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घाटशिला में सुसनी जोबनी निवासी आयुर्वेद चिकित्सक के पुत्र का सड़क दुर्घटना में निधन


घाटशिला :19 जनवरी 2024 को घाटशिला के सुसनी जोबनी निवासी आयुर्वेद के चिकित्सक डॉ अनंत कालिंदी तथा उनके इकलौते पुत्र हरीश कालिंदी का  सड़क दुर्घटना में ट्रक के चपेट में आने से अकास्मिक निधन हो गया।  

इस दुर्घटना में उनके साथ अंगद कालिंदी भी गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना की सूचना पाकर झारखंड कांग्रेस प्रदेश सचिव सह 20 सूत्री पूर्वी सिंहभूम जिला सदस्य श्री सनत कालटू चक्रवर्ती जी के द्वारा उनके घर जाकर उनके शोक संतृप्त परिवार से मिलकर उनको शोक संवेदना व्यक्त किया ।

उन्होंने कहा की फुलडुंगरी क्षेत्र में एनएच 18 पर हमेशा सड़क दुर्घटना होती रहती है परंतु एनएच ऑथरिटी और केंद्र सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं हैं उनको सिर्फ नोट छापना है, दो - दो टोल बूथ बना दिया है । बस पैसा डालो गाड़ी चलाओ उसके बाद कुछ भी हो उनको देखना नहीं है ।

इस जगह पर सुरक्षा के नाम से दो क्रॉस प्वाइंट को बंद कर दिया गया है क्या इससे स्थायी समाधान हो जाएगा, क्या इस तरफ के लोग उस तरफ और उधर के लोग इधर आना जाना नहीं करेंगे.. सड़क के एक तरफ अनुमण्डल हॉस्पिटल है, स्कूल है, पर्यटन स्थल हैं जबकी दूसरे तरफ प्रखंड कार्यालय है, कोर्ट है, बाज़ार है क्या लोग इन सबका प्रयोग नहीं करेंगे ।  

हमने पहले भी इस मुद्दे पर आंदोलन किया था और मांग किया था की इस जगह पर गोलचक्कर या फिर अंडर पास हो ना चाहिए परंतु उस वक्त केन्द्र के सत्ताधारी पार्टी के नेताओ ने कहा था की इनको सड़क का बन जाना हज़म नहीं हो रहा है ये लोग विकास विरोधी है और उनके बहकावे में आकार हमें बहुत ज्यादा जनसमर्थन नहीं मिला था ।

हम आज भी एनएच अथॉरिटी से मांग करते हैं की इस जगह पर अभिलंब गोलचक्कर या अंडर पास बनवाया जाए ताकी आम जनता को सहुलियत हो तथा आम जनता से भी इस मुद्दे पर समर्थन की अपेक्षा करते है ।

इस मौके पर घाटशिला कांग्रेस प्रखण्ड अध्यक्ष श्री सत्यजीत सीट जी, भुजंग भूषण मन्ना जी, विजय सीट जी, विश्वनाथ प्रताप सहित अन्य उपस्थित रहे ।

घाटशिला:नेताजी की जीवनी भारतीय युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक - लखन मार्डी


घाटशिला : आज महान क्रांतिकारी व आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती पर नेताजी उद्यान निर्माण समिति बेनासोल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नेताजी के आदम कद मुर्ति पर घाटशिला विधानसभा निवर्तमान भाजपा प्रत्याशी लखन मार्डी, शौर्य चक्र विजेता पूर्व सैनिक मोo जावेद, पूर्व सैनिक धानो टुडू, स्वर्गीय दिलीप बेसरा के माता-पिता, कैलाश मेहता,अप्पू अधिकारी ने माल्यार्पण किये।

श्री लखन मार्डी ने कहा एक महापुरुष के आह्वान पर हजारों लोग आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।जिसके जादुई और अद्भुत नेतृत्व कौशल ने भारतीय स्वतंत्र संग्राम में नई जान फूंकी। 23 जनवरी को आज महान स्‍वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस की जयंती है । 

