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Veer Gupta

Aug 11 2024, 21:01

दयाबेन' हैं करोड़ों की मालकिन, नेट वर्थ जानकर हो जाएंगे हैरान

सबसे पॉपुलर और कामयाब शोज की गिनती में आने वाला टीवी सीरियल 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' को दर्शक देखना खूब पसंद करते है. इस शो का हर किरदार घर-घर में मशहूर है. सीरियल को ऑडियंस का भरपूर प्यार मिला है. 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' का 15 सालों से दबदबा बरकरार है. इस शो ने कई ऐसे कैरेक्टर्स दिए हैं, जो हमेशा याद किए जाएंगे. शो में सबसे ज्यादा दयाबेन यानी की दिशा वकानी को फैंस का भरपूर प्यार मिला है. 

करोड़ों की मालकिन हैं 'तारक मेहता' की 'दयाबेन'

9 सालों तक टीवी की दयाबेन बनकर ऑडियंस को हंसाने वाली दिशा वकानी भले ही पर्दे से दूर हैं, लेकिन आज भी दर्शक उन्हें याद करते हैं. बता दें कि दिशा वकानी ने साल 2017 में 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' से मैटरनिटी लीव ली थी, लेकिन इसके बाद अब तक भी उनकी शो में वापसी नहीं हो पाई है. हालांकि शो के फैंस आज भी उनका पलके बिछाकर दिशा का इंतजार करते हैं. दिशा वकानी को टीवी इंडस्ट्री की सबसे महंगी एक्ट्रेसेज में शुमार किया जाता है. 

तारक मेहता का उल्टा चश्मा' की दयाबेन उर्फ दिशा वकानी भले ही काफी सालों से स्क्रीन पर काम ना कर रही हो, लेकिन एक्ट्रेस फिर भी करोड़ों रुपये की मालकिन हैं. जी हां रिपोर्ट्स के मुताबिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' में 9 सालों तक लगातार काम करने वाली एक्ट्रेस शो की सबसे मंहगी एक्ट्रेसेस थीं. दिशा वकानी हर एपिसोड के लिए 1.5 लाख रुपये फीस चार्ज करती थीं. साथ ही आंकड़ों के मुताबिक एक्ट्रेस की नेटवर्थ करीब 37 करोड़ रुपये है. 

कई टीवी शोज में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस 

बॉलीवुड फिल्मों में काम करने के अलावा, दिशा वकानी ने 'खिचड़ी', 'इंस्टेंट खिचड़ी', 'हीरो- भक्ति ही शक्ति है', 'आहट', 'सीआईडी' ​​और कई पॉपुलर टीवी शोज में भी काम किया. दिशा साल 2015 में मयूर पाडिया के साथ शादी के बंधन बंधी थीं. लेकिन बेटी के जन्म के बाद से ये एक्ट्रेस टीवी के पर्दे पर वापस नहीं लौटी हैं. दिशा अब एक बेटी के साथ एक बेटे की भी मां बन चुकी हैं और अपने परिवार के साथ ही समय बिता रही हैं. 

Veer Gupta

Aug 11 2024, 19:50

धमाल मचाएंगी 15 अगस्त को बड़े पर्दे पर ये साउथ की बड़ी फिल्में,जानें

फिल्मों के शौकीन लोगों के लिए साल 2024 बड़ा ही खास होने वाला है. क्योंकि इस साल बॉलीवुड के अलावा साउथ की भी कई बड़े फिल्में थिएटर्स में दस्तक देने वाली है. इनमें से कई स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त के दिन रिलीज होने जा रही है. नीचे देखिए इनकी लिस्ट..

1,मिस्टर बच्चन – इस लिस्ट में साउथ के पॉपुलर एक्टर रवि तेजा की फिल्म ‘मिस्टर बच्चन’ भी हैं. ये एक एक्शन फिल्म है. खबरों के अनुसार इस फिल्म की कहानी फिल्म उद्योगपति सरदार इंदर सिंह पर मारी गई रेड पर आधारित है.

2,नुनाकुझी – ये एक कॉमेडी फिल्म है. जिसमें बेसिल जोसेफ और ग्रेस एंटनी मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म की कहानी बेसिल जोसेफ के इर्द-गिर्द घूमेगी. जो एक अमीर आदमी है और खुद को मुसीबत में पाता है.

