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शाहरुख खान ने बताया अपना डेली रूटीन,4 से 5 घंटे लेते हैं नींद

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ने अपने लंबे करियर में कई तरह के किरदार निभाए हैं. रोमांटिक हीरो वाले कैरेक्टर में उन्हें खूब पसंद किया गया, लेकिन एक्शन के मामले में भी उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी. हाल ही में शाहरुख खान अपनी फिल्म ‘डंकी’ को लेकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. ‘डंकी’ ने इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न 2024 (IFFM) में इक्वेलिटी इन सिनेमा अवॉर्ड जीता है. इसी बीच किंग खान ने अपनी लाइफस्टाइल के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि वो दिन में सिर्फ एक बार खाना खाते हैं और वो सिर्फ 4 से 5 घंटे सोते हैं. आइए जानते हैं कि शाहरुख खान ने डेली रूटीन को लेकर क्या दिलचस्प खुलासे किए हैं.

शाहरुख ने खुलासा किया कि कैसे उन्होंने 2020 में कोविड-19 के दौरान वर्कआउट किया और अपनी बॉडी को मेंटेन रखा. शाहरुख ने कहा कि वो सुबह 5 बजे सोते हैं और सुबह के 9 या 10 बजे तक उठ जाते हैं. अपने शेड्यूल के मुताबिक वो अक्सर 2 बजे काम से घर पहुंचते हैं और इसके बाद थोड़ी कसरत करते हैं और फिर सोने के लिए जाते हैं.

ये है किंग खान का डेली रूटीन

द गार्जियन को दिए इंटरव्यू में शाहरुख ने कहा, “मैं सुबह 5 बजे सो जाता हूं. जब मार्क वाह्लबर्ग (हॉलीवुड एक्टर) उठते हैं, उस टाइम मैं सो जाता हूं और फिर अगर मैं शूटिंग कर रहा हूं तो लगभग 9 या 10 बजे उठता हूं. मैं रात को 2 बजे घर आता हूं, नहाता हूं और फिर सोने से पहले योगा करता हूं.” उनके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि वो दिन में सिर्फ एक बार खाना खाते हैं.

शाहरुख ने अपनी छुट्टी पर की बात

एक्टिंग में चार साल के गैप पर बात करते हुए शाहरुख ने कहा, “55 साल की उम्र में मैंने खुद के लिए छुट्टी ली. कोविड के दौरान मेरे पास करने के लिए कुछ और नहीं था और मैंने घर में सबसे कहा था कि इटैलियन खाना बनाना सीखो और कसरत करो. उस दौरान मैंने घर पर ही करसत की और बॉडी बनाई.”

स्विटजरलैंड में किया गया सम्मानित

शाहरुख खान को हाल ही में 77वें लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, पार्डो अला कैरियरा से सम्मानित किया गया. लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में बातचीत के दौरान, उन्होंने अपने करियर और अपनी अचीवमेंट पर चर्चा की और बताया कि वो अब अपनी अपकमिंग फिल्म ‘किंग’ की तैयारी कर रहे हैं.

शाहरुख ने ‘किंग’ के बारे में क्या कहा?

शाहरुख अब सुजॉय घोष की ‘किंग’ में अपनी बेटी सुहाना खान और अभिषेक बच्चन के साथ दिखाई देंगे. ‘किंग’ एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है. फिल्म फेस्टिवल में उन्होंने इस फिल्म पर कहा था, ‘मेरी अगली फिल्म ‘किंग’, जिस पर मुझे काम करना शुरू करना है. इसके लिए मुझे थोड़ा वजन कम करना है और थोड़ा स्ट्रेच करना है, ताकि एक्शन करते समय मेरी कमर में दर्द न हो. उन्होंने ये भी कहा था, “मैं अब कुछ खास तरह की फिल्में करना चाहता हूं जो ऐज सेंट्रिक हों और मैं 6-7 साल के लिए कुछ आज़माना चाहता हूं. मैं इसके बारे में सोच रहा था और इसके लिए एक दिन मैंने सुजॉय घोष से बात की.”

प्रशांत किशोर पार्टी लॉन्च करने के बाद बिहार के 4 सीटों पर लड़ेंगे उपचुनाव

राजनीति पर्दापण में जुटे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही अपनी पार्टी का लिटमस टेस्ट करना चाहते हैं. 

