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यूपी में बंद होंगे 13 हजार अवैध मदरसे? एसआईटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

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उत्तर प्रदेश में सरकार के निर्देश पर अवैध मदरसों की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इसमें करीब 13 हजार अवैध मदरसों को बंद कराने की सिफारिश की गई है।इनमें से अधिकतर अवैध मदरसे नेपाल सीमा पर मौजूद हैं। इन सभी मदरसों संचालकों की गतिविधियां संदिग्ध पाई गई है।इनका निर्माण खाड़ी देशों से मिली रकम से बीते दो दशकों में हुआ है। रिपोर्ट के आधार पर अब मदरसा बोर्ड कार्रवाई करने की तैयारी में है।

सीमावर्ती जिलों में 500-500 अवैध मदरसे

जानकारी के मुताबिक, एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। जिन 13 हजार मदरसों को बंद करने की सिफारिश की गई है, उनमें से अधिकतर नेपाल की सीमा से सटे महराजगंज, श्रावस्ती, बहराइच समेत 7 जिलों में हैं। हर एक सीमावर्ती जिले में ऐसे मदरसों की संख्या 500-500 से ज्यादा है।

आय और व्यय का ब्योरा उपलब्ध नहीं

एसआईटी ने इन मदरसों से उनकी आय और व्यय का ब्योरा मांगा तो वे उपलब्ध नहीं करा सके। इससे आशंका जताई जा रही है कि सोची-समझी साजिश के तहत टेरर फंडिंग के लिए जुटाई गई रकम को हवाला के जरिये मदरसों के निर्माण के लिए भेजा गया। अधिकतर मदरसों ने अपने जवाब में चंदे की रकम से निर्माण कराने का दावा किया है। हालांकि, वे चंदा देने वालों का नाम नहीं बता सके। एसआईटी के मुताबिक, यूपी के 80 मदरसा के बैंक खातों में विदेश से पैसा भेजा गया। ये मदरसे बहराइच, सिद्धार्थ नगर, सहारनपुर, आजमगढ़ और रामपुर जिले में चल रहे हैं। पैसा विदेश के कई जगहों से भेजा गया था।

मदरसों में बच्चों का शारीरिक शोषण

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि गैरकानूनी तरीके से बने इन मदरसों में बच्चों का शारीरिक शोषण भी होता है। पूर्व में ऐसे तमाम प्रकरण सामने आ चुके हैं। इन मदरसों की मान्यता भी नहीं है। वहीं, सर्टिफिकेट मान्य नहीं होने की वजह से यहां से शिक्षा प्राप्त करने वालों को नौकरी भी नहीं मिल पाती है।

यूपी में मदरसों पर बड़ी खबर

बता दें कि उत्तर प्रदेश में 25 हजार मदरसा संचालित हो रहे हैं। जिसमें 16500 से अधिक मदरसा यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। जांच में 5 हजार के पास अस्थायी मान्यता का पता चला है। कुछ तो बीते 25 वर्षों में मान्यता के मानक पूरे नहीं कर सके हैं। शिक्षा का अधिकार व धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के नाम पर चल रहे तमाम मदरसों ने मान्यता का नवीनीकरण कराना तक जरूरी नहीं समझा व धड़ल्ले से उसे संचालित कर रहे हैं।

बीजेपी-बीजेडी के बीच गठबंधन तय! जानें सीट शेयरिंग का फॉर्मूला

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लोकसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी दलों का गठबंधन “इंडिया” खुद को मजबूत करने में जुटे हैं। हालांकि एकजुटता की बात कर रहे विपक्षी दलों के गठबंधन को लगभग कई राज्यों में झटका लगा है। वहीं बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का कुनबा बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच चर्चा है कि ओडिशा में भी बीजेपी और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल के बीच गठबंधन होना लगभग फाइनल माना जा रहा है। 

