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भारत में बैन होगा टेलीग्राम? CEO की गिरफ्तारी के बाद एक्शन मोड में भारत सरकार, मंत्रालय ने मांगी स्टेट्स रिपोर्ट

हाल ही में फ्रांस ने टेलीग्राम के सीईओ पावेल डुरोव को गिरफ्तार किया है. रूस में जन्मे डुरोव पर फ्रांसीसी सरकार ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनके साबित होने पर 20 साल की जेल की सजा हो सकती है. भारत सरकार भी टेलीग्राम के खिलाफ एक्शन मोड में आ गई है. केंद्र सरकार डुरोव के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ कदम उठाने की तैयारी कर रही है. कार्रवाई के दौरान अगर सरकार को सही लगा तो टेलीग्राम ऐप को भारत में बैन भी किया जा सकता है.

सरकार जानना चाहती है कि क्या इस ऐप का इस्तेमाल क्रिमिनल एक्टिविटीज में हो रहा है, जिसमें Extortion और Gambling आदि शामिल है. यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स से मिली है. रिपोर्ट्स में दावा किया है कि अगर ये जांच में दोषी पाया जाता है, तो इस पर बैन तक लग सकता है. भारत में यह जांच गृह मंत्रालय और मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी के तहत काम करने वाली एजेंसी Indian Cybercrime Coordination Centre (I4C) शुरू कर सकती है. Telegram के भारत में करीब 5 मिलियन रजिस्टर्ड यूजर्स हैं, ऐसे में पता चलता है कि इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाता है.

पावेल दुरोव पर आरोप है कि उनके मंच का इस्तेमाल काले धन को सफेद करने और ड्रग तस्करी जैसे अपराधों के लिए किया गया था. रिपोर्टों के मुताबिक, फ्रांस और रूस की दोहरी नागरिकता रखने वाले 39 वर्षीय दुरोव को शनिवार को अजरबैजान से फ्रांस में उतरने के बाद पेरिस-ले बॉर्गेट हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया. इस बीच, सूत्रों ने बताया कि फ्रांस के घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए आईटी मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से टेलीग्राम के खिलाफ लंबित शिकायतों की जांच करने और संभावित कार्रवाई के बारे में गौर करने को कहा है.

भारत सरकार की जांच गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeetY) द्वारा की जा रही है. इस बात को जाहिर तौर पर कोई नहीं झुठला सकता कि टेलीग्राम की भूमिका वक्त-वक्त पर कई गलत गतिविधियों में देखी गई है. ऐसे में प्लेटफॉर्म बैन करने का सरकार के लिए कोई बड़ी बात भी नहीं है, भारत में टेलीग्राम का भविष्य जांच एजेंसियों की शुरुआती जांच पर निर्भर करेगा. टेलीग्राम की प्राइवेसी भी कई बार सवालों के घेरे में आ चुकी है

यूपी के गोंडा में स्कूल जा रही 2 छात्राओं का बदमाशों ने किया अपहरण, फिर दोनों के साथ किया सामूहिक दुष्कर्म

उत्तर प्रदेश के गोंडा में घर से स्कूल जा रही दो छात्राओं को स्कूल के गेट से अगवा कर चार आरोपी उसकी आबरू लूट लिया. खोड़ारे थानाक्षेत्र में दो छात्राओं को स्कूल गेट से अगवा करके सामूहिक दुष्कर्म किया. पुलिस ने परिजनों की तहरीर पर दो नामजद सहित चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है.

खोड़ारे थानाक्षेत्र में पुलिस चौकी गौरा चौकी के दो अलग-अलग गांवों की छात्राओं के परिजनों ने पुलिस को सामूहिक तहरीर देते हुए बताया है कि 24 अगस्त की सुबह मेरी 13 वर्षीय लड़की और 16 वर्षीय सहेली के साथ क्षेत्र के निजी स्कूल में पढ़ने गई थी. इसी दौरान स्कूल के बाहर से ही आरोपी अनस और उसके दोस्त शादाब अपने दो साथियों के साथ मिलकर दोनों को अपहरण कर लिया.