इसको लेकर उन्होंने तैयारी भी कर ली है. हाल ही में प्रशांत किशोर ने इसके संकेत दिए हैं. प्रशांत किशोर, पार्टी लॉन्च करने के बाद बिहार के 4 सीटों पर उपचुनाव लड़ेंगे.

बिहार विधानसभा की ये 4 सीटें विधायकों के सांसद चुने जाने की वजह से रिक्त हुई हैं. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें गया की इमामगंज, जहानाबाद की बेलागंज, कैमूर की रामगढ़ और भोजपुर की तरारी सीट शामिल हैं.

लिटमस टेस्ट करेंगे प्रशांत किशोर?

प्रशांत किशोर बिहार में उपचुनाव के जरिए अपने प्रयोग का लिटमस टेस्ट करेंगे. शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए पीके ने कहा कि 2 अक्टूबर के बाद अगर उपचुनाव की घोषणा की जाती है, तो जनसुराज भी उम्मीदवार उतारेगी.

 उन्होंने कहा कि हम चुनाव सभी सीटों पर लड़ेंगे और अपनी बात लोगों तक पहुंचाएंगे.

प्रशांत ने यह भी कहा कि अगर चुनाव की घोषणा अक्टूबर से पहले होगी, तो हम निर्दलीय को उतारने पर विचार करेंगे.

बिहार में विधानसभा की 4 सीटें तरारी, इमामगंज, रामगढ़ और बेलागंज सीट पर उपचुनाव होने हैं. चारों ही सीट के विधायक इस बार सांसद चुने गए हैं.

 2020 के विधानसभा चुनाव में तरारी सीट से माले के सुदामा प्रसाद, रामगढ़ सीट से आरजेडी के सुधाकर सिंह, बेलागंज सीट से आरजेडी के सुरेंद्र यादव और इमामगंज सीट से हम के जीतन राम मांझी ने जीत दर्ज की थी.

उपचुनाव को लेकर क्या है पीके का प्लान?

जनसुराज से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर इन सीटों पर उम्मीदवार उतारकर ये देखना चाहते हैं कि उनका संदेश लोगों तक पहुंच पा रहा है या नहीं? जिन सीटों पर चुनाव होने हैं, वो संबंधित विधायकों का गढ़ माना जाता है.

मसलन, बेलागंज सीट से सुरेंद्र यादव 8 बार चुनाव जीत चुके हैं. इसी तरह सुदामा प्रसाद 2015 से ही तरारी सीट से जीत रहे हैं. रामगढ़ भी जगदानंद परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. जीतनराम मांझी भी इमामगंज से लगातार जीतते आ रहे हैं.

ऐसे में पीके इन सीटों पर चुनाव लड़कर खुद की मजबूती देखना चाहते हैं. इन सीटों के लिए पीके की तरफ से खास प्लान भी तैयार किया गया है. इसके मुताबिक सीटों पर उम्मीदवारों के सिलेक्शन और चुनावी रणनीति भविष्य के आधार पर तय की जाएगी.

– सूत्रों के मुताबिक उम्मीदवारों के चयन में 50 साल से कम उम्र के नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी. – पहले से अगर कोई नेता क्षेत्र में सक्रिय हैं और उनकी छवि अगर साफ है तो उन्हें भी टिकट दिया जा सकता है. – सभी सीटों पर जातीय समीकरण भी साधा जाएगा. 4 में से 2 सीटों पर दलित को उतारा जा सकता है.

जनसुराज के सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव लड़ने का फैसला हाल ही में रूपौली के रिजल्ट को देखकर लिया गया है. रूपौली में जनता ने आरजेडी और जेडीयू के उम्मीदवारों की जगह पर निर्दलीय को तरजीह दी.

नीतीश-लालू के बीच रास्ता तलाश रहे पीके

प्रशांत किशोर 2022 में बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए. इस दौरान उन्होंने जनसुराज नाम से पदयात्रा निकाली. पीके इस पदयात्रा के जरिए बिहार के लगभग 80 प्रतिशत इलाकों में जा चुके हैं. पीके अपनी पदयात्रा में बिहार के हालातों के बारे में लोगों को बताते हैं.