3,रघु थाथा - बॉक्स ऑफिस पर थंगालान और डबल आईस्मार्ट जैसी फिल्मों को टक्कर देने के लिए कीर्ति सुरेश स्टारर ‘रघु थाथा’ भी आ रही है. फिल्म की सामाजिक कॉमेडी फिल्म है. जिसमें एमएस भास्कर, रवींद्र विजय, राजीव रवींद्रनाथन जैसे स्टार्स भी हैं.

4,मनोराथंगल - ये फीचर फिल्म नहीं है, बल्कि एक एंथोलॉजी सीरीज़ है जिसमें 8 निर्देशकों द्वारा बनाई गई 9 छोटी-छोटी कहानियां शामिल है. इसमें आपको कमल हासन,मोहनलाल, ममूटी, फहद फासिल, पार्वती थिरुवोथु, बीजू मेनन, आसिफ अली, अपर्णा बालमुरली जैसे स्टार्स देखने को मिलेंगे. ये स्वतंत्रता दिवस पर जी5 पर स्ट्रीमिंग होगी.

5,थंगालान – ये साउथ की मोस्ट अवेटेड फिल्म है जिसे पा. रंजीत द्वारा निर्देशित किया गया है. फिल्म में चियान विक्रम मुख्य भूमिका में हैं और इसमें मालविका मोहनन, पार्वती थिरुवोथु, पसुपति, डैनियल कैल्टागिरोन और कई अन्य कलाकार महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. थंगालान एक पीरियड फिल्म है. जो 15 अगस्त को रिलीज होगी

6,भैरथी रणंगल - शिव राजकुमार अभिनीत फिल्म ‘भैरथी रणंगल’ भी इसी स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज होगी. फिल्म में राहुल बोस, रुक्मिणी वसंत, देवराज मुख्य भूमिकाओं में हैं

Veer Gupta

Aug 11 2024, 17:55

मनीष सिसोदिया का अब सरकार और पार्टी में क्या होगी उनकी भूमिका?

सिसोदिया जेल से रिहा होने के बाद जेल में बंद मुख्यमंत्री और पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के परिवार से भी मिलने पहुंचे.

अगले दिन आम आदमी पार्टी कार्यालय में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, "केजरीवाल को ज़्यादा दिन जेल में नहीं रखा जा सकेगा. हम रथ के घोड़े हैं, हमारा असली सारथी अभी जेल में बंद हैं, वो भी बाहर आ जाएगा. हमारा सारथी हमें जहां हांकेगा, हम चलेंगे."

मनीष सिसोदिया जिस मंच से भाषण दे रहे थे उसके पीछे अरविंद केजरीवाल का बड़ा-सा पोस्टर लगा था सिसोदिया ने अपने भाषण में बार-बार ये भी ज़ाहिर किया कि वो दिल्ली के एक-एक बच्चे के लिए शानदार स्कूल बनाकर रहेंगे सिसोदिया ने कहा, "ख़ून पसीना बहाने के लिए बाहर आया हूं, छुट्टियां मनाने के लिए नहीं. आज से और अभी से हम जुट रहे हैं, आज से ही हम अभियान में लग जाएंगे."

17 महीने बाद जेल से रिहा हुए मनीष सिसोदिया के मंत्रालय जाने पर रोक नहीं हैं, लेकिन अभी सरकार में उनके पास कोई पद नहीं हैं कथित शराब घोटाले की जांच में घिरे मनीष सिसोदिया की आम आदमी पार्टी में अहमियत नंबर दो की है.

अब मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद ये सवाल भी उठ रहा है कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी में उनकी भूमिका क्या रहेगी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं और उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया है सिसोदिया जेल से बाहर आ गए हैं और उनके पद संभालने पर कोई क़ानूनी अड़चन नहीं है हालांकि आम आदमी पार्टी ने अभी ये साफ़ नहीं किया है कि सिसोदिया अपने पद पर कब लौटेंगे.

रविवार शाम छह बजे मनीष सिसोदिया के घर पर आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक हो रही है पार्टी के मुताबिक़ इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति को लेकर चर्चा की जाएगी आम आदमी पार्टी प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ कहती हैं, "मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद पार्टी जोश में हैं. पार्टी को नई ताक़त मिली है."

