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एअर इंडिया फ्लाइट में मिली बम होने की धमकी,135 यात्रियों को सुरक्षित फ्लाइट से उतारे गए

22 अगस्त को मुंबई से तिरुवनंतपुरम के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट को बम की धमकी मिलने से हड़कंप मच गया. इसके तुरंत बाद तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर इमरजेंसी घोषित कर दी गई है.

एयर इंडिया की फ्लाइट करीब 8 बजे तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर लैंड हुई. इसके बाद उसे आइसोलेशन बे में रखा गया. जहां तिरुवनंतपुरम में 135 यात्रियों को सुरक्षित उतारा गया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक AI 657 (BOM-TRV) 22 अगस्त को 7:30 बजे बम की धमकी की सूचना दी. 07:36 पर टीआरवी हवाई अड्डे पर पूर्ण आपातकाल घोषित कर दिया गया. फ्लाइट को सुरक्षित तरीके से उतारा गया, जिसके बाद विमान को आइसोलेशन बे में पार्क किया गया. राहत की बात ये रही कि फ्लाइट में मौजूद सभी यात्री सुरक्षित हैं. किसी के हताहत होने की खबर अभी तक सामने नहीं आई है. हवाईअड्डे का संचालन फिलहाल शांत है.

पायलट ने दी जानकारी

विमान के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के पास पहुंचने पर पायलट ने बम की धमकी मिलने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विमान में 135 यात्री सवार हैं. हालांकि अभी तक इस बात की जानकारी नहीं है कि बम कि धमकी किसने दी और कैसे दी है.

पोलैंड में पीएम मोदी ने जामसाहेब मेमोरियल पर दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय पोलैंड यात्रा पर हैं. पीएम ने बुधवार को पोलैंड के वारसॉ में जाम साहब ऑफ नवानगर मेमोरियल पर जाकर श्रद्धांजलि दी. यहां द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सैकड़ों पोलिश बच्चों को शरण देने वाले नवानगर के महाराजा दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा की प्रतिमा है. इस पर जामनगर राजघराने के वंशज जाम साहब शत्रुशीयसिंहजी दिग्विजयसिंकी जडेजा ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर धन्यवाद भी किया.

इस मौके पर नवानगर के जाम साहब विंग कमांडर शत्रुशीयसिंहजी दिग्विजयसिंकी जडेजा ने अपनी खुशी साझा की कि प्रधानमंत्री ने पोलैंड में उनके विस्तारित परिवार के साथ बातचीत की. उन्होंने पोलिश लोगों द्वारा सहन की गई अकल्पनीय परीक्षाओं और कष्टों के प्रति गहरी श्रद्धा पर चर्चा भी की. उन्होंने एक लिखित बयान में कहा कि प्रधानमंत्री के ये विवेकपूर्ण भाव महाराजा दिग्विजय सिंहजी रणजीत सिंहजी जडेजा की भावना और मानवता को दर्शाते हैं.

पीएम मोदी से किया ये अनुरोध

दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पर उन्होंने पीएम के विचारों और उनके हाव भाव की तारीफ भी की. इसके साथ उन्होंने ये भी बताया कि विरासत को आगे बढ़ाने और भारत-पोलैंड के लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री से दोनों देशों के बीच युवा, छात्र और सांस्कृतिक आदान-प्रदान स्थापित करने पर विचार करने का भी अनुरोध किया.

पीएम मोदी ने शेयर की तस्वीरें

जाम साहब मेमोरियल में दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तस्वीरें भी शेयर की है. इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि जाम साहब मानवता और करुणा के एक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण दुनिया की महत्वपूर्ण नींव हैं. उन्होंने ये भी बताया कि जाम साहब को पोलैंड में डोबरी महाराजा के नाम से याद किया जाता है.

गुजरात सीएम ने भी किया पोस्ट

इसको लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने भी इस यात्रा का स्वागत किया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर गुजराती भाषा में पोस्ट करते हुए कहा कि भारत और पोलैंड के संबंधों में गुजरात की भूमिका इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में संरक्षित है. प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और पोलैंड के संबंधों को और भी ज्यादा मजबूत करेगी.

