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आपदा की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश में फिर मची तबाही, कुल्लू में भारी भूस्खलन से एक साथ ढह गई कई ऊंची इमारतें, कई अन्य पर भी खतरा

आपदा की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश से हर दिन भूस्खलन की डरावनी तस्वीरें आ रही हैं। बीते तीन दिन से हो रही मुसलाधार वर्षा से कई जगह तबाही हुई है। अब कुल्लू में भारी भूस्खलन की वजह से एक साथ कई ऊंची इमरातें ढह गईं हैं। कुल्लू के आनी में बस स्टैंड के पास बनी कम से कम 7 इमारतें एक साथ गिरी हैं। कुछ और इमारतों पर खतरा बना हुआ है। हादसे का वीडियो भी सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि इमरातों के गिरने के साथ कैसे चीख पुकार मच जाती है और वादी में धूल का गुबार छा जाता है। 

बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ निर्माणाधीन इमारतें थीं, जबकि कुछ में लोग रह रहे थे। भूस्खलन के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने इन घरों को खाली करा लिया था। अभी घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस टीम मौके पर मौजूद है।

ढह चुके दो भवनों में बैंकों के दफ्तर चल रहे थे। अन्य में किरायेदार व दुकानें थीं। कुछ इमारतें निर्माणाधीन थी। गनीमत यह रही कि कुल्लू जिला प्रशासन ने खतरे को भांपते हुए पहले ही इन इमारतों और मकानों को खाली करवा दिया था। इस वजह से किसी तरह का जानी नुकसान नहीं हुआ है। अभी भी तीन-चार और मकानों के गिरने की आशंका बनी हुई है।

दरअसल एक महीने पहले हुए भारी वर्षा से इन मकानों में दरारें पड़नी शुरू हुई थीं। इसे देखते हुए प्रशासन ने भवन मालिकों को इन्हें खाली करने के नोटिस दिए थे। आनी के एसडीएम नरेश वर्मा ने बताया कि भवनों के गिरने की घटना में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है। इन्हें पहले ही खाली करवा दिया गया था। राजस्व विभाग की टीम मौके पर नुकसान का आंकलन कर रही है। 

बता दें कि हिमाचल में मानसून सीजन के दौरान व्यापक वर्षा से लगातार जान-माल का नुकसान हो रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार राज्य भर में अब तक 2237 मकान और 300 दुकानें ध्वस्त हुई हैं। जबकि 9924 मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा है।

बिहार को मिलेगा पहला एक्सप्रेसवे, बक्सर से भागलपुर की दूरी रह जाएगी महज चार घंटे, केंद्र और राज्य सरकार के बीच बनी सैद्धांतिक सहमति

बिहार को पहला एक्सप्रेसवे मिलने का रास्ता खुल गया है। बक्सर से भागलपुर तक एक्सप्रेसवे बनने की संभावना जांचने के लिए सर्वे और टेस्ट का काम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) जल्द ही शुरू करेगा। दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के बीच गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में बिहार के पहले एक्सप्रेसवे पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई है। अभी बक्सर से भागलपुर करीब 380 किलोमीटर के सफर में लगभग 9 घंटे का समय लग जाता है। एक्सप्रेसवे बन जाने से बक्सर से भागलपुर का सफर मात्र चार घंटे में पूरा हो जाएगा। 

आम तौर पर एक्सप्रेसवे पर 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाने की स्पीड लिमिट होती है। बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे बनने से दिल्ली और दूसरे राज्यों से लखनऊ-गाजीपुर के रास्ते बिहार आने वालों को गाजीपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे छोड़ने के बाद बिहार के एक बड़े हिस्से में लोकल ट्रैफिक के साथ संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। मंत्रालय की मंजूरी मिली तो बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे को 343 किलोमीटर लंबी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ा जा सकता है जो लखनऊ के चांदसराय से गाजीपुर के हैदरिया तक आती है। बैठक में शामिल रहे बिहार के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट होगा। इसके अलावा बिहार सरकार ने केंद्र के सामने गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, रक्सौल-पटना-हल्दिया एक्सप्रेसवे और अमास-दरभंगा एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे बनाने पर भी जोर दिया।

