन खत्म करने को लेकर सहमति नहीं बन पाई।

यूपी से ले जाते नेपाल और बना देते ईसाई, हिन्दू संगठनों ने पकड़ी दो बस, पढ़िए, पुलिस प्रशासन ने क्या किया एक्शन

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज से सटे नेपाल के सीमावर्ती इलाके में ईसाई धर्मांतरण को लेकर बड़ा हंगामा हुआ। रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल में धर्मांतरण के उद्देश्य से ले जाए जा रहे भारतीय नागरिकों के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। नेपाल के स्थानीय निवासियों ने भी धर्मांतरण करवाने वालों के साथ मारपीट की और उनके मुँह पर कालिख पोत कर उन्हें वापस भारत भेज दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार, 14 सितंबर 2024 को महाराजगंज के ठूठीबारी कस्बे से लगभग 100 लोगों का एक समूह नेपाल के खैरहनी इलाके में धर्मांतरण के लिए रवाना हुआ। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ और बच्चे थे, जो दलित और पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखते थे। इस यात्रा का आयोजन पादरी अमोस ने किया था, जिन्होंने इन्हें खैरहनी स्थित चर्च में धर्मांतरण के लिए बुलाया था। इन लोगों को लाने के लिए नेपाल के महेशपुर बस स्टैंड पर नेपाल नंबर की दो विशेष बसें खड़ी थीं।

धर्मांतरण की जानकारी मिलते ही नेपाल के विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान नेपाल के स्थानीय निवासियों ने भी धर्मांतरण के प्रयास को विफल करने के लिए हस्तक्षेप किया। उन्होंने धर्मांतरण के लिए आए भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार किया, उनके मुँह पर कालिख पोत दी और उन्हें जबरन वापस भारत भेज दिया। स्थानीय लोगों ने पादरी अमोस की भी पिटाई की और नेपाल पुलिस को मौके पर बुलाया। पुलिस ने भारतीयों के नाम-पते नोट किए और उन्हें चेतावनी दी। इसके बाद भारतीयों को सीमा पार वापस भेजा गया, जिससे मामला शांत हुआ।

महाराजगंज पुलिस ने इस घटना पर स्पष्ट किया है कि यह घटना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुई है, बल्कि नेपाल में घटी है। नेपाल पुलिस से इस मुद्दे पर बातचीत की जा रही है, और लोगों से अपील की गई है कि इसे महाराजगंज की घटना कहकर प्रसारित न करें। यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में धर्मांतरण का मामला सामने आया हो। इससे पहले 31 अगस्त 2024 को भी एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया था, जब नेपाल के सीमावर्ती इलाके में केरल के दो पादरी धर्मांतरण करवाने की कोशिश करते पकड़े गए थे। उन्हें यूपी पुलिस के हवाले कर दिया गया था।

एक तरफ केजरीवाल ने इस्तीफे की घोषणा की, तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर कर दिया यह बड़ा ऐलान, पढ़िए, पूरी खबर

दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं। इस बीच तिहाड़ जेल से बाहर आए अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर बड़ा ऐलान किया।

दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। इस चुनाव में कांग्रेस किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके द्वारा इस्तीफे की पेशकश करना एक राजनीतिक ड्रामा है। आपको बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था।

उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चार महीने पहले इस्तीफा दे दिया होता तो दिल्ली में जलजमाव के कारण जो 30 से भी अधिक बेगुनाहों की जान गई है, वो शायद नहीं जाती। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि वह दो दिन का इंतजार क्यों कर रहे हैं? यह एक राजनीतिक ड्रामा लग रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उन पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। जल्द से जल्द एक नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाना चाहिए। दिल्ली की जनता जागरूक है और वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसका जवाब जरूर देगी।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सीएम अरविंद केजरीवाल के दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा देने वाले बयान पर कहा कि यह उनकी इच्छा है। अगर वह जेल में सीएम रह सकते हैं तो बाहर भी सीएम रह सकते हैं। हो सकता है कि कुछ और गंभीर मामले हों, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।

बता दें कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वे दो दिन के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि मनीष सिसोदिया भी सीएम नहीं बनेंगे। वे और सिसोदिया जनता के बीच जाएंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव तक पार्टी का कोई दूसरा नेता मुख्यमंत्री बनेगा।