बुधवार को ओडिशा इकाई के भाजपा नेताओं ने अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ दिल्ली में मुलाकात की। दिल्ली में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के साथ ओडिशा कोर कमेटी की बैठक हुई। भाजपा के वरिष्ठ नेता जुएल ओरांव ने बताया कि इसमें राज्य की सभी 21 लोकसभा सीटों के साथ-साथ राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर चर्चा हुई। जब उनसे राज्य में बीजेडी और भाजपा के गठबंधन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने यह कहते हुए बचने की कोशिश की कि इस बारे में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही फैसला करेगा। वहीं, इसी दिन बीजेडी नेताओं ने सीएम नवीन पटनायक के आवास पर बैठक की। 

सीट शेयरिंग पर दोनों दलों में बात लगभग तय

रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों में बातचीत लगभग पूरी हो गई है। अब बस अंतिम मुहर लगना बाकी है। जानकारी के मुताबिक, BJD राज्य की 13 से 14 पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। वहीं, बीजेपी को 6 से 7 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। माना जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो राज्य की 147 विधानसभा सीटों पर भी दोनों पार्टियां चुनाव लड़ेगी। जानकारी के मुताबिक, ओडिशा में बीजेडी 95 से 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं, बीजेपी 46 से 52 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अगले एक-दो दिनों में बीजेपी- बीजेडी के बीच गठबंधन को लेकर औपचारिक ऐलान हो सकता है। 

ऐसा हो सकता है सीट शेयरिंग का फॉर्मूला

बता दें कि ओडिशा में 21 लोकसभा सीटें हैं। वर्तमान में बीजद के पास 12 भाजपा के पास आठ और कांग्रेस के खाते में एक सीट है। गठबंधन की स्थिति में भाजपा पांच-छह सीटें ज्यादा चाहेगी और बदले में विधानसभा में कुछ ज्यादा सीटें दे सकती है। बताते हैं कि फिलहाल भाजपा लोकसभा की 14 सीटें चाहती है और बीजद को सात सीटें देना चाहती है।बदले में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजद को 95-97 सीटें देने का प्रस्ताव है। ऐसे में भाजपा के पास 50-52 सीटें बचेंगी। बीजद ज्यादा हिस्सेदारी चाहता है क्योंकि वर्तमान में दोनों सदनों में उसकी संख्या इससे अधिक है। बताते हैं कि बीजद 102 से ज्यादा विधानसभा सीटें चाहता है।

क्या 15 साल बाद फिर हाथ मिलाने वाले हैं दोनों दल

पीएम मोदी ने हाल ही में अपने ओडिशा दौरे के दौरान कुछ ऐसे संकेत दिए जिससे यह लगने लगा है कि 15 साल बाद एक बार फिर दोनों दल हाथ मिलाने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को ओडिशा में थे। यहां उन्होंने जाजपुर में 19,600 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। माना जा रहा था कि नवीन पटनायक पीएम से नाराजगी जाहिर कर सकते हैं, क्योंकि बीते दिनों बीजेडी के चार विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके इतर एक बार फिर पीएम मोदी और नवीन पटनायक ने एक-दूसरे की तारीफ की। दोनों ने एक- दूसरे के काम की सराहना की। इससे पहले भी पीएम जब ओडिशा आए थे तो उन्होंने भरे मंच से रैली में नवीन पटनायक को मित्र बताया था और दोनों गर्मजोशी से मिले थे।

वैसे पीएम जब विपक्ष शासित राज्य में जाते हैं तो सीएम के सामने भी तंज कसने में संकोच नहीं करते। ओडिशा से पहले तेलंगाना में उन्होंने ऐसे ही चुटकी ली थी। लेकिन, यहां अलग गर्मजोशी दिखी। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि भाजपा और नवीन बाबू की पार्टी बीजेडी के बीच कुछ पक रहा है।

