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बड़ी खबर: कंपलसरी रिटायर किए गए पूर्व IPS जीपी सिंह की बहाली का रास्ता साफ, कैट के फैसले पर लगी दिल्ली हाईकोर्ट की मुहर

नई दिल्ली- कंपलसरी रिटायरमेंट किए गए पूर्व आईपीएस जीपी सिंह को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली है. केंद्र सरकार की ओर से कैट के आदेश को चुनौती दिए जाने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. जीपी सिंह ने कंपलसरी रिटायरमेंट को कैट में चुनौती दी थी. कैट ने उनके पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था. कैट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी राज्य में उनके विरुद्ध चल रहे प्रकरण में उनके पक्ष में फ़ैसला सुनाया था.

कैट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट की ओर सही ठहराये जाने के बाद अब छत्तीसगढ़ पुलिस में उनकी बहाली का रास्ता साफ हो गया है. जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और गिरीश कठपालिया की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2024 को कैट के आदेश को सही ठहराया है. इससे पहले जीपी सिंह को छत्तीसगढ़ सरकार की अनुशंसा पर भारत सरकार ने कंपलसरी रिटायर कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ जीपी सिंह कैट की शरण ली थी.

जल्द हो सकती है सेवा बहाली

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब अनुमान लगाया जा रहा है कि जीपी सिंह जल्द सेवा में लौट आयेंगे. राज्य सरकार केंद्र को एक बार फिर सिफारिश भेज सकती है. इससे पहले भी कैट के फ़ैसले के बाद राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सिफारिश भेजी थी लेकिन तब केंद्र ने पुनर्विचार की चिट्ठी भेज दी थी.

छत्तीसगढ़ में डिजिटल फसल सर्वेक्षण 9 सितम्बर से होगा प्रारंभ

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंशानुरूप एग्रीस्टेक परियोजना के अंतर्गत खरीफ-2024 में डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए धमतरी, महासमुंद और कबीरधाम जिले को पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत चयन किया गया है। गौरतलब है कि भारत सरकार की कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ में डिजिटल फसल सर्वे के लिए इन जिलों को चयनित किया गया है। इन तीनों जिलों के प्रत्येक गांव में डिजिटल फसल सर्वेक्षण होगा। इसके अलावा राज्य के शेष जिलों में चयनित गांवों में डिजिटल फसल सर्वे का कार्य होगा। डिजिटल फसल सर्वेक्षण का कार्य 9 सितम्बर से प्रारंभ होगा, जो 30 सितम्बर तक पूर्ण किया जाएगा।

राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा के निर्देश पर राज्य में एग्रीस्टेक परियोजना के संचालन निगरानी और विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करने हेतु राज्य स्तर पर क्रियान्वयन समिति का गठन किया गया है। सभी जिला कलेक्टरों को जिला स्तर और तहसील स्तर पर क्रियान्वयन समिति शीघ्र गठित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने डिजिटल फसल सर्वे में कार्य करने वाले शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों, जिला नोडल अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसीलदार, मास्टर ट्रेनर, राजस्व निरीक्षक एवं पटवारी का प्रशिक्षण 31 अगस्त तक तथा सर्वेक्षणकर्ताओं को 7 सितम्बर तक अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण दिए जाने का निर्देश दिए हैं।

भू-अभिलेख संचालनालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में डिजिटल फसल सर्वेक्षण का कार्य बलौदाबाजार-भाटापारा, रायपुर, बिलासपुर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, जांजगीर-चांपा, कोरबा, मुंगेली, रायगढ़, सक्ती, सारंगढ़-बिलाईगढ़, बेमेतरा, दुर्ग, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी, राजनांदगांव और जशपुर के जिला मुख्यालय के तहसील के प्रत्येक ग्राम में तथा शेष जिलों के कलेक्टर द्वारा चयनित पांच ग्रामों में खरीफ 2024 में लगाए गए फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण किया जाएगा।