लेकिन मनीष की भूमिका आगे पार्टी और सरकार में क्या होगी, इस पर सीधा जवाब न देते हुए वो कहती हैं, "बैठक में इसे लेकर भी निर्णय होगा हालांकि, आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्र ये संकेत देते हैं कि केजरीवाल के जेल से बाहर आने तक पार्टी के चुनाव अभियान और दिल्ली सरकार की कमान सिसोदिया के ही हाथ में होगी मनीष सिसोदिया ने जेल से बाहर आकर दिए अपने भाषण में बार-बार अरविंद केजरीवाल का नाम लिया. उन्होंने उन्हें रथ का सारथी बताकर, स्वयं को रथ का घोड़ा कहा.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि मनीष सिसोदिया, केजरीवाल के सबसे क़रीबी सहयोगी और विश्वासपात्र साथी हैं राजनीति में आने से पहले केजरीवाल जब गैर सरकारी संस्था चला रहे थे तब मनीष सिसोदिया ही उनके क़रीबी सहयोगी थे. भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन में वो शुरूआत से केजरीवाल के बराबर में खड़े रहे विश्लेषक मानते हैं कि केजरीवाल के बाद मनीष सिसोदिया ही पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं और अब केजरीवाल की ग़ैर मौजूदगी में पार्टी की कमान भी उन्हीं के हाथ में होगी,.

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बीच जिस तरह का तालमेल रहा है और दोनों जितने क़रीब रहे हैं, मनीष के जेल से बाहर होने और केजरीवाल जेल में होने से इस बात की संभावना अधिक है कि पार्टी और सरकार के अधिकतर काम सिसोदिया के निर्देशन में ही हों इसकी वजह बताते हुए मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "सिसोदिया और केजरीवाल का साथ बहुत पुराना है. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर सरकार चलाने तक, दोनों ने साथ मिलकर काम किया है."

"ऐसा कभी कोई मौक़ा नहीं आया है जब केजरीवाल या मनीष के बीच कोई मतभेद रहा हो. मनीष को सर्वमान्य रूप से पार्टी में नंबर दो माना जाता है और उनकी स्वीकार्यता भी है. ऐसे में केजरीवाल की गै़र मौजूदगी में अगर वो कमान संभालते हैं तो इसे लेकर शायद ही कोई असहज हो." आम आदमी पार्टी ने मनीष सिसोदिया को दिल्ली सरकार में अपनी शिक्षा नीति का चेहरा भी बनाया है. केजरीवाल खुलकर मनीष की तारीफ़ करते रहे हैं.

हालांकि, अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी अब राजनीतिक भूमिका में हैं और अवरिंद की गै़र मौजूदगी में वो पार्टी की प्रचार गतिविधियों में शामिल हैं. रविवार को ही, सुनीता केजरीवाल हरियाणा में पार्टी की बदलाव रैली में शामिल हुईं और प्रचार किया. सुनीता केजरीवाल ने बार-बार लोगों को अरविंद केजरीवाल सरकार के काम याद दिलाए.

ऐसे में ये सवाल उठ सकता है कि केजरीवाल की गै़र मौजूदगी में सुनीता पार्टी का चेहरा होंगी या मनीष सिसोदिया हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि सिसोदिया के बाहर आ जाने के बाद अब वही पार्टी और सरकार का प्रमुख चेहरा होंगे सुनीता केजरीवाल आज सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें मजबूरी में बाहर आना पड़ा है. केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में थे. पार्टी को चेहरा चाहिए था. सुनीता के पास भावनात्मक अपील थीं, इसलिए उन्हें पार्टी का चेहरा बनाया गया लेकिन अब सिसोदिया बाहर आ गए हैं. आगे वही चेहरा होंगे."

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास कोई मंत्रालय नहीं था. लेकिन दिल्ली सरकार के अधिकतर अहम मंत्रालय मनीष सिसोदिया के पास थे विश्लेषक मानते हैं कि सिसोदिया केजरीवाल के सबसे क़रीबी ही नहीं बल्कि सबसे भरोसेमंद व्यक्ति हैं, ऐसे में अब केजरीवाल की गै़र मौजूदगी में अगर पार्टी और सरकार की कमान वो संभालते हैं तो इसे लेकर कहीं कोई असहजता नहीं होगी हेमंत अत्री कहते हैं, "केजरीवाल और सिसोदिया के बीच कभी कोई मतभेद नहीं रहा है और न ही सिसोदिया ने कभी केजरीवाल से आगे बढ़ने की कोशिश की है. वो स्वयं को केजरीवाल के साये में ही रखते हैं, ऐसे में अगले कुछ दिनों में केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान वही पार्टी की कमान संभालेंगे."

