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MP सरकार ने लाड़ली बहनों को दिया रक्षाबंधन का तोहफा, खाते में आएगा एक्स्ट्रा पैसा, जनप्रतिनिधि बंधवाएंगे राखी

 मध्य प्रदेश की लाड़ली बहनों को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया है। सीएम यादव ने बताया है कि राखी के त्यौहार को देखते हुए अगस्त के महीने में 1 तारीख को लाड़ली बहनों के खाते में 250 रुपये अतिरिक्त डाले जाएंगे। ये सरकार की तरफ से लाड़ली बहनों को तोहफा है, वैसे तो प्रत्येक बहन को 1250 के अलावा अतिरिक्त 250 रूपए ही मिलेंगे, लेकिन लाखों लाड़ली बहना होने की वजह से इसका सरकारी ख़ज़ाने पर भार भी पड़ेगा। उसको देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है। 

रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में कुल 1।29 करोड़ लाडली बहनें हैं, जिन्हें इसका लाभ मिलेगा। रक्षा बंधन से पहले बहनों को सीएम मोहन यादव ने ये सौगात दी है। सावन माह में हर लाडली बहन के खाते में आने वाली एक तारीख को 250 रुपए एक्स्ट्रा किए जाएंगे। यह राशि हर महीने जारी होने वाली 1250 रुपए की राशि से अलग होगी। लाडली बहनों को प्रति माह मिलने वाले 1250 रुपए पूर्वानुसार उनके खाते में जारी किए जाएंगे। यानी कि अगस्त के माह ने में लाड़ली बहनों के अकाउंट में कुल 1500 रुपये डाले जाएंगे। 

सीएम मोहन यादव ने जनप्रतिनिधियों से रक्षाबंधन के पर्व पर सावन महीने में अपने-अपने क्षेत्र की बहनों से राखी बंधवाने का आव्हान भी किया। बैठक में सीएम यादव ने कहा भारतीय संस्कृति में सावन माह का विशेष महत्व है। सावन माह में हर लाडली बहन के अकाउंट में आने वाली एक तारीख को ढाई सौ रुपए अंतरित किए जाएंगे।

कांग्रेस ने किया था वादा, और भाजपा ने बजट में रखा..! वित्त मंत्री के किस ऐलान पर खुश हो गई पार्टी, डिटेल में जानिए ...

 आज मंगलवार (23 जुलाई) को निर्मला सीतारमण द्वारा 2024 के लिए बजट प्रस्ताव की रूपरेखा प्रस्तुत किए जाने पर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। केंद्र सरकार के चुनाव के बाद के पहले बजट में रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया गया और साथ ही किसानों और आदिवासियों के लिए बड़े ऐलान किए गए।

इसको लेकर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने तंज कसते हुए कहा कि, "मुझे यह जानकर खुशी हुई कि वित्त मंत्री ने चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस का लोकसभा घोषणापत्र पढ़ा है। मुझे खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पेज 30 पर उल्लिखित रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन को वस्तुतः अपना लिया है। मुझे यह भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पेज 11 पर उल्लिखित प्रत्येक प्रशिक्षु को भत्ते के साथ प्रशिक्षुता योजना शुरू की है। मैं चाहता हूं कि वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र में कुछ अन्य विचारों की नकल की होती।" 

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने भी आरोप लगाया कि इंटर्नशिप योजना को भाजपा ने मनमाने लक्ष्यों के साथ 'सुर्खियाँ बटोरने' के लिए संपादित किया है - जैसे कि 1 करोड़ इंटर्नशिप का वादा। उन्होंने जवाब दिया कि कांग्रेस ने सभी डिप्लोमा धारकों और स्नातकों के लिए एक कार्यक्रमगत गारंटी का वादा किया था। मंगलवार को सीतारमण ने बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं, जहां फिलहाल भाजपा की सहयोगी पार्टियां शासन कर रही हैं। इसमें बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और विशेष वित्तीय सहायता शामिल है। हालांकि, विपक्ष ने इन घोषणाओं की आलोचना की और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने आवंटन को अपर्याप्त बताया।

राजद नेता ने कहा, "राज्य में हत्याएं और चोरियां हो रही हैं। मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिल रही है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है और किसानों की समस्याएं बरकरार हैं... बिहार को आवंटित 26,000 करोड़ रुपये एक झुनझुना है।"

वित्त मंत्र ने क्या घोषणा की ?

