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जिला क्षयरोग केंद्र से आज निकलेगी रैली, गोष्ठी के माध्यम से करेंगे जागरूक

कानपुर | वैसे तो बाल और नाखून छोड़ कर (टीबी) क्षयरोग शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है, लेकिन पल्मनरी यानि फेफेड़े की टीबी का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक खांसने और छींकने के जरिये प्रसार होता है। ऐसे में अगर टीबी मरीज को समय से ढूंढ कर इलाज न किया जाए तो वह वर्ष में दस से पंद्रह लोगों को टीबी संक्रमित कर सकता है । अगर टीबी के लक्षण, जांच और इलाज की जानकारीज जन तक पहुंचाई जाए तो नये मरीजों को खोज कर टीबी का उन्मूलन करना संभव होगा ।

उक्त जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने गुरुवार को रामदेवी स्थित अपने कार्यालय में विश्व क्षयरोग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसे लेकर जनपद में कुल 26 टीबी यूनिट हैं जनपद में 1043 डॉट्स सेंटर हैं, इसमें आशा अपने सामने क्षय रोगियों को दवा खिलाती हैं।

सरकारी प्रावधानों के अनुसार ही मरीज की सीबी नॉट, एचआईवी और मधुमेह की भी जांच कराई जाती है। एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) की जांच के लिए चार सीबी नॉट एवं 14 ट्रूनेट जांच मशीनें हैं। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को ढूंढ कर उन्हें इलाज से जोड़ना अति आवश्यक है। टीबी का सम्पूर्ण इलाज संभव है, बशर्ते मरीज बीच में दवा न बंद करें और दवा की पूरी डोज लें। बीच में दवा छोड़ देने या इलाज न करवाने से ड्रग रेसिस्टेंट टीबी हो जाता है।

फिर इलाज जटिल हो जाता है। टीबी मरीज को इलाज चलने तक 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए दिये जाते हैं। निजी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले टीबी मरीज भी चिकित्सक की सहमति से सरकारी अस्पताल की सेवा प्राप्त कर सकते हैं। जिले में इस समय कुल 8040 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है । जनवरी 2023 से अब तक कुल 3657 क्षयरोगियों को चिन्हित किया जा चुका है।जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ एपी मिश्रा ने बताया की अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी, रात में बुखार, पसीने के साथ बुखार, तेजी से वजन घटने, भूख न लगने जैसी दिक्कत हो तो वह संभावित टीबी रोगी हो सकता है। इन लक्षण वाले लोगों को प्रोत्साहित कर टीबी जांच करवाएं।

जांच की सुविधा सरकारी प्रावधानों के अनुसार 26 टीबी यूनिट्स सहित सभी सीएचसी, पीएचसी, जिला क्षय रोग केंद्र और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है । जांच में टीबी की पुष्टि होने पर तुरंत इलाज शुरू किया जाता है और मरीज के निकट सम्पर्कियों की भी टीबी जांच कराई जाती है। अगर निकट सम्पर्की में कोई टीबी मरीज मिलता है तो उसका भी इलाज कराया जाता है। निकट सम्पर्कियों में टीबी की पुष्टि न होने पर भी बचाव की दवा खिलाई जाती है ।

जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया की विश्व क्षयरोग दिवस के उपलक्ष में ग्राम से लेकर जिला स्तर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिला क्षयरोग नियंत्रण केंद्र से क्षयरोग जागरूकता रैली निकाली जायेगी और गोष्ठी कर क्षयरोग के प्रति जागरूक किया जाएगा।प्रेसवार्ता के दौरान स्वास्थ्य अधिकारीयों सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।

दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में एनएसएस के सात दिवसीय विशेष शिविर का हुआ शुभारंभ


