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तकनीकी शिक्षा का रोल मॉडल बनेगा एमपीआईटी

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की तरफ से संचालित महाराणा प्रताप इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमपीआईटी) में बन रहे स्टेट ऑफ आर्ट - सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की प्रगति की जानकारी ली और इन्हें विश्व स्तरीय मानक के अनुरूप तैयार करने और इसके पाठ्यक्रमों को भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को तकनीकी शिक्षा का मॉडल बनाना है। इसमें यहां बन रहे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बड़ी भूमिका निभाएंगे।

एमपीआईटी में इस सत्र से बीटेक की पढ़ाई के लिए छह ब्रांचों, कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग, डाटा साइंस, साइबर सिक्युरिटी, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (वीएलएसआई डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी) में प्रवेश प्रक्रिया जारी है। इन सभी ब्रांचों में 60-60 सीटों पर प्रवेश लिया जाएगा। यानी पहले सत्र में एमपीआईटी की छात्र क्षमता 360 की होगी। बीटेक एडमिशन के लिए जारी प्रवेश प्रक्रिया के साथ ही लच्छीपुर स्थित एमपीआईटी के परिसर में अलग-अलग सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जा रहे हैं। ड्रोन टेक्नोलॉजी एंड थ्री डी प्रिंटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस टेक्नोलॉजी, साइबर सिक्युरिटी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कुल छह तरह के पाठ्यक्रम (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्युरिटी, ड्रोन टेक्नोलॉजी, स्पेस टेक्नोलॉजी, थ्री डी प्रिंटिंग समेत एकीकृत पाठ्यक्रम) संचालित होंगे। सभी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और इनमें संचालित होने वाले पाठ्यक्रम ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से तैयार हों रहे हैं। विद्यार्थी यहां प्रोफेशनल सर्टिफिकेट कोर्स, माइनर डिग्री कोर्स और एडवांस कोर्स के जरिये खुद को संबंधित उद्योग-सेवा के क्षेत्र के अनुरूप तैयार कर सकेंगे।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एमपीआईटी के सभी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में काम करेंगे। यहां न केवल एमपीआईटी के छात्रों को बल्कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से अनुमोदित 15 अन्य तकनीकी शिक्षण संस्थानों को भी ग्लोबल कोर्सेज में शामिल होने की सुविधा मिलेगी। जो संस्थान एमपीआईटी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से लाभान्वित होंगे उनमें मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, राजकीय पॉलिटेक्निक गोरखपुर, राजकीय महिला पॉलिटेक्निक गोरखपुर, महामाया राजकीय पॉलिटेक्निक हरिहरपुर खजनी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी गोरखपुर सेंटर, महाराणा प्रताप पॉलिटेक्निक गोरखपुर, बुद्धा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गीडा गोरखपुर, बुद्धा पॉलिटेक्निक कॉलेज गीडा गोरखपुर, आईटीएम गीडा गोरखपुर, आईटीएम पॉलिटेक्निक गीडा गोरखपुर, केआईपीएम कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी गीडा गोरखपुर, लिटिल फ्लावर पॉलिटेक्निक गोरखपुर, महामानव गौतम बुद्ध पॉलिटेक्निक बनकटी खुर्द, सुयश इंस्टीट्यूट ऑफ़ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी हक्काबाद गोरखपुर और विकास इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी गोरखपुर शामिल हैं।

जानवर भी नहीं रह सकते खजनी के लेखपालों के आवास में, जर्जर भवन और घनी झाड़ियों में बेशुमार मच्छर
खजनी गोरखपुर।तहसील मुख्यालय परिसर में बने लेखपालों के आवास में जानवर भी नहीं रह सकते, जर्जर क्षतिग्रस्त भवन और आसपास उगी घनी झाड़ियों के बीच आवास नजर ही नहीं आता। उपर से झुंड में भनभनाते मच्छरों का प्रकोप ऐसा कि दिन में भी काट कर बेहाल कर देते हैं। मच्छर अगरबत्ती जलाए बिना कुछ देर के लिए भी यहां बैठ पाना मुश्किल है।जिले से 21 किलोमीटर दूर सिकरीगंज मार्ग पर स्थित खजनी तहसील मुख्यालय परिसर में बने लेखपालों के तीन मंजिला आवासों की स्थिति जर्जर और दयनीय हो गई है।

