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भाजपा को समर्थन देने के बाद एमएनएस के वरिष्ठ नेता कीर्तिकुमार शिंदे ने पार्टी से दिया इस्तीफा

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महायुती गठबंधन को समर्थन देने के बाद एमएनएस के एक वरिष्ठ नेता ने इस्तीफा दे दिया है।

उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, अलविदा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना।

पार्टी के महासचिव कीर्तिकुमार शिंदे ने पार्टी के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद किया और चेतावनी दी कि राज ठाकरे के इस कदम से मराठी लोगों को कोई फायदा नहीं होगा।

शिंदे ने राज ठाकरे द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर ढुलमुल रवैया अपनाने को लेकर उंगली उठाई। शिंदे ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने बीजेपी, मोदी और अमित शाह के खिलाफ मोर्चा खोला था, लेकिन पांच साल बाद राज ठाकरे ने अहम मोड़ पर आकर अपनी राजनीतिक रणनीति पर इतना बड़ा परिवर्तन किया।

नाराज शिंदे ने मांग की है कि राजनीतिक विश्लेषक आपको बताएंगे कि आप कितने सही और कितने गलत हैं? आजकल, राजनेता जो भी चाहें कर सकते हैं। उनकी विचारधारा में विश्वास रखने वाले सेनानियों (कार्यकर्ताओं) को कुचल दिया जाता है। उस के बारे में क्या?

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 साल में बीजेपी ने देश को तबाह कर दिया है। बीजेपी पारदर्शिता के दावे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन आज केंद्र की मोदी सरकार ईडी, सीबीआई और आईटी के बलबूते विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का प्रयास कर रही है। उन पर दबाव बना रही है कि वो आत्मसमर्पण करे।

शिंदे ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के उन्माद में राज ठाकरे ने अपने लाव रे ते वीडियो (प्ले दैट वीडियो) अभियान के माध्यम से भाजपा के खिलाफ तीखा हमला बोला था।

शिंदे ने कहा, मैं उन सभी रैलियों में शामिल होता था, तथ्यों और भाजपा-मोदी-शाह के खिलाफ व्यक्त किए गए विचारों पर विस्तृत लेख लिखता था और अधिक से अधिक लोगों तक अपना रुख पहुंचाने के लिए ईमानदार प्रयास करता था।

हालांकि राजनीतिक मजबूरियों के कारण राज ठाकरे को भाजपा का पक्ष लेना पड़ा, लेकिन इससे महाराष्ट्र या मराठियों को कोई लाभ होने की संभावना नहीं है और उन्होंने मनसे से अपने इस्तीफे की घोषणा की।

शिंदे ने इन सभी वर्षों में राज ठाकरे और अन्य मनसे नेताओं से मिले प्यार और स्नेह को भी स्वीकार किया और कहा कि वह एक व्यक्तिगत बैठक में उन्हें यही बात बताना चाहते थे, लेकिन अब यह संभव नहीं है। उन्होंने अपील की कि उनका यह कदम गलत नहीं होना चाहिए।

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भारत में खुलेगा टेस्ला का प्लांट ! दुनिया के शीर्ष अरबपतियों में शामिल एलन मस्क और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जल्द ही होने वाली है

