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*राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा लेख, बोले-भगवान ने भक्त को चुना है

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22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। इससे पहले देशभर में भव्य तैयारी हो रही है। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी का अहम बयान सामने आया है।उन्होंने इसे दिव्य सवप्न की पूर्ति करारा दिया और कहा कि वह अयोध्या पहुंचकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने के लिए आतुर हैं।आडवाणी ने कहा है कि वो केवल रथ के सारथी रहे लेकिन ये भाग्य का फ़ैसला है कि एक दिन राम मंदिर हक़ीक़त बन जाएगा।उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुशी है कि भगवान राम ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने भक्त को चुना है।

आडवाणी ने कहा है कि 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अयोध्या के दिव्य मंदिर में श्रीराम के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे। मैं धन्य हूँ कि मैं अपने जीवनकाल में इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनूँगा।'राष्ट्रधर्म' नाम की एक हिन्दी पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में लालकृष्ण आडवाणी ने 33 साल पहले की घटनाओं को याद किया और कहा कि वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं।‘श्री राम मंदिर: एक दिव्‍य स्वप्‍न की पूर्ति’ नाम का ये लेख, पत्रिका के 15 जनवरी के अंक में छपने वाला है।पत्रिका का ये अंक 22 तारीख को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी लोगों को दिया जाएगा।इसमें लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक निकाली गई रथ यात्रा को याद करते हुए लिखा, "मैं तो केवल सारथी था, नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्‍या में श्रीराम का मंदिर अवश्‍य बनेगा।

उन्होंने लिखा, रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए किया गया 'रामजन्मभूमि आंदोलन! 1947 केबाद के भारत के इतिहास में एक निर्णायक और परिणामकारी घटना सिद्ध हुई। हमारे समाज, राजनीति तथा राष्ट्रीय पहचान की भावना पर इसका गहरा प्रभाव रहा है।

आडवाणी ने आगे लिखा कि उस समय नरेंद्र मोदी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं थे लेकिन उसी समय नियति ने उन्हें भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने के लिए चुन लिया था। आडवाणी ने कहा कि उन्होंने जब रथ यात्रा शुरू की थी तब उन्हें यह नहीं पता था कि यह यात्रा देश में एक बड़े आंदोलन का रूप ले लेगी। लेकिन उसी दौरान भगवान राम ने अपने भव्य मंदिर के निर्माण के लिए अपने भक्त (नरेंद्र मोदी) को चुन लिया था। उन्होंने लिखा, जब प्रधानमंत्री मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त वो भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि भगवान राम के मूल्यों को सीखने में ये मंदिर लोगों की मदद करेगा।

श्रीराम एक आदर्श राजा भी थे--'धर्म' के जीवंत अवतार। इसलिए सुशासन के प्रतीक 'रामराज्य' की अवधारणा को भारत के लिए आदर्श के रूप में प्रचारित किया गया। यद्यपि श्रीराम हिंदुओं के लिए पूजनीय पवित्र धार्मिक विभूति हैं, साथ ही वे भारत की उस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय पहचान के भी एक प्रमुख प्रतीक हैं, जो समान रूप से प्रत्येक नागरिक की धरोहर है। श्रीराम के जीवन की कहानी, 'रामायण', भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की निरंतरता का स्रोत और वाहक दोनों है और इसने शताब्दियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी, भारतीय मानस को बहुत प्रभावित किया है। इसलिए पिछले लगभग 500 वर्षों से, कोटि-कोटि भारतीयों की हार्दिक इच्छा रही है कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण हो।

राम मंदिर आंदोलन को अपनी राजनीतिक यात्रा की सबसे अधिक निर्णायक और परिवर्तनकारी घटना बताते हुए आडवाणी ने आंदोलन के दौरान के अपने कई अनुभवों को भी लेख में साझा किया है। आडवाणी ने राजनीति में दशकों तक उनके साथी रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए यह भी कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की कमी बहुत खल रही है।

'हम भाग्यशाली हैं, जो ऐसा प्रधानमंत्री मिला..', पीएम मोदी के 11 दिवसीय अनुष्ठान को संत समाज ने सराहा

