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ताइवान ने भारत को दिया ऑफर, चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में मदद का भरोसा

#taiwanindiaeconomic_partnership

ताइवान के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सु चिन शू भारत दौरे पर हैं। सु चिन शू भारत के प्रमुख सम्मेलन, रायसीना डायलॉग में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं। उन्होंने इस दौरान दोनों पक्षा के बीच व्यापार पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत और ताइवान के बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने की जरूरत है। इससे न केवल भारत को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में ताइवानी कंपनियों के निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

सू चिन शू ने भारत में अपने दौरे के बीच प्रतिष्ठित रायसीना डायलॉग में भाग लिया और वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से भी वार्ता की। इस दौरान गुरुवार को पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत की विशाल युवा आबादी और ताइवान की तकनीकी विशेषज्ञता मिलकर एक मजबूत आर्थिक साझेदारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अब चीन से आयात करने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक और इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी उत्पादों का उत्पादन खुद करना चाहिए और इसमें ताइवान उसकी मदद कर सकता है। इससे भारत को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने का मौका मिलेगा।

सू चिन शू ने कहा कि ताइवान की प्रौद्योगिकी और भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के बीच तालमेल बिठाकर भारत में उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी वाले घटकों का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे नई दिल्ली को चीन से आयात कम करने में मदद मिलेगी।

ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने भारत-ताइवान संबंधों को बेहतर बनाने के तरीकों पर अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ बंद कमरे में बैठक भी की।सु ने कहा, मुझे लगता है कि संबंधों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं, विशेषकर आर्थिक सहयोग के मामले में।

भारत-चीन व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा

भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा काफी बड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2023-24 में भारत ने चीन से लगभग 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर के उत्पाद आयात किए, जबकि निर्यात मात्र 16.65 अरब डॉलर का ही रहा। भारत चीन से मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर, दूरसंचार उपकरण, रसायन और दवा उद्योग के कच्चे माल का आयात करता है। ताइवान इस क्षेत्र में भारत की मदद कर सकता है, क्योंकि यह विश्व के कुल सेमीकंडक्टर उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत और उच्चतम तकनीक वाले चिप्स का 90 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करता है। ये चिप्स स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, डेटा सेंटर, रक्षा उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी कई अहम तकनीकों में इस्तेमाल किए जाते हैं।

व्यापार समझौता भी चाहता है ताइवान

ताइवान भारत के साथ एक व्यापार समझौता करने को उत्सुक है, जिसकी पहल लगभग 12 वर्ष पहले हुई थी। शू ने बताया कि ताइवान की कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं, लेकिन उच्च आयात शुल्क एक बड़ी बाधा है। अगर एक व्यापार समझौता किया जाता है, तो यह दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगा।

ताइवान की कई प्रमुख कंपनियां अपने उत्पादन संयंत्रों को चीन से हटाकर यूरोप, अमेरिका और भारत में ट्रांसफर करने पर विचार कर रही हैं। इसका एक कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और दूसरा ताइवान के प्रति चीन के आक्रामक रुख को लेकर चिंताएं हैं। सू चिन शू का मानना है कि ताइवान की उन्नत तकनीक और भारत की विशाल श्रमशक्ति मिलकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को और मजबूत कर सकती है।

हमने उन्हें बेनकाब कर दिया”...,टैरिफ पर ट्रंप ने भारत को लेकर दिया बड़ा बयान

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर धमकी भरे अंदाज में बात की है। ट्रंप ने दो अप्रैल से भारत पर भी टैरिफ वाला “चाबुक” चलाने की बात दोहराई है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

अमेरिकी समाचार वेबसाइट ‘ब्रेइटबार्ट न्यूज’ के साथ साक्षात्कार में ट्रंप ने भारत के साथ अमेरिका के संबंधों पर चर्चा की। वेबसाइट ने ट्रंप के हवाले से कहा, भारत के साथ उनके बेहद अच्छे संबंध हैं। लेकिन, मेरी एकमात्र समस्या यह है कि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में से एक हैं।

ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

बता दें कि ट्रंप पहले ही एलान कर चुके हैं कि 2 अप्रैल से वे भी व्यापार सहयोगी देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाएंगे। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर को लेकर ट्रंप ने कहा कि यह शानदार देशों का समूह है, जो उन देशों का मुकाबला करेगा, जो हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर पर बीते महीने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर भी अहम बातचीत हुई थी।

इससे पहले ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत अपने शुल्क में काफी कटौती करने पर सहमत हो गया है। उन्होंने अपना यह दावा भी दोहराया था कि अमेरिका पर भारत भारी शुल्क लगाता है, जिससे वहां उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाता है।

अजीत डोभाल और तुलसी गबार्ड के बीच हुई अहम बैठक, कनाडाई और ब्रिटेन के एनएसए से भी हुई बात

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अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड भारत आई हैं। तुलसी गबार्ड ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अहम बैठक की। इसके अवाला उन्होंने अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होने वाली एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और खुफिया समिट में हिस्सा लिया। यह सम्मेलन आतंकवाद का मुकाबला करने और खुफिया जानकारी साझा करने में सहयोग बढ़ाने के लिए है।गबार्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद भारत आने वाली पहली उच्च-स्तरीय अधिकारी हैं। बता दें कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी अगले महीने भारत आ सकते हैं।

तुलसी गबार्ड तीन दिवसीय दौरे पर भारत आई हैं। तुलसी गैबर्ड रविवार को दिल्ली पहुंचीं।अजीत डोभाल ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के साथ रविवार को द्विपक्षीय वार्ता की और दुनिया भर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्मेलन में आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने वार्ता के दौरान मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत बनाने और भारत-अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के साथ सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।

वैश्विक खुफिया सम्मेलन, बंद कमरे में चर्चा

इससे पहले डोभाल ने शीर्ष वैश्विक खुफिया अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस में आतंकवाद और उभरती तकनीक से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। सम्मेलन में कनाडाई खुफिया प्रमुख डैनियल रोजर्स और ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल भी शामिल थे। बंद कमरे में हुई इस वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। माना जा रहा है कि खुफिया और सुरक्षा विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने व आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है।

तुलसी गबार्ड का दौरा क्यों अहम?