प्रत्येक ग्राम में 20 सर्वेक्षणकर्ताओं का होगा चयन

सर्वेक्षण कर्ताओं का चयन पटवारी के माध्यम से तहसीलदार द्वारा किया जाएगा। डिजिटल फसल सर्वेक्षण किये जाने हेतु प्रत्येक सर्वेक्षण कर्ता महिला या पुरुष को न्यूनतम 10 वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। प्राथमिकता का क्रम क्रमशः कृषि स्नातक, विज्ञान स्नातक, विज्ञान से 12 वीं पास, 12 वीं पास, 10 वीं पास रखा गया है। उसके पास स्वयं का एड्रायड मोबाईल वर्जन 9$ हो जिसमें इंटरनेट होना आवश्यक है। सर्वेक्षण कर्ता का बैंक खाता एवं आधार नंबर होना आवश्यक हैं। सर्वेक्षण कर्ता की आयु 18 वर्ष से ऊपर हो। प्रत्येक ग्राम में अधिकतम 20 सर्वेक्षणकर्ताओं का चयन किया जायेगा। प्रत्येक सर्वेक्षण कर्ता को प्रत्येक सर्वे के लिए एप के माध्यम से सही सर्वेक्षण एवं अपलोड करने तथा स्वीकृत हो जाने की दशा में 10 रूपये प्रति खसरा मानदेय आधार-संबद्ध बैंक खातों के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।

हल्का पटवारी करेंगे पर्यवेक्षण

डिजिटल फसल सर्वेक्षण के अंतर्गत किये गये कार्यों का संबंधित हल्का पटवारी द्वारा पर्यवेक्षण प्रत्येक दिवस किया जाएगा। सर्वेक्षण कर्ता द्वारा डिजिटल फसल सर्वेक्षण के अंतर्गत किये गये प्रविष्टियों का संबंधित राजस्व निरीक्षक द्वारा सत्यापन किया जाएगा। प्रविष्टि को दो दिवस के भीतर सत्यापन सुनिश्चित किया जाएगा। डिजिटल फसल सर्वेक्षण के अंतर्गत किये गये कार्यों की जाँच अतिशीघ्र संबंधित तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वारा किया जाएगा।

साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट भेजने के निर्देश

सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन अविनाश चंपावत ने सभी कलेक्टरों को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है कि तहसील एवं जिला स्तरीय समिति डिजिटल फसल सर्वेक्षण के कार्यों का सतत् पर्यवेक्षण, नियंत्रण एवं समीक्षा करेंगे। डिजिटल फसल सर्वेक्षण के अंतर्गत समय-सीमा में समस्त कार्यों का गुणवत्तापूर्वक सम्पादन की जिम्मेदारी संबंधित जिला कलेक्टर की होगी। डिजिटल फसल सर्वेक्षण के कार्यों की साप्ताहिक प्रगति की जानकारी विभाग को सर्वेक्षण अवधि में प्रत्येक बुधवार को प्रेषित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

शूटिंग प्रतिस्पर्धा में इंस्पेक्टर वैभव मिश्रा का जलवा, तीन कम्पटीशन में भाग लेकर तीन गोल्ड किया अपने नाम…

रायपुर- छत्तीसगढ़ की राजधानी में पदस्थ रक्षित निरीक्षक वैभव मिश्रा ने शूटिंग प्रतिस्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुये तीन स्वर्ण पदक को अपने नाम किया है। इनकी इस उपलब्धी पर रायपुर एसएसपी सहित छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बधाई दी हैं।

छत्तीसगढ़ प्रदेश राइफ़ल एसोसिएशन द्वारा आयोजित 23 वी शूटिंग प्रतिस्पर्धा में रायपुर रक्षित निरीक्षक वैभव मिश्रा ने पिस्टल की तीन प्रतिस्पर्धा में भाग लेकर तीनों में ही स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया है

रायपुर रक्षित निरीक्षक वैभव मिश्रा ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर जी वी मावलंकर प्रतियोगिता के लिए क्वालीफ़ाई कर लिया है। वर्तमान में रक्षित निरीक्षक रायपुर नेशनल राइफ़ल एसोसिएशन द्वारा आयोजित शूटिंग प्रतियोगिता में शामिल होने गोवा भी जा रहे है।