ईडी की शिकायत पर केजरीवाल को कोर्ट का समन, 16 मार्च को होना होगा पेश

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। शराब घोटाला से जुड़े मामले में केजरीवाल एक नई मुश्किल में घिरते दिख रहे हैं। दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) द्वारा की गई दूसरी शिकायत पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को 16 मार्च को पेश होने का आदेश दिया है।बता दें कि ईडी के 8 समन के बाद भी दिल्ली के सीएम जांच एजेंसी के सामने पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए थे। इसके बाद ईडी ने दोबारा कोर्ट का रुख किया था। जिसपर कोर्ट ने केजरीवाल को पेशी के लिए समन भेजा है।

प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में बार-बार समन का पालन न करने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक नई शिकायत दिल्ली कोर्ट में दी। ईडी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने चार से आठ समन का पालन नहीं किया है। जिसके बाद एसीएमएम दिव्या मल्होत्रा ने ईडी की शिकायत को सूचीबद्ध कर लिया और सात मार्च को सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की थी। 

केजरीवाल के खिलाफ आठ समन हो चुके हैं जारी

दिल्ली शराब घोटाले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं और इसी मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने दिल्ली मुख्यामंत्री अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया है। इससे पहले 27 फरवरी को भी ईडी ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा था। लेकिन केजरीवाल आठवें समन पर भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। इससे पहले बीती साल 2 नवंबर, 21 दिसंबर और इस साल 3 जनवरी, 18 जनवरी, 2 फरवरी, 14 फरवरी और 22 फरवरी और 3 मार्च को ईडी केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन जारी कर चुकी थी।

क्या है पूरा मामला?

आरोप है कि दिल्ली सरकार ने 2021-22 के लिए एक्साइज नीति के तहत जिन शराब व्यापारियों को लाइसेंस जारी किए थे, उन्होंने इसके लिए रिश्वत दी थी और साथ ही मनपसंद शराब व्यापारियों को ही लाइसेंस जारी किए गए। दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021/22 को बनाने और उसके क्रियान्वयन में घोटाले के आरोपों के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 20 जुलाई, 2022 को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। जिसके बाद 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने शिकायत दर्ज की थी। जिसमें तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया था।सीबीआई के बाद ईडी ने 22 अगस्त, 2022 को आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एंगल पर जांच शुरू की। दिल्ली की आबकारी नीति में घोटाले के आरोप लगे हैं। इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। वहीं, इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से ईडी जांच में जुटी है। केंद्रीय एजेंसियों ने अब तक इस मामले में आप के दो बड़े नेताओं मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को गिरफ्तार किया है।

धारा-370 हटने के बाद पीएम मोदी का पहला कश्मीर दौरा आज, 6400 करोड़ की योजनाओं की देंगे सौगात, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

#pm_modis_first_visit_to_kashmir_after_removal_of_article_370 

अनुच्छेद 370 हटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को पहली बार कश्मीर यात्रा पर पहुंच रहे हैं। पीएम मोदी रैली के दौरान 6400 करोड़ की 52 विकास परियोनाओं का शुभारंभ व लोकार्पण करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी गुरुवार को श्रीनगर के बख़्शी स्टेडियम में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कश्मीर दौरे से पहले वहां सुरक्षा के बेहद कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।

पीएम मोदी श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में विकसित भारत विकसित जम्मू कश्मीर कार्यक्रम में भाग लेंगे और केंद्र शासित प्रदेश में कृषि-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये की पहल का उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री का विजन इन स्थलों पर विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का निर्माण करके देश भर के प्रमुख तीर्थ और पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के समग्र अनुभव को बेहतर बनाना है। पीएम 1400 करोड़ रुपये से ज्यादा की स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजनाओं के तहत कई पहल शुरू करेंगे।