हरियाणा और दिल्ली में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं और हरियाणा में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं आम आदमी पार्टी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है चुनावी कामयाबी हासिल करना. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में, आम आदमी पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ने के बावजूद, दिल्ली की सभी सीटें बीजेपी ने जीत लीं.

अब तक पार्टी दिल्ली में आसानी से सरकार बनाती रही है. लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं.

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.

पार्टी के कई नेता लंबे समय जेल में रहे. केजरीवाल अभी भी जेल में बंद हैं. ऐसे में विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के लिए अब स्थिति करो या मरो की होगी.

हेमंत अत्री कहते हैं, "इस समय दिल्ली में सरकार के अलावा नगर निगम भी आम आदमी पार्टी के पास ही है. दिल्ली में जो कुछ भी अव्यवस्था है, उसे लेकर आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह मतदाताओं को ये समझा पाए कि इसके लिए बीजेपी ज़िम्मेदार है और दिल्ली में ताक़त का असली केंद्र एलजी कार्यालय ही है."

वहीं मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "आगामी चुनाव पार्टी के लिए करो या मरो की स्थिति होंगे. पार्टी को दिल्ली में अपनी कामयाबी को दोहराना ही होगा. ऐसे में मनीष सिसोदिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती, पार्टी को राजनीतिक कामयाबी की तरफ़ ले जाने की होगी."

हरियाणा और दिल्ली में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं और हरियाणा में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं.

आम आदमी पार्टी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है चुनावी कामयाबी हासिल करना. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में, आम आदमी पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ने के बावजूद, दिल्ली की सभी सीटें बीजेपी ने जीत लीं.

अब तक पार्टी दिल्ली में आसानी से सरकार बनाती रही है. लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं.

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.

पार्टी के कई नेता लंबे समय जेल में रहे. केजरीवाल अभी भी जेल में बंद हैं. ऐसे में विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के लिए अब स्थिति करो या मरो की होगी.

हेमंत अत्री कहते हैं, "इस समय दिल्ली में सरकार के अलावा नगर निगम भी आम आदमी पार्टी के पास ही है. दिल्ली में जो कुछ भी अव्यवस्था है, उसे लेकर आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह मतदाताओं को ये समझा पाए कि इसके लिए बीजेपी ज़िम्मेदार है और दिल्ली में ताक़त का असली केंद्र एलजी कार्यालय ही है."

वहीं मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "आगामी चुनाव पार्टी के लिए करो या मरो की स्थिति होंगे. पार्टी को दिल्ली में अपनी कामयाबी को दोहराना ही होगा. ऐसे में मनीष सिसोदिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती, पार्टी को राजनीतिक कामयाबी की तरफ़ ले जाने की होगी."

Veer Gupta

Aug 11 2024, 16:15

एक ऐसा कंपनी जहा कैंडिडेट को टैलेंट के बजाय उनकी राशियों को ध्यान में रख कर ली जाती है भर्ती

आमतौर पर कोई व्यक्ति अपने एक्सपीरियंस और एजुकेशन के आधार पर नौकरी पाने की उम्मीद करता है. कैंडिडेट अपने कौशल और काम के प्रति समर्पण से रिक्रूटमेंट टीम को प्रभावित करने की उम्मीद करते हैं, लेकिन चीन की एक कंपनी में कैंडिडेट के टैलेंट के बजाय उनकी राशियों को ध्यान में रख कर भर्ती की जा रही है.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, एक चीनी कंपनी की हायरिंग स्ट्रेटेजी ऑनलाइन ध्यान लोगों का ध्यान खींच रही है. अजीबोगरीब नीति के पीछे की टीम का मानना ​​है कि, डॉग ईयर वाले आवेदक फर्म के साथ-साथ बॉस के लिए भी दुर्भाग्य लाएंगे, जो ड्रैगन ईयर में पैदा हुए हैं.