तुलसी की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता, हमास-इजरायल युद्ध और पाकिस्तान में बलूच लड़ाकों के विद्रोह और आंतकी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार बनने के बाद उनकी टीम के किसी शीर्ष अधिकारी की यह भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस दौरे पर आ सकते हैं।तुलसी भारत के अलावा जापान, होनोलुलू, थाईलैंड और कुछ समय के लिए फ्रांस भी जाएंगी।डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में शामिल होने के बाद गबार्ड की यह दूसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले वो जर्मनी गई थीं, जहां उन्होंने म्यूनिक सेक्युरिटी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था।

रायसीना डायलॉग में लेंगी हिस्सा

गबार्ड मंगलवार को रायसीना डायलॉग में भी हिस्सा लेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड को रायसीना डायलॉग में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। 18 मार्च को वो इसमें शिरकत करेंगी। इस सम्मेलन में गबार्ड भारत और अन्य देशों के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगी। बता दें, रायसीना डायलॉग ऐसा मंच है, जहां जियोपॉलिटिक्स, जियोइकोनॉमिक्स से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

पीएम मोदी से भी मुलाकात संभल

गबार्ड के अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी से भी मुलाकात करने की संभावना है।पीएम मोदी पिछले महीने अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान गैबर्ड से मिले थे। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी।गैबर्ड की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया सहयोग को और गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

*Vision 2028 resumes with U-19, U-15 girls’ camp*

Sports

Khabar kolkata sports Desk: The third phase of Vision 2028 got underway today at the JU 2nd Campus Ground, Salt Lake, with the Bengal Under-19 girls attending the first session of the camp that ends on March 24.

While Bengal’s Manoj Tiwary will be the batting coach, the bowling department will be guided by former India pacer Venkatesh Prasad along with Bengal’s Ashok Dinda and spin bowling will be taken care of by Narendra Hirwani. Former India and Bengal women's cricketer Purnima Chowdhury will also guide the girls.

The third phase of the camp is divided into two sessions every day. The first half will be attended by the U19 girls and the second by the U15 girls.

The opening day’s session began with Prasad, Hirwari and Tiwary delivering inspirational and motivation words to the young girls. The trio told the girls to use the camp as a learning experience.

After a brief introduced by the girls, the batters took their stance at the crease and the bowlers prepared for their run-up, by practicing their bowling action. The coaches looked at the proceedings and watched the girls’ practice with hawk eyes. As the session went on, the coaches talked to the talents individually.

The short-term goal of Vision 2028 will be to get the various age group squads ready for the domestic season by improving their skills while the long-term goals will be to nurture the future talents and make them fit for various Bengal age group squads.

20 U19 girls and 23 U15 girls are attending the camp.

Pic Courtesy by: CAB

रुपये सिंबल विवाद पर इसे डिजाइन करने वाले ने क्या है? डीएमके से है कनेक्शन

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तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने रुपये के चिन्ह '₹' को हटाकर 'ரூ' सिंबल से रिप्लेस कर दिया है। इस सिंबल का मतलब भी तमिल लिपी में 'रु' ही है। यह तमिल शब्द ‘रुबाई’ (रुपया) का पहला अक्षर है। ये बदलाव स्टालिन सरकार ने राज्य के बजट में किया है। बीजेपी ने स्टालिन सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है। इस बीच तमिलनाडु सरकार के इस फैसले को लेकर रुपये सिंबल का डिजाइन बनाने वाले डी उदय कुमार का रिएक्शन आया है। उन्होंने कहा, सरकार ने बदलाव की जरूरत महसूस की और अपनी लिपि को शामिल किया। यह उनका निर्णय है, मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता।

स्टालिन भाषा विवाद को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। वह केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। इसी क्रम में उनकी सरकार ने रुपये का सिंबल बदलने का फैसला किया। हालांकि शायद उनको यह मालूम नहीं होगा कि रुपये के '₹' सिंबल को तमिलनाडु में जन्मे व्यक्ति ने ही डिजाइन किया था और उनके पिता खुद डीएमके के विधायक थे।

आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने तमिलनाडु सरकार की ओर से राज्य बजट के लिए रुपये का नया लोगो जारी किए जाने के कुछ ही घंटों बाद भाषा विवाद में पड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह महज संयोग है कि उनके पिता द्रमुक के विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता बहुत पहले विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता मेरे जन्म से पहले ही विधायक थे। अब वे गांव में शांति से रह रहे हैं। इसका इस फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। डी उदय कुमार के पिता एन धर्मलिंगम 1971 में डीएमके के विधायक थे।

डी उदय कुमार ने 2010 में भारत सरकार द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लिया था। उनका डिज़ाइन चुना गया और 15 जुलाई 2010 को इसे आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। सरकारी पोर्टल ‘Know India’ के अनुसार, भारतीय रुपये का प्रतीक देवनागरी ‘र’ और रोमन ‘R’ का मिश्रण है। इसके ऊपर दो समानांतर रेखाएं हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज और ‘बराबर’ के चिन्ह का प्रतीक हैं।

आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार 2025/26 के बजट को शुक्रवार को विधानसभा में पेश करने वाली है। उससे पहले रुपए के सिंबल को बदलने का ये फैसला सत्तारूढ़ द्रमुक ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फॉर्मूले के जरिए राज्य पर हिंदी थोपने के आरोप के बीच लिया है। तमिलनाडु देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां रुपए का सिंबल बदला गया है।

क्या बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश को भारत ने किया नाकाम? इसके पीछे था पाकिस्तान

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासती उथल-पुथल जारी है। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अब वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के तख्तापलट की साजिश के दावे किए जा रहे है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना की बागडोर संभालने की तैयारियों में जुटे हैं। इस साजिश में कई कट्टरपंथी अफसर भी शामिल हैं। अब खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई है। हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज्जमान के ऊपर से अभी खतरा टला नहीं है।

स्‍वराज्‍य मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने ना सिर्फ सेना प्रमुख की कुर्सी को बचाने में मदद की, बल्कि भारत ने चरमपंथियों की सरकार चलाने में मोहम्मद यूनुस को बहुत बड़ा झटका भी दिया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नाकाम तख्तापलट की कोशिश को लेकर अब रिपोर्ट्स से सामने आने लगे हैं। खुफिया जानकारियों से पता चलता है कि सैना प्रमुख की तख्तापलट की साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने तैयार की थी। आईएसआई, जनरल वकार-उज्जमान से इसलिए नाराज थी, क्योंकि आर्मी चीफ बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ बने रहे करीबी संबंध के बीच अवरोध बन रहे थे।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश आर्मी में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी परस्त लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने अन्य जनरलों के समर्थन से बांग्लादेश आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से यह नाकाम रहा। फैजुर रहमान ने पिछले हफ्ते ढाका में पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई के प्रमुख और उसके प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी। इसके साथ ही वो बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई से समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।

