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Sep 04 2024, 16:29

ब्रुनेई की राजधानी से चेन्नई के लिए सीधी विमान सेवा, पीएम मोदी और सुल्तान हसनल बोलकिया के बीच हुए ये समझौते*
#pm_modi_brunei_visit_king_hassanal_bolkiah_bilateral_ties

ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा के दूसरे दिन आज पीएम मोदी ने सुल्तान हसनल बोल्किया से लग्जरी पैलेस में मुलाकात की। येमुलाकात इस्ताना नुरुल ईमान पैलेस में हुई। अपनी यात्रा के दौरान पीएम ने देश के सुल्तान हसनल बोल्किया से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई की राजधानी बांदर सेरी बेगावान और भारत के चेन्नई के बीच सीधी विमान सेवा शुरू का एलान किया। सीधी विमान सेवा के अलावा दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष और लोगों के लोगों के बीच संबंध के क्षेत्र में भी अपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। ब्रुनेई में अपनी यात्रा के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, मेरी ब्रुनेई की यात्रा काफी प्रोडक्टिव रही। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके इस दौरे ने अब भारत और ब्रुनेई के रिश्तों को और भी मजबूत कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा, दोनों देशों की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट शुरू की जाएंगी। उन्होंने आगे कहा, हमने कृषि, उद्योग और स्वास्थ्य के साथ-साथ तकनीक और साइबर टेक्नोलोजी पर भी बल देने का निर्णय लिया है। साथ ही ऊर्जा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के लिए चर्चा की है। डिफेंस सेक्टर में सहयोग को बढ़ाने के लिए भी विचार किया गया है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए हम उपग्रह विकास, रिमोट सेंसिंग और ट्रेनिंग पर सहमत हुए हैं। साथ ही पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच के नागरिकों के रिश्तों को लेकर कहा, हमारा नागरिकों से नागरिकों का रिश्ता हमारे देश की साझेदारी की नींव है। मुझे खुशी है कि भारतीय समुदाय ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और ब्रुनेई के परिवहन और सूचना संचार मंत्री महामहिम पेंगिरन दातो शमहारी पेंगिरन दातो मुस्तफा ने उपग्रह और प्रक्षेपण वाहनों के लिए टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और टेलीकमांड स्टेशन के संचालन में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस दौरान पीएम मोदी और ब्रुनेई के सुल्तान भी मौजूद रहे। वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी। संयुक्त वक्तव्य के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और टेलीकमांड (टीटीसी) स्टेशन की मेजबानी जारी रखने के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम की गहरी सराहना की। इस संस्थान ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की ओर से चल रहे प्रयासों में योगदान दिया है। साझा बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने दोनों सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था और एमओयू के तहत आपसी हित के क्षेत्रों में आगे सहयोग का स्वागत करते हुए नए एमओयू की सराहना की। दोनों नेताओं ने रक्षा, व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण और संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की।

India

Aug 26 2024, 13:28

लद्दाख को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार का बड़ा फैसला, पांच नए जिलों का एलान

#5_new_districts_in_ladakh_announced_amit_shah_said 

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी।इनके नाम जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। जांस्कार और द्रास कारगिल रीजन में हैं, जबकि शाम, नुब्रा और चांगथांग लेह रीजन में हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, 'एक विकसित और समृद्ध लद्दाख के निर्माण के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। नए जिले जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। हम हर नुक्कड़ और गली में शासन को मजबूत करके लोगों के लिए लाभ को उनके दरवाजे तक ले जाएंगे। मोदी सरकार लद्दाख के लोगों के लिए हरसंभव अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने फैसले के बाद लद्दाख के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन जिलों पर अब अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे सेवाओं और अवसरों को लोगों के और करीब लाया जा सकेगा।

दरअसल, मौजूदा समय में लद्दाख रीजन में दो जिले हैं- लेह और कारगिल. गृह मंत्रालय के फैसले के बाद अब लद्दाख में कुल 7 हो गए. लद्दाख रीजन में अतिरिक्त जिलों की मांग काफी समय से हो रही थी. लेह, लद्दाख और कारगिल डिवीजन के सामाजिक और राजनीतिक संगठन बार-बार जिलों की मांग कर रहे थे. इसी के मद्देनजर आज भारत सरकार गृह मंत्रालय का यह अहम फैसला आया है. आजादी के बाद पहली बार लद्दाख रीजन में जिलों की संख्या बढ़ाई गई है. शासकीय व्यवस्था बेहतर हो इसके मद्देनजर यह बड़ा फैसला लिया गया है

Nisthawrites

Aug 23 2024, 19:22

जम्मू-कश्मीर में चुनाव पूर्व गठबंधन पर अमित शाह ने कांग्रेस पर बोला हमला, राहुल गांधी से पूछे 10 सवाल

#amit_shah_targets_congress_on_jk_elections

Union Minister(PTI)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और नेकां के चुनाव घोषणापत्र में उल्लिखित प्रमुख मुद्दों पर उसके रुख पर सवाल उठाया। कांग्रेस पार्टी, जिसने सत्ता के अपने लालच को पूरा करने के लिए देश की एकता और सुरक्षा को बार-बार खतरे में डाला है, ने जम्मू-कश्मीर चुनाव में अब्दुल्ला परिवार की 'नेशनल कॉन्फ्रेंस' के साथ गठबंधन करके एक बार फिर अपने गुप्त उद्देश्यों को उजागर किया है,'' शाह ने एक्स पर कहा। 

सबसे पुरानी पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी पर निर्देशित दस तीखे सवालों की सूची भी साझा किए।

1. क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है?” वरिष्ठ भाजपा नेता ने पूछा।

2. शाह की प्राथमिक चिंताओं में से एक अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने की नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिज्ञा थी, जो प्रावधान जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करते थे। शाह ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी इस कदम का समर्थन करती है, यह सुझाव देते हुए कि यह क्षेत्र को "अशांति और आतंकवाद के युग" में वापस धकेल देगा।

3. 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करना एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसे शाह ने अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा और एकीकरण के लिए आवश्यक बताते हुए बचाव किया है।

4. शाह ने पाकिस्तान के साथ बातचीत पर कांग्रेस-एनसी गठबंधन के रुख पर भी सवाल उठाया, जिसका अर्थ है कि इस तरह की बातचीत क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा दे सकती है।

5. "क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पाकिस्तान के साथ 'एलओसी ट्रेड' शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करते हैं, जिससे सीमा पार आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा?" 

