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INDIA गठबंधन की बैठक खत्म, खरगे ने कहा- मोदीजी के लिये ये सिर्फ राजनैतिक शिकस्त नहीं, बल्कि नैतिक हार*
#india_alliance_meeting एक तरफ नई सरकार के गठन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक हुई, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर INDIA गठबंधन के नेताओं की बैठक भी शुरू हो गई है। इस बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी (राकांपा-एसपी), शिवसेना-यूबीटी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी , झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य घटक दलों के नेता खरगे के आवास पर जुटे। बैठक में INDI गठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक करीब 1 घंटे तक चली। बैठक में कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा क‍ि मैं सभी साथियों का स्वागत करता हूं। हम एक साथ लड़े, तालमेल से लड़े और पूरी ताकत से लड़े। आप सबको बधाई। 18वीं लोक सभा चुनाव का जनमत सीधे तौर से प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी के खि‍लाफ है। चुनाव उनके नाम और चेहरे पर लड़ा गया था और जनता ने भाजपा को बहुमत ना देकर उनके नेतृत्व के प्रति साफ़ संदेश दिया है। उन्‍होंने आगे कहा क‍ि व्यक्तिगत रूप से मोदीजी के लिये यह ना सिर्फ राजनैतिक शिकस्त है, बल्कि नैतिक हार भी है। परन्तु हम सब उनकी आदतों से वाक़िफ़ हैं। वो इस जनमत को नकारने की हर संभव कोशिश करेंगे। खरगे ने कहा क‍ि हम यहां से यह भी संदेश देते हैं कि इंड‍िया गठबंधन उन सभी राजनीतिक दलों का स्वागत करता है जो भारत के संविधान के प्रस्तावना में अटूट विश्वास रखते है और इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के उद्देश्यों से प्रतिबद्ध है। चुनाव नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नैतिक हार और राजनीतिक शिकस्त है। बैठक में खरगे के अलावा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत और कई अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए।
INDIA गठबंधन की बैठक खत्म, खरगे ने कहा- मोदीजी के लिये ये सिर्फ राजनैतिक शिकस्त नहीं, बल्कि नैतिक हार*
#india_alliance_meeting
एक तरफ नई सरकार के गठन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक हुई, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर INDIA गठबंधन के नेताओं की बैठक भी शुरू हो गई है। इस बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी (राकांपा-एसपी), शिवसेना-यूबीटी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी , झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य घटक दलों के नेता खरगे के आवास पर जुटे। बैठक में INDI गठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक करीब 1 घंटे तक चली। बैठक में कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा क‍ि मैं सभी साथियों का स्वागत करता हूं। हम एक साथ लड़े, तालमेल से लड़े और पूरी ताकत से लड़े। आप सबको बधाई। 18वीं लोक सभा चुनाव का जनमत सीधे तौर से प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी के खि‍लाफ है। चुनाव उनके नाम और चेहरे पर लड़ा गया था और जनता ने भाजपा को बहुमत ना देकर उनके नेतृत्व के प्रति साफ़ संदेश दिया है। उन्‍होंने आगे कहा क‍ि व्यक्तिगत रूप से मोदीजी के लिये यह ना सिर्फ राजनैतिक शिकस्त है, बल्कि नैतिक हार भी है। परन्तु हम सब उनकी आदतों से वाक़िफ़ हैं। वो इस जनमत को नकारने की हर संभव कोशिश करेंगे। खरगे ने कहा क‍ि हम यहां से यह भी संदेश देते हैं कि इंड‍िया गठबंधन उन सभी राजनीतिक दलों का स्वागत करता है जो भारत के संविधान के प्रस्तावना में अटूट विश्वास रखते है और इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के उद्देश्यों से प्रतिबद्ध है। चुनाव नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नैतिक हार और राजनीतिक शिकस्त है। बैठक में खरगे के अलावा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत और कई अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए।