आंध्र प्रदेश की फार्मा कंपनी में लगी आग,4 कर्मचारियों की मौत,30 लोग गंभीर रूप से घायल

आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली अच्युतपुरम में एक बड़ा हादसा हो गया. यहां सेंसिया कंपनी में बुधवार दोपहर एक रिएक्टर फार्मा यूनिट में विस्फोट के बाद आग लग गई. आग में चार मजदूरों की मौत हो गई है जबकि 30 लोग घायल हो गए हैं. आग लगने की खबर के बाद दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाने की कोशिश की गई. कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.

अच्युतपुरम पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी के मुताबिक आग लगने से रामबिली मंडल के चार मजदूर चपेट में आए हैं. विस्फोट काफी भयानक था जिसके बाद आग तेजी से फैलनी शुरू हुई, जिससे मजदूरों को बाहर आने का टाइम नहीं मिला, ऐसे में लगभग 30 मजदूर बुरी तरह से घायल हो गए.

दूर तक केवल धुंआ ही धुंआ

घायलों को इलाज के लिए अनकापल्ली और अच्युतपुरम के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है. चश्मदीदों के मुताबिक उन्होंने एक जोरदार धमाके की आवाज सुनी जिससे वह दहल गए. दूर तक केवल धुंआ ही धुंआ था. मौके पर अफरा-तफरा मच गई. चीख पुकार के बीच फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही थी लेकिन आग और धुंआ इतना ज्यादा था कि अंदर सही से कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. आग लगने की पूरी घटना फैक्ट्री में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.

पुलिस ने दर्ज किया मामला

फार्मा कंपनी में लगभग 1000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. आग इतनी भीषण थी कि उसमें से उठता काला घना धुआं 5 किमी दूर से भी दिखाई दे रहा था. अनकापल्ली के एसपी मुरली कृष्णा ने बताया कि फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. आग की घटना कैसे हुई और इसमें प्रबंधन की कोई लापरवाही थी या नहीं, इसकी जांच की जाएगी. फायर ब्रिगेड की टीम से भी हादसे को लेकर जानिकारियां जुटाई जा रही हैं.

आइए जानते हैं इंसान ने खाना बनाने की शुरुआत कब से की थी

खाना बनाना इंसान की सबसे पुरानी कलाओं में से एक है. यह सिर्फ भूख मिटाने का जरिया ही नहीं, बल्कि संस्कृति, समाज और इतिहास का एक अहम हिस्सा भी है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इंसान ने पहली बार खाना बनाना कब शुरू किया? इस सवाल का सटीक जवाब देने के लिए हमें कुछ रिसर्च पर गौर करना होगा, क्योंकि उस समय कोई लिखित रिकॉर्ड मौजूद नहीं था.

सबसे पहले कुकिंग कब शुरू हुई? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमें ऑर्कियोलॉजिस्ट्स और साइंटिस्ट्स पर निर्भर रहना पड़ता है, क्योंकि उन्होंने कई तरह के सबूतों को स्टडी किया है.

खाना पकाना जरूरी था, क्योंकि कुछ रिसर्चर्स का मानना ​​है कि इसी वजह से हमारे मानव पूर्वजों को बड़ा दिमाग विकसित करने के लिए जरूरी एक्स्ट्रा कैलोरी पाने में मदद मिली. तो खाना पकाने का आविष्कार कब हुआ?

कितने साल पहले खाना पकाना हुआ शुरू?

समय के बारे में कुछ साफ नहीं है, लेकिन सबूत बताते हैं कि लोग कम से कम 50,000 साल पहले और सबसे ज्यादा शुरुआती समय की बात की जाए तो 20 लाख साल पहले से खाना पका रहे हैं. यह सबूत दो जगह से आते हैं- ऑर्कियोलॉजी और बायोलॉजी.

खाना पकाने के लिए आर्कियोलॉजिकल सबूत का एक हिस्सा दांतों का कैलकुलस या सख्त डेंटल प्लाक (पीली परत) में पाए जाने वाले पके हुए स्टार्च के दाने हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के रिटायर्ड प्रोफेसर और “कैचिंग फायर: हाउ कुकिंग मेड अस ह्यूमन” (बेसिक बुक्स, 2009) के ऑथर रिचर्ड रैंगहम बताते हैं कि लोग इस चीज को 50,000 साल पुराने दांतों में पा सकते हैं.

