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आज का पंचांग- 20 अक्टूबर 2023:जानिए पंचांग के अनुसार आज के तिथि,ग्रहयोग और मुहूर्त

विक्रम संवत - 2080, अनला

शक सम्वत - 1945, शोभकृत

पूर्णिमांत - आश्विन

अमांत - आश्विन

तिथि

शुक्ल पक्ष षष्ठी- अक्टूबर 20 12:32 AM- अक्टूबर 20 11:25 PM

नक्षत्र

मूल - अक्टूबर 19 09:03 PM- अक्टूबर 20 08:41 PM

योग

अतिगण्ड - अक्टूबर 20 05:08 AM- अक्टूबर 21 03:02 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय - 6:25 AM

सूर्यास्त - 5:44 PM

चन्द्रोदय - 11:47 AM

चन्द्रास्त - 9:55 PM

अशुभ काल

राहू - 10:40 ए एम से 12:06 पी एम

यम गण्ड - 2:56 पी एम से 04:22 पी एम

गुलिक - 7:50 ए एम से 09:15 ए एम   

दुर्मुहूर्त - 8:41 ए एम से 09:27 ए एम, 12:28 पी एम से 01:14 पी एम

वर्ज्यम् - 07:06 पी एम से 08:41 पी एम, 5:58 ए एम से 07:31 ए एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - 11:43 ए एम से 12:28 पी एम   

अमृत काल - 02:23 पी एम से 03:58 पी एम   

ब्रह्म मुहूर्त - 04:44 ए एम से 05:34 ए एम

शुभ योग

रवि योग- 06:25 ए एम से 08:41 पी एम

आज नवरात्रि का पांचवा दिन ,आज मां स्कंदमाता की होती है पूजा,इस पूजा से होती है मोक्ष की प्राप्ति

रूप: सरस, सौम्य और मोहक

भुजाएं: चार

वाहन: सिंह

पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है

नवदुर्गा का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता

नवरात्र का पांचवा दिन मां स्कंदमाता के नाम होता है। मां के हर रूप की तरह यह रूप भी बेहद सरस और मोहक है। स्कंदमाता अपने भक्त को मोक्ष प्रदान करती है। चाहे जितनाभी बड़ा पापी क्यों ना हो अगर वह मां के शरण में पहुंचता है तो मां उसे भी अपने प्रेम के आंचल से ढ़क लेती है। मां स्कंदमाता की पूजा नीचे लिखे मंत्र से आरंभ करनी चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इस देवी की चार भुजाएं हैं। यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।

पुष्कल महत्व

शास्त्रों में इसका पुष्कल महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।

आज काl 19 अक्टूबर 2023 राशियों पर ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव के आधार पर आज आप का दिन कैसा रहेगा जानने के लिए पढिये आज का राशिफल...?

भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों का वर्णन है। सभी राशियों का मालिक ग्रह है। राशियों पर ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव के आधार पर जीवन में उतार-चढ़ाव का आकलन ज्योतिष शास्त्र में किया जाता है। आज 19 अक्टूबर को गुरुवार है। आज का मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित होता है। उनकी पूजा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। 

19 अक्टूबर 2023 का राशिफल

♈ मेष : चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ 

आज का दिन आपके लिए अक्समात लाभ दिलाने वाला रहेगा। परिजनों की सलाह आपके बहुत काम आएगी। स्वास्थ्य में चल रही समस्याओं के लिए बिल्कुल ढील ना दिखाएं, नहीं तो कोई बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। कोई कानूनी मामला यदि लंबे समय से दबा हुआ था, तो वह आज फिर से उभर सकता है और आपके लिए कोई समस्या लेकर आएगा। कार्यक्षेत्र में अधिकारियों से किसी बहसबाजी में ना पड़े, नहीं तो आपका प्रमोशन भी रुक सकता है, लेकिन यदि आपने शेयर मार्केट में पहले धन का निवेश किया था, तो वह आपके लिए अच्छा रहेगा।

♉ वृष : ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो-  

 आज का दिन आपके लिए निसंकोच आगे बढ़ने के लिए रहेगा। घर परिवार में सदस्य एक दूसरे के करीब आएंगे और संबंधों में घनिष्ठता आएगी। किसी भूमि, भवन आदि के मामलों में समस्या आएगी। आप अपने कामकाज पर पूरा फोकस बनाएं रखें, नहीं तो कोई गलती हो सकती है। दांपत्य जीवन में यदि कुछ समस्या आपको लंबे समय से परेशान कर रही थी, तो वह भी दूर होंगी। आप यदि किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे थे, तो आपको उसमें कुछ समय रुकना बेहतर रहेगा। आपके कुछ विरोधी आप पर हावी होने की कोशिश करेंगे।