रक्षित निरीक्षक वैभव मिश्रा छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के बाद से अभी तक कोई भी पुलिस अधिकारी ने निर्धारित अंक प्राप्त नहीं किया था। रक्षित निरीक्षक रायपुर पुलिस के पहले अधिकारी है जिन्होंने जीवी मावलंकर प्रतियोगिता हेतु निर्धारित अंक राज्य स्तरीय शूटिंग में प्राप्त किया है। छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

छत्तीसगढ़ में तीन डी. फॉर्मेसी कॉलेज के विरूद्ध की जाएगी कार्यवाही
रायपुर-   छत्तीसगढ़ मे प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति द्वारा तीन डी. फॉर्मेसी कॉलेजो ऋषिकेश इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, सेजबहार, रायपुर, नूपुर कॉलेज ऑफ फार्मेसी, ओल्ड धमतरी रोड, रायपुर एवं श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च सेंटर, रायपुर के द्वारा फीस निर्धारित न किये जाने और संबंधित विभाग के सचिव और संचालक को इस संबंध में समुचित कार्यवाही हेतु लिखे जाने का निर्णय लिया गया है। तीनों डी. फार्मेसी कॉलेजो के निरीक्षण के दौरान प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति ने पाया कि इन्होंने पूरी सुविधाएं जुटाए बिना कॉलेज प्रारंभ कर दिया, कॉलेजो में न ही पुस्तकालय एवं प्रयोगशाला है और न ही शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ वहां मिले। इसी आधार पर समिति ने कार्यवाही का निर्णय लिया है। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि फीस विनियामक समिति के पास फीस निर्धारण के लिये आवेदन देने के पूर्व फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, संबंधित विश्वविद्यालय और संबंधित संचालक से भी अनुमति प्राप्त की जानी चाहिए।
पिछड़ा वर्ग के जाति-समूहों पर शोध अध्ययन हो, तो शोधार्थी 30 सितम्बर तक आयोग को कर सकते हैं प्रस्तुत

रायपुर-    छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा प्रदेश में पिछड़ा वर्ग समुदाय के कल्याण को ध्यान में रखते हुए उनके आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनैतिक भागीदारी पर अध्ययन करने का निर्णय लिया गया है। आयोग अध्यक्ष आर.एस. विश्वकर्मा की अध्यक्षता में 12 अगस्त 2024 में सर्वे का काम प्रारंभ हो गया है। आयोग द्वारा पिछड़ा वर्ग में शामिल जाति-समूह के संदर्भ में यदि कोई शोध अध्ययन करना चाहते हो तो ऐसे शोधार्थी 30 सितम्बर तक आयोग को आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पिछड़ा वर्ग समुदाय के कल्याण के लिए छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया गया है। इस आशय के अधिसूचना छत्तीसगढ़ राजपत्र में 27 जून 2020 को प्रकाशित भी की गई है। राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग में कुल 87 जाति समूह को शामिल किया गया है, जिसकी सूची छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की वेबसाईट में उपलब्ध है। शासन द्वारा आयोग के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए आर.एस. विश्वकर्मा को अध्यक्ष, निलाम्बर नायक, हरिशंकर यादव, यशवंत वर्मा, कृष्णा गुप्ता, शैलेन्द्री परगनिहा को सदस्य मनोनीत किया है। आयोग के अध्यक्ष आर.एस. विश्वकर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर आयोग द्वारा राज्य शासन को उक्त अधिसूचना के क्रमांक 02 अंतर्गत पिछड़ा वर्ग समूहों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनैतिक सहित अन्य विषयों पर अध्ययन कर शासन को सुझाव प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है।

आयोग द्वारा बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार प्रदेश में पिछड़े वर्ग की वर्तमान सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक स्थिति का अध्ययन, शासन के विभिन्न विभागो की संरचना एवं योजनाओं में पिछड़े वर्ग की भागीदारी की वर्तमान स्थिति का अध्ययन कर रिपोर्ट शासन को सौंपा जाएगा।