 विभिन्न धार्मिक संगठनों के प्रमुखों और आध्यात्मिक हस्तियों ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 11 दिवसीय विशेष धार्मिक अभ्यास शुरू करने के फैसले के लिए शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है। परमार्थ निकेतन आश्रम के चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मोदी के आह्वान से चौतरफा उत्साह बढ़ा है, उन्होंने कहा कि लोगों को खुद को राष्ट्रीय हित के लिए समर्पित करना चाहिए। उन्होंने एक संदेश में कहा कि, "हम भाग्यशाली हैं कि हमें उनके जैसा प्रधानमंत्री मिला। मंदिर 500 साल के संघर्ष और बलिदान के बाद बन रहा है।"

वहीं, जूना अखाड़े के स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि मोदी की घोषणा से पता चलता है कि वह न केवल एक दुर्लभ प्रशासक हैं, बल्कि एक अद्वितीय उपासक भी हैं और उन्होंने कहा कि संतों और कई धार्मिक संगठनों ने भी 22 जनवरी को मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के लिए विभिन्न अनुष्ठान और कार्यक्रम किए हैं। उन्होंने कहा कि, "हर किसी को कुछ धार्मिक अभ्यास का पालन करना चाहिए। 'प्राण प्रतिष्ठा' वैश्विक भाईचारे, सद्भाव और खुशी के लिए है और इसीलिए प्रधान मंत्री ने भी विशेष धार्मिक अभ्यास शुरू किया है।"

एक बयान में, आध्यात्मिक गुरु श्री एम ने कहा कि प्रत्येक भारतीय को मानव जाति की खुशी की भावना से कुछ धार्मिक अभ्यास करना चाहिए और मोदी के फैसले की सराहना की। हरिद्वार में धार्मिक हस्तियों द्वारा एक "हवन" भी आयोजित किया गया, जिन्होंने प्रधानमंत्री के संकल्प की सफलता के लिए प्रार्थना की। मोदी ने शुक्रवार को 11 दिवसीय विशेष धार्मिक अभ्यास शुरू किया, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में पहले कभी नहीं जैसी भावनाओं का अनुभव करने की बात कही।

प्रधान मंत्री ने कहा कि भगवान ने उन्हें "प्राण प्रतिष्ठा" अभ्यास के दौरान सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक साधन के रूप में चुना है और वह इसे ध्यान में रखते हुए 11 दिवसीय धार्मिक अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सभी भारतीयों और भगवान राम के भक्तों के लिए एक पवित्र अवसर है और हर कोई 22 जनवरी को उस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा है, जब राम की मूर्ति को उस स्थान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा, जहाँ उनका जन्मस्थान हैं।

1992 को विवादित ढांचे के गिरने से MP के इस कारसेवक ने गवाए थे पैर', अब रामलला को लेकर PM मोदी से की ये भावुक अपील

 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। इसको लेकर देशभर में भारी उत्साह है। यह हर सनातनी के लिए गर्व का क्षण हैं। सालों बाद राम लला अपने मंदिर में विराजित होने जा रहे हैं। ऐसे में कारसेवकों का भी उत्साह चरम पर है। ऐसे में कारसेवा के चलते दिव्यांग हुए मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री मोदी के राम लला के दर्शन लाभ कराने की भावुक अपील की है।  

 

6 दिसंबर 1992 का वो दिन, जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए हजारों रामभक्त अयोध्या उमड़े थे। तब उन हजारों के आंकड़े में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए भोपाल के अचल सिंह मीना भी वहां पहुंचे थे। उस समय उनकी आयु लगभग 30 साल थी। अचल सिंह मीना विवादित ढांचे को गिराने के लिए ऊपर चढ़ गए थे। थोड़ी देर पश्चात् जब ढांचा गिरा, तो उसका एक हिस्सा अचल सिंह की पीठ पर गिरा तथा वो दिव्यांग हो गए। तत्पश्चात, अचल सिंह मीणा भोपाल के पास स्थित एक गांव में गुमनामी की जिंदगी गुजारने पर विवश हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन का सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ। जो कभी 2 सीटों वाली राजनीतिक पार्टी थी, वो आज केंद्र में और देश के अधिकतर प्रदेशों में सरकार चला रही है। लेकिन, इस आंदोलन में कई चेहरे ऐसे थे जो गुमनाम होकर रह गए।  