जानकारों का कहना है कि पीके बिहार में नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए और लालू यादव की नेतृत्व वाली इंडिया के बीच में अपनी राजनीतिक संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं.

पीके इसी रणनीति के तहत लालू यादव और नीतीश कुमार पर हमलावर रहते हैं. इतना ही नहीं, पीके इन दोनों के कोर वोटरों में भी सेंध लगाने में जुटे हुए हैं.

2 अक्टूबर को पार्टी लॉन्च करेंगे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने ऐलान कर रखा है कि 2 अक्टूबर को वे अपनी पार्टी जनसुराज लॉन्च करेंगे. पीके की पार्टी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ेगी. पीके ने पार्टी और चुनाव को लेकर कुछ तस्वीरें अभी साफ कर दी है.

जनसुराज में पीके की भूमिका सूत्रधार की होगी. हालांकि, कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद अगर जनसुराज की सरकार बनती है तो प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री बन सकते हैं.

काला जादू या टोने टोटके का सामान चौराहे पर रखा हो तो,भूलकर भी न छुएं

कई बार सड़क के किनारे पर कुछ टोटके करके चीजों को रखा जाता है. जिनपर पैर रखना अशुभ होता है. कहते हैं ये काला जादू भी हो सकता है. सड़क पर पड़ी इन चीजों को भूलकर भी न छुएं.

रास्ते में कोई मृत पशु दिखे तो अपनी दिशा बदल दें. इससे भी निगेटिविटी निकलती है, जो पार करने वाले जातक के शरीर के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती है

सड़क पर कहीं नींबू मिर्च पड़ी दिखाई दे तो भूलकर भी उस पर पैर नहीं रखें, न ही इसे लांघना चाहिए. आमतौर पर नींबू मिर्च से लोग नजर उताकर चौराहे पर फेंक देते हैं. ये बुरी शक्तियों से बचने के लिए किया जाता है.

वास्तु के अनुसार बालों का गुच्छा भी सड़क पर पड़ा दिखे तो इसे लांघना नहीं चाहिए. कहते हैं इनमें राहु का प्रभाव होता है. इनको छून से पैर लगाने से जीवन संकटों में घिर सकता है. बालों के गुच्छे से काला जादू भी किया जाता है.

काले या लाल कपड़े की पोटली चौराहे या रास्ते में कहीं दिखाई दे तो इसे पैर न लगाएं. साइड से निकल जाएं, दरअसल इस तरह की पोटली से नजर उतारकर चौराहे पर फेंक दी जाती है. कहते हैं इन्हें छूने से नकारात्मक ऊर्जा हमारे जीवन में परेशानी ला सकती है.

हिंदू मान्यता के अनुसार अक्सर लोग चौराहों में अपने पितरों के लिए खाना रख देते हैं. ऐसे में इन चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए.

फटे-पुराने कपड़ों में नकारात्मक ऊर्जा होती है. ऐसे में अगर रास्ते में ये आपको दिखे तो भूलकर भी इन्हें लांघे नहीं. इससे जीवन में समस्याएं आ सकती है.

किसानों को 1 लाख तक की सब्सिडी दे रही हैं सरकार,ऐसे उठाएं लाभ

सरकार खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए की सारे जरूरी कदम उठाती है. ऐसे में अब बिहार सरकार उन किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आई है जो फल और फूल की खेती करते हैं. बिहार सरकार उद्यानिकी क्लस्टर विकास योजना चला रही है, इस योजना के तहत किसानों को अमरूद, आंवला, नींबू बेल, पपीता, गेंदा फूल और लेमन ग्रास के पौधे और पेड़ लगाने पर बिहार सरकार सब्सिडी दे रही है.

1 लाख तक की सब्सिडी दे रही सरकार

इस योजना के तहत, गांव में 25 एकड़ से ज्यादा में बागवानी करने पर सरकार अनुदान देगी, इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए किसानों को आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा. इस योजना की जानकारी बिहार सरकार उद्यान निदेशालय ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी दी. इस पोस्ट में बताया गया कि बागवानी क्लस्टर योजना के तहत, गांव में 25 एकड़ से ज्यादा पर बागवानी फसल उगाने वाले किसानों को 1 लाख रुपये प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी. इससे आय बढ़ेगी, खेती में सुधार होगा और कृषि के नए तरीकों को बढ़ावा मिलेगा.

