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आंखो की थकान दूर करने के लिए करे ये एक्सरसाइज मिलेगी राहत

आंखों की थकान आजकल एक आम समस्या बन गई है, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय तक कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी स्क्रीन के सामने रहते हैं। आंखों की थकान से सूजन, दर्द, और धुंधलापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे बचने के लिए और अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए, यहां तीन आसान एक्सरसाइज बताई जा रही हैं जिन्हें आप रोज कर सकते हैं:

1. पामिंग एक्सरसाइज

कैसे करें:

अपनी आंखों को बंद करें और आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।

अपने हाथों को रगड़ें जब तक वे गर्म न हो जाएं।

अब अपनी हथेलियों को धीरे-धीरे आंखों पर रखें, ध्यान रहे कि कोई दबाव न बने।

कुछ मिनट तक आंखों को अंधेरे में रखें और आराम महसूस करें।

यह एक्सरसाइज आंखों की मांसपेशियों को आराम देती है और थकान को दूर करती है।

2. 20-20-20 नियम

कैसे करें:

हर 20 मिनट पर अपने काम से ब्रेक लें।

20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें।

यह नियम आपकी आंखों को ताजगी देता है और लंबे समय तक स्क्रीन देखने से होने वाले तनाव को कम करता है।

इस प्रक्रिया को दिन भर में कई बार दोहराएं।

3. आंखों का घूमना (Eye Rolling)  

कैसे करें:

सीधे बैठें और अपनी आंखें बंद करें।

अपनी आंखों को पहले घड़ी की दिशा में 10 बार घुमाएं।

फिर आंखों को उल्टी घड़ी की दिशा में 10 बार घुमाएं।

इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं।

यह एक्सरसाइज आंखों की मांसपेशियों को मजबूती देती है और थकान को कम करती है।

इन सरल एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करके, आप आंखों की थकान से राहत पा सकते हैं और सूजन और दर्द में भी आराम महसूस कर सकते हैं। 

इसके अलावा, पर्याप्त नींद लेना, स्वस्थ आहार का सेवन करना, और समय-समय पर आंखों की जांच कराना भी जरूरी है।

रोजाना अंकुरित अनाज खाने के होते है कई फायदे,आइए जानते है एक्सपर्ट से अगर एक महीने अंकुरित अनाज का सेवन करे तो सेहत पे कैसा दिखता है असर


अनाज हमारी डाइट का अहम हिस्सा है जिसका सेवन हम दिन भर के खाने में तीन बार करते हैं। अनाज कृषि उत्पाद होते हैं जिसे पेड़-पौधों से हासिल किया जाता है। अनाज में हम दालें, गेहूं, मक्का, चावल, जौ, बाजरा,जई, राई और ट्रिटिकेल का सेवन करते हैं। अनाज का सेवन अगर साबुत अनाज के रूप में किया जाए तो सेहत को बेहद फायदा होता है।

अनाज का सेवन अगर स्प्राउट के रूप में किया जाए तो सेहत को कई तरह के फायदे होते हैं। आप जानते हैं कि एक महीने तक अनाज का सेवन अंकुरित करके करने से वो और भी ज्यादा पौष्टिक हो जाता है।

भारतीय योग गुरु, लेखक, शोधकर्ता और टीवी पर्सनालिटी डॉक्टर हंसा योगेंद्र (Hansa Yogendra) ने बताया स्प्राउट अनाज में एंजाइम एक्टिवेट हो जाते हैं और उसका असर हमारे पाचन पर भी पड़ता है। अगर रोजाना एक महीने तक इस तरह अनाज का सेवन किया जाए तो पाचन से लेकर डायबिटीज तक कंट्रोल रहती है। 

आइए जानते हैं कि अनाज का सेवन एक महीने तक स्प्राउट के रूप में करने से बॉडी को कौन-कौन से फायदे होते हैं और कौन से अनाज का सेवन स्प्राउट के रूप में कर सकते हैं।

स्प्राउट अनाज का पाचन पर असर

अनाज का सेवन अगर स्प्राउट के रूप में किया जाए तो उसे पचाना आसान होता है। इस अनाज को स्प्राउटिड करके खाने से ग्लूटेन और फाइटिक एसिड जैसे कठिन कॉम्पोनेंट को आसानी से तोड़ने में मदद मिलती है। इस अनाज का सेवन करने से पाचन दुरुस्त रहता है। गैस, कब्ज और एसिडिटी की परेशानी से राहत मिलती है।

