4 नए प्लेटफार्म और 5000 साइबर कमांडो..! साइबर क्राइम पर नकेल कसेगी सरकार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दिल्ली में इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के पहले स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। उन्होंने चार प्रमुख साइबर प्लेटफॉर्म्स की शुरुआत की: सस्पेक्ट रजिस्ट्री, साइबर कमांडो, साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC) और समन्वय प्लेटफॉर्म।

 अमित शाह ने साइबर सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि साइबर अपराध की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने सभी हितधारकों से इस समस्या से निपटने में सहयोग की अपील की। उन्होंने घोषणा की कि सरकार अगले पांच वर्षों में 5000 'साइबर कमांडो' को ट्रेनिंग देगी। उनका कहना था कि साइबर सुरक्षा के बिना देश का विकास असंभव है और प्रौद्योगिकी के लाभ के साथ-साथ इसके खतरों को भी समझना होगा।

अमित शाह ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सस्पेक्ट रजिस्ट्री बनाने की आवश्यकता भी बताई, जिसमें सभी राज्यों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने 10 सितंबर से एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू करने की घोषणा की, जिसमें I4C एफएम रेडियो और अन्य प्लेटफॉर्मों का उपयोग करेगा। उन्होंने 1930 नंबर की लोकप्रियता को बढ़ाने की अपील की और राज्य सरकारों को भी इस अभियान में शामिल होने के लिए कहा।

उन्होंने I4C की सराहना की, जिसने 600 से अधिक एडवाइजरी जारी की हैं और साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग की जाने वाली वेबसाइटों, सोशल मीडिया पेजों, मोबाइल ऐप्स और अकाउंट्स को ब्लॉक करने के प्रयास किए हैं। I4C की स्थापना 5 अक्टूबर, 2018 को गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग (CIS डिवीजन) के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य देश भर में साइबर अपराध से संबंधित समस्याओं का समाधान करना है।

चार प्रमुख साइबर प्लेटफॉर्म्स

साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर: यह सेंटर सभी राज्यों के 1930 कंट्रोल रूम से जुड़ा होगा और हाई प्रायोरिटी केस की मॉनिटरिंग करेगा।

समन्वय पोर्टल: यह पोर्टल फर्जी कार्ड और अकाउंट्स, साइबर क्राइम रोकथाम, अपराध के विश्लेषण और जांच में सहयोग का काम करेगा। इसके माध्यम से CCTV फुटेज की रिक्वेस्ट भी की जा सकेगी और तकनीकी तथा कानूनी मदद भी प्रदान की जाएगी।

साइबर कमांडो प्रोग्राम: यह प्रोग्राम डिजिटल भारत के प्रहरी के रूप में काम करेगा, जिसमें पैरा मिलिट्री फोर्स और स्टेट पुलिस के जवानों को साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण देश के प्रमुख संस्थानों जैसे IIT, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) और राष्ट्रीय फोरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय (NFSU) में होगा।

सस्पेक्ट रजिस्ट्रेशन: इस प्लेटफॉर्म के तहत संदिग्ध बैंक खातों का डेटाबेस बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ साझा किया जाएगा, जिससे संदिग्ध खातों को ट्रैक करने में आसानी होगी।

काम पर नहीं लौटे आरजी कर अस्पताल के डॉक्टर, सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 5 बजे की डेडलाइन, क्या होगी कार्रवाई?
#rg_kar_junior_doctors_defy_sc_directive_to_join_duty
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में डॉक्टरों की हड़ताल अभी भी जारी है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा जूनियर डॉक्टरों को दी डेडलाइन खत्म हो चुकी है। अदालत ने आज शाम 5 बजे तक जूनियर डॉक्टरों को काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था। हालांकि, आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स ने शाम 5 बजे तक ड्यूटी पर लौटने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं माना है। इससे पहले सोमवार को शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टर्स को मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि काम पर लौटने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या काम पर नहीं लौटने पर आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी?