इस दौरान प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर के लगभग 1,000 युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे और विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ बातचीत भी करेंगे। इन लाभार्थियों में महिला अचीवर्स, लखपति दीदी, किसान, उद्यमी आदि शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के लिए आकाश से जमीन और नदी-नालों तक सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है। श्रीनगर शहर को ड्रोन और क्वाडकॉप्टर के संचालन के लिए अस्थायी रेड जोन घोषित कर दिया गया है। निगरानी के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि कार्यक्रम स्थल के आसपास दो किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा बल पैदल गश्त कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान उनके रास्ते में पड़ने वाले कई विद्यालय बुधवार और बृहस्पतिवार के लिए बंद कर दिए गए हैं, जबकि बृहस्पतिवार को होने वाली बोर्ड की परीक्षाएं अगले महीने तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं। अधिकारियों ने कहा कि किसी भी विध्वंसक गतिविधि को अंजाम देने के लिए झेलम नदी और डल झील जैसे जल निकायों का उपयोग रोकने के मकसद से समुद्री कमांडो तैनात किए गए हैं।

बता दें कि साल 2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का ये पहला कश्मीर दौरा है। इससे पूर्व सात नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर में एक जनसभा के दौरान 80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया था। वहीं से कश्मीर के आधारभूत ढांचे और विकास योजनाओं के नए युग की शुरुआत हुई थी। इनमें से कई योजनाएं पूरी हो चुकी हैं और कुछ अंतिम चरण में है। आठ वर्ष बाद वह दूसरी बार और पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पहली बार घाटी में कश्मीरियों को संबोधित करेंगे। हालांकि, बीते महीने प्रधानमंत्री ने जम्मू का दौरा कर वहाँ कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया था। 

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील किया था। पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फ़ैसला देते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने का फ़ैसला बरक़रार रखा।

राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने चेताया, भविष्य में सोच समझकर बयान देने की सलाह

#election_commission_of_india_issues_advisory_to_rahul_gandhi

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी को जनसभाओं के दौरान बयानबाजी के लिए सतर्कता बरतने की एडवायजरी जारी की है। जिसमें चुनाव आयोग ने भविष्य में सोच समझकर बयानबाजी करने की सलाह दी है। राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘पनौती’ और ‘जेबकतरा’ कहकर तंज कसने के मामले में चुनाव आयोग ने यह संज्ञान लिया है।

चुनाव आयोग ने पीएम मोदी के खिलाफ बयानों और टिप्पणियों से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश और राहुल गांधी के जवाबों और अन्य तथ्यों पर विचार-विमर्श के बाद यह एडवाइजरी जारी की है।दरअसल, राहुल गांधी की तरफ से की गई बयानबाजी का मामला जब दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा तो अदालत ने चुनाव आयोग से इसको लेकर एक्शन लेने की बात कही थी।

ईसी ने पिछले साल दिसंबर के दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए गांधी से चुनाव प्रचार के दौरान स्टार प्रचारकों और राजनीतिक नेताओं के लिए अपनी हालिया सलाह का सही ढंग से पालन करने के लिए भी कहा। यह एडवाइजरी 1 मार्च को जारी की गई थी, जिसमें ईसी ने चेतावनी दी थी कि आदर्श आचार संहिता के किसी भी उल्लंघन के लिए पार्टियों, उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों को केवल नैतिक निंदा के बजाय कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि जिन स्टार प्रचारकों और उम्मीदवारों को पहले नोटिस मिला है, उन्हें दोबारा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

चुनाव आयोग ने पिछले साल राहुल गांधी को नोटिस जारी किया था, जब कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री के लिए “पनौती” और “जेबकतरे” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था।चुनाव आयोग ने 23 नवंबर को राहुल गांधी को नोटिस जारी कर राजस्थान में विधानसभा चुनाव में उनके भाषणों के बारे में उनका रुख पूछा था।

दरअसल, राहुल गांधी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था- पीएम का मतलब है, 'पनौती मोदी'। उन्होंने विश्व कप के फाइनल मैच का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे लड़के अच्छा खासा वर्ल्ड कप जीत रहे थे। लेकिन, उन्हें हरवा दिया।