यह साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रची गई थी। आईएसआई जनरल वाकर से नाराज थी क्योंकि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच मबूत सैन्य संबंधों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश के मौजूदा इस्लामवादी शासक भी आईएसआई की इस योजना का समर्थन कर रहे थे।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साज़िश में बांग्लादेश आर्मी के कई अधिकारी कथित रूप से शामिल थे। जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (जीओसी) के 10 अधिकारियों का नाम इसमें आया है। इसमें मेजर जनरल मीर मुशफिक़ुर रहमान भी हैं, जो जीओसी के 24 इन्फैन्ट्री डिवीजन में हैं और वह चटगाँव के एरिया कमांडर हैं। रहमान लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का प्रमोशन चाहते हैं। इसके अलावा मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक़ भी हैं, जो जीओसी 33 इन्फैन्ट्री में हैं। ये सभी जनरल रहमान का समर्थन कर रहे हैं।

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी प्रमुख जनरल वक़ार वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं। इन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है और बांग्लादेश में इस्लामिक दबदबे वाली सरकार के विरोधी रहे हैं।

बांग्लादेश की आर्मी ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया

वहीं, बांग्लादेश आर्मी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। बांग्लादेश आर्मी ने कहा है कि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मंगलवार रात बांग्लादेश की इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन डायरेक्टोरेट यानी आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। आईएसपीआर ने अपने बयान में कहा है, बांग्लादेश आर्मी ने भारत के कुछ मीडिया आउटलेट्स में बेबुनियाद रिपोर्ट देखी हैं। इस रिपोर्ट में आर्मी के भीतर ही संभावित तख़्तापलट का दावा किया गया है।

वकार को माना जाता है हसीना और भारत का समर्थक

वकार-उज-जमान को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत का समर्थक माना जाता है। उन्होंने 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश से निकलने में मदद की थी। हाल ही में जनरल वक़ार ने संकेत दिया था कि बांग्लादेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है। जबकि इसके उलट मोहम्मद फैजुर रहमान अपनी कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

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पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते, जानें किन मुद्दों पर बनी बात?

#agreementsbetweenindiaandmauritius

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्‍त मॉरिशस में हैं। पीएम मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने बुधवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। इसके बाद दोनों की मौजूदगी में भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते भी किए गए। दोनों देशों ने आज 8 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान दोनों नोताओं ने संयुक्त बयान भी जारी किया।

अपने मॉरीशस दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-मॉरीशस साझेदार नहीं, एक दूसरे का हमदर्द है। भारत और मॉरीशस साझेदारी को और मजबूत करेंगे। दोनों देशों का संबंध केवल हिंद महासागर से ही नहीं, बल्कि हमारी साझी सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों से भी जुड़ा है। मॉरीशस के विकास योजनाओं में भारत बड़ी भूमिका निभाएगा। दोनों देशों के उभरते क्षेत्रों में हमारा दृष्टिकोण साझा है। पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा हो या शिक्षा, भारत-मॉरीशस साथ खड़े हैं।

पीएम रामगुलाम के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा हो या कोविड की विपदा, हमने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। रक्षा हो या शिक्षा, स्वास्थ्य हो या स्पेस, हम हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। पिछले 10 साल में हमने अपने संबंधों में कई नए आयाम जोड़े हैं। विकास सहयोग और क्षमता निर्माण में नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं और प्रधानमंत्री जी सहमत हैं कि रक्षा सहयोग और मैरीटाइम सिक्योरिटी हमारी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का अहम हिस्सा है। फ्री, ओपन, सेक्योर एंड सेफ इंडियन ओसियन हमारी साझी प्राथमिकता है। हम मॉरीशस के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन की सुरक्षा में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ग्लोबल साउथ हो, हिंद महासागर हो या अफ्रीकन भू-भाग, मॉरीशस हमारा महत्वपूर्ण साझीदार है। 10 साल पहले, विजन SAGAR यानि Security and Growth for All in the Region की आधारशिला यहीं मॉरीशस में रखी गई थी। इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए हम SAGAR विजन लेकर चले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मॉरीशस में गति के लिए मेट्रो एक्सप्रेस, न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट भवन, सुखद प्रवास के लिए सोशल हाउसिंग, अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईएनटी अस्पताल, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए UPI और RUPAY कार्ड, सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र, ऐसी अनेक जन केंद्रित पहल हैं, जिन्हें हमने समयबद्ध तरीके से पूरा किया है।

पीएम मोदी ने कहा, 'आज, प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम और मैंने भारत-मॉरीशस साझेदारी को 'बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी' का दर्जा देने का निर्णय लिया है। हमने निर्णय लिया है कि भारत मॉरीशस में नए संसद भवन के निर्माण में सहयोग करेगा। यह लोकतंत्र की जननी की ओर से मॉरीशस को एक भेंट होगी।

भारत और मॉरीशस ने इन आठ समझौता पर किए हस्ताक्षर

1. स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली पर मॉरीशस के केंद्रीय बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

2. पाइप बदलने के कार्यक्रम के तहत केंद्रीय जल प्राधिकरण की ओर से चल रही परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए मॉरीशस सरकार और भारतीय स्टेट बैंक के बीच ऋण सुविधा पर समझौता

3. राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पर भारतीय विदेश सेवा संस्थान और मॉरीशस के विदेश, क्षेत्रीय एकीकरण और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन

4. भारतीय नौसेना और मॉरीशस पुलिस बल के बीच श्वेत शिपिंग सूचना साझा करने पर तकनीकी समझौता

5. मॉरीशस के वित्तीय अपराध आयोग और भारत के प्रवर्तन निदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन

6. मॉरीशस के उद्योग, एसएमई और सहकारिता मंत्रालय तथा भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन

7. मॉरीशस के लोक सेवा और प्रशासनिक सुधार मंत्रालय तथा भारत के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के बीच लोक अधिकारियों के प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन

8. भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और मॉरीशस के प्रधान मंत्री कार्यालय के महाद्वीपीय शेल्फ, समुद्री क्षेत्र प्रशासन और अन्वेषण विभाग के बीच समझौता ज्ञापन

*एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने केयर टुडे के साथ मिलकर मेगा रक्तदान अभियान का आयोजन किया*