कानपुर।दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर में 23 मार्च, 2023 को एनएसएस के सात दिवसीय विशेष शिविर का शुभारंभ मुख्य अतिथि नमामि गंगे विभाग भाजपा के प्रदेश संयोजक कृष्ण दीक्षित बड़े अनुसूचित जनजाति मोर्चा, कानपुर के जिलाध्यक्ष अनूप चौधरी , स्वस्थ संसार संस्थान (एनजीओ) के संस्थापक प्रमोद श्याम के द्वारा किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रोफेसर अर्चना वर्मा ने तथा संचालन कार्यक्रम संयोजिका, एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने किया। प्रथम सत्र में सरस्वती वंदना के साथ ही शहीद दिवस के उपलक्ष में भारत के गौरव, शान और आजादी के लिए लड़ने वाले सरदार भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु, सुखदेव को श्रद्धांजलि दी गई। जिसमें सरदार भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि तथा शहीद दिवस स्पीच व कविता पाठ एवम् पोस्टर प्रेजेंटेशन एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा किया गया।

तत्पश्चात द्वितीय सत्र में आज के मुख्य विषय आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत पोस्टर प्रदर्शन व रैली का आयोजन किया गया। एनएसएस वॉलिंटियर्स ने आत्मनिर्भर भारत के ऊपर अपने विचार भी रखे। छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए मुख्य अतिथि ने विषय को समीचीन बताते हुए कहा कि यह विषय वर्तमान संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना की घोषणा की है। जिससे कि देश के 130 करोड़ लोग आत्मनिर्भर हो और हम कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम हो। प्राचार्या ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत - मेक इन इंडिया स्टार्टअप देश में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकता है।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से एनएसएस वॉलिंटियर्स सौम्या उपाध्याय दीक्षा शिखा वैष्णवी अभिव्यंजना आदि का योगदान रहा। सभी वॉलिंटियर्स ने कैंप की सभी गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ अंजना श्रीवास्तव , डॉ श्वेता, कृष्णेंद्र श्रीवास्तव, आकांक्षा, दीपा, रामचंद्र सुमित महाविद्यालय के समस्त टीचिंग में नॉन टीचिंग स्टाफ का सराहनीय योगदान रहा।

प्रताड़ित महिला पहुंची पुलिस अधीक्षक की चौखट पर


कानपुर। महिला ने लगाए युवक पर गंभीर आरोप।महिला ने बताया कि आरोपी युवक से उसे जान का खतरा भी है।पूरा मामला शुक्लागंज का है।

बताते चलें कि उन्नाव शहर के पी डी नगर निवासी मनु अवस्थी खुद को किसी पेपर का पत्रकार बता कर करता है वसूली।होटल में जाकर करता है रंग रेलिया पूर्व में हो चुकी है एक महिला के लिए कई सारी फोटो वायरल।

उसके बाद अब यह जिले के सदर विधायक के परिवार के सदस्य और अन्य के खिलाफ दे रहा है धमकी ।मामले को लेकर जिले के पुलिस अधिकारी कर रहे है जांच।कभी भी हो सकती है बड़ी कार्यवाही।

डीएम कार्डियक एनेस्थीसिया की सीटें बढ़ी


कानपुर। हृदय रोग संस्थान प्रदेश का पहला ऐसा सेन्टर है, जहाँ प्रदेश में पहली बार डीएम (कार्डियक एनेस्थीसिया कोर्स) त्रिवर्षीय सुपर स्पेशियलिटी कोर्स 3 सीटों के साथ वर्ष 2020 में प्रारम्भ हुआ था। एनएमसी द्वारा संस्थान में रोगियों की बढ़ती हुयी संख्या एवं बृहत स्तर पर चल रहे उपचार कार्य को देखते हुये सीटों की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी है।

बतादे, एसजीपीजीआई लखनऊ, केजीएमयू लखनऊ, आरएमएल लखनऊ सहित प्रदेश के किसी भी संस्थान / मेडिकल कालेज में यह कोर्स अभी तक प्रारम्भ नही हुआ है।