नरेन्द्र मोदी चुने गए NDA गठबंधन के नेता, 7 जून को राष्ट्रपति से मुलाकात कर पेश करेंगे सरकार बनाने का दावा*
#narendra_modi_nda_leader
लोकसभा चुनाव परिणामों की तस्वीर साफ होने के बाद अब राजधानी दिल्ली में बैठकों का दौर चल रहा है। चुनाव परिणाम की तस्वीर साफ हुई तो बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने लायक नहीं रही। हालांकि, एनडीए के कुनबे ने साथ दे दिया और वादा निभाया कि साथ में सरकार बनाएंगे। एनडीए के सभी साथी दलों ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है। बुधवार को पीएम आवास पर हुई बैठक में इसका प्रस्ताव पास किया गया। इसमें 20 नेताओं के हस्ताक्षर हैं। खास बात ये है कि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने भी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। एनडीए की बैठक में सभी दलों ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है। पीएम आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर हुई बैठक में एनडीए नेताओं ने प्रस्ताव पारित कर बयान साझा किया। इसमें कहा गया कि भारत के 140 करोड़ देशवासियों ने पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों से देश को हर क्षेत्र में विकसित होते देखा है। बहुत लंबे अंतराल, लगभग 6 दशक के बाद भारत की जनता ने लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत से सशक्त नेतृत्व को चुना है। प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि हम सभी को गर्व है कि 2024 का लोकसभा चुनाव एनडीए ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकजुटता से लड़ा और जीता। हम सभी एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से अपना नेता चुनते हैं। मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार भारत के गरीब-महिला-युवा-किसान और शोषित, वंचित व पीड़ित नागरिकों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत की विरासत को संरक्षित कर देश के सर्वांगीण विकास हेतु एनडीए सरकार भारत के जन-जन के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए कार्य करती रहेगी। एनडीए का नेता पीएम मोदी को माने जाने के प्रस्ताव पर जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, चंद्रबाबू नायडू, जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे, जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, पवन कल्याण, सुनील टटकरे, अनुप्रिया पटेल, जयंत चौधरी, प्रफुल्ल पटेल, प्रमोद बोरो, अतुल बोरा, इंदिरा हंग सुबका, सुदेश महतो, राजीव रंजन सिंह, संजय झा ने हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति ने एनडीए के सांसदों को मिलने का समय दे दिया है, माना जा रहा है कि राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद ही पीएम मोदी तीसरी बार सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। 7 जून को राष्ट्रपति शाम 5 से 7 बजे तक सांसदों से मुलाकात करेंगी, इस दौरान एनडीए के सभी सहयोगी दलों के सांसद मौजूद रहेंगे।
बॉलीवुड की क्वीन से कैसे मात खा गया सियासत के “राजा”?
#kangana_ranaut_won_from_vikramaditya_singh