खजनी तहसील मुख्यालय परिसर में स्थित लेखपालों के आवास की तीन मंजिला इमारतें रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुकी हैं। तीन मंजिला आवासीय इमारतें के छत के ऊपर तक घनी झाड़ियों और लताओं से इस कदर घिर चुकी हैं कि दूर से देखने पर इमारतें नजर ही नहीं आती हैं।वर्तमान में तहसील में कुल 121 लेखपाल कार्यरत हैं,जिनमें लगभग 30-35 लेखपाल अक्सर इन्हीं दो जर्जर भवनों में से एक भवन के कुछ कमरों में रह कर ही अपने विभागीय काम करते हैं। जबकि दूसरा तीन मंजिला भवन खंडहर बन गया है, घनी झाड़ियों से घिरी इस इमारत में दिन में भी प्रवेश करना मुश्किल है। क्षेत्र के किसी व्यक्ति को यदि अपने किसी भूमि से संबंधित मसले के सिलसिले में तहसील में लेखपालों से मुलाकात के लिए जाना पड़ता है तो घनी झाड़ियों के बीच जाते हुए उनकी रूह कांप जाती है।तहसील के अधिवक्ताओं ने बताया कि बारिश के मौसम में परिसर में बड़े विषैले सांप भी नजर आते हैं।

बताते चलें कि खजनी तहसील का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीर बहादुर सिंह ने लगभग चार दशक पहले कराया था। खजनी तहसील जिले की सबसे बड़ी तहसील है, जिसमें 769 से भी अधिक राजस्व ग्राम हैं, किंतु रख रखाव के अभाव में परिसर में स्थित उप कोषागार, डाकघर, कर्मचारी आवास सहित अधिकांशतः भवन पुराने और जर्जर हो कर बदहाली का शिकार बन चुके हैं।

बता दें कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद में स्कूलों का कायाकल्प हो रहा है। कलेक्टरेट समेत पुलिस थाने और नई चौकियों का निर्माण भी हुआ है। सरकारी विभागों के पुराने जर्जर हाल भवनों को ध्वस्त कर उनके स्थान पर नए अत्याधुनिक तकनीक के भवनों का निर्माण कराया गया है। किंतु खजनी तहसील परिसर के भवन बेहद बदहाली की स्थिति में जर्जर पुराने और खंडहर बन चुके हैं।

स्थानीय लोगों और तहसील के अधिवक्ताओं कर्मचारियों तथा लेखपालों ने इस उपेक्षा पर रोष जताया है।इस संदर्भ में उप जिलाधिकारी खजनी कुंवर सचिन सिंह ने बताया कि पुराने जर्जर भवनों को गिरा कर नए भवनों का निर्माण कराया जाएगा। संभवतः शासन के द्वारा कार्यदाई संस्था को इसकी जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। इस में देर क्यों हो रही है इसका पता लगाया जाएगा।
चौकी इंचार्ज के निलंबन के बाद खाली है खजनी थाने की उनवल चौकी, घनी आबादी वाले कस्बे और दर्जन भर गांवों की शांति सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित

खजनी गोरखपुर।थाने की उनवल चौकी पर तैनात रहे चौकी इंचार्ज सोनेंद्र सिंह को जिले के पुलिस कप्तान एसएसपी डाॅक्टर गौरव ग्रोवर ने बीते माह लाइन हाजिर कर दिया था। लेकिन उनके स्थान पर किसी अन्य दारोगा को चौकी का प्रभार सौंपने में लगभग एक माह का समय बीत चुका है। त्योहारों के मौसम में चौकी पर किसी प्रभारी के तैनात नहीं होने से सभी पीड़ित फरियादियों को अपनी शिकायतें लेकर लगभग 8 से 10 किलोमीटर दूर खजनी थाने पर पहुंचना पड़ रहा है। चौकी इंचार्ज की तैनाती नहीं हो पाने से नगर पंचायत उनवल सहित दर्जन भर गांवों की शांति सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ एक दारोगा और चार सिपाही के सहारे संचालित हो रही है।

बता दें कि नगर पंचायत उनवल की जनसंख्या लगभग 50 हजार है, घनी आबादी वाले कस्बे में दो बैंक, एक पोस्ट ऑफिस, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आयुर्वेदिक अस्पताल और दर्जन भर स्कूल, इंटरकॉलेज, महाविद्यालय, कोचिंग सेंटर और अन्य छोटे बड़े प्राइवेट संस्थान हैं। ऐसे में लंबे अर्से से चौकी इंचार्ज का पद खाली होने से इलाके के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, चौकी इंचार्ज की तैनाती नहीं होना हर किसी की जुबान पर चर्चा का विषय बना हुआ है।इस संदर्भ में क्षेत्राधिकारी खजनी विजय आनंद शाही ने बताया कि खजनी थाने के समक्ष प्रभारी उप निरीक्षक क्षेत्र में लाॅ एण्ड आर्डर की व्यवस्था बखूबी संभाल रहे हैं। कहीं पर भी किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है।
कांग्रेसियों ने पूर्व प्रत्याशी पूनम आजाद को चेयरमैन बनने पर दिया बधाई
         