गडकरी ने तेजस्वी की अगुवाई में गए बिहार के प्रतिनिधिमंडल को बताया कि राजधानी पटना में जेपी सेतु के समानांतर एक छह लेन वाले पुल के लिए एनएचएआई जल्द ही टेंडर जारी करेगा। इस पुल पर 3000 करोड़ का खर्च आएगा। गडकरी ने तेजस्वी को बताया कि 2000 करोड़ से ऊपर की परियोजना के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी जरूरी है और पीएमओ ने इसे हरी झंडी दे दी है। जल्दी ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। इसके अलावा दानापुर-बिहटा एलिवेटेड रोड का काम भी जल्द ही चालू हो जाएगा जिसका टेंडर इस महीने के अंत तक फाइनल हो सकता है। गडकरी ने बताया कि पटना-गया-डोभी फोरलेन सड़क इस साल के अंत तक वाहनों के लिए चालू हो जाएगा। तेजस्वी ने गडकरी से छपरा-हाजीपुर, मुजफ्फरपुर बाईपास, महेशखूंट-सहरसा-पूर्णिया और बीरपुर-उदकिशुनगंज-बिहपुर हाइवे के काम को भी जल्द पूरा करने की अपील की।

इंदौर पुलिस द्वारा गिरफ्तार पांच बदमाशों का तार खालिस्तानी आतंकी और गैंगस्टर लारेंस विश्नोई गैंग के साथ है जुड़ा

मध्यप्रदेश: इंदौर। इंदौर पुलिस ने पांच बदमाशों को गिरफ्तार किया है इनके तार खालिस्तानी आतंकियों और गैंगस्टर लारेंस विश्नोई गैंग से जुड़े हैं। आरोपित इंदौर में लूट-चोरी और डकैती करने आते थे।

डीसीपी जोन-4 आरके सिंह के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपितों के नाम राजेंद्र, बंटी, राजू उर्फ राजेश, बलवंत और बादल हैं। पांचों बदमाशों ने पिछले दिनों अन्नपूर्णा थाना क्षेत्र में सिलसिलेवार चोरी की थी। पुलिस ने कार नंबर के आधार पर इन्हें बड़वानी, सेंधवा और दाहोद से गिरफ्तार कर लिया।

हथियार सप्लाई करता है एक आरोपित

एडीसीपी जोन-4 अभियन विश्वकर्मा के मुताबिक, पूछताछ में पता चला कि राजेंद्र सिकलीगर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब में हथियारों की सप्लाई करता है। दो साल पूर्व दिल्ली की स्पेशल सेल ने उसे 18 पिस्टल और कट्टे के साथ पकड़ा था। आरोपित खालिस्तानी आतंकियों को हथियार मुहैया करवाने गया था। इन हथियारों का इस्तेमाल पंजाब का गैंगस्टर लारेंस विश्नोई करता था। लारेंस ने गायक सिद्धू मूसावाला की हत्या करवाई है।

इंदौर पुलिस द्वारा गिरफ्तार पांच बदमाशों का तार खालिस्तानी आतंकी और गैंगस्टर लारेंस विश्नोई गैंग के साथ है संबंध

मध्यप्रदेश: इंदौर। इंदौर पुलिस ने पांच बदमाशों को गिरफ्तार किया है इनके तार खालिस्तानी आतंकियों और गैंगस्टर लारेंस विश्नोई गैंग से जुड़े हैं। आरोपित इंदौर में लूट-चोरी और डकैती करने आते थे।

डीसीपी जोन-4 आरके सिंह के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपितों के नाम राजेंद्र, बंटी, राजू उर्फ राजेश, बलवंत और बादल हैं। पांचों बदमाशों ने पिछले दिनों अन्नपूर्णा थाना क्षेत्र में सिलसिलेवार चोरी की थी। पुलिस ने कार नंबर के आधार पर इन्हें बड़वानी, सेंधवा और दाहोद से गिरफ्तार कर लिया।

हथियार सप्लाई करता है एक आरोपित

एडीसीपी जोन-4 अभियन विश्वकर्मा के मुताबिक, पूछताछ में पता चला कि राजेंद्र सिकलीगर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब में हथियारों की सप्लाई करता है। दो साल पूर्व दिल्ली की स्पेशल सेल ने उसे 18 पिस्टल और कट्टे के साथ पकड़ा था। आरोपित खालिस्तानी आतंकियों को हथियार मुहैया करवाने गया था। इन हथियारों का इस्तेमाल पंजाब का गैंगस्टर लारेंस विश्नोई करता था। लारेंस ने गायक सिद्धू मूसावाला की हत्या करवाई है।