निर्मला सीतारमण ने बजट में घोषणा की है कि मोदी सरकार की 5वीं नई योजना के तहत 500 बड़ी कंपनियों में इंटर्नशिप को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार की इंटर्नशिप योजना से 1 करोड़ युवाओं को लाभ मिलेगा। साथ ही हर महीने 5 हजार रुपये का इंटर्नशिप भत्ता भी प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही जो युवा अपनी इंटर्नशिप पूरी कर लेते हैं उन्हें अलग से 6 हजार रुपये भी प्रदान किए जाएंगे। दरअसल, सरकार का शुरू से जोर पढ़ाई के साथ कौशल विकास पर रहा है, इसके लिए ये योजना लाइ गई है। इससे पहले मोदी सरकार स्किल इंडिया योजना के तहत युवाओं को कौशल प्रदान कर रही है।

सोना-चांदी से लेकर मोबाइल फोन तक हुआ सस्ता, जान लें बजट के बाद कितना कम हो जाएगा दाम

#whatwillbecheaperafterbudget2024 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने आज आम बजट पेश किया। इस दौरान सभी की निगाहें इस बात पर टिकी रहीं कि बजट में किन-किन चीजों के दाम सस्ते होंगे। सीतारमण ने कई अहम उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने और घटाने का एलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट 2024 पेश करने के दौरान सोना, चांदी और प्लेटिनम पर कस्टम ड्यूटी में कटौती करने का ऐलान कर दिया है। इस कटौती के बाद ये बहुमूल्य धातुएं सस्ती हो जाएंगी। सोने और चांदी पर सीमा शुल्क घटाकर 6% और प्लैटिनम पर 6.5% किया जाएगा। सरकार के इस ऐलान के बाद देश में सोने और बहुमूल्य धातु के आभूषणों में घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा मिल सकेगा।

अब इस छूट को आम भाषा में इस तरह समझ सकते हैं कि अगर आप आज 10 ग्राम 22 कैरेट सोने का जेवर खरीदते हैं तो अभी इसकी कीमत 67,510 रुपये है। फिलहाल इस पर 15 फीसदी कस्टम ड्यूटी यानी 10,126 रुपये का आयात शुल्क जुड़ा होता है। हालांकि अब वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024-25 में कस्टम ड्यूटी घटाकर 6 फीसदी करने का ऐलान किया है। ऐसे में अब यही सोना करीब 62000 रुपये का पड़ेगा। यानी बजट के इस ऐलान के बाद 10 ग्राम सोने का जेवर करीब 5 हजार रुपये तक सस्ता हो जाएगा। 

वहीं चांदी की बात करें तो आज एक किलोग्राम चांदी की कीमत 88,983 रुपये है। इस पर भी 15% कस्टम ड्यूटी के हिसाब से 12 हजार रुपये का टैक्स लगता है। वहीं अब 6% कस्मट ड्यूटी के हिसाब से जोड़े तो अब यह करीब 7000 रुपये सस्ता पड़ेगा। दूसरी तरफ 10 प्लैटिनम की कीमत 15.4 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी के साथ आज 25,520 रुपये है, जो अब करीब 2000 रुपये सस्ता हो जाएगा।

ये चीजें भी होंगी सस्ती

1. कैंसर से जुड़ी तीन दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाई गई। एक्सरे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टर पर भी आयात शुल्क हटाया गया।

2. मोबाइल फोन और पार्ट्स- पीसीबी और मोबाइल फोन चार्जर पर कस्टम ड्यूटी 15 फीसदी घटी।

3. 25 आवश्यक खनिजों पर सीमा शुल्क नहीं। 

4. सोलर सेल और सोलर पैनल के निर्माण की वस्तु पर टैक्स में छूट।

इन चीजों के लिए चुकानी होगी ज्यादा कीमत

1. पीवीसी फ्लेक्स बैनर का आयात करना महंगा होगा।

2. कुछ दूरसंचार उपकरणों का आयात महंगा होगा। आधारभूत कस्टम ड्यूटी 10% से बढ़ाकर 15% की गई। मेक इन इंडिया के तहत देश में बने सस्ते घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार का एलान।

महिलाओं के नाम से प्रॉपर्टी खरीदने पर मिलेगी बड़ी राहत, रजिस्ट्री पर स्टॉम्प ड्यूटी में मिलेगी छूट