इसी प्रकार राज्य की शैक्षणिक संस्थाओं में पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को मिल रहे लाभों का अध्ययन। राज्य में पिछड़े वर्ग के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का आंकलन तथा इसमें वृध्दि की उपाय, राज्य में पिछड़े वर्ग की युवाओं हेतु कौशल उन्नयन कार्यकमों तथा प्रशिक्षण के संचालन की वर्तमान स्थिति की समीक्षा। पिछड़े वर्ग के सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक कल्याण हेतु अन्य उपाय तथा अनुशंसा भी की जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य में त्रि-स्तरीय पंचायतों एवं नगरीय निकायों के निर्वाचन में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण के संबंध में अध्ययन कर रिपोर्ट से राज्य शासन को अवगत कराया जाएगा।

खैरागढ़ जिले के प्रभारी मंत्री लखनलाल देवांगन ने की विकास कार्यों की समीक्षा

रायपुर-   वाणिज्य एवं उद्योग और श्रम मंत्री एवं खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के प्रभारी मंत्री लखनलाल देवांगन ने आज जिला कलेक्टोरेट खैरागढ़ के सभाकक्ष में अधिकारियों की बैठक लेकर विकास कार्यों की समीक्षा की। बैठक में मंत्री श्री देवांगन ने कहा कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हो और उसका बेहतर लाभ आम नागरिकों तक प्राथमिकता के साथ पंहुचे। उन्होंने सभी अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारीपूर्वक निर्वहन करते हुए जनहित के कार्य करने प्रेरित किया।

समीक्षा बैठक में राजनांदगांव लोकसभा सांसद संतोष पांडे, खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा, पुलिस अधिक्षक त्रिलोक बंसल, जिला पंचायत राजनादगांव की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरुचि सिंह, अपर कलेक्टर सहित अन्य विभागीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

मंत्री श्री देवांगन ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए उन्होंने जिला अस्पताल के निर्माण के लिए जल्द से जल्द जगह चिन्हित करने को कहा। इसके अलावा जिले में ब्लड बैंक प्रारंभ करने की दिशा में तेजी से जुटने के निर्देश दिए। साथ ही मौसमी बीमारियों के रोकथाम के लिए तत्परता से जुट कर कार्य करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए।

इसी तरह जल जीवन मिशन योजना की समीक्षा करते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को मंत्री श्री देवांगन ने निर्देश देते हुए कहा की योजना को सिर्फ़ पूर्ण करने के बजाए घर-घर तक पानी भी मिले इसकी भी निगरानी करें।

बैठक में मंत्री श्री देवांगन ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सोच है की हर योजना का लाभ अधिक से अधिक आमजनों तक पहुंचे, इस दिशा में सभी विभाग समन्वय बनाकर काम करें। उन्होंने कहा कि यह नया जिला है, संसाधन की कमी अभी है, लेकिन आने वाले समय में विष्णु देव सरकार में क्षेत्र को किसी तरह की कमी नहीं आने दी जाएगी। इस दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा मंत्री श्री देवांगन को जिले की समस्याओं से अवगत कराया गया।

कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा ने प्रभारी मंत्री श्री देवांगन को आश्वस्त करते हुए कहा कि शासन के मंशानुरूप शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ आमजनों तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा बेहतर कार्ययोजना बनाकर लगातार प्रयास किया जा रहा है। बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना, महतारी वंदन योजना, पीएम उज्जवला योजना, पीएम विश्वकर्मा योजना, स्वच्छ भारत मिशन आदि महत्वाकांक्षी योजनाओं सहित शिक्षा, श्रम, रोजगार, वन आदि विभागीय योजनाओं एवं गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा हुई और लक्ष्य के अनुरूप आवश्यक प्रगति लाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