टेस्ला के मालिक और दुनिया के शीर्ष अरबपतियों में शामिल एलन मस्क और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जल्द ही एक अहम बैठक होने वाली है। इस संबंध में मस्क ने खुद ट्वीट करके बताया है। बुधवार (10 अप्रैल 2024) को ट्वीट करते हुए मस्क ने लिखा कि “भारत के प्रधानमंत्री से मुलाकात को लेकर उत्सुक हूँ।” मस्क के इस ट्वीट के बाद उस पर भारतीय यूजर्स ने कई तरह के कमेंट किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एलन मस्क अप्रैल के अंत तक पीएम मोदी से मिलने भारत आ सकते हैं और हमारे देश में निवेश करके यहाँ एक नई फैक्ट्री भी शुरू कर सकते हैं। भारतीय यूज़र्स ऐसी उम्मीद जता रहे हैं कि, जल्द टेस्ला का प्लांट भारत में भी खुलेगा। हालाँकि, पीएम मोदी और एलन मस्क की मुलाकात को लेकर कोई आधिकारिक सूचना नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों से दी गई जानकारी कहती है कि एलन मस्क अपने कंपनी के कुछ लोगों के साथ 22 अप्रैल तक पीएम मोदी से मिल सकते हैं। हालाँकि इस मुलाकात का कारण स्पष्ट नहीं हैं। रिपोर्टें बताती हैं कि एलन मस्क भारत दौरे के समय अपने भारत में टेस्ला कार फैक्ट्री लगाने का ऐलान कर सकते हैं। कुछ रिपोर्ट्स ऐसी भी हैं जो दावा करती हैं कि टेस्ला और रिलायंस इंडस्ट्री के बीच इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) प्लांट के ज्वाइंट वेंचर के लिए चर्चा चल रही है। पिछले हफ्ते भी एक रिपोर्ट आई थी कि मस्क ने भारत में साइट देखने के लिए टीम भेजी थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि कंपनी भारत के उन राज्यों पर फोकस कर रही है जहाँ पहले से ही एक्सपोर्ट की सुविधा के लिए ऑटोमोबाइल विनिर्माण केंद्र और बंदरगाह हैं, और इसके परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य कंपनी की नज़र में हैं। टेस्ला भारत में 2 से 3 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश कर सकती है। कार प्लांट के अलावा कंपनी बैटरी बनाने की गीगाफैक्ट्री भी स्थापित करने वाली है, जिससे भारत में बंपर रोज़गार पैदा होगा। उल्लेखनीय है कि टेस्ला कई सालों से भारतीय बाजार में कदम रखने की योजना बना रहा है, मगर कारों पर उच्च आयात शुल्क के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा। हाल में उम्मीद तब जगी जब केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर आयात शुल्क घटाकर महज 15% कर दिया। इसके बाद टेस्ला का आना पक्का माना जाने लगा। कंपनी ने गत वर्ष भारत सरकार के साथ इस मामले में दोबारा चर्चा शुरू की, और इसे रफ्तार उस वक़्त मिली जब पीएम मोदी और एलन मस्क की बातचीत हुई। उस मुलाकात में एलन मस्क ने कहा था कि, “मैं अगले साल भारत आने का प्लान कर रहा हूँ। मुझे यकीन है कि टेस्ला भारत में आएगी और हम इसे जल्द से जल्द शुरू करेंगे। मैं पीएम मोदी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूँ और उम्मीद है कि हम भविष्य में कुछ ऐलान करने में सक्षम होंगे।” गौरतलब है कि मस्क की कंपनी भारत आने से पहले अपने जर्मनी वाले प्लांट में राइंट हैंड ड्राइव के लिए कार का निर्माण आरम्भ कर चुका है जिसे इस साल के बाद निर्यात किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा है कि वो भारत में बिजनेस कार इम्पोर्ट करके आरम्भ करेंगेm क्योंकि कार के निर्माण में कुछ वक़्त लगेगा। इससे पहले टेस्ला ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे राइट-हैंड ड्राइव वाले देशों के लिए चीन के शंघाई प्लांट में कार का निर्माण करता रहा है, लेकिन भारत लाने के लिए उन्होंने कारें बर्लिन में बनवानी शुरू की हैं, क्योंकि वो भी जानते हैं कि चीन में बने कुछ सामान भारत नहीं ले रहा।
आम आदमी पार्टी के और किन-किन नेताओं पर लटक रही गिरफ्तारी की तलवार

दिल्ली की मंत्री आतिशी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सरकार आम आदमी पार्टी (आप) की अगली पीढ़ी को जेल में डालने की साजिश रच रही है।

मीडिया ब्रीफिंग में आतिशी ने कहा कि जांच एजेंसियां लोकसभा चुनाव से पहले सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक, राघव चड्ढा और खुद उनके जैसे नेताओं को गिरफ्तार करेंगी।ये आरोप प्रवर्तन निदेशालय द्वारा केजरीवाल के लिए न्यायिक हिरासत की मांग करते हुए अदालत में भारद्वाज और आतिशी के नाम लेने के एक दिन बाद आए हैं।

कल ईडी ने एक बयान के आधार पर सौरभ भारद्वाज और मेरा नाम कोर्ट में लिया, जो डेढ़ साल से ईडी और सीबीआई के पास मौजूद है, ये बयान ईडी की चार्जशीट में है , तो फिर इस बयान को उछालने की वजह क्या थी? इस बयान को उछालने की वजह ये थी कि अब बीजेपी को लगता है कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह और सत्येन्द्र जैन के जेल में होने के बावजूद आम आदमी पार्टी अभी भी एकजुट और मजबूत है। अब वे आम आदमी पार्टी के नेतृत्व की अगली पंक्ति को जेल में डालने की योजना बना रहे है l