पुलिस ने पीड़ित परिजनों की तहरीर पर अपहरण, गैंगरेप सहित पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. थाना प्रभारी सर्वजीत गुप्ता ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर अनस पुत्र अबुल कलाम व शादाब अहमद पुत्र सोहराब को पकड़ लिया गया है. घटना में प्रयुक्त बाइक भी बरामद कर ली गई है. सीओ मनकापुर आरके सिंह ने बताया कि मामले के अन्य दोनों आरोपियों की तलाश की जा रही है.

कोलकाता में नबन्ना मार्च के दौरान बवाल, प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज

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कोलकाता मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार-हत्या मामले को लेकर 'नबान्न अभियान' के दौरान जमकर बवाल हो रहा है। पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन (पानी की बौछारें) भी की है। पुलिस ने हावड़ा ब्रिज से कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया

नबान्न अभियान’ मार्च निकालते हुए प्रदर्शनकारी हावड़ा के संतरागाछी में पुलिस बैरिकेड्स पर चढ़ गए और बैरिकेड्स तोड़ दिए। कई जगहों पर पुलिस द्वार वाटर कैनन से पानी की बौछार करने के बाद भी प्रदर्शकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को खींचकर हटा दिया और ‘नबन्ना अभियान’ मार्च निकाला।

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की दरिंदगी से रेप के बाद हत्या करने के मामले में छात्र संगठनों ने राज्य सचिवालय 'नाबन्ना' का घेराव करने का ऐलान किया था। उन्हें रोकने के लिए 19 जगह बेरीकेडिंग की गई थी और 6,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। इसके बावजूद छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं थे। कोलकाता पुलिस ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि छात्रों की भावनाएं भड़काकर पुलिस को उकसाने वाली कार्रवाई करने की साजिश रची जा रही है। ऐसे में हिंसक टकराव हो सकता है। इस बयान के बाद आशंका थी कि कोलकाता पुलिस छात्रों के आगे बढ़ने पर कड़ी कार्रवाई कर सकती है, जिससे प्रदर्शन उग्र हो सकता है। यही हुआ है।

छात्रों का यह आंदोलन एक फेसबुक पोस्ट से शुरू हुआ है, जिसे कल्याणी विश्वविद्यालय के छात्र शुभंकर हलदर और सयान लाहिड़ी तथा रवीन्द्रभारती विश्वविद्यालय के छात्र प्रबीर दास ने बुलाया है। पूरे आंदोलन को गैरराजनीतिक बताने वाले छात्र मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा मांग रहे हैं। साथ ही ट्रेनी डॉक्टर का रेप के बाद मर्डर करने वाले आरोपी के लिए मृत्यु दंड और पीड़िता डॉक्टर अभया (बदला हुआ नाम) के लिए न्याय की मांग की जा रही है। कोलकाता पुलिस ने फेसबुक पोस्ट करने वाले इन तीनों छात्र नेताओं समेत कुल 4 छात्र नेता हिरासत में लिए हैं। इससे प्रोटेस्ट और ज्यादा भड़क गया है।

मेटा सीईओ मार्क जकरबर्ग का बाइडेन सरकार पर बड़ा आरोप, बोले-कंटेंट सेंसर के लिए मेटा पर बार-बार दबाव डाला

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अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। इससे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मेटा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने बाइडन-कमला हैरिस प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाया है।अमेरिकी कांग्रेस को लिखे एक लेटर में उन्‍होंने कहा है कि जो बाइडेन के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कुछ खास कंटेंट को सेंसर करने के लिए मेटा पर बार-बार दबाव डाला।