प्रदेश में नये-नये मेडिकल कालेजों के खुलने के साथ-साथ बड़ी संख्या में आईसीसीयू एवं कैथलैबो की स्थापना हो रही है, इनके संचालन के लिए कार्डियक एनेस्थीसिया की विधा में शिक्षित प्रशिक्षित एवं पारंगत मानव संसाधन की आवश्यकता बहुत बढ़ी संख्या में शीघ्र ही पड़ने वाली है।प्रदेश में मानव संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए हृदय रोग संस्थान हमेशा अग्रणी रहा है।

इस कोर्स को संस्थान में प्रारम्भ कराने एवं सीटो को बढ़ाने में विशेष योगदान श्री आलोक कुमार, आईएएस, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उoप्रo, श्रीमती श्रुति सिंह, आईएएस महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, उ०प्र० एवं उनकी टीम का रहा है, जिन्होने इसके लिए सभी औपचारिकताएं युद्ध स्तर पर पूर्ण करायी है।

आर्थिक तंगी से ना हो परेशान, क्षयरोग विभाग के पास है समाधान


कानपुर | अगर आप क्षय रोगी हैं तो आपके इलाज में आर्थिक तंगी जैसी कोई बाधा नहीं आएगी। इलाज चाहे निजी चिकित्सालय में ही क्यों न करवा रहे हों। बस एक सूचना क्षय रोग केंद्र में दें और आपका पूरा इलाज हो जाएगा। शर्त बस इतनी है कि टीबी की दवा का कोर्स बीच न छोड़ें और दवा का पूरा कोर्स करें।

टीबी के इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत उचित पोषण के लिए सरकार द्वारा प्रतिमाह ₹500 की राशि भी मुहैया करवाई जाती है । जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एपी मिश्रा ने बताया कि विश्व के कुल टीबी मरीजों में से 23 प्रतिशत मरीज भारत में हैं।

टीबी से हर तीन मिनट में 2 व्यक्तियों की मौत हो जाती है और बच्चों में टीबी की बीमारी से करीब तीन लाख बच्चे हर साल स्कूल जाने से वंचित हो जाते हैं। इसलिए चिकित्सक के निर्देशानुसार टीबी की सभी दवाएं बिना अंतराल के लेना अति आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि दो सप्ताह या इससे अधिक समय से खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम के समय हल्का बुखार आना, वजन का कम होना और भूख न लगना आदि क्षय रोग के लक्षण होते हैं।

जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना बताते हैं कि टीबी होने पर बिना किसी अंतराल के दवा का कोर्स पूरा करना चाहिये। उनका कहना है की बहुत सारे कारणों से कुछ क्षयरोगी दवा बीच में ही छोड़ देते हैं जिसकी वजह से टीबी और भी ज्यादा गंभीर और कष्टदायी हो जाती है जिसका इलाज लंबा और ।

इसके मुख्य कारणों में हैं आर्थिक तंगी, घर से अस्पताल की दूरी और शुरूआती महीनों में बेहतर महसूस करने पर। पर अब क्षयरोग विभाग किसी भी कारण को इलाज के आड़े नहीं आने देगा । उन्होंने बताया की यदि कोई क्षयरोगी अपना इलाज निजी संस्थान में ले रहा हो और वह पैसों की कमी या उसके घर की दूरी अस्पताल से ज्यादा होने के कारण इलाज लेने में असमर्थ है तो ऐसे में जरुरत है की वह इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग या क्षयरोग विभाग को दे।

इस स्थिति में विभाग द्वारा जहाँ आपका इलाज चल रहा था वहाँ मुफ्त दवायें उपलब्ध करवा दी जायेंगी। इसके साथ ही अगर घर से केंद्र क दूरी ज्यादा है तो विभाग द्वारा घर के नजदीक ट्रीटमेंट सप्पोर्टर की नियुक्ति करवाई जायेगी जो घर पर ही दवायें उपलब्ध करवा देगा।