गोरखपुर। बांसगांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की पूर्व प्रत्याशी रही एवं सदस्य पीसीसी पूनम आजाद को अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सूचना का अधिकार (आरटीआई) विभाग का जनपद गोरखपुर का चेयरमैन बनाए जाने पर राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे, राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल एवं प्रदेश अध्यक्ष अजय राय एवं आरटीआई के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र श्रीवास्तव, प्रभारी महेंद्र श्रीवास्तव को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

पूनम आजाद को जिम्मेदारी मिलने पर हर्ष व्यक्त जिला अध्यक्ष निर्मला पासवान, प्रदेश अध्यक्ष पूर्वी जोन देवेंद्र निषाद फिशरमैन, प्रभारी अमरेंद्र मल्ल, पूर्व प्रत्याशी जितेंद्र पांडे, तौकीर आलम उपाध्यक्ष, सूरज यादव जिला अध्यक्ष, अशोक कश्यप प्रदेश उपाध्यक्ष फिशरमैन, पूर्व महानगर अध्यक्ष अरुण अग्रहरी, देवेंद्र निषाद धनुष, सुभाष चंद्र दास, संगठन महासचिव विक्रांत साहनी, सतीश एडवोकेट, गोपाल पांडे, के.सी भारती, राम यश, शंकर प्रसाद आचार्य, रंगनाथ त्रिपाठी, वरुण कुमार सिंह, बालमुकुंद मौर्य, राजेश पासवान, मंटू पांडे, शकुंतला आर्य, अनुराग पांडे, श्याम बिहारी, रामेश्वर एडवोकेट उमेश कुमार, महेंद्र प्रसाद, राजकुमार यादव, राम नगीना साहनी, शैलेंद्र कुमार, नरसिंह नारायण, जितेंद्र विश्वकर्मा, एहसान अली, सेवाती देवी, परमात्मा मोर्या आदि ने किया है।
*ननिहाल में रहने वाले किशोर की सर्पदंश से मौत,डाॅक्टर ने मृत घोषित किया तो झाड़-फूंक के लिए लेकर भागे*

गोरखपुर- आज सबेरे घर के बाहर बैठ कर दातून कर रहे किशोर के पांव में अचानक विषैले सर्प ने डंस लिया। जानकारी मिलते ही परिवार के लोग इलाज के लिए गोरखपुर सदर अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने किशोर को मृत घोषित कर दिया।लोग झाड़-फूंक के लिए किशोर को लेकर किसी देव स्थान पर दोहरीघाट मऊं लेकर पहुंचे किंतु वहां से भी निराश होना पड़ा।

मिली जानकारी के अनुसार खजनी थाना क्षेत्र के रकौली बाजार के पास स्थित नेवसां गांव के निवासी पवनदीप की ससुराल बांसगांव थाने की हरनहीं चौकी क्षेत्र के गड़ैना गांव के निवासी भगवानदास के घर है। जहां उनका 10 वर्षीय पुत्र आकर्ष अपने नाना नानी के साथ रहता था। आकर्ष कक्षा एक का छात्र था, आज सबेरे वह अपने ननिहाल में घर के बाहर बैठ कर दातून कर रहा था। अचानक पास से निकल कर एक विषैले सांप ने उसके पैर में डंस लिया। सांप के दांत किशोर के पैर के मांस में टूट कर रह गए थे। माना जा रहा है कि अनजाने में सांप किशोर के पैर के नीचे दब गया होगा।

आनन फानन में परिवार के लोगों ने किशोर के पैर को सर्पदंश वाले स्थान से ऊपर कस कर बांधा और उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस बीच किसी ने दोहरीघाट मऊ जिले में स्थित किसी देव स्थान पर सर्पदंश का इलाज कराने की सलाह दी। परिवार के लोग किशोर को लेकर दोहरीघाट पहुंचे किंतु वहां से भी उन्हें निराश लौटना पड़ा।