मीडिया से चर्चा करते हुए अचल सिंह मीणा ने इच्छा जताई है कि रामलला के दर्शन और अयोध्या में जाने का उनका सपना पूरा हो। इसके लिए अचल सिंह मीणा ने पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से गुहार लगाई है कि 22 जनवरी के बाद ही सही, किन्तु एक बार उसे रामलला के दर्शनों का लाभ करा दें। 3 दिसंबर 1992 को अचल तब 30 साल के थे। तब बजरंग दल के जिला संयोजक तथा वर्तमान में भोपाल की कोलार सीट से MLA रामेश्वर शर्मा के साथ भोपाल से पुष्पक एक्सप्रेस में बैठकर लखनऊ और फिर वहां से फैजाबाद पहुंचे थे। 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के चलते गुंबद के एक हिस्से का मलबा अचल की पीठ पर गिरा तथा कमर के नीचे के पूरे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। अचल को पहले फैजाबाद में भर्ती करवाया तथा उसके बाद गांधी मेडिकल कॉलेज लखनऊ ले गए, जहां उसे होश आया। तब से वो चल नहीं सकते।

नीतीश कुमार ने “इंडिया” का संयोजक बनने से किया इनकार, बोले-कांग्रेस के किसी नेता को दी जाए जिम्मेदारी

#nitish_kumar_refuses_to_become_convener_of_india_alliance

विपक्षी दलों के गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी कांग्रेस-टीएमसी, तो कभी कांग्रेस-आप और कभी समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस के तनातनी की खबरें आती रही हैं। हालांकि विपक्षी गठबंधन बीजेपी की मोदी सरकार को हराने के लिए एकजुट होने की भी पैरवी करता आया है। इस बीच इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की नजदीक आती तारीखों के बीच आज इंडिया गठबंधन की बैठक हुई।लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दलों के गठबंधन की शनिवार को वुर्चअल मोड में बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव आया, तो नीतीश कुमार ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस के किसी नेता को ‘इंडिया’ गठबंधन का संयोजक बनाया जाए।

इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक समाप्त होने के बाद नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले बिहार सरकार के मंत्री संजय झा बयान सामने आया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का कांग्रेस ने प्रस्ताव दिया था, लेकिन नीतीश कुमार ने कहा कांग्रेस का ही चेयरमैन बने. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने सीट शेयरिंक पर कांग्रेस और अन्य दलों से जल्द से जल्द फैसला लेने का आग्रह किया।

ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे नहीं हुए शामिल

विपक्षी गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व की अहम बैठक में गठबंधन को मजबूत करने, सीट बंटवारे के लिए रणनीति बनाने और गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। यह बैठक वर्चुअली हुई।जिसमें 10 पार्टियों के नेता शामिल हुए। बैठक में नीतीश कुमार, एमके स्टालिन, शरद पवाार, डी राजा, मल्लिकार्जुन खरगे, उमर अब्दुल्ला, राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, लालू यादव-तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल, डी राजा, शरद पवार शामिल हैं। हालांकि बैठक से पहले ही विपक्ष को झटका लगा और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं। साथ ही शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे भी विपक्षी गठबंधन की इस बैठक में शामिल नहीं हुए।

कांग्रेस-चीएमसी के बीच नहीं बन पाई बात

ममता बनर्जी के बैठक में शामिल ना होने पर टीएमसी ने कहा कि उन्हें बैठक के लिए शॉर्ट नोटिस पर सूचना दी गई और साथ ही कांग्रेस ने बैठक के एजेंडे के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी। हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब टीएमसी ने कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार किया है। गुरुवार को ही टीएमसी ने बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार कर दिया था। दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो सीटें देने की पेशकश कर रही हैं और ज्यादा से ज्यादा तीन पर वह मान सकती हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर सहमत नहीं है।

अयोध्या में भगवान राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही टूटेगा 43 वर्षों का मौनी बाबा का मौन व्रत, पढ़िए, उनकी प्रतिज्ञा

1980 से मौन रहने वाले एक संत आखिरकार 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद भगवान राम का नाम लेते हुए अपना पहला शब्द बोलेंगे। मध्य प्रदेश के 'मौनी बाबा' ने आखिरकार 44 साल में पहली बार 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ने का फैसला किया है। वह 10 साल की उम्र से मौन हैं, जिससे उन्हें 'मौनी बाबा' नाम मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के वक़्त उनका नाम मोहन गोपाल दास रखा गया था, माना जाता है कि 'मौनी बाबा' उन कार सेवकों में से थे, जिन्होंने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने 10 वर्ष की छोटी सी आयु में ही मौन व्रत ले लिया था। कई लोग सोच रहे होंगे कि, फिर वे अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? दरअसल, वह ऐसा चाक और स्लेट का उपयोग करते हैं। वह कभी-कभी कलम और कागज का भी उपयोग करते हैं। सन्यासी 1984 से नंगे पैर घूम रहे हैं, जब उन्होंने भगवान राम को "अयोध्या के सिंहासन" पर स्थापित करने के बाद ही चप्पल पहनने का संकल्प लिया था।