क्या है चीनी मान्यता 

चीनी मान्यताओं में 12 राशियां हैं और प्रत्येक को एक साल सौंपा गया है, जो 12-वर्षीय चक्र में दोहराया जाता है, इसलिए एक दूसरे के विपरीत भी माना जाता है. कंपनी का नाम सैनक्सिंग ट्रांसपोर्टेशन है, जो दक्षिणी चीन के ग्वांगडोंग प्रांत में स्थित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वे 3,000 से 4,000 युआन (35,000 से 45,000 रुपये के बीच) के वेतन पर एक क्लर्क को काम पर रखना चाहते थे, जो इस क्षेत्र में औसत वेतन का आधा है. अपने नौकरी विवरण के तहत, कंपनी ने स्पष्ट रूप से ईयर ऑफ डॉग में पैदा हुए उम्मीदवारों से "नौकरी के लिए आवेदन न करने" के लिए कहा.

ये है वजह 

2 अगस्त को कंपनी के एक कर्मचारी ने मीडिया को बताया कि डॉग ईयर के लोगों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे का कारण यह है कि उनका बॉस एक "ड्रैगन" है. उन्होंने कहा, "ड्रैगन और डॉग एक दूसरे के साथ अच्छे से नहीं रहते." उनके अनुसार, कम योग्य उम्मीदवारों पर नौकरी के लिए विचार किया जाएगा, अगर उनके राशि डॉग ईयर की न हो.

राशि चिन्हों को "पांच चरणों" में रखा गया है, जो धातु, लकड़ी, पानी, आग और पृथ्वी हैं. माना जाता है कि ड्रैगन में जल तत्व होता है, जबकि डॉग अग्नि तत्व के अंतर्गत आता है. उनका मानना ​​है कि अगर डॉग और ड्रैगन एक साथ काम करते हैं, तो उनके बीच अक्सर मतभेद होते हैं.

Veer Gupta

Aug 11 2024, 12:06

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना

मोदी सरकार ने लोकसभा में गुरुवार (8 अगस्त) को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश किया था. इस बिल के पेश होते ही एक बार फिर से वक्फ बोर्ड को चर्चा तेज हो गई है. विपक्ष इस संशोधन बिल को मुस्लिम विरोधी बता रहा है और लगातार इसका विरोध कर रहा है. इस बिल को अब संसद की संयुक्त समिति (JPC) के पास भेज दिया गया है

इसी बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जब वक्फ को बर्बाद करने का बिल लाया जा रहा था तो ये लोग (उद्धव ठाकरे के सांसद) पीठ दिखाकर भाग गए थे. 

उद्धव ठाकरे पर बोला हमला 

असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया, 'शुक्रवार को इंडिया गठबंधन के उद्धव ठाकरे की पार्टी के जितने भी सांसद थे, वो सदन से भाग गए. जब बिल पर स्पीकर ने बोलने के लिए कहा तो उद्धव ठाकरे की पार्टी के कोई सांसद वहां नहीं बैठे थे, सब कैंटिन में बैठकर चना-चाट खा रहे थे. उद्धव ठाकरे अपने हिंदुत्व में मुसलमानों की बात करते हैं. अब वे महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बड़ी-बड़ी बातें करेंगे. उन्हें मुसलमानों का वोट चाहिए, लेकिन जब वक्फ को बर्बाद करने का बिल लाया जा रहा था तो ये लोग (उद्धव ठाकरे के सांसद) पीठ दिखाकर भाग गए. अब महाराष्ट्र के मुसलमानों को अपने दोस्त और दुश्मन को पहचानना पड़ेगा.

यह बिल संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है'

इसे पहले इस बिल पर सवाल उठाते हुए एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, 'केंद्र सरकार लगातार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सवाल उठा रही है. इसकी तुलना छोटे-छोटे खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्थाओं से हो रही है. भारत एक बहुत बड़ा देश है और गल्फ देशों से इसकी तुलना करना गलत है. ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के नियमों का उल्लंघन करता है. ये बिल संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है.'