बॉलीवुड क्वीन और बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत ने मंडी लोकसभा सीट से जीत हासिल कर ली है।इसी के साथ कंगना का राजनीतिक सफर का भी आगाज हो गया है।मंडी लोकसभा सीट के लिए कंगना रनौत की सीधी टक्कर कांग्रेस टिकट से चुनाव लड़ रहे विक्रमादित्य सिंह से थी। लेकिन मंडी की जनता ने कंगना रनौत पर भरोसा दिखाया।लोकसभा 2024 नतीजों की बात करें तो कंगना रनौत को 5 लाख 37 हजार 022 वोट मिले तो वहीं विक्रमादित्य सिंह को 4 लाख 62 हजार 267 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा। अब सावल उठ रहे हैं कि बॉलीबुड की “क्वीन” सियासत के “राजा” को शिकस्त देने में कैसे कामयाब हो गई?

राजनीति की दुनिया के लिए नई कंगना के लिए पहली ही बार में लोकसभा चुनाव जीतना इतना आसान नहीं था।  उन्हें जयराम जैसे अनुभवी का साथ मिला तो जीत पक्की हो गई। हिमाचल में छह सीटों पर उपचुनाव भी हुए, लेकिन जयराम ठाकुर कुछ एक हलकों में जाने के अलावा, मंडी लोकसभा क्षेत्र में पूरी तरह डटे रहे। उनके विधानसभा क्षेत्र सराज से कंगना रनौत को 14698 वोटों की लीड मिली। वह हर कदम पर कंगना रनौत के साथ रहे। कंगना की जहां भी रैली और जनसभा होती थी, जयराम ठाकुर उनके साथ साए ही तरह चले। जयराम ठाकुर ने मंडी सीट पर जो मेहनत की, उसका परिणाम सभी के सामने है।

*कंगना को कहां कहां लीड मिली?*
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के इलाके सराज से कंगना को 14698 वोटों की बढ़त मिली। कंगना को सबसे अधिक लीड जोगिंद्र नगर से मिली। यहां से भाजपा विधायक प्रकाश राणा ने उन्हें 19, 402 मतों की लीड दिलवाई। इसके बाद, दूसरे नंबर पर मंडी सदर रहा। यहां से अनिल शर्मा कंगना को 15515 वोटों की लीड दिलाने में कामयाब रहे। पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के इलाके सराज से कंगना को 14, 698 वोटों की बढ़त मिली. कंगना रनौत को अपने गृहक्षेत्र सरकाघाट से 13647 वोटों की बढ़त हासिल हुई। अहम बात  यह है कि सरकाघाट से भाजपा विधायक दिलीप ठाकुर प्रचार के दौरान साए की तरह साथ रहे। यहां से लीड दिलाने में उनकी भूमिका ज्यादा है। कंगना को केवल रामपुर, किन्नौर  और लाहौल स्पीति से लीड नहीं मिली। इन तीनों इलाकों पर कांग्रेस का कब्जा था।रामपुर से विक्रमादित्य सिंह को 21437 वोटों की लीड मिली।

*कहां चूके विक्रमादित्य?*
सुक्खू सरकार में विक्रमादित्य लोकनिर्माण मंत्री हैं। ऐसे में सासंदी की अपेक्षा एक हार का कारण हो सकता है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत द्वारा कंगना पर आपत्तिजनक टिप्पणी विवाद ने भी  कहीं न कहीं कंगना को ही सपोर्ट किया। क्योंकि इसके बाद कंगना व बीजेपी ने कांग्रेस को महिला सम्मान को लेकर जमकर घेरा था।
कौन है गेनीबेन ठकोर? जिसने गुजरात में बीजेपी को क्लीन स्वीप की हैट्रिक से रोका, 10 साल बाद कांग्रेस की पहली जीत
#banaskantha_gujarat_lok_sabha_election_results_2024_congress_opens_account

लोकसभा चुनाव 2024 कई मायनों में खास रहा है। 10 साल के बाद बीजेपी बहुमत का आंकड़े से चूक गई। 1962 के बाद पहली बार कोई सरकार अपने दो कार्यकाल पूरे करने के बाद तीसरी बार आई है।राज्यों में जहां भी विधानसभा चुनाव हुए वहां एनडीए को भव्य विजय मिली है। चाहे अरुणाचल प्रदेश हो, ओडिशा हो, आंध्र प्रदेश हो या फिर सिक्किम, इन राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। यही नहीं,बीजेपी ने नवीन पटनायक के 25 साल पुराने किले को ध्वस्त कर दिया है। इसके साथ ही गुजरात में भी एक कारनामा हुआ है। कांग्रेस ने गुजरात में बीजेपी को तीसरी बार क्लीन स्वीप करने से रोक दिया है।

