सोमवार से पीएम मोदी करेंगे कोल्हान मे चुनावी शंखनाद,क्या चार मुख्यमंत्री की ताकत झोंकने से इस बार कोल्हान की तस्बीर बदलेगी..?

झारखंड डेस्क

झारखंड विधानसभा चुनाव में कोल्हान आज सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है।इस क्षेत्र में आदिवासियों का बड़ा वोट बैंक माना जाता है।जिसके कारण सत्ता तक पहुंचने में हेमन्त सोरेन को यही क्षेत्र मददगार होता रहा है।

यहां आदिवासियों की नाराजगी से राजनीतिक दलों के पांव के नीचे से जमीन खिसकती रही है। 2019 के चुनाव परिणाम से सबक लेते हुए इस बार एनडीए और इंडिया गठबंधन के सामने भी असली रणक्षेत्र कोल्हान ही बना हुआ है। एनडीए कोल्हान में अपनी जमीन वापस पाने के लिए प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड विधानसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद यहीं से करेंगे। सोमवार को चाईबासा में प्रधानमंत्री हुंकार भरेंगे। उसके ठीक एक दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह घाटशिला विधानसभा के धालभूमगढ़ में अपनी चुनावी सभा करेंगे। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की सभाएं कोल्हान की 14 सीटों पर प्रभाव डालेंगी।

क्या पीएम मोदी के दौरे से यहां बदलेगा माहौल..?

 सोमवार को चाईबासा में होने वाले पीएम मोदी के कार्यक्रम में आदिवासी वोटरों के साथ ही कुड़मी और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों को साधने का प्रयास किया जाएगा। कोल्हान की 14 सीटों पर औसतन 20 से 25 फीसदी आदिवासी वोटर हैं। इसके साथ ही ईचागढ़, जुगसलाई सहित कई सीटों पर कुड़मी वोटों की संख्या भी 15 से 18 फीसदी के करीब है। यह संख्या भी निणार्यक हो सकती है।

भाजपा का यहां से 10 सीटों पर है लक्ष्य

अगर हम बात करें वर्ष 2009 की तो यहां से विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। कोल्हान में भाजपा और झामुमो को पांच-पांच सीटें मिली थीं। भाजपा के समर्थन से झामुमो की सरकार बनी थी, मगर कुछ दिनों के बाद ही गिर गई थी। 2014 में भी एनडीए को कोल्हान में छह सीटें मिली थीं। रांची में रघुवर दास के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। मजबूत बहुमत के कारण पहली बार किसी सरकार ने सूबे में अपना कार्यकाल पूरा किया था। मगर 2019 में एनडीए इस प्रदर्शन को बरकरार नहीं रख सका। स्थिति यह हो गई कि कोल्हान की राजनीतिक पिच पर एनडीए शून्य पर आउट हो गया।

यहां की 14 सीटों पर है सभी की निगाहें

हालांकि इसका बड़ा कारण भाजपा और आजसू के बीच गठबंधन नहीं होना था। वहीं महागठबंधन में झामुमो और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। 14 में 11 सीटों पर झामुमो, दो पर कांग्रेस और एक पर भाजपा से बागी हुए सरयू राय बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल हुए थे। इसका परिणाम यह हुआ कि एनडीए सत्ता से बाहर हो गया। ऐसे में झारखंड चुनाव में इन 14 सीटों पर सभी की निगाहें हैं।

आजसू और जदयू से गटबंधन के बाद एनडीए को बढ़ी उम्मीद

 एनडीए का इस बार समीकरण बदला है । उसे न केवल आजसू का साथ मिला है, बल्कि कोल्हान में एक सीट पर जदयू भी मैदान में है। जदयू के दूसरे उम्मीदवार राजा पीटर तमाड़ से चुनाव लड़ रहे हैं। जदयू के दोनों उम्मीदवार के नाम मुख्यमंत्री को हराने का रिकॉर्ड भी है। सरयू राय ने मुख्यमंत्री रहते अपनी ही पार्टी के रघुवर दास का हराया था। वहीं, राजा पीटर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को हरा चुके हैं। माना जा रहा है कि जदयू के मैदान में आने से बिहार के ओबीसी के साथ ही सामान्य जातियों के वोट भी एनडीए के पक्ष में गोलबंद होंगे।