Veer Gupta

Aug 11 2024, 10:17

नहीं रहे पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह,गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ली अंतिम सांस

पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह का शनिवार रात निधन हो गया है. 93 वर्ष के नटवर सिंह एक समय पर गांधी परिवार के बेहद ही करीबी और वफादार थे. हालांकि साल 2008 में नटवर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी और बगावत पर उतर आए थे. नटवर सिंह की बगावत उनकी किताब 'वन लाइफ इज नॉट इनफ : एन आटोबायोग्राफी' में खुलकर नजर आई. जिसमें उन्होंने गांधी परिवार को लेकर कई बड़े खुलासे किए. 

राजस्थान के भरतपुर जिले में जन्मे नटवर सिंह पढ़ाई में बहुत तेज थे. सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई के बाद नटवर इंग्लैंड चले गए और कैंब्रिज में दाखिल ले लिया. नेहरू गांधी के करीबी कृष्णा मेनन ने नटवर सिंह को सिविल सर्विसेस एग्जाम से जुड़ी टिप्स दी थी. नटवर सिंह ने सिविल सर्विसेस का एग्जाम क्लियर करके IFS (भारतीय विदेश सेवा) अधिकारी के तौर पर कई सालों तक सेवाएं दी.

नटवर सिंह का राजनीतिक सफ़र

कुछ सालों बाद नटवर सिंह भारत वापस आए गए और उन्होंने प्रधानमंत्री नेहरू गांधी के दफ्तर में काम करना शुरू कर दिया. इस दौरान उन्हें ताकतवर नौकरशाह पीएन हक्सर के साथ काम करने का मौका भी मिला. इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री बनीं उस दौरान नटवर सिंह को राजनीति में आने का मौका मिला. कहा जाता है कि नटवर सिंह ने ही इंदिरा गांधी के सामने राजनीति में आने की इच्छा जाहिर की थी. जिसे इंदिरा गांधी ने स्वीकार कर लिया था. इंदिरा गांधी ने नटवर सिंह को राज्यसभा से लाने का सोचा. लेकिन कांग्रेस से जुड़े कुछ लोगों को ये पसंद नहीं आया और उन्होंने नटवर सिंह को लोकसभा चुनाव लड़ाने की बात रखी. साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद नटवर सिंह ने भरतपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 

सोनिया गांधी के बनें वफादार

राजीव गांधी के मंत्रिपरिषद में नटवर सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया और यहां से ही नटवर सिंह का राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई. राजीव गांधी की हत्या के बाद पार्टी का सारा भार सोनिया गांधी पर आ गया. इस दौरान नटवर सिंह ने सोनिया गांधी की काफी मदद की. साल 1991 में नटवर सिंह की सलाह पर ही सोनिया गांधी पीएन हक्सर से मिली और पीएम किसको बनाया जाए, ये सलाह ली... पीएन हक्सर ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा का नाम आगे किया. लेकिन शंकरदयाल शर्मा ने पीएम बनने से मना कर दिया. इसके बाद पीएन हक्सर ने नरसिम्हा राव का नाम सुझाया और उन्हें पीएम बनाया गया. हालांकि बाद में नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी के बीच कई मुद्दों पर विवाद हुआ.

नटवर सिंह सोनिया गांधी के सियासी गुरु बनें और उन्होंने सोनिया गांधी की हिंदी सुधारी. साथ ही राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत कराई. उस दौरान सोनिया गांधी नटवर सिंह पर काफी भरोसा करती थी और एक-एक बात उनसे शेयर करती थी. 

इस वजह से छोड़ी कांग्रेस

यूपीए-1 में नटवर सिंह विदेश मंत्री बनें. लेकिन ईरान से तेल के बदले अनाज कांड सामने आने के बाद उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया गया. इसके बाद वो बागी हो गए और उन्हें अपनी आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' में गांधी परिवार से जुड़े कई खुलासे किए. जिसमें सोनिया गांधी की कड़ी आलोचना की. उन्होंने ये दावा भी किया कि किताब के प्रकाशन से पहले सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी उनसे मिलने आई थी. लेकिन उन्होंने किताब से कोई हिस्सा नहीं हटाया.