कांग्रेस उम्मीदवार गेनीबेन ठाकोर ने बनासकांठा सीट पर अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार डॉ. रेखाबेन चौधरी के खिलाफ 31,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की है।एक दशक बाद कांग्रेस इस सीट पर अपना खाता खोला है।बनासकांठा राज्य की इकलौती सीट थी, जहां पर प्रियंका गांधी ने सभा की थी। इसमें उन्हाेंने गेनीबेन ठाकोर को जिताने की अपील की थी।

2022 गुजरात विधानसभा चुनावों में गेनीबेन ठाकोर ने बनासकांठा जिले की वाव सीट जीत हासिल की थी। तब वे दूसरी बार विधायक बनीं। ऐसे वक्त पर जब राज्य में लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा रहे थे, तब गेनीबेन ठाकोर ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था, हालांकि गेनीबेन के लिए बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव लड़ना आसान नहीं था। पार्टी से टिकट मिलने के बाद गेनीबेन लोगों से नोट के साथ वोट देने की अपील करते चुनाव प्रचार को आगे बढ़ाया था। गेनीबेन को चुनावों 6,71883 वोट मिले तो वहीं एक अनुमान के तौर चुनाव खर्च के करीब 25 लाख रुपये भी मिले।

ये जीत हासिल करके गेनीबेन ठकोर ने जहां बीजेपी को तीसरी बार क्लीन स्वीप करने से रोक दिया है, तो वहीं दूसरी उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज करके बीजेपी के दिग्गज नेता और वर्तमान में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी को दूसरी शिकस्त दी है। शंकर चौधरी विधानसभा अध्यक्ष होने के साथ बनास डेयरी के चेयरमैन हैं। ऐसे में इस सीट पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी।

बता दें कि बनासकांठा बीजेपी का गढ़ रहा है। 2019 में बीजेपी के परबतभाई पटेल ने कांग्रेस के पार्थी भटोल को 368000 वोटों से हराकर यह सीट जीती थी। 2014 के चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ किया था। अब 2024 में जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ और ठाकोर समुदाय के समर्थन से गेनीबेन को यह जीत हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस कोई भी सीट जीतने में विफल रही। 2009 में कांग्रेस ने गुजरात में 26 में से 11 और भाजपा ने 14 सीटें जीती थीं।
बिना अनुभव के गठबंधन सरकार चलना नरेन्द्र मोदी के लिए होगा कितना मुश्किल, नीतीश और नायडू बन सकते हैं बड़ी चुनौती
#nitish_kumar_and_chandrababu_naidu_relation_with_narendra_modi



दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नतीजे मंगलवार को सामने आ गए। हालांकि ये नतीजे चौंकाने वाले रहे। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 और 2019 दोनों में आसानी से बहुमत हासिल कर लिया था। लेकिन, एक दशक में पहली बार है, जब बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। हालांकि, एनडीए 292 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हो गई। वहीं, आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू और बिहार में नीतीश कुमार ने अपने-अपने राज्यों में शानदार जीत हासिल की। इसके बाद दोनों किंगमेकर बनकर उभरे हैं। अब बीजेपी 10 साल बाद अपने सहयोगियों, खासकर टीडीपी और जेडी(यू) पर निर्भर होगी। केन्द्र में भाजपा नीत एनडीए की सरकार के लिए दो सहयोगी दलों की सबसे बड़ी भूमिका होगी। इनमें एक हैं भाजपा के पुराने साथी हैं बिहार के सीएम नीतीश कुनार के नेतृत्व वाली जेडीयू और दूसरी है आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने जा रही टीडीपी।इनकी सहमति और सहयोग के बिना भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की सरकार की कल्पना ही संभव नहीं है। फिलहाल दोनों ओर से किसी तरह के तिकड़म की सुगबुहाट तो नहीं दिखती, लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रति अतीत में दोनों की जैसी मंशा रही है, उसके बीज अब भी उनमें कहीं दबे-छिपे हैं तो किसी भी वक्त वह प्रस्फुटित हो सकते हैं। भाजपा के नेतृत्व में सरकार बन जाएगी, इसमें शक नहीं है। पर, सरकार कितने दबाव में चलेगी, यह सभी को पता है। नरेंद्र मोदी के दिल्ली आने के बाद नीतीश कुमार और नायडू के संबंध बीजेपी से बहुत कड़वाहट भरे भी रहे हैं। नायडू और नीतीश 2014 में नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर बीजेपी के विरोधी खेमे में रह चुके हैं और इस लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में वापसी की है। *नरेन्द्र मोदी और चंद्रबाबू नायडू में कैसे रहे संबंध?* साल 2002 में गुजरात में हुए दंगे के बाद चंद्रबाबू नायडू एनडीए के पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने बतौर मुख्यामंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफ़े की मांग की थी। अप्रैल 2002 में टीडीपी ने मोदी के ख़िलाफ़ हिंसा को रोकने और सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को राहत देने में में बुरी तरह फेल होने को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया था। यही नहीं, साल 2018 में चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर एनडीए का साथ छोड़ दिया था और केंद्र में अपने दो मंत्रियों को भी हटा दिया। नायडू उस समय मोदी सरकार के ख़िलाफ़ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। ये अविश्वास प्रस्ताव तो पास नहीं हो पाया लेकिन अपने 16 सांसदों के साथ एनडीए से निकल गए थे। साल 2019 में गठबंधन से निकलने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने एक ट्वीट कर कहा था, "मोदी ने योजनाबद्ध तरीक़े से भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों को नष्ट कर दिया है। बीजेपी सरकार के शासन में संस्थागत स्वायत्तता और लोकतंत्र पर हमला हुआ है। अब, जब से आंध्र में टीडीपी की 16 सीटें आई हैं और अब जब नायडू किंगमेकर की भूमिका में दिख रह हैं तो सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी का साल 2019 में आंध्र प्रदेश में दिया गया भाषण ख़ूब शेयर किया जा रहा है। इस भाषण में नरेंद्र मोदी ने चंद्रबाबू नायडू को “अपने ससुर के पीठ में छूरा भोंकने वाला बताया था।” उन्होंने राज्य में एक चुनावी रैली में कहा था, “वो (चंद्रबाबू नायडू) ख़ुद को मुझसे सीनियर मानते हैं, अच्छी बात है आप सीनियर हैं. लेकिन आप सीनियर हैं, पार्टी बदलने में, अपने ससुर की पीठ में छूरा भोंकने में और आप सीनियर हैं एक के बाद एक चुनाव हारने में...उसमें तो मैं सीनियर नहीं हूँ। *नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के रिश्ते जगजाहिर* नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार के बीच के रिश्ते जगजाहिर है। दोनों के एक साथ एक मंठ पर दिख जाना सिवाय राजनैतिक मजबूरी के और कुछ नहीं है।भाजपा ने 2013 में जब नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने भाजपा से रिश्ते तोड़ लिए थे। हालांकि 2017 में वे भाजपा के साथ आ गए, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रति उनके मन की नफरत नहीं गई। यही वजह रही कि 2022 में नीतीश ने आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन से हाथ मिला लिया और नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए चंद्रबाबू नायडू की तरह विपक्षी एकता का अभियान शुरू कर दिया। भाजपा के खिलाफ आज जो इंडी अलायंस वजूद में हैं, उसकी बुनियाद रखने का श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है। हालांकि अपनी मजबूरियों के कारण नीतीश फिर पलट गए और भाजपा से हाथ मिला कर बिहार में सीएम की अपनी कुर्सी सुरक्षित कर ली। नरेन्द्र मोदी के साथ कड़वाहट भरे रिश्ते रिश्ते रख चुके दो दिग्गज आज तीसरी बार बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनाने को राजी तो हो रहे हैं। ऐसे में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को अपने साथ लेकर चलना नरेन्द्र मोदी के सामने सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी और चुनौती होगी।खासकर तब जब नरेंद्र मोदी के पास गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। गुजरात में जब वह मुख्यमंत्री थे, तब भी प्रचंड बहुमत वाली सरकार थी। हक़ीक़त यह है कि बीजेपी की कमान मोदी के पास आने के बाद से एनडीए का कुनबा छोटा होता गया। अकाली दल और शिव सेना बीजेपी के दशकों पुराने सहयोगी रहे थे लेकिन दोनों कब का अलग हो चुके हैं। इस बार जब नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे तो उन्हें सरकार चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलना होगा। जो किसी चुनौती से कम नहीं है।
भारत में चुनावी परिणाम पर दुनियाभर के मीडिया की रही नजर, जानें चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने क्या कहा
#global_times_on_modi_victory