उनका कहना है की विभाग का मुख्य उद्देश्य है की क्षयरोग का इलाज पूरा हो और दवा बीच में ना छूटे। इन केंद्रों पर आप बिना किसी झिझक जाकर क्षयरोग के बारे में जानकारी, सही परामर्श और दवायें पा सकते है |

श्रीबाकें बिहारी महोत्सव एवं होली मिलन समारोह का आयोजन

कानपुर। मुहिम वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वावधान मे 10वें स्थापना दिवस पर श्रीबाकें बिहारी महोत्सव एवं होली मिलन समारोह का आयोजन बनारस लाॅन नयागंज कानपुर मे हुआ।

संस्था10 वर्षो से लगातार समाजिक कार्यो मे निस्वार्थ भाव से कार्यरत है उसी क्रम मे इस कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ, कार्यक्रम का शुभारम्भ गणेश वन्दना से हुआ ,तत्पश्चात बाके बिहारी जी संग राधारानी के भजनो ने भक्तो का मनमोह लिया ,भजन संध्या माता अंजनी भक्त मण्डल द्वारा हुई संस्था के सभी सदस्यो ने राधा रानी कान्हा जी की झांकी नृत्य का आनन्द लेते हुएराधा रानी के चरणो में फूलो की होली खेली ,कार्यक्रम का विश्राम आरती के पश्चात देर रात्रि हुआ ।

कार्यक्रम का संयोजन विभोर द्विवेदी एवं भरत मिश्रा द्वारा हुआ,सह सयोजन अंकित गुप्ता द्वारा हुआ।कार्यक्रम मे कई गणमान्य लोगो एवं जन प्रतिनिधियो की उपस्थित रही कार्यक्रम मुख्य रूप संरक्षक ,अमरनाथ द्विवेदी,अनिलशर्मा,विक्रम अवस्थी ,प्रदेश अध्यक्ष विभोर द्विवेदी ,प्रदेश महामंत्री भरत मिश्रा,कुशाग्र गुप्त, रोहित शर्मा बसन्त द्विवेदी , विकास साहू ,धीरेन्द्र बाजपेई अभिषेकमिश्र,अजय अवस्थी,हितेश अग्रवाल, अंकित गुप्ता,जगदीश जायसवाल,शाश्वत गुप्ता,श्रवण गुप्ता,अमन शुक्ल, आदि रहे।

मुकदमें से नाम निकालने के खेल पर अफसरों ने फेरा पानी


कानपुर। काकादेव में कारोबारी की बेटी के साथ रेप, ब्लैकमेलिंग की घटना में काकादेव पुलिस का बड़ा खेल सामने आया है।

मुकदमा दर्ज होने के बाद जिन आरोपियों को पकड़ने के लिये पुलिस पीड़ित को आश्वासन देती रही वही पुलिस मुकदमें से उनका नाम निकालने में जुट गयी है। पूरे मामले में सत्तापक्ष के एक विधायक का दबाव बताकर इंस्पेक्टर और आईओ मामले में खेल करने में जुटे थे पर इसी बीच एक सांसद के हस्ताक्षेप के बाद सीपी ने पूरे मामले को तलब कर लिया जिसके बाद थानापुलिस की सारी कलई खुलती नजर आ रही है। काकादेव निवासी हास्टल संचालक की बेटी को तेजाब मिल निवासी युवक ने प्रेम जाल में फंसा कर रेप करके वीडियो बना लिये, उसके बाद ब्लैकमेलिंग करता था। इस पूरे केस में छात्रा की सहेली ने उसकी सोशल आईडी आरोपी को मुहैया करा कर दोस्ती करने का दबाव दिया था जिसकी चैटिंग पीड़ित ने पुलिस को दी थी।

पुलिस ने शुरूआत में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। वहीं पीड़िता के द्वारा दबाव में दिये गये सोने के बिस्कुट को जिस लकी सुनार ने बिकवाया था उसे पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया और तो और नितेश और आरोपी छात्रा का भी पुलिस मुकदमें से नाम निकाल कर एसीपी आफिस फाइल भेज दी। थानापुलिस का खेल यहीं रूका है बल्कि पीड़ित को दबाव दिया जा रहा है सुनार को मुकदमें में शामिल कर लिया जायेगा अगर वो किशोरी और एक युवक का नाम मुकदमें से निकालने में राजी हो जाये। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूरे मामले में काकादेव इंस्पेक्टर की भूमिका भी संदेह के घेरे मे है।

