*मेदांता हॉस्पिटल में सीलिएक अवेयरनेस मंथ पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम*
लखनऊ। मेदांता हॉस्पिटल में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अस्पताल के पीडिट्रिक गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ.दुर्गा प्रसाद ने सीलिएक डिजीज सिम्टम्स और उससे बचने के उपाय बताए।
उन्होंने बताया कि सीलिएक रोग एक इम्यून रिएक्शन है जो कि इम्यून सस्सेप्टिबल लोगों में ग्लूटेन युक्त आहार ( गेंहू, जौ, और राई ) खाए जाने से होता है जो की 1फीसदी आबादी में पाई जाती है। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है जो कि गेंहू, जौ, और राई में मुख्य रूप से पाया जाता है और ये उत्तर भारत में हमारा मुख्य आहार है।ये बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है हलांकि ये व्यस्कों में भी हो सकती है।
बच्चों में इस बीमारी से उनके फिजिकल ग्रोथ पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है। वहीं अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के डायरेक्टर अभय वर्मा और अन्य सलाहकार डॉ आलोक कुमार और डॉ अजय कुमार भी मौजूद थे। प्रेस वार्ता में ट्रीटमेंट से ठीक हुए बच्चों और उनके अभिभावकों ने अपने अनुभव भी साझा किए।
डॉ दुर्गा प्रसाद ने बताया कि यह बीमारी आंतों को नुकसान पहुंचाती है। जिसमें खाने की सही डाइजेशन ना होने से डायरिया और डिफिशिएंसी न्यूट्रिएंट्स हो जाते हैं।
इस बीमारी में दस्त के अलावा विकास की समस्या, एनिमा, पेट दर्द, पेट का फूलना और पेट में सूजन शामिल हैं। कई बार सही समय पर जांच और ट्रीटमेंट न हो तो बच्चे गंभीर भी हो सकते हैं।
डॉ. दुर्गा प्रसाद ने बताया कि सीलिएक रोग से बच्चों का विकास धीमा होने लगता है। बच्चों में चिड़चिड़ापन, हड्डियों में दर्द होना, त्वचा पर निशान दिखना, बालों का झड़ना, हाथ-पैरों में झुनझुनी, थकान और सिरदर्द, डिप्रेशन, ध्यान देने में कठिनाई आदि होने लगती है।
जब परिवार में किसी करीबी सदस्य जैसे माता-पिता को सीलिएक रोग होता है, तो बच्चे में इसके होने की संभावना भी अधिक रहती है।
डॉ दुर्गा प्रसाद ने सीलिएक रोग से बचाव के लिए बताया कि इसमें एक विशेष डाइट चार्ट होता है जो माता-पिता को साथ में दिया जाता है। इससे बचने के लिए खान-पान पर खास ध्यान देना जरूरी होता है। इससे बचने के लिए आपको ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से हमेशा दूरी बनानी पड़ती है। इससे गेहूं, राई, से बने खाद्य पदार्थों जैसे रोटी, ब्रेड, पास्ता, बिस्कुट, केक और कुकीज का सेवन बिल्कुल न करें।
सोया सॉस, डिब्बाबंद सूप और आइसक्रीम के सेवन से भी बचें। चटनी, मसाला और कैचअप में भी ग्लूटेन होता है। कार्यक्रम में सीलिएक रोग से ग्रसित रहे बच्चों और उनके अभिभावकों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि किस तरह से साधारण से दिखने वाली बीमारी की वजह से बच्चों को क्या दिक्कतों का सामना करना पड़ा। डॉ दुर्गा प्रसाद ने कहा कि विश्व सीलिएक डिजीज अवेयरनेस डे के अवसर पर हम चाहते हैं कि लोग इस बीमारी की गंभीरता को समझें और इस रोग के लक्षण होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह लें। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि मेदांता हॉस्पिटल में गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी समेत सभी बड़े विभाग मौजूद हैं।
जहां विशेषज्ञ डॉक्टर्स और डेडीकेटेड पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। हम एक छत के नीचे मरीजों को सभी तरह की गंभीर बीमारियों का इलाज मुहैया करवाते हैं।
May 25 2023, 17:26