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पेरिस में ओलंपिक उद्घाटन समारोह से पहले बवाल, फ्रांसीसी हाई-स्पीड रेल नेटवर्क में तोड़फोड़*
#peris_olympic_opening_ceremony_malicious_attack_on_france_rail_network पेरिस ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी से कुछ ही घंटे पहले फ्रांस हंगामे की खबर है। ओलंपिक उद्घाटन समारोह से पहले फ्रांस के हाई-स्पीड रेल नेटवर्क पर आगजनी की कई घटनाएं और हमले हुए है। रेल नेटवर्क को निशाना बनाकर किए गए हमलों के कारण कई रेल सेवाएं ठप हो गई हैं। फ्रांसीसी रेल कंपनी की और से एक बयान में कहा गया कि कई रेल लाइनों को निशाना बनाकर किए गए 'दुर्भावनापूर्ण कृत्यों' की वजहों से ओलंपिक से पहले ट्रेन परिचालन बुरी तरह बाधित हुआ. ट्रेन ऑपरेटर एसएनसीएफ (Train Operator SNCF) ने एएफपी को बताया, "यह टीजीवी नेटवर्क को हानि बनाने के लिए बड़े पैमाने पर किया गया हमला है." इस हमले के चलते कई ट्रेनों को रद्द करना पडा. राष्ट्रीय रेल परिचालक ने कहा, "एसएनसीएफ रात भर में एक साथ कई दुर्भावनापूर्ण कृत्यों का शिकार हुआ।" हमलों से इसकी अटलांटिक, उत्तरी और पूर्वी लाइनें प्रभावित हुईं. प्रभावित लाइनों पर यातायात 'भारी रूप से बाधित' है। जानकारी के मुताबिक इस तोड़फोड़ और आगजनी के कारण जो नुकसान हुआ है उसके मरम्मत में कम से कम रविवार तक का समय लग सकता है। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबित फ्रांस की खेल मंत्री ने इस हिंसा पर आक्रोश जताते हुए इसे भयावह बताया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खेलों को निशाना बनाना फ्रांस को ही निशाना बनाने के बराबर है। वहीं फ्रांस के परिवहन मंत्री ने रेल नेटवर्क के खिलाफ किए गए इन हमलों को आपराधिक बताया है। SNCF के मुख्य कार्यकारी जीन-पियरे ने बताया है इससे करीब 8 लाख यात्री प्रभावित हुए हैं।
*क्या फिर होगा बंगाल का बंटवारा? उत्तर बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के विलय का सुकांत मजूमदार ने दिया प्रस्ताव

#propasaltomakenorthbengalaseparate_state

अगर आप इतिहास के पन्नों को पलटें, तो देश के इतिहास में बंगाल विभाजन एक बड़ी घटना है। ब्रिटिश काल में साल 1905 में लार्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की थी। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य सेलार्ड कर्जन की घोषणा के बाद पूरा बंगाल जल उठा था और इसके खिलाफ पूरे बंगाल में उग्र प्रदर्शन हुए थे और अंततः लार्ड कर्जन को विभाजन का प्रस्ताव वापस लेना पड़ा था। बड़े पैमाने पर राजनीतिक विरोध के कारण 1911 में विभाजन रद्द कर दिया गया। हालांकि, 1936 में धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि भाषाई आधार पर बंगाल बंट गया।बिहार और उड़ीसा प्रांत बंगाल से अलग करके बनाया गया। 1947 में बंगाल दूसरी बार, इस बार धार्मिक आधार पर, विभाजित हुआ। यह पूर्वी पाकिस्तान बन गया। 

ये बातें पृष्भूमि में हैं। असम मसला ये है कि एक बार फिर बंगाल को विभाजित करने की बातें होने लगी हैं।भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बंगाल के बंटवारे की बात कहकर हलचल मचा दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।बुधवार को भाजपा के बंगाल ईकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्होंने उत्तर बंगाल के आठ राज्यों को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ विलय का प्रस्ताव दिया।

मजूमदार के इस बयान को लेकर नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसदों ने इसे अलगाववादी कदम करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसे लागू नहीं किया जा सकता। वहीं भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने मजूमदार के इस प्रस्ताव का बचाव किया। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख मजूमदार ने बुधवार को कहा था कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर पश्चिम बंगाल को डोनर मंत्रालय के अंतर्गत शामिल करने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया है। 

सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि उत्तर बंगाल को भी सिक्किम की तरह उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास के मद में मिलने वाले आवंटन का लाभ मिल सके।मजूमदार पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। ऐसे में उनका यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण हो जाता है। वे पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष भी हैं, जिससे मांग का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है।