डायबिटीज रहती है कंट्रोल

अगर अनाज का सेवन स्प्राउट के रूप में किया जाए तो डायबिटीज को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। स्प्राउट किया हुआ अनाज बॉडी में धीरे-धीरे टूटता है और धीमी गति से बॉडी में ग्लूकोज को रिलीज करता है। इस अनाज का सेवन करने से ब्लड शुगर का अचानक से बढ़ना कम हो जाता है।

वजन रहता है कंट्रोल

स्प्राउट अनाज का सेवन करने से वजन कंट्रोल रहता है। स्प्राउट अनाज में प्रोटीन ज्यादा होता है जो वजन को कम करने में मदद करता है। स्प्राउट में मौजूद फाइबर पेट को लम्बे समय तक भरा रखता है और वजन को आसानी से कंट्रोल करता है।

कोलेस्ट्रॉल होता है कंट्रोल

एक कटोरी स्प्राउट अनाज में 0.38 ग्राम वसा होती है जो बहुत कम होती है। कम वसा और ज्यादा प्रोटीन वाला अंकुरित अनाज बॉडी में जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है, कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है और दिल को हेल्दी रखता है।

कौन-कौन से अनाज को स्प्राउट कर सकते हैं?

स्प्राउट अनाज की प्रक्रिया बेहद आसान है। आप दालें, ब्राउन राइस,अल्फाल्फा, गेहूं, ब्राउन राइस, किनोवा और मूंग का सेवन आप स्प्राउट करके खा सकते हैं।

चेहरे पे जादुई निखार चाहिए तो सप्ताह में तीन बार लगाए ग्रीन टी का फेस पैक


ग्रीन टी से बना फेस पैक न सिर्फ आपकी स्किन पर होने वाली जलन या खुजली को दूर करता है, बल्कि इसे लगाने से पिंपल फ्री स्किन पाने में भी काफी मदद मिलती है। अगर आप भी त्वचा के ढीलेपन या मुंहासों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो कुछ मामूली चीजों के साथ ग्रीन टी को मिलाकर इसका शानदार पैक तैयार कर सकते हैं। बता दें, यह आपको साफ, यंग और कोमल त्वचा दिलाने में भी काफी मदद कर सकता है। चलिए आपको बताते हैं इसे बनाने और इस्तेमाल करने का तरीका।

ग्रीन टी फेस पैक बनाने के लिए सामग्री

ग्रीन टी- 1 चम्मच दही- 1 चम्मच शहद- 1 चम्मच

ग्रीन टी फेस पैक बनाने की विधि

ग्रीन टी फेस पैक बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में 1 ग्रीन टी बैग को काटकर डालें। इसके बाद इसमें एक चम्मच ठंडी दही भी डाल दें। फिर इसमें 1 चम्मच शहद भी एड करें। इसके बाद इन सारी चीजों को अच्छी तरह एक साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। बस तैयार है आपका ग्रीन टी फेस पैक।

ग्रीन टी फेस पैक का ऐसे करें इस्तेमाल

ग्रीन टी फेस पैक को लगाने के लिए सबसे पहले चेहरे को धोकर अच्छी तरह पोंछ लें। इसके बाद चेहरे और गर्दन पर इस तैयार पैक को अच्छे से लगा लें। फिर इस फेस पैक को तकरीबन 15-20 मिनट तक ड्राई होने दें। इसके बाद अपने ठंडे पानी से चेहरे को धोकर साफ कर लें। फिर आखिर में अपने फेस पर कोई मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं।

सावन में क्यों नहीं खाना चाहिए मांस ये सिर्फ आस्था है या इसके पीछे हैं कोई वैज्ञानिक कारण आइए जानते है...


दिल्ली:- सावन का महीना चल रहा है अभी शिवालयों में हर सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ महाकाल को जल चढ़ाने के लिए पहुंच रही है । बाकी पंथ को मानाने वाले लोगों के लिए यह सिर्फ एक मानसूनी मौसम है लेकिन सनातनियों के लिए यह भगवान शिव को समर्पित माह है।

आपने बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि 'चलो आज टंगड़ी चबा लेते हैं क्योंकी कल से सावन शुरू होने वाला है' बहुत से लोग सावन मास में मांस और मदिरा का त्याग कर देते हैं और उनके हिसाब से यही त्याग उनकी आस्था का प्रतीक है.