आग और खाना पकाना

लेकिन उससे पहले के सबूत कुछ साफ इशारा नहीं करते हैं. आम तौर पर साइंटिस्ट्स इस बात के सबूत तलाशते हैं कि लोग आग को काबू कर रहे थे. लेकिन आग को काबू करने का सबूत जरूरी नहीं कि खाना पकाने का सबूत हो. लोग उस आग का इस्तेमाल गर्मी के लिए या कुछ औजार बनाने के लिए कर सकते थे

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऑर्कियोलॉजिकल जियोकैमिस्ट बेथन लिंस्कॉट के मुताबिक, आर्कियोलॉजिकलिक रिकॉर्ड में आग के सबूत हर जगह मौजूद हैं. लेकिन समस्या यह है कि यह काबू हुई आग थी या फिर आग को इकट्ठा करके जलाया गया था. आप सोचिए कि एक जंगली आग है और आपके पास ऐसे होमिनिन हैं जो सुलगती हुई टहनी को उठाकर उसका फायदा उठा सकते हैं और शायद औजारों को तैयार कर सकते हैं या खाना बना सकते हैं.

जब आप आग पर काबू के सबूत की तलाश कर रहे होते हैं तो सबसे जरूरी चीजों में आग जलाने की एक खास जगह (जैसे-चूल्हा) होती है. इसलिए शायद पत्थरों को एक गोल घेरे के आकार में लगाया गया हो और फिर बीच में कुछ राख हो, शायद कुछ फाइटोलिथ (लंबे समय से मरे हुए पौधों से निकला सिलिका स्ट्रक्चर) और जली हुई कलाकृतियां और चीजें हों.

यहां मिले आग काबू करने के सबूत

रिसर्चर्स ने इन कलाकृतियों को कई जगहों पर पाया है जो होमो सेपियन्स से पहले की हैं, जिसका मतलब है कि पहले के होमिनिन भी आग का इस्तेमाल करते थे. इजराइल में केसेम गुफा में जांच कर रही एक टीम को कटे हुए जानवरों के अवशेषों के पास 3 लाख साल पुराने चूल्हे के सबूत मिले, और इंग्लैंड के सफोक में एक गुफा की जगह पर 4 लाख साल पुराना चूल्हा है जिसमें जली हुई हड्डियां और औजार बनाने के चकमक पत्थर हैं.

इससे और भी पहले दक्षिण अफ्रीका में वंडरवर्क गुफा में राख की वजह से साइंटिस्ट्स को शक हुआ कि 10 लाख साल पहले भी खाना पकाया जाता था. लगभग 30 मीटर (100 फीट) गहरी गुफा से यह मुमकिन नहीं है कि 10 लाख साल पहले यह राख प्राकृतिक रूप से बनी हो.

केन्या में 16 लाख साल पहले की काबू पाई आग के सबूत भी मिले हैं. इजराइल में गेशर बेनोट या’आकोव नामक एक साइट पर काम करते समय रिसर्चर्स को 7.8 लाख साल पहले खाना पकाने के और भी पुख्ता सबूत मिले. वहां न केवल पत्थरों के घेरे थे जो चूल्हे का इशारा करते थे, बल्कि मछली की हड्डियां भी थीं जो गर्म होने के सबूत दिखाती थीं.

कच्चा खाना खाने से हुआ बदलाव

खाना पकाने की शुरुआत कब हुई, इसका जैविक प्रमाण मानव शरीर के विकास के तरीके में मौजूद है. हम पृथ्वी पर हर दूसरी प्रजाति से अलग हैं क्योंकि हम जैविक रूप से पका हुआ खाना खाने के आदी हैं. उदाहरण के लिए कच्चा खाना खाने वाले लोगों पर की गई एक स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि इन लोगों का वजन कम होने लगा और एक तिहाई महिलाओं में मासिक धर्म बंद हो गया.

मानव पूर्वज और मौजूदा इंसान

कुकिंग की शुरुआत मॉडर्न इंसानों के उभरने से भी पहले हो सकती है. होमो इरेक्टस (Homo erectus) पहला होमिनिन था जिसके शरीर का अनुपात प्राइमेट जैसा कम और इंसान जैसा ज्यादा था. कुछ विशेषताओं से पता चलता है कि वे खाना पकाने वाले पहले व्यक्ति हो सकते हैं.

इंसानों और हमारे प्राइमेट कजिन के बीच एक बड़ा फर्क हमारी आंत का आकार है. क्योंकि खाना पकाने के लिए हमें कम पाचन करना पड़ता है, इसलिए हमारी आंतें उनकी तुलना में छोटी होती हैं.