♊ मिथुन : क, छ व घ 

 आज का दिन आपके लिए बजट बनाकर चलने के लिए रहेगा। आपको एक बजट बनाकर चलना होगा और आपको अपने किसी परिजन की ओर से कोई आवश्यक सूचना सुनने को मिल सकती है। आपको अपनी डेली रूटीन में बदलाव नहीं लाना है, नहीं तो समस्या हो सकती है। यदि आपने किसी को धन उधार देने का सोचा है, तो आप उसे उधर ना दें, नहीं तो समस्या हो सकती है। सबको साथ लेकर चलने की कोशिश में आप कामयाब रहेंगे। विपक्ष के सक्रियता बनी रहेगी। आप मेहनत और लगन से आगे बढ़ेंगे। कामकाज में आप कोई अहम जिम्मेदारी किसी को ना दें। राजनीति में कार्यरत लोगों को उनके कामों से एक नई पहचान मिलेगी। 

♋ कर्क : ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो, वे 

 

आज का दिन आपके लिए कला कौशल में सुधार लेकर आएगा। विभिन्न क्षेत्रों में आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे और आपके कामों में तेजी आएगी। आपको किसी संपत्ति का सौदा करते समय उसके चल अचल पहलुओं को स्वाधीनता से जांचना होगा और किसी विपरीत परिस्थिति में आप धैर्य बनाए रखें। विद्यार्थियों ने यदि किसी परीक्षा को दिया था, तो आज उसके परिणाम आ सकते हैं और आप अपने गुरुजनों की मदद से आगे बढ़ेंगे। किसी सरकारी योजना का आप पूरा लाभ उठाएंगे। माता-पिता को आप धार्मिक यात्रा पर लेकर जा सकते हैं।

♌ सिंह : मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे  

 आज का दिन आपके लिए किसी नए मकान, वाहन और दुकान आदि की खरीदारी के लिए अच्छा रहेगा। निजी जीवन में आपको आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। आप अपने सहयोगियों की बातों में ना आएं। किसी पुराने मित्र से आपको लंबे समय तक मिलने का मौका मिल सकता है। वरिष्ठ सदस्यों की सलाह आपके बिजनेस के लिए कारगर सिद्ध होगी। घरेलू मामलों में ढील ना दें और यदि किसी से धन उधार लिया था, तो आपको उसे वापस लौटना पड़ सकता है। आप धन संबंधित समस्याओं को लेकर यदि परेशान थे, उन समस्याओं से आपको छुटकारा मिलेगा। 

♍ कन्या : ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे और पो  

आज का दिन कारोबार कर रहे लोगों के लिए कुछ समस्याएं लेकर आएगा, लेकिन आप फिर भी अपने कामों से पीछे नहीं हटेंगे। आपके साहस और पराक्रम में भी वृद्धि होगी। किसी अजनबी की सलाह पर ना चले। यदि किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे थे, तो कुछ समय के लिए स्थगित कर दें। भाईचारे की भावना बढ़ेगी और बड़ों का सहयोग और साथ आपको भरपूर मात्रा में मिलेगा। आपको अपने मन में नकारात्मक सोच को नहीं रखना है, नहीं तो समस्या हो सकती है।

♎ तुला : रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू या ते 

 आज का दिन आपके लिए आनंदमय रहने वाला है। आपको गृहस्थ जीवन में चल रही समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। आप घर या बाहर वाणी और व्यवहार से लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे। कार्यक्षेत्र में आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे। आपके मान सम्मान में वृद्धि होगी। कुछ निजी मामलों में आपको धैर्य बनाए रखना होगा। अपनी सोच में सकारात्मकता बनाए रखें। ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति से आपको धन लाभ मिलता दिख रहा है। विद्यार्थियों ने यदि किसी प्रतियोगिता में भाग लिया था, तो उसके परिणाम आ सकते हैं।