लोगों को लगता है कि सावन के महीने में मांस-मदिरा का सेवन इसी लिए नहीं करना चाहिए क्योंकी यह माह भगवान शिव की अर्चना के लिए होता है. ऐसा लॉजिक देने वालों को यह मालूम नहीं होता कि वो शिव की पूजा 12 महीने कर सकते हैं. शिव को अगर आपके मांस खाने से आपत्ति है तो वह बाकी महीनों में भी रहेगी।

देखा जाए तो सावन के महीने में मांस का त्याग करना आस्था से अधिक वैज्ञानिक है. आस्था अपनी जगह है और विज्ञान अपनी जगह. कहा जाता है कि सावन में पाचन शक्ति भी कमजोर होने लगती है और मांस पचने में समय लगता है, अगर सही समय पर मांस नहीं पचता है तो वो आंतो में सड़ने लगता है जो फ़ूड पॉइजनिंग का कारण बनता है. इस मौसम में सूर्य का प्रकाश भी कम पड़ता है इसी लिए चीज़ें जल्दी खराब होने लगती हैं.

वातावरण में कीड़े-मकोड़ों की तादात बढ़ जाती है, कई विषैले कीट पैदा होते हैं. वो घांस-फूस के माध्यम से भेड़-बकरियों के शरीर में जाकर उन्हें बीमार कर देते हैं, मांस के लिए इस्तेमाल होने वाले पक्षी जैसे मुर्गा, बत्तख, तीतर भी बीमार पड़ने लगते हैं. इसी मौसम में बर्ड फ्लू फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

बीमार जानवर का मांस खाना इंसान के लिए जहर सामान होता है. इसी महीने में मछलिया अंडे देती हैं, उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, वो बीमार भी पड़ती हैं. इसी लिए मछली का मांस भी नहीं खाना चाहिए मुर्गी के अंडों से भी परहेज करना चाहिए।

अगर मन में बार-बार नकारात्मक विचार आते हैं और आप परेशान रहते हैं तो इन उपायों को अपनाकर आप नेगेटिव विचार से हो सकते है दूर

नकारात्मक विचार हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। जीवन में उतार चढ़ाव आते ही रहते हैं. कभी अच्छा समय होता है और कभी थोड़ा कम अच्छा. ऐसे में मन में पॉजिटिव और नेगेटिव विचार आते हैं. पोजिटव विचार से आप प्रेरित होते हैं लेकिन नेगेटिव विचार आपको परेशान कर सकते हैं. ऐसे में मन में तरह-तरह की बातें आने लगती हैं और निराशा की भावना घर करने लगती है. आइए जानते हैं जब किसी कारण से मन में नेगेटिव विचार आ रहे हों तो इन्हें नियंत्रित करने और सकारात्मक जीवन जीने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं:

1. ध्यान और योग:

ध्यान और योग मानसिक शांति प्राप्त करने के प्रभावी तरीके हैं। प्रतिदिन कुछ समय निकालकर ध्यान और योग करने से मानसिक तनाव कम होता है और नकारात्मक विचार दूर रहते हैं। श्वास-प्रश्वास पर ध्यान केंद्रित करके मन को शांत करना सरल और प्रभावी उपाय है।

2. सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएं:

सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ समय बिताने से आपकी सोच पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे लोग आपको प्रेरित करते हैं और आपकी ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं। इसलिए, अपने समय का अधिकतर हिस्सा उन लोगों के साथ बिताएं जो आपको खुश रखते हैं और प्रेरणा देते हैं।

3. आत्म-संवाद को सुधारें:

आत्म-संवाद यानी स्वयं से बातचीत करने का तरीका बदलें। जब भी नकारात्मक विचार आएं, उन्हें सकारात्मक विचारों से बदलने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, "मैं यह नहीं कर सकता" को "मैं यह कर सकता हूं" में बदलें। सकारात्मक आत्म-संवाद से आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मक विचार कम होते हैं।

4. रचनात्मक कार्यों में समय बिताएं:

रचनात्मक गतिविधियों में समय बिताने से मन को व्यस्त और सकारात्मक बनाए रखा जा सकता है। संगीत सुनना, पेंटिंग करना, किताबें पढ़ना, या किसी नई कला को सीखना नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मदद करता है। ये गतिविधियाँ मन को प्रसन्नता देती हैं और तनाव को कम करती हैं।