दअरसल, डॉक्टर्स अपनी पांच मांगें नहीं माने-जाने तक काम पर नहीं लौटने के अपने फैसले पर कायम हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही वे आंदोलन और तेज करने जा रहे हैं। डॉक्टरों ने मंगलवार दोपहर स्वास्थ्य सचिव व स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक के इस्तीफे की मांग को लेकर स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाला। डॉक्टरों ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक मृतका के परिवार को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

आंदोलनकारी डॉक्टर्स का कहना है कि हमारी मांगें पूरी नहीं होने पर हम काम बंद करना जारी रखेंगे। हमने राज्य सरकार से कोलकाता पुलिस आयुक्त, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और चिकित्सा शिक्षा के निदेशक को शाम 5 बजे तक हटाने के लिए कहा था। हम चर्चा के लिए तैयार हैं।

इससे पहले सोमवार को शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टर्स को मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि काम पर लौटने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट में यह आश्वासन दिया था कि काम पर लौटने पर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई या तबादले नहीं किए जाएंगे।

बता दे कि जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार कक्ष में महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु का शव मिलने के कुछ घंटों बाद ही अपना 'काम बंद' शुरू कर दिया था।
काम पर नहीं लौटे आरजी कर अस्पताल के डॉक्टर, सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 5 बजे की डेडलाइन, क्या होगी कार्रवाई?

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कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में डॉक्टरों की हड़ताल अभी भी जारी है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा जूनियर डॉक्टरों को दी डेडलाइन खत्म हो चुकी है। अदालत ने आज शाम 5 बजे तक जूनियर डॉक्टरों को काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था। हालांकि, आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स ने शाम 5 बजे तक ड्यूटी पर लौटने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं माना है। इससे पहले सोमवार को शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टर्स को मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि काम पर लौटने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या काम पर नहीं लौटने पर आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी?

दअरसल, डॉक्टर्स अपनी पांच मांगें नहीं माने-जाने तक काम पर नहीं लौटने के अपने फैसले पर कायम हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही वे आंदोलन और तेज करने जा रहे हैं। डॉक्टरों ने मंगलवार दोपहर स्वास्थ्य सचिव व स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक के इस्तीफे की मांग को लेकर स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाला। डॉक्टरों ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक मृतका के परिवार को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

आंदोलनकारी डॉक्टर्स का कहना है कि हमारी मांगें पूरी नहीं होने पर हम काम बंद करना जारी रखेंगे। हमने राज्य सरकार से कोलकाता पुलिस आयुक्त, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और चिकित्सा शिक्षा के निदेशक को शाम 5 बजे तक हटाने के लिए कहा था। हम चर्चा के लिए तैयार हैं। 

इससे पहले सोमवार को शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टर्स को मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि काम पर लौटने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट में यह आश्वासन दिया था कि काम पर लौटने पर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई या तबादले नहीं किए जाएंगे।

बता दे कि जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार कक्ष में महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु का शव मिलने के कुछ घंटों बाद ही अपना 'काम बंद' शुरू कर दिया था।

बड़ी गिरावट के बाद सोने में आई जबरदस्त तेजी, आज इतने हजार रुपए महंगा हुआ गोल्ड, यहां जानिए क्या है लेटेस्ट रेट


10 सितंबर को सोने की कीमत में एक अच्छी तेजी देखने को मिली है। सोने में आप गिरावट के समय से इनवेंस्टमेंट कर रहे हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। 9 सितंबर को 24 कैरेट सोने की 100 ग्राम की कीमत में बड़ी गिरावट 7390 रुपये की कमी आई थी। अब 10 सितंबर 24 कैरेट सोने की 100 ग्राम की कीमत में 2410 रुपये की बढ़त देखी गई है।

10 सितंबर 2024 को 24 कैरेट सोने की कीमत 71 हजार 619 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है। 9 सितंबर 2024 की तुलना में सोने के भाव में आज 241 रुपये की तेजी आई है। चांदी के भाव में भी तेजी देखी गई है। चांदी का भाव 82 हजार 151 रुपये प्रति किलो हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर 999 शुद्धता वाले चांदी के भाव 9 सितंबर से 671 रुपये ज्यादा हो गई है।


इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स के अनुसार 9 सितंबर की शाम को 999 शुद्धता वाले 24 कैरेट सोने की कीमत 71378 रुपये थी। 10 सितंबर को 999 वाले 24 कैरेट सोने की कीमत 71619 रुपये हो गई है। 9 सितंबर की शाम को 999 शुद्धता वाली चांदी की कीमत 81480 रुपये थी।

10 सितंबर को 999 शुद्धता वाली चांदी की कीमत 82151 रुपये हो गई है। 10 सितंबर को 995 शुद्धता वाले सोने की कीमत 71332 रुपये हो गई है। 916 शुद्धता वाले सोने की कीमत 65603 रुपये हो गई है। 750 शुद्धता वाले सोने की कीमत 53714 रुपये हो गई है। 585 शुद्धता वाले सोने की कीमत 41897 रुपये हो गई है।
यागी तूफान ने इन तीन देशों में मचाई तबाही, 59 लोगों की मौत, तेज हवाओं से लाखों लोग प्रभावित



