सरायकेला :हेंसाकोचा पंचायत के दर्जनों गांव विकास से कोसो दूर, क्षेत्र के आदिवासी युवक कर रहे पलायन,
सरायकेला : कोल्हान के हेंसाकोचा पंचायत के दर्जनों गांव में आज भी विकास की रोशनी नही पहची ,सरकारी मूलभूत सुविधाओं से यह गांव दूर है। झारखंड राज्य अलग हुए 23 बर्ष हो गए इसके बावजूद इस क्षेत्र में सरकारी योजना न पहुंचने से यह पंचायत गांव मूलभूत सुविधाओं से बंचित है । सड़क ,स्वास्थ्य केंद्र,शिक्षा, पीएम आवास, वृद्धा पेंशन, मनरेगा कोई सरकारी सुविधा गांव में नहीं मिली जिसके कारण इस क्षेत्र के नवयुवक पंचायत से पलायन कर रहे हैं। दो जून रोटी के लिए, एवं रोजगार के लिए पंजाब ,बैंगलोर , महाराष्ट्र आदि राज्यों में जाकर काम करने पर मजबूर है।इस पंचायत में प्रखण्ड से जिला और राज्य स्तर के पदाधिकारी और नेता मंत्री , संसद,विधायक पहुंचते रे हैं इसके वाबजूद कोई सुधि लेने वाले नही हैं।बीमार पड़ने से इस सुदुरवर्ती गांव के लोग चांडिल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए 25 किलोमीटर जाना पड़ता
है बरसात के समय इस क्षेत्र के लोगो को कच्चे रास्ते , पानी और कीचड़ भरा रास्ता से गुजरने के मजबूर है साथ ही कठिनाई के साथ विभिन्न प्रकार के उलझन का सामना ग्रामीणों को उठाना पड़ता है ,इनके माथे में कुछ वर्षो से नक्सल नाम की धबा लगा हुआ है ।इन गांव में धातकीडीह, सशडीह, भादूडीह, जाहिरडीह,कांकीबेडा,दुगरीडीह, टुडु,रांका, मुटुदा,तानीसाह, रंगामाटिया,गांव के साथ विकास की उम्मीद लिए ग्रामीण जीने पर मजबूर हे।
गांव के लगो का यह रहे साधन जीवन गुजरने का*
इस पंचायत के लोगो एक समय की धान की फसल खेती करता है,ओर जंगल की सूखे लकड़ी,दातुन,पत्ता,कदमूल, मार्केट में बेच कर गुजार करते हे।इस पंचायत के लोगो मतदान के लिए पालना जाना पड़ता,अब देखना है सरकार आपके द्वार कहा लगने वाला है।
चौका थाना क्षेत्र सुदुर्वती पंचायत हेंसाकोचा पंचायत में 13 रेविन्यु विलेज प्राकृतिक जंगलों से चारो तरफ से घिरे हुए हैं जहा सैकड़ो की तादात में आदिवासी लोग वासबास करते हैं,मुख्यरूप से इन गरीब किसानो का एक मात्र उपाय खेती करने का वह भी एक समय धान की फसल उत्पादन करते हैं,उसी से आपने परिवार की जीविका चलाते है, रब्बी फसल जंगल के किनारे आलू ,चाना ,मटर, आदि फलस उबजाते है।ओर जंगल पर इनका जीविका निर्भर हे,जंगल की सूखे लकड़ी ,दातुन,पत्ता,कदमुल बेच कर गुजार बसर करते हे।यह।रहा मुख्य साधन जीने के लिए ।प्रतिदिन लोगो साइकिल से सूखे लकड़ी लेजाकर मार्केट बेचकर 100 से 200 रुपया कमाते है उसी से जीवन का गुजर बसर करते हैं।
हेंसकोच पंचायत में सरकार और वन एवं पर्यावरण विभाग,साथ ही पर्यटन विभाग की अनदेखी के कारण इस क्षेत्र में देश की कोई सरकारी पदाधिकारी इस क्षेत्र की ओर ध्यान नहीं दिया । जिसके कारण इस क्षेत्र के ग्रामीणों स्वरोजगार नही मिला जिसके कारण युवक रोजगार और नक्सल की डर से कर रहे पलायन,इस क्षेत्र पर्यटकों लुभाने के लिए सोना झरना के नाम पर बिख्यात है।जो जंगलों की बिहड़ो होते जाना पड़ता है ।जो लगभग 250 फीट की ऊंचाई से यह झरना का पानी नीचे गिरता है।जिसकी कलाकलाहट आवाज के साथ विभिन्न प्रजाति के पंछी की मधुर आवाज से बतावरण गूंज उठाता है।जो पर्यटकों के लिए आकर्षणों का केंद्र बनेगा ।जिसको झारखंड सरकार को ध्यान देने की जरूरत हे।चांडिल जलाशय में जेसे पर्यटकों जन सैलाव देखने को मिलता उसी प्रकार आने वाले समय इस क्षेत्र में पर्यटकों पहुंचने लगेगा,
इन बांदियो में मनौरम दृश्य देखने को मिलता,साथ प्राकृतिक हराभरा यह जंगल साथ कोई झरनों के साथ आप पंछियों आवाज ओर झरनों की कल्कलाहट आवाज सुनने को मिलगा सोना झरना लगभा 250 फिट ऊपर से पानी गिरता हे और बहते हुए यह पानी पानला डेम में भंडार हो रहा हे, जहां जंगल चारो ओर घेरे हुए हे। विशाल शाल की पेड़ इस जलाशय के किनारे देखने को मिलेगा ,दिसंबर महीना में पश्चिम बंगाल ओर झारखंड राज्य के कोने कोने से पर्यटकों इस मनोरम बंदियों में पहुंचने लगा ।झील के किनारे पर्यटक पिकनिक मनाते हे।इस क्षेत्र को विकसित होना जरूरी है, कच्चे रास्ते होने के कारण पर्यटक इस स्थान तक नहीं पहुंच पाते,पालना डेम से लेकर सोना झरना तक पक्की सड़क बना जाने से पर्यटकों सोना झरना पहुंचने में सुविधा होगा इस क्षेत्र के लोगो स्वरोजगार प्राप्त होगा और इस क्षेत्र के युवक को रोजगार मिलेगा साथ ही गांव का विकाश होगा। इस क्षेत्र में स्कूल और आंगबाड़ी ,पंचायत भवन बने परंतु स्वास्थ्य केंद्र नही के कारण लोगो को इलाज के लिए चांडिल अनुमंडल ,ओर चांडिल प्रखंड मुख्यालय पहुंचेने के लिए 25से 30 किलोमीटर तय करना पड़ता हे ।यह हे झारखंड की विकास की दिन ।जिसके कारण नव युवक भटक रहा है।अबतक गांव में सड़क का निर्माण नही होगा तो विकास कहा से बोट देने के लिए लोगो को आपने पंचायत से हठ कर पालना जाना पड़ता है।पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के अयोध्या पहाड़ में बंगाल सरकार द्वारा पर्यटकों बड़ावा देने के लिए सड़क बिजली पानी और झरनों तक पहुंचने के लिए पक्के सीढ़ी बनाए गए ,परंतु झारखंड राज्य में पालना डेम जलाशय में अबतक विकास नहीं हुआ ,आज भी पालना डेम पर झोप झाड़ी भरे हुए हे साथ जलाशय के किनारे कच्चे सड़क को पक्के सड़क का निर्माण नही किया गया।पालना जलाशय से लेकर सोना झरना तक पक्की सड़क का निर्माण का कार्य होना चाहिए ।
Dec 19 2023, 15:02