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संभावना: मानसून की विदाई भी इस बार रिकॉर्ड बनाकर होगी


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

सितंबर के 14 दिन बीत गए लेकिन धुआंधार बारिश जारी है। यूपी के क‌ई जिलों में मानसून कहर ढा रहा है। मौसम वैज्ञानिक अचरज में है कि इस बार मानसून की विदाई के लक्षण अभी तक नहीं दिख रहे हैं। हर साल एक सितंबर तक मानसून की विदाई शुरू हो जाती है और 25 सितंबर तक यह देश से चला जाता है। इस बार अनुमान है कि मानसून 25 अक्टूबर के बाद तक होगा। यानी विदाई में रिकॉर्ड देरी होगी। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 2021 में मानसून छह अक्टूबर को विदा हुआ था। 2022 में 20 सितंबर और 2023 में 25 सितंबर को मानसून लौट गया था। इस बार बारिश का ढर्रा पुरी तरह बदला हुआ रहा। ज्यादातर इलाकों में पोकेरेन ( छोटे-छोटे टुकड़ों में बारिश हुई। बादलों के छोटे-छोटे टुकड़े ( सामान्य आकार 100 किमी की तुलना में आधे) बने, जिनमें घर्षण कम हुआ। इससे बादलों का गर्जन हु कम सुना गया। यह जलवायु परिवर्तन के कारण माना जा रहा है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार मानसून के देर तक टिकने की एक वजह यागी तूफान है। दरअसल 2017 के बाद मानसून वापस देरी शुरू हुई थी, जो इस बार उच्चतम स्तर पर देखी जा रही है। पिछले साल 25 सितंबर को मानसून की वापसी धीमी गति से शुरू हुई थी। तब पूरे देश से मानसून की वापसी 19 अक्टूबर को पूरी हुई थी। मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसून वापसी के कुछ मानक है। जैसे लगातार पांच दिनों तक बारिश की गतिविधियां बंद होनी चाहिए। निचले वायुमंडलीय उच्च दबाव क्षेत्र बनना चाहिए। नमी की कमी दिखाई देनी चाहिए।

अरविंद केजरीवाल ने यूं ही नहीं किया इस्तीफे का ऐलान, जानें इस्तीफे के ऐलान की Inside Story

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है।आबकारी नीति मामले में जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दो दिनों के बाद सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है।तिहाड़ जेल से छूटने के करीब 40 घंटे बाद ही आम आदमी पार्टी के संयोजक ने जिस तरह सीएम पद से इस्तीफे का ऐलान किया उसने सभी को हैरत में डाल दिया है। सभी के मन में सवाल यही उठ रहा कि आखिर दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में जब वो तिहाड़ जेल में बंद थे तब इस्तीफा क्यों नहीं दिया। अब अचानक इस फैसले की वजह क्या है?

जानकारों को मनना है क‍ि असल में इसके पीछे की वजह सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला है। ज‍िसमें केजरीवाल को जमानत देते वक्‍त कई शर्ते रखी गई थीं। जिसकी वजह से दिल्ली के मुख्यमंत्री पर ये फैसला लेने का दबाव बढ़ा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को द‍िल्‍ली शराब घोटाले मामले में उन्हें जमानत दी थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइंया की पीठ ने उन्हें सर्शत जमानत दी थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के साथ कुछ शर्तों को पालन करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को 10 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्हें मामले की मेरिट पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करने का आदेश भी दिया है।

कानूनी जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत की शर्तें अरविंद केजरीवाल को उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में कर्तव्यों का पालन करने की पूरी आजादी नहीं देती हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा क्योंकि रिहाई के बाद भी वह सचिवालय या सीएम ऑफिस का दौरा नहीं कर सकते। साथ ही साथ उन फाइलों के अलावा वो किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं जिन्हें उपराज्यपाल की ओर से मंजूरी दी जानी है।