हमारी बड़ी आंत, हमारा कोलोन, आंत का आखिरी हिस्सा, उस आकार का लगभग दो-तिहाई है जो अगर हम चिम्पांजी, बोनोबो या गोरिल्ला होते तो होता. इसका मतलब है कि उनके मुकाबले हमारे पेट सपाट हैं, न कि उभरे हुए हैं.

उन बड़ी आंतों को एडजस्ट करने के लिए गैर-मानव प्राइमेट्स में चौड़े पेल्विस और उभरी हुई पसलियां होती हैं. हमारे मानव पूर्वजों ने लगभग 20 लाख साल पहले ये विशेषताएं खो दी थीं.

चबाने वाले दांतों से मिला ये संकेत

उसके बाद जो दूसरी चीज हुई वह मानव विकास के इतिहास में चबाने वाले दांतों के आकार में सबसे बड़ी गिरावट थी. इसलिए फिर से यह इस विचार से बहुत मेल खाता है कि अचानक खाने में कुछ बदल गया है. खास तौर पर खाना चबाना आसान हो गया है, क्योंकि शायद यह नरम था. यह लगभग उसी समय हुआ था, 18 लाख साल पहले.

इसलिए यहां बड़ी कहानी यह है कि खाना पकाने की शुरुआत लगभग 19 लाख साल पहले उस प्रजाति की उत्पत्ति के साथ हुई जो मानव विकास में सबसे ज्यादा हमारे जैसी दिखती है, यानी होमो इरेक्टस. रैंगहम को लगता है कि खाना पकाना और आग पर काबू पाना होमो इरेक्टस के विकास के लिए जिम्मेदार था.

लेकिन उस समय के आग को काबू करने वाले सबूतों के बिना, यह सोचना कि होमो इरेक्टस पहला रसोइया था, अभी भी बहस का विषय है. अभी भी बहुत से लोग इस पर काम कर रहे हैं, और यह लंबे समय तक चलता रहेगा. लिंस्कॉट के अनुसार, शायद साइंटिस्ट्स कभी भी सटीक तौर पर यह नहीं बता पाएंगे कि खाना बनाने की शुरुआत कब हुई थी.

प्रभास की फिल्म में हुई पाकिस्तान की इस बड़ी एक्ट्रेस की एंट्री,जाने

साउथ की बड़ी प्रोडक्शन कंपनी मैत्री मूवी मेकर्स अपनी अगली तेलुगु फिल्म बनाने के लिए तैयार है. यह फिल्म एक पीरियड एक्शन ड्रामा है, जिसके लीड रोल में पैन इंडिया सुपरस्टार प्रभास दिखने वाले हैं. इस फिल्म के टाइटल और इसकी लीड फीमेल एक्ट्रेस को लेकर काफी समय से कन्फ्यूजन बनी हुई थी, जो कि अब खत्म हो गई है. टाइटल को लेकर कहा गया है कि अस्थायी तौर पर इसका नाम ‘फौजी’ रखा गया है, इसके साथ ही फीमेल एक्ट्रेस की भी बात की गई है.

पहले खबर थी कि इस फिल्म में मृणाल ठाकुर या इमानवी प्रभास के अपोजिट नजर आ सकती हैं, लेकिन अब इस खबर को क्लियर कर दिया गया है. हाल ही में मैत्री मूवी मेकर्स की तरफ से ‘फौजी’ की ऑफिशियल अनाउंसमेंट की गई है. ये फिल्म इंडियन सिनेमा की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक होगी. इस फिल्म का डायरेक्शन ‘सीता रामम’ के डायरेक्ट हनु राघवपुडी कर रहे हैं. इस फिल्म के लिए 17 अगस्त को हैदराबाद में पूजा रखी गई थी, जिसकी तस्वीरों को मैत्री मूवी मेकर्स ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया था. यह एक पीरियड ड्रामा एक्शन-एडवेंचर फिल्म होगी.

ये पाकिस्तानी एक्ट्रेस निभाएंगी रोल

फिल्म की पूजा के दौरान एक्ट्रेस और डांसर इमानवी भी मौजूद थीं, इसी दौरान उनकी फिल्म में मुख्य भूमिका में होने की बात कही गई थी. हाल ही में फिल्मफेयर की रिपोर्ट के मुताबिक, अब फिल्ममेकर ने इस फिल्म के लिए दूसरे चेहरे को शामिल किया है. यह चेहरा भारत से लेकर पाकिस्तान तक जाना जाता है. ‘फौजी’ में प्रभास के साथ बड़े पर्दे पर पाकिस्तानी एक्ट्रेस सजल अली नजर आने वाली हैं. पिछले कुछ महीनों से सजल के इस फिल्म में काम करने की बात सामने आ रही थी.