यह पूछे जाने पर कि क्या केजरीवाल अपनी गिरफ्तारी के बाद अपने पद से इस्तीफा देंगे, आतिशी ने दोहराया कि दिल्ली के सीएम के पद छोड़ने का कोई कारण नहीं है।

सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने शराब नीति मामले में केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया l

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल के "असहयोगी व्यवहार" का हवाला देते हुए 15 दिनों की न्यायिक हिरासत मांगी थी।ईडी ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल ने उन्हें सूचित किया था कि AAP के पूर्व संचार प्रभारी और शराब घोटाला मामले के आरोपी विजय नायर आतिशी को रिपोर्ट करते थे, उन्हें नहीं।

लोकसभा चुनाव ने सभी को सकते में ला दिया है और दिल्ली में इन सभी उथल-पुथल के बीच पार्टियां विभिन्न आधारों पर एक-दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं और इसे भारत के लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए l

हालाँकि इसने (आप) राजनेताओं को लगातार आरोपों और मुकदमे के डर में ला दिया है। और वे किसी भी सार्वजनिक विफलता से बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार यूनिवर्सिटी के चांसलर पद के लिए उपयुक्त रहेंगे पीएम मोदी’, स्टालिन का बड़ा हमला

#cmmkstalinslamspmmodifopostofchancellorofcorruptionuniversity

लोकसभा चुनाव के इस माहौल में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने पीएम मोदी और भाजपा पर जमकर हमला बोला है।उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्टाचार विश्वविद्यालय का चांसलर बनने के लिए उपयुक्त बताया है। दरअसल, हाल ही में पीएम ने तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल द्रमुक को भ्रष्ट पार्टी बताया था। इसी के जवाब में डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने तीखा जवाब दिया है।

स्टालिन ने बुधवार को चुनावी रैली में तमिलनाडु में वंशवादी राजनीति और भ्रष्टाचार के बारे में प्रधानमंत्री के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि अगर भ्रष्टाचार के लिए एक विश्वविद्यालय स्थापित किया जाता है, तो मोदी इसके चांसलर बनने के लिए सही व्यक्ति होंगे। स्टालिन ने कहा, क्या कोई इसका कारण जानता है? इसका मुख्य कारण है कि चुनावी बॉन्ड से लेकर पीएम केयर्स फंड और भाजपा की वाशिंग मशीन, जो दागी नेताओं को बेदाग कर देती है। भाजपा भ्रष्ट है। 

मोदी दोबारा पीएम बनते हैं तो भारत में लोकतंत्र नहीं बचेगा-स्टालिन

प्रधानमंत्री द्वारा डीएमके पर लगाए गए तमिल संस्कृति को खराब करने के आरोपों पर स्टालिन ने कहा कि कृप्या वाट्सएप यूनिवर्सिटी में पढ़ाई न करें। हमारी तमिल संस्कृति में सभी शहर एक समान हैं और सभी लोग एक समान हैं। उन्होंने पीएम पर विभाजनकारी राजनीति करने के आरोप लगाए और बताया कि अगर नरेंद्र मोदी दोबारा पीएम बनते हैं तो भारत में लोकतंत्र नहीं बचेगा। उन्होंने जनता से पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने का आह्वान किया। 

केंद्र में भाजपा की वापसी का मतलब तानाशाही सरकार की स्थापना-स्टालिन

स्टालिन ने आगे कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार की वापसी का मतलब तानाशाही सरकार की स्थापना ही होगा। स्टालिन ने कहा कि अगर मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने तो देश में शांति नहीं होगी। उन्होंने दावा किया कि संसद में कोई चर्चा नहीं होगी। देश में दोबारा कोई चुनाव नहीं होगा। किसी राज्य में विधानसभा नहीं होगी। एक ही भाषा, आस्था और संस्कृति रहेगी। वे सामाजिक न्याय को खत्म कर देंगे। 

पीएम ने क्या कहा था?