केजरीवाल सरकार को इससे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता सकता था।वह बाहर आकर द‍िल्‍ली के क‍िसी भी कामकाज को लेकर कोई फैसला नहीं ले सकते थे। जानकारों का मनना है क‍ि अगर वह यह फैसला इसी वजह से ल‍िया गया है। ताक‍ि द‍िल्‍ली की सीएम की कुर्सी पर कोई और बैठे और राजधानी में जो भी लटके हुए काम हैं उनको जल्‍द से जल्‍द पूरा करके चुनावी मैदान में उतरा जा सके।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। अपनी रिहाई के बाद रविवार को अरविंद केजरीवाल ने आम लोगों को संबोधित करते हुए दो दिन के बाद इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी से कोई दूसरा शख्स दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनेगा। आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला होगा। वह और मनीष सिसोदिया जनता में जाएंगे और जनता से अपील करेंगे कि यदि वे ईमानदार नहीं हैं, तो उन्हें वोट नहीं दें।

राहुल गांधी देश के नंबर वन आतंकी” केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू का विवादित बयान

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केंद्रीय राज्य मंत्री और बीजेपी नेता रवनीत सिंह बिट्टू का बड़ा विवादित बयान दिया है। रेल राज्य मंत्री बिट्टू ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को देश का नंबर वन आतंकी बताया है।बिट्टू ने कहा कि कांग्रेस नेता ने सिखों को बांटने की कोशिश की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिख किसी दल से जुड़े नहीं हैं। यह चिंगारी लगाने की कोशिश है और राहुल गांधी नंबर एक टेररिस्ट हैं।बिट्टू ने ये विवादित बातें राहुल गांधी के अमेरिका में सिखों को लेकर दिए बयान को लेकर कही हैं।

केंद्रीय मंत्री बिट्टू ने भागलपुर में कहा, मैंने चैंलेंज किया है कोई सिख जो यहां खड़ा है जो किसी पार्टी से जुड़ा नहीं है।यहां बोल दे भागलपुर में किसी ने उनसे बोला कि आप कड़ा नहीं डाल सकते, किसी ने कहा हो आप पगड़ी नहीं डाल सकते, किसने कहा गुरुद्वारे नहीं जा सकते, एक सिख यहां खड़ा होकर कह दे, मैं अभी बीजेपी छोड़ दूंगा। चिंगारी लगाने के लिए पहले मुस्लिमों को यूज करने की कोशिश की अब नहीं हुआ तो बिल्कुल बॉर्डर पर जो सिख हैं जो देश की रक्षा करते हैं उनमें फूट डालने की कोशिश करते हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने आगे कहा कि हमें लगता है कि राहुल गांधी को देश से ज्यादा प्यार नहीं है। इसीलिए वह बाहर जाकर हर चीज को लेकर उल्टा-पुल्टा बयान देते हैं। कभी वो ओबीसी की बात करते हैं तो कभी जाति की बात करते हैं। उनको कोई समझ नहीं है कि क्या कहना है और क्या करना है। हम लोग 2009 में एक साथ सांसद बने, लेकिन वो आज तक समझ नहीं सके हैं।

राहुल गांधी का जिक्र करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि आज भी वह रिक्शा वाले के पास जाते हैं, आपको आज तक यह नहीं पता चला कि उनके दर्द क्या होते हैं। आप विपक्ष के नेता हैं। आप फोटो खिंचवाने के लिए कहीं भी पहुंच जाते हैं और बाद में उसका मजाक बनता है। आज भी यह गरीब तबके के लोगों का दर्द नहीं समझ सके हैं।