लखनऊ । एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स अपने "लाइफ्स गुड व्हेन लाइफ्स शेयर्ड" नामक पैन इंडिया मेगा रक्तदान अभियान के माध्यम से समुदाय में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह पहल स्वैच्छिक रक्तदान को प्रेरित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है और अब तक भारत भर में 50 से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जा चुका है। फरवरी 2025 में ही लगभग 5,000 पंजीकरण किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 3,000 से अधिक रक्त यूनिट्स का दान हुआ। इस अभियान को युवाओं का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसमें छात्र, NSS सदस्य और यहां तक कि शिक्षकों ने भी इस नेक कार्य में सक्रिय रूप से भाग लिया है।

रक्तदान शिविर विभिन्न शहरों में आयोजित किए गए, जिनमें दिल्ली एनसीआर, राजस्थान, लुधियाना, चंडीगढ़, लखनऊ, रांची, सीकर, कोलकाता, मणिपाल, सूरत, राजकोट, अहमदाबाद और अन्य शहर शामिल हैं। यह शिविर मार्च 2025 तक आयोजित किए जाएंगे, ताकि यह पहल और भी अधिक समुदायों तक पहुंचे।

कुछ प्रमुख शैक्षिक संस्थान जिन्होंने इस अभियान का जबरदस्त समर्थन किया है, वे हैं:

- बीआईटीएस पिलानी

- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय

- खालसा कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, मोहाली

- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी

- आलिया विश्वविद्यालय, कोलकाता

- हरिवंदना कॉलेज, राजकोट

- आईआईएमएसआर

- रामजस कॉलेज, दिल्ली

- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (NUSRL), रांची

कैम्पस आधारित शिविरों के अतिरिक्त, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने सरकारी कार्यालयों में भी रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है, जिनमें ITO कार्यालय और दिल्ली पुलिस मुख्यालय शामिल हैं।

महिला दिवस पर विशेष रक्तदान शिविर

समुदाय कल्याण के महत्व को और बढ़ावा देने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स 8 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली के AIIMS में एक विशेष रक्तदान शिविर का आयोजन करेगा। यह कार्यक्रम एलजी इंडिया की निरंतर कोशिशों का हिस्सा है, जो लोगों को एक बड़ा उद्देश्य पाने के लिए रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है।

रक्तदान के प्रति जागरूकता अभियान

रक्तदान शिविरों के साथ-साथ, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स एक व्यापक जागरूकता अभियान भी चला रहा है, जिसका उद्देश्य लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। इसमें रेडियो, डिजिटल मीडिया, पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से कॉलेजों और संस्थानों के साथ सहयोग किया जा रहा है। इसका लक्ष्य लोगों को रक्तदान के जीवनरक्षक प्रभाव के बारे में जागरूक करना और स्वैच्छिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।

समर्पित माइक्रोसाइट के माध्यम से आसान भागीदारी

भागीदारी की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने एक समर्पित माइक्रोसाइट लॉन्च किया है: [https://lg-india.com/blood-donation/](https://lg-india.com/blood-donation/)। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोग:

- इस कारण के लिए अपना समर्थन पंजीकृत कर सकते हैं

- आगामी रक्तदान शिविरों के लिए पंजीकरण कर सकते हैं

- अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

- शिविरों के स्थान और दाता दिशानिर्देशों पर अपडेट प्राप्त कर सकते हैं

यह सीएसआर पहल, केयर टुडे फंड के साथ साझेदारी में, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की सामाजिक जिम्मेदारी और स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर जल्द पूरा होगा सबसे लंबी सुरंग का काम, इतनी है लंबाई

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर भारत की सबसे लंबी सुरंग का काम पूरा होने वाला है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर तैयार की जा रही सबसे लंबी सुरंग जोकि राजस्थान में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) से गुजरेगी उसका काम लगभग पूरा होने वाला है. अधिकारियों ने सुरंग का निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

यह 8 लेन वाली सुरंग है, देश में यह पहली टनल है जिसमें दो समानांतर ट्यूब हैं, जिनमें से प्रत्येक में चार लेन हैं. हालांकि, भविष्य में सुरंग में 8 से 12 लेन तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. यह सुरंग 4.9 किमी तक फैली है. इस सुरंग में 3.3 किमी का अंडरग्राउंड सेक्शन है. जबकि बाकी के 1.6 किमी का निर्माण कट-एंड-कवर तरीके का इस्तेमाल करके किया जा रहा है. शुक्रवार को इंजीनियर्स ने ट्यूब 1 के निर्माण के पूरे होने का जश्न मनाया. ट्यूब 1 कोटा को चेचट से जोड़ेगा.

ट्यूब-1 की खुदाई हुई पूरी

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) (National Highways Authority of India) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि ट्यूब-1 की पूरी खुदाई हो चुकी है, लेकिन ट्यूब-2 (चेचट से कोटा) में सिर्फ 60 मीटर की खुदाई अभी बाकी है. उन्होंने आगे कहा, यह काम एक महीने के अंदर पूरा होने की उम्मीद है. खुदाई के बाद, कुछ सेक्शन में सुरंग की चौड़ाई और ऊंचाई को बढ़ाने के लिए और भी मोडिफिकेशन किए जाएंगे.

सुरक्षा के क्या होंगे इंतजाम

टनल में सुरक्षा के लिए भी कई इंतजाम किए गए हैं. जिनमें शामिल हैं: – एआई-आधारित मॉनिटरिंग – लाईटिंग और सेंसर – प्रदूषण कंट्रोल सिस्टम – पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (स्काडा) अधिकारियों ने सुरंग का निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 1,350 किलोमीटर का एक्सेस-नियंत्रित एक्सप्रेसवे है, जिसे 8-लेन एक्सप्रेसवे के रूप में डिज़ाइन किया गया है. हालांकि, इसको भविष्य में 12 लेन तक बढ़ाने की संभावना जताई गई है. राजस्थान में, निर्माणाधीन 373 किलोमीटर की लंबाई में से 327 किलोमीटर पहले से ही चालू है.

एनएचएआई के एक अधिकारी के मुताबिक, “ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का निर्माण ज्यादातर हिस्सों पर पूरा हो चुका है. हालांकि, जब तक इंटरचेंज का निर्माण नहीं हो जाता, इन खंडों को यातायात के लिए नहीं खोला जा सकता है.”