खास बात यह कि बर्रा में डॉक्टर दम्पति की बेटी से हुई घटना में अजय ठाकुर नाम के आरोपी का नाम मुकदमें है, पर 164 के बयान में उसका नाम पीड़िता ने नहीं लिया पर पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिये हाथ पैर मार रही है काकादेव प्रकरण में आरोपियों के नाम मुकदमें भी है और पीड़िता ने कोर्ट में जो बयान दिये उसमें भी पर थानापुलिस जांच में क्लू न मिलने की बात कहकर खेल कर गयी। पूरे मामले में पुलिस आयुक्त ने एसीपी के यहां नाम निकाल कर भेजी गयी फाइल तो तलब कर लिया है। अब अफसरों की निगरानी में पूरी जांच होगी। नामी पान मसाला कारोबारी से थानेदार के गठजोड़ की चर्चा तेज

एच बी मीडिया फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक व्यापार महासभा ने किया होली मिलन समारोह का आयोजन


कानपुर। उत्तर प्रदेश में कानपुर एक मात्र ऐसा शहर है जहां पर होली का पर्व बड़े ही हर्ष उल्लास से मनाया जाता है ।

होली के त्यौहार के बाद होली मिलन समारोह एक माह तक चलता रहता है इसी संदर्भ में सिविल लाइंस स्थित मेथाडिस्ट चर्च के पास राष्ट्रीय अल्पसंख्यक व्यापार महासभा एवं एच बी मिडिया फाउंडेशन के नेतृत्व में होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया! कार्यक्रम में सभी पार्टी के राजनीतिक लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

 अध्यक्ष संजीव साइलस ने बताया कि रंगों का त्योहार होली शहरवासी बड़े धूमधाम से मनाते हैं दिलों को जोड़ने का त्यौहार है हम ऐसे त्योहारों का सम्मान करते हैं। एच बी फाउंडेशन चेयरमैन मोहम्मद इरशाद सिद्दीकी ने कहा कि हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक होली का पावन पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है हमारी फाउंडेशन सभी लोगों के धर्म का सम्मान करती है। 

कांग्रेस पार्टी से मेयर प्रत्याशी पवन गुप्ता, मदन मोहन शुक्ला शमी इकबाल, एच बी मीडिया फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष एस के मणि, जिलाध्यक्ष श्याम अवस्थी, उपाध्यक्ष सोनल द्विवेदी, भारतीय मजदूर संघ से श्री कान्त अवस्थी, प्रिती गुप्ता, इरफान,कासिफ खान,फुरकान अहमद,अलीम सर, समाजवादी नेता हरिओम पान्डे, शैलेश पान्डे,अम्मार रिजवी, हसन जैदी, आम आदमी पार्टी से जावेद आलम,इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मुकीम कुरेशी,पूर्व पार्षद हरिओम पांडे, संजय सिंह, मौजूद रहे!

*"सतत विकास में महिलाओं की अग्रणी भूमिका" विषय पर गोष्ठी का आयोजन*


कानपुर- दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में 17 मार्च को जी-20 को लेकर "सतत विकास में महिलाओं की अग्रणी भूमिका" विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता पूर्व भारतीय वायु सेना अधिकारी, पर्वतारोही (एवरेस्ट पर्वतारोही), अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता (TEDx), लेखिका, शिक्षाविद, उत्तर प्रदेश की G–20 ब्रांड एंबेसडर, स्क्वाड्रन लीडर तुलिका रानी रही।