बता दें कि रवनीत सिंह बिट्टू ने अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल गांधी के सिखों को लेकर दिए एक बयान से खफा होने के बाद उन्हें आतंकी बताया है। हाल ही में संपन्न अपनी अमेरिका दौरे के दौरान राहुल गांधी ने वर्जीनिया में भारतीय अमेरिकी समुदाय के सैकड़ों लोगों से बातचीत की थी।इस दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि आरएसएस कुछ धर्मों, भाषाओं और समुदायों को अन्य की तुलना में कमतर मानता है। उन्होंने कहा कि भारत में राजनीति के लिए नहीं बल्कि इसी बात की लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि लड़ाई किस बारे में है।कांग्रेस नेता ने कहा कि लड़ाई इस बात की है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी या कड़ा पहनने का अधिकार है या नहीं।या एक सिख के रूप में वह गुरुद्वारा जा सकते हैं या नहीं।

आधार कार्ड यूजर्स के लिए आई बड़ी खबर, UIDAI ने जारी किया ये अपडेट, 14 दिसंबर तक मुफ्त में करा सकते हैं अपडेट

आधार कार्ड होल्डर्स के लिए एक महत्वपूर्ण अपडेट आया है। आधार कार्ड को मुफ्त में अपडेट कराने की डेडलाइन को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने बढ़ा दिया है। अब आप 14 दिसंबर 2024 तक अपने आधार कार्ड को बिना किसी शुल्क के अपडेट करवा सकते हैं। पहले यह डेडलाइन आज समाप्त हो रही थी, किन्तु अथॉरिटी ने इसे 3 महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। UIDAI ने 10 वर्षों से पुराने आधार कार्ड को मुफ्त में अपडेट कराने की सुविधा प्रदान की है, तथा इसकी डेडलाइन आज खत्म हो रही थी, जिसे अब आगे बढ़ा दिया गया है। पहले इसे 14 मार्च से बढ़ाकर 14 जून 2024 कर दिया गया था, तथा इसके बाद इसे 14 सितंबर तक बढ़ाया गया था। शनिवार को एक और विस्तार करते हुए, UIDAI ने इसे 14 दिसंबर 2024 तक मुफ्त में कराने की सुविधा प्रदान की है। यह जानकारी UIDAI ने सोशल मीडिया पर साझा की है तथा एक्स पर पोस्ट की है। डेडलाइन समाप्त होने के पश्चात्, आधार कार्ड को अपडेट करने के लिए आपको UIDAI द्वारा तय चार्ज देना होगा, जो 50 रुपये होगा। ध्यान देने योग्य बात यह है कि UIDAI द्वारा दी जा रही मुफ्त आधार कार्ड अपडेट सेवा केवल myAadhaar Portal पर उपलब्ध है। ऑनलाइन डिटेल अपडेट करने के लिए यह करें: UIDAI की ऑफिशियल वेबसाइट https://uidai.gov.in/ पर लॉग इन करें। होमपेज पर माई आधार पोर्टल पर जाएं और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर मिले OTP का उपयोग करके लॉग इन करें। अपनी डिटेल की जांच करें और अगर सही है, तो सही वाले बॉक्स पर टिक करें। यदि डेमोग्राफिक जानकारी गलत है, तो ड्रॉप-डाउन मेनू से पहचान दस्तावेज़ सेलेक्ट करें और दस्तावेज़ अपलोड करें। यह दस्तावेज़ JPEG, PNG, और PDF के रूप में अपलोड किया जा सकता है। ध्यान दें कि मुफ्त आधार अपडेट सेवा केवल ऑनलाइन उपलब्ध है। अगर आप आधार कार्ड में किसी भी तरह के अपडेट के लिए आधार केंद्र पर जाते हैं, तो आपको निर्धारित शुल्क देना होगा। कुछ अपडेट, जैसे आइरिस या बायोमेट्रिक डेटा अपडेट, केवल आधार सेंटर पर जाकर ही कराए जा सकते हैं।
उत्तराखंड में UCC लागू करने की कवायद शुरू, अंतिम चरण में प्रक्रिया, शादी का पंजीकरण नहीं करने पर नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। इस नई व्यवस्था के तहत, राज्य में शादी का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया जाएगा, और जिन्होंने ऐसा नहीं किया, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। यह निर्णय मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और यूसीसी समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया, जिसमें संहिता की नियमावली के अंतिम चरण की समीक्षा की गई और कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया।