टीएमसी ने साधा निशाना

टीएमसी नेता ने कहा, 'सुकांत मजूमदार को याद रखना चाहिए कि बंगाल के लोग ऐसी मांग बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर वे इस तरह से बात करेंगे तो जिस तरह से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) और कांग्रेस शून्य हो गए ठीक उसी तरह बंगाल में भाजपा भी शून्य हो जाएगी।'

पहले भी उठी है उत्तर बंगाल को अलग राज्य की मांग

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पश्चिम बंगाल में अभी उत्तर बंगाल को अलग राज्य की मांग उठी है। इसके पहले भी उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग उठती रही है। केवल उत्तर बंगाल में ही दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग, कूचबिहार में ग्रेटर कूचबिहार की मांग, कामतापुरी अलग राज्य की मांग और दक्षिण बंगाल में अलग राज्य रार बंगाल गठित करने की मांग उठती रही है।

सुकांत मजूमदार से पहले साल 2021में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और अलीपुरद्वार से पूर्व सांसद जॉन बारला सहित कुछ भाजपा नेताओं ने उत्तर बंगाल के आठ जिलों कूचबिहार, दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी, मालदा, अलीपुरद्वार और कलिम्पोंग को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का सुझाव दिया था। जॉन बारला की मांग पर जब हंगामा मचने लगा था, उस समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने उस मांग से किनारा कर लिया था।

कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को लगाना होगा नेम प्लेट, जारी रहेगी यूपी सरकार के आदेश पर रोक

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उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों, ढाबों और ठेलों पर नेम प्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे के बाद भी आदेश पर रोक जारी रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड और एमपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है। उसके बाद याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद अगले सोमवार को सुनवाई की जाएगी। तब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

इससे पहले यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे। निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नाम लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई। सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब राज्य सरकार का हलफनामा मिलने के बाद भी अदालत ने आदेश पर रोक जारी रखने का फैसला किया है।

कारगिल विजय दिवस पर लद्दाख पहुंचे पीएम मोदी,शहीदों को दी श्रद्धांजलि, विश्व की सबसे ऊंची सुरंग का भी करेंगे शिलान्यास

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देश आज कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती मना रहा है। आज ही के दिन 25 साल पहले भारतीय सेना ने अपने शौर्य और साहस के दम पर भारत में घुसी पाकिस्तानी सेना और उसके घुसपैठियों को बाहर खदेड़ दिया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख के करगिल वॉर मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। इस दौरान प्रधानमंत्री कारगिल युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वर्चुअली लद्दाख में शिंकुन ला सुरंग (टनल) परियोजना का पहला विस्फोट भी करेंगे। शिंकुन ला सुरंग 4.1 किमी लंबी होगी और इसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा।

इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, '26 जुलाई का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास है। हम 25वां कारगिल विजय दिवस मनाएंगे। यह उन सभी को श्रद्धांजलि देने का दिन है जो हमारे राष्ट्र की रक्षा करते हैं। मैं कारगिल युद्ध स्मारक जाऊंगा और हमारे बहादुर नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा।'

पीएम मोदी ने जानकारी दी है कि उनके लद्दाख दौरे के दौरान शिंकुन ला सुरंग परियोजना के काम का उद्घाटन भी किया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, यह सुरंग परियोजना लेह से कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगी। यह लेह में सभी मौसम में कनेक्टिविटी मुहैया कराएगी। काम पूरा होने के बाद शिंकुन ला दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी।

कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, जानें क्या बताई वजह

#kanwaryatranameplatedisputeupgovtfiledreplyinsupremecourt 

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका लगाने के अपने आदेश का बचाव किया है। सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए यूपी सरकार ने कहा, यह आदेश इसीलिए लागू किया गया था जिससे गलती से भी कांवड़िए किसी दुकान से कुछ ऐसा न खा लें जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो।

उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर मौजूद दुकानों में मालिक के नाम की नेम प्लेट लगाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। यह मामला मुजफ्फरनगर से शुरू हुआ था जिसके बाद योगी सरकार के आदेश देने के बाद यह पूरे प्रदेश में लागू हो गया था। इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 22 जुलाई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से शुक्रवार (26 जुलाई) तक जवाब मांगा था और राज्यों के जवाब देने तक इस आदेश पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद इस मामले में अगली सुनवाई आज 26 जुलाई को होगी।

आदेश का उद्देश्य पारदर्शिता कायम करना

इससे पहले यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे। निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो। 

+संभावित भ्रम से बचने का उपाय

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने किया याचिकाओं का विरोध

उत्तर प्रदेश सरकार ने नेमप्लेट विवाद में दाखिल याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि, हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने के नाते, प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करता है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाता है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं।

असम में अहोम वंश के मोइदम को भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया, जानिए इससे जुड़ी बातें

असम में अहोम वंश के मोइदम को शुक्रवार को नई दिल्ली में 46वें विश्व धरोहर समिति सत्र के दौरान भारत का 43वाँ विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

अहोम वंश के मोइदम कौन हैं?

