700 करोड़ की लागत से बने अबू धाबी के मंदिर में उमड़ा जनसैलाब, वहां का पहला हिंदू मंदिर का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया था
अबू धाबी का पहला हिन्दू मंदिर जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी 2024 को किया था। अब आम लोगों के दर्शनों के लिये खोल दिया गया है। आपको याद दिला दें कि इस मंदिर के निर्माण को प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम के संबोधन के दौरान यूएई के राष्टपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ मंदिर के विषय में एक वाक्या भी शेयर किया था कि कैसे यूएई के राष्ट्रपति ने उनसे कहा था कि जहां आप लकीर खींच देंगे वह जमीन आपकी हो जाएगी। मंदिर निर्माण और उसके उद्घाटन के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई की राष्टपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को धन्यवाद भी ज्ञापित किया था। अबू धाबी के इस हिन्दू मंदिर को 1 मार्च को आम लोगो के दर्शनों के खोल दिया गया है। इस मंदिर में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। बताया गया है कि एक ही दिन में 40000 से अधिक लोगों ने मंदिर में दर्शन किये हैैं जो कि एक रिकार्ड है।
फैला है 27 एकड़ क्षेत्र में और 700 करोड़ है लागत
दुबई के अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल राहबा के निकटट यह हिन्दू मंदिर लगभग 27 एकड़ की क्षेत्रफल में निर्मित किया गया है और बताया गया है कि इसके निर्माण में लगभग 700 करोड़ खर्च हुए हैैं। मंदिर के लिये जो जमीन है वह यूएई सरकार द्वारा मंदिर समिति को दान में दी गई है। मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। इसी तरह अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में स्वंयसेवक उमेश राजा के अनुसार, 20 हजार टन से अधिक चूना पत्थर के टुकड़ों को राजस्थान में तराशा गया और 700 कंटेनर में अबू धाबी लाया गया।
मंगलवार से रविवार सुबह 9 से रात 8 बजे खुला रहता है मंदिर
यह मंदिर सोमवार को छोड़कर सभी दिन सुबह नौ बजे से रात आठ बजे तक खुला रहेगा। बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने कहा था, यहां वास्तुशिल्प पद्धतियों को वैज्ञानिक तकनीकों के साथ जोड़ा गया है। तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर 300 से अधिक उच्च तकनीक वाले सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए कांक्रीट मिश्रण में 55 प्रतिशत सीमेंट की जगह राख का उपयोग किया गया है।
Mar 05 2024, 20:00