UCC के तहत, सरकार शादी का पंजीकरण अनिवार्य कर सकती है और सरकारी सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए यह पंजीकरण कराना जरूरी होगा। इसके लिए सरकार एक समय सीमा तय कर सकती है, और इस अवधि के बाद पंजीकरण न कराने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। यदि कोई व्यक्ति पंजीकरण करवा लेता है, तो उसे पूर्ववत लाभ जारी रहेगा। समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत एक डेटा बेस भी तैयार किया जाएगा, जिसमें परिवार पंजीकरण जैसी जानकारियां शामिल होंगी। इस डेटा एप के माध्यम से सरकार को भविष्य की योजनाएं बनाने में सहायता मिलेगी।

यूसीसी की नियमावली के अनुसार, जब यह कानून लागू होगा, तब से छह महीने के भीतर वे जोड़े जो पहले से शादीशुदा हैं, उन्हें पंजीकरण करवाने का समय मिलेगा। वहीं, यूसीसी लागू होने के दिन या उसके बाद शादी करने वालों को केवल तीन महीने का समय दिया जाएगा। निर्धारित समय के बाद पंजीकरण न करवाने वाले किसी भी सरकारी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे, लेकिन पंजीकरण करवाने के बाद उन्हें लाभ मिल सकेगा। बैठक में UCC के सदस्य मनु गौड़, सुरेखा डंगवाल, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, विशेष प्रमुख सचिव अमित सिन्हा, प्रमुख सचिव रमेश कुमार और सुधांशु भी शामिल हुए।

बंगाल में कांग्रेस नेता की हत्या से मच गया हड़कंप, घर के बाहर बुलाकर उतारा मौत के घाट, इलाके में फैली सनसनी

बंगाल में वारदातों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ उठी आवाज अभी शांत नहीं हुई है कि राज्य के अलग-अलग कोनों से हत्या और रेप के मामले सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में एक कांग्रेस नेता की मौत हो गई है। कुछ लोगों ने उन्हें घर से बाहर बुलाया और उनकी हत्या कर दी। इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।

यह मामला पश्चिम बंगाल का है। मालदा के कालिआचक इलाके में कांग्रेस नेता को मौत के घाट उतार दिया गया है। खबरों की मानें तो अलीनगर कांग्रेस के 43 वर्षीय नेता सिराजुल अली की बीती रात हत्या कर दी गई। हत्या की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। मगर इस घटना से आसपास के इलाकों में दहशत मच गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन अभी तक कातिलों का सुराख नहीं लग सका है।

बता दें कि सिराजुल अली पेशे से कारोबारी थे। साथ ही वो ग्राम पंचायत के भी सदस्य थे। सिराज काफी लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़े थे। बीती शाम को कुछ लोगों ने सिराज के घर का दरवाजा खटखटाया। जब सिराज ने दरवाजा खोला, तो आरोपियों ने उन्हें बाहर बुलाया। सिराज जैसे ही घर से बाहर निकले आरोपियों ने उनकी हत्या कर दी।

सिराज की मौत कैसे और क्यों की गई? इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है। पुलिस ने FIR दर्ज करके मामले की छानबीन शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो सिराज की हत्या के पीछे कोई बड़ी साजिश नहीं है। पुलिस की शुरुआती जांच में आपसी रंजिश की बात सामने आ रही है। हालांकि पुलिस ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है।

चीन ने अपनी कंपनियों को चेताया, भारत में निवेश ना करने की दी सलाह

#china_directs_auto_makers_to_avoid_investment_in_india

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था यानी चीन के सितारें इन दिनों गर्दिश में हैं। कई बड़ी कंपनियां इस हालात में चीन से पलायन कर रहीं हैं। इस हालात में चीन ने अपने देश के कार निर्माताओं को बाहर निवेश ना करने की सलाह दी है। चीन ने अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों से कहा है कि वो भारत में निवेश करने से बचें।

