*40 साल बाद अब गांवों के किसानों को मिलेगी खतौनी*
चकबंदी में फंसा था मामला, तहसीलदार ने खतौनी बनाने के दिए निर्देश
नितेश श्रीवास्तव,भदोही। चकबंदी के चक्रव्यूह में फंसे डीघ ब्लॉक की चार ग्राम पंचायतों में करीब चार दशक बाद खतौनी मिलने की उम्मीद जग गई है। तहसीलदार ने चार लेखपालों की टीम लगाकर खतौनी जारी करने का निर्देश दिया।
खतौनी न मिलने से पांच हजार किसानों को केसीसी, सम्मान निधि समेत कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।जिले में सर्व प्रथम चकबंदी प्रक्रिया 1962 में शुरू की गई थी। उसके बाद दूसरे चरण में 1984 में हुई। चालीस वर्ष बाद भी डीघ, धनतुलसी,बहुपुरा और भमौरी गांव में चकबंदी प्रकिया पूर्ण नहीं हो सकी। वर्तमान समय में भी यहां के काश्तकारों को तहसील से खतौनी नहीं मिलती है। चकबंदी न होने से भूमि विवादों की जहां अधिकता है वहीं छोटे-छोटे जोत होने से किसानों को जोताई कराने में दिक्कत उठानी पड़ रही है।
चालीस वर्षों के बाद चकबंदी विभाग नाटकीय ढंग से इस प्रक्रिया पर बिराम लगाने के लिए विभाग को अधूरा रिकार्ड भेज दिया लेकिन राजस्व विभाग उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। जिसके कारण इन गांव में खतौनी जारी नहीं हो सका। इसको लेकर संगठनों से लेकर ग्राम प्रधानों ने पूर्व में आवाज भी उठाई, लेकिन कोई भी कर्मचारी आगे नहीं बढ़ा।
एक सेवानिवृत्त लेखपाल ने बताया कि चकबंदी विभाग की लापरवाही से कई अभिलेख गायब हो चुके हैं, जिससे कोई भी लेखपाल वहां हाथ नहीं डालना चाहता। ज्ञानपुर तहसीलदार ने चार लेखपालों की टीम लगाकर खतौनी जारी करने का निर्देश दिया।
इसमें डीघ उपरवार में संजय गुप्ता, भमौरी में प्रशांत कुमार, धनतुलसी में त्रिवेणी सिंह, बहुपुरा में प्रशांत को भेजा गया है। तहसीलदार अजय कुमार सिंह ने कहा कि खतौनी बनने से करीब पांच हजार किसानों को लाभ मिलेगा।
कितना है डीघ का क्षेत्रफल
तहसील के डीघ गांव में दूसरे चरण में 1984 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस गांव का क्षेत्रफल सात हजार छह सौ 72 एकड़ कृषि योग्य जबकि 367 एकड़ भूमि ग्राम समाज है। चकबंदी न होने से काश्तकारों को सरकारी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। यही नहीं चकबंदी पूर्ण न होने से किसानों को क्रेडिट कार्ड भी नहीं बन पाते हैं।
अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें
Feb 20 2024, 17:28