बड़े कलाकार होंगे फिल्म में शामिल

‘फौजी’ एक पीरियड-एक्शन ड्रामा होगी, जो कि 1940 के समय में सेट होगी. यह फिल्म एक योद्धा की कहानी पर बेस्ड है, जो कि न्याय के लिए लड़ता है. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती और जया प्रदा जैसे बेहतरीन कलाकार भी शामिल हो सकते हैं.इस फिल्म की शूटिंग 24 अगस्त से शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है.

श्रीदेवी के साथ ‘मॉम’ में आई थीं नजर

सजल पाकिस्तान में काफी फेमस चेहरा है, सजल ने बॉलीवुड की फिल्म ‘मॉम’ में काम किया है, जो कि 2017 में रिलीज हुई थी. उनकी यह फिल्म दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी के साथ थी और यह श्रीदेवी की आखिरी फिल्म थी. सजल अली पाकिस्तान की टॉप एक्ट्रेसेस में से एक हैं और इनका नाम पाकिस्तान की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक्ट्रेसेस की लिस्ट में भी शामिल है. पाकिस्तान गवर्नमेंट की तरफ से सजल को तमगा-ए-इम्तियाज अवॉर्ड दिया गया है. सजल ने 2009 में ‘नादानियां’ से अपने करियर की शुरुआत की थी, जो कि जियो टीवी पर आई थी.

पाकिस्तान से इराक जा रही शिया तीर्थयात्रियों की बस दुर्घटना में 28 लोगों की मौत,14 लोग घायल

पाकिस्तान से हर साल कई शिया तीर्थयात्रियों इराक जाते है. लेकिन 20 अगस्त की रात को इराक जा रही एक बस ईरान के यज्द में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. दुर्घटना के समय इस बस में 51 लोग सवार थे. बताया जा रहा है कि इनमें से कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई. स्थानीय आपातकालीन अधिकारी मोहम्मद अली मालेकजादेह ने बताया कि ये दुर्घटना मंगलवार रात को ईरानी प्रांत यज़्द में हुई. उन्होंने बताया कि दुर्घटना में 23 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 14 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है.

दुर्घटना का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. ईरान के सड़क सुरक्षा मुद्दे अच्छी तरह से लिखित हैं. देश में यातायात कानूनों के खराब पालन, असुरक्षित वाहनों की वजह से हर साल लगभग 17,000 से ज्यादा ऐसी घटनाएं होती हैं. 20 अगस्त को हुई इस घटना के अगले ही दिन बुधवार की सुबह सिस्तान और बलूचिस्तान में एक और बस दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई और 18 लोग घायल हो गए. अब दोनों दुर्घटनाओं की जांच की जा रही है.

शहादत को याद करते हैं

हर साल कई मुस्लिम इस तीर्थयात्रा के लिए जाते हैं. इसमें सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं कई और देशों से भी लोग वहां जाते हैं. शिया मुस्लिम खासतौर पर इराक जाते हैं. इस यात्रा को करने वाले लोगों को अरबाइन कहा जाता है, जो उनके लिए एक खास अहमियत रखती है. दरअसल इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक ये यात्रा मुहर्रम के दसवें दिन और आशूरा के चालीस दिन बाद होती है. इस दिन शिया मुस्लिम पैगंबर मुहम्मद के पोते और इमाम हुसैन की कर्बला की लड़ाई में हुई शहादत को याद करते हैं.

50 हजार लोग गायब

दुनियाभर से जियारत के लिए इराक के कर्बला पहुंचने वालों शिया मुस्लिमों की संख्या करोड़ो में होती है. लोग अलग-अलग देशों से यहां पहुंचते हैं. पाकिस्तान से भी हर साल लोग इस तीर्थयात्रा के लिए जाते हैं. लेकिन कुछ दिन पहले जानकारी सामने आई थी कि पाकिस्तान से इराक तीर्थयात्रा के लिए गए लगभाग 50 हजार श्रद्धालु अचानक गायब हो गए थे. रिपोर्ट् के मुताबिक इस बात की जानकारी खुद पाकिस्तान सरकार की धार्मिक मामलों के मंत्री चौधरी सालिक हुसैन ने दी थी.