इससे पहले वेल्लोर की जनता के बीच पहुंचे पीएम मोदी ने राज्य की डीएमके सरकार पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि परिवारवाद वाली पार्टी डीएमके कभी भी तमिलनाडु के लोगो का विकास नहीं कर सकती। पीएम मोदी ने कहा कि सेंगोल को जब देश की संसद में स्थापित किया गया था तो डीएमके ने इसका विरोध किया था। राज्य में आज लूट का खुला खेल चल रहा है। डीएमके की नीति ‘फूट डालो और राज करो’ की है। ये पार्टी भाषा क्षेत्र जाति और धर्म के नाम पर फूट डालकर राज करने का काम कर रही है।

सीएम केजरीवाल को एक और झटका, निजी सचिव विभव कुमार को हटाया गया*
#cm_kejriwal_ps_bibhav_kumar_terminated_from_his_post * शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामले में विजिलेंस विभाग की टीम ने उनके निजी सहायक विभव कुमार के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है।बिभव कुमार की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। विजिलेंस विभाग ने विभव कुमार की नियुक्ति को सही नहीं माना है। विजिलेंस विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी वाईवीवीजे राजशेखर ने आदेश जारी किया है। निदेशालय का कहना है कि विभव कुमार की नियुक्ति अवैध और अमान्य थी। डायरेक्टोरेट ऑफ विजिलेंस(डीओवी) ने अपने आदेश में कहा कि विभव कुमार की नियुक्ति केंद्रीय सिविल सेवा के नियमों का उल्लंघन करके की गई थी। आदेश के मुताबिक, विभव कुमार का अपाइंटमेंट निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का ईमानदारी से पालन करे बिना किया गया था। इसलिए ऐसी नियुक्ति अवैध और अमान्य है। विशेष सचिव सतर्कता वाई. वी. वी. जे. राजशेखर ने उनके खिलाफ 2007 के एक लंबित मामले का हवाला देते हुए आदेश पारित किया है। आदेश में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकरण इसके द्वारा केंद्रीय सिविल सेवा (अस्थायी सेवा) नियम, 1965 के नियम 5 के प्रावधानों के संदर्भ में बिभव कुमार की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। विभव प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं। ईडी ने 8 अप्रैल को विभव से शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में घंटों तक पूछताछ की थी। इससे पहले दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में भी फरवरी के पहले सप्ताह में ईडी विभव के घर पर रेड कर चुकी है। जांच एजेंसी विभव कुमार से करीब 4 घंटों तक पूछताछ की थी। दूसरी बार ईडी ने विभव कुमार से पूछताछ की थी। इससे पहले पिछले साल भी जांच एजेंसी ने समन भेजकर केजरीवाल के निजी सचिव बुलाया था और इंक्वायरी की थी। ईडी के अधिकारियों ने कहा था कि विभव ने अपने मोबाइल नंबर का आईएमईआई सितंबर 2021 से जुलाई 2022 के बीच 4 बार बदला था। विभव कुमार का बयान पीएमएलए के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था। विभव कुमार से पहले दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजकुमार आनंद भी पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके घर ईडी का छापा पड़ा था। उन्होंने आम आदमी पार्टी तक को करप्ट बताया था।
हमास के टॉप लीडर हानिया के 3 बेटों की इजराइली हमले में मौत, आईडीएफ ने कहा-तीनों आतंकी थे

#israel_kills_three_sons_of_hamas_chief_haniyeh_in_gaza_air_strike 

इजराइल के हमले में बुधवार देर रात हमास चीफ इस्माइल हानिया के तीन बेटों की मौत हो गई। 'टाइम्स ऑफ इजराइल' की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइली सेना ने गाजा के अल-शती कैंप के पास एक कार पर एयरस्ट्राइक की। इसमें इस्माइल हानिया के तीन बेटों, 3 पोतियों और एक पोते की मौत हो गई। मौत की पुष्टि खुद हानिए ने की है।इस्माइल हानिया ने कहा है कि इजरायल ने प्रतिशोध की भावना से उसके तीन बेटों की हत्या कर दी है। 

हमास मीडिया ने बताया कि इजरायल ने गाजा के अल-शती कैंप में एक कार पर एयर स्ट्राइक की। उस हमले में कार सवार उसके बेटे हाजेम, अमीर और मोहम्मद मारे गए। इजरायल ने आतंकी संगठन हमास को बड़ा झटका देते हुए उसके सरगना इस्माइल हानिये के 3 बेटों और पोतों को मार गिराया है। इजरायल ने ऑपरेशन के लिए एयर स्ट्राइक का इस्तेमाल किया।