गणपति उत्सव : भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना के साथ विसर्जन की विधि भी अहम, जानिए बप्पा की विदाई का शुभ मुहूर्त और विसर्जन की विधि


हर वर्ष गणपति उत्सव भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है तथा 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्त गणपति बप्पा को अपने घरों और पंडालों में बड़े श्रद्धा के साथ स्थापित करते हैं। पूरे देश में विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, और तेलंगाना जैसे राज्यों में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त सुबह और शाम को गणपति जी की आरती और पूजा करते हैं और उन्हें उनके पसंदीदा पकवानों का भोग लगाते हैं। इनमें विशेष रूप से मोदक, लड्डू और विभिन्न मिठाइयाँ शामिल होती हैं, जिन्हें गणपति बप्पा अत्यंत प्रिय मानते हैं।

अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन की परंपरा

गणपति उत्सव के दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहा जाता है, गणपति की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं। विसर्जन की प्रक्रिया को विशेष विधि-विधान के साथ किया जाता है। बप्पा को ढोल-नगाड़ों के साथ, भक्तजन नाचते-गाते हुए उनके विसर्जन स्थल (जैसे तालाब, नदी, या समुद्र) तक ले जाते हैं। विसर्जन का अर्थ गणपति बप्पा को उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर भेजना होता है, जहाँ से वे अगले साल फिर से अपने भक्तों के पास आते हैं।

विसर्जन के समय भक्त गणपति जी से अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने की कामना करते हैं। विसर्जन के दौरान विशेषकर महिलाएँ और बच्चे भी शामिल होते हैं और 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' के जयकारे लगाते हैं।

गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त


इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है। इस दिन गणपति विसर्जन के कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे, जिनमें भक्त गणपति को विदा कर सकते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन के तीन प्रमुख मुहूर्त हैं:
पहला मुहूर्त: सुबह 9:10 बजे से दोपहर 1:47 बजे तक।
दूसरा मुहूर्त: अपराह्न 3:18 बजे से शाम 5:50 बजे तक।
तीसरा मुहूर्त: रात 7:51 बजे से रात 9:19 बजे तक।
इन शुभ मुहूर्तों में भक्तजन अपने गणपति बप्पा का विसर्जन कर सकते हैं, जिससे उन्हें भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त हो और उनका जीवन सफल और समृद्ध हो।


गणपति विसर्जन की विधि
गणपति विसर्जन की प्रक्रिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी उनकी स्थापना। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए।

आसन की तैयारी: सबसे पहले एक लकड़ी का आसन तैयार करें, उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और गंगाजल का छिड़काव करें।

प्रतिमा की स्थापना: इसके बाद गणपति बप्पा की प्रतिमा को आसन पर स्थापित करें। मूर्ति को नया पीला वस्त्र पहनाएं और माथे पर कुमकुम का तिलक लगाएं।

पूजन सामग्री: गणपति जी को फूल, अक्षत, और मोदक अर्पित करें। मोदक भगवान गणेश को अति प्रिय है, इसलिए इसे अवश्य अर्पित करें।

आरती और प्रार्थना: फिर पूरे परिवार के साथ गणपति जी की आरती करें। विसर्जन से पहले गणपति जी से हुई किसी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।

विसर्जन की प्रार्थना: आरती के बाद, भगवान गणेश से अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद की कामना करते हुए प्रतिमा का विसर्जन करें।


विसर्जन के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखना भी आवश्यक है। आजकल पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी या पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों का विसर्जन पर जोर दिया जाता है, ताकि जल स्रोत प्रदूषित न हों। कई स्थानों पर कृत्रिम तालाबों की व्यवस्था की जाती है, जिससे प्राकृतिक जल स्रोतों पर विपरीत प्रभाव न पड़े। भक्त भी अब अधिक जागरूक हो रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं।
गणपति उत्सव : भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना के साथ विसर्जन की विधि भी अहम, जानिए बप्पा की विदाई का शुभ मुहूर्त और विसर्जन की विधि