चीन का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़ी तकनीकी देश में ही रहनी चाहिए। हालांकि, दूसरी ओर चाइनीज कंपनियां निर्यात पर टैरिफ चार्ज से बचने के लिए दुनिया भर में कारखाने खोल रही हैं। दरअसल बीजिंग चीनी वाहन निर्माताओं को अपने विदेशी संयंत्रों में तथाकथित ‘नॉक-डाउन किट’ निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जिसका मतलब यह है कि वाहन के प्रमुख हिस्सों का उत्पादन घरेलू स्तर पर किया जाएगा और फिर उनके डेस्टिनेशन मार्केट में उन्हें असेंबलिंग के लिए भेजा जाएगा।इससे चीनी कंपनियां टैरिफ से बच जाएंगी।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से ज्यादा ऑटो मेकर्स के साथ बैठक की थी। इस बैठक में वाणिज्य मंत्रालय ने साफ शब्दों में ऑटो मेकर्स को भारत में निवेश ना करने की सलाह दी थी। हालांकि इसकी वजह सामने नहीं आ सकी थी।

चीन की सरकार ने ये निर्देश तब दिए हैं जब चाइनीज कंपनी BYD से लेकर चेरी ऑटोमोबाइल तक स्पेन से लेकर थाईलैंड और हंगरी तक फ़ैक्टरियां बनाने की योजना बना रही हैं, क्योंकि उनके इनोवेटिव और अफॉर्डेबल ईवी विदेशी बाज़ारों में पैठ बना सके। दरअसल चीनी की ज्यादातर कार निर्माता कंपनियां दूसरे देशों में मैन्युफैक्चरिंग लगाने पर विचार कर रही हैं ताकि चीनी निर्मित इलेक्ट्रिक व्हीकल पर टैरिफ चार्ज से बचा जा सके।

बीजेपी में भी सीएम पद को लेकर रार! अब अनिल विज ने ठोका दावा, कहा- मैं हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा

#i_will_claim_for_the_designation_of_cm_post_says_bjp_leader_anil_vij

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अनिल विज ने बड़ा दावा छोका है। रविवार को अनिल विज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोका।अनिल विज ने कहा कि वो मुख्यमंत्री पद का दावा करेंगे। उन्होंने कहा, मैं अपनी वरिष्ठता के दम पर मुख्यमंत्री पद का दावा करूंगा, बनाना या न बनाना यह हाई कमान का काम है।

अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी अनिल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, मैं हरियाणा में भाजपा का सबसे वरिष्ठ विधायक हूं। मैंने 6 बार चुनाव लड़ा है। मैं छह बार चुनाव लड़ चुका हूं और जीत चुका हूं। अब सातवीं बार मैं चुनाव लड़ रहा हूं। लोगों की मांग पर मैं इस बार अपनी वरिष्ठता के आधार पर सीएम पद के लिए दावेदारी करूंगा। हालांकि, यह हाईकमान के हाथ में है कि वे मुझे सीएम बनाते हैं या नहीं। अगर वे मुझे सीएम बनाते हैं तो मैं हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा।

बता दें कि पूर्व में गृहमंत्री रहने के दौरान कई बार विज को सीएम बनाने को लेकर अफवाहें चलीं थी मगर हर बार विज यही कहते रहे कि उन्होंने कभी नेतृत्व से सीएम पद नहीं मांगा। इस बार जब विज सातवीं बार चुनावी मैदान में जा रहे हैं तो यह कार्ड चलकर उन्होंने संगठन को भी साफ संदेश देने का काम किया है।