इसके अलावा जिस 'जेबकतरे' वाले तंज पर नोटिस जारी किया गया है उसकी कहानी राहुल गांधी लगभग हर सभा में सुना रहे हैं। कहते हैं- 'जेब काटने के लिए तीन लोग आते हैं। एक जेब कतरा ध्यान भटकाने की कोशिश करता है। दूसरा पीछे से अकार जेब काटता है। तीसरा खड़ा होकर देखता रहता है और आक्रमण करने की फिराक में रहता है। जेब कतरे की तरह ध्यान भटकने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। जेब काटने वाले अदाणी है और लाठी मारने वाले अमित शाह हैं।

धारा 370 हटने के बाद पीएम मोदी का पहली बार कश्मीर दौरा, सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

#srinagar_pm_modi_will_visit_kashmir_tomorrow

अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बाद पहली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को कश्मीर यात्रा पर पहुंच रहे हैं। इस दौरान श्रीनगर में कई विकास परियोजनाओं का अनावरण करेंगे और एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी गुरुवार को श्रीनगर के बख़्शी स्टेडियम में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कश्मीर दौरे से पहले वहां सुरक्षा के बेहद कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। 

पीएमओ के मुताबिक नगर के बख्शी स्टेडियम में एक समारोह में प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर में कृषि-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये के 'समग्र कृषि विकास कार्यक्रम' राष्ट्र को समर्पित करेंगे। टूरिज्म सेक्टर को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए, प्रधानमंत्री स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना के तहत 1400 करोड़ रुपये से अधिक की 52 पर्यटन क्षेत्र परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करेंगे और लॉन्च करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर के लगभग 1,000 युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे और विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ बातचीत भी करेंगे। इन लाभार्थियों में महिला अचीवर्स, लखपति दीदी, किसान, उद्यमी आदि शामिल हैं।

पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। बख़्शी स्टेडियम को सुरक्षाबलों ने एक तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लिया है। पूरे शहर में गाड़ियों की चेकिंग की जा रही है और हर तरफ़ चेक प्वाइंट्स बनाए गए हैं। कई जगहों पर बैरिकेडिंग की गई है और लोगों को गाड़ियों से उतारकर उनकी चेकिंग की जा रही है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हर जगह सुरक्षा के चाकचौबंद प्रबंध किए जा रहे हैं।

साल 2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का ये पहला कश्मीर दौरा है। इससे पूर्व सात नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर में एक जनसभा के दौरान 80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया था। वहीं से कश्मीर के आधारभूत ढांचे और विकास योजनाओं के नए युग की शुरुआत हुई थी। इनमें से कई योजनाएं पूरी हो चुकी हैं और कुछ अंतिम चरण में है। आठ वर्ष बाद वह दूसरी बार और पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पहली बार घाटी में कश्मीरियों को संबोधित करेंगे। हालांकि, बीते महीने प्रधानमंत्री ने जम्मू का दौरा कर वहाँ कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया था। 

बता दें कि मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील किया था। पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फ़ैसला देते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने का फ़ैसला बरक़रार रखा।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की सजा, चुनाव लड़ने पर लगा ग्रहण

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नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण, रंगदारी मांगने, धमकाने और आपराधिक साजिश के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उसके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात-सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। जौनपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि मंगलवार को कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम को दोषी करार दिया था।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के एक मैनेजर के अपहरण के मामले में धनंजय सिंह को अपर सत्र न्यायाधीश शरद त्रिपाठी द्वारा मंगलवार को दोषी करार दिया गया। सजा के ऐलान के बाद एक अधिवक्ता ने बताया कि मुजफ्फरनगर निवासी जौनपुर के नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी मांगने व अन्य धाराओं में धनंजय सिंह व उनके साथी संतोष विक्रम पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा था कि संतोष विक्रम दो साथियों के साथ वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास पर ले गया। वहां धनंजय सिंह ने वादी को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाया। इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगी। मामले में एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने धनंजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया था, हालांकि बाद में जमानत मिल गई थी। मंगलवार को मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दोनों को दोषी करार दिया था और अब उन्हें सात साल की सजा सुना दी गई है।