*टीबी की दवा खा रहे मरीज भी खा सकते हैं फाइलेरिया से बचाव की दवा*

गोरखपुर - जिले में इस समय स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिला रही हैं। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को नहीं खिलाई जाती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने अति गंभीर बीमार लोगों की श्रेणी को स्पष्ट करते हुए कहा है कि टीबी की दवा खा रहे सामान्य मरीज फाइलेरिया से बचाव की भी दवा खा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह दवा सिर्फ अति गंभीर और बिस्तर पकड़ चुके टीबी के डीआर रोगियों को ही नहीं खिलाई जानी है। अगर वह चलने फिरने की स्थिति में आ जाते हैं तो दवा खा सकते हैं। ब्लड प्रेशर, शुगर, एचआईवी व थॉयराइड जैसी कई जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के मरीजों के लिए यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में टीबी के करीब नौ हजार से अधिक रोगी इलाज पर हैं । इन सभी मरीजों के लिए नियमित दवा का सेवन करना अनिवार्य है। अगर बीच में वह दवा छोड़ देते हैं तो टीबी ठीक नहीं होती है। दवा छोड़ने वाले मरीजों के डीआर टीबी का मरीज होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर कोई डीआर टीबी का मरीज घर पर रह कर इलाज करवा रहा है तो वह भी चिकित्सक की सलाह से फाइलेरिया से बचाव की दवा खा सकता है। डीआर टीबी के ऐसे मरीज जो अस्पताल में भर्ती हैं, अस्पताल से शीघ्र डिस्चार्ज होकर आए हैं या फिर अत्यधिक कमजोर होकर बिस्तर पकड़ चुके हैं, उन्हें फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन नहीं करना है।

डॉ दूबे बताया कि पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने से इस लाइलाज बीमारी से सुरक्षा मिलती है। कुछ मिथकों के कारण ऐसे लोग दवा खाने से बचते हैं जिन्हें पहले से किसी बीमारी की दवा चल रही है, जबकि यह दवा सिर्फ ऐसे बीमार लोगों को नहीं खानी है जो अति गंभीर हैं और बिस्तर पकड़ चुके हैं। ह्रदय रोगी, कैंसर रोगी और अन्य अति गंभीर बीमारियों के मरीजों को अपने चिकित्सक से सलाह लेकर यह दवा अवश्य खानी चाहिए। फाइलेरिया से बचाव की दवा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इसे सिर्फ गर्भवती को नहीं खिलाया जाता है। अभियान के दौरान एक से दो वर्ष के बच्चों को पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाई जा रही है।

टीम के सामने खाएं दवा

डॉ दूबे ने बताया कि जिले में 4133 टीम घर घर जाकर दवा खिला रही हैं। यह दवा प्रत्येक कार्यदिवसों में सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को खिलाई जा रही है। अवकाश के दिन दवा नहीं खिलाई जाती है। लोगों को यह दवा टीम के सामने खानी है। टीम को ही उम्र के अनुसार दवा की निर्धारित डोज की सही जानकारी है, इसलिए उनके सामने दवा खाना सुरक्षित है। इसे खाली पेट नहीं खानी है। सभी दवाएं बारी बारी एक ही साथ खानी है । जिन लोगों के शरीर में माइक्रोफाइलेरी होंगे उन्हें दवा खाने के बाद हल्की मितली, चक्कर आना, सिरदर्द के लक्षण आ सकते हैं जो सामान्यतया स्वतः ठीक हो जाते हैं। ऐसा तब होता है जबकि शरीर में माइक्रोफाइलेरी दवा से मरने लगते हैं और शरीर इनसे मुक्त हो रहा होता है।

लाइलाज है फाइलेरिया

क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली फाइलेरिया (हाथीपांव) बीमारी का लक्षण दिखने में पांच से पंद्रह साल तक का समय लग जाता है। एक बार लक्षण आ जाने पर यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता हैं। प्रमुख लक्षणों में हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) हैं। अगर बचाव की दवा का सेवन लगातार पांच वर्षों तक कर लिया जाए तो संक्रमण के बावजूद यह लक्षण नहीं आएंगे। जिले में यह अभियान सभी 19 ब्लॉक के गांवों में और सात शहरी क्षेत्रों में चलाया जा रहा है।

*तहसील समाधान दिवस में पहुंचे 53 फरियादी, भूमिहीन को बना दिया संपन्न किसान राशनकार्ड से नाम कटा*