यागी तूफान का वियतनाम, चीन और फिलीपींस में असर अभी भी खत्म नहीं हुआ है। इन तीनों देशों में इस यागी टायफून तबाही मचा रहा है। तेज़ रफ्तार की हवाओं से इस तूफ़ान ने लोगों का बुरा हाल कर दिया है। इस यागी तूफान की वजह से तीनों देशों में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।

लाखों लोगों को इस तूफान की वजह से अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर शरण लेनी पड़ी है। यागी तूफान को सबसे शक्तिशाली टायफून में से एक माना जा रहा है और इसे लेकर प्रभवित क्षेत्रों में चेतावनी भी जारी की जा चुकी है। इन क्षेत्रों में तो खतरे को देखते हुए कई स्कूलों और ऑफिसों को भी बंद करने का फैसला लिया गया है। यागी तूफान की वजह से इन तीनों देशों में जान-माल का भी नुकसान हो रहा है, खास तौर से वियतनाम में।

वियतनाम में यागी तूफान की वजह से प्रभावित क्षेत्रों में भारी बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड के मामले सामने आ रहे हैं। नदियाँ उफान पर हैं। भारी बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड की चेतावनी बनी हुई है। यागी तूफान की वजह से वियतनाम में अब तक 59 लोगों की मौत हो चुकी है। वियतनाम में यागी तूफान की वजह से कई लोग घायल भी हो गए हैं। बड़ी मात्रा में फसलें तबाह हो गई हैं। साथ ही कई घरों और इमारतों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। कई घर तो इस शक्तिशाली तूफान की चपेट में आकर तबाह भी हो गए हैं।

रविवार को यागी तूफान कुछ कमजोर ज़रूर पड़ा, लेकिन इसका खतरा अभी भी टला नहीं है। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की सलाह दी गई है और बिना ज़रूरत के अपने घरों से बाहर निकलने से मना किया गया है। यागी तूफान से भारत में खतरा नहीं है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भी इस बारे में साफ कर दिया है।
इंदौर के चर्चित बल्ला कांड में कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, आकाश विजयवर्गीय समेत 10 लोगों पर दर्ज हुआ था केस



मध्य प्रदेश के इंदौर में तीन साल पहले हुए बल्ला कांड में बीजेपी के पूर्व विधायक और कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को बड़ी राहत मिली है. विधायक रहते हुए नगर निगम के कर्मचारियों पर बल्ला चलाने के आरोप में एमपी-एमएलए कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय समेत 10 आरोपियों को बरी कर दिया है. जिस वक्त यह मामला सामने आया था तब आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3 विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक थे. इस मामले में पीएम मोदी ने भी नाराजगी जताई थी. तीन साल बाद मामले का फैसला आया है, जिसमें सभी 10 आरोपी बरी हो गए हैं.

दरअसल, 26 जून 2019 को इंदौर में जर्जर मकान को लेकर इंदौर नगर निगम ने कार्रवाई की थी. इस दौरान स्थानीय लोगों ने तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय को बुला लिया. विधायक ने आते ही नगर निगम की कार्रवाई का विरोध किया और कर्मचारियों को मौके से जाने के लिए कहा. इसी दौरान आकाश विजयवर्गीय की नगर निगम के अधिकारी धीरेंद्र बायस से बहस हुई थी. इसके बाद क्रिकेट बेट से हमला करने का वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद देशभर में यह मामला चर्चा में आ गया था. जिस वक्त यह कांड हुआ था उस वक्त मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी.


आकाश विजयवर्गीय समेत 10 लोगों पर इस मामले में केस दर्ज हुआ था. इंदौर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आकाश समेत सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया है. दरअसल, नगर निगम के अधिकारी धीरेंद्र बायस मामले में मुख्य गवाह थे वह बयान से पलट गए थे. जिसके बाद उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है. फरवरी 2022 में अधिकारी ने अदालत में बयान बदला था. जिसके बाद अब तक चली सुनवाई में आखिरकार कोर्ट ने फैसला सुनाया और उन्हें बरी कर दिया.

इंदौर के इस बल्लाकांड की चर्चा देशभर में हुई थी. पीएम मोदी ने भी बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस घटना पर नाराजगी जताई थी. हालांकि जब आकाश विजयवर्गीय से इस बात को लेकर सवाल किया गया उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी पिता समान हैं उनकी डांट अच्छी लगती है. वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आकाश विजयवर्गीय का टिकट काट दिया था. उनकी जगह इंदौर-3 से गोलू शुक्ला को टिकट मिला था. हालांकि आकाश के पिता और बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजवयर्गीय इंदौर-1 सीट से विधानसभा चुनाव में उतरे थे, जहां चुनाव जीतकर वह मोहन सरकार में सीनियर मंत्री भी हैं.

