सुप्रीम कोर्ट की सरकार को चेतावनी, कहा-कोस्ट गार्ड में महिलाओं को स्थायी कमीशन दें नहीं तो हम देंगे
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इंडियन कोस्ट गार्ड में महिला कोस्ट गार्ड अधिकारियों को स्थायी कमीशन के मामले में दायर एक याचिका पर सोमवार को 'सुप्रीम' सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सेना कोस्ट गार्ड में महिलाओं के परमानेंट कमीशन को लेकर सरकार को चेतवनी दी है। कोर्ट ने कहा है कि महिलाओं को इससे बाहर नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि महिलाओं को भारतीय तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन दिया जाए। पीठ ने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो अदालत ऐसा करेगी।
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गार्ड की एक महिला अफसर ने याचिका में कहा था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन की काबिल महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन दिया जाए। शीर्ष अदालत ने केंद्र से इस याचिका जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई 1 मार्च के लिए तय की है। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पहले महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने से इनकार करने के लिए केंद्र और भारतीय तटरक्षक बल को कड़ी फटकार लगाई और कहा था कि समुद्री बल को एक ऐसी नीति बनानी चाहिए जो महिलाओं के साथ ‘निष्पक्ष’ व्यवहार करे।
सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि कोस्ट गार्ड नेवी और आर्मी से अलग है। एक बोर्ड का गठन किया गया है, जो इन मामलों को देखता है। हालांकि हम इंडियन कोस्ट गार्ड से एक एफिडेविट फाइल करने के लिए कहेंगे। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
सरकार की दलील पर सीजीआई चंद्रचूड़ ने कहा- 'ये सारी बातें और फंक्शनैलिटी 2024 में कोई मायने नहीं रखती है। आपके बोर्ड में महिलाएं भी होनी चाहिए। हम उन्हें बाहर नहीं रख सकते हैं। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो हम करेंगे, इसलिए इस मामले पर ध्यान दीजिए।'










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Feb 27 2024, 10:01
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