गोरखपुर- अगस्त महीने के तीसरे शनिवार को तहसील समाधान दिवस की अध्यक्षता कर रहे उप जिलाधिकारी खजनी कुंवर सचिन कुमार सिंह के समक्ष कुल 53 फरियादी अपनी समस्याएं लेकर प्रस्तुत हुए। जिनमें 3 मामलों का मौके पर समाधान करा दिया गया।सहसीं गांव के निवासी रामप्रघट ने प्रार्थनापत्र देकर बताया कि वह भूमिहीन हैं किन्तु उन्हें समृद्ध किसान बता कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशनकार्ड से उनका नाम हटा दिया गया है। जिससे उन्हें मुफ्त राशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है,परिवार खाने के लिए मोहताज है। मामले में एसडीएम ने पूर्ति निरीक्षक को कार्रवाई के निर्देश दिए। वहीं गड़ैना गांव के पूर्व ग्रामप्रधान रामबचन ने प्रार्थनापत्र देकर बताया कि पुराने विवाद में प्रतिपक्षियों के विरुद्ध एससी एसटी एक्ट सहित मारपीट की धाराओं में दो केस दर्ज हैं। जिनमें वह वादी हैं मामला कोर्ट में विचाराधीन है किन्तु प्रतिपक्ष के लोग उन्हें और गवाहों को आए दिन रास्ते में घेर कर और घर पहुंच कर सुलह समझौता करने के लिए दबाव बनाते हैं, और ऐसा न करने पर अंजाम भुगतने तथा जान से मारने की धमकी देते हैं।

मामले में क्षेत्राधिकारी खजनी विजय आनंद शाही ने पीड़ित को प्रभावी कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रकरण में बांसगांव थाने की हरनहीं चौकी इंचार्ज विकासनाथ को जांच और सख्त कार्रवाई की जिम्मेदारी सौंपी गई।

समाधान दिवस में नायब तहसीलदार रामसूरज प्रसाद एवं राकेश कुमार शुक्ला सहित अन्य विभागों के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

*संदिग्ध हाल में युवक की मौत, अपने कमरे में फंदे से लटका मिला*

गोरखपुर- थाना क्षेत्र के छताईं बाजार कस्बे में अपने निजी मकान में मोबाइल की दुकान चलाने वाले युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सबेरे देर तक उसके सो कर नहीं उठने पर जब कमरे में देखा गया तो युवक का शव फंदे से लटका मिला। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस को युवक का शव नीचे उतार कर चौकी पर लिटाया हुआ मिला।

मिली जानकारी के अनुसार कटघर ग्रामसभा के निवासी प्रेम गुप्ता का बड़ा बेटा चंदन गुप्ता(25)छताईं बाजार कस्बे में अपने निजी मकान में मोबाइल की दुकान चलाता था। पड़ोसियों ने बताया कि युवक बहुत ही सरल सज्जन और मिलनसार था, उसके अच्छे व्यवहार विचार के कारण सभी लोग उसे पसंद करते थे। अपनी दुकान और उससे संबंधित सामानों के लिए गोरखपुर जाने के अलावा युवक अनावश्यक रूप से कहीं भी नहीं जाता था। बीते कुछ दिनों से किसी लड़की से युवक के शादी की चर्चा भी चल रही थी। बताया जा रहा है कि गृहकलह या किसी अन्य बात से आहत हो कर युवक ने आत्महत्या कर ली। 

युवक की मौत से आहत परिजनों का रो कर बुरा हाल है। शव को कब्जे में लेकर पुलिस ने उसे पंचायत नामे के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।थानाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार शुक्ला ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत का कारण पता चलेगा।

बीआरसी कार्यालय में शिक्षकों का 4 दिवसीय एफ.एल.एन प्रशिक्षण

खजनी गोरखपुर।केंद्र एवं प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार नई शिक्षा नीति वर्ष 2020 के अनुसार सभी परिषदीय सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को 4 दिवसीय एफ एल एन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसकी शुरुआत आज बीआरसी कार्यालय में की गई।

बीईओ सावन कुमार दूबे ने बताया कि एफएलएन प्रशिक्षण का उद्देश्य सभी बच्चों को शिक्षा का समान अवसर प्रदान करना तथा स्कूल छोड़ चुके बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना है। जिसके लिए सभी शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करना सीखने के माहौल को मजेदार और आकर्षक बनाना।