♏ वृश्चिक : तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू 

आज का दिन आपके लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा और कार्यक्षेत्र में आप अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन करेंगे और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेंगे। किसी से कोई वादा किया है, तो उसे समय रहते पूरा करने की पूरी कोशिश करें। कार्यक्षेत्र में आपको कोई जिम्मेदारी भरा काम मिलने से आप थोड़ा परेशान रहेंगे। आप माताजी के लिए कोई उपहार लेकर आ सकते हैं। यदि आपकी किसी योजना को लेकर आप लंबे समय से परेशान चल रहे थे, तो आपकी वह योजना पूरी हो सकती है। सबका साथ और समर्थन बना रहेगा। अपने करीबियों का आप आसानी से भरोसा जीत पाएंगे।

♐ धनु : ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे  

आज का दिन आपके लिए बहुत ही सूझ-बूझ दिखाकर आगे बढ़ाने के लिए रहेगा। आप संतान से किसी किसी किए हुए वादे को पूरा कर सकते हैं। लेनदेन के मामलों में आपको किसी को धन उधार देते समय अपनी बात स्पष्ट रखनी होगी और अपने कामों में आगे बढ़ेंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। किसी विदेश में रह रहे परिजनों से आज आप मेल मुलाकात करने जा सकते हैं। आपको कुछ ठगी और सफेदपोश लोगों से सावधान रहना होगा। आप किसी काम में अपनी बात को अवश्य रखें, नहीं तो समस्या हो सकती है। कामकाज कर रहे लोगों के लिए दिन सामान्य रहेगा।

♑ मकर : भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी, है 

 आज का दिन आपके लिए लेनदेन के मामले में अच्छा रहने वाला है। आप किसी बड़े लक्ष्य को करने के लिए अग्रसर रहेंगे। प्रतिस्पर्धा का भाव आपके मन में बना रहेगा। आपकी किसी बड़े अधिकारी से मुलाकात हो सकती है। आपके चारों ओर का वातावरण खुशनुमा रहेगा। किसी नई संपत्ति को खरीदने का सपना आपका पूरा होगा। कार्यक्षेत्र में आप अपनी योजना को पूरा करने में अधिक समय ना लगाये ताकि उनसे कोई गलती ना हो। 

♒ कुंभ : गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा 

 आज का दिन आपके लिए कामकाज के मामले में अच्छा रहने वाला है। आप किसी के मामले में बेवजह ना उलझे, नहीं तो आपको इससे समस्या सकती है। अपनी जिम्मेदारियां को बखूबी निभाएं। वरिष्ठ सदस्यों से आप किसी चीज को लेकर बहसबाजी ना करें। रक्त संबन्धी रिश्तों को लेकर आपका जुड़ाव रहेगा और पैतृक संपत्ति संबंधित मामले में आपको सावधान रहना होगा। भावनात्मक मामलों में आप बेहतर रहेंगे। आपके घर आज किसी अतिथि का आगमन होने से आपका धन खर्च बढ़ सकता है।

♓ मीन : दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची 

आज का दिन तीव्र भावनाओं के नाम रहेगा। विद्यार्थियों को बौद्धिक और मानसिक बोझ से छुटकारा प्राप्‍त हो सकता है। वह खुलकर अपने मन से पढ़ाई कर सकेंगे। शाम के वक्‍त परिवार के साथ समय अच्‍छा कटेगा। खर्चों में इजाफा होगा, लेकिन साथ ही आमदनी में हुई बढ़ोत्तरी इसको संतुलित कर देगी। बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। नौकरीपेशा लोगों के लिए समय ठीक नहीं है। व्यापार में हानि हो सकती है।

आज का पंचांग, 19 अक्टूबर 2023,जानिए आज के पंचांग के अनुसार आज का तिथि, मुहूर्त और ग्रहयोग

राष्ट्रीय मिति आश्विन 27, शक संवत 1945, आश्विन, शुक्ल, पंचमी, बृहस्पतिवार, विक्रम संवत 2080। सौर कार्तिक मास प्रविष्टे 03, रबी-उल्सानी-03, हिजरी 1445 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 19 अक्टूबर सन् 2023 ई। सूर्य दक्षिणायन, दक्षिण गोल, शरद ऋतु। राहुकाल अपराह्न 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक। पंचमी तिथि अर्धरात्रोत्तर 12 बजकर 32 मिनट तक उपरांत षष्ठी तिथि का आरंभ।