मोइदम असम में अहोम राजाओं, रानियों और कुलीनों के दफन टीले हैं। "मोइदम" नाम ताई शब्द "फ्रांग-मै-डैम" या "मै-टैम" से आया है, जिसका अर्थ है मृतकों की आत्मा को दफनाना। 

मोइदम में क्या होता है?

प्रत्येक मोइदम के तीन मुख्य भाग होते हैं:

1. एक तिजोरी या कक्ष जहाँ शव रखा जाता है।

2. कक्ष को ढकने वाला अर्धगोलाकार मिट्टी का टीला।

3. वार्षिक प्रसाद के लिए शीर्ष पर एक ईंट की संरचना (चाव-चाली) और एक मेहराबदार प्रवेश द्वार के साथ एक अष्टकोणीय सीमा दीवार।

मोइडम का आकार मृतक की स्थिति और संसाधनों के आधार पर छोटे टीलों से लेकर बड़ी पहाड़ियों तक होता है। मूल रूप से, तिजोरियाँ लकड़ी के खंभों और बीम से बनी होती थीं, लेकिन राजा रुद्र सिंह (ई. 1696-1714) के शासनकाल के दौरान उन्हें पत्थर और ईंट से बदल दिया गया।

तिजोरी के अंदर, मृतकों को उनके कपड़ों, आभूषणों और हथियारों सहित उनके सामान के साथ दफनाया जाता था। दफनाने में कीमती सामान और कभी-कभी जीवित या मृत परिचारक भी शामिल होते थे।

लोगों को जिंदा दफनाने की प्रथा को राजा रुद्र सिंह ने खत्म कर दिया था।

अबतक भारत मे 42 वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स थे जिसमे हम्पी सबसे प्रसिद्ध है। मोदी सरकार का कहना है की वे भारत की खोई हुई धरोहर वापस लेकर आएँगे और विश्व स्टार पर भारत की गरिमा को बढ़ने में प्रयत्नशील है। इस अभियान का एक बड़ा पहलु हमे नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर जीवीकरण भी था, जिसके नए प्रसार का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने हाल ही में किया है।

कारगिल विजय दिवस पर पीएम मोदी की आतंकवाद के आकाओं को चुनौती, बोले- नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होने देंगे*
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आज पूरा देश आज हमारे वीर जांबाजों के साहस और शौर्य को याद कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने द्रास में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। करगिल से पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर हमला बोला।कारगिल विजय दिवस हमें बताता है कि राष्ट्र के लिए दिए गए बलिदान अमर हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे याद है कि किस तरह हमारी सेनाओं ने इतनी ऊंचाई पर, इतने कठिन युद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया था। मैं देश को विजय दिलाने वाले ऐसे सभी शूरवीरों को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने कारगिल में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। *दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने कहा, पाकिस्तान ने अतीत में जितने भी दुष्प्रयास किए, उसे मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है। वो आतंकवाद के सहारे, प्रॉक्सी वॉर के सहारे अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। पीएम ने कहा कि आज मैं उस मंच से बोल रहा हूं। यहां से आतंकवाद के आकाओं को मेरी आवाज सीधे सुनाई दे रही है। मैं उन्हें कह देना चाहता हूं कि उनके नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। साथियों लद्दाख हो या फिर जम्मू कश्मीर विकास के सामने आ रही हर चुनौती को भारत परास्त करके ही रहेगा। *कारगिल में असत्य और आतंक की हार हुई-पीएम मोदी* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता था। हमने सत्य, संयम और सामर्थ का अद्भुत परिचय दिया था। भारत उस समय शांति के लिए प्रयास कर रहा था। बदले में पाकिस्तान ने फिर एक बार अपना अविश्वासी चेहरा दिखाया। लेकिन सत्य के सामने असत्य और आतंक की हार हुई। *सेना मतलब देश की सीमाओं की सुरक्षा की गारंटी-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए सेना मतलब, 140 करोड़ देशवासियों की आस्था, 140 करोड़ देशवासियों की शांति की गारंटी और देश की सीमाओं की सुरक्षा की गारंटी है। कारगिल विजय दिवस पर पीएम मोदी ने अग्निपथ योजना पर भी बात की। पीएम ने कहा कि अग्निपथ योजना के जरिए देश ने इस महत्वपूर्ण सपने को एड्रेस किया है। अग्निपथ का लक्ष्य सेनाओं को युवा बनाना और सेनाओं को युद्ध के लिए निरंतर योग्य बनाए रखना है। *अग्निपथ योजना के बहाने विपक्ष पर हमला* मोदी ने कहा कि अग्निपथ योजना की सच्चाई ये है कि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी और देश का सामर्थ्यवान युवा भी मातृभूमि की सेवा के लिए आगे आएगा। प्राइवेट सेक्टर और पैरा मिलिट्री फोर्सेस में भी अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की घोषणाएं की गई हैं। पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील विषय को कुछ लोगों ने राजनीति का विषय बना दिया है। कुछ लोग सेना के इस रिफॉर्म पर भी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए झूठ की राजनीति कर रहे हैं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने सेनाओं में हजारों-करोड़ के घोटाले करके हमारी सेनाओं को कमजोर किया। ये वही लोग हैं, जो चाहते थे कि एयरफोर्स को कभी आधुनिक फाइटर जेट न मिल पाएं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने तेजस फाइटर प्लेन को भी डिब्बे में बंद करने की तैयारी कर ली थी।
कारगिल विजय दिवस पर पीएम मोदी की आतंकवाद के आकाओं को चुनौती, बोले- नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होने देंगे