आज कृतज्ञ राष्‍ट्र उन्‍हें याद कर रहा है।नेताजी की जीवनी, उनके क्रांतिकारी विचार और उनका कठोर त्याग व बलिदान भारतीय युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक रहा है और आगे भी रहेगा।

आज भारत पराक्रम दिवस भी मना रहा है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने वर्ष 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। 

सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ऐसे कई नारे दिए जिन्होंने आजादी की लड़ाई में नई जान फूंकी जैसे 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा....!', और जय हिन्द! ऐसे नारे थे जिन्होंने आजादी की लड़ाई को तेज किया और उसे धार दी. हमसब के दिलों में स्‍वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस के लिए एक आदर और आभार है। 

हर भारतवासी को अपने देश के लिए न्योछावर होने की सीख देती है, जब बात राष्ट्र की आती है तो हमारी जान भी देश के आगे कुछ नहीं है।मौके पर शौर्य चक्र विजेता मो० जावेद, पूर्व सैनिक धिनौ टुडू, पप्पू अधिकारी,कैलाश मेहता, सुन राम सोरेन, अमित चौरसिया, दिलीप कुमार हसदा, धनो मुर्मू, हेमंती मुर्मू, भोला दास,विनय शाह आदि उपस्थित थे।

नारायण आईटीआई चांडिल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जायंती मनाई गई


सरायकेला : कोल्हान के चांडिल अनुमंडल स्थित नारायण आईटीआई लुपुंगडीह कॉलेज परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जायंती मनाई गई ।

 इस अवसर पर संस्थान के सभी छात्र-छात्राएं एवं संस्थान के शिक्षक उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया ।

इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में कहा की वे 23 जनवरी 1897 - 1945 भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया "जय हिन्द" का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।

भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से सहायता लेने का प्रयास किया था, तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था।

नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' (सर्वोच्च सेनापति) के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया।

अपने सार्वजनिक जीवन में सुभाष को कुल 11 बार कारावास हुआ। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 में छह महीने का कारावास हुआ। 

इस कार्यकर्म के अवसर मुख्य रूप से उपस्थित थे जयदीप पांडे ,शांति राम महतो ,निखिल कुमार,गौरव महतो,देव कृष्णा महतो,अजय मंडल ,पवन कुमार महतो, आदि मौजूद थे।

बिष्णुपुर रेलवे स्टेशन पर चलाया गया UOM (UTS on mobile) एप्प एवं ATVM जागरूकता अभियान"

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सरायकेला : आद्रा मंडल में यात्रियों को अनारक्षित टिकट हेतु UOM (UTS on mobile) एप्प तथा ATVM मशीन का अघिक से अधिक उपयोग करने के लिए आद्रा मण्डल के विभिन्न स्टेशनो पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। भारतीय रेलवे द्वारा यात्रीयो को बेहतर सुविधा प्रदान करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है, इस प्रयास में अनारक्षित टिकट प्राप्त करने हेतु UOM (UTS on mobile) एप्प की व्यवस्था की गई है। 

UOM (UTS on mobile) एप्प एक मोबाइल टिकटिंग एप्प है, जिसके माध्यम से यात्रियों को अपने स्मार्टफोन पर अनारक्षित टिकट बुक करने की सुविधा प्रदान करती है। इससे यात्रियों को टिकट के लिए कतार में इंतज़ार करने की आवश्यकता नही होगी। वे UOM (UTS on mobile) एप्प और ATVM मशीन का उपयोग कर अनारक्षित टिकट, सीजन टिकट, आदि आसानी से प्राप्त कर सकते है। 

इस क्रम मे आज दिनांक-23.01.2024 को आद्रा मंडल के बिष्णुपुर रेलवे स्टेशन पर UOM (UTS on mobile) एवं ATVM के उपयोग से संबंधित जागरूकता अभियान चलाया गया और यात्रियों को UOM (UTS on mobile) एप्प तथा ATVM के उपयोग के प्रति जागरूक किया गया। साथ ही UOM (UTS on mobile) एप्प में पंजीकरण, एप्प के माध्यम से अनारक्षित टिकट बुक करने, एप्प वॉलेट रिचार्ज तथा ATVM का उयोग कर टिकट प्राप्त करने आदि की जानकारी प्रदान की गई।