6. शाह ने कांग्रेस पर "आरक्षण विरोधी रुख" रखने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि एनसी के वादों से दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण खत्म हो जाएगा।

7. गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शंकराचार्य हिल और हरि हिल जैसे प्रमुख स्थानों का नाम बदलकर इस्लामिक अर्थ वाले नामों पर रखने पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर सवाल उठाया।

8. क्या कांग्रेस चाहती है कि 'शंकराचार्य हिल' को 'तख्त-ए-सुलेमान' और 'हरि हिल' को 'कोह-ए-मारन' के नाम से जाना जाए?' उन्होंने भाजपा द्वारा अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली कहानी का उपयोग करते हुए लिखा, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों पर "तुष्टिकरण की राजनीति" में शामिल होने का आरोप लगाती है।

9. राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बीच चर्चा के बाद घोषित कांग्रेस-एनसी गठबंधन, उस क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे का प्रतिनिधित्व करता है जो लंबे समय से भारत की सबसे अधिक सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में रहा है।

10. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला क्या है?

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर की अधिकांश विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया गया है। अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में संवाददाताओं से कहा, "काफी हद तक सहमति बन गई है। मैं आपको बता सकता हूं कि हम 90 में से अधिकतम सीटों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।"

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों - 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।

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Aug 21 2024, 10:58

पोलैंड के लिए रवाना हुए पीएम मोदी, यूक्रेन दौरे पर भी जाएंगे, क्या युद्ध के खात्मे पर होगी बात?

#pm_narendra_modi_leaves_for_visit_to_poland_and_ukraine

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड के लिए रवाना हो गए हैं। पोलैंड के बाद पीएम मोदी यूक्रेन का भी दौरा करने वाले हैं। पिछले 45 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली पोलैंड यात्रा है। पोलैंड के वारसॉ में पीएम मोदी का औपचारिक स्वागत किया जाएगा। यहां वो राष्ट्रपति आंद्रेज सेबेस्टियन डूडा से मुलाकात करेंगे और प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी पोलैंड में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। 

पीएम मोदी ने पोलैंड यात्रा से पहले कहा कि जब दोनों देश 70 साल के अपने डिप्लोमेटिक संबंध को पूरा कर रहे हैं तब ही मेरी यह यात्रा हो रही है। वहीं, उन्होंने पोलैंड को मिडिल यूरोप का प्रमुख इकोनॉमिक पार्टनर बताया। उन्होंने कहा कि अपनी इस यात्रा में ‘मैं अपने मित्र प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क और राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा से मिलने के लिए उत्सुक हूं।‘

बता दें कि जिस समय रूस-यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ उस समय पोलैंड की सरकार और वहां के लोगों ने यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने में बड़ा योगदान दिया था। ‘ऑपरेशन गंगा’ के दौरान पोलैंड ने भारत की मदद की थी। साल 2022 में पोलैंड के रास्ते ही 4,000 से अधिक भारतीय छात्रों युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकाला गया था।

पोलैंड की यात्रा के बाद पीएम मोदी यूक्रेन की यात्रा करेंगे।पीएम मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे। वे पोलैंड से ट्रेन के जरिए यूक्रेन पहुंचेंगे।1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यूक्रेन का पहला दौरा होगा। पीएम मोदी ने बुधवार को दिल्ली से उड़ान भरने से पहले कहा कि वह यूक्रेन में जारी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत के लिए इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने बयान में उम्मीद जताई है कि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की जल्द ही बहाल हो जाएगी।

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Aug 08 2024, 16:44

वक्फ बिल पर अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कहा कि भड़के अमित शाह, बोले-आप इस तरह की गोलमोल बातें नहीं कर सकते

#amit_shah_reacts_on_akhilesh_yadav_in_parliament 

संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' पेश किया। इस दौरान सदन में विपक्षी पार्टियों ने एक सुर में इस बिल का विरोध करते हुए हंगामा किया। सदन की कार्यवाही के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। इस दौरान अमित शाह सपा मुखिया पर भी भड़कते हुए नजर आए।

लोकसभा में पेश वक्फ बिल के विरोध में अखिलेश यादव ने कहा, ये सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। अखिलेश ने इस बिल को धार्मिक आस्था पर हमला बताते हुए कहा कि साजिश के तहत बिल लाया जा रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया। इस दौरान अखिलेश ने स्पीकर के अधिकार छीने जाने की बात कही। उन्होंने कहा अगर जिलाधिकारी को सब ताकत दे देंगे तो आपको पता है कि एक जगह पर जिलाधिकारी ने क्या किया कि उसका असर आने वाली पीढ़ी तक को भुगतना पड़ा। बीजेपी अपनी हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तु्ष्टिकरण के लिए ये बिल लाने का काम कर रही है। अखिलेश यादव ने लोकसभा स्पीकर से कहा, महोदय मैंने सुना है कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं इसलिए हम सब को आपके लिए भी लड़ना पड़ेगा।

अखिलेश ने सदन अध्यक्ष के हक की बीत की जिस पर अमित शाह अपनी सीट से उठकर खड़े हो गए और नाराज होते हुए कहा कि अखिलेश जी गोलमोल बातें ना करें। अखिलेश की बात को सुनते ही अमित शाह ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा कि स्पीकर महोदय, ये (अखिलेश) आसन का अपमान कर रहे हैं। अखिलेश अध्यक्ष के अधिकार के संरक्षक नहीं हैं।

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Aug 06 2024, 19:51

ईरान और इजरायल में अगर जंग हुई तो भारत पर क्या होगा असर?