शहीद संजय यादव का बलिदान छत्तीसगढ़ के इतिहास में अमिट रहेगा : विजय शर्मा

रायपुर-    उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने रायपुर के टिकरापारा स्थित संजय नगर के शहीद संजय यादव शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शहीद संजय यादव की प्रतिमा का अनावरण किया।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि शहीद संजय यादव का बलिदान छत्तीसगढ़ के इतिहास में अमिट रहेगा। उन्होंने कहा कि नक्सलियों से लड़ाई लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले का एहसान हम सभी पर है। उन्होंने कहा कि शहीद संजय यादव के परिवारजनों की बेहतर शिक्षा-दीक्षा के परिणामस्वरूप ही वे जीवन के सर्वाेच्च बलिदान देने के लिए आगे बढ़े।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार उन सभी शहीदों का स्मारक बनवाएगी, जिन्होंने अपने जीवन को लोकतंत्र और समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ के वीर सपूतों के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक होगा।

गौरतलब है कि शहीद प्रधान आरक्षक संजय यादव का जन्म 21 मार्च 1974 को जिला रायपुर के टिकरापारा, में हुआ। उनकी माता का नाम श्यामा बाई यादव और पिता का नाम बरातु राम यादव है। बचपन से ही मेधावी और अनुशासित छात्र संजय यादव ने अपनी प्राथमिक शिक्षा टिकरापारा के नुतन शासकीय स्कूल और खालसा स्कूल, रायपुर से प्राप्त की।

संजय यादव ने 04 सितंबर 1998 को रायपुर नगर सेवा में भर्ती होकर 07 वर्षों तक सेवा दी। 2005 में वे जिला राजनांदगांव में जीडी आरक्षक के पद पर भर्ती हुए और पुलिस विभाग में अपनी सेवाएँ दीं। 2008 में उनके उत्कृष्ठ कार्य और नक्सली नेटवर्क को तोड़ने के कारण उन्हें आउट ऑफ प्रमोशन देकर प्रधान आरक्षक के पद पर प्रमोट किया गया। 12 जुलाई 2009 को शहीद संजय यादव ने राजनांदगांव क्षेत्र के मदनवाड़ा थाना मोहला के अंतर्गत कोरकटटी में नक्सली मुठभेड़ के दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शहीद विनोद चौबे के साथ अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने निर्धारित गुणवत्ता से पौधे लगाने और पर्यवेक्षण के दिए हैं निर्देश

रायपुर-   छत्तीसगढ़ में वन विभाग द्वारा किए गए वृक्षारोपण कार्यों में अनियमितताएं पाए जाने पर राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। विभाग के अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण कार्य में निर्धारित मापदंडों का पालन न करने और लापरवाही बरतने के मामले में असफल वृक्षारोपण पर हुए व्यय को शासन की वित्तीय क्षति माना है। कोरबा और राजनांदगांव वनमंडल के संबंधित अधिकारियों से इस अनियमितता के चलते 9 लाख 90 हजार 357 रुपये की वसूली की गई है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम को प्रदेश में सफल बनाने के लिए निर्धारित गुणवत्ता के साथ पौधे लगाने एवं उसके पर्यवेक्षण के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्य की जा रही है। इस तारतम्य में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वनबल प्रमुख द्वारा वर्ष 2023-24 में विगत वर्षो के वृक्षारोपण में मूल्यांकन के आधार पर असफल वृक्षारोपण से शासन को हुई क्षति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से राशि वसूली की गई है।

कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छत्तीसगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरबा वनमंडल के वनपरिक्षेत्र अधिकारी और राजनांदगांव वनमंडल में संबंधित अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण कार्य में लापरवाही बरती गई। इन मामलों में कुल 9 लाख 90 हजार 357 रुपये की वसूली की गई है। यह राशि उन अधिकारियों, कर्मचारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों से वसूली गई है, जिन्हें वृक्षारोपण कार्य में अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं। कोरबा वनमंडल के तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी परसखेत योमनलाल धु्रव से सौल्वा (ब) ऑरेंज एरिया कक्ष क्रमांक 1351 वृक्षारोपण में अनियमितता पाई गई, जिसके कारण उनसे 2 लाख 41 हजार 636 रुपये की वसूली की गई। इसी तरह राजनांदगांव वनमंडल के तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी बाघनदी श्री बलदाऊ प्रसाद चौबे से कक्ष क्रमांक- आर.एफ. 595 रोपण में हुई अनियमितता के लिए 5 लाख 19 हजार 300 रुपये की वसूली की गई। इसके अतिरिक्त वन मंडल कोरबा के तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक बाल्को शमशुद्दीन फारूकी से 1 लाख 41 हजार 275 रुपये की वसूली की गई है।