National Film Awards 2023: 'पुष्पा...झुकेगा नहीं'! अल्लू अर्जुन बने बेस्ट एक्टर, तो आलिया भट्ट-कृति सेनन को बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड

69वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड, 

आलिया भट्ट-कृति सेनन बनीं बेस्ट एक्ट्रेस 

69वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड की अनाउंसमेंट हो गई है। पुष्पा- द राइज एक्टर अल्लू अर्जुन का जलवा कायम है। वहीं आलिया भट्ट-कृति सेनन ने भी बाजी मार ली है। एक्टर अल्लू अर्जुन को पुष्पा- द राइज के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है। वहीं आलिया भट्ट को गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए और कृति सेनन को मिमी के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला है।

'पुष्पा की चली आंधी'

पुष्पा- द राइज पार्ट 1, 2021 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने रिलीज के बाद ही धमाल मचा दिया था। हर किसी की जुबान पर सिर्फ पुष्पा भाई का नाम था। इस फिल्म में एक्टर अल्लू अर्जुन ने लीड रोल निभाया था। फिल्म में वो एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना के साथ रोमांस करते नजर आए थे। फिल्म के हिंदी वर्जन ने ही 100 करोड़ क्लब में एंट्री कर ली थी। फिल्म के गाने भी चार्टबस्टर थे।

अल्लू अर्जुन की पॉपुलर फिल्मों की बात करें तो इसमें Ala Vaikunthapurramuloo, Rudhramadevi, Arya, Race Gurram, Parugu जैसी फिल्में शामिल हैं।

गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए आलिया भट्ट को मिला अवॉर्ड 

आलिया भट्ट ने फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड अपने नाम किया है। संजय लीला भंसाली की ये फिल्म 2022 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में आलिया ने मुंबई क्वीन ऑफ माफिया गंगूबाई काठियावाड़ी का किरदार निभाया था। फिल्म ने 129 करोड़ का बिजनेस किया था।

मिमी बन कृति सेनन ने जीता दिल

एक्ट्रेस कृति सेनन को भी बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला है। उन्होंने फिल्म मिमी के लिए ये अवॉर्ड हासिल किया है। ये 2021 में रिलीज हुई थी। इसे लक्ष्मण उटेकर ने डायरेक्ट किया था। फिल्म में कृति सेनन के रोल को काफी सराहा गया था। बता दें कि पंकज त्रिपाठी ने भी मिमी के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का खिताब जीता है।

बंगाल के विश्विद्यालयों में रैगिंग रोकने के लिए अपनी हाई टेक्नोलॉजी देगा ISRO, गवर्नर बोस ने मांगी थी सलाह

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालय परिसरों में रैगिंग रोकने के लिए एक उन्नत तकनीक देने की पेशकश की है। दरअसल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति सी वी आनंद बोस ने परिसरों में रैगिंग को असरदार तरीके से रोकने और खत्म करने के लिए उचित तकनीक की पहचान करने के लिए इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ से संपर्क किया था।

गवर्नर बोस ने इस मामले पर हैदराबाद के एडवांस्ड डेटा प्रोसेसिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (ADRIN) से भी चर्चा की। प्रौद्योगिकी कई संसाधनों का इस्तेमाल करेगी, जैसे वीडियो एनालिटिक्स, छवि मिलान, स्वचालित लक्ष्य पहचान और रिमोट सेंसिंग। बता दें कि, यह घटनाक्रम जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष के एक छात्र की विश्वविद्यालय के छात्रावास में कथित तौर पर बालकनी से गिरने के बाद मौत के कुछ दिनों बाद आया है।

छात्र की मौत के मामले में कुल 12 लोगों को अरेस्ट किया गया था। गिरफ्तार किए गए लोगों में विश्वविद्यालय के वर्तमान और पूर्व छात्र भी शामिल हैं, जिन्होंने छात्र की मौत में सक्रिय भूमिका निभाई थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, बताया गया था कि, पीड़ित छात्र की बुरी तरह रैगिंग की गई थी, और इसी के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर राज्य की ममता सरकार पर भी काफी सवाल उठे थे।