5. शारीरिक गतिविधियों में भाग लें:

नियमित शारीरिक व्यायाम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। व्यायाम करने से मस्तिष्क में एंडोर्फिन नामक रसायन का स्त्राव होता है जो मूड को बेहतर बनाता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है। दौड़ना, तैराकी, या किसी भी प्रकार की खेल गतिविधि में भाग लें।

निष्कर्ष:

नकारात्मक विचारों को नियंत्रित करने और सकारात्मक जीवन जीने के लिए ध्यान, योग, सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताना, आत्म-संवाद सुधारना, रचनात्मक कार्यों में समय बिताना और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन उपायों को अपनाकर आप मानसिक शांति और खुशहाल जीवन प्राप्त कर सकते हैं।

अगर आप भी ऑयली स्किन की समस्या से है परेशान तो आजमाएं ये पाउडर चेहरे की हर समस्या को करेगा छूमंतर


चमकती, बेदाग और खूबसूरत त्वचा हर लड़की के लिए किसी सपने के समान होती है। लेकिन, ऑयली स्किन वालों के लिए ये सपना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। आम स्किन के मुकाबले तैलीय त्वचा में अधिक तेल उत्पादन, मुंहासे, ब्लैकहेड्स और ओपन पोर्स जैसी समस्याएं अमुमन होती रहती हैं, जिससे निजात पाने के लिए हम न जाने कितने महंगे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपके किचन में ही एक ऐसा प्राकृतिक नुस्खा मौजूद है जो आपकी ऑयली स्किन की हर समस्या का समाधान कर सकता है? जी हां, हम जिस पाउडर की बात कर रहे हैं वो है बेसन, जिसे कई तरह के घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल किया जाता है। और हम आज आपको 5 ऐसे फेस मास्क के बारे में बताने वाले हैं, जो आपकी ऑयली स्किन से तेल को साफ कर उसे बेदाग और खूबसूरत बनाने में मदद करेंगे।

बेसन और दही का फेस पैक

बेसन- 2 चम्मच

दही- 1 चम्मच

ऐसे तैयार करें फेस पैक

सबसे पहले एक कटोरे में बेसन और दही को अच्छी तरह मिलाकर स्मूथ पेस्ट तैयार कर लें।

अब इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन पर लगाकर 15-20 मिनट तक सूखने दें।

समय पूरा होने के बाद ठंडे पानी से धो लें।

क्या चाहिए?

बेसन- 2 चम्मच

हल्दी- 1 चुटकी

नींबू का रस- 1/2 चम्मच

तैयार करने का तरीका है आसान

एक छोटी कटोरी में बेसन, हल्दी और नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें।

इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन के आसपास के एरिया पर लगाकर 15-20 मिनट तक सूखने दें।

समय पूरा होने के बाद नॉर्मल पानी से फेस वॉश कर लें।

इन चीजों की है जरूरत

बेसन- 2 चम्मच

गुलाब जल- 2 चम्मच

शहद- 1 चम्मच

ऐसे करें तैयार

एक कटोरी में बेसन और गुलाब जल और शहद डालकर अच्छी तरह से मिक्स कर लें।

जब स्मूथ पेस्ट तैयार हो जाए जो उसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट तक सूखने के लिए छोड़ दें।

फेस वॉश करने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें और उसके बाद चेहरे पर ऑयल फ्री मॉइस्चराइजर को चेहरे पर लगाएं।

बेसन और मुल्तानी मिट्टी का फेस पैक

क्या चाहिए?

बेसन- 2 चम्मच

मुल्तानी मिट्टी- 1 चम्मच

नींबू का रस- 1 चम्मच

शहद- 1 चम्मच

तैयार करने का तरीका है आसान

सबसे पहले एक कटोरी में बेसन, मुल्तानी मिट्टी, नींबू का रस और शहद को अच्छे से मिक्स करें और पेस्ट तैयार कर लें।

अब इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन पर लगाकर 10 मिनट तक सूखने के लिए छोड़ दें।