बता दें कि आकाश विजयवर्गीय बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय चुनाव नहीं लड़े थे. लेकिन पार्टी ने उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिया था. जहां चुनाव जीतकर वह विधायक बने थे. वहीं 2019 में बल्ला कांड हुआ था. इससे पहले भी आकाश विजयवर्गीय कई बार अपने बयानों को लेकर भी चर्चा में रहे हैं.
आरक्षण पर राहुल गांधी के बयान पर भड़की मायावती, कहा, इसकी आड़ में सत्ता हासिल करने का देख रहे सपना



लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी इस समय अमेरिका दौरे पर हैं। जहाँ वे चिरपरिचित अंदाज़ में भाजपा-RSS पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने विदेशी धरती पर दावा कर दिया कि ''भारत में लड़ाई इस बात की है कि सिखों को पगड़ी, कड़ा पहनने की इजाजत होना चाहिए या नहीं ? सिख गुरुद्वारा जा पाएंगे या नहीं ?''  वहीं, राहुल ने अमेरिका में आरक्षण पर भी बयान दिया, जिसपर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।


उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती ने आरक्षण पर बयान देने वाले राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि, ''केन्द्र में काफी लम्बे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और देश में जातीय जनगणना कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है। इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी।'' उन्होंने आगे लिखा कि, ''अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा श्री राहुल गाँधी के इस नाटक से भी सर्तक रहें जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहत्तर स्थिति में होगा तो हम SC, ST, OBC का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को खत्म करने के षडयंत्र में लगी है।''

बसपा सुप्रीमो ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, ''इन वर्गों के लोग कांग्रेसी नेता श्री राहुल गाँधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केन्द्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी। ये लोग संविधान व आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें। जबकि सच्चाई में कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण-विरोधी सोच की रही है। केन्द्र में रही इनकी सरकार में जब इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया गया तब इस पार्टी से इनको इन्साफ ना मिलने की वजह से ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लोग सावधन रहें।''

मायावती ने लिखा कि, कुल मिलाकर, जब तक देश में जातिवाद जड़ से खत्म नहीं हो जाता है, तब तक भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद भी इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक हालत बेहतर होने वाली नहीं है। अतः जातिवाद के समूल नष्ट होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था जारी रहना जरूरी।
सुशील कुमार शिंदे को गृह मंत्री रहते कश्मीर जाने पर डर लगता था, बयान पर घिरी कांग्रेस
#congress_leader_sushil_shinde_says_i_was_afraid_to_go_to_kashmir

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का एक बयान खूब चर्चा में है। पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ी बात कबूली है। उन्होंने कहा है कि जब वह देश के गृह मंत्री थे तब उन्हें कश्मीर जाने से डर लगता था। एक किताब के विमोचन के मौके पर सुशील शिंदे के बयान ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। भाजपा ने उनके बयान को मुद्दा बना लिया है। भाजपा का कहना कि शिंदे ने स्वीकार किया है कि कांग्रेस शासन में जम्मू-कश्मीर की हालत ठीक नहीं थी। मगर धारा 370 हटने के बाद वहां तेजी से बदलाव आया है।

अपने संस्मरण 'फाइव डिकेड्स इन पॉलिटिक्स' के लॉन्च पर कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि गृह मंत्री बनने से पहले मैं शिक्षाविद विजय धर से मिलने गया था। मैं उनसे सलाह मांगता था। उन्होंने मुझे ऐसी सलाह दी कि सुशील तू इधर-उधर मत भटक… तू लाल चौक में जाकर वहां भाषण कर. कुछ लोगों से मिल और डल झील में घूमते चलो… उस सलाह से मुझे बहुत पब्लिसिटी मिली और लोगों में संदेश गया एक ऐसा होम मिनिस्टर है, जो बिना डर के जाता है, लेकिन मेरी फ$% (आपत्तिजनक शब्द) थी किसको बताऊं मैं।

शिंदे की किताब के विमोचन के मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एमपी के दो बार सीएम रहे दिग्विजय सिंह जैसे सियासत के दिग्गजों के अलावा जाने-माने शिक्षाविद विजय धर भी मौजूद थे। धर शिंदे के काफी करीबी हैं। उनकी ही एक सलाह का जिक्र करते हुए शिंदे ने कश्मीर में खुद को डर लगने की बात कही।

*बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने साधा निशाना*
पूर्व गृहमंत्री के इस बयान पर बीजेपी ने निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा कि कांग्रेस को शिंदे की बातों पर ध्यान देना चाहिए।  यूपीए काल के गृहमंत्री सुशील शिंदे ने माना कि वह जम्मू-कश्मीर जाने से डरते थे। पूनावाला ने कहा कि आज राहुल गांधी आराम से कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा और स्नो फाइटिंग करते दिखे! लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को आतंक के दिनों में वापस ले जाना चाहते हैं!