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि वन विभाग के कार्यों में पारदर्शिता और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करना आवश्यक है, और इस दिशा में सरकार कोई समझौता नहीं करेगी। इस पूरे मामले के मद्देनजर वन विभाग के अधिकारियों को सतर्कता बरतने और योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है और वह इसे जड़ से खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

प्राक्कलन समिति की बैठक में शामिल हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल

रायपुर/नई दिल्ली-    रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित प्राक्कलन समिति की प्रथम बैठक में शामिल हुए। लोकसभा सचिवालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने की जिसमे सदस्यों को समिति की कार्यप्रणाली से अवगत कराया गया।बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि, प्राक्कलन समिति का कार्य काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि जनता के धन का उपयोग प्रभावी और पारदर्शी तरीके से हो रहा है। यह समिति सरकारी खर्चों की जवाबदेही तय करने और वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।

प्राक्कलन समिति भारत की संसद की सबसे बड़ी समिति है, जो लोकसभा के सदस्यों से मिलकर बनती है। इस समिति का मुख्य कार्य सरकार के खर्चों की जांच करना और यह सुनिश्चित करना है कि धन का सही और आर्थिक रूप से उपयोग हो रहा है। समिति विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों के व्यय का मूल्यांकन करती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आवंटित धन का उपयोग प्रभावी और आर्थिक रूप सही से हो रहा है। समिति सरकार को नीतिगत सुझाव भी देती है जिससे सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सुधार हो सके। समिति अपनी जांच के आधार पर रिपोर्ट तैयार करती है और लोकसभा में प्रस्तुत करती है। ये रिपोर्ट्स सार्वजनिक होती हैं और इन पर चर्चा की जाती है।

प्राक्कलन समिति 2023-24 के दौरान ‘सौर पार्क और अल्ट्रा मेगा सौर पावर प्रोजेक्ट्स का कार्यान्वयन - एक समीक्षा’ नवीकरणीय ऊर्जा, राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी का प्रदर्शन, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) के तहत विभिन्न परियोजनाओं का मूल्यांकन’, ‘अमृत भारत स्टेशन योजना की प्रगति’, पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और एपैरल पार्क योजना और बीमार टेक्सटाइल यूनिट्स/PSUs के पुनरुद्धार प्रयास’, नमामी गंगे कार्यक्रम के तहत सीवेज उपचार परियोजनाओं का मूल्यांकन, पहाड़ी क्षेत्रों में हाइड्रो पावर परियोजनाओं का मूल्यांकन, प्राइवेट एंटरप्रेन्योर गारंटी योजना और भारतीय खाद्य निगम - एक समीक्षा उपभोक्ता मामले, 'राष्ट्रीय कार्यक्रम पर रोकथाम और नियंत्रण नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज' और 'राष्ट्रीय वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम' का प्रदर्शन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन पर लेकर संबंधित मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट पहले ही प्रस्तुत कर चुकी है।

एमओयू पर छिड़ी सियासी जंग : पूर्व मंत्री राजेश मूणत बोले-
रायपुर- राजधानी में लाइट मेट्रो ट्रेन शुरू करने की महापौर एजाज ढेबर की योजना पर सवाल उठ गया है. पूर्व मंत्री और विधायक राजेश मूणत ने मास्को के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर के साथ किए गए कथित एमओयू को लेकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि महापौर ढेबर जिस एमओयू का जिक्र कर रहे हैं, इस तरह का एमओयू एक देश दूसरे देश के साथ तभी कर सकता है, जब कैबिनेट समिति की मंजूरी मिली हो. मूणत ने कहा कि यदि महापौर एजाज ढेबर ने कथित एमओयू पर दस्तखत किया है, तो इसकी भारत में कोई वैधता नहीं है. उन्होंने यह भी कहा है कि ढेबर की यात्रा निजी थी. वह सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे थे.