ताइवान ने भारत को दिया ऑफर, चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में मदद का भरोसा

#taiwanindiaeconomic_partnership

ताइवान के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सु चिन शू भारत दौरे पर हैं। सु चिन शू भारत के प्रमुख सम्मेलन, रायसीना डायलॉग में भाग लेने के लिए दिल्ली में हैं। उन्होंने इस दौरान दोनों पक्षा के बीच व्यापार पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत और ताइवान के बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने की जरूरत है। इससे न केवल भारत को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में ताइवानी कंपनियों के निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

सू चिन शू ने भारत में अपने दौरे के बीच प्रतिष्ठित रायसीना डायलॉग में भाग लिया और वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से भी वार्ता की। इस दौरान गुरुवार को पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत की विशाल युवा आबादी और ताइवान की तकनीकी विशेषज्ञता मिलकर एक मजबूत आर्थिक साझेदारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अब चीन से आयात करने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक और इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी उत्पादों का उत्पादन खुद करना चाहिए और इसमें ताइवान उसकी मदद कर सकता है। इससे भारत को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने का मौका मिलेगा।

सू चिन शू ने कहा कि ताइवान की प्रौद्योगिकी और भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के बीच तालमेल बिठाकर भारत में उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी वाले घटकों का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे नई दिल्ली को चीन से आयात कम करने में मदद मिलेगी।

ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने भारत-ताइवान संबंधों को बेहतर बनाने के तरीकों पर अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ बंद कमरे में बैठक भी की।सु ने कहा, मुझे लगता है कि संबंधों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं, विशेषकर आर्थिक सहयोग के मामले में।

भारत-चीन व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा

भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा काफी बड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2023-24 में भारत ने चीन से लगभग 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर के उत्पाद आयात किए, जबकि निर्यात मात्र 16.65 अरब डॉलर का ही रहा। भारत चीन से मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर, दूरसंचार उपकरण, रसायन और दवा उद्योग के कच्चे माल का आयात करता है। ताइवान इस क्षेत्र में भारत की मदद कर सकता है, क्योंकि यह विश्व के कुल सेमीकंडक्टर उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत और उच्चतम तकनीक वाले चिप्स का 90 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करता है। ये चिप्स स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, डेटा सेंटर, रक्षा उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी कई अहम तकनीकों में इस्तेमाल किए जाते हैं।

व्यापार समझौता भी चाहता है ताइवान

ताइवान भारत के साथ एक व्यापार समझौता करने को उत्सुक है, जिसकी पहल लगभग 12 वर्ष पहले हुई थी। शू ने बताया कि ताइवान की कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं, लेकिन उच्च आयात शुल्क एक बड़ी बाधा है। अगर एक व्यापार समझौता किया जाता है, तो यह दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगा।

ताइवान की कई प्रमुख कंपनियां अपने उत्पादन संयंत्रों को चीन से हटाकर यूरोप, अमेरिका और भारत में ट्रांसफर करने पर विचार कर रही हैं। इसका एक कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और दूसरा ताइवान के प्रति चीन के आक्रामक रुख को लेकर चिंताएं हैं। सू चिन शू का मानना है कि ताइवान की उन्नत तकनीक और भारत की विशाल श्रमशक्ति मिलकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को और मजबूत कर सकती है।

हमने उन्हें बेनकाब कर दिया”...,टैरिफ पर ट्रंप ने भारत को लेकर दिया बड़ा बयान

#india_will_probably_cut_tariffs_says_trump

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर धमकी भरे अंदाज में बात की है। ट्रंप ने दो अप्रैल से भारत पर भी टैरिफ वाला “चाबुक” चलाने की बात दोहराई है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

अमेरिकी समाचार वेबसाइट ‘ब्रेइटबार्ट न्यूज’ के साथ साक्षात्कार में ट्रंप ने भारत के साथ अमेरिका के संबंधों पर चर्चा की। वेबसाइट ने ट्रंप के हवाले से कहा, भारत के साथ उनके बेहद अच्छे संबंध हैं। लेकिन, मेरी एकमात्र समस्या यह है कि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में से एक हैं।

ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

बता दें कि ट्रंप पहले ही एलान कर चुके हैं कि 2 अप्रैल से वे भी व्यापार सहयोगी देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाएंगे। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर को लेकर ट्रंप ने कहा कि यह शानदार देशों का समूह है, जो उन देशों का मुकाबला करेगा, जो हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर पर बीते महीने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर भी अहम बातचीत हुई थी।

इससे पहले ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत अपने शुल्क में काफी कटौती करने पर सहमत हो गया है। उन्होंने अपना यह दावा भी दोहराया था कि अमेरिका पर भारत भारी शुल्क लगाता है, जिससे वहां उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाता है।

अजीत डोभाल और तुलसी गबार्ड के बीच हुई अहम बैठक, कनाडाई और ब्रिटेन के एनएसए से भी हुई बात

#usintelchieftulsigabbardinindiameetingnsaajitdoval

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड भारत आई हैं। तुलसी गबार्ड ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अहम बैठक की। इसके अवाला उन्होंने अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होने वाली एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और खुफिया समिट में हिस्सा लिया। यह सम्मेलन आतंकवाद का मुकाबला करने और खुफिया जानकारी साझा करने में सहयोग बढ़ाने के लिए है।गबार्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद भारत आने वाली पहली उच्च-स्तरीय अधिकारी हैं। बता दें कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी अगले महीने भारत आ सकते हैं।

तुलसी गबार्ड तीन दिवसीय दौरे पर भारत आई हैं। तुलसी गैबर्ड रविवार को दिल्ली पहुंचीं।अजीत डोभाल ने अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के साथ रविवार को द्विपक्षीय वार्ता की और दुनिया भर के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्मेलन में आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने वार्ता के दौरान मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत बनाने और भारत-अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के साथ सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।

वैश्विक खुफिया सम्मेलन, बंद कमरे में चर्चा

इससे पहले डोभाल ने शीर्ष वैश्विक खुफिया अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस में आतंकवाद और उभरती तकनीक से उत्पन्न खतरों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। सम्मेलन में कनाडाई खुफिया प्रमुख डैनियल रोजर्स और ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल भी शामिल थे। बंद कमरे में हुई इस वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। माना जा रहा है कि खुफिया और सुरक्षा विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने व आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है।

तुलसी गबार्ड का दौरा क्यों अहम?