*370 को निष्प्रभावी करना बीजेपी की बड़ी उपलब्धी*
सुशील कुमार शिंदे के बयान के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या सुशील कुमार शिंदे ने माना अब कश्मीर बदल गया है? क्या शिंदे ने मान लिया है कि कश्मीर अब सुरक्षित है? बता दें कि भारतीय जनता पार्टी आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने को अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाती है और उसका दावा है कि इसी वजह से अब समूचे जम्मू-कश्मीर में पर्यटक बेखौफ घूम सकते हैं।
*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

#bjpsecondlist21candidatesharyanaelection_2024

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।

जाकिर नाइक ने उगला जहर तो केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने दिया जवाब, बोले-'मुसलमानों को गुमराह न करें

#kiren_rijiju_attacks_zakir_naik_social_media_post

भारत से भागकर मलेशिया में छुपे जाकिर नाइक ने एक बार फिर जहरीला बयान देकर भारत के मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया है। भगोड़े इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक पर वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भारतीय मुसलमानों को बरगलाने की कोशिश की है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने जाकिर को इसका करारा जवाब दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि, वो भारत में मुसलमानों को गुमराह न करें। 

केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड को रेगुलेट करने के लिए बिल लाइ थी जिस पर जेपीसी विचार कर रही है वहीं एक वर्ग ऐसा है जो इस बिल का विरोध कर रहा है। ऐसी माहौल में इस्लामिक कट्टरपंथी उपदेशक जाकिर नाइक ने एक्स पर इस मसले को लेकर एक पोस्ट किया था।

रिजिजू ने नाइक के पोस्ट को भ्रामक और झूठा प्रचार बताया है। उन्होंने कहा, 'कृपया हमारे देश के बाहर से निर्दोष मुसलमानों को गुमराह न करें। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोगों को अपनी राय रखने का अधिकार है। दुष्प्रचार से गलत नैरेटिव बनते हैं।

रिजिजू ने इससे पहले संसद में कहा था कि वक्फ बोर्ड पर 'कुछ लोगों' का कब्जा हो गया है और यह विधेयक आम मुसलमानों को न्याय देने के लिए लाया गया है।

इससे पहले जाकिर नाइक ने रविवार, 8 सितंबर को वक्फ संशोधन विधेयक को बुरा बिल कहा और इसे पारित न होने देने के लिए आवाज उठाने की सलाह दी। भारत के मुसलमानों को संबोधित करते हुए जाकिर ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 'वक्फ की पवित्र स्थिति का उल्लंघन है। नाइक ने कहा, अगर हम इस विधेयक को पारित होने देते हैं तो हम अल्लाह के क्रोध और आने वाली पीढ़ियों के अभिशाप को सहन करेंगे। 

देश के मुसलमानों से वक्फ संशोधन विधेयक को रोकने का आह्वान करते हुए जाकिर नाइक ने कहा कि भारत में कम से कम 50 लाख मुसलमानों को वक्फ संशोधन विधेयक की अस्वीकृति को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजना चाहिए। नाइक की पोस्ट में कहा गया, आइए वक्फ की पवित्रता की रक्षा के लिए एक साथ खड़े हों और भावी पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण सुनिश्चित करें।

जाकिर नाइक ने अपने पोस्ट में लिखा, भारतीय वक्फ संपत्तियों को बचाएं, वक्फ संशोधन विधेयक को खारिज करें. जाकिर नाइक ने इसके लिए हदीस का हावाला दिया है। जाकिर ने कहा कि अल्लाह के दूत ने कहा है कि अगर लोग कुछ बुराई देखते हैं लेकिन उसे नहीं बदलते हैं तो जल्द ही अल्लाह उन सभी पर अपनी सजा भेजेगा।

बता दें कि जाकिर नाइक के भड़काऊ भाषणों से प्रभावित होकर बंग्लादेश में एक युवक ने आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसी के बाद भारत सरकार ने जाकिर नाइक के खिलाफ जांच करनी शुरू की थी, जिसके बाद यह कई संदिग्ध मामलों में संलिप्त पाया गया था। भारत सरकार की तरफ से नकेल कसने के बाद यह सऊदी अरब और बाद मलेशिया में जाकर छुप गया है। इसके खिलाफ भारत में कई आपराधिक मुकदमे दायर हैं।