ज्येष्ठा नक्षत्र रात्रि 09 बजकर 04 मिनट तक उपरांत मूल नक्षत्र का आरंभ। सौभाग्य योग प्रातः 06 बजकर 54 मिनट तक उपरांत शोभन योग का आरंभ। बव करण मध्याह्न 12 बजकर 53 मिनट तक उपरांत कौलव करण का आरंभ। चन्द्रमा रात्रि 09 बजकर 04 मिनट तक वृश्चिक उपरांत धनु राशि पर संचार करेगा। आज के व्रत त्योहार उपांग ललिता व्रत, गण्डमूल विचार।

सूर्योदय का समय 19 अक्टूबर 2023 : सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 19 अक्टूबर 2023 : शाम में 5 बजकर 48 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 19 अक्टूबर 2023 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 43 मिनट से 5 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजे मिनट से 2 बजकर 45 मिनट तक। निशिथ काल मध्‍यरात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम में 5 बजकर 48 मिनट से 6 बजकर 13 मिनट तक। अमृत काल सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 7 बजकर 1 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 19 अक्टूबर 2023 :

राहुकाल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजे तक। सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 10 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 58 मिनट तक।

आज का उपाय : आज स्कंदमाता की पूजा अर्चना करें और किसी बच्चे को लाल फल दें।

नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा, भक्तों के कष्टों और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं मां

नवरात्रि 9 दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है। नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग अलग अवतारों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा का विधान है।

कष्टों और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं मां कुष्मांडा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। मां कुष्मांडा की विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। मान्यता है कि मां कुष्मांडा संसार को अनेक कष्टों और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं। इस दिन लाल रंग के फूलों से पूजा करने की परंपरा है,क्योंकि मां कुष्मांडा को लाल रंग के फूल अधिक प्रिय बताए गए हैं। मां कुष्मांडा की पूजा विधि पूर्वक करने के बाद दुर्गा चालीसा और मां दुर्गा की आरती जरूर करनी चाहिए।

कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनकी आठ भुजाएं हैं। मां ने अपने हाथों में धनुष-बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल धारण किया है। वहीं मां के हाथों में सिद्धियों और निधियों से युक्त जप की माला भी है। इनकी सवारी सिंह है।

मां कुष्मांडा की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार मां कुष्मांडा का अर्थ होता है कुम्हड़ा। मां दुर्गा ने असुरों के अत्याचार से संसार को मुक्त करने के लिए कुष्मांडा का अवतार लिया था। मान्यता है कि देवी कुष्मांडा ने पूरे ब्रह्माण्ड की रचना की थी। पूजा के दौरान कुम्हड़े की बलि देने की भी परंपरा है। इसके पीछे मान्यता है ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और पूजा सफल होती है।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान करने के बाद मां कुष्मांडा स्वरूप की विधिवत पूजा करने से विशेष फल मिलता है। पूजा में मां को लाल रंग के फूल, गुड़हल या गुलाब का फूल भी प्रयोग में ला सकते हैं, इसके बाद सिंदूर, धूप, गंध, अक्षत् आदि अर्पित करें. सफेद कुम्हड़े की बलि माता को अर्पित करें। कुम्हड़ा भेंट करने के बाद मां को दही और हलवा का भोग लगाएं और प्रसाद में वितरित करें।

मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व

शांत-संयत होकर, भक्‍ति‍-भाव से माता की पूजा करनी चाहिए। इनकी उपासना से भक्तों को सभी सिद्धियां व निधियां मिलती हैं। लोग नीरोग होते हैं और आयु-यश में बढ़ोतरी होती है। उनके आशीर्वाद से सभी कष्ट और दुख मिट जाते हैं।

आज का रशिफल,17 अक्टूबर 23:आज ग्रह नक्षत्र के प्रभाव से क्या कहता है आप का भाग्यफल, जानने के लिए पढिये आज का रशिफल...?

मेष- ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विवेक से कार्य करें।

वृष- यात्रा लाभदायक रहेगी। राजकीय सहयोग मिलेगा। सरकारी कामों में सहूलियत होगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर में सुख-शांति रहेंगे। कारोबारी अनुबंध हो सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों से सहयोग मिलेगा। झंझटों में न पड़ें।

मिथुन- यात्रा लाभदायक रहेगी। संतान पक्ष से बुरी खबर मिल सकती है। डूबी हुई रकम प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रशंसा मिलेगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। नए उपक्रम प्रारंभ करने संबंधी योजना बनेगी।

कर्क- चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। दौड़धूप रहेगी। नकारात्मकता हावी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