लोकसभा चुनाव से पहले जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि धनंजय सिंह इस बार जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे। बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने जौनपुर सीट के लिए काफी जद्दोजहद की, लेकिन बीजेपी यह सीट जेडीयू को नहीं दी। बीजेपी ने इस सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके बाद धनंजय सिंह की उम्मीदों पर पानी फिर गया। माना जा रहा था कि धनंजय अब जेडीयू छोड़कर किसी अन्य दल से अथवा निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि अब धनंजय सिंह लोकसभा और विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

भारत को देश नहीं मानते डीएमके सांसद ए राजा, जानें

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डीएमके नेता ए राजा एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। मामला उनके भारत और सनातन धर्म को लेकर दिए गए विवादित बयान का है। ए राजा ने भारत को एक देश मानने से इनकार किया है। ए राजा की मानें को भारत एक देश नहीं है, बल्कि एक उपमहाद्वीप है। ए राजा के इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया है। इस बयान की न केवल बीजेपी बल्कि डीएमके की सहयोगी कांग्रेस ने भी निंदा की। बीजेपी ने राजा की टिप्पणी को विभाजन का आह्वान बताते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की। कांग्रेस ने कहा कि बोलते समय उन्हें संयम बरतना चाहिए।

इससे संबंधित एक वीडियो सामने आया है। तमिल में दिया गया ए राजा के इस भाषण का वीडियो क्लिप अंग्रेज़ी सबटाइटल के साथ सोशल मीडिया पर पिछले दो दिन से वायरल हो रहा है।जिसमें राजा कहते नजर आ रहे हैं - भारत एक राष्ट्र नहीं है। इस बात को अच्छे से समझ लें। भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा।ए राजा ने कहा कि एक राष्ट्र एक भाषा, एक परंपरा और एक संस्कृति को दर्शाता है और ऐसी विशेषताएं ही एक राष्ट्र का निर्माण करती हैं। भारत एक उपमहाद्वीप है जहां कई प्रथाएं और परंपराएं हैं।

ए राजा ने कहा, तमिलनाडु में एक भाषा-एक संस्कृति हैं। यह एक देश है। मलयालम एक भाषा है, उनका एक राष्ट्र है। ओडिशा एक देश है, वहां एक भाषा है। केरल में अलग, दिल्ली में अलग भाषा और संस्कृति है। ये सारे देश मिलकर भारत को बनाते हैं। इसलिए भारत एक देश नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है।

डीएमके नेता ए राजा वीडियो में कहते नजर आ रहे हैं कि अगर आप कहेंगे कि ये आपके ईश्वर हैं और भारत माता की जय तो हम उस ईश्वर और भारत माता को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। कह दो इनको, हम सब राम के शत्रु हैं। मुझे रामायण और भगवान राम पर विश्वास नहीं है। राजा ने भगवान हनुमान की तुलना बंदर से करते हुए 'जय श्री राम' के नारे को घृणास्पद बताया।

ए राजा का बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को सनातन विरोधी बयानबाजी पर फटकार लगाते हुए कहा था कि उन्हें अपने बयान के नतीजे पता होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और अब आप राहत मांग रहे हैं। आप आम आदमी नहीं हैं, राजनेता हैं।

2024 के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र तैयार, लागू कर सकती है सच्चर कमेटी की सिफारिशें

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आम चुनाव में अब महज चंद दिन रह गए हैं। हालांकि, चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। इस बीच सभी राजनीतिक दल पूरे जोर शोर से चुनावी रणनीति तय करने में जुटे हे हैं। इस बीच खबर आ रही है कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणापत्र को लगभग अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने कोई सूची तो नहीं जारी की है मगर पार्टी ने अपनी घोषणापत्र पर काम पूरा कर लिया है। इसे आने वाले दिनों में कांग्रेस कार्य समिति द्वारा पारित होने के बाद जारी किया जाएगा।