#budget_2024_relief_will_be_given_on_buying_property_in_the_name_of_women 

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट आज पेश किया गया, जिसमें तमाम घोषणाओं के बीच महिलाओं को ध्यान में रखकर भी कुछ ऐलान हुए। सरकार ने कल पेश हुए आर्थिक सर्वे में पहले ही कहा था कि पिछले सालों में उसने बजट में महिलाओं का हिस्सा बढ़ाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में महिलाओं के नाम पर खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी यानी महिलाओं द्वारा खरीदी जाने वाले मकान आदि की रजिस्ट्री में स्टैंप ड्यूटी में छूट की घोषणा की है।इसके अलावा सरकार ने आवास के लिए कई तरह की अन्य घोषणाएं भी की हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में महिलाओं के नाम पर खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी यानी महिलाओं द्वारा खरीदी जाने वाले मकान आदि को लेकर सरकार द्वारा राज्य सरकारों से कहा गया कि वे महिलाओं द्वारा खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में स्टैंप ड्यूटी में छूट दें। इससे गरीबों को आवास खरीदने के दौरान रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प ड्यूटी पर बड़ी राहत मिल सकेगी। इसके अलावा सरकार ने आवास के लिए कई तरह की अन्य घोषणाएं भी की हैं। 

3 करोड़ घर गांव और शहरों में बनाए जाएंगे

बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ घर गांव और शहरों में बनाए जाएंगे। इसके अलावा वित्त मंत्री ने अगले पांच वर्षों में शहरी आवास के लिए 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता का प्रस्ताव रखा है। 

रेंट का बोझ कम करने का ऐलान

शहरों में काम करने वाले कमागारों को रेंट का बोझ कम करने के लिए वित्त मंत्री ने बड़े ऐलान किए है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि सरकार शहरों में रेंटल हाउसिंग डेवलप करेगी। ये हाउसिंग स्कीम बड़ी कंपनियों और कारखानों के आसपास बनाए जाएंगे। इससे फैक्ट्रियों में काम करने वाले कामगारों को सस्ते रेंट पर माकान मिल पाएगा। ये हाउसिंग पीपीपी मोड में बनाया जाएगा।

इनकम टैक्स देने वालों के लिए राहत का ऐलान, न्यू इनकम टैक्स रीजीम में बड़ा बदलाव*
#budget_2024_nirmala_sitharaman_income_tax_slab
बजट 2024 को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिडिल क्लास को वो सौगात ही है। निर्मला सीतारमण ने पर्सनल इनकम टैक्स को लेकर बहुत बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में जहां एक तरफ स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बदला है। उन्होंने अपने बजट भाषण में नई टैक्स रीजीम चुनने वाले सैलरीड क्लास वालों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा कर 75000 रुपये करने का ऐलान किया है।हालांकि सरकार से ओल्ड टैक्स रिजीम में भी छूट बढ़ाने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इसको बदलने से सरकार ने दूरी बनाए रखी है। न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए कर दिया गया है। *3 लाख तक अब कोई टैक्स नहीं* वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये की गई – नई टैक्स व्यवस्था में वेतनभोगी कर्मचारी आयकर में 17,500 रुपये बचाएंगे – नई टैक्स व्यवस्था में सबसे कम स्लैब 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया गया – नई टैक्स व्यवस्था में 3-7 लाख रुपये के स्लैब पर 5% टैक्स – नई टैक्स व्यवस्था में 7-10 लाख रुपये के स्लैब पर 10% कर – नई टैक्स व्यवस्था में 10-12 लाख रुपये के स्लैब पर 15% टैक्स – नई कर व्यवस्था में 12-15 लाख रुपये के स्लैब पर 20% टैक्स – नई कर व्यवस्था में 15 लाख रुपये से अधिक के स्लैब पर 30% टैक्स *3 लाख तक अब कोई टैक्स नहीं* सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब को भी आसान बनाया है। अब नई टैक्स स्लैब में 3 लाख रुपए तक की इनकम पर शून्य टैक्स की दर लगेगी। ये पहले की तरह है। वहीं अब 3 से 7 लाख रुपए तक की इनकम पर 5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा। पहले ये टैक्स स्लैब 3 से 6 लाख रुपए का था। इसी तरह सरकार ने 6 से 9 लाख रुपए की इनकम टैक्स स्लैब को 7 से 10 लाख रुपए कर दिया है। इस पर टैक्स की दर 10 प्रतिशत होगी। वहीं 10 से 12 लाख रुपए की इनकम पर 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख रुपए की इनकम पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपए से अधिक की इनकम पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूला जाएगा। *पेंशनधारकों को मिलेगा फायदा* नई टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने के साथ ही सरकार ने पेंशनधारकों को एक्स्ट्रा बेनेफिट भी दिया है। अब पेंशन भोगियों को पारिवारिक पैंशन पर 25,000 रुपए तक कर छूट मिलेगी. पहले ये लिमिट 15,000 रुपए थी।
बजट में रोजगार के मोर्चे पर अहम घोषणाएं, तीन योजनाओं का ऐलान, सरकार पांच साल में 20 लाख युवाओं को स्किल्ड करेगी