सिंह- दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। फालतू खर्च पर नियंत्रण नहीं रहेगा। हल्की मजाक करने से बचें। अपेक्षित काम में विलंब होगा। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। अपने काम से काम रखें। लाभ के अवसर मिलेंगे। विवेक का प्रयोग करें। आय में वृद्धि होगी।

कन्या-मान-सम्मान मिलेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शत्रु तथा ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधानी आवश्यक है। समय की अनुकूलता है। सामाजिक कार्य करने का मन लगेगा।

तुला-सामाजिक कार्य करने में मन लगेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड से लाभ होगा। आय में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें।

वृश्चिक- चोट व रोग से कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। परिवार तथा मित्रों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

धनु- भागदौड़ अधिक रहेगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रह सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय-व्यापार मनोनुकूल चलेगा। आय बनी रहेगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा, सावधानी रखें। बुरी खबर मिल सकती है।

मकर- पुरानी संगी-साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग मिलेगा। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। जल्दबाजी न करें।

कुंभ- बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। उत्साह रहेगा।

मीन- पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। आनंद के साथ समय व्यतीत होगा। मनपसंद व्यंजनों का लाभ मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। किसी व्यक्ति से बहस हो सकती है। आशंका-कुशंका से बाधा होगी।

आज का पंचांग :-17 अक्टूबर 23, आज आश्विन का तृतीया, शुक्ल पक्ष,जानिए ग्रह नक्षत्र का योग और मुहूर्त

तृतीया, शुक्ल पक्ष, आश्विन """""(समाप्ति काल)

तिथि-------------- तृतीया 25: 25:57 तक 

पक्ष---------------------------- शुक्ल

नक्षत्र----------------- विशाखा 20:30:13

योग--------------------- प्रीति 09:20:25

करण-------------------- तैतुल 13:22:46

करण----------------------- गर 25:25:57

वार--------------------------- मंगलवार

माह-------------------------- आश्विन

चन्द्र राशि---------------- तुला 14:18:43

चन्द्र राशि---------------------- वृश्चिक 

सूर्य राशि---------------- कन्या 25:29:17

सूर्य राशि----------------------  तुला 

रितु--------------------------- शरद

आयन------------------------- दक्षिणायण

संवत्सर----------------------- शोभकृत

संवत्सर (उत्तर) ------------- पिंगल

विक्रम संवत------------------- 2080 

गुजराती संवत---------------- 2079 

शक संवत--------------------- 1945

कलि संवत-------------------- 5124

वृन्दावन

सूर्योदय----------------------- 06:21:12 

सूर्यास्त------------------------ 17:47:35

दिन काल--------------------- 11:26:22 

रात्री काल--------------------- 12:34:12

चंद्रोदय------------------------ 08:34:22 

चंद्रास्त------------------------ 19:22:23

लग्न------------ कन्या 29°13', 179°13'