भाजपा ने राज्य के चार मुख्यमंत्री के ताकत को किया यहां समेटने का प्रयास

झामुमो से भाजपा में गए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन खुद सरायकेला और उनके बेेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला से चुनावी मैदान में हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवार दास की बहू पूर्णिमा दास साहू जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका सीट से चुनाव लड़ रही हैं। राज्य में एक और मुख्यमंत्री रह चुके मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। इन सबकी नजर भी प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के चुनावी कार्यक्रमों पर लगी हुई है।

हिमंता विस्व सरमा का पहल रंग लाया,नाला विंधानसभा से बाटुल और वीरेंद्र ने अपना नामांकन लिया वापस

झारखंड डेस्क

झारखंड में भाजपा के टिकट बंटवारा के बाद कई असतुष्टो ने बगाबत कर दी,जिसके कारण कई सीट पर बागी उम्मीदवर खड़े हो गए, तो कुछ सीटों पर भाजपा को छोड़ कर भाजपा नेता दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया। इस डैमेज कंट्रोल की जिम्मेवारी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हिमंता विस्व सरमा को दिया। उन्होंने नाला विंधानसभा में भाजपा के नेता सत्यानंद झा बाटुल और वीरेंद्र मंडल से वार्ता कर उन्हें समझाने में कामयाब रहे।

 टिकट नही मिलने के कारण वे बागी उम्मीदवार के रूप में झारखंड की नाला विधानसभा सीट से दोनों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। दोनों के इस फैसले के बाद बीजेपी में हड़कंप मच गया। 

अब हिमंता बिस्वा सरमा के प्रयास से बागी प्रत्याशी सत्यानंद झा और वीरेंद्र मंडल ने अपना नामांकन वापस ले लिया है।

 

हिमंता ने दोनों नेताओं को उनके भविष्य के प्रति आश्वासन दिया है, इसके बाद दोनों भाजपा नेताओं ने निर्दलीय नामांकन वापस ले लिया। हालांकि भाजपा नेता धनवार से निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय को मनाने में असफल रहे। निरंजन राय से भी भाजपा नेताओं ने मुलाकात की थी।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य को लूटने का काम किया : मरांडी


झारखंड डेस्क

धनबाद : परिवर्तन संकल्प रैली में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुराईडीह ग्राउंड में आयोजित सभा को आज संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड के सुबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस व राजद गठबंधन ने मिल कर झारखंड में

बहन बेटी के सुरक्षा नहीं कर पाई है ,अगर सुरक्षित करना है तो कानून स्थापित करना होगा , 5 वर्षों से झारखंड वासी को ठगा गया है।

 उन्होंने कहा नौजवानों को 5 लाख नौकरी नहीं दिया , दौड़ने आए बहाली में 19 बच्चों की मौत हो गयी, यही हाल में हुए परीक्षा में पेपर लीक हुआ , 

लेकिन भाजपा का पांच संकल्प योजना का शुभारंभ होगा अगर झारखंड में बीजेपी कि सरकार बनी तो झारखंड में महिला और

गृहणी के लिए सरकार काम करेगी।

इसके अलावे उन्होंने और कई वायदे किये।जिसके तहत राज्य के युवाओं, महिलाओं, गरीब तबके के लोगों को लिए काम करने के वायदे थे ।

 , 500 में गैस सिलेंडर मिलेगा और दो सलेंडर फ्री में मिलेगा, 21 लाख गरीबों को पक्का मकान दिया जाएगा , 287 लाख डॉक्टर , क्लर्क सहित 1 वर्ष में रिक्त पदों को भरने का काम किया जाएगा, विए व एमे पास  रोजगार के तलाश में भटक रहे नौजवानों को 2000 प्रत्येक महीना प्रोत्साहन के रूप में दिया

पूर्वी सिंहभूम जिले में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से,ईवीएम का हुआ द्वितीय रेंडमाइजेशन


झारखंड डेस्क 

पूर्वी सिंहभूम जिले में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. शनिवार को सभी छह विधानसभा के सामान्य प्रेक्षक, व्यय प्रेक्षक, जिला निर्वाचन पदाधिकारी, संबंधित आरओ (निर्वाची पदाधिकारी) एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ईवीएम का द्वितीय रेंडमाइजेशन समाहरणालय सभागार में किया गया. 

जिसमें बूथवार ईवीएम आवंटित किए गए. इस बार जिले के जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी तथा पोटका के लिए दो-दो बैलेट एवं कंट्रोल यूनिट लगायी जाएगी. क्योंकि तीनों विधानसभा में एक ईवीएम में प्रत्याशी एवं नोटा समेत 16 संख्या से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं. 