समोसा और पनीर खाने से एक भाई-बहन की चली गई जान

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया जहां एक घर में रक्षा बंधन की खुशियां मातम में बदल गईं. यहां एक भाई बहन को राखी के त्योहार पर समोसा और पनीर खाना इतना भारी पड़ गया कि उनकी जान चली गई. बाजार से लाया पनीर और समोसा खाने से दोनों की हालत बिगड़ गई जिसके बाद उनकी मौत हो गई. हादसे के बाद भाई-बहन का रो-रोकर बुरा हाल है.

सिकरीगंज थाना क्षेत्र के कटघरा गांव में करीब 19 साल पहले सीमा दूधनाथ से शादी हुई थी. शादी के बाद से ही दोनों में विवाद था जिसके बाद 15 साल से महिला पति से अलग रह रही थी.

 ऐसे में उसने अपने तीनों बच्चों के भरण पोषण के लिए गीडा की एक फैक्ट्री में दिन रात काम किया और पास के कस्बे बांसपार में किराए का मकान लेकर रहती थी. उसने अपनी बड़ी बेटी की शादी करीब सात साल पहले कर दी थी. दूसरे नंबर की बेटी की शादी भी एक साल पहले छितौनी के रहने वाले महेंद्र गुप्ता से हुई थी. 

उसका पति दिल्ली में काम करता है. छोटी बेटी पूजा सावन महीने की शुरुआत में ही मां और भाई के पास आ गई थी. घर में हंसी-खुशी का माहौल था.

समोसा-पनीर खाने के बाद बिगड़ी हालत

मां और भाई के कहने पर पूजा राखी के त्योहार के लिए मायके में ही रुक गई थी. इसी दौरान मां ने बड़ी बेटी को भी फोन कर रक्षाबंधन पर आने के लिए कहा था, 

लेकिन उसने बाद में आने के लिए कहा था. देखते ही देखते रक्षा बंधन का त्योहार भी आ गया. भाई विकास और बहन पूजा ने राखी बांधने की रस्म निभाई लेकिन उन दोनों ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि यह दोनों के लिए आखिरी रक्षाबंधन होगा. भाई शाम को बहन की खुशी के लिए पिपरौली बाजार से समोसा और पनीर लाया. दोनों ने साथ मिलकर समोसा खाया, लेकिन इसके बाद दोनों के पेट में दर्द होने लगा.

पेट दर्द के बाद अस्पताल लेकर गई मां

हालांकि दोनों ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और पूजा बाजार से लाए गए पनीर की सब्जी बनाने लगी. सब्जी बनी और दोनों ने पनीर भी खा लिया. इसके बाद दोनों का पेट और ज्यादा दर्द करने लगा और दोनों की हालत और ज्यादा खराब हो गई. उसी समय, मां सीमा ड्यूटी करके आई थी. फिर वह तुरंत दोनों बच्चों को लेकर पास में स्थित बंगाली डॉक्टर के पास लेकर गई. बंगाली डॉक्टर ने दोनों को इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया, लेकिन घर जाने पर तबीयत और भी ज्यादा खराब हो गई.

पुलिस ने शुरू की जांच

ऐसे में मां ने आसपास के लोगों की मदद से दोनों को झुंगिया स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां हालत बिगड़ने पर बेटे विकास को जिला अस्पताल भेजा गया. वहां इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया. पूजा को भी हालत खराब होने पर जिला अस्पताल लाया गया जहां उसने भी दम तोड़ दिया. दोनों बच्चों की मौत से मां सीमा का रो-रोकर बुरा हाल है. घटना के संबंध मैं एसडीएम विकास गुप्ता ने बताया कि जिस दुकान से पनीर और समोसा लाया गया था, वहां से घर लाए गए सामान के बचे हुए नमूने लिए गए हैं. दुकान में लगी सीसीटीवी फुटेज को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

ज्यादा आइसक्रीम खाने से हार्ट अटैक का खतरा,हो सकती है हार्ट से जुड़ी कई सारी गंभीर बीमारियां

आइसक्रीम खाने से हार्ट की बीमारी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. सिर्फ इतना ही नहीं सर्दी-खांसी की समस्या भी काफी ज्यादा रहती है. आमतौर पर हम बच्चों को आइसक्रीम खाने से मना कर देते हैं लेकिन सिर्फ बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी सोच-समझकर ही आइसक्रीम खाना चाहिए. आइए जानें बच्चों पर इसका कितना असर होता है. हद से ज्यादा आइसक्रीम खाने से आपको बीमारी कर सकता है. इसलिए खाने से पहले आपको हेल्थ एक्सपर्ट की राय जरूर लेना चाहिए. 