Veer Gupta

Aug 10 2024, 19:45

बेंगलुरु से कोलकाता तक जाने वाली एसएमबीटी हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन की टिकट के दाम ने इंटरनेट पर मचा दी खलबली

लंबी दूरी तय करनी हो तो कार या बस के मुकाबले ट्रेन सबसे सस्ता पड़ता है. अगर आपके लिए समय पैसों से ज्यादा मूल्यवान है तो आप फ्लाइट से सफर कर सकते हैं. वहीं कम पैसे में लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए ट्रेन सबसे बेस्ट ऑप्शन है. हालांकि, एक ट्रेन के टिकट का दाम महंगे फ्लाइट को टक्कर दे रहा है. बेंगलुरु से कोलकाता तक जाने वाली एसएमवीबी हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के टिकट के दाम ने इंटरनेट पर खलबली मचा दी है. सेकेंड एसी क्लास के टिकट के दाम देखकर लोग चौंक गए हैं.

रेडिट यूजर ने शेयर की पोस्ट

एक रेडिट यूजर ने प्रीमियम तत्काल बुकिंग के जरिए 9 अगस्त को सेकेंड एसी टिकट के दाम का स्क्रीनशॉट शेयर किया है, जिसके मुताबिक बेंगलुरु से कोलकाता तक जाने के लिए यात्री को 10,100 रुपये चुकाने होंगे. दस हजार से भी ज्यादा महंगे ट्रेन टिकट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए यूजर ने आश्चर्य जताया कि आखिर कौन इतने महंगा टिकट खरीद रहा है. पोस्ट शेयर करने वाले यूजर की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, आमतौर पर इस टिकट का दाम करीब 2900 रुपये रहता है.

लोगों को लगा शॉक

बेंगलुरु से कोलकाता तक के ट्रेन टिकट का दाम देखकर लोगों को जबरदस्त शॉक लगा है. कई यूजर्स का कहना है कि इतने पैसे देकर ट्रेन में सफर करने से अच्छा है कि इतने ही पैसों में फ्लाइट से सफर कर लिया जाए. रेडिट पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, "मुझे यात्रियों के साथ-साथ आईआरसीटीसी का भी यह व्यवहार समझ नहीं आ रहा है. क्यों न 'प्रीमियम' को नियमित तत्काल किराये के दोगुना की तरह एक निश्चित सीमा तक सीमित रखा जाए". टिकट के दाम पर तंज कसते हुए दूसरे यूजर ने लिखा, "कोई भी व्यक्ति सेकंड एसी में बिना टिकट यात्रा कर सकता है और जुर्माना अदा कर सकता है और यह 10 हजार से कम होगा."

Veer Gupta

Aug 10 2024, 11:15

मनीष सिसोदिया राजघाट निकलने से पहले लिया बजरंगबली का आशीर्वाद

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शुक्रवार को 17 महीने बाद आखिरकार जेल से बाहर आ गए. उनके जेल से बाहर निकलने की खबर ने आम आदमी पार्टी कामें एक बार फिर से नया जोश भर दिया है. जेल से बाहर आते ही सिसोदिया सबसे पहले केजरीवाल के घर पहुंचे और उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चों से मुलाकात की. सिसोदिया राजघाट के लिए निकल चुके हैं. इससे पहले उन्होंने बजरंगबली का आशीर्वाद लिया.

राजघाट के लिए निकले मनीष सिसोदिया.

मनीष सिसोदिया राजघाट के लिए निकल चुके हैं. राजघाट में वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर उनको पुष्प अर्पित करेंगे. इस दौरान उनके साथ आम आदमी पार्टी के कई अन्य नेता और कार्यकर्ता मौजूद रह सकते हैं.

केजरीवाल को भी मिलेगा बजरंगबली का आशीर्वाद'

मंदिर में पूजा करने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा, "भगवान बजरंग बली ने मुझे आशीर्वाद दिया है. अरविंद केजरीवाल पर भी बजरंग बली का विशेष आशीर्वाद है. आप देखिए कि उनको भी बजरंगबली का इसी तरह आशीर्वाद मिलेगा."

Veer Gupta

Aug 10 2024, 10:58

सरकारी अस्पताल में एक मरीज को इलाज के दौरान चढ़ाई एक्सपायर सलाइन

सरकारी सिस्टम की ऐसी लापरवाही किसी की भी जान ले सकती है. तेलंगाना के निजामाबाद जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां अस्पताल में एक मरीज को इलाज के दौरान एक्सपायर सलाइन की बोतल दी गई.