समय पूरा होने के बाद ठंडे पानी से फेस वॉश कर लें।

इन चीजों की है जरूरत

बेसन- 2 चम्मच

कच्चा दूध- जरूरत अनुसार

शहद- 1/2 चम्मच

मुस्तानी मिट्टी- 1/2 चम्मच

ऐसे बनाएं फेस पैक

सबसे पहले एक कटोरी में बेसन शहद और मुल्तानी मिट्टी डाल दें।

अब कटोरी में जरूरत अनुसार कच्चा दूध मिक्स करें।

याद रहे पेस्ट ज्यादा गीला या गाढ़ान बनें।

अब आप इसे अपनं चेहरे पर लगाकर 10 मिनट तक सूखने के लिए रख सकते हैं।

समय पूरा होने के बाद ठंडे पानी से फेस वॉश कर लें।

हेल्थ टिप्स:मखाना और दूध का मिश्रण है एनर्जी बूस्टर इसे खाने से मिलते है कई फायदे


हम सभी जानते हैं कि दूध सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है, इसे संपूर्ण आहार माना जाता है। दूध के साथ कई चीजें मिलाकर खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं, दूध के साथ मखाने का सेवन आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। कुछ लोग मखाने को रोस्ट कर भी खाते हैं। दूध में मखाना भिगोकर खाने से हड्डियां स्वस्थ रहती हैं, इसके अलावा यह दांतों को भी मजबूत बनाता है। आइए जानते हैं दूध में मखाना मिलाकर खाने के फायदे।

पेट के लिए फायदेमंद

दूध में मखाने भिगोकर खाने से पेट से जुड़ी समस्या कम होती है। इन दोनों में फाइबर की मात्रा अच्छी होती है। जो पाचन को स्वस्थ रखता है। यह पेट में मौजूद हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे आप सूजन, कब्ज, पेट दर्द आदि की समस्या से राहत पा सकते हैं।

हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है

मखाना और दूध एकसाथ खाने से हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। मखाने में एल्कलॉइड नामक तत्व पाया जाता है, जो दिल को कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करता है। दूध और मखाना दोनों में पोटैशियम और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो हाई बीपी को सामान्य रखने में मदद करता है।

हड्डियां स्वस्थ रहती हैं

हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मखाना वाला दूध आपकी मदद कर सकता है। हड्डियों को स्वस्थ रखने में मखाने वाले दूध में कैल्शियम की मात्रा होती है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इससे आपके दांतों को मजबूती मिलती है। जिन लोगों को गठिया की समस्या है, वो अपनी डाइट में मखाना और दूध शामिल कर सकते हैं।

वजन घटाने के लिए फायदेमंद

इनमें कैलोरी की मात्रा कम होती है। वेट लॉस डाइट में आप मखाने और दूध को शामिल कर सकते हैं। इसे खाने से पेट ज्यादा देर तक भरा रहता है और आप ज्यादा खाने से बच सकते हैं।

इंस्टेंट एनर्जी मिलती है

दूध में मखाना मिला कर खाने से थकान, कमजोरी आदि की समस्या दूर होती है। यह एनर्जी बूस्टर के रूप में काम करता है।

चाँदीपुरा वायरस से दहशत में गुजरात!अब तक 19 बच्चों की मौत,जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय


गुजरात में इन दिनों इंसेफ्लाइटिस से मिलता जुलता वायरस चांदीपुरा वायरस से मौतों में इजाफा ने हर किसी की चिंता बढ़ा दी है। जानकारी के मुताबिक अब तक इस वायरस से 19 लोगों की मौत हो चुकी हैं। अब तक यह वायरस गुजरात के 10 से ज्यादा जिलों में फैल चुका है।

वहीं, संदिग्ध मामलों की संख्या भी बढ़कर 29 के करीब पहुंच गई है। डॉक्टर्स और सरकार का कहना है कि आने वाले दिनों में चांदीपुरा वायरस के मामलों में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। ऐसे में समय रहते इसके लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज शुरू करना जरूरी हो गया है ।

क्या है यह वायरस

चांदीपुरा वायरस एक इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी से जुड़ा है। यह वायरस बुखार का कारण बनता है। यह एक ऐसा वायरस है, जो मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। अगर इस बीमारी की लाक्षण की बात करें तो,चांदीपुरा वायरस के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे दिमाग में सूजन (ए्नसेफेलाइटिस) की समस्या होने लगती है। तेज बुखार, दस्त, उल्टी, दौरे और चेतना की हानि इसके लक्षणों में शामिल है।

इस वायरस से कौन हो सकते हैं प्रभावित

चांदीपुरा वायरस 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को प्रभावित करता है। डॉक्टर्स के मुताबिक यह वायरस मक्खियों से ज्यादा फैलता है। पहले 24 से 72 घंटे इसमें बेहद अहम होते हैं। यह मुख्य रूप से 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है।

इस वायरस बचने का उपाय

जो मक्खियां रेत में पाई जाती हैं, उनसे बचाव करना ही चांदीपुरा वायरस से बचाव है। इससे बचने के लिए आप कीटनाशक का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। मक्खी और मच्छरों से बचाव के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

चांदीपुरा वायरस का इलाज क्या है?