#kargilvijaydiwas2024pmmodidrass_kargil 

आज पूरा देश आज हमारे वीर जांबाजों के साहस और शौर्य को याद कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने द्रास में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। करगिल से पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर हमला बोला।कारगिल विजय दिवस हमें बताता है कि राष्ट्र के लिए दिए गए बलिदान अमर हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे याद है कि किस तरह हमारी सेनाओं ने इतनी ऊंचाई पर, इतने कठिन युद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया था। मैं देश को विजय दिलाने वाले ऐसे सभी शूरवीरों को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने कारगिल में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, पाकिस्तान ने अतीत में जितने भी दुष्प्रयास किए, उसे मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है। वो आतंकवाद के सहारे, प्रॉक्सी वॉर के सहारे अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। पीएम ने कहा कि आज मैं उस मंच से बोल रहा हूं। यहां से आतंकवाद के आकाओं को मेरी आवाज सीधे सुनाई दे रही है। मैं उन्हें कह देना चाहता हूं कि उनके नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। साथियों लद्दाख हो या फिर जम्मू कश्मीर विकास के सामने आ रही हर चुनौती को भारत परास्त करके ही रहेगा।

कारगिल में असत्य और आतंक की हार हुई-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता था। हमने सत्य, संयम और सामर्थ का अद्भुत परिचय दिया था। भारत उस समय शांति के लिए प्रयास कर रहा था। बदले में पाकिस्तान ने फिर एक बार अपना अविश्वासी चेहरा दिखाया। लेकिन सत्य के सामने असत्य और आतंक की हार हुई।

सेना मतलब देश की सीमाओं की सुरक्षा की गारंटी-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए सेना मतलब, 140 करोड़ देशवासियों की आस्था, 140 करोड़ देशवासियों की शांति की गारंटी और देश की सीमाओं की सुरक्षा की गारंटी है। कारगिल विजय दिवस पर पीएम मोदी ने अग्निपथ योजना पर भी बात की। पीएम ने कहा कि अग्निपथ योजना के जरिए देश ने इस महत्वपूर्ण सपने को एड्रेस किया है। अग्निपथ का लक्ष्य सेनाओं को युवा बनाना और सेनाओं को युद्ध के लिए निरंतर योग्य बनाए रखना है।

अग्निपथ योजना के बहाने विपक्ष पर हमला

मोदी ने कहा कि अग्निपथ योजना की सच्चाई ये है कि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी और देश का सामर्थ्यवान युवा भी मातृभूमि की सेवा के लिए आगे आएगा। प्राइवेट सेक्टर और पैरा मिलिट्री फोर्सेस में भी अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की घोषणाएं की गई हैं। पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील विषय को कुछ लोगों ने राजनीति का विषय बना दिया है। कुछ लोग सेना के इस रिफॉर्म पर भी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए झूठ की राजनीति कर रहे हैं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने सेनाओं में हजारों-करोड़ के घोटाले करके हमारी सेनाओं को कमजोर किया। ये वही लोग हैं, जो चाहते थे कि एयरफोर्स को कभी आधुनिक फाइटर जेट न मिल पाएं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने तेजस फाइटर प्लेन को भी डिब्बे में बंद करने की तैयारी कर ली थी।