बच्चों को बुनियादी साक्षरता एवं संख्या (फाउंडेशन लिटरेसी और न्यूमेरेसी) का ज्ञान प्रदान करना ही इस 4 दिवसीय प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है। जिसमे 2025-26 तक 3 वर्ष से लेकर 8 वर्ष आयु तक वाले सभी बच्चों का समग्र विकास करना, बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करना, बच्चों को पढ़ने लिखने और समझने के साथ ही गणितीय गणना में दक्षता हासिल कराना है। ट्रेनिंग में ब्लॉक क्षेत्र के सरकारी स्कूलों के कुल

616 अध्यापक और शिक्षामित्र प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

जिसमें4 दिवसीय प्रशिक्षण के लिए पहले दिन 100 लोगों के प्रशिक्षण के लिए 50/50 शिक्षकों की दो टीमें बनाईं गई हैं।

पहली टीम को एआरपी राजेश यादव और नाज़नीन ने प्रशिक्षण दिया, वहीं दूसरी टीम को एआरपी संजय चौरसिया और सूरज गुप्ता के प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि प्रशिक्षण के लिए कुल 6 टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम को 4 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस दौरान पहले दिन के प्रशिक्षण में ब्लॉक क्षेत्र के गांवों के सरकारी स्कूलों के कुल 100 शिक्षकों और शिक्षामित्रों ने प्रशिक्षण में हिस्सा लिया।

गोरखपुर क्षेत्र में पहली बार निजी क्षेत्र में होगी एमबीबीएस की पढ़ाई

गोरखपुर, 16 अगस्त। गोरखपुर क्षेत्र (गोरखपुर-बस्ती मंडल) में इस शैक्षणिक सत्र में पहली बार निजी क्षेत्र में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होने जा रही है।

 गोरखपुर स्थित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के श्रीगोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) से 50 एमबीबीएस सीटों की मान्यता मिली है और इस मेडिकल कॉलेज ने नीट काउंसलिंग के जरिये प्रवेश की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इसके साथ ही इसी सत्र ने नए संस्थान के रूप में पीपीपी मॉडल पर संचालित महराजगंज के केएमसी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 150 सीटों पर और सरकारी क्षेत्र के राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज कुशीनगर में 100 सीटों पर भी दाखिला होगा। 

गोरखपुर-बस्ती मंडल में इस सत्र के पूर्व एमबीबीएस की 575 सीटों पर पढ़ाई हो रही थी। 300 नई सीटों के साथ यह संख्या बढ़कर 875 हो जाएगी। इस क्षेत्र में पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 150, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में 125, महर्षि वशिष्ठ राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज बस्ती में 100, माधव प्रसाद त्रिपाठी राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज सिद्धार्थनगर में 100, महर्षि देवरहा बाबा राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज में 100 सीटों पर एमबीबीएस की मान्यता थी। 

गोरखपुर क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में आया यह बूम बीते सात सालों में योगी सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के चलते आया है। एक दौर वह भी था जब यहां चिकित्सा शिक्षा के लिए सिर्फ गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज का ही नाम दिखता था। लंबे समय तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भी एमबीबीएस की मान्यता पर खतरा मंडराता रहता था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से गोरखपुर में एम्स की स्थापना हुई तो एमबीबीएस की 125 सीटों पर पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध हुई। गोरखपुर क्षेत्र में मेडिकल एजुकेशन को ऊंचाई देने में योगी सरकार की एक जिला एक मेडिकल कॉलेज योजना की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस योजना से बस्ती, सिद्धार्थनगर, देवरिया और कुशीनगर में नए राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज और महराजगंज में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। इनमें बस्ती और देवरिया में करीब तीन सत्र पहले से ही एमबीबीएस की पढ़ाई हो रही है। कुशीनगर के राज्य मेडिकल कॉलेज, महराजगंज के पीपीपी मॉडल वाले मेडिकल कॉलेज और गोरखपुर के निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज में इस बार एमबीबीएस सीटों पर पहली बार दाखिला होगा। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय को आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में बीएएमएस की सौ सीटों के लिए पहले से ही पढ़ाई हो रही है। 

गोरखपुर-बस्ती मंडल में एमबीबीएस की सीट

कॉलेज               एमबीबीएस सीट

बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर   150

एम्स गोरखपुर                 125

राज्य स्वा.मेडिकल कॉलेज बस्ती      100

राज्य स्वा.मेडिकल कॉलेज सिद्धार्थनगर  100

देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज देवरिया   100

श्रीगोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज गोरखपुर   50

राज्य स्वा. मेडिकल कॉलेज कुशीनगर   100

केएमसी मेडिकल कॉलेज महराजगंज   150