शनिग्रह के शान्तिं के लिए नींबु-मिर्च की गांठ के पीछे क्या है आस्था,हकीकत जानने के लिए पढिये...!
सरायकेला : देश के विभिन्न राज्य में आस्था और विश्वास का तरीका लोगों मे अलग-अलग हो सकता है । इसी आस्था से जुड़ा एक हकिकत को हम अनेक जगहों मे शनिवार के दिन देख सकते हैं ।
नींबु-मिर्च की गांठ व्यापारी अपने दुकानों के मुख्य द्वार मे लगाते और झुलाते हैं। क्या है इसकी हकिकत और क्या है नियम ? देखते है एक खास रिपोर्ट में।
विचार अपना और पसंद अपनी ।
आस्था और विश्वास ही एक जरिया है जो लोगों के उम्मीद को बांधे रखता है । श्रद्धालुओं हम मंदिर के वट वृक्ष पर लाल शालू कपड़ों मे नारियल लपेट कर अपने मन्नतों के लिए आराधना करते हैं । तो कहीं अपने व्यापार मे किसी की बुरी नजर न लगे इस लिए शनिदेव शरण मे जाते है ।
शनिवार के दिन शनि महाराज पंडितजी से अपने दुकानों के मुख्य द्वार मे नींबु-मिर्च का गांठ बंधवाता है । इसकी सच्चाई के लिए स्थानीय दुकानदार नीरज अग्रवाल से पुछा तो, उसने अपने विचार कुछ इस तरह रखे ।
लोगों का आस्था और विश्वास से जुड़ा है नींबु-मिर्च की गांठ । पर सड़कों के बीच मे शनिवार उतारा गया पुराने नींबु-मिर्च के गांठों को दबा कुचला पड़ा हुआ देखा तो कुछ, सवाल और मन मे जागना स्वभाविक है ।
मामले के हकिकत को जानने के लिए शनिदेव मंदिर के पुजारी से मिला । उनसे पूछा मैने, सड़कों के बीच इस तरह पुराने उतारे गये नींबु-मिर्च के गांठ को फेंकना कितना उचित है ?
पंडितजी ने कहा इसे बरूण देव पर जल-प्रवाह करना उचित है । यहां - वहां फेंकना ठीक नही है ।
शनि महाराज की पुजारी, शची देवी चांडिल ने बताया जो हम लोग पूजा अर्चना करके लगाते हे,वह कार्य करता है। आजकल लोग निजी स्तर से लगाते हे और फेक देते।
नजर नहीं लगता ओर बिजनेस पर। रौनक लाता है।जिसे शनिमहाराज का असीम कृपा होता हे।
हमारा उद्देश्य किसी का भी धर्म और आस्था मे आघात पहुंचाने की नही है । हमारा उद्देश्य कहीं अगर कोई कमी हो रही है तो उसे केवल लोगों तक आगाह करना मात्र है । इसीलिए शनिमंदि के पुजारी से मिला । क्यों कि एक पंडित जी से अच्छा हमे और कौन सही रास्ता इस विषय मे बता सकता है ।
Jan 15 2024, 10:20