पीएम मोदी ने शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया, जानें चीन-पाक के खिलाफ टनल का सामरिक महत्व?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25वें कारगिल विजय दिसव के अवसर पर द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर कारगिल युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअल माध्यम से शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया। यह सुंरग लद्दाख को हर मौसम में संपर्क प्रदान करेगी। इस सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब टनल भी शामिल है, जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फुट की ऊंचाई पर किया जाएगा। इससे लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान की जा सकेगी। यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी।शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज व कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी, बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

सेना को हर मौसम में एलएसी पर देगा एक्सेस

शिंकुन ला टनल सेना के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। यह सेना को हर मौसम में एलएसी पर एक्सेस देगा। साथ ही चीन के किसी भी नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाव देने में भारतीय सेना की मदद करेगा। अगर इस टनल का निर्माण होता है तो लद्दाख में सालों भर सुचारु रूप से आवाजाही हो सकेगी और सेना को हथियार गोला बरूद और उनके गाड़ियां आराम से आ जा सकेगी। 

सुरंग पर तोप और मिसाइल का भी असर नहीं होगा

शिंकुन ला टनल रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इस टनल के निर्माण से लद्दाख जाने के लिए सेना को करीब 100 की दूरी कम तय करनी पड़ेगी।निर्माण के बाद शिंकुन ला चीन की 15590 फीट की ऊंचाई पर बनी सुरंग को पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बन जाएगी। बड़ी बात यह है कि इस सुरंग पर तोप और मिसाइल का भी असर नहीं होगा।

लद्दाख में व्यापार, पर्यटन और विकास को मिलेगा बढ़ावा

शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी। यह सुरंग हिमाचल प्रदेश में लाहौल घाटी को लद्दाख में ज़ांस्कर घाटी से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगी। यह लद्दाख में व्यापार, पर्यटन और विकास को बढ़ावा देगा, नए अवसर लाएगा और लोगों की आजीविका में भी सुधार करेगा।

कारगिल विजय दिवसः जब भारतीय सेना के पराक्रम के सामने पाकिस्तान ने टेके थे घुटने, जानें वीरों की विजय गाथा

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देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। हर साल 26 जुलाई को भारत में करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। 25 साल पहले आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी। करगिल युद्ध, भारतीय सेना की वीरता की दास्तान कहता है। 1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान की उत्कृष्ट मिसाल है। तो पाकिस्तान के लिए यह युद्ध उसकी नापाक सोच, गद्दारी, पीठ में छुरा घोंपने की उसकी पारंपरिक सोच को दर्शाता है।

भारत के खिलाफ पाक की नापाक साजिश

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिश रचने का कोई भी मौका नहीं गंवाया है। साल 1999 में भी पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों में तापमान -50 तक चला जाता है। इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। उस समय तक करीब 23 हजार फीट ऊंचा यह ग्‍लेशियर पूरी तरह से निर्जन था। वहां पर भारतीय सेना की तैनाती भी नहीं थी। पाकिस्‍तान ने इस मौका का फायदा उठाया। इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की। 3 मई 1999 ये वो तारीख है जब हिन्दुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। 

19 मई को हुई ऑपरेशन विजय की शुरुआत

19 मई वो तारीख थी जिस दिन कारगिल युद्ध की एक तौर पर आधिकारिक शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठा था। हमारी सेना को खड़ी चढ़ाई चढ़नी थी। उसके लिए दुश्मन के निशाने से बचना मुश्किल था। इसके बाद तोलोलिन पहाड़ी से लेकर टाइगर हिल तक हर पोस्ट पर हमारे शूरवीरों ने न सिर्फ कब्जा किया बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों को मार खदेड़ा। 

दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक

कारगिल का युद्ध दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक था। यहां युद्ध लड़ना और पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर पहले से बैठे आतंकियों एवं घुसपैठियों को मार भगाना और चोटियों पर दोबारा काबिज होना आसान काम नहीं था। लेकिन भारतीय जवान हर बार कठिनाई पर भारी पड़े हैं। दुर्गम इलाके की बाधाओं और पर्याप्त सुविधाएं न होने के बावजूद भारतीय सेना दुश्मनों के खिलाफ खूब लड़ी। 

527 से ज्यादा जवानों ने दिया था बलिदान

मई-जुलाई 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में हिन्दुस्तान के 527 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे। इनके अलावा 1300 से ज्यादा जख्मी हो गए थे। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश फौजी 30 साल से कम उम्र के थे। वहीं शहीदों में से अकेले राजस्थान के 52 जवान थे। करीब 2 महीने की जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्ति हुई थी।