क्लस्टर में बागवानी योजना के तहत, गांव में 25 एकड़ से अधिक बागवानी फसल उगाने पर ₹1 लाख प्रति एकड़ तक की सहायता प्राप्त करें! इससे आय बढ़ेगी, खेती में सुधार होगा, और कृषि में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

फूलों की खेती को बढ़ावा देना है मकसद

इस योजना का मकसद किसानों की आय बढ़ाना और फूलों की खेती को बढ़ावा देना है. दरअसल, बिहार में गेंदा फूल के पौधे कोलकाता से आते हैं जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है, इस पर बिहार सरकार अब किसानों के समूह बना कर उन्हें पौधा उत्पादन ट्रेनिंग के लिए कोलकाता भेजने की तैयारी कर रही है. साथ ही यह भी सुझाव दे रही है कि पॉली हाउस का इस्तेमाल कर वे फूलों की खेती करें जिससे कि फूलों की आवक बढ़ सके.

इस तरह करें आवेदन

आवेदन करने के लिए किसानों को पहले राज्य सरकार की हॉर्टिकल्चर वेबसाइट पर जाना होगा, इसके बाद होम पेज पर आपको योजना का लिंक दिखाई देगा जिसे आपको क्लिक करना है. बाद इसके आपको अपनी उधानिक क्लस्टर में बागवानी का विकल्प चुनना होगा. यहां पर आपको सब्सिडी के लिए आवेदन करना होगा. इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुल कर सामने आ जाएगा, मांगी गई सभी जानकारी को ठीक से भरकर आप योग्य होने पर इस योजना का लाभ ले पाएंगे.

पाकिस्तान की साजिश एक बार फिर से बेनकाब,पंजाब की कसूर पुलिस ने ड्रोन के जरिए भारत में हेरोइन की तस्करी करने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश

पाकिस्तान की साजिश एक बार फिर से बेनकाब हो गई है. पाकिस्तानी पुलिस और ड्रग तस्करों के बीच गठजोड़ का मामला सामने आया है. पंजाब की कसूर पुलिस ने ड्रोन के जरिए भारत में हेरोइन की तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसमें 2 किलोग्राम से ज्यादा क्रिस्टल हेरोइन को ड्रोन के जरिए पाकिस्तान ले जाया जा रहा था.

इस मामले में पांच पुलिस 

अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ ही एक ड्रोन और अन्य उपकरण भी जब्त किए गए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इस अभियान में सोहेल अनवर, रहमदीन, खालिद, आबिद और तालिब मुश्ताक समेत पांच पुलिस अधिकारी शामिल हैं. FIR के मुताबिक, ये अधिकारी स्थानीय लोगों को हेरोइन की आपूर्ति कर रहे थे.

ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी

गिरफ्तार किए गए संदिग्धों की पहचान मुबाशिर, अयाज और रियाज के रूप में की गई है, जिन्हें 2 किलोग्राम से ज्यादा हेरोइन के साथ पकड़ा गया, जो उन्होंने पुलिस अधिकारियों से हासिल की थी. जांच ​​में आगे पता चला कि एक पूर्व स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) भी इस तस्करी में शामिल था, जो भारत में हेरोइन को ले जाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा था.

पिछले साल भी नशीली दवाओं की तस्करी का नेटवर्क चलाने के आरोप में लाहौर पुलिस के मादक पदार्थ निरोधक विंग का प्रमुख डिप्टी एसपी मजहर इकबाल को गिरफ्तार किया था. भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में हमेशा साजिश की स्थिति बनी रहती है चाहे वो पंजाब हो या राजस्थान. इन दोनों जगहों पर आए दिनों ड्रग्स, पाकिस्तानी ड्रोन के पकड़ाए जाने की खबरें आती रहती हैं.

हाल ही में राजस्थान के भारत-पाक सीमावर्ती इलाके में ड्रोन के जरिए 15 करोड़ रुपये के करीब हेरेइन तस्करी का मामला सामने आया था. पुलिस ने बताया कि सीमा पार से ड्रोन के जरिए तस्करी की जा रही थी. ड्रोन तकनीकी खराबी के कारण खेत में पड़ा मिला था.