हर वर्ष गणपति उत्सव भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है तथा 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्त गणपति बप्पा को अपने घरों और पंडालों में बड़े श्रद्धा के साथ स्थापित करते हैं। पूरे देश में विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, और तेलंगाना जैसे राज्यों में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त सुबह और शाम को गणपति जी की आरती और पूजा करते हैं और उन्हें उनके पसंदीदा पकवानों का भोग लगाते हैं। इनमें विशेष रूप से मोदक, लड्डू और विभिन्न मिठाइयाँ शामिल होती हैं, जिन्हें गणपति बप्पा अत्यंत प्रिय मानते हैं।

अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन की परंपरा

गणपति उत्सव के दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहा जाता है, गणपति की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं। विसर्जन की प्रक्रिया को विशेष विधि-विधान के साथ किया जाता है। बप्पा को ढोल-नगाड़ों के साथ, भक्तजन नाचते-गाते हुए उनके विसर्जन स्थल (जैसे तालाब, नदी, या समुद्र) तक ले जाते हैं। विसर्जन का अर्थ गणपति बप्पा को उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर भेजना होता है, जहाँ से वे अगले साल फिर से अपने भक्तों के पास आते हैं।

विसर्जन के समय भक्त गणपति जी से अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने की कामना करते हैं। विसर्जन के दौरान विशेषकर महिलाएँ और बच्चे भी शामिल होते हैं और 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' के जयकारे लगाते हैं।

गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है। इस दिन गणपति विसर्जन के कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे, जिनमें भक्त गणपति को विदा कर सकते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन के तीन प्रमुख मुहूर्त हैं:

पहला मुहूर्त: सुबह 9:10 बजे से दोपहर 1:47 बजे तक।

दूसरा मुहूर्त: अपराह्न 3:18 बजे से शाम 5:50 बजे तक।

तीसरा मुहूर्त: रात 7:51 बजे से रात 9:19 बजे तक।

इन शुभ मुहूर्तों में भक्तजन अपने गणपति बप्पा का विसर्जन कर सकते हैं, जिससे उन्हें भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त हो और उनका जीवन सफल और समृद्ध हो।

गणपति विसर्जन की विधि

गणपति विसर्जन की प्रक्रिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी उनकी स्थापना। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए।

आसन की तैयारी: सबसे पहले एक लकड़ी का आसन तैयार करें, उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और गंगाजल का छिड़काव करें।

प्रतिमा की स्थापना: इसके बाद गणपति बप्पा की प्रतिमा को आसन पर स्थापित करें। मूर्ति को नया पीला वस्त्र पहनाएं और माथे पर कुमकुम का तिलक लगाएं।

पूजन सामग्री: गणपति जी को फूल, अक्षत, और मोदक अर्पित करें। मोदक भगवान गणेश को अति प्रिय है, इसलिए इसे अवश्य अर्पित करें।

आरती और प्रार्थना: फिर पूरे परिवार के साथ गणपति जी की आरती करें। विसर्जन से पहले गणपति जी से हुई किसी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।

विसर्जन की प्रार्थना: आरती के बाद, भगवान गणेश से अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद की कामना करते हुए प्रतिमा का विसर्जन करें।

विसर्जन के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखना भी आवश्यक है। आजकल पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी या पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों का विसर्जन पर जोर दिया जाता है, ताकि जल स्रोत प्रदूषित न हों। कई स्थानों पर कृत्रिम तालाबों की व्यवस्था की जाती है, जिससे प्राकृतिक जल स्रोतों पर विपरीत प्रभाव न पड़े। भक्त भी अब अधिक जागरूक हो रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं।