#budget2024thegovetwilllaunchthreeemploymentrelated_schemes 

वित्त मंत्री ने रोजगार के मोर्चे पर अहम घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि पहली बार नौकरी करने वालों के लिए (सभी औपचारिक क्षेत्रों में नए प्रवेशकों को एक महीने का वेतन दिया जाएगा। दूसरा, विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन की दिशा में EPFO दिशा-निर्देशों के अनुसार कर्मचारियों और नियोक्ताओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके साथ ही कर्मचारियों को सहायता जिसमें सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार, 50 लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगार देने के लिए प्रोत्साहन योजना शामिल है।

उच्च शिक्षा के लिए लोन

केंद्रीय बजट 2024-25 में हर साल 25,000 छात्रों की मदद के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना में संशोधन का प्रस्ताव है। 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए ई-वाउचर होगा. घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए हर साल 1 लाख छात्रों को 3% के वार्षिक ब्याज पर सीधे 10 लाख रुपये दिए जाएंगे।

शिक्षा, रोजगार और कौशल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'मुझे 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 5 वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए 5 योजनाओं और पहलों के प्रधानमंत्री पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। इस वर्ष हमने शिक्षा, रोजगार और कौशल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।'

बच्चे का स्थानांतरण प्रमाणपत्र स्कूलों के लिए लंबित फीस वसूलने का साधन नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

बच्चे का स्थानांतरण प्रमाणपत्र स्कूलों के लिए लंबित फीस वसूलने का साधन नहीं है, बल्कि यह बच्चे के नाम से जारी किया गया एक निजी दस्तावेज है, और इसमें बकाया फीस के बारे में कोई प्रविष्टि नहीं की जानी चाहिए, मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा।

उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को राज्य भर के सभी स्कूलों को परिपत्र/निर्देश/आदेश जारी करने का निर्देश दिया, ताकि वे प्रवेश के समय बच्चे से टी.सी. दिखाने पर जोर न दें, और स्कूल प्रबंधन को दस्तावेज में फीस का भुगतान न करने या देरी से भुगतान करने सहित अनावश्यक प्रविष्टियां करने से रोकें।

दिल्ली सरकार ने मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए फीस वृद्धि से पहले पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति सी कुमारप्पन की खंडपीठ ने उपरोक्त निर्देश देते हुए कहा कि उल्लंघन की स्थिति में बच्चों के निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई अधिनियम) की धारा 17 और बच्चों की सुरक्षा के लिए लागू प्रासंगिक कानूनों के तहत कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। पीठ ने राज्य सरकार को तमिलनाडु शिक्षा नियमों और मैट्रिकुलेशन स्कूलों के लिए विनियमन संहिता पर फिर से विचार करने और तदनुसार, तीन महीने की अवधि के भीतर आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप सभी आवश्यक संशोधन करने का भी निर्देश दिया।

राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए, पीठ ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें अखिल भारतीय निजी स्कूल कानूनी संरक्षण सोसायटी की याचिका को स्वीकार करते हुए पाया गया था कि छात्र द्वारा देय शुल्क के बकाया का संकेत मात्र से छात्र और अभिभावकों के खिलाफ कोई नकारात्मक अर्थ/प्रभाव नहीं पड़ता है। पीठ ने कहा कि फीस न चुकाने या देरी से भुगतान करने पर बच्चों को परेशान करना क्रूरता के समान है और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 के तहत अपराध है। स्कूलों को कानून के अनुसार अभिभावकों से बकाया फीस, यदि कोई हो, वसूलने के लिए उचित कार्रवाई शुरू करने का पूरा अधिकार है। लेकिन इस प्रक्रिया में, फीस का भुगतान न करने पर बच्चे को परेशान करना या दंडित करना अपराध है और यह जेजे अधिनियम की धारा 75 के दायरे में आता है, पीठ ने कहा।