जमशेदपुर पूर्वी में जहां 24 प्रत्याशी हैं वहीं जमशेदपुर पश्चिमी में 28 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. जबकि पोटका विधानसभा में 16 प्रत्याशी हैं. इसलिए वहां ‘नोटा’ के लिए अलग से एक अतिरिक्त ईवीएम (बैलेट यूनिट) लगायी जाएगी.

इरफ़ान अंसारी सीता सोरेन पर अभद्र टिप्पणी कर बुरी तरह फंसे, सीता सोरन की बेटी ने कराई एस टी /एस सी एक्ट के तहत केस


* झारखंड डेस्क सीता सोरेन पर विवादास्पद टिप्पणी करके कैबिनेट मंत्री डॉ इरफान अंसारी मुश्किलें में फंस चुके हैं. भाजपा के साथ कांग्रेस भी उनके इस तरह के बयांन से नाराज चल रही है, हाल में हीं महिला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लम्बा ने भी अपनी नाराजगी दिखाई है. अब इरफान अंसारी के विवादास्पद बयान मामले में सीता सोरेन की दो बेटियां जयश्री और विजयश्री सोरेन ने एसटी-एससी थाने में इरफान अंसारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. शिकायतनामा में कहा गया है कि इरफान अंसारी ने उनकी मां सीता सोरेन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है. अब उनके साथ उनकी बहनों को लेकर भी आपत्ति जनक टिप्पणी की गई है. शिकायतनामा के साथ थाने में फेसबुक लिंक और पेन ड्राइव भी उपलब्ध कराया गया है. अब इस मामले में क्या कारबाई होगी यह तो समय बताएगा लेकिन इस मामले को लेकर झारखंड में सियासी घमासान मचा हुआ है.
कोल्हान में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किये गए,

जमशेदपुर समेत पूरे झारखंड में सुबह-सुबह भूकंप का अहसास हुआ है. जमशेदपुर में धरती डोली तो लोग घरों से बाहर निकल आये. राज्य में कई जगहों पर भूकंप के झटके महसूस किए हैं.

 जमशेदपुर में सुबह 9.12 बजे भूकंप के झटके महसूस हुए. हालांकि, अब तक इस बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है. झारखंड के खरसावा में भूकंप के झटकों की तीव्रता 4.3 थी.

झारखंड में चल रहा फैमिली पॉलिटिक्स 25 परसेंट सीटों पर राजनेताओं ने उतारा पत्नी बहू बेटा से लेकर भाई तक को


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : आज पूरे भारत में परिवारवाद की राजनीति बड़ा खतरा बना हुआ है। यह परिवारवाद देश के युवाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। यूं तो राजनीति में वंश, विरासत, परिवारवाद की गूंज अक्सर सुनाई देता रहता है। 

जब-जब चुनाव आता है राजनीतिक पार्टियों एक दूसरे पर इस तरह के आरोप प्रत्यारोप लगाते रहती है। झारखंड में विधानसभा चुनाव की तिथियो का घोषणा हो चुका है और प्रत्याशियों ने अपना नामांकन भी कर दिया है। इस चुनावी दौड़ में वंश, विरासत खूब फल फूल रहा है। 

टिकट बंटवारे के फैसले में निष्ठा और जमीनी संघर्ष को दरकिनार कर परिवारवाद फैक्टर इस बार छाया रहा। इस चुनाव में 25 परसेंट टिकट राजनीतिक गानों को दिया गया। सबसे पहले परिवारवाद पर मुखर होकर बोलने वाली भाजपा की बात कर तो 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसमें 18 सीटों पर राजनेताओं के परिजन का कब्जा है। दिसम गुरु शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को जामताड़ा से भाजपा ने टिकट दिया है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उड़ीसा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास को भी टिकट मिला है। झामुमो से भाजपा में शामिल हुए चंपाई सोरेन और उनके बेटे को भी भाजपा ने टिकट दिया है साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भी मैदान में उतारा है।