सूर्य नक्षत्र--------------------- चित्रा 

चन्द्र नक्षत्र--------------------- विशाखा

नक्षत्र पाया--------------------- रजत 

पद, चरण

तू--------------------- विशाखा 08:05:32

ते----------------------विशाखा14:18:43

तो-------------------- विशाखा 20:30:13

ना-------------------- अनुराधा 26:40:03

ग्रह गोचर 

 ग्रह =राशी  , अंश ,नक्षत्र, पद

सूर्य= कन्या 9:30,    चित्रा     2 पो  

चन्द्र=तुला 25:30 , विशाखा     2  तू 

बुध =कन्या 26 °:53'   चित्रा,   2  पो 

शुक्र=सिंह 12°05,    मघा  '   4   मे 

मंगल=तुला 08°30 '  स्वाति'   1  रू 

गुरु=मेष 18°30 ' भरणी ,      2  लू 

शनि=कुम्भ 06°50 '   शतभिषा  ,1  गो    

राहू=(व) मेष 00°47  अश्विनी ,  1 चू 

केतु=(व) तुला 00°47 चित्रा,  3  रा 

शुभ मुहूर्त

राहू काल 14:56 - 16:22 अशुभ

यम घंटा 09:13 - 10:39 अशुभ

गुली काल 12:04 - 13:30अशुभ

अभिजित 11:42 - 12:27 शुभ

दूर मुहूर्त 08:38 - 09:24 अशुभ

दूर मुहूर्त 22:49 - 23:35 अशुभ

वर्ज्यम 24:37 - 26:15 अशुभ

चोघडिया, दिन

रोग 06:21 - 07:47 अशुभ

उद्वेग 07:47 - 09:13 अशुभ

चर 09:13 - 10:39 शुभ

लाभ 10:39 - 12:04 शुभ

अमृत 12:04 - 13:30 शुभ

काल 13:30 - 14:56 अशुभ

शुभ 14:56 - 16:22 शुभ

रोग 16:22 - 17:48 अशुभ

चोघडिया, रात

काल 17:48 - 19:22 अशुभ

लाभ 19:22 - 20:56 शुभ

उद्वेग 20:56 - 22:30 अशुभ

शुभ 22:30 - 24:05 शुभ

अमृत 24:05 - 25:39 शुभ

चर 25:39 - 27:13 शुभ

रोग 27:13 - 28:48 अशुभ

काल 28:48 - 30:22 अशुभ

होरा, दिन

मंगल 06:21 - 07:18

सूर्य 07:18 - 08:16

शुक्र 08:16 - 09:13

बुध 09:13 - 10:10

चन्द्र 10:10 - 11:07

शनि 11:07 - 12:04

बृहस्पति 12:04 - 13:02

मंगल 13:02 - 13:59

सूर्य 13:59 - 14:56

शुक्र 14:56 - 15:53

बुध 15:53 - 16:50

चन्द्र 16:50 - 17:48

होरा, रात

शनि 17:48 - 18:50

बृहस्पति 18:50 - 19:53

मंगल 19:53 - 20:56

सूर्य 20:56 - 21:59

शुक्र 21:59 - 23:02

बुध 23:02 - 24:05

चन्द्र 24:05 - 25:08

शनि 25:08 - 26:10

बृहस्पति 26:10 - 27:13

मंगल 27:13 - 28:16

सूर्य 28:16 - 29:19

शुक्र 29:19* - 30:22

उदयलग्न प्रवेशकाल  

कन्या > 03:16  से 05:28 तक

तुला > 05:28 से 07:42  तक

वृश्चिक > 07:42 से 09:56 तक

धनु > 09:56  से 11:40 तक

मकर > 11:40 से 13:50 तक

कुम्भ > 13:50 से 15:32  तक

मीन > 15:32 से 16:44  तक

मेष > 16:44 से 18: 32 तक

वृषभ > 18:32 से 20:30  तक

मिथुन > 20:30 से 22:38  तक

कर्क > 22:38 से 01:00  तक

सिंह > 01:00 से 03:00  तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

  ;(लगभग-वास्तविक समय के समीप) 

दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट

जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट

कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट

लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट

कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट

नोट- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 

प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

चर में चक्र चलाइये, उद्वेगे थलगार।

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे, लाभ में करो व्यापार॥

रोग में रोगी स्नान करे, काल करो भण्डार।

अमृत में काम सभी करो, सहाय करो कर्तार॥

अर्थात- चर में वाहन, मशीन आदि कार्य करें।

उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।

शुभ में स्त्री श्रृंगार, सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें।

लाभ में व्यापार करें।

रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें।

काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है।

अमृत में सभी शुभ कार्य करें।

दिशा शूल

ज्ञान----------------उत्तर

परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते हैl

इस मंत्र का उच्चारण करें-:

शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु चl

भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय:ll

अग्नि वास ज्ञान -:

यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,

चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु।

दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,

नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं।।

महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्

नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत्।।

  3 + 3 + 1 = 7 ÷ 4 = 3 शेष

 स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक हैl

 ग्रह मुख आहुति ज्ञान

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

 सूर्य ग्रह मुखहुति

  शिव वास एवं फल -:

 3 + 3 + 5 = 11 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं, पाताले च धनागम:।

मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

 विशेष जानकारी  

नवरात्रि तृतीय दिवस चंद्रघंटा पूजन

तुला में सूर्य 25:30 रात्रि 

शुभ विचार  

एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वन्हिना।

दह्यते तद्वनं सर्व कुपुत्रेण कुलं यथा ।। चा o नी o।।

 जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता वृक्ष सम्पूर्ण वन को जला देता है उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सरे कुल के मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है.