कानपुर में हुए ट्रेन हादसे में रेल मंत्री ने दी जानकारी,कहा कानपुर के पास ट्रैक पर रखी किसी चीज से टकराकर पटरी से उतर गई ट्रेन

उत्तर प्रदेश में शनिवार सुबह 2:30 बजे ट्रेन हादसा सामने आया. कानपुर और भीमसेन रेलवे स्टेशन के बीच साबरमती एक्सप्रेस पटरी से उतर गई. इस हादसे में सभी सुरक्षित है. इस मामले पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर कहा, साबरमती एकस्प्रेस का इंजन पटरी पर किसी चीज से टकरा कर डिरेल हो गया था.

रेल मंत्री ने दी जानकारी

हादसे की जानकारी देते हुए रेल मंत्री ने कहा, साबरमती एक्सप्रेस जोकि वाराणसी से अहमदाबाद जा रही थी उसका इंजन सुबह 02:35 बजे कानपुर के पास ट्रैक पर रखी किसी चीज से टकराकर पटरी से उतर गई. उन्होंने बताया ट्रेन पर टकराने के निशान देखे गए हैं, और सबूत सुरक्षित रखे गए हैं. साथ ही अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इंटेलिजेंस ब्यूरो और उत्तर प्रदेश पुलिस मामले की जांच कर रही है

साथ ही रेल मंत्री ने बताया कि यात्रियों या कर्मचारियों को कोई चोट नहीं आई, यात्रियों के लिए अहमदाबाद की आगे की यात्रा के लिए ट्रेन की व्यवस्था कर दी गई है.

सब सुरक्षित, हेल्पलाइन नंबर जारी

इस हादसे में ट्रेन के 22 डिब्बे डिरेल हुए हैं. जिस समय यह हादसा हुआ देर रात का समय था और सभी यात्री सोए हुए थे और जैसे ही यह हादसा हुआ लोग घबरा गए और डर गए. हादसे के बाद रेलवे अधिकारी फौरन घटनास्थल पर आ गए और यात्रियों को अहमदाबाद पहुंचाने के लिए उन के लिए बस मंगवाई गई और फिर दूसरे स्टेशन से उन्हें अहमदाबाद की ट्रेन में बैठाया गया. हालांकि, सब सुरक्षित है और लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए.

जेपी नड्डा के घर पर NDA की बड़ी बैठक,बैठक में उठा नॉर्थ ईस्ट का मुद्दा

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद केंद्रीय मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर एनडीए की बैठक हुई. इस बैठक में विधानसभा चुनाव पर चर्चा के साथ-साथ एनडीए में आपसी समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया गया. इसके साथ-साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक राय और घटक दलों के बीच में तालमेल बेहतर करने की कवायद की गई. इससे पहले जब पीएम मोदी ने जब बैठक की थी तब उन्होंने भी एनडीए के सभी दलों को साथ मिलकर काम करने और बेहतर तालमेल से काम करने को कहा था.

एनडीए घटक दलों की यह बैठक बीजेपी अध्यक्ष के आवास पर हुई. मीटिंग में शामिल नेताओं से उन्होंने नड्डा ने कहा कि कहा कि व्यस्तता के कारण हम मिल नहीं पाते हैं. संसद सत्र में भी व्यस्तता के कारण मिलना नहीं हो पाया. दो राज्यों में चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो गया है तो आगे भी व्यस्त रहेंगे और मिलना नहीं हो पाएगा. तो सोचा कि आपके साथ चाय पी लें.

बैठक में उठा नॉर्थ ईस्ट का मुद्दा

बैठक में छोटे छोटे सहयोगी दलों ने कहा कि संसद की कार्यमंत्रणा समिति में उनको जगह नहीं मिल पाई है जिससे वो बात नहीं रख पाते हैं. नॉर्थ ईस्ट के सहयोगियों ने कहा कि उनके लोगों पर और ध्यान देने की जरूरत है. एक सहयोगी ने कहा कि नार्थ ईस्ट में तो मजबूत विपक्ष नहीं है तो फिर हम क्यों कमजोर हैं.