WWE स्टार Bray Wyatt का महज 36 वर्ष की उम्र में दुखद निधन, Triple H ने ट्वीट कर दी जानकारी, दुनियाभर में उनके फैन्स में शोक की लहर

 WWE फेम ब्रे वायट (Bray Wyatt) का आज शुक्रवार (25 अगस्त) सुबह निधन हो गया, इसकी जानकारी WWE के स्टार रेसलर ट्रिपल एच ने दी। बाद वाले ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जाकर कहा कि महान WWE फाइटर की आज सुबह अप्रत्याशित रूप से मृत्यु हो गई। WWE ने हार पर दुख व्यक्त करने के लिए व्याट, जिन्हें विंडहैम रोटुंडा के नाम से भी जाना जाता है, की एक तस्वीर भी ट्वीट की।

 

जाने माने WWE रेसलर ट्रिपल एच ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "अभी WWE हॉल ऑफ फेमर माइक रोटुंडा का फोन आया, जिन्होंने हमें दुखद खबर दी कि हमारे WWE परिवार के आजीवन सदस्य विंडहैम रोटुंडा - जिन्हें ब्रे वायट के नाम से भी जाना जाता है - का आज अप्रत्याशित रूप से निधन हो गया। हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं और हम उनसे प्रार्थना करते हैं। ट्रिपल एच ने ट्वीट किया, ''इस समय हर कोई अपनी निजता का सम्मान करता है।''

WWE ने कहा है कि, "WWE को यह जानकर दुख हुआ कि विंडहैम रोटुंडा, जिन्हें ब्रे वायट के नाम से भी जाना जाता है, का गुरुवार, 24 अगस्त को 36 साल की उम्र में निधन हो गया। WWE रोटुंडा के परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता है।"

जम्मू कश्मीर से क्यों हटाया अनुच्छेद 370 , पढ़िए, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या क्या तर्क रखे

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए अनुच्छेद 370 को खत्म करना जरूरी था। सरकार ने कहा कि इसकी (अनुच्छेद-370) वजह से जम्मू कश्मीर के लोग केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे जो देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों को मिल रहा था।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष 10वें दिन की सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र द्वारा अनुच्छेद-370 खत्म करने को सही ठहराते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील दी। उन्होंने पीठ से कहा कि अनुच्छेद-370 खत्म करके जम्मू-कश्मीर के लोगों को देश के बाकी हिस्सों के लोगों की तरह मौलिक और अन्य अधिकारों और विशेषाधिकारों का आनंद लेने की अनुमति दी है। संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अलावा, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल हैं।

लोगों को नहीं मिल रहा था सरकारी लाभ

एसजी तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि यह कई मायनों में ऐतिहासिक मामला है। उन्होंने कहा कि यह अदालत 75 वर्षों में पहली बार जम्मू-कश्मीर के लोगों को दिए गए विशेषाधिकारों के मामले पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत यह भी परखेगी कि कैसे अनुच्छेद-370 की वजह से घाटी तक पहुंचने वाली केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने से लोग वंचित हो रहे थे। एसजी ने कहा कि भारत के एक वर्ग को उन अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता जो दूसरों को प्राप्त हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसकी वजह से जम्मू कश्मीर में एक मनोवैज्ञानिक द्वंद्व व्याप्त था जो इसके (अनुच्छेद-370) के निरस्तीकरण से समाप्त हो गया है।

मिलेंगे मौलिक अधिकार

एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को बड़ी संख्या में मौलिक अधिकार और अन्य अधिकार प्रदान किए जाएंगे और वे देश के अन्य हिस्सों में रह रहे लोगों (भाइयों और बहनों) के बराबर होंगे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 अस्थायी है या नहीं, इस पर चल रहे भ्रम के कारण, जम्मू-कश्मीर के निवासियों के मन में मनोवैज्ञानिक द्वंद्व था और इसे भारत के हितों से दूर रखा गया था। उन्होंने दलील को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अब तक इस कोर्ट को कई तथ्यों से अवगत नहीं कराया गया है, मैं आपको उन तथ्यों को दिखाऊंगा जो संविधान पीठ के समक्ष नहीं रखा गया है।