वहीं भाजपा के चिर प्रतिद्वंद्वी झामुमो और कांग्रेस की बात करें तो उन पर पहले से ही परिवारवाद का आरोप लगाता रहा है। कांग्रेस ने अपने कोटे से बिहार के कद्दावर नेता रहे अवध बिहारी सिंह की बहू दीपिका पांडे को महगाम से फिर मौका दिया है। वह हेमंत सरकार में मंत्री भी थी। इसके अलावा पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के बेटा इरफान अंसारी पूर्व विधायक योगेंद्र साव की बेटी अंबा प्रसाद और पूर्व विधायक बंधु तिर्की की बेटी शिल्पा नेहा तिर्की को टिकट दिया गया है तो वहीं पूर्व मंत्री रहे आलमगीर आलम की पत्नी निशांत आलम पूर्व विधायक रमेश सिंह की बहू श्वेता सिंह को भी कांग्रेस ने टिकट दिया है। इसी तरह झामुमो की बात करें तो पूर्व सीएम व दिशाेम गुरु शिबू सोरेन के परिवार से ही बेटा हेमंत सोरेन व बसंत सोरेन और बहू कल्पना सोरेन मैदान में उतरे हैं। वहीं सांसद नलिन सोरेन के बेटा आलोक सोरेन सांसद जोबा मांझी की बेटी जगत मांझी को भी झामुमो ने टिकट दिया है। तो वहीं पूर्व मंत्री जगन्नाथ महतो की पत्नी देवी को भी इस बार टिकट दिया गया है वहीं राजद ने सत्यानंद भोक्ता की बहू रश्मि प्रकाश को भी छात्र से मैदान में उतारा है। 

झारखंड में राजनीतिक कार का मानना है कि चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार की तलाश हर पार्टी करती है यही कारण है कि सभी दल परिवारों को ज्यादा तवज्जो देते दिख रही है। जबकि समानता ऐसा होना नहीं चाहिए। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है। हालांकि अंतिम फैसला जनता चुनाव के माध्यम से जरूर देती है।

अलका तिवारी झारखंड के मुख्य सचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया,वे 1988 बैच की आईएएस अधिकारी हैं


झारखंड डेस्क 

झारखंड चुनाव के दौरान अधिकारियों के जिम्मेबरियों में चुनाव आयोग द्वारा बदलाव किया जा रहा ताकि निष्पक्ष चुनाव हो, इसी प्रक्रिया के तहत अलका तिवारी ने मुख्यसचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया है. अलका तिवारी को झारखंड की नयी चीफ सेक्रेटरी बनाया गया हैं। इस बात की पुष्टि मुख्य निर्वाचन.. पदाधिकारी के रवि कुमार ने की है। 

बता दें कि अलका तिवारी 1988 बैच की आईएएस हैं। उनके रिटायरमेंट की तिथि 30 सितंबर 2025 है। बता दें कि राज्य सरकार ने एल खियांग्ते के तीन महीने के एक्सटेंशन के लिए चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इस पर कोई आदेश नहीं आया। 1988 बैच के आईएएस एल खियांग्ते 31 अक्टूबर को रिटायर हो जाने के बाद मुख्य सचिव का पद भर दिया गया है।

अलका तिवारी ने अपने करियर की शुरूआत गुमला डीसी के रूप में की थी

अलका तिवारी ने अपने करियर की शुरूआत गुमला डीसी के रूप में की. इसके बाद वे लोहरदगा में भी डीसी रही. झारखंड सरकार के वाणिज्यिक कर और वन एवं पर्यावरण विभाग में सचिव के पद पर योगदान दिया.

कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में केंद्र में दिया योगदान

अलका तिवारी ने केंद्र के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में भी योगदान दिया. वह भारत सरकार के नीति आयोग में सलाहकार, उर्वरक विभाग में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव के पद पर रहीं. नीति आयोग में, वह वित्तीय संसाधन, शिक्षा के महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र की जिम्मेवारी बखूबी निभाई. भारत के उच्च शिक्षा नियामक ढांचे में सुधार और शिक्षण और अनुसंधान के विश्व स्तरीय संस्थानों को विकसित करने के लिए रणनीति दस्तावेज विकसित किए. उर्वरक कंपनी एफएजीएमआइएल के सीएमडी के रूप में भी योगदान दिया.

सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर चुनाव आयोग से किया अपील, कहा छठ पर्व पर छुट्टी चाहने वाले राज्य कर्मियों को जिला प्रशासन को छुट्टी देने का निर्देश

झारखंड डेस्क 

झारखंड में चुनाव को लेकर जहाँ चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच आरोप और प्रत्यारोप का दौर चल रहा है वहीं इस सफ्ताह हिन्दुओं के कई महत्वपूर्ण पर्व में राज्य कर्मियों को छुट्टी नहीं मिल पाने पर भी अपना नाराजगी ब्यक्त किया है.