मार्क इलियट जकरबर्ग कहा कि उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ बदलाव तो करने ही पड़े। जकरबर्ग ने ये भी कहा कि उन्हें इस बारे में आउटस्पोकन न होने यानी और अधिक मुखर न होने का अफसोस है। उन्होंने कहा कि साल 2021 में वाइट हाउस समेत बाइडन प्रशासन के सीनियर अधिकारियों ने ह्यूमर और सैटायर समेत कुछ कोविड-19 से जुड़े मटीरियल को सेंसर करने के लिए हम पर महीनों तक दबाव डाला। जब हम इस पर सहमत नहीं हुए तो उन्होंने इसे लेकर अपनी निराशा भी व्यक्त की थी।

जुकरबर्ग ने कहा कि आखिरकार यह हमारा फैसला था कि कंटेंट को हटाना है या नहीं। हमारे फैसलों के लिए हम ही जिम्मेदार हैं। जुकरबर्ग ने पत्र में लिखा 'मेरा मानना है कि सरकार का दबाव गलत था, और मुझे खेद है कि हम इस बारे में अधिक मुखर नहीं थे। मुझे दृढ़ता से लगता है कि हमें किसी भी दशा में किसी भी प्रशासन के दबाव के कारण अपने कंटेंट मानकों से समझौता नहीं करना चाहिए और अगर ऐसा कुछ फिर से होता है तो हम पीछे हटने के लिए तैयार हैं।'

मेटा सीईओ ने पत्र में एफबीआई की उस चेतावनी पर भी बात की, जिसमें साल 2020 के राष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले बाइडेन परिवार और बरसीमा के बारे में रूस के संभावित दुष्प्रचार अभियान की बात की गई थी। जुकरबर्ग ने कहा,'उस साल विंटर सीजन में जब हमने न्यूयॉर्क पोस्ट में तत्कालीन डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन के परिवार से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की रिपोर्ट देखी, तो हमने उस स्टोरी को फैक्ट चेकर्स के पास समीक्षा के लिए भेजा और जवाब की प्रतीक्षा करते हुए उसे अस्थायी रूप से हटा दिया था। उन्होंने आगे लिखा, बाद में यह रिपोर्टिंग रूसी दुष्प्रचार नहीं निकली थी। पलटकर देखें तो हमें इस स्टोरी को डाउन नहीं करना चाहिए था। हमने अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में बदलाव किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसा दोबारा न हो।

जम्मू कश्मीर में भी किस्मत आजमाएंगे केजरीवाल, AAP ने की 7 उम्मीदवारों की घोषणा

दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी, आम आदमी पार्टी (AAP) ने रविवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सात उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची की घोषणा कर दी है। AAP ने पुलवामा से फैयाज अहमद सोफी, राजपोरा से मुद्दसिर हसन और देवसर से शेख फिदा हुसैन को मैदान में उतारा है। मोहसिन शफकत मीर को डूरू, मेहराज दीन मलिक को डोडा, यासिर शफी मट्टो को डोडा पश्चिम और मुसस्सिर अजमत मीर को बनिहाल से उम्मीदवार बनाया गया है।

उल्लेखनीय है कि, यह पहली बार होगा जब आप राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ेगी, जो 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में होने वाला है। इस बीच, गुलाम नबी आज़ाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (DPAP) ने भी 13 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची की घोषणा की। DPAP की ओर से जारी एक पोस्ट में कहा गया, "विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा कर रहे हैं। उन्हें हमारी शुभकामनाएं, क्योंकि वे हमारे लोगों की सेवा और प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं!" वहीं, कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के लिए फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के साथ गठबंधन किया है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला से मुलाकात के तुरंत बाद चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की गई। बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस-एनसी गठबंधन विधानसभा चुनाव में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। बता दें कि, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा।

खड़गे परिवार को कैसे मिल गई डिफेंस एयरोस्पेस की जमीन ? विवादों में आई कर्नाटक सरकार तो मंत्री ने दिए ये तर्क

