चारधाम यात्रा के लिए इस वर्ष भी श्रद्धालुओं में दिख रहा उत्साह, पहले दिन में ही पांच लाख से अधिक हुआ पंजीकरण, 10 मई से यात्रा
चारधाम यात्रा पर आने के लिए इस बार भी तीर्थयात्रियों में काफी उत्साह है। इसकी गवाही पंजीकरण के आंकड़े दे रहे हैं। यात्रा के लिए दोगुनी रफ्तार से पंजीकरण हो रहे हैं। मंगलवार को दूसरे दिन पंजीकरण का आंकड़ा पांच लाख पार हो चुका है। 10 मई से चारधाम यात्रा का आगाज होगा।
10 मई को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान से खुलेंगे। इसी दिन बाबा केदार के कपाट खुलने की तिथि हुई है। जबकि 12 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। पर्यटन विभाग ने चार धाम की यात्रा के लिए पंजीकरण शुरू कर दिया है। दो दिन में 5.16 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है।
पहले दिन 2.50 लाख पंजीकरण का रिकॉर्ड बना था। इस तेजी के साथ पंजीकरण की संख्या बढ़ रही है। उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार भी यात्रा नया रिकॉर्ड बनाएगी। दो दिनों में केदारनाथ धाम के लिए पंजीकरण की संख्या 1.73 लाख से अधिक हो गई है। जबकि बदरीनाथ के लिए 1.48 लाख से अधिक तीर्थयात्री पंजीकरण कर चुके हैं।
दो दिन में चारधाम यात्रा के लिए कुल पंजीकरण
धाम पंजीकरण
केदारनाथ 173959
बदरीनाथ 148065
गंगोत्री 94950
यमुनोत्री 93136
हेमकुंड साहिब 6133
कुल- 5,16,243









पिछले 3 दशक से बीजेपी का दबदबा जातिगत समीकरण नहीं करता काम अटल के नाम पर टंडन के सिर सजा “ताज” 71 फीसदी से अधिक हिंदू आबादी 26 फीसदी से अधिक मुसलमानों मतदाता ओबीसी वोटर्स की संख्या 28 फीसदी आबादी देख जुगत लगा रहे राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में जाना जाता है। कभी इसे पूर्व का गोल्डन सिटी तो कभी शिराज-ए-हिंद या फिर भारत का कांस्टेंटिनोपल कहा गया। लखनऊ न सिर्फ प्रदेश की राजनीति का केंद्र रहा है बल्कि एक समय यह क्षेत्र देश की सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय सीट हुआ करती थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का यह संसदीय क्षेत्र रहा है और वह यहां से लगातार 5 बार सांसद रहे हैं। वाजपेयी के अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित को लखनऊ संसदीय सीट से पहली सांसद होने का गौरव हासिल है। गोमती नदी के किनारे बसे लखनऊ शहर को अपने अदब, दशहरी आम और चिकन की कढ़ाई के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण के लिए यह शहर बसाया था। लखनऊ लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें लखनऊ ईस्ट, लखनऊ वेस्ट, लखनऊ नॉर्थ, लखनऊ कैंट और लखनऊ सेंट्रल सीट शामिल हैं। पिछले 3 दशक से बीजेपी की दबदबा है और यहां पर किसी तरह का जातिगत समीकरण काम नहीं करता है। अटल बिहारी वाजपेयी की यहां पर ऐसी लोकप्रियता था कि 2009 के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी लालजी टंडन ने वाजपेयी के नाम पर वोट मांगे थे और उनकी खड़ाऊं लेकर प्रचार किया था। इसका फायदा उन्हें मिला और कड़े मुकाबले में सांसद चुने गए थे। वैसे, लखनऊ के वोटरों की बात करें तो यहां कुल वोटर 35 लाख 73 हजार, 944 हैं, जिनमें पुरूष वोटर 19 लाख, 22 हजार, 184 और महिला वोटर 16 लाख, 51 हजार, 626 है, जबकि थर्ड जेंडर के वोटरों की संख्या 134 है। इस बार लखनऊ में 51,417 नए वोटर जुड़े हैं इनमें 38 हजार युवा वोटर हैं जो पहली बार अपने मतदान का प्रयोग करेंगे। 2011 की जनगणना के मुताबिक, लखनऊ में 71 फीसदी से अधिक हिंदू आबादी रहती है तो 26 फीसदी से अधिक आबादी मुसलमान समाज की है। यहां पर करीब 14 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है, तो अनुसूचित जनजाति करीब 0.2 फीसदी ही है। ओबीसी वोटर्स की संख्या 28 फीसदी है। इसके अलावा लखनऊ लोकसभा में करीब 18 प्रतिशत मतदाता राजपूत और ब्राह्मण हैं। सभी जातियों की आबादी को देख राजनीतिक दल मतदाताओं को साधने के लिए हर जुगत लगा रहे हैं। जातियों को लेकर लाख जुगत लगाई जाए, मोदी फैक्टर, राम मंदिर निर्माण और बीजेपी की सेफ सीट होने के कारण लखनऊ सीट किसी को किसी भी हालत में जाने वाली नहीं है। कांग्रेस का यूपी में कोई जनाधार नहीं है, इसलिए कांग्रेस का लखनऊ में कोई असर नहीं है। हालांकि सपा मजबूत स्थिति में जरूर है। सपा का एक तगड़ा वोट बैंक भी है। उसके बावजूद सपा जीत दर्ज करने की स्थिति में नहीं है।
Apr 17 2024, 12:38
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