भारत में जल्द शुरू होगी जनगणना, जातिगत गिनती भी संभव, मोदी सरकार ने दिए संकेत

भारत में जल्द ही जनगणना शुरू होने की संभावना है। यह संकेत केंद्र सरकार ने हाल ही में दिए हैं। हालांकि, अब तक कोई आधिकारिक तारीख घोषित नहीं की गई है। सरकार जातिगत जनगणना पर विचार कर रही है, लेकिन इस पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 'एक देश, एक चुनाव' जैसी पहल को भी इस कार्यकाल में लागू कर सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दशकीय जनगणना की तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं। लेकिन जाति आधारित कॉलम जोड़ने पर निर्णय नहीं हुआ है। 1881 से भारत में हर 10 साल में जनगणना की जाती रही है। 2020 में इसे शुरू होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इसे स्थगित करना पड़ा। महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी जनगणना से संबंधित परिसीमन प्रक्रिया पर निर्भर करता है, जो जनगणना के प्रासंगिक आंकड़ों के आधार पर होगी। सूत्रों के अनुसार, जातिगत जनगणना पर फैसला अभी लंबित है, जबकि कई राजनीतिक दल इसकी मांग कर रहे हैं। वर्तमान में सरकारी नीतियों और सब्सिडी के आवंटन के लिए 2011 के आंकड़ों का उपयोग किया जा रहा है क्योंकि नए आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। जनगणना के तहत घरों की सूचीबद्धता और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच किया जाना था, जिसे महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया।

अधिकारियों का कहना है कि पूरी जनगणना और NPR प्रक्रिया पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होने का अनुमान है। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें नागरिकों को खुद की गणना करने का विकल्प दिया जाएगा। इसके लिए एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया गया है, जो अभी लॉन्च नहीं किया गया है। स्व-गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर की जानकारी भी अनिवार्य रूप से जुटाई जाएगी।

हरियाणा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 3 ऑब्जर्वर किए नियुक्त, क्या गहलोत-माकन और बाजवा दिला पाएंगें फायदा?

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव को लेकर वोटिंग होनी हैं। इससे पहले सभी पार्टियों ने पूरा जोर लगा रखा है। एक तरफ बीजेपी तीसरी बार सत्ता में बने रहने के लिए पूरी जोर आजमाइश में लगी है, वहीं कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता वापसी के लिए लड़ रही है। कांग्रेस इस चुनाव में बढ़त के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही वजह है कि पार्टी के तीन बड़े नेताओं को हरियाणा भेजकर अहम जिम्मेदारी दी जा रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। कांग्रेस राजस्थान, दिल्ली और पंजाब से अपने तीन बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और पंजाब कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया है।

10 साल बाद सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस का पूरा जोर

कांग्रेस 10 साल से सत्ता में दूर है इसलिए पार्टी चुनाव की तैयारियों में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती इसलिए अशोक गहलोत, मकान और बाजवा जैसे वरिष्ठ नेताओं को हरियाणा भेजा जा रहा है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन और पंजाब असेंबली में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, तीनों ही नेता न सिर्फ बेहद सीनियर व अनुभवी हैं, बल्कि संगठन में इनकी अपनी एक साख है। तीनों नेता हरियाणा की सीमा से सटे तीन राज्यों दिल्ली, पंजाब व राजस्थान से आते हैं। ऐसे में इन तीनों के सहारे उन इलाकों में इनके प्रभाव का इस्तेमाल करने की भी योजना है।

तीनों पर्यवेक्षकों के लिए बागियों को साधना सबसे बड़ी जिम्मेदारी

सूत्रों के मुताबिक, इन पर्यवेक्षकों का फिलहाल प्रमुख काम वहां नाराज पार्टी नेताओं, बागियों, नाराज कार्यकर्ताओं से संपर्क कर उनकी नाराजगी दूर करना, नाराज घर बैठ चुके लोगों को घर से बाहर निकालना है। उल्लेखनीय है कि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 16 सितंबर सोमवार है। इसलिए कांग्रेस पूरा जोर लगाकर अपने बागियों को मनाने की कोशिश में लगी है। फिलहाल कांग्रेस में 31 बागी निर्दलीय खड़े हुए हैं। इन्हें साधना कांग्रेस की सबसे बड़ी प्राथमिकता व चिंता है। पार्टी के भीतर फिलहाल इस बात पर मंथन हो रहा है कि किस तरह के बागी को कैसे मनाया जाए या उस पर कहां व किससे कहलवाकर जोर डलवा कर नाम वापस लेने के लिए तैयार किया जा सकता है।

5 अक्टूबर को होगा मतदान

90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होना है और मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। सूबे में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला है। तीनों ही पार्टियों ने चुन चुनकर अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए हैं। सूबे में 10 सालों से बीजेपी की सरकार है। ऐसे में पार्टी तीसरी बार राज्य में सरकार बनाने की कोशिश में है तो वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था जिसको लेकर पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पार्टी किसी भी तरह से राज्य में वापसी करने की कोशिश में लगी हुई है।