इस बैठक में महाराष्ट्र में एनसीपी चीफ अजित पवार और शिवसेना शिंदे गुट की ओर से कोई नेता शामिल नहीं हुआ था. इस पर बीजेपी चीफ ने कहा कि ये बैठक अचानक बुलाई गई, ऐसे में महाराष्ट्र में घटक दल चुनावी तैयारी में व्यस्तता के चलते नहीं आ सके.

क्यों अहम मानी जा रही यह बैठक?

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से सेकुलर सिविल कोड की चर्चा छेड़ी है. आने वाले दिनों मे सरकार इसको लेकर आगे बढ सकती है क्योंकि ये बीजेपी के कोर एजेंडे में रहा है. पर सरकार जेडीयू और टीडीपी जैसे सहयोगियों की बैसाखी के सहारे है जिनके लिए मुस्लिम वोट बैंक अहम है. लिहाजा अगर सरकार सेकुलर सिविल कोड पर आगे बढ़ने का सोचती है तो टीडीपी और जेडीयू जैसे सहयोगियों को भी साथ लेना होगा. ऐसे में उनकी राय और रजामंदी दोनों भी जरूरी है.

ऐसे ही सरकार जब वक्फ कानून में संशोधन का बिल कैबिनेट में लाई थी तब सरकार के सहयोगियों ने कैबिनेट में इस बिल का विरोध नहीं किया. पर जब ये बिल संसद में आया तो सरकार के सहयोगियों ने ही इस बिल को और ज्यादा चर्चा और हितधारकों की राय के लिए संसदीय समिति में भेजने की बात की. इसलिए बीजेपी एनडीए सहयोगियों को पूरी तवज्जो देना चाहती है.

बैठक में शामिल हुए ये नेता

आज की बैठक में बीजेपी की ओर से किरेन रिजिजू, भूपेन्द्र यादव , एल मुरूगन और अरुण सिंह शामिल हुए. वहीं, सहयोगी दलों से हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी, जेडीएस के एच डी कुमारस्वामी, अपना दल से अनुप्रिया पटेल, जेडीयू से संजय कुमार झा, टीडीपी से पेमा सनी चंद्रशेखर, निषाद पार्टी से प्रवीण निषाद, बीडीजेएस से तुषार वेलापल्ली शामिल हुए

बीजेपी राष्ट्रीय महासचिवों की बैठक भी हुई

इस बैठक के बाद बीजेपी अध्यक्ष ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिवों के साथ बैठक की. इस बैठक में कल होने वाली राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के एजेंडे पर चर्चा हुई और उसे अंतिम रूप दिया गया. राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक कल यानी शनिवार को दोपहर दो बजे होने वाली है. इस बैठक में पीएम मोदी भी शामिल होंगे और पदाधिकारियों का मार्गदर्शन करेंगे.

संगठन के मामलों की दृष्टि से इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बैठक में दो महत्वपूर्ण मुद्दों बीजेपी का राष्ट्रव्यापी सदस्यता अभियान और संगठन चुनाव पर चर्चा होगी. सदस्यता अभियान पूरा होने के बाद बीजेपी के संगठन के चुनाव होते हैं. मंडल से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव कराए जाते हैं.

संभावना है कि संगठन चुनाव की प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी हो जाएगी. इसके बाद नए अध्यक्ष का चुनाव होगा. बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पूरा हो चुका है. वे केंद्र में मंत्री भी हैं और एक व्यक्ति एक पद के अनौपचारिक नियम से संभावना है कि उनकी जगह दूसरा पार्टी अध्यक्ष बनाया जाए.

Mudra Loan, अब आसानी से नहीं मिलेगा, नियमों में हो सकता है ये बड़ा बदलाव!

देश में स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ शुरू की हुई है. इस योजना के तहत सरकार आम लोगों को रियायती दर पर आसान लोन उपलब्ध कराती है. इसकी गारंटी भी सरकार खुद लेती है.

 लेकिन जल्द ही ये लोन मिलना लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके नियमों को कड़ा बनाया जा सकता है. सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने इसके लिए नई गाइडलाइंस तैयार की हैं. ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सरकार ने बजट 2024 में इस लोन की मैक्सिमम लिमिट को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने का ऐलान किया है.