कोविड की तरह कोई खास एंटीवायरस इलाज या वैक्सीन नहीं है। लक्षणों को पहचानकर, सावधानी बरत कर ही इससे बचा जा सकता है।

चांदीपुरा वायरस गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराएं।

चांदीपुरा वायरस में शरीर को हाइड्रेट करना जरूरी होता है।

गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है।

चांदीपुरा वायरस का सबसे पहला केस

चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है। यह मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार होते हैं। साल 1965 में इस वायरस का पहला मामला महाराष्ट्र में दर्ज किया गया था। साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में इस वायरस को रिपोर्ट किया गया था। हर साल गुजरात में इसके मामले दर्ज किए जाते हैं।

ब्यूटी टिप्स: होठों के ऊपर कालापन दूर करने के लिए आजमाइए ये घरेलू नुस्खा,दिखने लगेगा असर


होंठ चेहरे की सुंदरता बढ़ाते हैं, लेकिन होंठो पर मौजूद कालापन होठों और चेहरे, दोनों की सुंदरता को कम करता है। हम चेहरे पर कितना कुछ लगा लें लेकिन कोई एक समस्या तो छूट ही जाती है, जिसमें से एक हैं होंठों के ऊपर और आस-पास के एरिया पर काले पन की समस्या। ये एक ऐसी प्रॉब्लम है जिससे ज्यादातर लड़कियां परेशान रहती हैं और इससे छुटकारा पाने की कई कोशिशें में कई केमिकल वाले ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते रहती हैं।

हम जानते हैं कि आपका और आपकी त्वचा का ख्याल रखने की जिम्मेदारी हमारी है, इसलिए आज हम आपको इस लेख में कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में बताने वाले हैं, जिनका इस्तेमाल करने के बाद आपके होंठों के आसपास के कालेपन से छुटकारा तो मिलेगा ही साथ ही स्किन पर ग्लो भी आएगा। तो अब आपको हिचकिचाने की जरूरत नहीं है, बस इन तरीकों को अपनाएं और लिप्स के ऊपर के कालेपन को दूर करें।

होठों के आसपास का एरिया काला क्यों होता है?

लड़कों से लेकर लड़कियों तक में ये देखा जाता है कि उनके होंठों के आसपास का एरिया चेहरे के मुकाबले हल्का काला होता है, जिसका कारण होता है फेस के उस एरिया पर मेलेनिन का अधिक उत्पादन होना।

मेलेनिन के बढ़ने से त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है और यही कारण है कि हम में से कई लोगों की कोहनी और घुटने भी काले होते हैं। इसे हाइपरपिग्मेंटेशन भी दिखाई देता है। लेकिन आप हमारे बताएं इन नुस्खों से होंठों के आसपास जमे कालेपन से छुटकारा पा सकते हैं

दही और बेसन में मिलाएं हल्दी

आप 1 चम्मच में दही में 1 चम्मच बेसन 1/2 हल्दी मिलाएं। साथ ही आप इसे अच्छा पेस्ट बनाने के लिए गुलाब जल करें। ये आपके लिप्स के आसपास के एरिया की डार्कनेस को कम करने और क्लीन करने में मदद करता है।

दही में मौजूद लैक्टिक एसिड हमारे स्किन को साफ करने के साथ-साथ फोड़े-फुंसियों को रोकने में भी मदद करता है। साथ ही हल्दी एक एंटी बैक्टीरियल गुण त्वचा को बैक्टीरिया और एलर्जी होने से बचाते हैं।

इस सब्जी का रस दिखाएगा कमाल

आलू का रस हमारी स्किन के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है, जो चेहरे पर जमा दाग-धब्बों को करने में मदद करता है। इसलिए अगर आप आलू को कद्दूकस करके उसका रस निकालकर लिप्स के आसपास के काले एरिया पर लगाती हैं तो पिगमेंटेशन के कम होने की संभावनी बढ़ जाती है।