तुलिका रानी ने कहा कि महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। अतः महिलाओं की अनदेखी करके हम किसी विकसित राष्ट्र का सपना नहीं संजो सकते। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत के लिए जी-20 अध्यक्षता अमृत काल की शुरुआत है जो हमें "वसुधैव कुटुंबकम" के आधार पर समावेशी विकास की ओर उन्मुख करता है। संचालन डॉ मनीष पांडे ने किया।

संयोजिका डॉक्टर संगीता सिरोही ने बताया कि गोष्ठी में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता व समावेशी विकास आदि मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से चीफ प्रॉक्टर प्रो अर्चना श्रीवास्तव, महाविद्यालय जी–20 समिति के सभी सदस्य, समस्त विभागाध्यक्ष व प्राध्यापिकाएं, छात्राएं व शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।

*अब कानपुर शहर में भी उपलब्ध होगी लिवर सम्बंधित किसी भी प्रकार की सर्जरी के परामर्श की सुविधा*


कानपुर- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा शनिवार को दोपहर 2:30 बजे एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। आई०एम०ए० कानपुर के अध्यक्ष डा० पंकज गुलाटी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

डॉ विशाल कुमार चौरसिया ने बताया कि अब कानपुर शहर में लिवर सम्बंधित किसी भी प्रकार की सर्जरी के परामर्श के लिए सुविधा ओपीडी के ज़रिये उपलब्ध होगी। डॉ विशाल चौरसिया ने और जानकारी देते हुए कहा की गंभीर लिवर रोग के कारण शरीर के प्रमुख अंग जैसे लिवर, किडनी आदि ख़राब हो जातें हैं, ऐसी स्थिति में इलाज के दृष्टिकोण से प्रत्यारोपण करना एक जीवन दायक विकल्प माना जाता है, डॉ विशाल चौरसिया ने कहा की जागरूकता की कमी, प्रत्यारोपण की उचित सुविधाओं तक पहुंच ना होने और सही डोनर के ना मिलने के कारण बहुत भारी संख्या में मरीज़ इस विकल्प का चुनाव कर पाने में असमर्थ होते हैं।

लिवर शरीर को सुचारू रूप से चलाने का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ऑर्गन (अंग) है। लिवर शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थ को फिल्‍टर करके बाहर निकालने का काम करता है। साथ ही ये ब्‍लड शुगर को मेंटेन करने का काम भी बखूबी करता है। लिवर काफी नाजु‍क और संवेदनशील ऑर्गन है जो खराब आदतों जैसे शराब, सिगरेट और तंबाकू का सेवन करने से डैमेज हो सकता है। कई बीमारियों की वजह से भी लिवर डिजीज होने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार बीमारी बढ़ने के कारण लिवर फेलियर या कैंसर जैसी स्थिति का भी सामना करना पड़ जाता है। हालांकि ऐसी स्थिति का सामना केवल गंभीर पेशेंट को ही करना पड़ता है। कैंसर या लिवर फेलियर से बचने के लिए लिवर ट्रांसप्‍लांट का सहारा लिया जाता है।

लिवर ट्रांसप्‍लांट एक बीमार लिवर को स्‍वस्‍थ्य लिवर से बदलने की प्रक्रिया है जो किसी अन्‍य व्‍यक्ति या डोनर के शरीर से लिया जाता है। लिवर ट्रांसप्‍लांट के लिए एक डोनर की आवश्‍यकता पड़ती है। हाल ही में मृत घोषित किए गए व्‍यक्ति का लिवर अन्‍य व्‍यक्ति के शरीर में लगाया जा सकता है या एक हेल्‍दी व्‍यक्ति भी लिवर डोनेट कर सकता है। लिवर कमजोर होने की बीमारी को सिरोसिस के नाम से जाना जाता है। बता दें कि सिरोसिस कई कारणों से हो सकता है, हेपिटाइटिस बी और सी, डायबिटीज, मोटापा और अधिक शराब का सेवन इस समस्‍या को बढ़ा सकता है। लिवर डिजीज कई बच्‍चों में जन्‍मजात भी हो सकती है।