विलय के साथ ही खत्म हो जाती है संप्रभुता

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान पीठ से कहा कि जिस वक्त विलय पूरा होता है तो उसी क्षण संप्रभुता खो जाती है और संप्रभुता बड़े संप्रभु के अधीन हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसा जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय के साथ भी हुआ। शीर्ष न्यायालय को बताया कि भारत में विलय के साथ ही, जम्मू कश्मीर की संप्रभुता, भारत की संप्रभुता के अधीन हो गई। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि ‘विलय का महत्व क्या है? कृपया 1935 अधिनियम की धारा-5 के प्रावधान को देंखे, यह महत्वपूर्ण है। विलय का परिणाम महासंघ में एकजुट होना था। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि ‘यह संप्रभुता खोने का पहला कदम है।’ इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने अगला सवाल किया कि ‘लेकिन उन्होंने (याचिकाकर्ताओं के वकील) तर्क दिया है कि संप्रभुता का आंतरिक और बाहरी पहलू होता है और बाहरी पहलू खो गया है लेकिन आंतरिक पहलू नहीं।’ इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसको लेकर हम सचेत हैं और हम इसका समाधान करेंगे, इस बारे में पक्ष रखेंगे।

जम्मू-कश्मीर को शुरू से ही विशेष दर्जा प्राप्त था, यह अवधारणा गलत

एसजी तुषार मेहता ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि ‘यह अवधारणा पूरी तरह से गलत है कि जम्मू-कश्मीर को शुरू से ही विशेष दर्जा प्राप्त था। उन दिनों के प्रख्यात वकील रियासतों को अपना संविधान बनाने में मदद करने में शामिल थे। उन्होंने पीठ से कहा कि विलय के समझौते का मसौदा सभी राज्यों के लिए समान था और यह परिग्रहण दस्तावेज उन सभी राज्यों के लिए समान था, जो इसमें शामिल हुए थे।’ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को यह भी बताया कि ये सभी राज्य जो भारत का हिस्सा बन गए और विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, उनके कुछ अलग शब्द थे जैसे कर राज्य के पास होंगे आदि समय के साथ बदल गए और एक संघीय इकाई बन गए। ये राज्य स्वेच्छा से संविधान निर्माण की प्रक्रिया में शामिल हुए। पंडित नेहरू ने स्पष्ट कर दिया था कि हम राजाओं के दैवीय अधिकार स्वीकार नहीं करेंगे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल का जिक्र

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष कोर्ट को तारीखों की सूची के माध्यम से अदालत को बताया कि प्रत्येक रियासत को अनुच्छेद-1 के साथ विलय के दस्तावेजों में अपने नियम और शर्तें डालने की अनुमति दी गई थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि ‘यह इन रियासतों को आत्मविश्वास की भावना देने के लिए था ताकि वे कुछ विषयों को अपने पास रख सकें या संघीय विधायिका के पास अपना सकें। इसके पीछे का इरादा यह था कि राज्यों का भारत में विलय हो जाए। कृपया हमें दिखाएं कि क्या विलय पत्र का कोई मसौदा था और इसे किसने तैयार किया था।’ इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जो प्रावधान अस्थायी था, वह 75 वर्षों से अधिक समय से लागू है। जिन्ना ने कश्मीर समस्या पर चर्चा के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू को पाकिस्तान बुलाया गया था। लॉर्ड माउंटबेटन, नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल को गांधी जी से मिलने के लिए बिड़ला हाउस बुलाया गया क्योंकि सरदार पटेल जिन्ना से मिलने जाने के खिलाफ थे, जबकि लॉर्ड माउंटबेटन इच्छुक थे। बाद में पता चला कि चूंकि नेहरू को तेज बुखार था, इसलिए वे नहीं जा सकते और इसलिए केवल माउंटबेटन को जाना पड़ा। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कभी-कभी तेज बुखार चढ़ना भी कूटनीति का काम है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने भी कहा कि बेशक यह इस मामले में था।