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार एक बार फिर विवादों में घिर गई है। वाल्मीकि घोटाला और MUDA घोटाले के बाद अब राज्य सरकार पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं, जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे राहुल खड़गे को फायदा पहुंचाने की बात कही जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद लाहर सिंह सिरोया ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) की साइट नियमों के खिलाफ राहुल खड़गे को आवंटित की गई है।

सिरोया ने दावा किया कि बेंगलुरु के पास हाईटेक डिफेंस एयरोस्पेस पार्क में 5 एकड़ जमीन सिद्धार्थ विहार एजुकेशन ट्रस्ट को आवंटित की गई है, जिसका नेतृत्व राहुल खड़गे करते हैं। सिरोया ने कहा कि खड़गे परिवार द्वारा संचालित इस ट्रस्ट को SC कोटे के तहत यह जमीन मिली है, जो कि नियमों के खिलाफ है। उन्होंने सवाल उठाया कि उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने मार्च 2024 में इस आवंटन की अनुमति कैसे दी और पुछा कि खड़गे परिवार कब एयरोस्पेस उद्यमी बने ? बता दें कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के ट्रस्टियों में मल्लिकार्जुन खड़गे, उनकी पत्नी राधाबाई खड़गे, उनके दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि, बेटे और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे और राहुल खड़गे शामिल हैं। सिरोया ने इस मामले से जुड़े दस्तावेज भी पेश किए हैं और इसे सत्ता का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव का मामला करार दिया है।

वहीं, कर्नाटक कांग्रेस के मंत्री एमबी पाटिल ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि जमीन आवंटन में कोई नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि साइट को निर्धारित मूल्य पर बिना किसी छूट के आवंटित किया गया है और यह आवंटन राज्य स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर हुआ है। पाटिल के अनुसार, राहुल खड़गे IIT ग्रेजुएट हैं और वे इस जमीन पर रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करना चाहते हैं, जो KIADB के मानदंडों के अनुसार सही है। मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने भी सिरोया के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आवंटित स्थल औद्योगिक नहीं, बल्कि शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रस्ट का इरादा मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने का है, जो कि पूरी तरह से वैध है।

एमपी के श्योपुर जिले में मटकी फोड़ने के लिए भीड़ के सामने परंपरा के नाम पर बंदूक से दागी गईं अनगिनत गोलियां, बेखबर रही पुलिस मध्यप्रदेश स

 मध्यप्रदेश से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है यहाँ एक गांव में मटकी फोड़ने के लिए लोगों ने बंदूकों से अंधाधुंध गोलियां चलाईं। हैरान करने वाली बात यह है कि सैकड़ों लोगों की भीड़ की उपस्थिति में, परंपरा के नाम पर यह गोलीबारी की गई। इस के चलते कोई भी अनहोनी हो सकती थी, मगर पुलिस एवं प्रशासन इस पूरे मामले से बेखबर रहे। सोशल मीडिया पर अब इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है। पुलिस का कहना है कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है तथा वे अपनी सफाई में यही तर्क दे रहे हैं।

वायरल वीडियो श्योपुर जिले के विजयपुर क्षेत्र के इकलौद गांव का है, जहां प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के मौके पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस प्रतियोगिता में जवान, बुजुर्ग एवं यहां तक कि कई नाबालिग भी हिस्सा लेते हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि नदी में रखी मटकियों को बंदूकों से निशाना बनाया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में कई बंदूकधारी लोग भी सम्मिलित होते हैं। 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन इकलौद गांव में क्वारी नदी के किनारे मटकी फोड़ प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। यहां परंपरा के मुताबिक, मटकी को लाठी-डंडे या नारियल से नहीं, बल्कि बंदूक की गोली से फोड़ा जाता है। इस बार भी नदी में 5 मटकियां रखी गईं, जिन पर पंचायत की ओर से इनाम भी रखा गया। तत्पश्चात, मटकी फोड़ने के लिए अंधाधुंध गोलीबारी की गई, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