अदालत ने कहा कि स्कूलों को फीस वसूली की प्रक्रिया में बच्चों को शामिल नहीं करना चाहिए।

बच्चों के लिए ट्यूशन फीस के भुगतान के बारे में विवरण जानना आवश्यक नहीं है। उन्हें तनाव से मुक्त, खुशहाल माहौल में बढ़ने में सक्षम बनाने के लिए ऐसी जानकारी उनसे दूर रखी जानी चाहिए। बच्चों को ऐसा माहौल दिया जाना चाहिए जो इन बोझों से मुक्त हो, जिससे वे खुशहाल माहौल में बढ़ सकें। पीठ ने कहा कि स्कूलों को बच्चों के लिए खुशहाल और सहायक माहौल प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने फीस वृद्धि विवाद के चलते निजी स्कूल से हटाए गए छात्रों के नाम बहाल किए

पीठ ने कहा कि टीसी स्कूलों के लिए अभिभावकों से बकाया फीस वसूलने या उनकी वित्तीय क्षमता का आकलन करने का साधन नहीं है। यह बच्चे के नाम पर जारी किया गया एक निजी दस्तावेज है। स्कूल टीसी पर अनावश्यक प्रविष्टियां करके अपने खुद के संकट बच्चे पर नहीं डाल सकते। ट्यूशन फीस का भुगतान करना अभिभावकों का स्कूल के प्रति कर्तव्य है। इसमें किसी भी तरह की चूक की भरपाई संबंधित स्कूल को कानून के अनुसार अभिभावकों से करनी चाहिए। 

इसके बजाय, बच्चे के नाम पर टीसी पर फीस का भुगतान न करने की प्रविष्टियां करना सरासर अपमान है। अगर अभिभावक फीस का भुगतान करने में विफल रहते हैं तो बच्चा क्या करेगा। पीठ ने कहा कि यह उनकी गलती नहीं है और बच्चे को कलंकित करना और परेशान करना आरटीई अधिनियम की धारा 17 के तहत मानसिक उत्पीड़न का एक रूप है।

इसमें पाया गया कि एक बार स्कूल द्वारा टीसी में फीस बकाया के बारे में प्रविष्टि होने के बाद, बच्चे का दूसरे संस्थान में प्रवेश एक प्रश्नचिह्न बन जाता है। कोई भी स्कूल बच्चे को दाखिला देने के लिए आगे नहीं आएगा और इससे भी अधिक, टीसी पर फीस का भुगतान न करने का स्पष्ट उल्लेख बच्चे के सामाजिक-आर्थिक कलंक को बढ़ावा देगा। पीठ ने कहा कि यह आरटीई अधिनियम के मूल पर प्रहार करता है।

2024 के बजट से शिक्षा के विभाग में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है, बढ़ती महंगाई और बढ़ती परेशानियों के बिच शिक्षा एक चुनौती बनती जा रही ह देखना होगा कि केंद्र का इसपर क्या रुख रहेगा।

बजट में आंध्र प्रदेश-बिहार की बल्ले-बल्ले, वित्त मंत्री ने दे दी बड़ी सौगातें

#bigannouncementsforbiharandandhrapradeshbudget2024 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बिहार और आंध्रप्रदेश को बड़े तोहफे दिये हैं। इस तरह उन्होंने सहयोगी पार्टियों को साधने का भी काम किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार में दो नये एक्सप्रेस-वे बनेंगे। गंगा नदी पर दो नए पुल बनेंगे। वित्त मंत्री ने बिहार में सड़क के लिये 26 हजार करोड़ रुपये का आवंटन रखा है। वहीं, चंद्रबाबू नायडू की बड़ी डिमांड मानी गई है। आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज की सौगात मिली है। 