नीति आयोग की नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि अब से मुद्रा लोन देने से पहले लोन लेने वाले व्यक्ति का बैकग्राउंड चेक किया जाना चाहिए. इतना ही नहीं ये भी देखा जाना चाहिए कि क्या वह लोन लेने लायक है या नहीं. इसके अलावा कई और सुझाव नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दिए हैं.

नीति आयोग की रिपोर्ट

नीति आयोग ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का आकलन करने वाली एक रिपोर्ट ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के प्रभाव का आकलन’ जारी की है. 

इसमें कहा गया है कि लोन की अंडरराइटिंग के लिए ई-केवाईसी को बढ़ावा को देना चाहिए. इससे लोन से क्या फायदा हुआ, उसका आकलन करने में मदद मिलेगी.

इतना ही नहीं नीति आयोग ने गाइडलाइंस का एक सेट भी तैयार किया है, जो किसी लोन लेने वाले के बैकग्राउंड वेरिफिकेशन और ऋण लेने की क्षमता का आकलन करने में मदद करेगी. वहीं बैंकों को लोन के डिफॉल्ट होने की स्थिति में एक सुरक्षा नेट भी उपलब्ध कराएगी. चूंकि इन लोन को लेने के लिए कुछ गिरवी नहीं रखना होता है, ऐसे में रिस्क का सही आकलन इस योजना की सफलता में अहम रोल अदा कर सकता है.

छोटे कारोबारी लेते हैं लोन

मुद्रा लोन लेने वालों में ज्यादातर छोटे कर्जदार और छोटे कारोबारी हैं. उनके पास पर्याप्त मात्रा में दस्तावेज नहीं होते या बहुत सीमित डॉक्यूमेंट्स होते हैं. इसलिए बैंकों के लिए उनका वेरिफिकेशन करना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण काम है.

संभव है कि ई-वेरिफिकेशन का मकसद बैंकों का काम आसान करना हो, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी चुनौतियों को देखते हुए संभावना है कि लोगों को लोन लेने में और दिक्कत आए.

इस योजना को सरकार ने 2015 में लॉन्च किया था. मुद्रा योजना के आधिकारिक पोर्टल के मुताबिक अब तक 39.93 करोड़ लोन पास किए गए हैं. इसके तहत सरकार अब तक 18.39 लाख करोड़ रुपए का लोन बांट चुकी है.

37 साल की उम्र में थाईलैंड की प्रधानमंत्री बनीं शिनावात्रा,बना दिया ये रिकॉर्ड

थाईलैंड की संसद ने पैतोंगतार्न शिनावात्रा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुन लिया है. वह देश की सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं. 2 दिन पहले ही थाईलैंड की सर्वोच्च अदालत ने प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को पद से बर्खास्त कर दिया था. उन पर नैतिक नियमों का उल्लंघन करके एक पूर्व अपराधी की कैबिनेट में नियुक्ति करने का आरोप था.

37 साल की पैतोंगतार्न थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की सबसे छोटी बेटी हैं. उनके पिता के अलावा, उनकी चाची यिंगलक भी थाईलैंड की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं, वह देश की सबसे युवा और दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं.

परिवार की तीसरी प्रधानमंत्री

शिनावात्रा अपने परिवार की तीसरी सदस्य हैं जो इस पद तक पहुंची हैं. उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा पिछले साल ही 15 साल के निर्वासन के बाद देश लौटे थे. थाकसिन साल 2001 में पहली बार थाईलैंड के प्रधानमंत्री चुने गए थे, लेकिन 2006 में तख्तापलट के बाद उन्हें निर्वासित हो गए. बताया जाता है कि थाईलैंड की राजनीति में पैतोंगतार्न काफी लोकप्रिय हैं. पिछले चुनावों में भी उन्होंने गर्भवती होने के बावजूद जमकर प्रचार किया था, उनकी फ्यू थाई पार्टी 2023 के चुनावी में दूसरे स्थान पर थी. वहीं उनके परिवार की भी थाईलैंड की राजनीति में अच्छी पकड़ रही है, यही वजह है कि उन्हें जनता का खासा समर्थन मिलता है.

क्यों हटाए गए श्रेथा थाविसिन?