#if_israel_iran_war_starts_know_how_it_will_impact_india

ईरान में हमास के राजनीतिक विंग के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़े हैं। ईरान और इजराइल में बड़ी जंग की आशंका बढ़ गई है। इतना ही नहीं, पश्चिम की खुफिया एजेंसियों ने तो जंग की तारीख भी बता दी है। एजेंसियों के मुताबिक यह हमला 12 और 13 अगस्त के बीच हो सकता है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान समर्थित हिजबुल्ला ग्रुप इजराइल के अंदर तक हमला करने की तैयारी में है। उसका कहना है कि अब वह मिलिट्री टारगेट तक ही सीमित नहीं रहेगा, यानी हिजबुल्ला इजराइल के रिहायशी इलाकों में भी हमला कर सकता है, जिससे आम नागरिकों की मौत होगी। इजराइल द्वारा हिजबुल्ला कमांडर को मार गिराने से वह गुस्से में है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर यह जंग होती है तो भारत पर इसका क्या असर होगा?

जानकार मानते हैं कि ईरान और इजराइल के संघर्ष के बीच भारत की सबसे बड़ी चुनौती इन देशों और पश्चिमी एशिया के अन्य देशों में रह रहे अपने लाखों नागरिकों की सुरक्षा है। वर्ष 2021 के आंकड़ों के मुताबिक खाड़ी के क्षेत्र में 89 लाख भारतीय थे, जिनकी संख्या अब 1.1 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है। यही वजह है कि लेबनान में रहने वाले अपने नागरिकों को भारत सरकार की तरफ से चेतावनी दी गई है कि वह लेबनान से बाहर निकलें। एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि जो भारतीय किसी न किसी वजह से वहां रह गये हैं, वह कहीं बाहर नहीं निकलें, सतर्क रहें और बेरूत स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें।इस बीच एयर इंडिया ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव के लिए अपनी सारी उड़ानों को 08 अगस्त, 2024 तक के लिए रद्द कर दिया है।

कच्चे तेल की कीमतों पर असर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी देखने को मिली है, लेकिन अगर ईरान व इजरायल के बीच जंग होती है तो इसका सीधा असर कच्चे तेल पर पड़ेगा। आज की तारीख में भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और कुल खपत का 60 फीसद खाड़ी के देश सऊदी अरब, कुवैत, ईराक आदि से लेता है। ऐसे में भारत की आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

बढ़ते कारोबार पर असर

खाड़ी क्षेत्र की स्थिति का सीधा असर इन देशों के साथ होने वाले द्विपक्षीय कारोबार पर भी होता है। पिछले वर्ष यूएई भारत का द्विपक्षीय कारोबार ही 86 अरब डॉलर का रहा था। जबकि सऊदी अरब के साथ 53 अरब डॉलर का कारोबार होता है। खाड़ी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2022-23 में 185 अरब डॉलर का रहा था।

भारत की डिफेंस सप्लाई पर हो सकता है असर

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष शुरू हो गया तो भारत के डिफेंस सप्लाई पर असर पड़ सकता है। रूस और यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस से आने वाली सप्लाई पर असर हुआ तो भारत ने विकल्प के तौर पर यूएस, इजरायल और नाटो देशों को देखा। लेकिन अगर इजरायल-ईरान संघर्ष होता है तो उसमें यूएस की एंट्री तो होगी ही। ऐसे में यूएस, इजरायल और नाटो देश इन संघर्षों में उलझ जाएंगे। इजरायल-हमास संघर्ष में इजरायल पहले ही उलझा है। ऐसे में अगर एलएसी पर चीन कुछ हरकत करता है और चीन से विवाद बढ़ता है तो हमारे सपोर्ट और सप्लायर अपनी ही लड़ाई में व्यस्त होंगे, जिसका असर भारत पर पड़ सकता है। 

वैसे भी इजरायल और ईरान दोनों भारत के लिए अहम हैं। जानकार बताते हैं कि खाड़ी क्षेत्र की स्थिति कई तरह से भारत के रणनीतिक हितों से जुड़े हुए हैं, इसलिए सरकार ज्यादा सतर्कता से आगे बढ़ रही है। ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। इजरायल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो सेंट्रल एशिया रिपब्लिक और ईस्ट यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए ईरान अहम है। इसलिए भारत चाबहार पोर्ट में ईरान के साथ मिलकर काम कर रहा है।

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Aug 05 2024, 10:41

पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को सेमीफाइनल से पहले लगा बड़ा झटका, इस खिलाड़ी पर लग गया बैन

#amit_rohidas_suspended_india_defender_ahead_of_semi_final_against_germany

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया है। टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को पेनाल्टी शूटआउट में 4-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली है। सेमीफाइनल मुकाबला 6 अगस्त को है, जहां भारत का मुकाबला जर्मनी से होगा। हालांकि, उस बड़े मुकाबले से पहले भारतीय टीम के लिए खबर अच्छी नहीं है। दरअसल, भारत के अमित रोहिदास पर एक मैच का प्रतिबंध लगाया है जिससे वह मंगलवार को जर्मनी के खिलाफ होने वाले पेरिस ओलंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में नहीं खेल सकेंगे।

भारतीय डिफेंडर अमित रोहिदास को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रेड कार्ड दिखाया गया था। दरअसल, मैच के दौरान उनकी हॉकी स्टिक ग्रेट ब्रिटेन के खिलाड़ी के मुंह पर जा लगी थी, जिसके एवज में उन्हें रेड कार्ड मिला था। रेड कार्ड मिलने के बाद अमित रोहिदास उस पूरे मैच से तो बाहर रहे ही। अब सेमीफाइनल मुकाबले में भी नहीं खेलेंगे।

इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन ने अपनी प्रेस रिलीज में बताया है कि अमित रोहिदास को ग्रेट ब्रिटेन मैच के दौरान एफआईएच कोड आचरण के उल्लंघन के लिए एक मैच के लिए निलंबित कर दिया गया था। वह जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में भाग नहीं लेंगे। भारत केवल 15 प्लेयर्स के साथ खेलेगा। 

अब, हॉकी इंडिया ने उनके फैसले को चुनौती दे दी है। लेकिन मौजूदा परिस्थिति में रोहिदास के सेमीफाइनल मैच में खेलने पर संशय है। माना जा रहा है कि एफआईएच इस अपील पर सोमवार को सुनवाई करेगा और अपना जवाब दाखिल करेगा।

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Aug 05 2024, 10:16

“हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव की आशंका”, जानें एस जयशंकर के इस बयान के पीछे का संकेत

#s_jaishankar_indian_ocean_poised_for_disruptive_changes_amit_dispute_with_china

हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भारतीय नीति निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बनी हुई है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई। भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। पिछले तीन साल से ये और भी ज़्यादा गहरा गया है। जानकारों की मानें तो ये तनाव हिन्द महासागर में भी महसूस हो रहा है क्योंकि दोनों ही देश इस इलाक़े में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच भारतीय विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है।एस जयशंकर का कहवा है कि हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव होने की आशंका है और भारत को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।

एक विचारक संस्था (थिंक टैंक) के संवाद सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ोस में जो प्रतिस्पर्धा देखी गई है, वह निश्चित रूप से हिंद महासागर में भी होगी। विदेश मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के बारे में बात की और कहा, ‘‘इस बारे में विलाप करने का कोई औचित्य नहीं है’’ क्योंकि भारत को प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है और वह वास्तव में यही करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में प्रतिस्पर्धा के लिए उसी तरह तैयार है, जिस तरह वह बाकी पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है

जयशंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हिंद महासागर में समुद्री मौजूदगी नजर आ रही है, जो पहले नहीं थी। इसलिए यह एक विध्वंसकारी परिवर्तन के लिए तैयारी है। मुझे लगता है कि हमें इसका पूर्वानुमान लगाने (और) हमें इसके लिए तैयारी करने की जरूरत है।' 

बता दें कि पिछले कुछ दशकों में चीन ने तेज़ी से अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण किया है। चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाज़ों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है। पिछले 20-25 वर्षों पर नज़र डालें तो हिंद महासागर में चीनी नौसैनिकों की मौजूदगी और गतिविधि में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और बढ़ते प्रभाव को लेकर एस जशंकर ने ऐसा बयान पहली बार नहीं दिया है। इस बात को लेकर उन्होंने पहले भी आगाह किया है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच मतभेद सीमा विवाद से कहीं आगे तक जाते हैं। यह निर्विवाद रूप से हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तृत है। पिछले साल सितंबर में, विदेश मंत्री ने कहा था, ‘चीनी नौसेना के आकार और हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती में बहुत तेज वृद्धि हुई है। हमारे लिए तैयारी करना बहुत उचित है। हमने पहले की तुलना में कहीं अधिक बड़ी चीनी उपस्थिति देखी है।

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Aug 02 2024, 15:56

इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में नहीं होगी एसआईटी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

#supreme_court_declines_pleas_on_electoral_bonds_sit_investigation

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को कॉरपोरेट कंपनियों से मिले राजनीतिक चंदे की 'स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम' (एसआईटी) से जांच करवाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।कोर्ट ने बॉन्ड स्कीम की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम बनाने की मांग को सही नहीं माना।कोर्ट ने कहा कि निजी शिकायतों, मतलब किसी राजनीतिक दल और कॉरपोरेट संस्था के बीच एक दूसरे को फायदा पहुंचाने अलग-अलग दावों की जांच नहीं हो सकती है। ये बॉन्ड अब प्रतिबंधित है।

दरअसल, एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की याचिका में राजनीतिक चंदे के जरिए कथित घूस देने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इलेक्टरोल बॉन्ड से दिए गए चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। इस मामले की सीबीआई या फिर कोई भी अन्य जांच एजेंसी जांच नहीं कर रही है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करवाई जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला हवाला कांड, कोयला घोटाला की तरह है। इन मामलों में न केवल राजनीतिक दल बल्कि प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल हैं। यह देश के इतिहास में सबसे खराब वित्तीय घोटालों में से एक है।

सीजेआई ने कहा कि सामान्य प्रक्रिया का पालन करें। हमने खुलासा करने का आदेश दिया है। हम एक निश्चित बिंदु तक पहुंच गए हैं, जहां हमने योजना को रद्द कर दिया है।मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलेक्टोरल बांड की खरीद संसद के बनाए कानून के तहत हुई। उसी कानून के आधार पर राजनीतिक दलों को चंदा मिला। अब हमें तय करना है कि क्या इसके तहत दिए गए चंदे की जांच की ज़रूरत है। यह याचिकाएं यह मानते हुए दाखिल की गई हैं कि राजनीतिक दलों को चंदा फायदा कमाने के लिए दिया गया ताकि उन्हें सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले या उनके हिसाब से सरकार की नीति बदले। याचिकाकर्ता यह भी मानते हैं कि सरकारी एजेंसियां जांच नहीं कर पाएंगी।

उन्होंने आगे कहा कि हमने याचिकाकर्ता से यह कहा कि यह सब आपकी धारणा है। अभी ऐसा नहीं लगता कि कोर्ट सीधे जांच करवाना शुरू कर दे। जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानून का रास्ता ले सकता है। समाधान न होने पर वह कोर्ट जा सकता है।