हानिया ने कहा कि उसके बेटों की हत्या प्रतिशोध की भावना से की गई और इसके लिए किसी भी नियम या मानवाधिकार का पालन नहीं किया गया। हानिया ने कहा, उसके बेटे यरुशलम और अल अक्सा मस्जिद को आजाद कराने की राह पर चलते हुए शहीद हुए हैं। उसने कहा कि इन मौतों से हमास की गतिविधियों और हौसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा, हमास अपने उद्देश्यों के लिए पूर्व की भांति संघर्ष करता रहेगा। 

हानिया कतर में निर्वासन में रह रहा है। हमास के अल-अक्सा टीवी स्टेशन ने दोहा के एक अस्पताल में पहुंचाए गए घायल फिलिस्तीनियों से मिलने के दौरान हनिया को उसके परिवार में हुई मौतों की खबर दी। हनिया ने अपना सिर हिलाया, नीचे जमीन की ओर देखा और धीरे से कमरे से बाहर चला गया। हनिया ने बुदबुदाते हुए कहा कि ईश्वर के अलावा कोई शक्ति या ताकत नहीं है।

वहीं, इजराइली सेना का कहना है कि हानिया के तीनों बेटे आतंकी थे। सेना के मुताबिक, अमीर हानिया हमास सैन्य विंग में एक स्क्वाड कमांडर था। वहीं, हाजेम और मोहम्मद हानिया सैन्य विंग में ऑपरेटिव्स थे। तीनों सेंट्रल गाजा में हमला करने के लिए जा रहे थे। इनमें से एक इजराइलों को बंधक बनाने में भी शामिल था।

सरहुल के गीत और ईद-उल-फितर की नमाज पढ़ी जाएगी एक ही दिन

झारखंड में ईद और सरहुल कल मनाया जायेगा जहां ईद मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, वहीं सरहुल त्योहार झारखंड के आदिवासी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है। 

ईद-उल-फितर 2024, चंद्रमा का दर्शन आज: बुधवार को अर्धचंद्र देखा गया, जो भारत में ईद समारोह की शुरुआत का प्रतीक है।

सरहुल चैत्र महीने के तीसरे दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल में पड़ता है। 2024 में सरहुल 11 अप्रैल को मतलब कल मनाया जाएगा l यह त्यौहार विभिन्न अनुष्ठानों और समारोहों द्वारा चिह्नित किया जाता है l

ईद-उल-फितर, जो रमज़ान के उपवास महीने की समाप्ति का प्रतीक है, देश में गुरुवार को मनाया जाएगा क्योंकि आज शाम चाँद देखा गया है।

सरहुल शब्द का अर्थ है पेड़ों की पूजा करना या साल के पेड़ की पूजा करना। चूँकि आदिवासी लोग प्रकृति के करीब हैं, वे पेड़ों सहित प्रकृति के तत्वों की पूजा करके सरहुल त्योहार की शुरुआत करते हैं। इस त्योहार के बाद, स्थानीय लोगों द्वारा अधिकांश कृषि गतिविधियाँ, जैसे बीज बोना आदि शुरू की जाती हैं।

संक्षेप में, ईद का चाँद दिखना उत्सव, एकता और चिंतन का समय है। यह एक ऐसा अवसर है जो लोगों को एक साथ लाता है, आध्यात्मिक एकजुटता की भावना को बढ़ावा देता है और एक स्मृति के रूप में कार्य करता हैl

हालाँकि, पूरे केरल और लेह तथा कारगिल में बुधवार को ईद मनाई गई। केरल में मुस्लिम मौलवी जिनमें सैय्यद सादिक अली शिहाब थंगल, जिफरी मुथुक्कोया थंगल और कंथापुरम ए पी अबूबकर शामिल हैं l

प्रसासन के लिए यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि त्योहार शांति और सद्भाव के साथ संपन्न हों ,और इसलिए दूसरे राज्यों से 5000+ फोर्स बुलाई गई है l कल के लिए सब कुछ बंद किया जा रहा है और अधिकारी सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसी भी सांप्रदायिक दंगे से बचने के लिए पूरी तरह तैयार हैं l

कच्चाथीवु द्वीप को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का पलटवार, पूछा-क्या वहां कोई रहता भी है?