हार्ट अटैक का खतरा

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक अगर आपको हद से ज्यादा आइसक्रीम खाने की लत है तो यह आपको हॉस्पिटल तक पहुंचा सकती है क्योंकि इससे हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. आइसक्रीम में सैचुरेटेड फैट होता है. इसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है. यह कंपाउंड हेल्थ पर असर पड़ता है. दूसरी ओर आइसक्रीम में चीनी की मात्रा काफी ज्यादा होती है. यह दोनों कॉम्बिनेशन हार्ट हेल्थ के लिए सही नहीं है. आइसक्रीम ज्यादा खाने से सिर्फ मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का भी खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. 

दिल के लिए अच्छे नहीं होते हैं ये फूड आइटम

दूध, पनीर और दही दिल के लिए स्वस्थ आहार योजना का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन मक्खन, क्रीम और आइसक्रीम उच्च वसा वाले डेयरी उत्पाद हैं जो दिल के लिए अच्छे नहीं हैं. उच्च वसा वाले डेयरी उत्पादों में संतृप्त वसा होती है जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाती है और दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ाती है.

ब्लड शुगर वाले संभलकर रहें

जिन लोगों का ब्लड शुगर कम होता है. उनमें उच्च कार्बोहाइड्रेट या चीनी वाले खाद्य पदार्थ, जैसे ब्रेड, पास्ता, कैंडीज, केक या आइसक्रीम खाने से हृदय की धड़कन बढ़ने का जोखिम अधिक होता है. क्योंकि इनसे रक्त शर्करा के स्तर में अचानक वृद्धि हो सकती है.

चॉकलेट, लॉली, आइसक्रीम और कस्टर्ड जैसे उच्च चीनी वाले फूड आइटम न खाएं. तले हुए या बेक्ड फूड आइटम खासकर चिप्स, बिस्कुट, केक और अन्य बेक्ड प्रोडक्ट लिमिट मात्रा में खाएं. हमेशा पहले पानी पिएं और चीनी वाले मीठे पेय पदार्थों से बचें. चाय और कॉफी लिमिट मात्रा में खाएं. 

बिहार से पांच महीने पहले लापता हुई तीन लड़कियों को पुलिस ने दिल्ली से किया बरामद,तीनों एक बंद कमरे में मिलीं

बिहार से तीन नाबालिग लड़कियों को प्रलोभन देकन भगा ले जाने वाले बदमाश को कैमूर पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है. तीनों लड़कियों को भी एक बंद कमरे से बरामद कर लिया गया है. सदर अस्पताल में उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया है. कोर्ट में पुलिस उनका बयान भी कराएगी.

एसडीपीओ ने बताया कि गिरफ्तार सतेंद्र यादव उर्फ राज कुदरा थाना क्षेत्र के अजगरी गांव निवासी विरेंद्र कुमार सिंह का बेटा है. उसके पास से मोबाइल बरामद किया गया है, जिसमें कई लड़कियों की तस्वीरों मिली है. डीएसपी ने बताया कि इस तस्वीर के बारे में सतेंद्र से पूछताछ की जा रही है. यह भी जानकारी हासिल की जा रही है कि कहीं वो लड़कियों को बेचने या गलत काम में तो नहीं लगाता था?

पुलिस ने कहा- अगर आरोपी किसी रैकेट से जुड़ा होगा, तो इसे भी उजागर किया जाएगा. डीएसपी ने बताया कि वो तीनों लड़कियों को पांच-छह महीने से दिल्ली के एक बंद कमरे में रखे हुए था. लड़कियों को जब बरामद किया गया तो उनकी हालत काफी खराब थी. लड़कियों का मेडिकल करवाया गया है. सतेंद्र से तीनों लड़कियों की मुलाकात भभुआ के सीटी पार्क में हुई थी. उसके आपराधिक इतिहास को खंगाला जा रहा है.