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Aug 01 2024, 19:45

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

#propasal_to_make_north_bengal_a_separate_state_will_benefit_bjp 

केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।

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Sep 04 2024, 16:29

ब्रुनेई की राजधानी से चेन्नई के लिए सीधी विमान सेवा, पीएम मोदी और सुल्तान हसनल बोलकिया के बीच हुए ये समझौते*
#pm_modi_brunei_visit_king_hassanal_bolkiah_bilateral_ties

ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा के दूसरे दिन आज पीएम मोदी ने सुल्तान हसनल बोल्किया से लग्जरी पैलेस में मुलाकात की। येमुलाकात इस्ताना नुरुल ईमान पैलेस में हुई। अपनी यात्रा के दौरान पीएम ने देश के सुल्तान हसनल बोल्किया से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई की राजधानी बांदर सेरी बेगावान और भारत के चेन्नई के बीच सीधी विमान सेवा शुरू का एलान किया। सीधी विमान सेवा के अलावा दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष और लोगों के लोगों के बीच संबंध के क्षेत्र में भी अपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। ब्रुनेई में अपनी यात्रा के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, मेरी ब्रुनेई की यात्रा काफी प्रोडक्टिव रही। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके इस दौरे ने अब भारत और ब्रुनेई के रिश्तों को और भी मजबूत कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा, दोनों देशों की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट शुरू की जाएंगी। उन्होंने आगे कहा, हमने कृषि, उद्योग और स्वास्थ्य के साथ-साथ तकनीक और साइबर टेक्नोलोजी पर भी बल देने का निर्णय लिया है। साथ ही ऊर्जा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के लिए चर्चा की है। डिफेंस सेक्टर में सहयोग को बढ़ाने के लिए भी विचार किया गया है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए हम उपग्रह विकास, रिमोट सेंसिंग और ट्रेनिंग पर सहमत हुए हैं। साथ ही पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच के नागरिकों के रिश्तों को लेकर कहा, हमारा नागरिकों से नागरिकों का रिश्ता हमारे देश की साझेदारी की नींव है। मुझे खुशी है कि भारतीय समुदाय ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और ब्रुनेई के परिवहन और सूचना संचार मंत्री महामहिम पेंगिरन दातो शमहारी पेंगिरन दातो मुस्तफा ने उपग्रह और प्रक्षेपण वाहनों के लिए टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और टेलीकमांड स्टेशन के संचालन में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस दौरान पीएम मोदी और ब्रुनेई के सुल्तान भी मौजूद रहे। वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी। संयुक्त वक्तव्य के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और टेलीकमांड (टीटीसी) स्टेशन की मेजबानी जारी रखने के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम की गहरी सराहना की। इस संस्थान ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की ओर से चल रहे प्रयासों में योगदान दिया है। साझा बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने दोनों सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था और एमओयू के तहत आपसी हित के क्षेत्रों में आगे सहयोग का स्वागत करते हुए नए एमओयू की सराहना की। दोनों नेताओं ने रक्षा, व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण और संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की।

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Aug 26 2024, 13:28

लद्दाख को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार का बड़ा फैसला, पांच नए जिलों का एलान

#5_new_districts_in_ladakh_announced_amit_shah_said 

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी।इनके नाम जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। जांस्कार और द्रास कारगिल रीजन में हैं, जबकि शाम, नुब्रा और चांगथांग लेह रीजन में हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, 'एक विकसित और समृद्ध लद्दाख के निर्माण के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश में पांच नए जिले बनाने का फैसला किया है। नए जिले जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। हम हर नुक्कड़ और गली में शासन को मजबूत करके लोगों के लिए लाभ को उनके दरवाजे तक ले जाएंगे। मोदी सरकार लद्दाख के लोगों के लिए हरसंभव अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने फैसले के बाद लद्दाख के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन जिलों पर अब अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे सेवाओं और अवसरों को लोगों के और करीब लाया जा सकेगा।

दरअसल, मौजूदा समय में लद्दाख रीजन में दो जिले हैं- लेह और कारगिल. गृह मंत्रालय के फैसले के बाद अब लद्दाख में कुल 7 हो गए. लद्दाख रीजन में अतिरिक्त जिलों की मांग काफी समय से हो रही थी. लेह, लद्दाख और कारगिल डिवीजन के सामाजिक और राजनीतिक संगठन बार-बार जिलों की मांग कर रहे थे. इसी के मद्देनजर आज भारत सरकार गृह मंत्रालय का यह अहम फैसला आया है. आजादी के बाद पहली बार लद्दाख रीजन में जिलों की संख्या बढ़ाई गई है. शासकीय व्यवस्था बेहतर हो इसके मद्देनजर यह बड़ा फैसला लिया गया है

Nisthawrites

Aug 23 2024, 19:22

जम्मू-कश्मीर में चुनाव पूर्व गठबंधन पर अमित शाह ने कांग्रेस पर बोला हमला, राहुल गांधी से पूछे 10 सवाल

#amit_shah_targets_congress_on_jk_elections

Union Minister(PTI)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और नेकां के चुनाव घोषणापत्र में उल्लिखित प्रमुख मुद्दों पर उसके रुख पर सवाल उठाया। कांग्रेस पार्टी, जिसने सत्ता के अपने लालच को पूरा करने के लिए देश की एकता और सुरक्षा को बार-बार खतरे में डाला है, ने जम्मू-कश्मीर चुनाव में अब्दुल्ला परिवार की 'नेशनल कॉन्फ्रेंस' के साथ गठबंधन करके एक बार फिर अपने गुप्त उद्देश्यों को उजागर किया है,'' शाह ने एक्स पर कहा। 

सबसे पुरानी पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी पर निर्देशित दस तीखे सवालों की सूची भी साझा किए।

1. क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है?” वरिष्ठ भाजपा नेता ने पूछा।

2. शाह की प्राथमिक चिंताओं में से एक अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने की नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिज्ञा थी, जो प्रावधान जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करते थे। शाह ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी इस कदम का समर्थन करती है, यह सुझाव देते हुए कि यह क्षेत्र को "अशांति और आतंकवाद के युग" में वापस धकेल देगा।

3. 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करना एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसे शाह ने अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा और एकीकरण के लिए आवश्यक बताते हुए बचाव किया है।

4. शाह ने पाकिस्तान के साथ बातचीत पर कांग्रेस-एनसी गठबंधन के रुख पर भी सवाल उठाया, जिसका अर्थ है कि इस तरह की बातचीत क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा दे सकती है।

5. "क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पाकिस्तान के साथ 'एलओसी ट्रेड' शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करते हैं, जिससे सीमा पार आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा?" 