वैसे आलू के रस का स्किन पर

 डायरेक्ट इस्तेमाल त्वचा को रूखा कर सकता है। ऐसे में अगर आपकी स्किन ऑयली है तो ठीक है, लेकिन अगर आपकी स्किन ड्राई है तो आलू के रस में शहद मिक्स करें और फिर इसका इस्तेमाल करें।

कच्चा दूध और हल्दी का इस्तेमाल

हमारे चेहरे के लिए कच्चा दूध बहुत ही फायदेमंद होता है। कई लोग तो ग्लोइंग फेस के लिए भी इस नुस्खे का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में आप भी होंठों के ऊपर के कालेपन को दूर कर सकते हैं। आपको सब 2 चम्मच कच्चा दूध लेना है और उसमें 1 चुटकी हल्दी मिक्स करते पिगमेंटेशन वाली जगह पर लगाना है। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके काला पड़ा एरिया साफ हो रहा है।

अन्य कारण

वैसे तो इसका मेन कारण मेलेनिन का बढ़ना है, लेकिन और भी कई कारण हैं, जो होंठों के ऊपर के एरिए को काला करते हैं। जैसे बार-बार होंठों को लिक करना और ज्यादा समय तक धूप में रहना हो सकता है।

इसलिए बार-बार अपने होंठों पर बार-बार थूक न लगाएं ये आपके लिप्स के कलर को भी डार्क कर सकता है। साथ ही ज्यादा अगर आपकी स्किन ज्यादा काली हो गई है तो डॉक्टर से सलाह लें और खुद से इस्तेमाल की जाने वाली दवाईयों और नुस्खों को छोड़ दें।

अगर बुढ़ापे तक रहना चाहते है हेल्दी तो करे संतुलित आहार का सेवन,आइए जानते है कैसी होनी चाहिए संतुलित आहार


दिल्ली:-आज के भागदौड़ वाली जिंदगी में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जिसका रोजाना का खान-पान बिल्कुल स्वस्थ तरीके से होता हो।स्वस्थ्य जीवन के लिए संतुलित भोजन जरूरी होता है। यह बात हर कोई जानता है. लेकिन संतुलित भोजन (Balanced Diet) किसे कहते हैं ? इस सवाल का जवाब हर किसी के पास नहीं होता है. वैसे तो हर इंसान यही चाहता है कि उसकी सेहत हमेशा अच्छी रहे. अच्छी सेहत के लिए बैलेंस डाइट की जरूरत होती है।

आहार ऐसा होना चाहिए जो शरीर को पोषण देने के साथ विकास में भी सहायक हो। नियमित भोजन में ऐसे पोषक तत्व होने चाहिए जो शरीर को रोगों से लड़ने लायक बनाए. हेल्थ एक्सपर्ट्स के टिप्स हम सभी पढ़ते हैं, सभी यह सलाह देते हैं कि डेली लाइफ में बैलेंस डाइट जरूरी है. कुछ लोगो बैलेंस डाइट चार्ट को भी बनाते हैं।

संतुलित आहार क्या है ?

जब संतुलित आहार की बात होती है तो रोजाना के भोजन में शामिल पोषक तत्वों की बात हो रही होती है। डेली डाइट में सभी प्रकार के पोषक तत्वों का शामिल होना बेहद जरूरी होता है। कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट जैसे कुछ उदाहरणों से हम समझते हैं कि शरीर के लिए सभी जरूरी हैं। जब संतुलित भोजन की बात होती हैं, तो कौन-कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में चाहिए यह जानना जरूरी होता है।

जिस डाइट में सभी पोषक तत्व जरूरी मात्रा में शामिल हों उसे बैलेंस डाइट या संतुलित आहार कहा जाता है। संतुलित आहार में फल, सब्जी, दूध, आनाज और अन्य खाद्य सामग्रियों को शामिल किया जा सकता है।

डेली डाइट में सभी प्रकार के पोषक तत्वों का शामिल होना बेहद जरूरी होता है। कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट जैसे कुछ उदाहरणों से हम समझते हैं कि शरीर के लिए सभी जरूरी हैं. जब संतुलित भोजन की बात होती है तो कौन-कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में चाहिए यह जानना जरूरी होता है।