#kachchatheevuislandsayscongressleaderdigvijayasingh 

इस बार लोकसभा चुनाव में कच्चातिवु द्वीप बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है, खासकर तमिलनाडु में। लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडू और श्रीलंका के बीच मौजूद कच्चातिवु द्वीप को लेकर देशभर में राजनीतिक बहस जारी है। विवाद तब शुरू हुआ जब आरटीआई से मिले जवाब में सामने आया कि 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। बीजेपी इसे जोर-शोर से उठा रही है। इस बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता राजगढ़ से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने इस मसले पर पलटवार किया है। उन्होंने पूछा है कि, "क्या उस द्वीप पर कोई रहता है? 

लोकसभा चुनाव के लिए हो रहे प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नए मुद्दे को उठाकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। कच्चातिवु द्वीप को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भोपाल में पलटवार किया। उन्होंने पूछा, उस द्वीप पर कोई रहता है क्या? मैं पूछना चाहता हूं। दरअसल, पिछले कई दिनों से पीएम मोदी इस मसले को सार्वजनिक मंचों पर उठा रहे हैं। 

पीएम मोदी लगातार बोल रहे हमला

इससे पहले बुधवार को तमिलनाडु के वेल्लोर में पीएम मोदी ने एक रैली के दौरान कहा कि कांग्रेस और डीएमके पार्टी के एक पाखंड की चर्चा आज पूरा देश कर रहा है। कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान कई दशक पहले कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया। किस कैबिनेट में ये निर्णय हुआ? किसके फायदे के लिए ये फैसला हुआ? इस पर कांग्रेस की बोलती बंद है। उन्होंने आगे कहा, बीते वर्षों में उस द्वीप के पास जाने पर तमिलनाडु के हजारों मछुआरे गिरफ्तार हुए हैं। उनकी नौकाएं गिरफ्तार कर ली गई हैं।

पीएम मोदी ने कहा, गिरफ्तारी पर कांग्रेस और डीएमके झूठी हमदर्दी दिखाते हैं, लेकिन ये लोग तमिलनाडु के लोगों को ये सच नहीं बताते हैं कि कच्चातिवु द्वीप इन लोगों ने स्वयं श्रीलंका को दे दिया और तमिलनाडु की जनता को अंधेरे में रखा।एनडीए सरकार ऐसे मछुआरों को निरंतर रिहा कराकर वापस ला रही है। इतना ही नहीं 5 मछुआरों को श्रीलंका ने फांसी की सजा दे दी थी। वह उनको भी जिंदा वापस लेकर आए हैं। डीएमके और कांग्रेस सिर्फ मछुआरों के नहीं बल्कि देश के भी गुनहगार हैं।

क्या है श्रीलंका का पक्ष

इससे पहले कच्चातिवु द्वीप को लेकर श्रीलंका ने भी अपनी बात रखी है।राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री जीवन थोंडामन ने साफ कहा कि कच्चातिवू द्वीप श्रीलंकाई नियंत्रण रेखा के भीतर आता है। उन्होंने कहा, श्रीलंका के साथ नरेंद्र मोदी की विदेश नीति सजीव और स्वस्थ है। अभी तक भारत की ओर से कच्चातिवु द्वीप को लौटाने के लिए कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। अगर ऐसी कोई मांग होती है, तो विदेश मंत्रालय उसका जवाब देगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य श्रीलंकाई मंत्री ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि नई सरकार की इच्छा के अनुसार राष्ट्रीय सीमाओं को नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार सीमा तय हो जाने के बाद, केवल सरकार बदलने के कारण कोई भी बदलाव की मांग नहीं कर सकता।

कहां स्थित है यह द्वीप?

कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका में नेदुनथीवु और भारत में रामेश्वरम के बीच स्थित है। यह 285 एकड़ का एक निर्जन स्थान है। अपने सबसे चौड़े बिंदु पर इसकी लंबाई 1.6 किमी से ज्यादा नहीं है। यह भारतीय तट से लगभग 33 किमी दूर, रामेश्वरम के उत्तर-पूर्व में स्थित है। श्रीलंका के जाफना से यह लगभग 62 किमी दूर है। पारंपरिक रूप से दोनों पक्षों के मछुआरे इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। कच्चातिवु द्वीप तमिलनाडु के मछुआरों के लिए सांस्कृतिक रूप से अहम है। इसे श्रीलंका को सौंपने के खिलाफ तमिलनाडु में कई आंदोलन हुए हैं।

द्वीप का इतिहास क्या है?