दरअसल, बीते दिन 22 अगस्त को यह खबर आई की राजधानी में लाइट मेट्रो ट्रेन जैसी आधुनिक सुविधाओं को लेकर रायपुर नगर निगम के मेयर एजाज़ ढेबर ने मास्को सरकार के साथ रायपुर शहर में लाइट मेट्रो रेल के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो मास्को में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय परिवहन शिखर सम्मेलन 2024 के दौरान हुआ था.

मेयर ढेबर की विदेश यात्रा पूरी तरह व्यक्तिगत थी : विधायक राजेश मूणत

उन्होंने मेयर ऐजाज ढेबर के विदेश यात्रा के संबंध में कहा किमेयर ढेबर मास्को (रूस) में जिस परिवहन विकास विभाग की बैठक में हिस्सा लेने की बात कह रहे हैं, उसका निमंत्रण मास्को शहर के डिप्टी मेयर ने दिया था, न कि वहां की सरकार ने. मेयर ढेबर की यह यात्रा व्यक्तिगत है, जिसका पूरा खर्च वही उठा रहे हैं. राज्य सरकार से इसकी कोई अनुमति नहीं ली गई है, मेयर ढेबर सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं, इसलिए यह सरकारी यात्रा भी नहीं है.

आगामी चुनाव के लिए सब्जबाग जमाने की कोशिश कर रहे मेयर : विधायक राजेश मूणत

आरोप लगाते हुए कहा कि रायपुर समेत प्रदेश में जल्दी ही नगरीय निकाय के चुनाव होने वाले हैं। मेयर ढेबर ने कथित तौर पर लोगों को यह सब्जबाग दिखाने की कोशिश की है. जो कुछ भी मेयर इस यात्रा में कर रहे हैं, वह पूरी तरह से उनके व्यक्तिगत क्षमता में किया जा रहा है. इसलिए कोई भी समझौता या MOU, जिसे वे हस्ताक्षरित करते हैं, उसे RMC द्वारा हस्ताक्षरित नहीं माना जा सकता है.

सरकार से इस MOU पर जल्द की जाएगी चर्चा : ऐजाज ढेबर

इस मामले को लेकर महापौर ऐजाज ढेबर ने बातचीत में कहा कि ऐसे MOU सरकार के माध्यम से ही होते है, इस बात की जानकारी मुझे है. उन्होंने कहा मॉस्को के समिट और मेट्रो रेल की जानकारी फरवरी के सामान्य सभा में 15 मिन के भाषण के दौरान पार्षदों को जानकारी दी गई है. इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट समिट में शामिल होकर रायपुर में लाइट मेट्रो रेल के लिए मैंने कंसेंट दिया है और मॉस्को दौरे से लौटकर सरकार से इस MOU पर चर्चा भी जल्द की जाएगी.

वहीं नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने महापौर ऐजाज ढेबर पर निगम की छवि धूमिल करने और जनता को धोखे में रखने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शहर के प्रथम नागरिक होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी है, कि कोई भी बात उन्हें तथ्यात्मक रूप से रखनी चाहिए. अपने निजी यात्रा दौरान की कई कार्यों को आधिकारिक बताना, शहर की जनता के साथ धोखा करने जैसा है.

इस पूरे मामले को लेकर पूर्व सांसद सुनील सोनी ने कहा कि मैं दो बार रायपुर का महापौर रह चुका हूं. यह योजना सैकड़ों करोड़ की है. कोई महापौर दूसरे देश जाकर स्वयं कैसे MOU साइन कर सकता है, क्योंकि उसके अंदर राज्य सरकार की भागीदारी होनी आवश्यक है. निगम एक लोकल गवर्नमेंट है, जो अन्तर्राष्ट्रीय MOU नहीं कर सकती.