  चूँकि चुनाव कि तिथि की घोषणा के बाद सारे प्रशासनिक निर्णय चुनाव आयोग के अधीन है, लेकिन इस त्यौहारी सीजन में झारखंड चुनावी सभा के लिए पीएम मोदी और अन्य नेताओं की दौरा को लेकर सरकारी कर्मी को छुट्टी नहीं मिल पा रही है.

इस सम्बन्ध में राज्य के सी एम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा है कि - अक्टूबर को दीपावली थी, अब भैया दूज, सोहराय, गोहाल पूजा, बांधना पर्व और चित्रगुप्त पूजा है और 04 नवम्बर से 08 नवम्बर तक छठ महापर्व है।

ये पर्व झारखण्ड के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसमें सभी आमजन, सरकारी कर्मी, पुलिस कर्मी छुट्टी लेकर अपने घर जाते हैं। लेकिन सूचना मिली है कि जिला प्रशासन चुनाव एवं प्रधानमंत्री जी के प्रस्तावित दौरे को लेकर किसी प्रकार की छुट्टी नहीं दे रहे हैं।

चुनाव आयोग से अनुरोध है कि स्पष्ट निर्देश जिले के डीसी, एसपी को दें कि पूजा हेतु इन कर्मियों को छुट्टियां दें, छुट्टियों को रद्द न करें। 

साथ ही बड़ी संख्या में बस एवं अन्य वाहनों को जिला प्रशासन ने चुनाव कार्य हेतु जप्त कर रखा है। वे इन वाहनों को 02 नवम्बर से 08 नवम्बर तक अस्थायी रूप से छोड़ें ताकि आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर घर पहुंचने में लोगों को असुविधा न हो।

विधानसभा चुनाव 2024, धनबाद विधानसभा से 3 प्रत्याशियों ने लिया अपना नाम वापस


धनबाद. विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नाम वापस लेने की अंतिम तिथि, 1 नवंबर 2024, को तीन प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस लिया है। नाम वापस लेने की अंतिम तिथि व समय के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त सुश्री माधवी मिश्रा ने मीडिया को बताया कि 42 टुंडी विधानसभा से श्री दिनेश कुमार महतो एवं श्री हिरामन नायक तथा 41 झरिया विधानसभा से मोहम्मद सद्दाम हुसैन ने अपना नाम वापस लिया है।

उन्होंने बताया कि नाम वापस लेने की अंतिम तिथि के बाद 38 सिंदरी विधानसभा से 9, 39 निरसा से 9, 40 धनबाद विधानसभा से 18, 41 झरिया विधानसभा से 11, 42 टुंडी विधानसभा से 20 एवं 43 बाघमारा विधानसभा से 13 प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। 

मतदान के दिन 40 धनबाद एवं 42 टुंडी विधानसभा में 2-2 बैलेट यूनिट का प्रयोग किया जाएगा। जबकि 38 सिंदरी, 39 निरसा, 41 झरिया एवं 43 बाघमारा में एक-एक बैलट यूनिट का प्रयोग किया जाएगा।

उपायुक्त ने मीडिया को बताया कि निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा हर विधानसभा के लिए एक-एक सामान्य प्रेक्षक, 2 व्यय प्रेक्षक एवं एक पुलिस प्रेक्षक की नियुक्ति की गई है। जिसकी सूचना समाचार पत्रों में प्रकाशित कर दी गई है। 

आदर्श आचार संहिता या अन्य किसी भी शिकायत को लेकर कोई भी मतदाता प्रेक्षकों से मिल सकते हैं। मतदान कर्मियों के प्रशिक्षण पर प्रकाश डालते हुए उपायुक्त ने कहा कि पहले चरण का प्रशिक्षण पूरा कर लिया गया है। 4 नवंबर से दूसरे चरण का प्रशिक्षण श्री श्री लक्ष्मी नारायण ट्रस्ट महिला महाविद्यालय, पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज एवं गुरु नानक कॉलेज भुदा में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ईवीएम को लेकर जिला प्रशासन ने सारी तैयारियां तथा चुनाव में उपयोग करने के लिए पर्याप्त वाहन की व्यवस्था कर ली है। 

पर्व त्यौहार को देखते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा वैसे-वैसे सभी टीम ज्यादा सतर्क रहकर अपना कार्य करेगी। पत्रकार वार्ता में वरीय पुलिस अधीक्षक श्री हृदीप पी जनार्दनन ने मतदाताओं व मतदान केंद्र की सुरक्षा, चेक पोस्ट सहित अन्य बिंदुओं पर पुलिस की तैयारियों से मीडिया को अवगत कराया।

विधानसभा चुनाव 2024 

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