 यह जागरूकता अभियान मंडल के विभिन्न स्टेशनों पर आगे भी जारी रहेगी।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127 वीं जयंती पर नौरंगराय सुर्यदेवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर रुचाप चांडिल के छात्र-छात्राओं ने निकाली रैली


सरायकेला : मंगलवार को नौरंगराय सुर्यदेवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर रुचाप चांडिल के भैया बहनो के द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127 वां जयंती पर एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। 

इस रैली मे विद्यालय के लग्भग 1000 भैया बहनो मे भाग लिया। यह पथ संचालन विद्यालय परिसर से प्रारंभ होकर डैम रोड, मिडिल स्कूल चांडिल, हाई स्कूल, बाजार, बस स्टैंड, तंति बांध होते हुए चांडिल बाईपास होकर पुनः विद्यालय परिसर मे आकर जयंती के रूप मे भव्य कार्यक्रम मे बदल गया।

 इस दौरान पुरा क्षेत्र नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जयकारे के साथ भारत माता की जय के नारे से गूंज उठा। समाजसेवी श्री अनिल जलान् जी के द्वारा सभी भैया बहनो के बीच पानी बोतल का वितरण किया गया। 

इसके बाद विद्यालय परिसर मे बड़े ही धूम धाम से नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती को पराकर्म दिवस के रूप मे मनाया गया। भैया बहनो ने जयंती पर स्वागत गीत, भाषण, नृत्य आदि संबंधित अनेक कार्यक्रम किये। कार्यक्रम को सुब्रत जी के द्वारा भी संबोधित किया गया जिन्होंने उनकी जीवनी के बारे मे बच्चों को अवगत कराया।

 कार्यक्रम के सफल संचालन मे विद्यालय के प्राचार्य श्री कुणाल कुमार, उप प्राचार्य श्री सुब्रत चटर्जी के साथ ही सभी आचार्य और दिदीजी की भूमिका सराहनिय रही।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127 वीं जयंती पर नौरंगराय सुर्यदेवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर रुचाप चांडिल के छात्र-छात्राओं ने निकाली रैली

सरायकेला : मंगलवार को नौरंगराय सुर्यदेवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर रुचाप चांडिल के भैया बहनो के द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127 वां जयंती पर एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। 

इस रैली मे विद्यालय के लग्भग 1000 भैया बहनो मे भाग लिया। यह पथ संचालन विद्यालय परिसर से प्रारंभ होकर डैम रोड, मिडिल स्कूल चांडिल, हाई स्कूल, बाजार, बस स्टैंड, तंति बांध होते हुए चांडिल बाईपास होकर पुनः विद्यालय परिसर मे आकर जयंती के रूप मे भव्य कार्यक्रम मे बदल गया।

 इस दौरान पुरा क्षेत्र नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जयकारे के साथ भारत माता की जय के नारे से गूंज उठा। समाजसेवी श्री अनिल जलान् जी के द्वारा सभी भैया बहनो के बीच पानी बोतल का वितरण किया गया। 

इसके बाद विद्यालय परिसर मे बड़े ही धूम धाम से नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती को पराकर्म दिवस के रूप मे मनाया गया। भैया बहनो ने जयंती पर स्वागत गीत, भाषण, नृत्य आदि संबंधित अनेक कार्यक्रम किये। कार्यक्रम को सुब्रत जी के द्वारा भी संबोधित किया गया जिन्होंने उनकी जीवनी के बारे मे बच्चों को अवगत कराया।

 कार्यक्रम के सफल संचालन मे विद्यालय के प्राचार्य श्री कुणाल कुमार, उप प्राचार्य श्री सुब्रत चटर्जी के साथ ही सभी आचार्य और दिदीजी की भूमिका सराहनिय रही।