डॉ दिनेश चंद्रा कटियार ने कहा कि भारत में अब हर प्रकार के कैंसर का इलाज उपलब्ध है समय पर जांच और कैंसर जागरूकता ही कैंसर पर जीत का एकमात्र तरीका है. नवीनतम उपकरणों और नए उपचार से हर तरह कैंसर का इलाज किया जा सकता है. डॉ दिनेश कटियार ने कानपुर में विशेष रूप से मुंह के कैंसर के बारे में बात की, जो अब गुटखा सेवन के कारण प्रसिद्ध हो गया है। प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का निदान हो जाना ज़रूरी है और अक्सर यह इलाज में बहुत फायदेमंद साबित होता है। इसमें कैंसर स्क्रीनिंग का बहुत बड़ा योगदान रहता है।समय रहते डायग्नोज़ होने से कैंसर का सही तरीके से इलाज और बचाव संभव हो सकता है। ज़्यादातर मामलों में लोग बहुत देरी से पहुंचते हैं क्योंकि शुरुआती स्टेज में कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए 40 साल की उम्र से हमे अपने बाकी नियमित परीक्षण के साथ-साथ कुछ अन्य परीक्षण करवाने की आवश्यकता पढ़ती है। आप अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद जांच करवा सकते हैं क्योंकि इसमें आपकी उम्र, आपकी जीवन शैली, आपके परिवार का मेडिकल इतिहास के हिसाब से कैंसर की जांच करवाने की सलाह दी जाती है।

कुछ प्रमुख टेस्ट्स हैं: छाती का एक्स-रे, लंग्स का सीटी स्कैन जिसमे लंग्स के कैंसर को डायग्नोज़ किया जा सकता है। पुरुषों में एक ब्लड टेस्ट होता है जो प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, पूरे पेट का अल्ट्रासाउंड जो महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए करवाना अनिवार्य है। इसके साथ ही महिलाओं में पाप स्मीयर नाम की जांच करवाना ज़रूरी है जिसके द्वारा सर्वाइकल कैंसर के होने का पता चलता है और एक मैमोग्राफी टेस्ट जिससे ब्रेस्ट के कैंसर का पता लगाया जा सकता है। ये दोनों ही कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और ब्रैस्ट कैंसर, महिलाओं के अंदर बहुत कॉमन हैं इसलिए यह जांच अपने गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेकर करवा सकती हैं।

कैंसर से बचाव के लिए जागरूकता बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि अधिकतर मरीज़ स्टेज 3 या स्टेज 4 पर पहुंच जाते हैं। जितना जल्दी हम कैंसर को डायग्नोज़ कर सकते हैं उतना ही जल्दी इसका इलाज संभव है और पूरी तरह से इसको ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा पेट संबंधित कैंसर या आंतों से सम्बंधित कैंसर की जांच के लिए एंडोस्कोपी नमक जांच की जाती है।

डॉक्टर कैंसर के निदान के लिए निम्नलिखित में से एक या अधिक तरीकों का उपयोग कर सकता है:

1. शारीरिक परीक्षा

आपके शरीर के क्षेत्रों में गांठ महसूस करने की कोशिश करेंगे जो कैंसर का संकेत सकते हैं। शारीरिक परीक्षा के दौरान, डॉक्टर आपके शरीर में असामान्यताओं की तलाश कर सकते हैं, जैसे कि त्वचा के रंग में परिवर्तन या किसी अंग का बढ़ना, जो कैंसर की उपस्थिति का संकेत दे सकता है।

2. प्रयोगशाला परीक्षण

प्रयोगशाला परीक्षण, जैसे मूत्र और रक्त परीक्षण,डॉक्टर को उन असामान्यताओं की पहचान करने में मदद कर सकते हैं जो कैंसर के कारण हो सकते हैं।