आंध्र प्रदेश को बजट में क्या

वित्त मंत्री ने कहा कि 10 साल में पहली बार आंध्रप्रदेश को बजट में प्रमुखता से जगह मिली है। यह उन कुछ पूर्वी राज्यों में से एक है, जिस पर सरकार का विशेष फोकस है। एपी पुनर्गठन अधिनियम में वित्त मंत्री ने राज्य की पूंजी की आवश्यकता को स्वीकार किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि बहुपक्षीय व्यवस्था के जरिए 50,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आंध्र प्रदेश के लिए बजट में एलान करते हुए कहा कि 'सरकार का आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए समन्वित प्रयास किया। बहुपक्षीय विकास एजेंसियों के माध्यम से आंध्र प्रदेश को वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान करेंगे। चालू वित्त वर्ष में 15 हजार करोड़ और आगामी वर्षों में अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था की जाएगी। पोलावरम सिंचाई परियोजना को जल्दी पूरा कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध। इससे हमारे देश को खाद्य सुरक्षा में भी सहायता मिलेगी। विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे पर जोर। आर्थिक विकास के लिए पूंजीगत निवेश के लिए एक वर्ष तक अतिरिक्त आवंटन। अधिनियम में रायलसीमा, प्रकाशम और उत्तर तटी आंध्र प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए अनुदान।'

बिहार के लिए किए गए कई बड़े एलान

वित्त मंत्री ने बजट में बिहार की सड़क-संपर्क परियोजनाओं के लिए 26 हजार करोड़ रुपये देने का एलान। इससे पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे का विकास होगा। बोधगया, राजगीर, वैशाली और दरभंगा सड़क संपर्क परियोजनाओं का भी विकास होगा। बक्सर में गंगा नदी पर दो लेना वाला एक अतिरिक्त पुल बनाने में भी मदद होगी। बिहार में 21 हजार 400 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। इसमें पिरपैंती में 2400 मेगावॉट के एक नए संयंत्र की स्थापना भी शामिल है। बिहार में नए एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेजों और खेलकूद की अवसंरचना का भी निर्माण होगा। पूंजीगत निवेशों में सहायता के लिए अतिरिक्त आवंटन उपलब्ध कराया जाएगा। बिहार सरकार के बहुपक्षीय विकास बैंकों से बाह्य सहायता के अनुरोध पर तेजी से कार्यवाही होगी।

लोकसभा में बजट पेश कर रही हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, बताया किन 9 क्षेत्रों पर किया गया फोकस

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में आज देश का आम बजट पेश कर रही हैं। संसद में बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति ने उन्हें दही खिलाई। इसके बाद वित्त मंत्री ने उन्हें बजट की कॉपी सौंपी। राष्ट्रपति से औपचारिक मंजूरी के बाद वित्त मंत्री संसद पहुंची। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने बजट को मंजूरी दे दी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट होगा।

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि बेहतर रही है। उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति कम रही है। यह वर्तमान में 3.1 फीसदी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार महंगाई को 4 फीसदी तक लाने की कोशिश करेगी। 

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जैसा कि अंतरिम बजट में बताया गया हमें 4 अलग-अलग जातियों, गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। किसानों के लिए, हमने वादे को पूरा करते हुए सभी प्रमुख फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा की है। लागत पर कम से कम 50% मार्जिन के लिए पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ।

बजट में युवाओं के लिए दो लाख करोड़ रुपये

वित्त मंत्री ने कहा कि पूरे वर्ष और उससे आगे की ओर ध्यान देते हुए, इस बजट में हमने विशेष रूप से रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया है। मुझे 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 5 साल की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री की 5 योजनाओं और पहलों के पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।

बजट में 9 क्षेत्रों पर फोकस

वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा बजट को प्राथमिकताओं के लिए याद रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में 9 क्षेत्रों पर फोकस किया गया है।

• कृषि में उत्पादकता और लचीलापन

• रोजगार और कौशल

• समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय

• विनिर्माण और सेवाएं

• शहरी विकास

• ऊर्जा सुरक्षा

• बुनियादी ढाँचा

• नवाचार, अनुसंधान और विकास

• अगली पीढ़ी के सुधार

जमानत आदेशों पर रोक लगाने पर सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला, कहा बिना कारण नहीं रोका जाना चाहिए जमानत आदेश

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यापक फैसला सुनाया कि जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक नहीं लगाई जा सकती या उन्हें “यांत्रिक रूप से” नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक लगाने के खिलाफ स्पष्ट दिशा-निर्देश और निवारक उपाय स्थापित किए गए हैं।

जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने फैसले का मुख्य हिस्सा पढ़ते हुए कहा, “हालांकि अदालतों के पास जमानत पर रोक लगाने का अधिकार हो सकता है, लेकिन ऐसा केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।”