2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालांकि, भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई। जबकि, की अगुआई वाली एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रही।दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नतीजों को न सिर्फ देश के लोग बल्कि पूरी दुनिया टकटकी लगाकर देख रही थी। भारत में आए नतीजों के बाद अब विदेशी मीडिया में खूब चर्चा हो रही है।भाजपा और इंडिया ब्लॉक के प्रदर्शन को विदेशी अखबारों ने अच्छी खासी जगह दी है।

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए गठबंधन की जीत पर चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने प्रतिक्रिया दी है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर तीसरी बार जीत का दावा किया। चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि मोदी की चीनी विनिर्माण के साथ प्रतिस्पर्धा करने और भारत के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करना मुश्किल होगा।

ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा, चूंकि मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने गठबंधन के बावजूद पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रही, इसलिए प्रधानमंत्री के लिए आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा, लेकिन राष्ट्रवाद का कार्ड खेलना संभव है, विशेषज्ञों ने कहा, उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन-भारत संबंधों में भी बहुत सुधार होने की संभावना नहीं है। मीडिया ने बताया कि मंगलवार रात को मतगणना पूरी होने के करीब थी, जिसमें मोदी के गठबंधन को आश्चर्यजनक रूप से मामूली अंतर से जीत मिली।

चीनी अखबार में विश्लेषकों ने कहा कि बाजार की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि व्यापार और वित्तीय हलकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय पूंजीपति भी भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हैं।

फुडन विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के उप निदेशक लिन मिनवांग ने मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि मोदी प्रशासन अपनी आंतरिक और बाहरी नीतियों को जारी रखेगा और निश्चित रूप से मोदी आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना और विकास को साकार करना चाहते हैं, लेकिन यह उनके लिए एक कठिन मिशन होगा। उन्होंने कहा, "चूंकि उनकी पार्टी बहुमत हासिल करने में विफल रही है, इसलिए उनके लिए जटिल आर्थिक सुधार के लिए एजेंडा निर्धारित करना मुश्किल होगा और इस तरह की स्थिति में, भाजपा देश में हिंदू राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने के उपायों को और मजबूत कर सकती है।

अमेरिकी मीडिया वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि भारत के चुनाव के नतीजों के मुताबिक, वोटर्स ने उम्मीद के परे पीएम मोदी की लीडरशिप को नकार दिया है। उनकी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिल पाया। चुनाव से पहले मोदी प्रशासन ने विपक्ष के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया, उनके नेताओं को भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में डाला। वहीं मोदी के सहयोगियों के कंट्रोल वाले मीडिया ने भी पूरे कैंपेन के दौरान भाजपा की जमकर प्रशंसा की। ये सब बातें इस बात की चेतावनी हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सही मायने में प्रतिस्पर्धा वाले चुनाव गायब हो रहे हैं