मौनी बाबा कागज पर लिखकर बताते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जरूर मिलेगा। निमंत्रण की आस में मौनी बाबा हर दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया है । मौनी बाबा का मूल स्थान सूर्य नगर पुलाव बालाजी है। हालाँकि, वह वर्तमान में मध्य प्रदेश के दतिया के मंदिरों में रहते हैं।

मौनी बाबा के अलावा झारखंड की 'मौनी माता' भी 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ देंगी। झारखंड के धनबाद में जन्मी महिला सरस्वती देवी ने 30 साल पहले मौन व्रत लिया था। जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई, तो सरस्वती देवी ने यह प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक सरयू के तट पर पवित्र शहर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक वह कुछ नहीं बोलेंगी। उनकी लंबी चुप्पी ने उन्हें 'मौनी माता' (मूक मां) का नाम दिया है। सरस्वती देवी के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि वह राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य गोपाल दास से प्रेरित थीं। उनके शिष्यों ने उन्हें 22 जनवरी को मंदिर आने का निमंत्रण दिया हैा

1980 से मौन रहने वाले एक संत आखिरकार 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद भगवान राम का नाम लेते हुए अपना पहला शब्द बोलेंगे। मध्य प्रदेश के 'मौनी बाबा' ने आखिरकार 44 साल में पहली बार 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ने का फैसला किया है। वह 10 साल की उम्र से मौन हैं, जिससे उन्हें 'मौनी बाबा' नाम मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के वक़्त उनका नाम मोहन गोपाल दास रखा गया था, माना जाता है कि 'मौनी बाबा' उन कार सेवकों में से थे, जिन्होंने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने 10 वर्ष की छोटी सी आयु में ही मौन व्रत ले लिया था। कई लोग सोच रहे होंगे कि, फिर वे अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? दरअसल, वह ऐसा चाक और स्लेट का उपयोग करते हैं। वह कभी-कभी कलम और कागज का भी उपयोग करते हैं। सन्यासी 1984 से नंगे पैर घूम रहे हैं, जब उन्होंने भगवान राम को "अयोध्या के सिंहासन" पर स्थापित करने के बाद ही चप्पल पहनने का संकल्प लिया था।

मौनी बाबा कागज पर लिखकर बताते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जरूर मिलेगा। निमंत्रण की आस में मौनी बाबा हर दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया है । मौनी बाबा का मूल स्थान सूर्य नगर पुलाव बालाजी है। हालाँकि, वह वर्तमान में मध्य प्रदेश के दतिया के मंदिरों में रहते हैं।

मौनी बाबा के अलावा झारखंड की 'मौनी माता' भी 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ देंगी। झारखंड के धनबाद में जन्मी महिला सरस्वती देवी ने 30 साल पहले मौन व्रत लिया था। जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई, तो सरस्वती देवी ने यह प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक सरयू के तट पर पवित्र शहर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक वह कुछ नहीं बोलेंगी। उनकी लंबी चुप्पी ने उन्हें 'मौनी माता' (मूक मां) का नाम दिया है। सरस्वती देवी के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि वह राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य गोपाल दास से प्रेरित थीं। उनके शिष्यों ने उन्हें 22 जनवरी को मंदिर आने का निमंत्रण दिया है।

बंगाल में साधुओं से हैवानियत, बच्चा चोर समझकर भीड़ ने निर्वस्त्र कर पीटा, बीजेपी ने ममता सरकार को घेरा

#purulia_sadhu_mob_lynching_bjp_leader_amit_malviya_share_video

पश्चिम बंगाल में पालघर जैसी घटना सामने आई है। यहां भीड़ द्वारा साधुओं की पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा लगातार राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमला बोल रही है।

पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया

गुरुवार शाम को यहां भारी भीड़ ने यूपी के 3 साधुओं को बच्चा चोर समझकर बेरहमी से पीटा। इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया है।यह मामला पुरुलिया जिले का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इसका 30 सेकंड का वीडियो भी वायरल हो रहा है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि बंगाल में अब पालघर जैसी घटना सामने आई है।मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने निर्वस्त्र कर पीटा है।