कांग्रेस के घोषणापत्र के ब्लूप्रिंट की बात करें तो इसमें रोजगार, महंगाई से राहत और सामाजिक न्याय पर खास फोकस किया गया है। युवाओं को अपने पाले में करने की रणनीति के तहत कांग्रेस केंद्र सरकार में खाली पड़े 30 लाख सरकारी पदों को भरने का वादा करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इस घोषणापत्र में वह बेरोजगारी से निपटने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण देने से जुड़ी योजना लाने तथा 'अग्निपथ' योजना को खत्म करने जैसे कई बड़े वादे कर सकती है।चुनाव से पहले बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों को बड़े पैमाने पर उठाने के बाद कांग्रेस जर्मनी जैसे कुछ विकसित देशों की तर्ज पर युवाओं के लिए एक योजना की घोषणा कर सकती है। इस योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण और साथ साथ ही एक निश्चित मानदेय दिया जाता है। 

कांग्रेस के घोषणापत्र में महिलाओं के लिए 6 हजार महीना और केंद्र सरकार की नौकरियों में 33% आरक्षण का जिक्र भी किया गया है। ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए जाति आधारित जनगणना करवाने और पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने का भी वादा किया गया है।

कांग्रेस पार्टी न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने और सरकारी रिक्तियों को भरने के लिए देश में जाति-आधारित जनगणना का वादा करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। कांग्रेस कुछ कल्याणकारी उपायों पर जोर दे सकती है जैसे कि समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना कि उन्हें न्याय मिले और वो राज्य कल्याण उपायों का हिस्सा बनें।

पिछले लोकसभा चुनाव के वादे को दोहराते हुए कांग्रेस न्यूनतम आय योजना के तहत गरीबों को 72 हजार सालाना देने का वादा करेगी। घोषणापत्र के लिए तैयार दस्तावेज में मुस्लिमों को लुभाने के लिए सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का जिक्र भी किया गया है।

बताया जा रहा है कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाली घोषणा पत्र समिति ने चुनाव मुद्दों के संदर्भ में लंबी मंत्रणा की है। समिति के प्रमुख सदस्यों ने मंगलवार दोपहर पार्टी मुख्यालय में बैठक की और दस्तावेज़ को अंतिम रूप दिया। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 16 सदस्यों की की एक समिति बनाई थी जिसका काम घोषणापत्र तैयार करना था। पिछले साल दिसंबर में बनी इस कमिटी के अध्यक्ष पूर्व वित्त मंत्री पीं चिदंबरम हैं। चिदंबरम के अलावा टीएस सिंह देव, प्रियंका गांधी वाड्रा, सिद्धारमैया, जयराम रमेश, शशि थरूर, प्रवीन चक्रवर्ती, इमरान प्रतापगढ़ी, रंजीत रंजन, ओमकार सिंह मरकाम, जिग्नेश मेवानी शामलि हैं।

महाराष्ट्र-बिहार में एनडीए गठबंधन में “गांठ”, सीट बंटवारे पर फंसा पेंच

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आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। देश में इस बार एनडीए बनाम इंडिया होगा। चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है। दोनों गठबंधनों में हलचल तेज होती जा रही है। सीट शेयरिंग को लेकर एक तरफ तो इंडिया गठबंधन पूरी तरह से कमजोर पड़ती दिख रही है। वहीं, एनडीए में महाराष्ट्र और बिहार में पेंच फंसता दिख रहा है।खास बात ये है कि दोनों ही राज्यों में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है ऐसे में पार्टी ज्यादा सीटें हासिल कर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है। लेकिन सहयोगी दलों की नाराजगी उसके लिए परेशानी की सबब बनती जा रही है।

महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें है, जिसमें 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 25 और शिवसेना 23 सीट पर चुनाव लड़ी थी। बीजेपी ने 23 सीटें तो शिवसेना ने 18 सीटें जीती थी। विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर विपक्षी खेमे के साथ हाथ मिला था। शिवसेना और एनसीपी दो धड़ों में बट गई है। उद्धव ठाकरे का तख्तापलट कर शिवसेना पर अपना कब्जा जमाने वाले एकनाथ शिंदे और शरद पवार से एनसीपी को छीनने वाले अजीत पवार ने बीजेपी से हाथ मिला लिया है। इस तरह महाराष्ट्र में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए का कुनबा बड़ा हो गगया है, जिसमें शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार शामिल है। बीजेपी ने राज्य की 48 में से 30 लोकसभा सीटों पर खुद चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रखी है जबकि 18 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ रही है। बीजेपी इन 18 सीटों में से 12 सीटें एकनाथ शिंदे की शिवसेना और 6 सीटें अजीत पवार की एनसीपी को देना चाहती है, जिस पर दोनों सहयोगी दल सहमत नहीं हैं। शिंदे गुट ने उन सभी 22 सीटों पर दावा किया है,जिन पर 2019 में शिवसेना ने चुनाव लड़ी थी और 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। अजीत पवार की एनसीपी 10 सीटों की डिमांड कर रही है। 

महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसा नजर आ रहा है। ऐसे में अमित शाह के दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।माना जा रहा है कि शाह जल्द ही सीट शेयरिंग का कोई फॉर्मूला तय करने वाले हैं।

वहीं दूसरी बिहार में हर बीतते दिन के साथ सियासी पारा बढ़ता जा रहा है।कहा जा रहा है कि एनडीए के घटक दलों में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर लगभग सहमति बन गई है। जबकि अन्य दलों में अभी इसपर पेंच फंसा हुआ है।पेंच फंसने की वजह बाकी चार छोटे सहयोगी दलों को बताया जा रहा है।चिराग पासवान की लोजपा रामविलास, पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर) के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है।चिराग पासवान की और पशुपति पारस के बीच सीटों को लेकर सबसे ज्यादा पेंच दिख रहा है। दोनों खुद को रामविलास पासवान का सियासी वारिस बताकर पुराने फॉर्मूले पर सीटों का दावा कर रहे हैं।

2019 में लोग जनशक्ति पार्टी जब एक थी, तब पार्टी ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी।लेकिन उसके बाद पार्टी में टूट हो गई और चाचा पशुपति पारस के साथ 5 सांसद चले गए और चिराग पासवान अकेले रह गए।अब जब एनडीए में सीट शेयरिंग पर बातचीत चल रही है, तो चिराग पासवान चाहते हैं कि उन्हें 2019 के ही फार्मूले पर 6 सीटें दी जाएं।जबकि उतनी ही सीट पर पशुपति पारस की पार्टी की तरफ से भी दावेदारी की जा रही है।बताया जा रहा है कि चिराग पासवान हाजीपुर सीट को भी लेकर अड़े हुए हैं,चिराग चाहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव वह हाजीपुर लोकसभा सीट से लड़ें, जो कि उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान की परंपरागत सीट रही है,जबकि वहां से मौजूदा सांसद और उनके चाचा पशुपति पारस एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।

बता दें कि बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद के लिए 370 और एनडीए के 400 पार सीटों का टारगेट रखा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए ने महाराष्ट्र और बिहार की 88 लोकसभा सीटों में से 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों से ज्यादा सीटें जीती थी और उसे 2024 में उसे बढ़ाने की कोशिश में है। बीजेपी ने 2024 में जो अपना टारगेट जो सेट कर रखा है, उस लिहाज से दोनों राज्य सियासी तौर पर काफी अहम माने जा रहे हैं। सहयोगी दल जिस तरह से सीटों की डिमांड कर रहे हैं, वो बीजेपी के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है।