करीब 48 घंटे पहले थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने श्रेथा थाविसिन को प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया था. उन पर जेल की सजा काट चुके एक वकील को कैबिनेट मंत्री बनाने का आरोप था. कोर्ट के मुताबिक श्रेथा ने इस तरह की नियुक्ति कर संवैधानिक नियमों का उल्लंघन किया है, हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद थाविसिन ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि उन्हें नियमों की पूरी तरह जानकारी नहीं थी.

दरअसल श्रेथा ने पिचित चुएनबन को कैबिनेट में जगह दी थी, पिचित को 2008 में सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश करने के लिए 6 महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने माना है कि श्रेथा को पिचित से जुड़े मामलों की अच्छी तरह से जानकारी थी. बता दें कि श्रेथा थाविसिन पिछले साल 2023 में हुए चुनाव में ही जीतकर प्रधानमंत्री बने थे. महज़ एक साल बाद कोर्ट की बर्खास्तगी से उनकी सरकार गिर गई.

कब लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण,भारत में दिखेगा या नहीं?, जानें

हिंदू धर्म में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण का एक विशेष महत्व माना गया है. सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है. जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीत से गुजरता है या सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है, जिसके कारण पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश घरती पर कम या पूरी तरह से गायब हो जाता है, इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. आमतौर पर साल में 1 सूर्य ग्रहण ही लगता है लेकिन इस साल 2024 में दो सूर्य ग्रहण और दो ही चंद्र ग्रहण लगने वाला है. इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगा था, जिसका विशेष प्रभाव अमेरिका और उसके पास के देशों में देखने को मिला था लेकिन यह भारत में नहीं दिखा था. ऐसे में साल के दूसरे और आखिरी सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं कि यह सूर्य ग्रहण कब लगने वाला है और क्या इस बार ये ग्रहण भारत में दिखेगा या नहीं? ऐसे में आइए इस लेख में साल के दूसरे सूर्य ग्रहण से जुड़ी हर जानकारी बारे में विस्तार से जानते हैं.

साल का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा रिंग ऑफ फायर

साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2024 अक्टूबर में लगेगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह दूसरा सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा, जिसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है. वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढकता, जिससे सूर्य का बाहरी हिस्सा एक चमकदार रिंग के रूप में दिखाई देता है. भारत में इसे न देख पाने की स्थिति में, लोग ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से इसको देख सकते हैं.

साल का दूसरा सूर्य ग्रहण कब लगेगा 

साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को लग रहा है. इस दिन हिंदू कैलेंडर में अश्विन मास की अमावस्या तिथि होगी. भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण रात को 9 बजकर 13 मिनट पर शुरू होकर और 3 अगस्त तड़के 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा. यह वलयाकार सूर्य ग्रहण कुल मिलाकर लगभग 6 घंटे 4 मिनट तक रहेगा.

दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा या नहीं?

इस साल का पहला सूर्य भारत में नहीं दिखाई दिया था और अब हैरान करने वाली ये है कि इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं नजर आने वाला है. ऐसा होने का मुख्य कारण यह है कि ग्रहण भारतीय समयानुसार रात के समय में लगेगा.

कहां दिखाई देगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण?

अब ऐसे में लोग जानना चाहते होंगे कि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा तो दुनिया के किन-किन देशों में दिखाई देगा. ब्राजील, कूक आइलैंड, चिली, पेरू, अर्जेंटीना, मैक्सिको, होनोलूलू, फिजी, उरुग्वे, अंटार्कटिका, न्यूजीलैंड, आर्कटिक, ब्यूनस आयर्स और बेका आइलैंड आदि देशों में साल का दूसरा सूर्य ग्रहण दिखेगा.

सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय

सामान्य तौर पर सूतक काल उस अवधि को कहा जाता है जब सूर्य ग्रहण लगा होता है. शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण लगने के ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. इस बार साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए इसका सूतक काल का भी मान्य नहीं होगा. जब सूतक के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. साथ ही इस दौरान पूजा-पाठ भी करने से बचते हैं. सूतक काल में मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर को गंगाजल से पवित्र करके ही फिर कपाट खोलते हैं.