अदालत का यह फैसला एक ऐसे मामले में आया, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक आरोपी के जमानत आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बिना कोई कारण बताए रोक लगा दी थी। जमानत आदेश पर एक साल तक रोक लगी रही, जिसके बाद 7 जून को सुप्रीम कोर्ट की अवकाश बेंच ने निर्देश दिया कि आरोपी को तुरंत रिहा किया जाए।

बेंच ने मंगलवार को जमानत पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया। 12 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक लगाने की प्रथा गलत है। साथ ही शीर्ष अदालत इस प्रथा को समाप्त करेगी क्योंकि इससे मानव स्वतंत्रता पर “विनाशकारी” प्रभाव पड़ता है। शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तर्क दिया कि यह कई अदालतों में एक स्थापित प्रथा है क्योंकि जमानत रद्द करने की शक्ति में ऐसे आदेशों पर रोक लगाने की शक्ति भी शामिल है। इस पर शीर्ष अदालत ने ऐसी प्रथाओं को समाप्त करने के अपने अधिकार पर जोर दिया। “आप कैसे कह सकते हैं कि कानून में कुछ है या कोई प्रथा है। अगर यह प्रथा है, तो यह गलत प्रथा है। सिर्फ इसलिए कि कुछ आदेश पारित किए गए हैं, यह न्यायोचित नहीं हो जाता। व्यक्तियों की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में यह प्रथा नहीं हो सकती। जमानत देने वाले आदेशों में कारण शामिल होते हैं। इसे लापरवाही से कैसे रोका जा सकता है?” अदालत ने मामले में ईडी की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन से पूछा।

अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह इस बारे में विशिष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित करेगी कि जमानत आदेश पर कब रोक लगाई जा सकती है। मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा, "हम जो कहने जा रहे हैं, वह यह है कि जमानत देने के आदेश पर तभी रोक लगाई जा सकती है, जब कोई विकृत हो और विशेष शर्तों की आवश्यकता हो या कोई व्यक्ति आतंकवादी हो।" मौजूदा मामले में, परविंदर सिंह खुराना को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में 17 जून, 2023 को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी थी। ईडी द्वारा अपील दायर करने के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 23 जून को जमानत आदेश पर रोक लगा दी, लेकिन कोई कारण नहीं बताया। इसके बाद खुराना ने रोक के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, जिसके बाद अवकाश पीठ ने 7 जून को उनकी रिहाई का निर्देश दिया।

11 जुलाई को, अदालत ने उच्च न्यायालयों द्वारा निचली अदालतों द्वारा दिए गए जमानत आदेशों पर लापरवाही से रोक लगाने की प्रथा की निंदा की थी, खासकर तब जब आरोपी आतंकवादी न हो। यह क्या हो रहा है? एक व्यक्ति को जमानत दी जाती है, आप (प्रवर्तन निदेशालय) उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं और केवल आपके पूछने पर, जमानत देने का आदेश एक साल के लिए स्थगित रहता है। यह चौंकाने वाला है," पीठ ने कहा। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के स्थगन केवल जांच एजेंसियों के कहने पर नहीं दिए जाने चाहिए, खासकर तब जब ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत देने के लिए विस्तृत कारण बताए गए हों।

इसने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि हाई कोर्ट के “एक-लाइन आदेश” द्वारा विस्तृत जमानत आदेश को लापरवाही से रोक दिया गया। शीर्ष अदालत का यह रुख दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े एक हालिया विवाद की पृष्ठभूमि में आया है, जो 2011-22 की आबकारी नीति के निर्माण में कथित अवैधताओं के संबंध में न्यायिक हिरासत में हैं।

21 जून को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा केजरीवाल को दी गई जमानत पर रोक लगा दी।ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल के खिलाफ प्रत्यक्ष साक्ष्य की कमी का हवाला दिया और ईडी के दृष्टिकोण में संभावित पक्षपात का सुझाव दिया। ईडी की अपील के बाद, ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत के आदेश के 24 घंटे से भी कम समय में स्थगन आ गया, लेकिन एक अवकाश पीठ द्वारा हाई कोर्ट के प्रारंभिक स्थगन आदेश में कोई कारण नहीं बताया गया, जिससे महत्वपूर्ण कानूनी और नैतिक प्रश्न उठे।

केजरीवाल की जमानत आदेश के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका फिलहाल उच्च न्यायालय में लंबित है।