14वीं शताब्दी के ज्वालामुखी विस्फोट के बाद यह द्वीप बना। मध्ययुगीन काल में, इस पर श्रीलंका के जाफना साम्राज्य का नियंत्रण था। 17वीं शताब्दी में, नियंत्रण रामनाद जमींदारी के हाथ में चला गया, जो रामनाथपुरम से लगभग 55 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है। ब्रिटिश राज के दौरान यह मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया। लेकिन 1921 में भारत और श्रीलंका दोनों ने मछली पकड़ने की सीमा निर्धारित करने के लिए द्वीप पर दावा किया। यह विवाद 1974 तक नहीं सुलझा था।

अब क्या है समझौता?

1974 में, इंदिरा गांधी ने भारत-श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा को हमेशा के लिए सुलझाने का प्रयास किया। इस समझौते के एक हिस्से के रूप में इंदिरा गांधी ने कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंप दिया। उस समय, उन्होंने सोचा कि इस द्वीप का कोई रणनीतिक महत्व नहीं है और इस भारत का दावा खत्म करने से श्रीलंका के साथ संबंध और गहरे हो जाएंगे। समझौते के मुताबिक, भारतीय मछुआरों को अभी भी इस द्वीप तक जाने की इजाजत थी। 1976 में भारत में इमरजेंसी की अवधि के दौरान एक और समझौता हुआ। इसमें किसी भी देश को दूसरे के विशेष आर्थिक क्षेत्र में मछली पकड़ने से रोक दिया गया।

वाशिंगटन: अमेरिका भारत और पाकिस्तान को अपने मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करता है: अधिकारी

 

विदेश विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, अमेरिका भारत और पाकिस्तान को तनाव से बचने और बातचीत के माध्यम से अपने लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और "स्थिति के बीच में नहीं आएगा।" 

विदेश विभाग के अधिकारी ने दोनों देशों से तनाव से बचने और बातचीत के जरिए लंबित मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया l

विदेश विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान को तनाव से बचने और अपने लंबित मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और "स्थिति के बीच में नहीं आएगा"।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर आतंकवादी भारत में शांति भंग करने की कोशिश करेंगे या आतंकी गतिविधियों को अंजाम देंगे तो करारा जवाब दिया जाएगा और अगर वे पाकिस्तान भाग जाते हैं तो भारत सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए नई दिल्ली के मुखर दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए, उन्हें मारने के लिए पड़ोसी देश में प्रवेश करेंगे।

हम इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्टों पर नजर रख रहे हैं।' रेखांकित आरोपों पर हमारी कोई टिप्पणी नहीं है,'' विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को मीडिया रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत सरकार के एजेंटों ने कथित तौर पर पाकिस्तान के अंदर हत्याएं कीं।

 मिलर ने कहा कि हालांकि अमेरिका "इस स्थिति के बीच में नहीं पड़ने वाला", "दोनों पक्षों को तनाव से बचने और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करेगा"।

राजनाथ सिंह की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, पाकिस्तान ने उनके भड़काऊ बयान की आलोचना की है और कहा है कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के अपने इरादे और क्षमता पर दृढ़ है।6 अप्रैल को विदेश कार्यालय के बयान में कहा गया कि पाकिस्तान ने हमेशा क्षेत्र में शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है लेकिन शांति की उसकी इच्छा को गलत नहीं समझा जाना चाहिए।

इतिहास पाकिस्तान के दृढ़ संकल्प और खुद की रक्षा करने की क्षमता का गवाह है, ”पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने एक बयान में हा का सहारा लेने के लिए भारत की सत्तारूढ़ व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा।

भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गिरावट आई।

भारत के फैसले पर पाकिस्तान की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया हुई, जिसने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया और भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया। भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर था, है और रहेगा l

भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, शत्रुता और हिंसा मुक्त माहौल में सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है।

बंगाल के संदेशखाली केस की होगी CBI जांच, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा आदेश कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश

देते हुए पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न मामले की CBI जांच के आदेश दिए है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि, इस मामले में TMC के तीन नेता शेख शाहजहां, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार आरोपी हैं। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की घटना को लेकर खूब हंगामा हुआ। अब कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार और जमीन कब्जाने के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। संदेशखाली में ईडी के अधिकारियों पर हुए हमले की जांच भी सीबीआई द्वारा ही की जा रही है।