सेल प्रमुख अमित मालवीय ने शेयर किया वीडियो

अमित मालवीय ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा “ममता बनर्जी की चुप्पी पर शर्म आनी चाहिए! क्या ये हिंदू साधु आपकी मान्यता के योग्य नहीं हैं? यह अत्याचार जवाबदेही की मांग करता है।” इस घटना की तुलना 2020 के पालघर मॉब लिंचिंग से करते हुए अमित मालवीय ने लिखा, ”पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से बिल्कुल चौंकाने वाली घटना सामने आई… मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा।” यह दावा करते हुए कि पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है, भाजपा नेता ने कहा, “ममता बनर्जी के शासन में, शाहजहां शेख जैसे आतंकवादी को राज्य संरक्षण मिलता है और साधुओं की हत्या की जा रही है।

ये है पालघर का मामला

बता दें कि 16 अप्रैल, 2020 को 72 साल के संत महाराज कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के सुशील गिरी महाराज के साथ एक कार ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। दोनों साधू अपने गुरु के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए मुंबई से सूरत जा रहे थे। दोनों ही साधुओं पर कार ड्राइवर पर बच्चा चोरी करने का आरोप लगाकर भीड़ ने हत्या की थी।

उत्तर भारत में शीतलहर और कोहरे का डबल अटैक, दिल्ली में आज सीजन की सबसे ठंडी रही सुबह, थमी ट्रेन-गाड़ियों की रफ्तार

#delhi_safderjung_reported_the_minimum_temperature_is_3

उत्तर भारत कड़ाके की ठंड के चपेट में है। दिल्ली-एनसीआर में कोहरे के साथ-साथ शीतलहर चल रही है। इसके चलते तापमान में खासी गिरावट आई है। शनिवार को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 3 तक डिग्री दर्ज किया गया। अधिकतम तापमान 19 के आसपास रहने का अनुमान हैं।दिल्ली में आज इस सर्दी के मौसम की सबसे ठंडी सुबह हुई है।वहीं मौसम विभाग ने दिल्ली-NCR के लिए आज और कल सर्दी का यलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने कहा है कि अभी कुछ दिनों तक सुबह और शाम कोहरे की मार जारी रहेगा। वहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू में कड़ाके की ठंड ने कहर बरपाया हुआ है। कोहरे के चलते सड़कों पर वाहन रेंगते हुए नजर आए।सर्दी और कोहरे के चलते सड़क यातायात के साथ ही रेलवे और हवाई सेवाएं प्रभावित हुईं हैं।

दिल्ली में सर्दी का येलो अलर्ट

शनिवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में कोहरा छाया रहा। कई जगहों पर दृश्यता शून्य रही। मौसम विभाग ने आज और कल सर्दी का यलो अलर्ट जारी किया है। अभी कोहरा कुछ दिन सवेरे और शाम को परेशान करने वाला है। मौसम ठंडा बना रहेगा और सर्द हवाएं लोगों की दुश्वारियां बढ़ाएंगी। दिन में बादल छाये रहने से रात का तापमान कुछ बढ़ सकता है। अनुमान है कि 10 जनवरी तक न्यूनतम तापमान बढ़कर आठ डिग्री तक पहुंच सकता है। जबकि अधिकतम तापमान स्थिर रहने का अनुमान है। शीतलहर के कारण कई ट्रेनें देरी से चलने के कारण हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

घने कोहरे के कारण कम हो रही विजिबिलिटी

उत्तर भारत के कई हिस्सों में 30-31 दिसंबर से कड़ाके की पड़ रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि हुई थी। बारिश के चलते मैदानी इलाको में ठंड और बढ़ गई है। दिल्ली में शनिवार को विजिबिलिटी 50 से 200 मीटर तक रिकॉर्ड की गईष विजिबिलिटी कम होने की वजह से 104 फ्लाइटें प्रभावित हुईं है। पंजाब के अमृतसर, यूपी के लखनऊ और वाराणसी में कोहरे के चलते विजिबिलिटी का स्तर 25 मीटर रहा। इसी तरह, चंडीगढ़, यूपी के बरेली, बिहार के पूर्णिया और असम के तेजपुर में 50 मीटर और हरियाणा के अंबाला और राजस्थान के गंगानगर में यह 200 मीटर विजिबिलिटी रही।