3. इमेजिंग परीक्षण

इमेजिंग परीक्षण डॉक्टर को हड्डियों और आंतरिक अंगों की गैर-आक्रामक तरीके से जांच करने में मदद करते हैं। कैंसर के निदान में उपयोग किए जाने वाले इमेजिंग परीक्षणों में कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सी टी) स्कैन, बोन स्कैन, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे शामिल हो सकते हैं।

4. बायोप्सी

बायोप्सी के दौरान, डॉक्टर प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए सेल्स का सैंपल एकत्र करता है। सैंपल एकत्र करने के कई तरीके हैं। आपके लिए कौन सी बायोप्सी प्रक्रिया सही है यह आपके कैंसर के प्रकार और उसके स्थान पर निर्भर करता है। ज्यादातर स्थितियों में, निश्चित रूप से कैंसर का निदान करने का एकमात्र तरीका बायोप्सी है।

डॉ गौरव चावला, MD Consultant Gastroenterologist and Hepatologist कानपुर मेडिकल सेंटर (KMC), Kanpur Obstructive Jaundice) के बारे में बातचीत की. जब लिवर से निकलने वाले पदार्थ बाइल (bile) के बाहर निकलने में बाधा पैदा होने लगे, तो उस स्थिति को बाधक पीलिया या Obstructive jaundice कहते हैं बाधक पीलिया या ऑब्स्ट्रक्टिव जॉन्डिस के निम्न लक्षण है-स्किन,आंख, दांत आदि का पीला पड़ना, हल्के रंग का मल और गाढ़े रंग की पेशाब, बहुत ज्यादा खुजली होना

ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस (Obstructive Jaundice) एक ऐसी अवस्था है जिसमें लिवर के बाहर पित्त के बहाव में रुकावट होती है। इससे खून में अतिरिक्त पित्त निर्माण होता है और शरीर से पित्त का उत्सर्जन भी बाधित होता है। पित्त में कई उप-उत्पाद होते हैं, जिनमें से एक बिलीरुबिन है, जो मृत लाल रक्त कोशिकाओं से बनता है। बिलीरुबिन पीले रंग का होता है। इसकी वजह से त्वचा, आंखों और श्लेष्म झिल्ली का रंग भी पीला पड़ जाता है, जिसे आमतौर पर पीलिया कहा जाता है। ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस पीलिया का ही एक प्रकार है।

ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस के लक्षण क्या हैं?

ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस के सामान्य लक्षणों में शामिल हैंः

आंखों की सफेद पुतलियां और चेहरे की त्वचा पीली होना

मल-मूत्र पीले रंग का होना

तेज खुजली होनाजैसे ही स्थिति बिगड़ती है, अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं:

गंभीर पेट दर्द बुखार ठंड लगना

उल्टी और मतली होना थकान महसूस करना इसके अन्य लक्षण भिन्न हो सकते हैं, जो खून में पित्त रुकावट की स्थिति पर निर्भर कर सकते हैं।

ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस के क्या कारण हैं?

ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस तब होता है जब आंत में पित्त का जरूरी बहाल रूक जाता है और रक्त प्रवाह में बढ़ने लगता है। यह पित्त पथरी के कारण बंद हुए पित्त नलिकाओं या पित्त नली के ट्यूमर के कारण हो सकता है जो कैंसर हो सकता है। अग्नाशय का कैंसर भी इसके रुकावटों का ही एक कारण हो सकता है क्योंकि यह अक्सर वैट के ऐम्पल के पास होता है, जो ट्यूब अग्न्याशय ग्रंथि से पाचनग्रंथि में मिलती है। इसके अलावा निम्न स्थितियां भी ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस का कारण बन सकती हैंः

आज के कार्यक्रम के चेयरपर्सन डॉ डी पी अग्रवाल, डॉ दीपक अग्रवाल, डॉ अरुण खंडुरी, डॉ अर्चिता गुप्ता, डॉ स्नेहा झा थे। कार्यक्रम के पैनलिस्ट डॉ. अभिनव सेंगर, डॉ शुभ्रा मिश्रा, डॉ सौम्यालीन रॉय, डॉ राहुल गुप्ता थे।