तुलसी की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता, हमास-इजरायल युद्ध और पाकिस्तान में बलूच लड़ाकों के विद्रोह और आंतकी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार बनने के बाद उनकी टीम के किसी शीर्ष अधिकारी की यह भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस दौरे पर आ सकते हैं।तुलसी भारत के अलावा जापान, होनोलुलू, थाईलैंड और कुछ समय के लिए फ्रांस भी जाएंगी।डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में शामिल होने के बाद गबार्ड की यह दूसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले वो जर्मनी गई थीं, जहां उन्होंने म्यूनिक सेक्युरिटी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था।

रायसीना डायलॉग में लेंगी हिस्सा

गबार्ड मंगलवार को रायसीना डायलॉग में भी हिस्सा लेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड को रायसीना डायलॉग में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। 18 मार्च को वो इसमें शिरकत करेंगी। इस सम्मेलन में गबार्ड भारत और अन्य देशों के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगी। बता दें, रायसीना डायलॉग ऐसा मंच है, जहां जियोपॉलिटिक्स, जियोइकोनॉमिक्स से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

पीएम मोदी से भी मुलाकात संभल

गबार्ड के अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी से भी मुलाकात करने की संभावना है।पीएम मोदी पिछले महीने अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान गैबर्ड से मिले थे। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी।गैबर्ड की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया सहयोग को और गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

*Vision 2028 resumes with U-19, U-15 girls’ camp*

Sports

Khabar kolkata sports Desk: The third phase of Vision 2028 got underway today at the JU 2nd Campus Ground, Salt Lake, with the Bengal Under-19 girls attending the first session of the camp that ends on March 24.

While Bengal’s Manoj Tiwary will be the batting coach, the bowling department will be guided by former India pacer Venkatesh Prasad along with Bengal’s Ashok Dinda and spin bowling will be taken care of by Narendra Hirwani. Former India and Bengal women's cricketer Purnima Chowdhury will also guide the girls.

The third phase of the camp is divided into two sessions every day. The first half will be attended by the U19 girls and the second by the U15 girls.

The opening day’s session began with Prasad, Hirwari and Tiwary delivering inspirational and motivation words to the young girls. The trio told the girls to use the camp as a learning experience.

After a brief introduced by the girls, the batters took their stance at the crease and the bowlers prepared for their run-up, by practicing their bowling action. The coaches looked at the proceedings and watched the girls’ practice with hawk eyes. As the session went on, the coaches talked to the talents individually.

The short-term goal of Vision 2028 will be to get the various age group squads ready for the domestic season by improving their skills while the long-term goals will be to nurture the future talents and make them fit for various Bengal age group squads.

20 U19 girls and 23 U15 girls are attending the camp.

Pic Courtesy by: CAB

रुपये सिंबल विवाद पर इसे डिजाइन करने वाले ने क्या है? डीएमके से है कनेक्शन

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तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने रुपये के चिन्ह '₹' को हटाकर 'ரூ' सिंबल से रिप्लेस कर दिया है। इस सिंबल का मतलब भी तमिल लिपी में 'रु' ही है। यह तमिल शब्द ‘रुबाई’ (रुपया) का पहला अक्षर है। ये बदलाव स्टालिन सरकार ने राज्य के बजट में किया है। बीजेपी ने स्टालिन सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है। इस बीच तमिलनाडु सरकार के इस फैसले को लेकर रुपये सिंबल का डिजाइन बनाने वाले डी उदय कुमार का रिएक्शन आया है। उन्होंने कहा, सरकार ने बदलाव की जरूरत महसूस की और अपनी लिपि को शामिल किया। यह उनका निर्णय है, मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता।

स्टालिन भाषा विवाद को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। वह केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। इसी क्रम में उनकी सरकार ने रुपये का सिंबल बदलने का फैसला किया। हालांकि शायद उनको यह मालूम नहीं होगा कि रुपये के '₹' सिंबल को तमिलनाडु में जन्मे व्यक्ति ने ही डिजाइन किया था और उनके पिता खुद डीएमके के विधायक थे।

आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने तमिलनाडु सरकार की ओर से राज्य बजट के लिए रुपये का नया लोगो जारी किए जाने के कुछ ही घंटों बाद भाषा विवाद में पड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह महज संयोग है कि उनके पिता द्रमुक के विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता बहुत पहले विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता मेरे जन्म से पहले ही विधायक थे। अब वे गांव में शांति से रह रहे हैं। इसका इस फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। डी उदय कुमार के पिता एन धर्मलिंगम 1971 में डीएमके के विधायक थे।

डी उदय कुमार ने 2010 में भारत सरकार द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लिया था। उनका डिज़ाइन चुना गया और 15 जुलाई 2010 को इसे आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। सरकारी पोर्टल ‘Know India’ के अनुसार, भारतीय रुपये का प्रतीक देवनागरी ‘र’ और रोमन ‘R’ का मिश्रण है। इसके ऊपर दो समानांतर रेखाएं हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज और ‘बराबर’ के चिन्ह का प्रतीक हैं।

आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार 2025/26 के बजट को शुक्रवार को विधानसभा में पेश करने वाली है। उससे पहले रुपए के सिंबल को बदलने का ये फैसला सत्तारूढ़ द्रमुक ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फॉर्मूले के जरिए राज्य पर हिंदी थोपने के आरोप के बीच लिया है। तमिलनाडु देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां रुपए का सिंबल बदला गया है।

क्या बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश को भारत ने किया नाकाम? इसके पीछे था पाकिस्तान

#indiahelpedthwartacoupagainstbangladesharmychief

पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासती उथल-पुथल जारी है। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अब वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के तख्तापलट की साजिश के दावे किए जा रहे है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना की बागडोर संभालने की तैयारियों में जुटे हैं। इस साजिश में कई कट्टरपंथी अफसर भी शामिल हैं। अब खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई है। हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज्जमान के ऊपर से अभी खतरा टला नहीं है।

स्‍वराज्‍य मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने ना सिर्फ सेना प्रमुख की कुर्सी को बचाने में मदद की, बल्कि भारत ने चरमपंथियों की सरकार चलाने में मोहम्मद यूनुस को बहुत बड़ा झटका भी दिया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नाकाम तख्तापलट की कोशिश को लेकर अब रिपोर्ट्स से सामने आने लगे हैं। खुफिया जानकारियों से पता चलता है कि सैना प्रमुख की तख्तापलट की साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने तैयार की थी। आईएसआई, जनरल वकार-उज्जमान से इसलिए नाराज थी, क्योंकि आर्मी चीफ बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ बने रहे करीबी संबंध के बीच अवरोध बन रहे थे।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश आर्मी में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी परस्त लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने अन्य जनरलों के समर्थन से बांग्लादेश आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से यह नाकाम रहा। फैजुर रहमान ने पिछले हफ्ते ढाका में पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई के प्रमुख और उसके प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी। इसके साथ ही वो बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई से समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।