सीएम केजरीवाल को ईडी का चौथा समन, शराब घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया

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दिल्ली शराब कांड में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने एक बार फिर समन भेजा है। अरविंद केजरीवाल को मिला यह चौथा समन है। ईडी ने दिल्ली के सीएम को 18 जनवरी को दफ्तर में शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है। अब देखना यह है कि आप के राष्ट्रीय संयोजक चौथी बार पूछताछ में शामिल होते हैं या नहीं। 

इससे पहले ईडी ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के सीएम को दो नवंबर 2023, 21 दिसंबर 2023 और 3 जनवरी 2024 को पूछताछ के लिए बुलाया था। तीनों बार ईडी के सामने पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पेश नहीं हुए। हर बार उन्होंने एक चिट्ठी जारी कर ईडी के समन का गैर कानूनी बताया और इस बात का जवाब मांगा कि आखिर उन्हें प्रवर्तन निदेशालय किस हैसियत से बुलाना चाहता है, पहले वो इस बात को स्पष्ट करें।

वहीं, पार्टी दावा करती आई है कि दिल्ली के सीएम को गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि इस तरह के दावे को ईडी ने अफवाह बताया था। बीते साल अप्रैल में इस मामले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सीएम केजरीवाल से पूछताछ की थी, लेकिन एजेंसी ने उन्हें आरोपी नहीं बनाया था।

इंडिया गठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक आज

इंडिया गठबंधन की आज महत्वपूर्ण बैठक होगी. 11:30 बजे दिन में यह बैठक वर्चुअल होगी इस बैठक में इंडिया गठबंधन के सभी बड़े नेता मौजूद रहेंगे. 

राहुल गांधी की नई यात्रा शुरू होने से 1 दिन पहले यह बैठक बुलाई गई है इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी ममता बनर्जी अरविंद केजरीवाल नीतीश कुमार के साथ-साथ उद्धव ठाकरे भी मौजूद रहेंगे.

 इस बैठक में इस बात की पूरी संभावना है कि कांग्रेस के तरफ से इंडिया गठबंधन के संयोजक के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव आएगा और सभी दल उसका समर्थन करेंगे. सीट बंटवारे को लेकर भी आज की बैठक में महत्वपूर्ण चर्चा होगी.

यूपी के इस जिले में बने चांदी के बर्तन में लगेगा रामलला को प्रसाद का भोग, फेमस संत ने कराया है तैयार

डेस्क: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में बने चांदी के बर्तन में भगवान श्रीराम को प्रसाद का भोग लगेगा। भगवान राम को प्रसाद का भोग लगाने के लिए विशेष तौर पर चांदी के पांच बर्तन तैयार किए गए हैं। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के दिन मिर्जापुर से देवरहा हंस बाबा आश्रम की तरफ से चांदी के बने पांच बड़े बर्तनो कों भेजा जा रहा है। इन चांदी के बर्तनों को प्रसिद्ध संत देवराहा हंस बाबा की तरफ से खास तौर से बनवाया गया है। 

देवरहा हंस बाबा भेज रहे हैं ये बर्तन

मिली जानकारी के अनुसार, देवरहा हंस बाबा आश्रम के प्रसिद्ध संत देवरहा हंस बाबा भगवान राम को लड्डुओं का भोग लगाने के लिए चांदी के बने पात्र को भेज रहे हैं। चांदी के बने इन्ही बर्तनो में रख कर भगवान को प्रसाद का भोग लगाया जायेगा। आश्रम का कहना है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत मौजूद विशिष्ट अतिथियों द्वारा इन चांदी के बर्तनों में भगवान राम को भोग लगाया जायेगा। आश्रम से जुड़े ट्रस्टी का कहना है कि अयोध्या भेजने के लिए पांच चांदी के बर्तन खास तौर से बनवाया गया है जिसे आश्रम से अयोध्या भेजा जा रहा है।

22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

 बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में हो रहे श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर मिर्जापुर से भी बड़ी तैयारी की गयी है। बताया जा रहा है कि देवरहा हंस बाबा आश्रम से कुछ संत ये बर्तन लेकर अयोध्या जाएंगे। वहीं, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारी तेज कर दी गई है। नगर को सुंदर तरीके से सजाया जा रहा है। पीएम मोदी समेत कई जाने-माने लोग और साधु-संत प्रतिष्ठा समारोह में शिरकत करेंगे।