अनिल विज ने 1996 में हरियाणा से पहली बार अंबाला कैंट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस जीत के बाद लगातार उन्होंने जीत का सहरा पहना।2009, 2014, 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और तीनों बार जीत हासिल की। साथ ही 2014 और 2019 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में उन्होंने कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। हालांकि, वो नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने से नाराज नजर आ रहे थे, जिसके चलते जब 2024 में नायब सैनी को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया तो उसके बाद अनिल विज मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए। इससे पहले साल 2014 में भी अनिल विज सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया था।

सोनिया गांधी मॉडल लागू करना चाहते हैं', केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान पर बीजेपी का वार, जानें कांग्रेस ने क्या कहा*
#bjp_and_congress_said_delhi_cm_arvind_kejriwal_resignation *
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार को इस्तीफे का ऐलान कर दिया।तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आने पर आज पहली बार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि वो दो दिन सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे।सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि मैं इस्तीफा इसलिए दे रहा हूं क्योंकि इन्होंने मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही हर तरफ उनके इस्तीफे की चर्चा हो रही है। केजरीवाल इस फैसले पर आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि केजरीवाल ने अग्निपरीक्षा देने का फैसला किया है। वह जनता के बीच में जाएंगे।उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि आप देखिएगा दिल्ली की आम जनता केजरीवाल की ईमानदारी पर मुहर लगाएगी और काम के नाम पर केजरीवाल को फिर चुनेगी। अब इस पर बीजेपी के नेताओं के बयान भी सामने आ रहे हैं, जो सीएम केजरीवाल पर जमकर निशाना साध रहे हैं। जहां बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि यह अरविंद केजरीवाल का पीआर स्टंट है। वह यह बात समझ गए हैं कि दिल्ली की जनता के बीच उनकी छवि एक कट्टर ईमानदार नेता की नहीं बल्कि एक भ्रष्टाचारी नेता की हो चुकी है। आज आम आदमी पार्टी एक भ्रष्ट पार्टी के रूप में पूरे देशभर में जानी जाती है। अपने इस पीआर स्टंट के तहत वह अपनी छवि को वापस पाना चाहते हैं। *'केजरीवाल सोनिया गांधी मॉडल लागू करना चाहते हैं'* इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा इससे दिल्ली की जनता के सामने तीन बातें साफ हो चुकी हैं कि अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि उनका जीरो बैंक बैलेंस हैं, तो भाई इतना बड़ा शीशमहल आपने कैसे बना लिया। केजरीवाल जी कहते हैं कि मैं दिल्ली की जनता के बीच जाऊंगा। तब तक मैं कोई और मुख्यमंत्री बनाऊंगा, मतलब साफ है कि वह सोनिया गांधी वाले मॉडल को लागू करना चाहते हैं। जहां उन्होंने मनमोहन सिंह को डमी प्रधानमंत्री बनाया और पर्दे के पीछे से सरकार चलाई। इसी तरह वह सरकार चलाना चाहते हैं और तीसरा यह कि उन्हें आज समझ आ गया है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव हार रही है और दिल्ली की जनता उनके नाम पर वोट नहीं दे सकती, इसलिए वह ऐसा करना चाहते हैं। वह किसी और को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। *पत्नी को सीएम बनाना चाहते हैं केजरीवाल- सिरसा* वहीं, बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे मास्टर स्ट्रोक नहीं ओवर स्मार्ट कदम बताया है। सिरसा ने ये दावा भी किया- 'केजरीवाल ने अपनी पत्नी सुनीता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए ये दांव चला है। *कांग्रेस ने कहा- महज एक नौटंकी* वहीं कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि दोबारा सीएम बनने का सवाल ही नहीं उठता। हम लंबे समय से कह रहे हैं कि उन्हें सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। यह महज एक नौटंकी है। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई निर्वाचित नेता जमानत पर जेल से बाहर आया हो और उसे सुप्रीम कोर्ट ने सीएमओ न जाने और किसी भी कागज पर हस्ताक्षर न करने को कहा हो। ऐसी शर्तें पहले कभी किसी सीएम पर नहीं लगाई गई। शायद सुप्रीम कोर्ट को भी डर है कि यह व्यक्ति सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट उसके साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार कर रहा है। नैतिकता और अरविंद केजरीवाल का कोई संबंध नहीं है।
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सिसोदिया नहीं तो फिर कौन होगा दिल्ली का नया सीएम?