निजामाबाद के कदेम मंडल के लिंगपुर गांव के निवासी अजरुद्दीन को बीमारी के कारण खानापुर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कथित तौर पर उन्हें एक्सपायरी सलाइन की बोतल दी गई थी. मरीज के परिजनों ने जांच की मांग की है. परिजनों ने अस्पताल प्रशानश के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है और जिम्मेदारों पर कर्रवाई की मांग की है.

जब उसके भाई ने एक्सपायर्ड सलाइन को देखा, तो उसने तुरंत डॉक्टरों को सूचित किया. तब तक सलाइन खत्म चुकी बोतल को बदल दिया.

एक्सपायरी दवा के नुकसान

एक्सपायरी दवा से एलर्जी, शरीर के अंगों को नुकसान हो सकता है. एक्सपायरी डेट का मतलब ये होता है कि कई भी दवा किस तारीख तक पूरी तरह से असरदार और सुरक्षित है. साथ ही एक्सपायरी डेट ते बाद कंपनी दवा के सुरक्षा की गारंटी नहीं लेती है.

Veer Gupta

Aug 04 2024, 13:20

फ्रेंडशिप डे स्पेशल:- पूरे देश देशभर में मनाया जा रहा है फ्रेंडशिप डे, पर क्या आप जानते हैं इसके पीछे की कहानी,जानें

कोई व्यक्ति जन्म के बाद खुद से जो पहला रिश्ता बनाता है, उसे दोस्ती कहते हैं। परिवार से बाहर एक दोस्त ही आपका मार्गदर्शक, सलाहकार, राजदार और शुभचिंतक होता है। इसी दोस्ती के नाम एक खास दिन समर्पित किया गया है, जिसे फ्रेंडशिप डे के तौर पर मनाया जाता है। हालांकि दुनियाभर में साल में दो बार दोस्ती दिवस मनाते हैं। ऐसे में कई लोग असमंजस में हैं कि असली मित्रता दिवस किस दिन मनाएं। 

फ्रेंडशिप डे कब मनाया जाता है?

कुछ लोगों को फ्रेंडशिप डे को लेकर असमंजस है कि 30 जुलाई और अगस्त के पहले रविवार में से सही फ्रेंडशिप डे कौन सा होता है। दरअसल, साल 1930 में जॉयस हॉल ने हॉलमार्क कार्ड के रूप में उत्पन्न किया था। बाद में 30 जुलाई 1958 को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई। लेकिन भारत समेत बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश अगस्त के पहले रविवार को ही दोस्ती दिवस मनाते हैं।

फ्रेंडशिप डे का इतिहास

पहली बार मित्रता दिवस 1935 को अमेरिका में मनाया गया। शुरुआत में अगस्त के पहले महीने में दोस्ती के प्रतीक के तौर पर इस दिन को मनाया गया, हालांकि बाद में हर साल मित्रता दिवस अगस्त के पहले रविवार को मनाए जाने का फैसला लिया गया।

 मित्रता दिवस मनाने की शुरुआत?

अमेरिका में 1935 में अगस्त के पहले रविवार के दिन एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। कहते हैं कि इस हत्या के पीछे अमेरिकी सरकार थी। जिसकी मौत हुई थी, उसका दोस्त इस खबर से हताश हो गया और खुद भी आत्महत्या कर ली। उनकी दोस्ती और लगाव को देखते हुए अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। इसका प्रचलन बढ़ा और भारत समेत कई देशों ने फ्रेंडशिप डे को अपनाया।

मित्रता दिवस का महत्व

व्यक्ति के जीवन में दोस्त जरूर होते हैं। अगर न हों तो एक दोस्त जरूर बनाना चाहिए। दोस्ती कभी भी हो सकती हैं, उसमें उम्र, लिंग या किसी अन्य तरीके का कोई भेद नहीं होता। दोस्त आपका ऐसा समर्थक होता है जो आपकी तरक्की के लिए अच्छी सलाह देता है और आपकी खुशी में खुश होता है। ऐसे में आपके जीवन को सरल, सुलझा हुआ और अधिक मनोरंजक बनाने के लिए दोस्ती दिवस मनाते हैं और इस मौके पर दोस्त को खास महसूस कराते हैं।