जान बचाने को अंग काटे जा सकते हैं, अंग बचाने को जान नहीं दी जाती : एजी

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 के खत्म किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर केंद्र की ओर से बहस की शुरुआत करते हुए अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणी ने कहा कि अक्सर ऐसा होता है कि किसी की जान बचाने के लिए उसका एक अंग काट दिया जाता है, लेकिन किसी अंग को बचाने के लिए जान नहीं दी जाती।

जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद-370 का प्रावधान, अन्य के लिए नहीं : मुख्य न्यायाधीश

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि जम्मू-कश्मीर के लिए संविधान में अनुच्छेद-370 का प्रावधान किया, लेकिन अन्य राज्यों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं था और उनका विलय हो गया। उन्होंने सभी सूचियां स्वीकार कर लीं और पूरी तरह से संघ में शामिल हो गए।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, यह कहना कि अनुच्छेद-370 एक विशेषाधिकार है जिसे कभी समाप्त नहीं किया जा सकता, पूरी तरह से गलत है। ऐसे अनेक विशेषाधिकार अन्य राज्यों को भी दिए गए थे।

पीठ के सवाल 

 पीठ ने सवाल किया कि वे अपनी इच्छा से शामिल हुए, लेकिन जम्मू-कश्मीर ने उस नियम को नजरअंदाज कर दिया और अनुच्छेद-370 में शामिल हो गया। तो आप कह रहे हैं कि विभिन्न रियासतों के विलय के दस्तावेज में ऐसी कई आरक्षण और शर्तें हैं और यह भारत सरकार अधिनियम की धारा-6 के अनुरूप है और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के धारा-9 के तहत अपनाई गई है।

केंद्र के तर्क : सरकार ने कहा कि कई राज्यों ने हस्ताक्षर नहीं किए।

पीठ ने कहा : यदि हमारे पास राज्यों की सूची, उनके विलय के दस्तावेज, परिग्रहण के पूरक दस्तावेज और विलय समझौते की सूची हो।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुझे नहीं पता कि रिकॉर्ड है या नहीं, 562 राज्यों में से कितने राज्यों ने वास्तव में विलय समझौते निष्पादित नहीं किए? तब हम कह सकते हैं कि विलय समझौते का निष्पादन भारत की अंतिम संप्रभुता की स्वीकृति के लिए सर्वोत्कृष्ट नहीं था। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आपकी दलील दोतरफा है, विलय के दस्तावेज में आरक्षण की अभिव्यक्ति महाराजा हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षरित एक के लिए अद्वितीय नहीं थी और अगला विलय समझौते पर हस्ताक्षर करना भारत की अंतिम संप्रभुता की स्वीकृति के लिए अनिवार्य नहीं था।

केंद्र की दलील 

 सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था कि भविष्य केंद्र सरकार की ताकत पर निर्भर करेगा।

यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार, दो महीने बाद होगी सुनवाई

डेस्क : यूपी के चर्चित कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड मामले में जेल में बंद यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को 20 साल बाद रिहाई मिल रही है। इधर मधुमिता शुक्लाऔ की बहन निधि शुक्लाव ने यूपी सरकार के इस आदेश पर हैरानी जताते हुए अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्ट्यू ऑफ कोर्ट की याचिका लगाई थी। 

जिसपर आज 25 अगस्ते को सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी की गोरखपुर जेल से रिहाई पर रोक लगाने से इन्का र सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत इस अर्जी पर दो महीने बाद सुनवाई करेगा।

मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने बताया कि हमारे तरफ से इस मामले में पिछले 15 दिनों से उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल महोदय को अवगत कराया जा रहा है। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है और स्वीकार भी हो चुकी है जिस पर 25 अगस्त को सुनवाई होना है। मेरा अनुरोध है कि सुप्रीम कोर्ट के की जाने वाली सुनवाई तक रिहाई का आदेश रोक दिया जाए।

दरअसल मधुमिता हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई के आदेश हुए हैं। पति-पत्नी गोरखपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। दोनों आज जेल से बाहर आ सकते हैं। गुरुवार रात कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने रिहाई के आदेश जारी किए हैं। 

अमरमणि त्रिपाठी को मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वह करीब 19 साल से जेल में बंद हैं। 66 वर्ष के अमरमणि के अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कारागार प्रशासन औऱ सुधार विभाग ने यह आदेश जारी किया है।

