भाजपा ने की कांग्रेस द्वारा क्यूआर कोड के जरिए वोटर्स को लुभाने के लिए देशभर में प्रचार किए जा रहे नई गारंटी स्कीम के प्रचार पर रोक लगाने की चुनाव आयोग से मांग
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भाजपा ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर कांग्रेस द्वारा क्यूआर कोड के जरिए वोटर्स को लुभाने के लिए देशभर में प्रचार किए जा रहे नई गारंटी स्कीम के प्रचार पर रोक लगाने की मांग की है।
चुनाव आयोग से मुलाकात करने के बाद भाजपा राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कांग्रेस की नई गारंटी स्कीम के प्रचार अभियान को मतदाताओं को रिश्वत देने का प्रयास बताया।
उन्होंने कांग्रेस पर यह भी कटाक्ष किया कि कांग्रेस यह जानती है कि यह मुंगेरीलाल के हसीन सपने के बराबर है, वह चुनाव जीतने नहीं जा रही है बल्कि इस बार के चुनाव में तो कांग्रेस का सीटों का आंकड़ा सबसे कम रहने जा रहा है तो फिर कांग्रेस जनता को गुमराह करने के लिए ऐसे वायदे क्यों कर रही है।
भाजपा नेता ओम पाठक ने बताया कि कांग्रेस ने पिछले सप्ताह से देशभर में जो प्रचार अभियान शुरू किया है, उसी तरह का प्रचार अभियान पिछले वर्ष राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय भी कांग्रेस ने चलाया था, जिस पर चुनाव आयोग ने उस समय रोक लगा दिया था। उन्होंने चुनाव आयोग से उसी आधार पर इस बार भी कांग्रेस के इस प्रचार पर रोक लगाने की मांग की है।
पाठक ने बताया कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय इस तरह के प्रचार अभियान के कारण चुनाव आयोग की भर्त्सना मिलने के बावजूद कांग्रेस एक बार फिर से उसी तरह का अभियान चला रही है।
उन्होंने कहा कि इस प्रचार अभियान के जरिए कांग्रेस देश के वोटर्स को ऐसा बताने की कोशिश कर रही है जैसे कि वह देश के लोगों को कुछ दे रही है और उसके बदले उनके नाम और उनके पर्सनल डिटेल्स कांग्रेस लोगों से ले रही है। चुनाव आयोग को त्वरित कार्रवाई कर इस पर रोक लगाना चाहिए।









पिछले 3 दशक से बीजेपी का दबदबा जातिगत समीकरण नहीं करता काम अटल के नाम पर टंडन के सिर सजा “ताज” 71 फीसदी से अधिक हिंदू आबादी 26 फीसदी से अधिक मुसलमानों मतदाता ओबीसी वोटर्स की संख्या 28 फीसदी आबादी देख जुगत लगा रहे राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में जाना जाता है। कभी इसे पूर्व का गोल्डन सिटी तो कभी शिराज-ए-हिंद या फिर भारत का कांस्टेंटिनोपल कहा गया। लखनऊ न सिर्फ प्रदेश की राजनीति का केंद्र रहा है बल्कि एक समय यह क्षेत्र देश की सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय सीट हुआ करती थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का यह संसदीय क्षेत्र रहा है और वह यहां से लगातार 5 बार सांसद रहे हैं। वाजपेयी के अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित को लखनऊ संसदीय सीट से पहली सांसद होने का गौरव हासिल है। गोमती नदी के किनारे बसे लखनऊ शहर को अपने अदब, दशहरी आम और चिकन की कढ़ाई के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण के लिए यह शहर बसाया था। लखनऊ लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें लखनऊ ईस्ट, लखनऊ वेस्ट, लखनऊ नॉर्थ, लखनऊ कैंट और लखनऊ सेंट्रल सीट शामिल हैं। पिछले 3 दशक से बीजेपी की दबदबा है और यहां पर किसी तरह का जातिगत समीकरण काम नहीं करता है। अटल बिहारी वाजपेयी की यहां पर ऐसी लोकप्रियता था कि 2009 के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी लालजी टंडन ने वाजपेयी के नाम पर वोट मांगे थे और उनकी खड़ाऊं लेकर प्रचार किया था। इसका फायदा उन्हें मिला और कड़े मुकाबले में सांसद चुने गए थे। वैसे, लखनऊ के वोटरों की बात करें तो यहां कुल वोटर 35 लाख 73 हजार, 944 हैं, जिनमें पुरूष वोटर 19 लाख, 22 हजार, 184 और महिला वोटर 16 लाख, 51 हजार, 626 है, जबकि थर्ड जेंडर के वोटरों की संख्या 134 है। इस बार लखनऊ में 51,417 नए वोटर जुड़े हैं इनमें 38 हजार युवा वोटर हैं जो पहली बार अपने मतदान का प्रयोग करेंगे। 2011 की जनगणना के मुताबिक, लखनऊ में 71 फीसदी से अधिक हिंदू आबादी रहती है तो 26 फीसदी से अधिक आबादी मुसलमान समाज की है। यहां पर करीब 14 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है, तो अनुसूचित जनजाति करीब 0.2 फीसदी ही है। ओबीसी वोटर्स की संख्या 28 फीसदी है। इसके अलावा लखनऊ लोकसभा में करीब 18 प्रतिशत मतदाता राजपूत और ब्राह्मण हैं। सभी जातियों की आबादी को देख राजनीतिक दल मतदाताओं को साधने के लिए हर जुगत लगा रहे हैं। जातियों को लेकर लाख जुगत लगाई जाए, मोदी फैक्टर, राम मंदिर निर्माण और बीजेपी की सेफ सीट होने के कारण लखनऊ सीट किसी को किसी भी हालत में जाने वाली नहीं है। कांग्रेस का यूपी में कोई जनाधार नहीं है, इसलिए कांग्रेस का लखनऊ में कोई असर नहीं है। हालांकि सपा मजबूत स्थिति में जरूर है। सपा का एक तगड़ा वोट बैंक भी है। उसके बावजूद सपा जीत दर्ज करने की स्थिति में नहीं है।
Apr 17 2024, 13:36
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