सरायकेला : दीपक जलाकर सोना पड़ गया मंहगा, दो बाइक जलकर राख, हाई राम क्या हुआ,खुशी की झलक आशु बनकर रह गए।


सरायकेला :- अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर सोमवार को पूरे देश में महोत्सव मनाया गया । राम भक्तो अपने-अपने घर और प्रतिष्ठानों में दीपोत्सव मनाए। आतिशबाजी की और प्रभु श्रीराम का अभिनंदन किया, लेकिन दीपोत्सव मनाने के दौरान जरा सी लापरवाही बड़ी क्षति पहुंचा सकती है। लोगों को सावधानीपूर्वक उत्सव मनाने की जरूरत है। जरा सा चूक बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। 

कोल्हान के सरायकेला खरसावाँ जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के गुड़मा गांव में जरा सी चूक होने के कारण गुड़मा के दो बाइक जलकर राख हो गए। गनीमत रहा कि इस घटना में मकान नहीं जला, मकान को आंशिक क्षति पहुंचा है।

मिली जानकारी के अनुसार गुड़मा के रहने वाले पूर्णसिंह मुंडा अपने घर में सोमवार को दीप व मोमबत्ती जलाकर दीपोत्सव मना रहे थे. घर के अंदर व बाहर चारों ओर दीप व मोमबत्ती जलाकर प्रभु श्रीराम का अभिनंदन कर रहे थे। 

मकान के अंदर रखा था दो बाइक

पूर्णसिंह मुंडा ने उस कमरे में भी मोमबत्ती जलाया था, जहां उसके दो बाइक रखे थे. दोनों बाइक को उन्होंने कपड़ा से ढंककर रखा था. इसी दौरान शाम करीब आठ बजे कमरे में आग लग गई। संभावना जताई जा रही है कि मुर्गी के द्वारा मोमबत्ती को गिराए जाने के कारण कपड़े में आग लग गई होगी, जिसपर बाइक ढंका था । आग जब जोर पकड़ने लगी तब घरवालों को इसकी जानकारी मिली, इसके बाद अगल-बगल के लोग जुटे और आग पर काबू पाने की जुगत में जुट गए, लोगों ने आग की चपेट में आई एक बाइक को घसीटकर बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन फूल स्टैंड में रखे बाईक मिट्टी में रगड़ते जा रहा था. इसके बाद आग के तेज होने पर लोग बाहर निकले और दो मोटरपंप लगाकर आग पर काबू पाया. इतने में कमरे में रखा दोनों बाइक जलकर राख हो चुका था. 

वहीं कमरे से जली हुई मुर्गी भी मिली। इस घटना में पूर्णसिंह मुंडा का मकान पूरी तरह से जलने से बच गया. जलोगों की सक्रियता के कारण मकान को आंशिक क्षति पहुंचा है. कच्चे मकान में एस्बेस्टर चढ़ाया हुआ था. वहीं आग की लपेट एक खपरैल के छत को भी अपनी चपेट में लिया था, जिसे समय रहते लोगों ने बुझा दिया।

सरायकेला:सत्य नारायण सोशियो इकनॉमिक एंड रिसर्च सेंटर के तत्वाधान में सुभाष चंद्र बोस का 127वाॅ जयंती मनाया गया।

सरायकेला : चांडिल अनुमंडल अन्तर्गत आसनबनी पंचायत के अधीन मेडीकल प्रांगण में सत्य नारायण सोशियो इकनॉमिक एंड रिसर्च सेंटर के तत्वाधान में सुभाष चंद्र बोस का 127वाॅ जयंती मनाया गया।

 सभी लोगो सुभाष बॉस मूर्ति में पुष्मा अर्पित किया साथ ही श्रद्धांजलि दिया गया। इस अवसर पर चन्द्र मोहन महतो, सुनील चन्द्र उरांव,खेतुराम सिंह,मधुसूदन दीक्षित,धनंजय दास, सुरेश कुमार, डॉ० एस एन मुर्मू,विशाल ठाकुर इत्यादि मौजूद रहे।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़


प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषःआज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?


क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।