*तीन सीजन में दस हजार से अधिक किसानों की फसल बर्बाद, 2525 को ही मिली क्षतिपूर्ति*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों ने उठाया है। तीन सीजन में मौसम की वजह से जिले के दस हजार से अधिक किसानों की फसल बर्बाद हो गई।
बीमा कंपनियों की ओर से महज 2525 प्रभावित किसानों को ही क्षतिपूर्ति दी गई। करीब 75 फीसदी किसानों को कागजगात पूरे होने का हवाला देकर क्षतिपूर्ति रोक दी गई। आंकड़ों पर नजर डालें तो दो वर्षों में बीमा कपंनियों ने 17 हजार बीमाधारक किसानों से पांच करोड़ 35 लाख से अधिक का प्रीमियम वसूला, जबकि प्रभावित किसानों को सिर्फ 74 लाख रुपये ही भुगतान किया।
पांच करोड़ 35 लाख प्रीमियम में करीब तीन करोड़ रुपये बीमाधारक किसानों से वसूले गए थे। जबकि शेष राशि केंद्र और प्रदेश सरकार ने जमा की थी।जिले में रबी और खरीफ की खेती प्रमुखता से है। रबी सीजन में करीब 50 हजार हेक्टेयर में गेंहूं, चना, मटर और खरीफ सीजन में 30 से 32 हजार हेक्टेयर में धान, मक्का जैसे फसलों की खेती होती है।
2014 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी। दावा था कि इससे किसानों को बारिश, ओलावृष्टि सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान की भरपाई होगी। शुरुआत में तीन से चार वर्षों तक किसानों को योजना का भरपूर लाभ मिला। इसके बाद बीमा कंपनियों के जटिल कागजी नियम और शर्तों के कारण किसानों को क्षतिपूर्ति मिलना मुश्किल हो गया।
योजना में प्रभावित किसानों को 20 प्रतिशत से लेकर शत प्रतिशत क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है।खरीफ सीजन 2021 में 5216 बीमाधारक किसानों ने 45 लाख 52 हजार 630 रूपये प्रीमियम जमा किया। केंद्र और राज्य सरकार को मिलाकर यह रकम एक करोड़ 93 लाख 31 हजार 206 हो गया। इसमें सिर्फ 1143 किसानों को 34 लाख की क्षतिपूर्ति दी गई।
रबी सीजन में 4561 किसानों से 22 लाख 28 हजार 166 प्रीमियम मिलाकर कुल एक करोड़ 34 लाख लिया गया, जबकि 488 किसानों को ही क्षतिपूर्ति दी गई। खरीफ 2022 में 7175 किसानों से कुल सवा दो करोड़ प्रीमियम लिया गया, लेकिन लाभ देने के नाम पर सिर्फ 894 किसानों को क्षतिपूर्ति दी गई।
बीमा कंपनियों की ओर से तीनों सीजन में तकरीबन पांच करोड़ 35 लाख से अधिक प्रीमियम की रकम वसूल की गई, लेकिन तीनों सीजन में 75 लाख ही क्षतिपूर्ति दी गई। तीनों सीजन में जिले के करीब 10 हजार से अधिक किसानों की फसल जलजमाव, बीमारी और आग लगने से नष्ट हो गई। गिने-चुने किसानों को ही क्षतिपूर्ति मिली।
अभोली ब्लॉक के भंडा निवासी किसान हरिकेश सिंह, सूर्य नारायण तिवारी, ब्रहमदेव सिंह और धनंजय सिंह ने बताया कि जलजमाव से फसल नष्ट हो गई। बीमा कंपनी के प्रतिनिधि सर्वे करके चले गए।
क्षतिपूर्ति खाते में नहीं आई। इसी तरह सुरियावां बहुताचकडाही के बीमाधारक किसान जगदीश, रामनरेश, लल्लन की फसल बारिश के कारण बर्बाद हो गई। बीमा कंपनियों ने शर्तों का हवाला देकर क्षतिपूर्ति रोक दी।
मुआवजा देने का प्रावधान
ज्ञानपुर। योजना में फसल पूरी तरह बरबाद होने पर 47 हजार 950 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से प्रभावित किसान को मुआवजा देने का प्रावधान है। किसानों के मुताबिक प्रति हेक्टेयर खेती करने में लगभग 40 से 50 हजार रुपये की लागत आती है। फसल बर्बाद होने पर बीमा कंपनी इससे कम ही मुआवजा देती है।
जिन बीमाधारक किसानों के फसलों की क्षति होती है। सूचना के बाद बीमा कंपनी के प्रतिनिधि सर्वे कर नुकसान का आकलन करते हैं। उसके आधार पर क्षतिपूर्ति की जाती है। एक साल में जिले के 17 हजार किसानों में 10 हजार से अधिक किसानों ने फसल नष्ट होने की सूचना दी थी।
बीमा कंपनी आंकलन के आधार पर प्रभावित 2525 किसानों को 75 लाख से अधिक की क्षतिपूर्ति दी गई। - डॉ. अश्वनी सिंह, उप कृषि निदेशक।
Feb 07 2024, 17:27