गौरतलब है कि हर्ष फायरिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। इसके बाद भी विजयपुर के इकलौद गांव में पुरानी परंपरा के नाम पर गोलियां चलाई गईं। अब जिम्मेदार अफसर मामले से अनजान होने का दावा कर रहे हैं। विजयपुर अनुभाग के SDOP पीएन गोयल ने बताया कि वीडियो उनके संज्ञान में नहीं आया है तथा न ही उन्हें किसी प्रतियोगिता की जानकारी है। उन्हें इस बारे में मीडिया से पता चला है। यदि ऐसा कोई वीडियो वायरल हुआ है, तो वे इसे दिखवाएंगे तथा मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।

समुद्र में बढ़ी हलचलः श्रीलंका में भारत ने एक तो चीन ने तीन युद्धपोत किए तैनात

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हिंद महासागर एक ऐसा क्षेत्र बन गया है जहां चीन और भारत अपना-अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं। इस बीच एक हैरान कर देने वाली घटना घटी है। भारतीय नौसेना का पोत आईएनएस मुंबई श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को कोलंबो बंदरगाह पहुंचा। संयोग से चीनी नौसेना के तीन युद्धपोत भी आज कोलंबो बंदरगाह पहुंचे।यानी श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक ही दिन भारत और चीन के 4 वॉरशिप पहुंचे। जिसने हलचल पैदा कर दी है।

श्रीलंका नौसेना ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारतीय नौसेना का जहाज 'मुंबई' श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर है। इस बीच, श्रीलंका नौसेना ने कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना के तीन युद्धपोत हे फेई, वुझिशान और किलियानशान भी सोमवार सुबह औपचारिक यात्रा पर कोलंबो बंदरगाह पहुंचे।

क्यों दोनों देश के युद्धपोत कोलंबो पहुंचे हैं

बता दें कि कोलंबो में श्रीलंका ने आईएन मुंबई का स्वागत किया, जिसकी कमान कैप्टन संदीप कुमार के हाथों में है और जिसमें 410 नाविकों का दल है। साथ ही कोलंबों ने चीनी युद्धपोतों का भी स्वागत किया। हे फेई 144.50 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिस पर चालक दल के 267 सदस्य सवार हैं, जबकि वुझिशान 210 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिस पर चालक दल के 872 सदस्य हैं वहीं किलियानशान 210 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिसमें चालक दल के 334 सदस्य सवार हैं। आईएनएस मुंबई और चीनी युद्धपोतों को श्रीलंकाई युद्धपोतों के साथ अलग-अलग “पैसेज अभ्यास” करने का कार्यक्रम है, जो 29 अगस्त को ही होगा।

विज्ञप्ति के अनुसार आईएनएस मुंबई श्रीलंकाई नौसेना के साथ संयुक्त गतिविधियों जैसे खेल, योग और तटीय क्षेत्र की सफाई आदि में भी शामिल होगा। आईएनएस मुंबई 29 अगस्त को कोलंबो तट पर श्रीलंका नौसेना के एक जहाज के साथ 'पैसेज एक्सरसाइज' में भी भाग लेगा।

श्रीलंकाई द्वीप पर चीनी जहाज के रुकने को लेकर चिंतित भारत

द हिन्दू बिजनेसलाइन के मुताबिक दोनों देशों के वॉरशिप का एक ही दिन कोलंबो पोर्ट पर आना काफी अनोखा है। दरअसल भारत लंबे समय से श्रीलंकाई द्वीप पर चीनी जहाज के रुकने को लेकर चिंता जताता रहा है। पिछले साल भारत ने कहा था कि चीन अपने रिसर्च वैसल्स के जरिए भारत की जासूसी करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद श्रीलंका ने सितंबर 2023 में चीन के जहाजों को अपने देश में रुकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि कुछ महीने पहले श्रीलंका ने ये रोक हटा दी थी।

रिसर्च शिप के नाम पर चीन करता है जासूसी!