विद्यार्थियों के लिए है महत्वपूर्ण, पढ़ लें, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 21 भर्तियों का नया कैलेंडर किया जारी, दिसंबर में पांच बड़ी भर्तियों

 उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पूर्व के कैलेंडर के हिसाब से भर्तियां शुरू न हो पाने के बाद अब दोबारा भर्तियों का नया कैलेंडर जारी किया है। इसमें जहां अक्तूबर, नवंबर व दिसंबर में परीक्षाएं कराने का निर्णय लिया गया है तो दूसरी ओर नई भर्तियों का भी जगह दी गई है।

आयोग नौ भर्तियों के प्रस्तावों (अधियाचन) का परीक्षण कर रहा है जबकि 18 प्रस्ताव कमियां होने पर शासन को लौटाए गए थे। आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने बताया कि 21 पुरानी व नई भर्तियों को इस कैलेंडर में स्थान दिया गया है। उन्होंने बताया कि नौ विभागों के प्रस्ताव आ चुके हैं, जिनका परीक्षण करने के बाद उन्हें कैलेंडर में शामिल किया जाएगा।

प्रधानाचार्य श्रेणी-2 की भर्तियां शामिल

इसमें अपर निजी सचिव, पुलिस कांस्टेबल, सहायक शोध अधिकारी, प्रवक्ता राजकीय पॉलिटेक्निक, अपर निजी सचिव, औषधि निरीक्षक ग्रेड-2, पुलिस उपाधीक्षक, प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक, कर्मशाला अधीक्षक, प्रधानाचार्य श्रेणी-2 की भर्तियां शामिल हैं।

इनके अलावा 18 ऐसी भर्तियां हैं, जिनके प्रस्ताव आए थे लेकिन कुछ बिंदुओं को लेकर शासन को भेजे गए थे। जब ये वापस आ जाएंगे तो उनकी तिथियां भी जारी की जाएंगी। इनमें फॉरेस्ट स्केलर, लौगिंग अधिकारी, रेंजर जैसी भर्तियां शामिल हैं।

कौन से भर्ती की परीक्षा कब

-भर्ती का नाम- परीक्षा तिथि

-पीसीएस-जे मुख्य परीक्षा- हाईकोर्ट के आदेश के बाद

-सहायक लेखाकार परीक्षा 2022- 28 अगस्त से टाइपिंग परीक्षा

-फॉरेस्ट गार्ड भर्ती 2022- अक्तूबर माह में

-जेल बंदीरक्षक भर्ती 2022- 15 अक्तूबर

-संभागीय निरीक्षक परीक्षा 2022- 16-17 अक्तूबर

-मानचित्रकार-प्रारूपकार परीक्षा 2022- 05 नवंबर

-सहकारिता पर्यवेक्षक पर्यावरण पर्यवेक्षक 2023- 19 नवंबर

-अधिशासी अधिकारी, कर व राजस्व निरीक्षक भर्ती 2023- 26 नवंबर

-सफाई निरीक्षक परीक्षा 2023- 03 दिसंबर

-पशुचिकित्साधिकारी ग्रेड-2 परीक्षा 2023- 10 दिसंबर

-समीक्षा-सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2023- 17 दिसंबर

-सहायक नियोजक एवं वास्तुविद नियोजक परीक्षा 2023- 20 दिसंबर

-कंबाइंड जेई भर्ती परीक्षा 2023- 23, 24, 26 व 27 दिसंबर

-गन्ना-दुग्ध पर्यवेक्षक परीक्षा 2023- 28 जनवरी 2024

-आईटीआई अनुदेशक समूह-ग परीक्षा 2023- 03 फरवरी 2024

-सहायक कृषि, उद्यान पर्यवेक्षक परीक्षा 2023- 10 फरवरी 2024

-व्यवस्थाधिकारी परीक्षा 2023- 02 मार्च 2024

-व्यवस्थापक राज्य संपत्ति परीक्षा 2023- 16 मार्च 2024

-प्रयोगशाला सहायक(विधि विज्ञान) परीक्षा 2023- 31 मार्च 2024

-अन्वेषक कम संगणक परीक्षा 2023- 31 मार्च 2024

-प्रयोगशाला सहायक(उच्च शिक्षा) परीक्षा 2023- 23-26 अप्रैल 2024