यह साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रची गई थी। आईएसआई जनरल वाकर से नाराज थी क्योंकि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच मबूत सैन्य संबंधों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश के मौजूदा इस्लामवादी शासक भी आईएसआई की इस योजना का समर्थन कर रहे थे।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साज़िश में बांग्लादेश आर्मी के कई अधिकारी कथित रूप से शामिल थे। जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (जीओसी) के 10 अधिकारियों का नाम इसमें आया है। इसमें मेजर जनरल मीर मुशफिक़ुर रहमान भी हैं, जो जीओसी के 24 इन्फैन्ट्री डिवीजन में हैं और वह चटगाँव के एरिया कमांडर हैं। रहमान लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का प्रमोशन चाहते हैं। इसके अलावा मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक़ भी हैं, जो जीओसी 33 इन्फैन्ट्री में हैं। ये सभी जनरल रहमान का समर्थन कर रहे हैं।

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी प्रमुख जनरल वक़ार वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं। इन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है और बांग्लादेश में इस्लामिक दबदबे वाली सरकार के विरोधी रहे हैं।

बांग्लादेश की आर्मी ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया

वहीं, बांग्लादेश आर्मी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। बांग्लादेश आर्मी ने कहा है कि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मंगलवार रात बांग्लादेश की इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन डायरेक्टोरेट यानी आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। आईएसपीआर ने अपने बयान में कहा है, बांग्लादेश आर्मी ने भारत के कुछ मीडिया आउटलेट्स में बेबुनियाद रिपोर्ट देखी हैं। इस रिपोर्ट में आर्मी के भीतर ही संभावित तख़्तापलट का दावा किया गया है।

वकार को माना जाता है हसीना और भारत का समर्थक

वकार-उज-जमान को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत का समर्थक माना जाता है। उन्होंने 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश से निकलने में मदद की थी। हाल ही में जनरल वक़ार ने संकेत दिया था कि बांग्लादेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है। जबकि इसके उलट मोहम्मद फैजुर रहमान अपनी कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

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पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते, जानें किन मुद्दों पर बनी बात?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्‍त मॉरिशस में हैं। पीएम मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने बुधवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। इसके बाद दोनों की मौजूदगी में भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते भी किए गए। दोनों देशों ने आज 8 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान दोनों नोताओं ने संयुक्त बयान भी जारी किया।

अपने मॉरीशस दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-मॉरीशस साझेदार नहीं, एक दूसरे का हमदर्द है। भारत और मॉरीशस साझेदारी को और मजबूत करेंगे। दोनों देशों का संबंध केवल हिंद महासागर से ही नहीं, बल्कि हमारी साझी सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों से भी जुड़ा है। मॉरीशस के विकास योजनाओं में भारत बड़ी भूमिका निभाएगा। दोनों देशों के उभरते क्षेत्रों में हमारा दृष्टिकोण साझा है। पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा हो या शिक्षा, भारत-मॉरीशस साथ खड़े हैं।

पीएम रामगुलाम के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा हो या कोविड की विपदा, हमने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। रक्षा हो या शिक्षा, स्वास्थ्य हो या स्पेस, हम हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। पिछले 10 साल में हमने अपने संबंधों में कई नए आयाम जोड़े हैं। विकास सहयोग और क्षमता निर्माण में नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं और प्रधानमंत्री जी सहमत हैं कि रक्षा सहयोग और मैरीटाइम सिक्योरिटी हमारी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का अहम हिस्सा है। फ्री, ओपन, सेक्योर एंड सेफ इंडियन ओसियन हमारी साझी प्राथमिकता है। हम मॉरीशस के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन की सुरक्षा में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ग्लोबल साउथ हो, हिंद महासागर हो या अफ्रीकन भू-भाग, मॉरीशस हमारा महत्वपूर्ण साझीदार है। 10 साल पहले, विजन SAGAR यानि Security and Growth for All in the Region की आधारशिला यहीं मॉरीशस में रखी गई थी। इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए हम SAGAR विजन लेकर चले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मॉरीशस में गति के लिए मेट्रो एक्सप्रेस, न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट भवन, सुखद प्रवास के लिए सोशल हाउसिंग, अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईएनटी अस्पताल, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए UPI और RUPAY कार्ड, सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र, ऐसी अनेक जन केंद्रित पहल हैं, जिन्हें हमने समयबद्ध तरीके से पूरा किया है।

पीएम मोदी ने कहा, 'आज, प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम और मैंने भारत-मॉरीशस साझेदारी को 'बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी' का दर्जा देने का निर्णय लिया है। हमने निर्णय लिया है कि भारत मॉरीशस में नए संसद भवन के निर्माण में सहयोग करेगा। यह लोकतंत्र की जननी की ओर से मॉरीशस को एक भेंट होगी।

भारत और मॉरीशस ने इन आठ समझौता पर किए हस्ताक्षर

1. स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली पर मॉरीशस के केंद्रीय बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

2. पाइप बदलने के कार्यक्रम के तहत केंद्रीय जल प्राधिकरण की ओर से चल रही परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए मॉरीशस सरकार और भारतीय स्टेट बैंक के बीच ऋण सुविधा पर समझौता

3. राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पर भारतीय विदेश सेवा संस्थान और मॉरीशस के विदेश, क्षेत्रीय एकीकरण और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन

4. भारतीय नौसेना और मॉरीशस पुलिस बल के बीच श्वेत शिपिंग सूचना साझा करने पर तकनीकी समझौता

5. मॉरीशस के वित्तीय अपराध आयोग और भारत के प्रवर्तन निदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन

6. मॉरीशस के उद्योग, एसएमई और सहकारिता मंत्रालय तथा भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन

7. मॉरीशस के लोक सेवा और प्रशासनिक सुधार मंत्रालय तथा भारत के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के बीच लोक अधिकारियों के प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन

8. भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और मॉरीशस के प्रधान मंत्री कार्यालय के महाद्वीपीय शेल्फ, समुद्री क्षेत्र प्रशासन और अन्वेषण विभाग के बीच समझौता ज्ञापन

*एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने केयर टुडे के साथ मिलकर मेगा रक्तदान अभियान का आयोजन किया*

लखनऊ । एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स अपने "लाइफ्स गुड व्हेन लाइफ्स शेयर्ड" नामक पैन इंडिया मेगा रक्तदान अभियान के माध्यम से समुदाय में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह पहल स्वैच्छिक रक्तदान को प्रेरित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है और अब तक भारत भर में 50 से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जा चुका है। फरवरी 2025 में ही लगभग 5,000 पंजीकरण किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 3,000 से अधिक रक्त यूनिट्स का दान हुआ। इस अभियान को युवाओं का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसमें छात्र, NSS सदस्य और यहां तक कि शिक्षकों ने भी इस नेक कार्य में सक्रिय रूप से भाग लिया है।

रक्तदान शिविर विभिन्न शहरों में आयोजित किए गए, जिनमें दिल्ली एनसीआर, राजस्थान, लुधियाना, चंडीगढ़, लखनऊ, रांची, सीकर, कोलकाता, मणिपाल, सूरत, राजकोट, अहमदाबाद और अन्य शहर शामिल हैं। यह शिविर मार्च 2025 तक आयोजित किए जाएंगे, ताकि यह पहल और भी अधिक समुदायों तक पहुंचे।

कुछ प्रमुख शैक्षिक संस्थान जिन्होंने इस अभियान का जबरदस्त समर्थन किया है, वे हैं:

- बीआईटीएस पिलानी

- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय

- खालसा कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, मोहाली

- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी

- आलिया विश्वविद्यालय, कोलकाता

- हरिवंदना कॉलेज, राजकोट

- आईआईएमएसआर

- रामजस कॉलेज, दिल्ली

- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (NUSRL), रांची

कैम्पस आधारित शिविरों के अतिरिक्त, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने सरकारी कार्यालयों में भी रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है, जिनमें ITO कार्यालय और दिल्ली पुलिस मुख्यालय शामिल हैं।

महिला दिवस पर विशेष रक्तदान शिविर

समुदाय कल्याण के महत्व को और बढ़ावा देने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स 8 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली के AIIMS में एक विशेष रक्तदान शिविर का आयोजन करेगा। यह कार्यक्रम एलजी इंडिया की निरंतर कोशिशों का हिस्सा है, जो लोगों को एक बड़ा उद्देश्य पाने के लिए रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है।

रक्तदान के प्रति जागरूकता अभियान

रक्तदान शिविरों के साथ-साथ, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स एक व्यापक जागरूकता अभियान भी चला रहा है, जिसका उद्देश्य लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। इसमें रेडियो, डिजिटल मीडिया, पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से कॉलेजों और संस्थानों के साथ सहयोग किया जा रहा है। इसका लक्ष्य लोगों को रक्तदान के जीवनरक्षक प्रभाव के बारे में जागरूक करना और स्वैच्छिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।

समर्पित माइक्रोसाइट के माध्यम से आसान भागीदारी

भागीदारी की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने एक समर्पित माइक्रोसाइट लॉन्च किया है: [https://lg-india.com/blood-donation/](https://lg-india.com/blood-donation/)। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोग:

- इस कारण के लिए अपना समर्थन पंजीकृत कर सकते हैं

- आगामी रक्तदान शिविरों के लिए पंजीकरण कर सकते हैं

- अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

- शिविरों के स्थान और दाता दिशानिर्देशों पर अपडेट प्राप्त कर सकते हैं

यह सीएसआर पहल, केयर टुडे फंड के साथ साझेदारी में, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की सामाजिक जिम्मेदारी और स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर जल्द पूरा होगा सबसे लंबी सुरंग का काम, इतनी है लंबाई

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर भारत की सबसे लंबी सुरंग का काम पूरा होने वाला है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर तैयार की जा रही सबसे लंबी सुरंग जोकि राजस्थान में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) से गुजरेगी उसका काम लगभग पूरा होने वाला है. अधिकारियों ने सुरंग का निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

यह 8 लेन वाली सुरंग है, देश में यह पहली टनल है जिसमें दो समानांतर ट्यूब हैं, जिनमें से प्रत्येक में चार लेन हैं. हालांकि, भविष्य में सुरंग में 8 से 12 लेन तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. यह सुरंग 4.9 किमी तक फैली है. इस सुरंग में 3.3 किमी का अंडरग्राउंड सेक्शन है. जबकि बाकी के 1.6 किमी का निर्माण कट-एंड-कवर तरीके का इस्तेमाल करके किया जा रहा है. शुक्रवार को इंजीनियर्स ने ट्यूब 1 के निर्माण के पूरे होने का जश्न मनाया. ट्यूब 1 कोटा को चेचट से जोड़ेगा.

ट्यूब-1 की खुदाई हुई पूरी

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) (National Highways Authority of India) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि ट्यूब-1 की पूरी खुदाई हो चुकी है, लेकिन ट्यूब-2 (चेचट से कोटा) में सिर्फ 60 मीटर की खुदाई अभी बाकी है. उन्होंने आगे कहा, यह काम एक महीने के अंदर पूरा होने की उम्मीद है. खुदाई के बाद, कुछ सेक्शन में सुरंग की चौड़ाई और ऊंचाई को बढ़ाने के लिए और भी मोडिफिकेशन किए जाएंगे.

सुरक्षा के क्या होंगे इंतजाम

टनल में सुरक्षा के लिए भी कई इंतजाम किए गए हैं. जिनमें शामिल हैं: – एआई-आधारित मॉनिटरिंग – लाईटिंग और सेंसर – प्रदूषण कंट्रोल सिस्टम – पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (स्काडा) अधिकारियों ने सुरंग का निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 1,350 किलोमीटर का एक्सेस-नियंत्रित एक्सप्रेसवे है, जिसे 8-लेन एक्सप्रेसवे के रूप में डिज़ाइन किया गया है. हालांकि, इसको भविष्य में 12 लेन तक बढ़ाने की संभावना जताई गई है. राजस्थान में, निर्माणाधीन 373 किलोमीटर की लंबाई में से 327 किलोमीटर पहले से ही चालू है.

एनएचएआई के एक अधिकारी के मुताबिक, “ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का निर्माण ज्यादातर हिस्सों पर पूरा हो चुका है. हालांकि, जब तक इंटरचेंज का निर्माण नहीं हो जाता, इन खंडों को यातायात के लिए नहीं खोला जा सकता है.”