मां ने करवाई FIR दर्ज

पांच महीने पहले भगाई गईं दो युवतियों के मामले में पांच महीने बाद भभुआ थाने में एफआईआर सोमवार को दर्ज कराई गई थी. यूपी के मिर्जापुर जिला के जमालपुर के एक गांव की रहने वाली महिला ने अपनी 17 वर्षीय बेटी और भभुआ थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली उसकी सहेली को 29 फरवरी 2024 को भगा ले जाने का केस करवाया था. इस मामले में कुदरा थाना क्षेत्र के अजगरी गांव के एक युवक को नामजद किया गया. पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो उन्होंने दिल्ली से दो की जगह तीन लड़कियां बरामद कीं. तीनों को आरोपी ने कमरे में बंद रखा था.

आरोपी के मोबाइल को खंगाला गया तो पुलिस भी हैरान रह गई. उसके मोबाइल में न जाने कितनी लड़कियों के फोटो रखे हुए थे. अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर आरोपी का मकसद क्या था और जिन लड़कियों की तस्वीरें उसके मोबाइल से मिली हैं, वो कौन हैं? फिलहाल मामले में जांच जारी है.

कोलकाता कांड पर बोले पीड़िता के वकील बिकास रंजन

कोलकाता में डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में पीड़िता के वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने ममता सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने राज्य सरकार का करप्ट बताया है. इसके साथ-साथ घटना में कॉलेज के प्रिंसिपल की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए संदेहास्पद बताया है और कहा है कि उसकी अच्छे से जांच होनी चाहिए. मुझे उम्मीद है कि सीबीआई सही जांच कर पाएगी.

वकील ने बताया कि कोर्ट में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर हमने कहा है कि पीड़िता के शरीर की जो हालत थी उससे ये बिल्कुल नहीं लगता है कि किसी एक शख्स वैसा कर सकता है. शरीर पर मल्टीपल एटेम्पट हुए हैं. राज्य सरकार ने रेप विक्टिम्स का रेट चार्ट तय कर रखा है. इस सरकार में ये देखा जाता है कि कौन सी महिला के साथ कितनी बार रेप हुआ है, उस आधार पर उसे पैसा दिया जाता है.

वहीं, कॉलेज के प्रिंसिपल को लेकर भट्टाचार्य ने कहा कि घटना में संदीप घोष की भूमिका संदिग्ध है. इस घटना के पीछे कोई न कोई प्रभावशाली लोग हैं, जिन्हें ममता सरकार बचाना चाह रही है. घटनास्थल वाली जगह के बगल में कंस्ट्रक्शन क्यों कराया गया, घटना की जानकारी देने में क्यों देरी हुई, डिपार्टमेंट ने कुछ जवाब क्यों नहीं दिया, ऐसे तमाम बिंदु हैं. इस मामले में बुधवार को सीबीआई अपनी रिपोर्ट सबमिट करेगी. जहां तक डीएनए प्रोफाइलिंग की बात है तो उसकी रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है.

संभव है कि कुछ खुलासा करना चाहती थी पीड़िता

वकील ने दावा किया है कि 2011 से जब से ममता सरकार बनी है उसके बाद से इस राज्य में कई सारे ऐसे घोटाले हुए हैं. जिसमें शिक्षा घोटाला, राशन घोटाला और तमाम तरह के घोटाले हैं. इस अस्पताल में भी संभव है कुछ ऐसा चल रहा था जिसे वह लड़की बताना चाहती थी और उसे बताने नहीं दिया गया. कई सारे ऐसे पहलू हैं जिसकी जांच होनी चाहिए और मुझे ऐसा लगता है कि सीबीआई जांच में सारी चीजें निकल कर सामने आएगी.

घटना को किसी एक व्यक्ति ने नहीं दिया अंजाम

उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मैंने नहीं देखा है, लेकिन पीएम करने वाले डॉक्टरों से बात करने के बाद मैं यह दावा कर सकता हूं कि इस घटना को किसी एक व्यक्ति ने अंजाम नहीं दिया है. सवाल यह भी उठता है कि आनन-फानन में पीड़िता की लाश का अंतिम संस्कार क्यों कर दिया गया? पीड़िता के पिता जो कह रहे हैं वो बिल्कुल सही कह रहे हैं.

मामले में पीड़िता के पिता से कई सारे तथ्य छिपाए गए. सिर्फ और सिर्फ पुलिस और प्रशासन यह चाह रही थी कि किसी भी तरीके से लोगों को वहां पहुंचने नहीं दिया जाए. यही वजह है कि उन्होंने लाश को नहीं बल्कि एविडेंस को ही जला दिया है.