वहीं, पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ की बेवसाइट पर भारत के चुनाव को बड़ी कवरेज दी गई है। उसके एक लेख में कहा गया कि भारत में वोटों की गिनती में पीएम मोदी का गठबंधन आश्चर्यजनक रूप से मामूली अंतर से जीता है। भाजपा की अयोध्या में ही हार हो गई, जहां राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। वहीं राहुल गांधी के बयान को प्रमुखता दी गई है कि मतदाताओं ने भाजपा को दंड दिया है। डॉन ने यह भी कहा कि मोदी के हिंदू राष्ट्रवादियों की तीसरी बार जीत से भारत के मुसलमानों में डर फिर बढ़ेगा। वहीं एक लेख में विस्तार से बताया गया कि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का दुनिया के लिए क्या मतलब है।
17वीं लोकसभा भंग-PM Modi ने सौंपा इस्तीफा, नरेंद्र मोदी इस दिन ले सकते हैं तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ




लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम नतीजे आ चुके हैं. एग्जिट पोल में लगाए गए अनुमानों के उलट इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 240 सीटों पर विजयी होने के बाद बहुमत से पीछे रह गई. हालांकि, NDA 292 सीटों के साथ सरकार बनाने के अपने मजबूत दावे के साथ खड़ी है. वहीं, सभी प्रमुख विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ने भी 234 सीटों पर अपनी जीत हासिल की है. चुनावी नतीजों के आने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को 17वीं लोकसभा की आखिरी बैठक हुई जिसमें इसे भंग करने की मंजूरी दे दी गई. इसके साथ ही पीएम मोदी ने राष्ट्रपति को अपनी इस्तीफा सौंप दिया है. अपना  7 जून को NDA के संसदीय दल की बैठक होने वाली है.


मोदी 8 जून को ले सकते हैं पीएम पद की शपथ

इस बीच नई सरकार के गठन को लेकर एक बड़ी खबर भी सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि एनडीए गठबंधन के नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी 8 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इससे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पीएम आवास पर हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वर्तमान लोकसभा (17वीं लोकसभा) को भंग करने की सिफारिश को मंजूरी दे दी गई.

एनडीए गठबंधन की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 8 जून को हो सकता है. राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को ही बयान जारी कर यह बताया था कि नए केंद्रीय मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण की तैयारी के लिए राष्ट्रपति भवन 5 से 9 जून तक आम लोगों के लिए बंद रहेगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएम मोदी सहित केंद्र सरकार के सभी वर्तमान मंत्रियों को आज रात को डिनर पर भी आमंत्रित किया है.

16 जून को समाप्त हो रहा कार्यकाल

मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को समाप्त हो रहा है. BJP ने 543 सदस्यीय लोकसभा में अपने दम पर 240 सीटें जीती हैं जबकि उसके नेतृत्व वाले राजग को स्पष्ट बहुमत मिला है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 99 सीटें हासिल कीं.

बैठकों का दौर जारी

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राजधानी दिल्ली में राजनीतिक हलचल लगातार जारी है. बुधवार को दिल्ली में एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के दल अलग-अलग बैठक कर रहे हैं. दोनों ही गठबंधन अपने-अपने सहयोगी दलों के साथ भविष्य की रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे.
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का साथ मिला तो क्या बन सकती है INDIA गठबंधन की सरकार? यहां डिटेल में समझिए पूरा गणित