चीन के पास कई जासूसी जहाज हैं। वो भले ही कहता हो कि वो इन शिप का इस्तेमाल रिसर्च के लिए करता है, लेकिन इनमें पावरफुल मिलिट्री सर्विलांस सिस्टम होते हैं। जासूसी जहाजों को चीन की सेना ऑपरेट करती हैचीनी जासूसी जहाज पूरे प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में काम करने में सक्षम हैं। मालदीव और श्रीलंकाई बंदरगाह पर पहुंचने वाले चीनी जहाजों की जद में आंध्रप्रदेश, केरल और तमिलनाडु के कई समुद्री तट आ जाते हैं।

अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शिप को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स यानी एसएसएफ ऑपरेट करती है। एसएसएफ थिएटर कमांड लेवल का ऑर्गेनाइजेशन है। यह पीएलए को स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और साइकोलॉजिकल वारफेयर मिशन में मदद करती है।

चीन के जासूसी जहाज पावरफुल ट्रैकिंग शिप हैं। शिप में हाईटेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। इससे यह 1,000 किमी दूर हो रही बातचीत को सुन सकता है। मिसाइल ट्रैकिंग शिप में रडार और एंटीना से बना इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगा होता है। ये सिस्टम अपनी रेंज में आने वाली मिसाइल को ट्रैक कर लेता है और उसकी जानकारी एयर डिफेंस सिस्टम को भेज देता है। यानी, एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज में आने से पहले ही मिसाइल की जानकारी मिल जाती है और हमले को नाकाम किया जा सकता है।

क्या है नबन्ना अभियान? बनी ममता के लिए 'गले की फांस'

#what_is_nabanna_abhijan_kolkata 

पश्चिम बंगाल में छात्र समाज के नबन्ना मार्च को लेकर बवाल मचा हुआ है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई अत्याचार को लेकर आज प्रदेश सचिवालय यानी नबन्ना भवन के आस पास नबन्ना अभियान का आयोजन किया गया है। पश्चिम बंगाल छात्र समाज नामक संगठन के बैनर तले यह मार्च बुलाया गया है। ममता सरकार के खिलाफ छात्रों के इस प्रदर्शन को बीजेपी का साथ मिला है।

मार्च को रोकने के लिए सरकार तैयार

आज होने वाले इस मार्च को रोकने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रदर्शन को देखते हुए शहर में 4,500-5,000 पुलिस कर्मियों की तैनाती रहेगी। आइजी व डीआइजी रैंक के 21 पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा का विशेष जिम्मा सौंपा गया है।ड्रोन, वाटर कैनन, और आंसू गैस के गोले तक तैनात किए गए हैं। 

टीएमसी सरकार को है साजिश की आशंका

छात्र समाज कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर उभरा एक संगठन है। ममता सरकार ने इस मार्च को अवैध करार देते हुए कहा है कि उसे शरारती तत्वों द्वारा अशांति फैलाने की खुफिया जानकारी मिली है। तृणमूल कांग्रेस ने रैली को सड़कों पर अराजकता पैदा करने की साजिश करार देते हुए पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटल के भाजपा नेताओं के कुछ वीडियो जारी किए, जो रैली में कथित तौर पर हिंसा भड़काने की योजना बना रहे थे। पुलिस ने दोनों नेताओं को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया।