6. शाह ने कांग्रेस पर "आरक्षण विरोधी रुख" रखने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि एनसी के वादों से दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण खत्म हो जाएगा।

7. गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शंकराचार्य हिल और हरि हिल जैसे प्रमुख स्थानों का नाम बदलकर इस्लामिक अर्थ वाले नामों पर रखने पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर सवाल उठाया।

8. क्या कांग्रेस चाहती है कि 'शंकराचार्य हिल' को 'तख्त-ए-सुलेमान' और 'हरि हिल' को 'कोह-ए-मारन' के नाम से जाना जाए?' उन्होंने भाजपा द्वारा अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली कहानी का उपयोग करते हुए लिखा, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों पर "तुष्टिकरण की राजनीति" में शामिल होने का आरोप लगाती है।

9. राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बीच चर्चा के बाद घोषित कांग्रेस-एनसी गठबंधन, उस क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे का प्रतिनिधित्व करता है जो लंबे समय से भारत की सबसे अधिक सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में रहा है।

10. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला क्या है?

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर की अधिकांश विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया गया है। अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में संवाददाताओं से कहा, "काफी हद तक सहमति बन गई है। मैं आपको बता सकता हूं कि हम 90 में से अधिकतम सीटों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।"

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों - 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।

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Aug 21 2024, 10:58

पोलैंड के लिए रवाना हुए पीएम मोदी, यूक्रेन दौरे पर भी जाएंगे, क्या युद्ध के खात्मे पर होगी बात?

#pm_narendra_modi_leaves_for_visit_to_poland_and_ukraine

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड के लिए रवाना हो गए हैं। पोलैंड के बाद पीएम मोदी यूक्रेन का भी दौरा करने वाले हैं। पिछले 45 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली पोलैंड यात्रा है। पोलैंड के वारसॉ में पीएम मोदी का औपचारिक स्वागत किया जाएगा। यहां वो राष्ट्रपति आंद्रेज सेबेस्टियन डूडा से मुलाकात करेंगे और प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी पोलैंड में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। 

पीएम मोदी ने पोलैंड यात्रा से पहले कहा कि जब दोनों देश 70 साल के अपने डिप्लोमेटिक संबंध को पूरा कर रहे हैं तब ही मेरी यह यात्रा हो रही है। वहीं, उन्होंने पोलैंड को मिडिल यूरोप का प्रमुख इकोनॉमिक पार्टनर बताया। उन्होंने कहा कि अपनी इस यात्रा में ‘मैं अपने मित्र प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क और राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा से मिलने के लिए उत्सुक हूं।‘

बता दें कि जिस समय रूस-यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ उस समय पोलैंड की सरकार और वहां के लोगों ने यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने में बड़ा योगदान दिया था। ‘ऑपरेशन गंगा’ के दौरान पोलैंड ने भारत की मदद की थी। साल 2022 में पोलैंड के रास्ते ही 4,000 से अधिक भारतीय छात्रों युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकाला गया था।

पोलैंड की यात्रा के बाद पीएम मोदी यूक्रेन की यात्रा करेंगे।पीएम मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे। वे पोलैंड से ट्रेन के जरिए यूक्रेन पहुंचेंगे।1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यूक्रेन का पहला दौरा होगा। पीएम मोदी ने बुधवार को दिल्ली से उड़ान भरने से पहले कहा कि वह यूक्रेन में जारी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत के लिए इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने बयान में उम्मीद जताई है कि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की जल्द ही बहाल हो जाएगी।

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Aug 08 2024, 16:44

वक्फ बिल पर अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कहा कि भड़के अमित शाह, बोले-आप इस तरह की गोलमोल बातें नहीं कर सकते

#amit_shah_reacts_on_akhilesh_yadav_in_parliament 

संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' पेश किया। इस दौरान सदन में विपक्षी पार्टियों ने एक सुर में इस बिल का विरोध करते हुए हंगामा किया। सदन की कार्यवाही के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। इस दौरान अमित शाह सपा मुखिया पर भी भड़कते हुए नजर आए।

लोकसभा में पेश वक्फ बिल के विरोध में अखिलेश यादव ने कहा, ये सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। अखिलेश ने इस बिल को धार्मिक आस्था पर हमला बताते हुए कहा कि साजिश के तहत बिल लाया जा रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया। इस दौरान अखिलेश ने स्पीकर के अधिकार छीने जाने की बात कही। उन्होंने कहा अगर जिलाधिकारी को सब ताकत दे देंगे तो आपको पता है कि एक जगह पर जिलाधिकारी ने क्या किया कि उसका असर आने वाली पीढ़ी तक को भुगतना पड़ा। बीजेपी अपनी हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तु्ष्टिकरण के लिए ये बिल लाने का काम कर रही है। अखिलेश यादव ने लोकसभा स्पीकर से कहा, महोदय मैंने सुना है कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं इसलिए हम सब को आपके लिए भी लड़ना पड़ेगा।

अखिलेश ने सदन अध्यक्ष के हक की बीत की जिस पर अमित शाह अपनी सीट से उठकर खड़े हो गए और नाराज होते हुए कहा कि अखिलेश जी गोलमोल बातें ना करें। अखिलेश की बात को सुनते ही अमित शाह ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा कि स्पीकर महोदय, ये (अखिलेश) आसन का अपमान कर रहे हैं। अखिलेश अध्यक्ष के अधिकार के संरक्षक नहीं हैं।

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Aug 06 2024, 19:51

ईरान और इजरायल में अगर जंग हुई तो भारत पर क्या होगा असर?