लोकसभा चुनाव के नतीजे में एनडीए ने बहुमत हासिल कर लिया और इंडिया गठबंधन पीछे रह गया। हालांकि भारतीय जनता पार्टी की कम सीटे आने के कारण नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की डिमांड बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया। नीतीश कुमार की पार्टी ने बिहार में 12 सीटें जीती और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने आंध्र प्रदेश में 16 सीटों पर जीत दर्ज करके एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। इस बार के लोकसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी ने बहुमत हासिल नहीं किया है। हालांकि एनडीए ने 292 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया है। लेकिन अभी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की बहुत ज्यादा मांग हो रही है। अगर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने इंडिया गठबंधन के साथ हाथ मिला लिया तो क्या वह सरकार बन पाएंगे? जानकारी के लिए आपको बता दे की इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिली है और बहुमत का आंकड़ा 272 है। ऐसे में अब इंडिया गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 38 सीटों की जरूरत है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के पास 28 सीटें हैं। यदि हम इंडिया गठबंधन की 234 सीटों को और इन दोनों नेताओं की 28 सीटों को जोड़ते हैं तो आंकड़ा 262 तक पहुंचेगा। लेकिन अभी भी सत्ता में आने के लिए 10 सीटों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में जो अन्य 17 सांसद है वह बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में इंडिया गठबंधन को इन 17 सांसदों पर भी नजर रखनी पड़ेगी। इंडिया 4 ऐसे निर्दलीय सांसदों की ओर भी देख सकता है जिनका बैकग्राउंड कांग्रेस या उसकी सहयोगी पार्टियों से रहा। अन्य में जो 17 सांसद हैं उसमें यूपी की नगीना सीट से जीत दर्ज करने वाले चंद्रशेखर आजाद, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और बिहार के पूर्णिया से जीतने वाले पप्पू यादव भी हैं। ये वो सांसद हैं जो जरूरत पड़ने पर इंडिया गठबंधन के साथ जा सकते हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अमृतपाल और सरबजीत सिंह बीजेपी के साथ तो नहीं जाएंगे, जब समर्थन की बात आएगी तो इंडिया गठबंधन को बाहर से सपोर्ट कर सकते हैं। उधर, दमन और दीव से जीतने वाले निर्दलीय पटेल उमेशभाई पर भी इंडिया गठबंधन नजर रख सकती है। 17 सीटें जीतने वाले अन्य सांसदों में इंजीनियर राशिद भी हैं। उन्होंने इस चुनाव में जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला को हराया है। वह अभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। इंजीनियर राशिद के मूड पर भी इंडिया गठबंधन की नजर होगी। इंडिया गठबंधन 234 + नीतीश (12) + नायडू (16) + पप्पू यादव (1) + AIMIM (1) + चंद्रशेखर आजाद (1) + सरबजीत सिंह खालसा + अमृतपाल + इंजीनियर राशिद + मोहम्मद हनीफा + पटेल उमेशभाई + विशाल पाटिल को जोड़ने के बाद आंकड़ा 271 तक पहुंचेगा. इसके बाद उसे 1 और सांसद के समर्थन की जरूरत होगी।
आधी रात को इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने PM मोदी को दी जीत की बधाई, खास अंदाज में लिखा- हम साथ में...



लोकसभा चुनाव के नतीजे सबके सामने आ चुके हैं। एनडीए ने 292 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया है और सरकार बनाने का दावा भी पेश करने वाले हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी शुभकामनाएं मिल रही है।

इसी कड़ी में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने आधी रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत की शुभकामनाएं दी। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने PM मोदी के साथ की मुस्कुराते हुए एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की है। प्रधानमंत्री मेलोनी का ये ट्वीट ऐसे समय पर आया है जब आधे से ज्यादा भारतीय सोए हुए थे।


रात करीब 12:30 बजे प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने एक पोस्ट शेयर की। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हंसते हुए अपनी एक फोटो लगाई है और यह फोटो G-20 सम्मेलन की है। जब प्रधानमंत्री मेलोनी खुद भारत आई थी और पीएम मोदी के साथ फोटो खिंचवाई थी। यही फोटो आज उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत की शुभकामनाएं दी।


इटली की PM मेलोनी ने लिखा कि नरेंद्र मोदी को चुनावी जीत की बहुत-बहुत बधाई। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। हम साथ में काम करना जारी रखेंगे। इससे हमारी दोस्ती और भी अधिक गहरी होगी। साथ ही इटली और इंडिया के कई मुद्दों पर आपसी सहमति के साथ फैसला लेने की प्रतिबद्धता दोनों देशों और हमारे लोगों के लिए बेहतर साबित होगी।