#who_will_become_the_new_cm_of_delhi

आबकारी नीति ‘घोटाला’ मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के दो दिन बाद दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान किया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे केजरीवाल ने कार्यकर्तओं को संबोधित करके हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। केजरीवाल ने रविवार को कहा कि 2 दिन बाद मैं सीएम पद से इस्तीफा दूंगा। केजरीवा ने कहा कि चुनाव के बाद सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा, मेरी जगह कोई और सीएम होगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि उनके साथ ही मनीष सिसोदिया भी कोई पद नहीं ग्रहण करेंगे। यानी इससे साफ हो गया है कि मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?

अरविंद केजरीवाल अब 2 दिन बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे।उन्होंने साफ किया कि मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। ऐसे में दिल्ली सीएम की कुर्सी पर सबसे बड़े दावेदार के रूप में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी देखी जा रही हैं। आतिशी सीएम केजरीवाल की बेहद भरोसेमंद नेताओं में गिनी जाती हैं। केजरीवाल उन पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया जब जेल गए थे तब उनकी जगह शिक्षा विभाग का जिम्मा आतिशी को ही दिया गया। उन्होंने ही दिल्ली का बजट भी पेश किया।

यही नहीं अपने इस्तीफे के ऐलान से पहले केजरीवाल ने अपने संबोधन के दौरान 15 अगस्त को लेकर आतिशी का नाम लिया। उन्होंने कहा, तिहाड़ जेल में रहने के दौरान मैंने एलजी को एक चिट्ठी लिखी कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर झंडा आतिशी फहराएंगी। लेकिन वो चिट्ठी वापस कर दी गई और यह भी वार्निंग दी गई कि फिर से चिट्ठी लिखी तो परिवार से मुलाकात बंद हो जाएगी।कालकाजी सीट से विधायक आतिशी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की सदस्य भी हैं और वर्तमान में दिल्ली सरकार में शिक्षा, उच्च शिक्षा, टीटीई, वित्त, योजना, पीडब्ल्यूडी, जल, बिजली, सेवाएं, सतर्कता, जनसंपर्क मंत्री हैं।

आतिशी के अलावा सौरभ भारद्वाज भी सीएम पद की रेस में सबसे आगे हैं। वह लंबे समय से आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं। दिल्ली विधानसभा में ग्रेटर कैलाश सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सौरभ दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास और पर्यटन मंत्री हैं। साथ वह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और संकटपूर्ण स्थितियों में पार्टी की ओर से पक्ष भी रखते हैं। इससे पहले सौरभ दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

सीएम पद की रेस में कैलाश गहलोत भी तीसरा बड़ा नाम चल रहा है। वह दिल्ली के परिवहन और पर्यावरण मंत्री हैं। वह नई दिल्ली के नजफगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। फिलहाल उनके पास परिवहन, प्रशासनिक सुधार, राजस्व, कानून, न्याय और विधायी मामले, महिला एवं बाल विकास तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी है। उन्होंने फरवरी 2015 में नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा के लिए अपना पहला चुनाव जीता था।

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री की रेस में राखी बिड़ला का नाम भी सामने आ रहा है। राखी बिड़ला एससी चेहरा हैं और पिछड़े वर्ग को ध्यान रखते हुए उन्हें कुर्सी सौंपी जा सकती है।

इसके अलावा एक नाम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी चल रहा है। बीजेपी भी इसको लेकर दावा कर रही है कि केजरीवाल अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।