#if_israel_iran_war_starts_know_how_it_will_impact_india

ईरान में हमास के राजनीतिक विंग के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़े हैं। ईरान और इजराइल में बड़ी जंग की आशंका बढ़ गई है। इतना ही नहीं, पश्चिम की खुफिया एजेंसियों ने तो जंग की तारीख भी बता दी है। एजेंसियों के मुताबिक यह हमला 12 और 13 अगस्त के बीच हो सकता है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान समर्थित हिजबुल्ला ग्रुप इजराइल के अंदर तक हमला करने की तैयारी में है। उसका कहना है कि अब वह मिलिट्री टारगेट तक ही सीमित नहीं रहेगा, यानी हिजबुल्ला इजराइल के रिहायशी इलाकों में भी हमला कर सकता है, जिससे आम नागरिकों की मौत होगी। इजराइल द्वारा हिजबुल्ला कमांडर को मार गिराने से वह गुस्से में है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर यह जंग होती है तो भारत पर इसका क्या असर होगा?

जानकार मानते हैं कि ईरान और इजराइल के संघर्ष के बीच भारत की सबसे बड़ी चुनौती इन देशों और पश्चिमी एशिया के अन्य देशों में रह रहे अपने लाखों नागरिकों की सुरक्षा है। वर्ष 2021 के आंकड़ों के मुताबिक खाड़ी के क्षेत्र में 89 लाख भारतीय थे, जिनकी संख्या अब 1.1 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है। यही वजह है कि लेबनान में रहने वाले अपने नागरिकों को भारत सरकार की तरफ से चेतावनी दी गई है कि वह लेबनान से बाहर निकलें। एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि जो भारतीय किसी न किसी वजह से वहां रह गये हैं, वह कहीं बाहर नहीं निकलें, सतर्क रहें और बेरूत स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें।इस बीच एयर इंडिया ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव के लिए अपनी सारी उड़ानों को 08 अगस्त, 2024 तक के लिए रद्द कर दिया है।

कच्चे तेल की कीमतों पर असर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी देखने को मिली है, लेकिन अगर ईरान व इजरायल के बीच जंग होती है तो इसका सीधा असर कच्चे तेल पर पड़ेगा। आज की तारीख में भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और कुल खपत का 60 फीसद खाड़ी के देश सऊदी अरब, कुवैत, ईराक आदि से लेता है। ऐसे में भारत की आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

बढ़ते कारोबार पर असर

खाड़ी क्षेत्र की स्थिति का सीधा असर इन देशों के साथ होने वाले द्विपक्षीय कारोबार पर भी होता है। पिछले वर्ष यूएई भारत का द्विपक्षीय कारोबार ही 86 अरब डॉलर का रहा था। जबकि सऊदी अरब के साथ 53 अरब डॉलर का कारोबार होता है। खाड़ी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2022-23 में 185 अरब डॉलर का रहा था।

भारत की डिफेंस सप्लाई पर हो सकता है असर

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष शुरू हो गया तो भारत के डिफेंस सप्लाई पर असर पड़ सकता है। रूस और यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस से आने वाली सप्लाई पर असर हुआ तो भारत ने विकल्प के तौर पर यूएस, इजरायल और नाटो देशों को देखा। लेकिन अगर इजरायल-ईरान संघर्ष होता है तो उसमें यूएस की एंट्री तो होगी ही। ऐसे में यूएस, इजरायल और नाटो देश इन संघर्षों में उलझ जाएंगे। इजरायल-हमास संघर्ष में इजरायल पहले ही उलझा है। ऐसे में अगर एलएसी पर चीन कुछ हरकत करता है और चीन से विवाद बढ़ता है तो हमारे सपोर्ट और सप्लायर अपनी ही लड़ाई में व्यस्त होंगे, जिसका असर भारत पर पड़ सकता है। 

वैसे भी इजरायल और ईरान दोनों भारत के लिए अहम हैं। जानकार बताते हैं कि खाड़ी क्षेत्र की स्थिति कई तरह से भारत के रणनीतिक हितों से जुड़े हुए हैं, इसलिए सरकार ज्यादा सतर्कता से आगे बढ़ रही है। ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। इजरायल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो सेंट्रल एशिया रिपब्लिक और ईस्ट यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए ईरान अहम है। इसलिए भारत चाबहार पोर्ट में ईरान के साथ मिलकर काम कर रहा है।

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Aug 05 2024, 10:41

पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को सेमीफाइनल से पहले लगा बड़ा झटका, इस खिलाड़ी पर लग गया बैन

#amit_rohidas_suspended_india_defender_ahead_of_semi_final_against_germany

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया है। टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को पेनाल्टी शूटआउट में 4-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली है। सेमीफाइनल मुकाबला 6 अगस्त को है, जहां भारत का मुकाबला जर्मनी से होगा। हालांकि, उस बड़े मुकाबले से पहले भारतीय टीम के लिए खबर अच्छी नहीं है। दरअसल, भारत के अमित रोहिदास पर एक मैच का प्रतिबंध लगाया है जिससे वह मंगलवार को जर्मनी के खिलाफ होने वाले पेरिस ओलंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में नहीं खेल सकेंगे।

भारतीय डिफेंडर अमित रोहिदास को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रेड कार्ड दिखाया गया था। दरअसल, मैच के दौरान उनकी हॉकी स्टिक ग्रेट ब्रिटेन के खिलाड़ी के मुंह पर जा लगी थी, जिसके एवज में उन्हें रेड कार्ड मिला था। रेड कार्ड मिलने के बाद अमित रोहिदास उस पूरे मैच से तो बाहर रहे ही। अब सेमीफाइनल मुकाबले में भी नहीं खेलेंगे।

इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन ने अपनी प्रेस रिलीज में बताया है कि अमित रोहिदास को ग्रेट ब्रिटेन मैच के दौरान एफआईएच कोड आचरण के उल्लंघन के लिए एक मैच के लिए निलंबित कर दिया गया था। वह जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में भाग नहीं लेंगे। भारत केवल 15 प्लेयर्स के साथ खेलेगा। 

अब, हॉकी इंडिया ने उनके फैसले को चुनौती दे दी है। लेकिन मौजूदा परिस्थिति में रोहिदास के सेमीफाइनल मैच में खेलने पर संशय है। माना जा रहा है कि एफआईएच इस अपील पर सोमवार को सुनवाई करेगा और अपना जवाब दाखिल करेगा।

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Aug 05 2024, 10:16

“हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव की आशंका”, जानें एस जयशंकर के इस बयान के पीछे का संकेत

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हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भारतीय नीति निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बनी हुई है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई। भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। पिछले तीन साल से ये और भी ज़्यादा गहरा गया है। जानकारों की मानें तो ये तनाव हिन्द महासागर में भी महसूस हो रहा है क्योंकि दोनों ही देश इस इलाक़े में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच भारतीय विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है।एस जयशंकर का कहवा है कि हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव होने की आशंका है और भारत को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।

एक विचारक संस्था (थिंक टैंक) के संवाद सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ोस में जो प्रतिस्पर्धा देखी गई है, वह निश्चित रूप से हिंद महासागर में भी होगी। विदेश मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के बारे में बात की और कहा, ‘‘इस बारे में विलाप करने का कोई औचित्य नहीं है’’ क्योंकि भारत को प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है और वह वास्तव में यही करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में प्रतिस्पर्धा के लिए उसी तरह तैयार है, जिस तरह वह बाकी पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है

जयशंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हिंद महासागर में समुद्री मौजूदगी नजर आ रही है, जो पहले नहीं थी। इसलिए यह एक विध्वंसकारी परिवर्तन के लिए तैयारी है। मुझे लगता है कि हमें इसका पूर्वानुमान लगाने (और) हमें इसके लिए तैयारी करने की जरूरत है।' 

बता दें कि पिछले कुछ दशकों में चीन ने तेज़ी से अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण किया है। चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाज़ों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है। पिछले 20-25 वर्षों पर नज़र डालें तो हिंद महासागर में चीनी नौसैनिकों की मौजूदगी और गतिविधि में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और बढ़ते प्रभाव को लेकर एस जशंकर ने ऐसा बयान पहली बार नहीं दिया है। इस बात को लेकर उन्होंने पहले भी आगाह किया है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच मतभेद सीमा विवाद से कहीं आगे तक जाते हैं। यह निर्विवाद रूप से हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तृत है। पिछले साल सितंबर में, विदेश मंत्री ने कहा था, ‘चीनी नौसेना के आकार और हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती में बहुत तेज वृद्धि हुई है। हमारे लिए तैयारी करना बहुत उचित है। हमने पहले की तुलना में कहीं अधिक बड़ी चीनी उपस्थिति देखी है।

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Aug 02 2024, 15:56

इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में नहीं होगी एसआईटी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

#supreme_court_declines_pleas_on_electoral_bonds_sit_investigation

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को कॉरपोरेट कंपनियों से मिले राजनीतिक चंदे की 'स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम' (एसआईटी) से जांच करवाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।कोर्ट ने बॉन्ड स्कीम की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम बनाने की मांग को सही नहीं माना।कोर्ट ने कहा कि निजी शिकायतों, मतलब किसी राजनीतिक दल और कॉरपोरेट संस्था के बीच एक दूसरे को फायदा पहुंचाने अलग-अलग दावों की जांच नहीं हो सकती है। ये बॉन्ड अब प्रतिबंधित है।

दरअसल, एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की याचिका में राजनीतिक चंदे के जरिए कथित घूस देने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इलेक्टरोल बॉन्ड से दिए गए चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। इस मामले की सीबीआई या फिर कोई भी अन्य जांच एजेंसी जांच नहीं कर रही है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करवाई जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला हवाला कांड, कोयला घोटाला की तरह है। इन मामलों में न केवल राजनीतिक दल बल्कि प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल हैं। यह देश के इतिहास में सबसे खराब वित्तीय घोटालों में से एक है।

सीजेआई ने कहा कि सामान्य प्रक्रिया का पालन करें। हमने खुलासा करने का आदेश दिया है। हम एक निश्चित बिंदु तक पहुंच गए हैं, जहां हमने योजना को रद्द कर दिया है।मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलेक्टोरल बांड की खरीद संसद के बनाए कानून के तहत हुई। उसी कानून के आधार पर राजनीतिक दलों को चंदा मिला। अब हमें तय करना है कि क्या इसके तहत दिए गए चंदे की जांच की ज़रूरत है। यह याचिकाएं यह मानते हुए दाखिल की गई हैं कि राजनीतिक दलों को चंदा फायदा कमाने के लिए दिया गया ताकि उन्हें सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले या उनके हिसाब से सरकार की नीति बदले। याचिकाकर्ता यह भी मानते हैं कि सरकारी एजेंसियां जांच नहीं कर पाएंगी।

उन्होंने आगे कहा कि हमने याचिकाकर्ता से यह कहा कि यह सब आपकी धारणा है। अभी ऐसा नहीं लगता कि कोर्ट सीधे जांच करवाना शुरू कर दे। जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानून का रास्ता ले सकता है। समाधान न होने पर वह कोर्ट जा सकता है।

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Aug 01 2024, 19:45

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

#propasal_to_make_north_bengal_a_separate_state_will_benefit_bjp 

केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।