सुभाषितानि 

गीता -: अर्जुनविषाद योग अo-01

तत्रापश्यत्स्थितान्‌ पार्थः पितृनथ पितामहान्‌। आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा॥

श्वशुरान्‌ सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि।,

 इसके बाद पृथापुत्र अर्जुन ने उन दोनों ही सेनाओं में स्थित ताऊ-चाचों को, दादों-परदादों को, गुरुओं को, मामाओं को, भाइयों को, पुत्रों को, पौत्रों को तथा मित्रों को, ससुरों को और सुहृदों को भी देखा॥,26-27॥,

नवरात्रि के तीसरे दिन ,आज मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है, जानिए मां के इस स्वरूप की महामात्य और इस पूजा के फल

 नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन भक्त देवी के इस स्वरूप की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। शास्त्रों में मां चंद्रघंटा को कल्याण और शांति प्रदान करने वाला माना गया है। देवी दुर्गा के इस स्वरूप में माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा है। इसी वजह से मां को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से ना केवल रोगों से मुक्ति मिल सकती है, बल्कि मां प्रसन्न होकर सभी कष्टों को हर लेती हैं। शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन 17 अक्टूबर, मंगलवार को है। ऐसे में इसी मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होगी। आइए जानते हैं चंद्रघंटा की कथा।

मां चंद्रघंटा की कथा


पौराणिक कथा के मुताबिक, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था। दरअसल महिषासुर देवराज इंद्र के सिंहासन को प्राप्त करना चाहता था। वह स्वर्गलोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली। उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं। उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की। शास्त्रों में मां चंद्रघंटा को लेकर यह कथा प्रचिलत है।

 नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें मंत्र और आरती


मां चंद्रघंटा स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

नवरात्र के दूसरा दिन आज होती है माँ दूर्गा के दुसरे स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा,जानिए पूजा विधि

नवरात्र के दूसरे दिन माँ दूर्गा के दुसरे स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं।

 ब्रह्म का अर्थ है,, तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।

पूजन विधि.....


नवरात्र के दूसरे दिन सुबह शुद्ध जल से स्नान कर भक्त , मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनका चित्र या मूर्ति पूजा के स्थान पर चौकी पर स्थापित करें। उस पर फूल चढ़ाएं दीपक जलाएं और नैवेद्य अर्पण करें। इसके बाद मां दुर्गा की कहानी पढ़ें और नीचे लिखे इस मंत्र का 108 बार जप करें।

ब्रह्मचारिणी की मंत्र....


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी को पसंद है ये भोग...

देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें।

देवी ब्रह्मचारिणी कथा...


माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर ,भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोले नाथ की वामिनी अर्थात पत्नी बनी। जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं । उन्हें इस देवी की पूजा से सहज यह सब प्राप्त होता है।

देवी का दूसरा स्वरूप योग साधक को साधना के केन्द्र के उस सूक्ष्मतम अंश से साक्षात्कार करा देता है । जिसके पश्चात व्यक्ति की ऐन्द्रियां अपने नियंत्रण में रहती और साधक मोक्ष का भागी बनता है। इस देवी की प्रतिमा की पंचोपचार सहित पूजा करके जो साधक स्वाधिष्ठान चक्र में मन को स्थापित करता है । उसकी साधना सफल हो जाती है और व्यक्ति की कुण्डलनी शक्ति जागृत हो जाती है। जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से , नवरात्र के दूसरे दिन मॉ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और प्रसन्न रहता है। उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है।

जय माँ ब्रह्मचारिणी...जय माता दी

आज का पंचांग- 16 अक्टूबर 2023,जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और तिथि

विक्रम संवत- 2080, अनला

शक सम्वत- 1945, शोभकृत

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- भाद्रपद

तिथि

कृष्ण पक्ष द्वितीया - 01:13 ए एम, अक्टूबर 17 तक

नक्षत्र

स्वाती - 07:35 पी एम तक

योग

विष्कम्भ - 10:04 ए एम तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:21 ए एम

सूर्यास्त- 5:51 पी एम

चन्द्रास्त- 7:39 ए एम

चन्द्रोदय- 6:45 पी एम

अशुभ काल

राहू- 07:48 ए एम से 09:14 ए एम

यम गण्ड- 10:40 ए एम से 12:07 पी एम

गुलिक- 10:40 ए एम से 12:07 पी एम

दुर्मुहूर्त- 12:29 पी एम से 01:15 पी एम, 02:47 पी एम से 03:33 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:30 पी एम

ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 ए एम से 05:31 ए एम

गोधूलि मुहूर्त- 5:51 पी एम से 06:16 पी एम