ट्रैफिक पुलिस ने जारी की एडवायजरी

आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप के विरोध में प्रस्तावित नबन्ना अभिजन रैली को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने ट्रैफिक एडवायजरी जारी की है। शहर को विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ने वाले कई रूटों के लिए डायवर्जन किया है। एनएच 16 के साथ कोलाघाट की ओर से आने वाले वाहन दूसरे हुगली ब्रिज और कोलकाता की ओर जाने के लिए निबरा से निबेदिता ब्रिज से जाएं। दानकुनी की ओर से आने वाले वाहन हुगली ब्रिज पर जाने के लिए निबेदिता ब्रिज से ही जाएं। हावड़ा रेलवे स्टेशन से कोलकाता जाने वाले वाहन जीटी रोड के माध्यम से जाएं। निबरा और द्वितीय हुगली ब्रिज के बीच कोना एक्सप्रेसवे, आलमपुर और लक्ष्मी नारायणतला मोड़ के बीच अंदुल रोड, मल्लिक फाटक और बेतियाताला के बीच जीटी रोड, मंदिरतला और द्वितीय हुगली ब्रिज के बीच, काजीपारा और द्वितीय हुगली ब्रिज के बीच, फोरशोर रोड - काजीपारा से रामकृष्णपुर क्रॉसिंग सहित कई मार्गों पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दिया गया है। हावड़ा रेलवे स्टेशन से ग्रैंड फोरशोर रोड, एचएम बोस रोड, एचआईटी ब्रिज से आरबी सेतु और एमबी रोड से एनएस रोड-मल्लिक फाटक भी रास्ता बंद है।

आखिर नबन्ना अभिजान है क्या?

बता दें कि पहले बंगाल का सचिवालय रायटर्स बिल्डिंग में हुआ करता था। लेकिन जब 2011 में ममता बनर्जी सरकार में आई तो उन्होंने हावड़ा में हुबली नदी के किनारे बिल्डिंग को सचिवालय बनाया और उसे नबान्न नाम दिया। नब से मतलब है नया। बीजेपी ने ममता सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान को नबान्न चलो अभियान नाम दिया था। इसके बाद वामपंथी छात्र संगठनों ने भी नबन्ना अभियान चलाया था।

बीजेपी सांसद कंगना रनौत के बयान पर सियासत गर्म, जानें ऐसा क्या कहा कि बीजेपी ने भी कर लिया किनारा

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भाजपा सांसद और बॉलीवुड एक्ट्रैस कंगना रनौत के बयान पर सियासत गरमा गई है। विपक्ष कंगना के बयान पर हमलावर है। अभिनेता से नेता बनी कंगना के किसानों पर बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया है। बीजेपी की हिदायत के बाद भी विपक्ष के हमले कम नहीं हुए हैं। कांग्रेस का कहना है कि या तो पार्टी माफी मांगे या कंगना किसानों से हाथ जोड़कर माफी मांगें।

भाजपा की किसान विरोधी नीति और नीयत का सबूत-राहुल गांधी

कंगना के बयान पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा- भाजपा सांसद द्वारा किसानों को बलात्कारी और विदेशी ताकतों का नुमाइंदा कहना भाजपा की किसान विरोधी नीति और नीयत का सबूत है। अन्नदाताओं के मान-सम्मान पर हमला करने से किसानों से किया गया मोदी सरकार का धोखा छिप नहीं सकता।

बयान से बीजेपी का किनारा

इससे पहले, कंगना के किसानों पर बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया है। सोमवार को पार्टी ने लिखित स्टेटमेंट जारी कर बताया, कंगना बयान देने के लिए पार्टी की ओर से अधिकृत नहीं हैं।साथ ही उन्हें भविष्य में ऐसे कमेंट न करने की सख्त हिदायत दी है। पार्टी ने एक लिखित स्टेटमेंट जारी किया है। इसमें लिखा है, ‘भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में दिया गया बयान, पार्टी का मत नहीं है। भाजपा कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है। पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं।’

बीजेपी ने कंगना को हिदायत देते हुए कहा, ‘वे इस प्रकार के कोई बयान भविष्य में न दें।’ पार्टी ने कहा, ‘भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ तथा सामाजिक समरसता के सिद्धांतों पर चलने के लिए कृतसंकल्पित है।’

कंगना ने क्या कहा?

कंगना ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘किसान आंदोलन के नाम पर बांग्लादेश जैसी अराजकता भारत में भी हो सकती थी। बाहरी ताकतें अंदरूनी लोगों की मदद से हमें बर्बाद करने की योजना बना रही थी। अगर हमारे नेतृत्व की दूरदर्शिता नहीं होती तो वे सफल हो जाते। पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे और वहां बलात्कार तथा हत्याएं हो रही थीं।’